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भारतीय मुद्रा

घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट

हाँ, इस प्रकार के बैंकनोटों को मूल्य के लिए बदला जा सकता है ।

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

i. प्राथमिक बाजार रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म में लोग इन करने के बाद, पृष्ठ के शीर्ष पर डैशबोर्ड के बगल में 'प्राथमिक बाजार' विकल्प का चयन करें।

ii. 'नीलामी वॉच' से बोली लगाने और 'बिड एंट्री' विंडो में बोली राशि दर्ज करने के लिए प्रतिभूति का चयन करें।

iii. व्यक्ति बोली के समय या बाद में अपनी बोली का वित्तपोषण कर सकते हैं, लेकिन बोली/सदस्यता विंडो के बंद होने से पहले। आरबीआई को बोलियां प्रस्तुत करने की तारीख के अनुसार वित्त पोषित नहीं की जाने वाली बोलियां रद्द कर दी जाएंगी।

iv. बोलियों के लिए भुगतान करने के लिए, खुदरा ग्राहक ऑनलाइन पोर्टल से जुड़े भुगतान गेटवे का उपयोग करके नामित चालू खाते में धन स्थानांतरित करने के लिए यूपीआई (ट्रांसफर या ब्लॉक) और नेट बैंकिंग जैसी सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं।

v. नीलामी परिणाम के एक भाग के रूप में प्राप्त आवंटन सूचना के आधार पर, आवंटन व्यक्तिगत निवेशकों को किया जाएगा।

vi. पूर्ण आवंटन के मामले में, प्रत्येक बोलीदाता को पूरे अंकित मूल्य का आवंटन किया जाएगा जिसके लिए बोलियां प्रस्तुत की गई थीं। आंशिक आवंटन के मामले में नीलामी में निर्धारित आंशिक आवंटन प्रतिशत के आधार पर बोलीदाता को आनुपातिक आवंटन किया जाएगा।

बिडिंग प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप रिटेल डायरेक्ट पोर्टल के सहायता खंड में उपयोगकर्ता मैनुअल का संदर्भ ले सकते हैं।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Credit Rating

Reserve Bank of India has specified the minimum level of investment grade Rating for eligibility for acceptance of deposits from public by Equipment Leasing/Hire Purchase Finance Companies. However, the Rating Agencies have been advised to bring about uniformity in their Rating Levels for the common man to understand the meaning of a particular Rating.

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: यदि रिपोर्टिंग भारतीय कंपनी भारत के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश योजना के तहत विदेशी कंपनी के इक्विटी और/या भाग लेने वाले वरीयता शेयरों में, अर्थात संयुक्त उद्यम या विदेश में पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों में निवेश करती है तो इसे भारतीय कंपनी का विदेश में प्रत्यक्ष निवेश माना जाता है।

नोट: एफएलए रिटर्न दाखिल करने के लिए आगे के मार्गदर्शन के लिए पंजीकरण दिशानिर्देश और अनुभाग-वार अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न फ्लेयर पोर्टल (https://flair.rbi.org.in/fla/faces/pages/login.xhtml) के एफएक्यू अनुभाग में उपलब्ध है।

देशी जमा

III. अग्रिम

नहीं। बैंकों को सहायता संघीय व्यवस्था के अधीन भी एक समान ब्याज दर लगाने की आवश्यकता नहीं है। प्रत्येक सदस्य बैंक को चाहिए कि वह उधारकर्ताओं को जो ऋण सीमा प्रदान करता है उसके संबंधित हिस्से पर अपनी आधारभूत मूल उधार दर के अधीन ब्याज दर लगाए।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

आई. ईसीबी ढांचे के अंतर्गत हेजिंग

उत्तर: कोई भी एंटीटी जो भारतीय रुपये में ईसीबी (विदेश में रुपया में मूल्यवर्गित बॉन्डों का निर्गम करने सहित) जुटती है, को इस प्रकार से उठाने वाली देयता को किसी भी प्रकार से विदेशी मुद्रा देयता में परिवर्तित करने अथवा डेरिवेटिव कांट्रैक्ट अथवा अन्यथा में शामिल होकर किसी प्रकार का विदेशी मुद्रा जोखिम भी उठाने की अनुमति नहीं है।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

