RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

Consumer Education and Protection Overview Banner

Consumer Education & Protection Overview About Us

परिचय परिचय

परिचय

हमारी ग्राहक पहुंच नीति का लक्ष्य आमजनता को सूचना प्रदान करना है जिससे कि वे बैंकिंग सेवाओं के संबंध में अपनी अपेक्षाओं, विकल्पों और अधिकारों तथा बाध्यताओं के बारे में जान सकें। हमारे ग्राहक सेवा प्रयासों को ग्राहक के अधिकारों की रक्षा करने, ग्राहक सेवा की गुणवत्ता बढ़ाने और संपूर्ण बैंकिंग क्षेत्र और रिज़र्व बैंक में शिकायत निवारण व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए डिजाइन किया गया है।

  • उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्ण-सेवा केंद्रीय बैंकिंग कार्यों का एक अभिन्न अंग है। उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग (उशिसंवि), जिसे 2006 में ग्राहक सेवा विभाग (सीएसडी) के रूप में स्थापित किया गया था, उपभोक्ता संरक्षण के लिए नीतिगत दिशानिर्देश तैयार करता है और भारिबैं लोकपाल (ओआरबीआईओ) के 22 कार्यालयों और 30 उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण कक्षों (उसंकक्ष) के कामकाज की देखरेख करता है। उशिसंवि के प्रमुख कार्यों में शामिल हैं: (i) रिजर्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस), 2021 का प्रशासन, जिसे बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और गैर-बैंक सिस्टम प्रतिभागियों (एनबीएसपी) के लिए पूर्ववर्ती लोकपाल योजनाओं को एकीकृत करके तैयार किया गया था; (ii) बैंकों में ग्राहक सेवा में कमियों के संबंध में भारत सरकार (जीओआई) के केन्द्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) पोर्टल के माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक में प्राप्त शिकायतों का संचालन करना; (iii) आरबी-आईओएस, 2021 के तहत अपीलीय प्राधिकारी (एए) के सचिवालय के रूप में कार्य करना; (iv) भारतीय रिजर्व बैंक के विभिन्न कार्यालयों/विभागों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के संबंध में शिकायत निवारण तंत्र की निगरानी करना; (v) ग्राहक सेवा और शिकायत निवारण से संबंधित मामलों पर बैंकों, भारतीय बैंक संघ, ओआरबीआईओ और भारतीय रिजर्व बैंक के विनियामक विभागों के साथ संपर्क करना और नीतिगत जानकारी प्रदान करना; (vi) उपभोक्ता जागरूकता उत्पन्न करना और बैंकों और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ग्राहक सेवा और शिकायत निवारण से संबंधित सूचना का प्रसार करना; और (vii) आरबी-आईओएस की वार्षिक रिपोर्ट का संकलन और प्रकाशन करना।
  • उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में रिज़र्व बैंक की केंद्रित पहल की शुरुआत इस प्रकार हुई (i)1995 में शिकायत निवारण कक्ष की स्थापना, (ii) 1995-96 में बैंकिंग लोकपाल (बैंलो) योजना की शुरूआत के माध्यम से एक वैकल्पिक शिकायत निवारण (एजीआर) तंत्र की स्थापना और (iii) पूर्ववर्ती ग्रामीण योजना और ऋण विभाग से एक पूर्ण सीएसडी का सृजन। सीएसडी को 2014 में उशिसंवि के रूप में पुनर्नामित किया गया।
