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भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक ऑफ इंडिया पर मौद्रिक दंड लगाया

7 जून 2021

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक ऑफ इंडिया पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने, दिनांक 7 जून 2021 के आदेश द्वारा बैंक ऑफ इंडिया (बैंक) पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिनांक 1 जुलाई 2014 का “केवाईसी मानदंड/ एएमएल मानक/ सीएफ़टी/ पीएमएलए 2002 के तहत बैंकों का दायित्व संबंधी मास्टर परिपत्र”, दिनांक 27 मई 2014 का “जमकर्ता प्रशिक्षण और जागरूकता निधि योजना, 2014 - बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26ए - परिचालनात्मक दिशानिर्देश” संबंधी परिपत्र, दिनांक 2 जुलाई 2012 का “धोखाधड़ी - वर्गीकरण और रिपोर्टिंग संबंधी मास्टर परिपत्र और दिनांक 5 अप्रैल 2011 का “प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी)/पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) को संदिग्ध मानक/धोखाधड़ी मूल की वित्तीय आस्तियों की बिक्री - रिपोर्टिंग अपेक्षाएं” में निहित निदेशों के कतिपय प्रावधानों का अननुपालन के लिए 4 करोड़ (चार करोड़ रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 51 (1) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन (आईएसई) के लिए वैधानिक निरीक्षण रिज़र्व बैंक द्वारा 31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किया गया था। बैंक ने एक समीक्षा भी की थी और एक खाते में धोखाधड़ी का पता लगाने के संबंध में 1 जनवरी 2019 को एक धोखाधड़ी निगरानी रिपोर्ट (एफएमआर) प्रस्तुत की थी। आईएसई और एफएमआर से संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट की जांच से यह पता चला कि उपर्युक्त निदेशों यथा निर्धारित लेनदेन सीमा का उल्लंघन; दावा न की गई शेष राशि को डीईए फंड में अंतरित करने में विलंब; आरबीआई को धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने में देरी और धोखाधड़ी वाली संपत्ति की बिक्री का अननुपालन/उल्लंघन किया गया है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि उक्त निदेशों का ऐसा उल्लंघन करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और वैयक्तिक सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने तथा उनके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतीकरण के परीक्षण के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेश के अननुपालन/उल्लंघन के उक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/331

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