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प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क) समायोजित निवल बैंक ऋण की गणना (एएनबीसी)

उत्तर: निवल पीएसएलसी बकाया (खरीदी गई पीएसएलसी घटाव(-) बेची गई पीएसएलसी) को निवल बैंक ऋण में जोड़ा जाता है, जैसा कि पीएसएल, 2020 पर मास्टर निदेश के पैरा 6 (समय-समय पर अद्यतन) में उल्लिखित है। इसके अलावा, एक पीएसएलसी अपनी समाप्ति तक बकाया रहता है (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार प्रमाणपत्र पर दिनांक 07 अप्रैल 2016 की अधिसूचना के क्रमांक ix), सभी पीएसएलसी 31 मार्च तक समाप्त हो जाएंगे और रिपोर्टिंग तिथि (अर्थात 31 मार्च) से आगे मान्य नहीं होंगे, भले ही पूर्व में उसके खरीद / बेचने की तिथि कुछ भी हो। तदनुसार, एएनबीसी में पीएसएलसी खरीद संबंधी प्रभाव में वृद्धि होती है और इसके विपरीत पीएसएलसी की बिक्री का प्रभाव एएनबीसी में कम होता है तथा पीएसएलसी की खरीद/बिक्री का निवल प्रत्येक तिमाही के लिए एएनबीसी में समायोजित किया जाता है। अतः किसी भी तिमाही में खरीदे या बेचे गए पीएसएलसी को वित्त वर्ष के अंत तक सभी बाद की तिमाहियों में ध्यान में रखना होगा, जिससे वह संबंधित है।

उत्तर: समायोजित निवल बैंक ऋण की गणना संबंधी जानकारी प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार, 2020 पर मास्टर निदेश के पैरा 6 के तहत प्रदान की गई है। टीएलटीआरओ 2.0 और एसएलएफ-एमएफ (बढ़ाए गए विनियामक लाभों सहित) के तहत प्राप्त प्रतिभूतियों का अंकित मूल्य कम किया जाना है (जैसा कि पीएसएल पर मास्टर निदेश के पैरा 6.1 के 'IX' में कहा गया है)। चूंकि इन प्रतिभूतियों को एचटीएम निवेश के रूप में माना जाता है, अतः बैंकों को उन्हें एचटीएम श्रेणी के तहत गैर-एसएलआर श्रेणियों में बांड/डिबेंचर के रूप में जोड़ना होगा (जैसा कि पीएसएल पर मास्टर निदेश के पैरा 6.1 के 'X' में कहा गया है)। यह परिकल्पना की गई है कि टीएलटीआरओ 2.0 और एसएलएफ-एमएफ (बढ़ाए गए विनियामक लाभों सहित) के तहत अधिग्रहित प्रतिभूतियों के कारण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी लक्ष्य/उप-लक्ष्यों में वृद्धि नहीं होनी चाहिए। प्रतिभूतियों (X) के अंकित मूल्य को जोड़ने और प्रतिभूतियों के अंकित मूल्य (IX) को कम करने से टीएलटीआरओ 2.0 और एसएलएफ-एमएफ (बढ़ाए गए विनियामक लाभों सहित) में निवेश के कारण एएनबीसी में कोई वृद्धि नहीं होगी।

उत्तर: बैंक कृषि और समग्र पीएसएल उपलब्धि के तहत नाबार्ड के पास बकाया जमाराशियों की गणना कर सकते हैं, जबकि सिडबी, मुद्रा और एनएचबी के पास जमा को केवल समग्र पीएसएल उपलब्धि के लिए गिना जा सकता है। समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) की गणना के लिए बैंकों को इन जमाराशियों को निवल बैंक ऋण (एनबीसी) में भी जोड़ना चाहिए।हालांकि, नाबार्ड, सिडबी, मुद्रा और एनएचबी के पास जमाओं को उप-लक्ष्य संबंधी उपलब्धि अर्थात एसएमएफ, एनसीएफ, सूक्ष्म और कमजोर वर्ग के लिए नहीं गिना जा सकता है।