  • बैंलो योजना को अन्य बातों के साथ-साथ, बैंकों के विरुद्ध ग्राहकों की शिकायतों के निवारण की दृष्टि से एक एजीआर तंत्र के रूप में प्रारंभ किया गया था, जो तब तक एक ही मंच के अंतर्गत संबंधित विनियामक और पर्यवेक्षी विभागों के साथ था। एजीआर तंत्र विवाद में पक्षकारों को नियमित अदालतों से संपर्क किए बिना, उनके विवादों को दूर करने के लिए एक वैकल्पिक चैनल प्रदान करता है। प्रारंभ में, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों/नौकरशाहों/वरिष्ठ बैंक अधिकारियों को बैंलो के रूप में नियुक्त किया गया था और इस योजना को बैंकों द्वारा वित्त पोषित किया गया था, जिसमें राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक बैंकों और आरबीआई से श्रमशक्ति प्राप्त की गई थी। इस योजना में वर्ष 2006 में तब संशोधन किया गया जब भारतीय रिजर्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ जवाबदेही बढ़ाने और शिकायतों के निपटान में लंबित मामलों के स्तर को कम करने के लिए लोकपालों की स्टाफिंग, वित्तपोषण और नियुक्ति का कार्यभार संभाला। इन वर्षों में, बैंलो योजना में कई बदलाव लाए गए, जिनमें अपील तंत्र और शिकायतकर्ताओं को मुआवजे के लिए उच्च मौद्रिक सीमा में लाए गए बदलाव शामिल थे। बैंलो योजना में शिकायतों के आधार (31) निर्दिष्ट किए गए थे और 22 विभिन्न कार्यालयों से संचालित होने वाले बैंलो के पास निर्दिष्ट और परस्पर अनन्य क्षेत्राधिकार थे।
  • वित्तीय प्रणाली में एनबीएफसी के बढ़ते महत्व के कारण और उनके ग्राहकों के लिए भी एजीआर का विस्तार करने के उद्देश्य से 2018 में एनबीएफसी के लिए लोकपाल योजना शुरू की गई और चार मेट्रो केंद्रों से संचालित की गई, जिनमें से प्रत्येक अपने संबंधित क्षेत्र को कवर करता था। इसी प्रकार डिजिटल लेनदेन में एनबीएसपी के बढ़ते हिस्से के साथ, डिजिटल लेनदेन के लिए लोकपाल योजना (ओएसडीटी) 2019 में शुरू की गई, जिसमें ओएसडीटी के तहत बैंलो लोकपाल के रूप में कार्य कर रहे थे।
  • विभिन्न समय अवधियों में विकसित होने वाली इन तीनों योजनाओं में शिकायतों के विनिर्दिष्ट आधार थे जो न केवल प्रत्येक योजना के अंतर्गत अलग-अलग थे बल्कि एक सीमित कारक के रूप में भी कार्य करते थे और विभिन्न संस्थाओं के ग्राहकों में असमान निवारण का कारण बनते थे। इस प्रकार, तीन लोकपाल योजनाओं को एकीकृत करने, सेवा में कमी से संबंधित सभी शिकायतों को कवर करके योजना को सरल बनाने और प्रक्रिया दक्षता प्रदान करने के लिए आरबीआई, चंडीगढ़ में स्थापित केंद्रीकृत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र (सीआरपीसी) में शिकायतों की प्राप्ति और प्रारंभिक प्रसंस्करण को केंद्रीकृत करने के साथ ही शिकायतकर्ताओं को आरबीआई के शिकायत निवारण तंत्र के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए # 14448 पर एक संपर्क केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता महसूस की गई। प्रत्यायोजन की शुरूआत की गई और शिकायतों की कतिपय श्रेणियों का शीघ्र निवारण सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक लोकपाल कार्यालय में उप लोकपाल का एक पद भी सृजित किया गया। प्रत्येक लोकपाल कार्यालय के अनन्य क्षेत्राधिकार को भी 'एक राष्ट्र - एक लोकपाल' की अवधारणा के तहत समाप्त कर दिया गया। तदनुसार, माननीय प्रधान मंत्री द्वारा 12 नवंबर, 2021 को सीआरपीसी और संपर्क केंद्र के साथ रिजर्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस) को प्रारंभ किया गया।

Charter for customer Rights

ग्राहक अधिकारों के लिए चार्टर

आरबीआई के 'ग्राहक अधिकारों के चार्टर' के बारे में विस्तार से जानने के लिए और देखें पर क्लिक करें'

