भारतीय रिज़र्व बैंक ने लघु वित्त बैंकों के लिए 10 आवेदकों को ‘सैद्धांतिक’ अनुमोदन दिया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने लघु वित्त बैंकों के लिए 10 आवेदकों को ‘सैद्धांतिक’ अनुमोदन दिया
16 सितंबर 2015 भारतीय रिज़र्व बैंक ने लघु वित्त बैंकों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने 27 नवंबर 2014 को जारी 'निजी क्षेत्र में लघु वित्त बैंकों को लाइसेंस देने संबंधी दिशानिर्देशों' के अंतर्गत लघु वित्त बैंकों की स्थापना के लिए आज निम्नलिखित 10 आवेदकों को 'सैद्धांतिक' अनुमोदन देने का निर्णय लिया। चयनित आवेदकों के नाम
यह 'सैद्धांतिक' अनुमोदन 18 माह के लिए वैध रहेगा ताकि आवेदक दिशानिर्देशों के तहत निर्धारित अपेक्षाओं और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट की जाने वाली अन्य शर्तों को पूरा सकें। “सैद्धांतिक” अनुमोदन के अंश के रूप में निर्धारित अपेक्षित शर्तों पर आवेदकों के अनुपालन की स्थिति के संबंध में संतुष्ट हो जाने के बाद रिज़र्व बैंक उन्हें बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 22(1) के अंतर्गत बैंकिंग कारोबार शुरू करने के लिए लाइसेंस प्रदान करने पर विचार करेगा। जब तक नियमित लाइसेंस जारी नहीं किया जाता है, आवेदक कोई भी बैंकिंग कारोबार नहीं कर सकते हैं। चयन प्रक्रिया भारतीय रिज़र्व बैंक ने इन आवेदकों के चयन के संबंध में निर्णय तीन अलग-अलग समितियों की राय जानने के बाद तथा प्रत्येक आवेदक के बारे में किए गए विस्तृत मामला अध्ययन के आधार पर लिया है। चयन प्रक्रिया के चरण नीचे दर्शाए गए हैं : भारतीय रिज़र्व बैंक की टीम ने सभी आवेदकों की प्रारंभिक अनुवीक्षण प्रथम दृष्ट्या पात्रता को लेकर कराई, जिसके अंतर्गत न्यूनतम प्रारंभिक पूंजी जुटाने की उनकी क्षमता और स्वामित्व की स्थिति तथा दिशानिर्देशों के अनुसार निवासियों के नियंत्रण की स्थिति शामिल हैं। प्रारंभिक अनुवीक्षण के निष्कर्षों को भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व उप गवर्नर श्रीमती उषा थोरात की अध्यक्षता वाली बाहरी परामर्शदात्री समिति (ईएसी) के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इस ईएसी ने ऐसे आवेदकों की सिफारिश की जिनके संबंध में दिशानिर्देशों के आलोक में प्रथम दृष्ट्या पात्रता के आधार पर विस्तृत जांच कराई जाए। विस्तृत अनुवीक्षण में अच्छी वित्तीय स्थिति, प्रस्तावित कारोबार योजना, विनियामकों, जांच करने वाली एजेंसियों, बैंकों आदि से प्राप्त समुचित सावधानी रिपोर्ट के आधार पर योग्य और उचित स्थिति शामिल थी। बैंकरहित क्षेत्रों और आबादी के अल्पसेवा प्राप्त वर्गों तक पहुंचने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक प्रस्तावित किया गया। ईएसी ने उन्हें प्रस्तुत की गई सूचना पर आधारित आवेदनों पर कई बैठकों में विस्तृत विचार-विमर्श किया। इसके बाद ईएसी ने अपनी रिपोर्ट भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत की। भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर और चार गवर्नरों की आंतरिक स्क्रीनिंग समिति (आईएससी) ने इसके बाद आवेदनों की जांच की। आईएससी ने ईएसी द्वारा की गई सिफारिशों के औचित्य पर भी विचार-विमर्श किया। सभी आवेदनों की अनुवीक्षण करने के बाद आईएससी ने भारतीय रिज़र्व बैंक की केंद्रीय बोर्ड समिति को अपनी स्वतंत्र सिफारिशें की। 