भारतीय रिज़र्व बैंक ने तीन भुगतान प्रणाली परिचालकों पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने तीन भुगतान प्रणाली परिचालकों पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने निम्नलिखित दो भुगतान प्रणाली परिचालकों (पीएसओ) पर दिनांक 25 फरवरी 2016 के मास्टर निदेश - अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश, 2016 (समय-समय पर यथाअद्यतन) के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए मौद्रिक दंड लगाया है।
दो पीएसओ अर्थात ओला फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और वीज़ा वर्ल्डवाइड पीटीई लिमिटेड को भी क्रमशः दिनांक 27 अगस्त 2021 के पूर्वदत्त भुगतान लिखतों (पीपीआई) (समय-समय पर यथाअद्यतन) और दिनांक 6 दिसंबर 2016 के कार्ड नॉट प्रेजेंट लेनदेन – कार्ड नेटवर्क द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रमाणीकरण समाधानों के लिए ₹2000/- तक के भुगतान हेतु प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक में छूट संबंधी मास्टर निदेशों में निहित कतिपय प्रावधानों के उल्लंघन के लिए कंपाउडिंग आदेश जारी किए गए।
उपरोक्त कार्रवाई संदाय और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 30 और धारा 31 के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक में निहित शक्तियों के अंतर्गत की गई है तथा यह विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य संस्था द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
मणप्पुरम फाइनेंस लिमिटेड और ओला फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड
दोनों संस्थाएं भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा केवाईसी आवश्यकताओं पर जारी निदेशों का अनुपालन नहीं कर रही थीं। तदनुसार, संस्थाओं को नोटिस जारी किए गए जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि निदेशों के अननुपालन के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। उनके लिखित उत्तरों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह पाया कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के उपरोक्त आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
इसके अलावा, ओला फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने भी अपने निलंब खाते में शेष राशि में कमी के मामलों की रिपोर्ट की थी और उल्लंघन की कंपाउडिंग हेतु आवेदन किया था। कंपाउडिंग आवेदन और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों का विश्लेषण करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने निर्धारित किया कि उपर्युक्त उल्लंघन की कंपाउडिंग की जा सकती है।
वीज़ा वर्ल्डवाइड पीटीई. लिमिटेड
यह पाया गया कि संस्था ने भारतीय रिज़र्व बैंक से विनियामक मंजूरी के बिना एक भुगतान प्रमाणीकरण समाधान लागू किया था। तदनुसार, संस्था को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों के अननुपालन के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। संस्था ने अपने उत्तर में उल्लंघन के लिए कंपाउडिंग हेतु आवेदन किया। कंपाउडिंग आवेदन और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों का विश्लेषण करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने निर्धारित किया कि उपर्युक्त उल्लंघन की कंपाउडिंग की जा सकती है।
(पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/785 |