अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न - आरबीआई - Reserve Bank of India
समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा
ए. इरादतन कर्ज़ न चुकाने और धोखाधड़ी के मामलों में समझौता निपटान
नहीं। क्रमशः, धोखाधड़ी पर दिनांक 1 जुलाई 2016 को जारी मास्टर दिशानिर्देश और दिनांक 1 जुलाई 2015 के इरादतन चूककर्ताओं पर जारी मास्टर परिपत्र के अनुसार, वर्तमान में धोखाधड़ी अथवा इरादतन चूककर्ताओं के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं पर लागू दंडात्मक प्रावधान अपरिवर्तित रहेंगे और उक्त दिशानिर्देश उन सभी मामलों पर लागू होंगे जहां बैंक ऐसे उधारकर्ताओं के साथ समझौता निपटान करते हैं।
ऐसे दंडात्मक प्रावधानों में अन्य बातों के साथ-साथ यह भी शामिल है कि इरादतन चूककर्ता के रूप में सूचीबद्ध उधारकर्ताओं को किसी भी बैंक/वित्तीय संस्था द्वारा कोई अतिरिक्त सुविधाएं नहीं दी जानी चाहिए और ऐसी कंपनियों (उनके उद्यमियों/प्रमोटरों सहित) को इरादतन चूककर्ताओं की सूची से अपना नाम हटाने की तारीख से पांच वर्ष की अवधि के लिए नए उद्यम स्थापित करने के लिए संस्थागत वित्त से वंचित कर दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं को धोखाधड़ी की गई राशि के पूर्ण भुगतान की तारीख से पांच वर्ष की अवधि के लिए बैंक वित्त प्राप्त करने से वंचित कर दिया जाना चाहिए।
रिटेल डायरेक्ट योजना
योजना संबन्धित प्रश्न
आरडीजी खाता खोलने से व्यक्ति प्राथमिक बाज़ार (नीलामी) के साथ ही साथ द्वितीयक बाज़ार में भी सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदा/बेचा जा सकता है। रिटेल निवेशक के लिए, सरकारी प्रतिभूति दीर्घावधि निवेश के लिए एक विकल्प है। रिटेल निवेशकों के लाभ निम्न है:
i. जी-सेक जोखिम मुक्त है: घरेलू बाजार के संदर्भ में जी-सेक जोखिम मुक्त है और कोई क्रेडिट जोखिम नहीं है।
ii. जी-सेक लंबी अवधि के लिए उचित प्रतिफल देता है। जी-सेक प्रतिफल वक्र 40 साल तक के लिए है। सरकार द्वारा यील्ड वक्र पर विभिन्न बिंदुओं पर प्रतिभूतियां जारी करने के साथ, जी-सेक उन बचतकर्ताओं के लिए एक आकर्षक विकल्प प्रदान करता है जिन्हें लंबी अवधि के लिए कम जोखिम वाले निवेश विकल्पों की आवश्यकता होती है।
iii. जी-सेक पूंजीगत लाभ की संभावना प्रदान करता है: चूंकि बांड मूल्य और ब्याज दर के बीच एक विपरीत संबंध है, इसलिए ब्याज दरों में नरमी आने पर पूंजीगत लाभ की संभावना है। हालांकि बाज़ार जोखिम के लिए सतर्क होना चाहिए जो ब्याज दर के विपरीत होने पर हानि में बदल सकता है।
iv. जी-सेक में उचित तरलता होती है: जी-सेक में उचित तरलता होती है और एनडीएस-ओम पर लेनदेन किया जा सकता है। रिटेल डायरेक्ट पोर्टल की शुरुआत के साथ, खुदरा निवेशक अब प्राथमिक और माध्यमिक बाजार में आसानी से भाग ले सकते हैं।
v. जी-सेक पोर्टफोलियो में विविधता लाने में मदद: सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश पोर्टफोलियो विविधीकरण में मदद करेगा और फलस्वरूप खुदरा निवेशकों के लिए जोखिम को कम करेगा।
vi. रिटेल डायरेक्ट योजना के अंतर्गत शून्य प्रभार: रिटेल डायरेक्ट खाता पूरी तरह से नि: शुल्क है और इसमें कोई मध्यस्थ शामिल नहीं है। यह व्यक्तिगत निवेशकों के लिए उन शुल्कों के संदर्भ में समग्र लेनदेन शुल्क को कम करेगा जो उन्हें अन्यथा एग्रीगेटर के माध्यम से निवेश करने या म्यूचुअल फंड के माध्यम से अप्रत्यक्ष एक्सपोजर लेने के लिए भुगतान करने की आवश्यकता होती है।
दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध
पेटीएम पेमेंट्स बैंक में बैंक खाते
नहीं। 15 मार्च 2024 के बाद आप पेटीएम पेमेंट्स बैंक के अपने खाते में धनराशि जमा नहीं कर पाएंगे। ब्याज, कैशबैक, साझेदार बैंकों से स्वीप-इन या रिफंड के अलावा किसी भी क्रेडिट या जमाराशि को जमा करने की अनुमति नहीं।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
ए. कुछ बुनियादी प्रश्न
उत्तर: नहीं, एडी श्रेणी-I बैंकों द्वारा एफ़सीएनआर (बी) जमाराशियों की आगम राशियों में से घरेलू तौर पर दिए गए विदेशी मुद्रा ऋण ईसीबी ढांचे के अंतर्गत नहीं आते हैं।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
A. परिभाषाएं
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: मौजूदा सीआईसी जिन्हें पहले पंजीकरण से छूट दी गई थी और जिनकी आस्ति का आकार 100 करोड़ रुपये से कम है, उन्हें जैसा कि दिनांक 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना संख्या डीएनबीएस (पीडी) 220/CGM(US)-2011 में वर्णित है, आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45 एनसी के तहत पंजीकरण से छूट दी गई है, और इसलिए छूट के लिए कोई आवेदन प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है।