16 सितंबर 2015 को हुई सीसीबी की बैठक में सीसीबी के बाह्य सदस्यों ने नोटों, ईएसी की सिफारिशों और आईएससी को देखा तथा सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान करने के लिए आवेदकों की सूची पर निर्णय लिया। समिति की सिफारिशों के औचित्य को स्पष्ट करने के लिए ईएसी के अध्यक्ष को भी आमंत्रित किया गया। भविष्य में रिज़र्व बैंक इस लाइसेंसिंग दौर से मिलने वाली सीख का उपयोग दिशानिर्देशों को समुचित रूप से संशोधित करने तथा वास्तव में नियमित रूप से “ऑन टैप” आधार पर लाइसेंस देते रहने में करना चाहता है। पृष्ठभूमि यह स्मरण होगा कि वित्तीय क्षेत्र सुधार समिति (अध्यक्षः डॉ. रघुराम जी. राजन), 2009 ने भारतीय संदर्भ में लघु बैंकों के महत्व की जांच की थी। समिति ने राय दी थी कि परिवेश में काफी बदलाव आया है, इसलिए लघु बैंकों की लाइसेंसिंग के संबंध में परीक्षण किया जा सकता है। उक्त समिति ने निजी क्षेत्र के जमाराशि स्वीकार करने वाले सुसंचालित लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) को बड़े पैमाने पर अनुमति देने की सिफारिश की। उनके भौगोलिक रूप से संकेंद्रीकृत होने के कारण उत्पन्न होने वाले उच्चतर जोखिम को कम करने के लिए उच्चतर पूंजी, संबंधित पार्टी लेनदेनों पर पूर्ण प्रतिबंध तथा कम अनुमेय संकेंद्रण मानदंड अपेक्षित हैं। इसका उल्लेख भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 27 अगस्त 2013 को अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराए गए नीतिगत चर्चा पेपर ‘भारत में बैंकिंग संरचना-आगामी मार्ग’ में भी किया गया था। 10 जुलाई 2014 को प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2014-2015 में माननीय वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि: “मौजूदा ढांचे में उपयुक्त परिवर्तन करने के बाद वर्तमान वित्त वर्ष में निजी सेक्टर में सार्वभौमिक बैंकों को सतत् प्राधिकार देने के लिए एक ढांचा तैयार किया जाएगा। छोटे बैंकों और अन्य विशिष्ट बैंकों को लाइसेंस देने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक एक ढांचा तैयार करेगा। आला हितों की पूर्ति करने वाले विशिष्ट बैंक, स्थानीय क्षेत्र के बैंक, भुगतान बैंक आदि की परिकल्पना छोटे कारोबारों, असंगठित क्षेत्र, निम्न आय वाले परिवारों, किसानों और प्रवासी कार्य बल की ऋण और प्रेषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए की गई है।” लघु वित्त बैंकों की लाइसेंसिंग के लिए प्रारूप दिशानिर्देश सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए 17 जुलाई 2014 को जारी किए गए थे। प्रारूप दिशानिर्देशों पर प्राप्त टिप्पणियों और सुझावों के आधार पर लघु वित्त बैंकों की लाइसेंसिंग के लिए अंतिम दिशानिर्देश 27 नवंबर 2014 को जारी किए गए। रिज़र्व बैंक ने 1 जनवरी 2015 को दिशानिर्देशों पर प्रश्नों (संख्या 176) पर स्पष्टीकरण भी जारी किया। रिज़र्व बैंक को लघु वित्त बैंकों के लिए 72 आवेदन प्राप्त हुए। तत्पश्चात, माइक्रोसेक रिसोर्सिज़ प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता ने अपना आवेदन वापस ले लिया। श्री अजय सिंह बिम्भेट और अन्य द्वारा किए गए एक अन्य आवेदन में दो सह-प्रवर्तकों ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली और इस प्रकार यह माना गया कि आवेदन वापस ले लिया गया। अतिरिक्त ब्योरे इन दिशानिर्देशों में यह उपबंध किया गया है कि प्रथम दृष्ट्या पात्रता के प्रारंभिक अनुवीक्षण के बाद आवेदनों को तत्संबंधी प्रयोजन के लिए गठित एक बाहरी परामर्शदात्री समिति (ईएसी) को भेज दिया जाएगा। तदनुसार, आवेदनों के अनुवीक्षण तथा लाइसेंस दिए जाने हेतु ऐसे आवेदकों, जो दिशानिर्देशों का अनुपालन करते हों, की सिफारिश करने की दृष्टि से रिज़र्व बैंक ने 04 फरवरी 2015 को श्रीमती उषा थोरात की अध्यक्षता में एक ईएएसी का गठन किया गया था। इस ईएसी में तीन सदस्य शामिल थे : श्री एम.एस. साहू, पूर्व सदस्य सेबी; श्री एम.एस. श्रीराम, प्रोफेसर, भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम), बंगलूरु और श्री एम. बालचंद्रन, अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम। बाद में, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्ति होने के कारण श्री एम.एस. साहू के समिति से हट जाने पर रिज़र्व बैंक ने अप्रैल 2015 में श्री रवि नारायण, उपाध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज को समिति में नियुक्त किया। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/693 |