9

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

C. अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियाँ (आरएनबीसी)

एक आरएनबीसी को एकमुश्त में या मासिक अथवा लंबे अंतरालों पर जमा की गई जमाराशियों पर न्यूनतम 5% ब्याज (वार्षिक रूप से चक्रवृद्धि) का भुगतान करना चाहिए; तथा दैनिक जमा योजना के अंतर्गत जमा की गई राशियों पर न्यूनतम 3.5% ब्याज का भुगतान करना चाहिए। ब्याज में प्रीमियम, बोनस या अन्य कोई लाभ शामिल है, जोकि आरएनबीसी जमाकर्ताओं को रिटर्न के रूप में चुकाने का वादा करती है। आरएनबीसी ऐसी जमाराशियों की प्राप्ति की तिथि कम से कम 12 महीनों तथा अधिकतम 84 महीनों की अवधि हेतु जमाराशियाँ स्वीकार कर सकती हैं। वे मांग पर चुकौती योग्य जमाराशियां स्वीकार नहीं कर सकतीं। हालांकि, वर्तमान में, मौजूदा केवल एक आरएनबीसी (पियरलेस) को रिज़र्व बैंक द्वारा यह निर्देश दिया गया है कि वे जमाराशियां लेना बंद कर दें, जमाकर्ताओं को जमाराशियों की चुकौती करें और अपने आरएनबीसी व्यवसाय को समाप्त करें क्योंकि उनका व्यवसाय मॉडल स्वाभाविक रूप से अव्यवहार्य है।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: हां। भारतीय कंपनी के लिए एफ़सी-टीआरएस भी भरना आवश्यक है।

भारतीय मुद्रा

घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट

सभी बैंकों को पूर्ण मूल्य हेतु गंदे बैंकनोटों को बदलने तथा स्वीकार करने के लिए प्राधिकृत किया गया है । उन्‍हें गंदे/कटे-फटे नोटों के बदलने की सुविधा अपने ग्राहकों से इतर व्‍यक्तियों के लिए भी विस्तारित करना है।

वाणिज्यिक बैंकों की सभी शाखाओं को, भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2009 [भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018, यथा संशोधित] के अनुसार, कटे-फटे बैंकनोटों (जो वैध मुद्रा हैं) का अधिनिर्णय करने तथा इसके लिए मूल्य का भुगतान करने हेतु प्राधिकृत किया गया है ।

छोटे वित्त बैंक (अपने बैंकिंग व्यवसाय के प्रारम्भ से दो वर्ष तक) तथा भुगतान बैंक अपने विकल्प पर कटे-फटे तथा अपूर्ण/दोषपूर्ण नोटों को बदल सकते हैं।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Credit Rating

The Reserve Bank has stipulated that the Credit Rating should be obtained by the NBFCs once in a year. Normally, the Credit Rrating of a company is valid till it is reviewed by the concerned Rating Agency.

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

आप दिनांकित जी-सेक, टी-बिल और एसडीएल की प्रत्येक प्राथमिक नीलामी में प्रति प्रतिभूति केवल एक अंतिम बोली जमा कर सकते हैं।

देशी जमा

III. अग्रिम

10 अक्तूबर 2000 से, बैंकों को यह स्वतंत्रता दी गई है कि वे अपने निदेशक मंडलों के अनुमोदन से दंडात्मक ब्याज लगाने के लिए पारदर्शी नीति तैयार करें। तथापि, प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के तहत उधारकर्ताओं को दिए गए ऋणों के मामले में, रु 25,000/- तक के ऋणों के लिए कोई दंडात्मक ब्याज नहीं लगाया जा सकता। चुकौती में चूक, वित्तीय विवरणों को प्रस्तुत न करना आदि जैसे कारणों के लिए दंडात्मक ब्याज लगाया जा सकता है। तथापि, दंडात्मक ब्याज संबंधी नीति को पारदर्शिता, औचित्य, ऋणशोधन हेतु प्रोत्साहन, और ग्राहकों की वास्तविक कठिनाइयों के स्वीकृत सिद्धांतों द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

आई. ईसीबी ढांचे के अंतर्गत हेजिंग

उत्तर: हां। न्यूनतम अनिवार्य हेज की शर्त है।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

प्राथमिक व्यापारियों की सूची

(क)

बैंक पीडी

  फन नं.