उत्तर: i. संदर्भाधीन परिपत्र के अनुसार, एएनबीसी से अपवर्जन के लिए पात्र राशि, पात्र वृद्धिशील एफसीएनआर (बी)/ एनआरई जमाराशियों से उत्पन्न संसाधनों से दिए गए वृद्धिशील अग्रिम हैं। वृद्धिशील अग्रिम की गणना 7 मार्च 2014 को भारत में बकाया अग्रिमों और आधार तिथि (26 जुलाई 2013) के बीच के अंतर के रूप में की जाती है।

ii. संदर्भाधीन परिपत्रों के अनुसार, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य की गणना के लिए एएनबीसी से बाहर की जाने वाली राशि निश्चित रूप से सीआरआर/एसएलआर के रखरखाव से छूट के लिए पात्र वृद्धिशील एफसीएनआर (बी)/ एनआरई जमाराशियों से अधिक नहीं होगी।

iii. यदि 7 मार्च 2014 और आधार तिथि के बीच बकाया अग्रिमों की राशि में अंतर शून्य या ऋणात्मक है, तो कोई भी राशि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से एएनबीसी से कटौती के लिए पात्र नहीं होगी।

उत्तर: एलसी के तहत खरीदे गए/ भुनाए गए/ परक्रामित बिलों (लाभार्थी को भुगतान जो रिज़र्व के तहत नहीं है) को केवल एक्सपोजर और पूंजी आवश्यकताओं की गणना के सीमित उद्देश्य के लिए अंतर बैंक एक्सपोजर के रूप में मानने की अनुमति है। इसे 'भारत में बैंक ऋण' की गणना से बाहर नहीं किया जाना चाहिए [जैसा कि आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 42(2) के तहत फॉर्म 'ए' के मद सं. VI में निर्धारित है] जो अंतर बैंक अग्रिम को बाहर रखने की अनुमति देता है। एक्सपोजर, एलसी जारी करने वाले बैंक के लिए हो सकता है, जबकि खरीदे गए बिल/ भुनाई गई राशि उसके उधारकर्ता घटक को बैंक क्रेडिट के रूप में है। यदि यह अग्रिम प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए पात्र है, तो बैंक इसे पीएसएल के रूप में दावा कर सकता है। बैंकों को भारत में निवल बैंक ऋण को रिपोर्ट करने के साथ-साथ पीएसएल लक्ष्यों और उपलब्धि के लिए समायोजित निवल बैंक ऋण की गणना करते समय उपरोक्त पहलू पर ध्यान देना चाहिए।ख) पीएसएल उपलब्धि में भारांक के लिए समायोजन

ख) पीएसएल उपलब्धि में भारांक के लिए समायोजन

उत्तर: जैसा कि मास्टर निदेश-प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार, 2020 के पैरा-7, जिसमें "पीएसएल उपलब्धि में भारांक के लिए समायोजन" का उल्लेख किया गया है, में वर्णित है, वित्त वर्ष 2021-22 से प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्रों के वृद्धिशील ऋण में अंतर संबंधी भारांक की गणना की जाएगी। वित्त वर्ष 2024-25 से प्रति-व्यक्ति निम्न पीएसएल ऋण वाले चयनित 196 जिलों के लिए वृद्धिशील ऋण पर भारांक 125% और प्रति-व्यक्ति उच्च पीएसएल ऋण वाले चयनित 198 जिलों के लिए वृद्धिशील ऋण पर भारांक 90% होगा। यथा-लागू पीएसएल लक्ष्य/ उप-लक्ष्यों के अनुसार पीएसएल उपलब्धि की गणना प्रत्येक निम्न/ उच्च प्रति-व्यक्ति पीएसएल ऋण वाले जिले के लिए वृद्धिशील ऋण पर भारांक लागू करने के बाद की जाएगी और पीएसएल लक्ष्यों की प्राप्ति में कमी का आकलन तदनुसार किया जाएगा।