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: "पूंजीगत लिखत" का तात्पर्य भारतीय कंपनी द्वारा जारी इक्विटी शेयर, डिबेंचर, अधिमनी शेयर तथा शेयर वारंटों से है।
इक्विटि शेयर: इक्विटि शेयर वे शेयर हैं जो कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार जारी किए गए हैं तथा इनमें 8 जुलाई 2014 को अथवा उसके बाद जारी किए गए आंशिक रूप से प्रदत्त इक्विटि शेयर भी शामिल हैं ।
शेयर वारंट: 8 जुलाई 2014 को अथवा उसके बाद जारी किए गए शेयर वारंट को पूंजीगत लिखत माना जाएगा।
डिबैंचर : ‘डिबेंचर” शब्द का अर्थ पूर्ण रूप से, अनिवार्यतः एवं अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर है।
अधिमानी शेयर: ‘अधिमानी शेयर” शब्द का अर्थ पूर्ण रूप से, अनिवार्यतः एवं अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय अधिमनी शेयर है।
दिनांक 30 अप्रैल 2007 की स्थिति के अनुसार तथा उस दिनांक तक जारी अपरिवर्तनीय/ वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय / आंशिक रूप से परिवर्तनीय अधिमनी शेयर तथा दिनांक 07 जून 2007 तक जारी एवं उनकी मूल परिपक्वता अवधि तक वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय / आंशिक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर को एफ़डीआई के लिए योग्य पूंजीगत लिखत माना जाएगा। दिनांक 30 अप्रैल 2007 के पश्चात जारी अ-परिवर्तनीय/ वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय / आंशिक रूप से परिवर्तनीय अधिमनी शेयरों तथा दिनांक 07 जून 2007 के पश्चात जारी वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय / आंशिक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचरों को कर्ज़ (उधार) माना जाएगा और उन्हें विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना एवं उधार देना) विनियमावली, 2000 के तहत जारी बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी दिशा-निर्देशों का अनुपालन करना होगा।
भारतीय मुद्रा
क) भारतीय मुद्रा/मुद्रा प्रबंधन से जुड़ी आधारभूत जानकारी
ऐसे सिक्के अथवा बैंकनोट जिसे कानूनी रूप से कर्ज अथवा देयता के एवज में दी जा सके, वैध मुद्रा होगी ।
भारत सरकार द्वारा सिक्का निर्माण अधिनियम, 2011 की धारा 6 के तहत जारी सिक्के भुगतान अथवा अग्रिम के तौर पर वैध मुद्रा होंगे, बशर्ते कि उन्हें विकृत नहीं किया गया हो तथा निर्धारित वजन की तुलना में उसका वजन कम नहीं हुआ हो । एक रुपया से कम मूल्यवर्ग को छोड़कर किसी भी सिक्के को किसी एकल लेनदेन में एक हजार रुपये तक की किसी भी राशि के संबंध में वैध मुद्रा माना जाएगा । पचास पैसे (आधा रुपया) का सिक्का, दस रुपये तक की राशि के लिए वैध मुद्रा होगा । किसी को भी उल्लिखित सीमा से अधिक सिक्के स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, किंतु स्वेच्छा से उक्त सीमा से अधिक सिक्के स्वीकार करने पर रोक नहीं है ।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी प्रत्येक बैंकनोट (₹2, ₹5, ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹200, ₹500 तथा ₹2000*), जब तक कि उसे संचलन से वापस न ले लिया जाए, उसमें उल्लिखित राशि के लिए भुगतान अथवा अग्रिम के तौर पर भारत में वैध होगा, तथा भारत सरकार द्वारा प्रत्याभूत होगा जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 26 की उप-धारा (2) के प्रावधानों के अधीन होगा । भारत सरकार द्वारा जारी ₹1 के नोट भी वैध मुद्रा होंगे । महात्मा गांधी शृंखला के अंतर्गत 08 नवंबर 2016 तक जारी किए गए ₹500 तथा ₹1000 के बैंकनोट 08 नवंबर 2016 की मध्यरात्रि से वैध मुद्रा नहीं रहे ।
*₹2000 मूल्यवर्ग के बैंक नोट अभी भी वैध मुद्रा हैं ।अधिक जानकारी के लिए 01 सितंबर 2023 के प्रेस विज्ञप्ति 2023-2024/851 का संदर्भ लें
समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत
अपडेट हो गया है: जून 03, 2024
सीपीआईएस के तहत रिपोर्ट करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं
उत्तर: वर्तमान में, पिछले वित्तीय वर्ष (एफ़वाई) के मार्च -अंत और सितंबर- अंत की स्थिति को जानने के लिए भारत में अर्ध-वार्षिक सर्वेक्षण किया जाता है।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022