1.

सिटि बैंक एनए., मुंबई शाखा

(022) 40015453/40015378

2.

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक

(022) 622303/22652875/22683695

3.

बैंक ऑफ अमरीका एन.ए.

(022) 66323040/3140/3192

4.

जे.पी. मॉरगन चेज़ बैंक एन.ए.

(022) 6639 3084/66392944

5.

एचएसबीसी बैंक

(022) 22623329/22681031/34/33

6.

बैंक ऑफ बड़ौदा

(022) 66363682/83

7.

केनरा बैंक

(022) 22800101-105/22661348

8.

कोटक महिद्रा बैंक लिमि.

(022) 67836107 & 66596235/ 6454

9.

कार्पोरेशन बैंक

(022) 22832429/22022796/ 22871054

10.

एचडीएफसी बैंक

(022) 66521372/9892975232

11.

एबीएन अमरो बैंक एन.वी.

(022) 66386132/128

(ख)

स्वतंत्र पीडी

 

1.

आडीबीआइ गिल्ट्स

(022) 66177900/911

2.

आसीआसीआइ सिक्यू. पीडी लिमि.

(022) 66377421/22882460/70

3.

पीएनबी गिल्ट्स लिमि.

(022) 22693315/17

4.

एसबीआइ डीएफएचआइ लिमि.

(022) 22610490/66364696

5.

एसटीसीआइपीडी लिमि.

(022) 66202261/2200

6.

ड्यूश सिक्यूरिटीज़ (इं.) प्रा. लिमि.

(022) 67063068/3066/67063115

7.

मॉरगन स्टेनले प्राइमरी डीलर प्रा. लिमि.

(022) 22096600

8.

नोमुरा फिक्स्ड इंकम सिक्यूरिटीज़ प्रा. लिमि.

(022) 67855111/ 67855118

*

बैंक पीडी वे हैं जो बैंक के भाग के रूप में पीडी कारोबार विभागीय रूप से करते हैं ।

**

स्वतंत्र पीडी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसी) हैं जो केवल पीडी करोबार ही करते हैं ।

भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट
http://www.rbi.org.in/commonman/English/Scripts/PrimaryDealers.aspx पर प्राथमिक व्यापारियें की अद्यतनसूची उपलब्ध है ।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45झ(खख) में ‘जमाराशि’ शब्द की परिभाषा दी गई है। जमाराशि में जमा या ऋण या किसी अन्य प्रकार से किसी धन की प्राप्ति सम्मिलित है और सदैव मानी जाएगी परंतु इसमें निम्नलिखित शामिल नहीं होगी:

i. शेयर पूंजी के रूप में जुटाई गई रकम, अथवा फर्म के साझेदारों द्वारा पंजी के लिए किया गया अंशदान;

ii. अनुसूचित बैंक, सहकारी बैंक, बैंकिंग कंपनी, राज्य वित्त निगम, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट किसी अन्य संस्था से प्राप्त राशि;

iii. सामान्य कारोबार के दौरान जमानत जमाराशि, डीलरशीप जमा, बयाना माल, संपत्ति और सेवाओं के आदेशों पर अग्रिम के रूप में प्राप्त हुई अग्रिम राशि;

iv. निगमित निकाय से इतर पंजीकृत धन उधार देने वाले से प्राप्त रकम;

v. ‘चिट’ के संबंध में अंशदान के रूप में प्राप्त राशि;

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां जनता से जमा राशियों का स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के पैरा 2(1)(xii) में जनता की जमा राशियों को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45झ (खख) के अंतर्गत परिभाषित जमाराशि, जिसमें निम्नलिखित को शामिल नहीं किया गया हो, के रूप में परिभाषित किया गया है:

ए. केन्द्र/राज्य सरकार या अन्य स्रोत से प्राप्त राशि जहां केन्द्र/राज्य सरकार द्वारा चुकौती की गारंटी दी गई हो अथवा स्थानीय निकाय या विदेशी सरकार या किसी विदेशी नागरिक/ प्राधिकारी/व्यक्ति से प्राप्त कोई राशि;