उत्तर: यदि ऋण में गिरावट होती है, तो भारांक वृद्धिशील ऋण शून्य (0) होगा। नीचे दी गई गणना-पद्धति के अनुसार उन सभी जिलों का विचार किया जाएगा, जिनसे संबंधित डेटा एडेप्ट (ADEPT) पोर्टल और जिला-क्यूपीएसए विवरणी में प्रस्तुत किया गया है। इसके अतिरिक्त, बैंकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे ऊपर वर्णित गणना-पद्धति के आधार पर, चिन्हित किए गए जिलों में विभेदक भारांक के निर्देश को ध्यान में रखते हुए, पीएसएलसी में लेनदेन के उद्देश्य से, वर्ष के दौरान अपनी स्वयं की पीएसएल लक्ष्यों की उपलब्धि की निगरानी करें।

Chart 1

* औसत उपलब्धि जिला-क्यूपीएसए की रिपोर्टिंग तिथियों के अनुसार, वर्ष की चार तिमाहियों का औसत होगी। इसी तरह की गणना अन्य पीएसएल लक्ष्यों के लिए भी की जाएगी।

उत्तर: किसी विशेष जिले में क्रेडिट सुविधा की मैपिंग के लिए, 'ऋण के उपयोग का स्थान' योग्यता मानदंड होगा।

उत्तर: भारांक निर्धारित करने के लिए जिला-वार वृद्धिशील ऋण की गणना करते समय, आंगिक ऋण अर्थात केवल बैंकों द्वारा सीधे संवितरित ऋण और जिसके लिए वास्तविक उधारकर्ता/लाभार्थी-वार विवरण बैंक की बहियों में रखा जाता है, पर विचार किया जाएगा। निम्नलिखित अनांगिक मार्गों के माध्यम से संवितरित ऋण पर वृद्धिशील भारांक के लिए विचार नहीं किया जाएगा।

  1. बैंकों द्वारा प्रतिभूत आस्तियों में निवेश
  2. प्रत्यक्ष समनुदेशन/एकमुश्त खरीद के माध्यम से आस्तियों का हस्तांतरण
  3. अंतर बैंक सहभागिता प्रमाणपत्र (आईबीपीसी)
  4. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार प्रमाणपत्र (पीएसएलसी)
  5. एमएफआई (एनबीएफसी-एमएफआई, सोसायटी, ट्रस्ट, आदि) को ऑन-लेंडिंग के लिए बैंक ऋण
  6. ऑन-लेंडिंग के लिए एनबीएफसी को बैंक ऋण
  7. ऑन-लेंडिंग के लिए एचएफसी को बैंक ऋण

ग) कृषि

उत्तर: पीएसएल दिशानिर्देश गतिविधि और लाभार्थी विशिष्ट हैं और संपार्श्विक के प्रकार पर आधारित नहीं हैं। इसलिए कृषि गतिविधियों को संचालित करने के लिए व्यक्तियों / व्यवसायों को दिए गए बैंक ऋण केवल इस तथ्य के कारण कि अंतर्निहित आस्ति स्वर्ण आभूषण/गहने आदि हैं, वे स्वतः ही प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के वर्गीकरण के लिए अपात्र नहीं हो जाते हैं। तथापि, यह नोट किया जाए कि दिनांक 07 फरवरी 2019 के एफआईडीडी परिपत्र और समय-समय पर किए गए अद्यतन के अनुसार यह सूचित किया गया है कि बैंक 1.6 लाख तक के कृषि ऋणों के लिए मार्जिन आवश्यकताओं में छूट दे सकते हैं। अतः बैंक को कृषि संबंधी गतिविधि के संचालन हेतु वित्त-मान और ऋण आवश्यकता के आकलन के आधार पर ऋण देना चाहिए न कि केवल स्वर्ण के रूप में उपलब्ध संपार्श्विक के आधार पर। इसके अलावा, जैसा कि पीएसएल के तहत सभी ऋणों पर लागू होता है, बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित आंतरिक नियंत्रण और प्रणाली स्थापित करनी चाहिए कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के तहत दिए गए ऋण स्वीकृत उद्देश्यों के लिए हैं और अंतिम उपयोग की निरंतर निगरानी की जाती है।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

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