विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य
10 फरवरी 2022 विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य यह वक्तव्य (i) चलनिधि उपाय; (ii) वित्तीय बाज़ार; (iii) भुगतान और निपटान प्रणाली तथा; (iv) विनियमन और पर्यवेक्षण से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीति उपायों को निर्धारित करता है । I. चलनिधि उपाय 1. आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ₹50,000 करोड़ की मीयादी चलनिधि सुविधा की अवधि को बढ़ाना 5 मई 2021 को, देश में कोविड-19 से संबंधित स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे और सेवाओं में सुधार के लिए तत्काल चलनिधि के प्रावधान को बढ़ावा देने हेतु रेपो दर पर ₹50,000 करोड़ की ऑन-टैप चलनिधि विंडो की घोषणा की गई थी, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की थी। बैंकों को 31 मार्च 2022 तक ऐसे ऋण के लिए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के विस्तार के माध्यम से इस योजना के अंतर्गत ऋण के त्वरित वितरण के लिए प्रोत्साहित किया गया था। बैंकों से इस योजना के तहत एक कोविड -19 ऋण बही तैयार करने की प्रत्याशा थी। एक अतिरिक्त प्रोत्साहन के रूप में, ऐसे बैंक प्रतिवर्ती रेपो विंडो के तहत आरबीआई के पास कोविड-19 ऋण बही की राशि तक अपनी अधिशेष चलनिधि को रेपो दर से 25 बीपीएस कम, अर्थात् प्रतिवर्ती रेपो दर से 40 बीपीएस अधिक दर पर जमा करने के लिए पात्र थे। बैंकों ने कोविड -19 से संबंधित आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए (4 फरवरी 2022 तक) अपने ₹9,654 करोड़ की निधियों को नियोजित किया है। योजना की प्रतिक्रिया को देखते हुए, अब इस विंडो को पहले की घोषणा के अनुसार 31 मार्च 2022 से बढ़ाकर 30 जून 2022 तक करने का प्रस्ताव है। 2. संपर्क-गहन क्षेत्रों के लिए ऑन टैप चलनिधि विंडो की अवधि को बढ़ाना 4 जून 2021 को, कुछ संपर्क-गहन क्षेत्रों के लिए 31 मार्च 2022 तक उपलब्ध तीन वर्ष तक की अवधि के साथ रेपो दर पर ₹15,000 करोड़ की एक अलग चलनिधि विंडो खोलने का निर्णय लिया गया था। प्रोत्साहन के रूप में, ऐसे बैंक इस योजना के अंतर्गत बनाई गई कोविड-19 ऋण बही की राशि तक अपनी अधिशेष चलनिधि को आरबीआई के पास जमा करने के पात्र थे। कोविड-19 ऋण बही की इस राशि को रेपो दर से 25 बीपीएस कम या, एक अलग तरीके से कहा जाए तो, प्रतिवर्ती रेपो दर से 40 बीपीएस अधिक दर पर जमा किया गया था। इस योजना के तहत आरबीआई से निधि प्राप्त किए बिना अपने स्वयं के संसाधनों को नियोजित कर ऋण प्रदान करने के इच्छुक बैंक भी इस प्रोत्साहन के लिए पात्र थे। बैंकों ने संपर्क गहन क्षेत्र के अंतर्गत संस्थाओं के लिए (4 फरवरी 2022 तक) ₹5,041 करोड़ की अपनी निधि को नियोजित किया है। योजना को मिली प्रतिक्रिया को देखते हुए अब इस विंडो को 30 जून 2022 तक बढ़ाने का प्रस्ताव है। II. वित्तीय बाज़ार 3. स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) - सीमाओं में वृद्धि देश में जारी ऋण लिखतों में स्थायी निवेश की सुविधा के लिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा सरकारी और कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश के लिए स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) को 01 मार्च 2019 को प्रारंभ किया गया था। इस मार्ग ने दीर्घावधि निवेश होरीज़ोन वाले एफपीआई को एक अलग माध्यम, जो मूल रूप से व्यापक विवेकसम्मत नियंत्रण से मुक्त है, प्रदान किया। वीआरआर के तहत निवेश के लिए ₹1,50,000 करोड़ की एक प्रतिबद्ध निवेश सीमा निर्धारित की गई थी। वीआरआर की सकारात्मक प्रतिक्रिया को देखते हुए, जैसा कि वर्तमान सीमा के लगभग समाप्त होने से स्पष्ट है, 1 अप्रैल 2022 से वीआरआर के तहत निवेश सीमा को ₹1,00,000 करोड़ और बढ़ाकर ₹2,50,000 करोड़ करने का प्रस्ताव है। संशोधित निवेश सीमा आज अधिसूचित की जा रही है। 