बी. इस प्रयोजन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट वित्तीय संस्थानों से प्राप्त कोई राशि; अन्य

सी. अन्य कंपनी से किसी कंपनी को प्राप्त कोई राशि;

डी. आबंटन के लिए विचारधीन/लंबित शेयरों/स्टॉक/ बांडस या ऋणपत्रों में अभिदान के रूप में प्राप्त राशि या क्रय के लिए अग्रिम के रूप में प्राप्त राशि बशर्तें ऐसी राशि कंपनी के अंतर्नियमों के अंतर्गत सदस्यों को चुकायी न जानी हो;

ई. कंपनी के निदेशकों से प्राप्त राशि अथवा प्राइवेट कंपनी अथवा प्राइवेट कंपनी जो पब्लिक कंपनी बन गई हो के इसके शेयर धारकों से प्राप्त राशि;

एफ. कंपनी किसी अचल संपत्ति को अथवा स्थिति के अनुसार कंपनी के किसी अन्य संपत्ति को गरवी रखकर रक्षित ऋण अथवा बांडस जारी कर जुटाई गई राशि

एफए. एक वर्ष से अधिक समावधि में परिपक्वता वाली तथा रू 1 करोड तथा उससे अधिक न्यूनतम प्रति खरीदकर्ता वाली गैर-परिवर्तनीय ऋण पत्र को जारी कर जुटाई गई कोई राशि, बशर्तें कि बैंक द्वारा जारी दिशानिदेश के अनुसार हो;

जी. प्रवर्तकों द्वारा गैर जमानती ऋण के रूप में लायी गयी राशि;

एच. म्यूचुअल फंड से प्राप्त राशि;

आइ. संमिश्र या गौण ऋण के रूप में प्राप्त कोई राशि;

जे. किसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के निदेशक और निदेशक के रिश्तेदार से प्राप्त राशि;

के. वाणिज्यिक पत्र (कमर्शियल पेपर) जारी करके प्राप्त कोई राशि;

एल. प्रणालीगत महत्वपूर्ण जमाराशि नहीं स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा ‘बेमियादी कर्ज लिखत’ जारी कर प्राप्त कोई राशि;

एम. इंफ्रास्ट्रक्चर वित्त कंपनी द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर बांडस जारी कर प्राप्त कोई राशि।

इस प्रकार उपर्युक्त निदेशों में जनता की जमाराशि की परिभाषा में से उन उधार देने वालों की कतिपय श्रेणी से उगाही गई राशि को बाहर रखने की कोशिश की गई है जो स्वयं निर्णय ले सकते है।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: फॉर्म एफ़सीटीआरएस फेमा 20(आर) के अनुसार निम्नलिखित के बीच बिक्री के माध्यम से पूंजीगत लिखतों के अंतरण के लिए फ़ाइल किया जाएगा

i. भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं, से भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने अप्रत्यावर्तनीय आधार पर पूंजीगत लिखत धारण किए हैं को;

ii. भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने अप्रत्यावर्तनीय आधार पर पूंजीगत लिखत धारण किए हैं से भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं को;

iii. भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं से भारत में निवास करने वाले व्यक्ति को;

iv. भारत में निवास करने वाला व्यक्ति जिसने किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं से भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं को

फेमा 20(आर) के विनियम 10(3) में निर्धारित किए गए अनुसार भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा किसी मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्स्चेंज पर पूंजीगत लिखतों की बिक्री को ऐसे व्यक्ति द्वारा फॉर्म एफ़सी-टीआरएस में रिपोर्ट किया जाना चाहिए।

एफ़सी-टीआरएस निम्नलिखित के लिए आवश्यक नहीं है:

i. अप्रत्यावर्तनीय आधार पर शेयर धारित करने वाले अनिवासी द्वारा भारतीय कंपनी के शेयरों का किसी निवासी को अंतरण तथा इसके विपरीत

ii. भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं द्वारा भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर पूंजीगत लिखत धारण किए हैं।

iii. उपहार के रूप में शेयरों का अंतरण

रिपोर्टिंग का दायित्व निवासी (अंतरणकर्ता/ अंतरिती) अथवा अप्रत्यावर्तनीय आधार पर पूंजीगत लिखत धारण करने वाले भारत के बाहर निवास करने वाले व्यक्ति, जैसी स्थिति हो, का होगा। एडी बैंक के पास फॉर्म एफ़सी-टीआरएस निधियों की प्राप्ति/ विप्रेषण अथवा पूंजीगत लिखतों के अंतरण, इनमें से जो भी पहले हो, के साठ दिन के भीतर फ़ाइल किया जाना है।