और देखें view more

Consumer Education and Protection Information key Topics

मुख्य विषय

RBI Consumer Education & Protection Overview Accordion

रिज़र्व बैंक द्वारा उपभोक्‍ता शिक्षण और संरक्षण से संबंधित हाल ही में की गई कुछ पहल:

ग्राहक संरक्षण के लिए हाल ही में उठाए गए अन्य कदम:

  • ग्राहक अधिकारों का चार्टर - उपभोक्ता संरक्षण में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों के लिए "ग्राहक अधिकारों का चार्टर" तैयार किया है। चार्टर बैंक ग्राहकों की सुरक्षा के लिए व्यापक, अति महत्वपूर्ण सिद्धांतों को प्रतिष्ठापित करता है और बैंक ग्राहकों के निम्नलिखित पांच बुनियादी अधिकारों को प्रतिपादित करता है:

    1. उचित बर्ताव का अधिकार
    2. पारदर्शिता, निष्पक्ष तथा ईमानदार व्‍यवहार का अधिकार
    3. उपयुक्‍तता का अधिकार
    4. गोपनीयता का अधिकार
    5. शिकायत निवारण और क्षतिपूर्ति का अधिकार
  • बैंकों को चार्टर के पांच अधिकारों को शामिल करते हुए बोर्ड द्वारा अनुमोदित अपनी स्वयं की नीति तैयार करने या आईबीए/बीसीएसबीआई द्वारा तैयार की गई "मॉडल ग्राहक अधिकार नीति" के साथ अपनी मौजूदा ग्राहक सेवा नीति को उपयुक्त रूप से एकीकृत करने की आवश्यकता होती है।
  • बैंकों के लिए आंतरिक लोकपाल योजना - 03 सितंबर, 2018 से, 10 या अधिक बैंकिंग आउटलेट वाले सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) को अपने आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र द्वारा आंशिक/पूर्ण रूप से खारिज की गई ग्राहकों की शिकायतों की स्वतंत्र समीक्षा के लिए अपने शिकायत निवारण तंत्र के शीर्ष पर आंतरिक लोकपाल की नियुक्त करने की आवश्यकता है।
  • गैर-बैंक सिस्टम प्रतिभागियों(एनबीएसपी) के लिए आंतरिक लोकपाल योजना, 2019- बैंकों के लिए आंतरिक लोकपाल योजना की तर्ज पर, एनबीएसपी के आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए 22 अक्टूबर, 2019 को एक आंतरिक लोकपाल योजना शुरू की गई। यह योजना पिछले वर्ष की 31 मार्च को एक करोड़ से अधिक बकाया पीपीआई वाले एनबीएसपी (पूर्वदत्‍त भुगतान लिखत जारी करने वाले - पीपीआई) पर लागू है। योजना के तहत कवर किए गए एनबीएसपी के लिए आंशिक रूप से/पूरी तरह से खारिज की गई शिकायतों की समीक्षा करने के लिए अपनी शिकायत निवारण प्रणाली के शीर्ष पर एक स्वतंत्र प्राधिकारी को नियुक्त करना अनिवार्य है।
  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए आंतरिक लोकपाल (एनबीएफसी) जमाराशियां स्वीकार करने वाली 10 या अधिक शाखाओं वाली सभी एनबीएफसी (एनबीएफसी-डी) और ₹5,000 करोड़ या इससे अधिक के आस्ति आकार वाली और ग्राहक इन्‍टरफेस वाली जमाराशियां स्वीकार नहीं करने वाली एनबीएफसी (एनबीएफसी-एनडी) के लिए यह योजना 15 नवंबर, 2021 को प्रारम्भ की गई। ऐसी एनबीएफसी आंशिक रूप से/पूरी तरह से खारिज की गई शिकायतों की समीक्षा करने के लिए अपने आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र के शीर्ष पर एक आंतरिक लोकपाल (आईओ) नियुक्त करेंगी।