4. ऋण चूक स्वैप (सीडीएस) दिशानिर्देशों की समीक्षा ऋण चूक स्वैप (सीडीएस) के लिए दिशानिर्देश पिछली बार जनवरी 2013 में जारी किए गए थे। कॉरपोरेट बॉन्ड, विशेष रूप से कम रेटिंग वाले जारीकर्ताओं के बांड के लिए, चलनिधि बाजार के विकास के लिए सीडीएस बाजार के महत्व को देखते हुए, 4 दिसंबर 2020 के विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में यह घोषणा की गई थी कि इन दिशानिर्देशों की समीक्षा की जाएगी। तदनुसार, सार्वजनिक परामर्श के लिए 16 फरवरी 2021 को मसौदा दिशानिर्देश जारी किए गए थे। प्राप्त फीडबैक को ध्यान में रखते हुए आज अंतिम निदेश जारी किए जा रहे हैं। 5. बैंकों को अपतटीय विदेशी मुद्रा में निपटान रुपया डेरिवेटिव बाजार में कारोबार करने की अनुमति देना भारत में बैंकों को जून 2019 में यह अनुमति दी गई थी कि वे अनिवासियों को उनके ब्याज दर जोखिम से बचाव के लिए रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव को ऑफर करें। विदेशी संस्थाओं को भी भारत में बैंकों के साथ बचाव के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए प्रत्यक्ष या बैक-टू-बैक आधार पर भारत में बाजार निर्माता की विदेशी शाखा/ मूल/ समूह इकाई (विदेशी समकक्ष) के माध्यम से ओवरनाइट सूचकांकित स्वैप (ओआईएस) लेनदेन करने की अनुमति दी गई थी। इस पहल ने घरेलू ओआईएस बाजार में चलनिधि को बढ़ाया है, भागीदारी में विविधता को बढ़ावा दिया है और तटवर्ती और अपतटीय बाजारों के बीच विभाजन को कम किया है। देश में ब्याज दर डेरिवेटिव बाजार को और बढ़ावा देने, तटवर्ती और अपतटीय बाजारों के बीच विभाजन को दूर करने और मूल्य खोज की दक्षता में सुधार करने की दृष्टि से, यह निर्णय लिया गया है कि भारत के बैंकों को अनिवासियों और अन्य बाजार निर्माताओं के साथ अपतटीय विदेशी मुद्रा में निपटान होने वाले ओवरनाइट सूचकांकित स्वैप (एफ़सीएस-ओआईएस) बाजार में लेनदेन करने की अनुमति दी जाए। बैंक भारत में अपनी शाखाओं, अपनी विदेशी शाखाओं या अपनी आईएफ़एससी बैंकिंग इकाइयों के माध्यम से भाग ले सकते हैं। आज आवश्यक निदेश जारी किए जा रहे हैं। III. भुगतान और निपटान प्रणाली 6. ई-रूपी (यूपीआई का उपयोग कर प्रीपेड डिजिटल वाउचर) के अंतर्गत अधिकतम सीमा में वृद्धि भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा विकसित और अगस्त 2021 में जारी ई-रूपी प्रीपेड डिजिटल वाउचर एक व्यक्ति-विशिष्ट और उद्देश्य-विशिष्ट नकदी रहित वाउचर है और इसका उपयोग व्यक्तियों, कंपनियों या सरकारों द्वारा किया जा सकता है। ई-रूपी यूपीआई प्लेटफॉर्म पर चलता है और इसकी सीमा ₹10,000/- प्रति वाउचर है और प्रत्येक वाउचर का उपयोग/ मोचन केवल एक बार किया जा सकता है। वर्तमान में ई-रूपी वाउचर का उपयोग बड़े पैमाने पर कोविड-19 टीकाकरण उद्देश्यों के लिए किए जा रहे हैं। विभिन्न राज्य सरकार और केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों द्वारा अन्य उपयोग के मामलों पर सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है। लाभार्थियों को विभिन्न सरकारी योजनाओं की डिजिटल सुपुर्दगी की सुविधा के लिए, सरकारों द्वारा जारी किए गए ई-रूपी वाउचर की सीमा को बढ़ाकर ₹1,00,000/- प्रति वाउचर करने और ई-रूपी वाउचर के कई बार (जब तक वाउचर की राशि पूरी तरह से भुनाई नहीं जाती है) उपयोग की अनुमति देने का प्रस्ताव है। एनपीसीआई को आवश्यक निदेश अलग से जारी किए जाएंगे। 