भारतीय मुद्रा

घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट

भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 [भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018, यथा संशोधित] के भाग III में विनिर्दिष्ट नियमों के तहत अपूर्ण नोट के मूल्य के पूर्ण मूल्य/आधे मूल्य का भुगतान किया जा सकता है, जो हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in → प्रकाशन → सामयिक खंड के तहत उपलब्ध है ।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Credit Rating

A. The Credit Rating is the opinion of the Agency about the company’s ability to service its debt. The company has the discretion to accept the Rating or reject it. There is no appellate authority.

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

दिनांकित जी-सेक, टी-बिल और एसडीएल के लिए, प्रति यूनिट राशि प्रतिभूति की सांकेतिक कीमत, अर्जित ब्याज और एक मार्क-अप के आधार पर होगी।

एसजीबी के लिए यह फंडिंग आरबीआई द्वारा उस विशेष मुद्दे के लिए घोषित निर्गम मूल्य पर आधारित होगी।

देशी जमा

III. अग्रिम

जहां तक डीआइसीजीसी गारंटी फीस का प्रश्न है, बैंकों को यह विवेकाधिकार दिया गया है कि वे, कमजोर वर्ग के अग्रिमों को छोड़कर रु.25,000/- से अधिक के अग्रिमों के मामले में गारंटी शुल्क स्वयं वहन करें या संबंधित उधारकर्ता पर गारंटी फीस डालें — रु. 25,000/- तक के और कमजोर वर्ग को दिए सभी अग्रिमों के मामले में डीआइसीजीसी गारंटी फीस बैंकों को वहन करनी चाहिए।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

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बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

आई. ईसीबी ढांचे के अंतर्गत हेजिंग

उत्तर: उपयोगकर्ता समय-समय पर संशोधित जोखिम प्रबंधन तथा अंतर-बैंक लेनदेन पर 5 जुलाई 2016 का मास्टर निदेश देखें।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले

सहकारी बैंकों सहित सभी बैंक जमाराशियां स्वीकार कर सकते हैं। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ, जिन्हें रिज़र्व बैंक द्वारा जमाराशियाँ स्वीकार करने के विशिष्ट लाइसेंस के साथ पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किया गया है, जनता से जमाराशियाँ स्वीकार करने के लिए पात्र हैं। दूसरे शब्दों में, रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत सभी एनबीएफसीज जमाराशियाँ स्वीकार करने के लिए पात्र नहीं है, केवल वही एनबीएफसी जमाराशियाँ स्वीकार करने के लिए पात्र हैं जिनके पास जमाराशि स्वीकार करने का पंजीकरण प्रमाणपत्र है। साथ ही, ये केवल अनुमत सीमा तक ही जमाराशियाँ स्वीकार कर सकती हैं। आवास वित्त कंपनियां जिन्हें जमाराशियां जुटाने हेतु दुबारा विशेष रूप से अधिकृत किया गया है और वे कंपनियाँ जिन्हें कारपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा केंद्र सरकार द्वारा कंपनी अधिनियम के अधीन बनाए गए ‘कंपनी जमा ग्रहण नियम’ के तहत जमाराशियाँ स्वीकार करने हेतु अधिकृत किया गया है, भी एक निश्चित सीमा तक जमाराशियाँ स्वीकार कर सकती हैं। सहकारी साख समितियाँ अपने सदस्यों से जमाराशियां स्वीकार कर सकती है किंतु आम जनता से नहीं। भारतीय रिजर्व बैंक केवल बैंको, सहकारी बैंको और एनबीएफसी द्वारा स्वीकार की गई जमाराशियों को विनियमित करता है।