  • शिकायत प्रबंध प्रणाली (सीएमएस) – भारिबैं ने 24 जून, 2019 को सीएमएस प्रारंभ किया, जो डिजिटल मोड के माध्यम से आदि से अंत तक शिकायत प्रसंस्करण को सक्षम करने के लिए एक मंच पर सभी हितधारकों अर्थात ग्राहकों, आरबीआई लोकपाल, उशिसंक, उशिसंवि और विनियमित संस्थाओं के कार्यालयों के अधिकारियों को एकीकृत करने वाला एक अत्याधुनिक वेब-आधारित एप्लिकेशन है। सीएमएस शिकायतों की वास्तविक समय की स्थिति उपलब्ध कराता है और वित्तीय सेवाओं और उपभोक्ता अधिकारों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए ई-लर्निंग आधारित उपभोक्ता शिक्षण हेतु व्यापक सामग्री को भी होस्ट करता है।
  • बैंकों में शिकायत निवारण तंत्र का सुदृढ़ीकरण - बैंकों में आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र को सुदृढ़ करने हेतु जनवरी, 2021 को एक व्यापक रूपरेखा जारी की गई। इस रूपरेखा में निम्नलिखित पहलू शामिल हैं: (अ) शिकायतों के संबंध में वर्धित प्रकटीकरण (ब) कतिपय मानदंडों के आधार पर बैंकों के विरुद्ध उनके पीअर-ग्रुप औसत से अधिक मात्रा में प्राप्त स्वीकार्य शिकायतों के निवारण की लागत की वसूली, और (स) बैंकों के शिकायत निवारण तंत्र की गहन समीक्षा और (द) आवश्यक पर्यवेक्षी और विनियामक कार्रवाइयों की शुरुआत।
  • निष्क्रिय खातों में न्यूनतम शेष न रखने पर दंडात्मक प्रभारों की समाप्ति।
  • बचत बैंक खातों में न्यूनतम शेष न रखने पर लगने वाले दंडात्मक प्रभारों को युक्तिसंगत बनाना।
  • इंटर-सोल प्रभारों में एकरूपता।
  • इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में ग्राहकों की देयता को सीमित करना।
  • आवश्यक उपचारात्मक उपाय प्रारंभ करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक में प्राप्त शिकायतों के आधार पर मूल कारण का विश्लेषण करना।
  • उपभोक्ता संरक्षण के दृष्टिकोण से उपभोक्ता शिक्षा के लिए निम्नलिखित घटकों के साथ एक रूपरेखा तैयार की गई है - (i) लक्ष्य समूह, (ii) सामग्री, (iii) वितरण चैनल, (iv) समन्वय पहलू, और (v) प्रभाव विश्लेषण
  • टर्न अराउंड टाइम (टीएटी) में सुसंगता और अधिकृत भुगतान प्रणालियों का उपयोग करके लेनदेन विफल होने पर ग्राहक क्षतिपूर्ति।
  • भुगतान के लिए ऑनलाइन विवाद समाधान प्रणाली।
  • सुदृढ़ उपभोक्ता संरक्षण के लिए ग्राहक सेवा से संबंधित उपयुक्त विनियम तैयार करना।
  • रिज़र्व बैंक के नियामक दायरे के अंतर्गत आने वाले वित्तीय सेवा प्रदाताओं द्वारा नैतिक व्यवहार को लागू करना।
  • प्रभावशीलता और समय पर प्रतिक्रिया के लिए विनियमित संस्थाओं के आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र को बेहतर बनाना।
  • अन्य विनियमित संस्थाओं तक विस्तार के लिए आंतरिक लोकपाल योजना की समीक्षा।
  • ग्राहक सुरक्षा को सुदृढ़ करने और भारिबैं द्वारा शिकायत निवारण की उपयुक्तता में सुधार के लिए उन्नत तकनीकी उपकरणों का उपयोग करना।
  • ग्राहकों को वित्तीय धोखाधड़ी से बचाने के लिए राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान में वृद्धि करना।
  • शैक्षिक पाठ्यक्रम में सुरक्षित बैंकिंग प्रथाओं को शामिल करने के प्रयास करना।

Consumer Education & Protection Legal Framework

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: जनवरी 09, 2023

क्या यह पेज उपयोगी था?