7. एमएसएमई प्राप्य वित्तपोषण के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे को सक्षम करना – टीआरईडीएस निपटान के लिए एनएसीएच अधिदेश सीमा को बढ़ाना व्यापार प्राप्य बट्टा प्रणाली (टीआरईडीएस) सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की प्राप्तियों में छूट/ वित्तपोषण की सुविधा प्रदान करता है। टीआरईडीएस निपटान राष्ट्रीय स्वचालित समाशोधन गृह (एनएसीएच) प्रणाली में अधिदेश के माध्यम से किया जाता है। वर्तमान में एनएसीएच अधिदेश की सीमा ₹1 करोड़ है। वर्धित सहभागिता के माध्यम से नवोन्मेष और प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिए, अक्तूबर 2019 में रिज़र्व बैंक द्वारा टीआरईडीएस परिचालकों के ‘ऑन टैप' प्राधिकरण की शुरुआत की गई थी। केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2020 से एमएसएमई की परिभाषा को उनके वार्षिक कारोबार से जोड़ने के साथ जोड़कर संशोधित किया है। एमएसएमई की बढ़ती चलनिधि आवश्यकताओं और टीआरईडीएस प्लेटफार्मों से प्राप्त अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए, टीआरईडीएस निपटान के लिए एनएसीएच अधिदेश सीमा को ₹3 करोड़ तक बढ़ाने का प्रस्ताव है। आवश्यक निर्देश अलग से जारी किये जायेंगे। IV. विनियमन और पर्यवेक्षण 8. आईटी आउटसोर्सिंग पर मास्टर निदेश (एमडी) और सूचना प्रौद्योगिकी अभिशासन, जोखिम, नियंत्रण और आश्वासन पद्धतियों पर मास्टर निदेश (एमडी) वित्तीय प्रणाली दक्षता में सुधार के लिए वित्तीय प्रौद्योगिकी के प्लेयरों के माध्यम से नई प्रौद्योगिकियों तक आसान पहुंच प्राप्त करने के लिए विनियमित संस्थाएं महत्वपूर्ण आईटी सेवाओं के व्यापक लाभ और आउटसोर्सिंग को महसूस कर रही है। इन व्यवस्थाओं से उन्हें महत्वपूर्ण वित्तीय, परिचालन और प्रतिष्ठा संबंधी जोखिमों का सामना करना पड़ता है। इसी तरह, बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने के लिए डिजिटल चैनलों पर ग्राहकों की बढ़ती निर्भरता ने विनियमित संस्थाओं के लिए परिचालन संबंधी लचीलेपन पर ध्यान केंद्रित करना अनिवार्य बना दिया है। इसलिए, यह महसूस किया गया है कि आईटी आउटसोर्सिंग के लिए जोखिम प्रबंधन ढांचे, संकेन्द्रण जोखिम के प्रबंधन, आवधिक जोखिम मूल्यांकन और विदेशी सेवा प्रदाताओं को आउटसोर्सिंग जैसे पहलुओं के लिए उपयुक्त विनियामक दिशानिर्देशों की आवश्यकता है। सूचना सुरक्षा सुशासन और नियंत्रण, कारोबार निरंतरता प्रबंधन और सूचना प्रणाली लेखा-परीक्षा से संबंधित दिशानिर्देशों को भी अद्यतन और समेकित करने की आवश्यकता है। तदनुसार, रिज़र्व बैंक ने उपर्युक्त पहलुओं को संबोधित करने हेतु दिशानिर्देश जारी करने का प्रस्ताव किया है। हितधारकों और जनता की टिप्पणियों के लिए दो मसौदा निदेश जारी किए जाएंगे: (i) भारतीय रिज़र्व बैंक (आईटी आउटसोर्सिंग) निदेश, 2022; और (ii) भारतीय रिज़र्व बैंक (सूचना प्रौद्योगिकी सुशासन, जोखिम, नियंत्रण और आश्वासन पद्धतियां) निदेश, 2022। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1694 |