अन्य संस्थाओं को सार्वजनिक जमाराशियां स्वीकार करने की वैधानिक अनुमति नहीं है। अनिगमित निकायों यथा व्यक्ति, भागीदारी कंपनियाँ और व्यक्तियों के अन्य समूहों को उनके प्रमुख व्यवसाय के रूप में जनता से जमाराशियां स्वीकार करने की मनाही है। ऐसे अनिगमित निकाय अगर वित्तीय व्यवसाय चलाते भी हों तो भी उन्हें जमाराशियां स्वीकार करने की अनुमति नहीं है।

भारत में विदेशी निवेश

II. विदेशी संविभाग (पोर्टफोलियो) निवेश

उत्तर: सेबी (एफ़पीआई) विनियमावली के अनुसार पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक तथा अनिवासी / प्रवासी भारतीय, फेमा 20(आर) की अनुसूची क्रमशः 2 तथा 3 में निर्धारित व्यक्तिगत तथा कुल सीमाओं के अधीन भारत में स्टॉक एक्स्चेंज पर निवेश कर सकते हैं।

भारतीय मुद्रा

घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट

यह विवरण हमारी वेबसाइट के इस लिंक पर उपलब्ध है : www.rbi.org.in>>मुद्रा प्रबंधन>>अधिसूचनाएं

पुराने (2009) तथा संशोधित एनआरआर (2018) का सारांश निम्नानुसार है :

नोट वापसी नियमावली – संशोधित

क्र. पुराने एनआरआर (2009) के अनुसार

संशोधित एनआरआर (2018) के अनुसार

1 रु. 20 मूल्यवर्ग तक के नोट
  1. नोट के एकल सबसे बड़े अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र 50% से अधिक होने पर - पूर्ण मूल्य
  2. नोट के सबसे बड़े अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र 50% के तुल्‍य या उससे कम होने पर - निरस्त
कोई परिवर्तन नहीं
2

रु. 50/- तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के नोट

  1. यदि क्षेत्र 40% से कम है – निरस्त
  2. यदि क्षेत्र 40% के बराबर अथवा अधिक हो तथा 65% से कम अथवा बराबर हो – आधा मूल्य
  3. यदि नोट का एकल सबसे बड़े अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र 65% से अधिक हो – पूर्ण मूल्य
रु. 50/- तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के नोट
  1. यदि क्षेत्र 40% से कम है – निरस्त
  2. यदि क्षेत्र 40% के बराबर अथवा अधिक हो तथा 80% से कम अथवा बराबर हो – आधा मूल्य
  3. यदि नोट का एकल सबसे बड़े अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र 80% से अधिक हो – पूर्ण मूल्य

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Liquid Asset requirement

The liquid assets are required to be maintained in relation to the deposit outstanding together with the amount of interest accrued but not paid.

देशी जमा

III. अग्रिम

1 अप्रैल 2002 से, कृषि अग्रिमों (अल्पावधि ऋणों और अन्य संबद्ध कार्यकलापों सहित) के मामले को छोड़कर ऋणों और अग्रिमों पर बैंक मासिक अंतराल पर ब्याज लगा रहे हैं। कृषि अग्रिमों के मामले में मौजूदा प्रणाली जारी है।

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

नीलामी में सफल बोलियों के भारित औसत मूल्य पर।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

बॉण्ड संबंधी गणना के लिए महत्वपूर्ण एक्सेल कार्य

कार्य

रचनाक्रम

1. वर्तमान मूल्य

पीवी (रेट एनपीईआर, पीएमटी, एफवी, टाइप)

यह फंक्शन बट्टे की दी हुई दर से भविष्य में किए जाने वाले भुगतानों की श्रृंखला के वर्तमान मूल्य जानने के लिए प्रयोग में लाया जाता है ।

रेट - प्रत्येक अवधि की ब्याज दर है ।

एनपीईआर - एक वर्ष में भुगतान अवधियों की कुल संख्या है ।

पीएमटी - प्रत्येक अवधि में किया गया भुगतान है तथा वार्षिकी की अवधि में परिवर्तित नहीं हो सकती ।

एफवी - भविष्य में होने वाला मूल्य है अथवा अंतिम भुगतान के बाद आप नकदी शेष लेना चाहें । यदि एफवी को हटा दिया जाए तो उसे 0 माना जाएगा (उदाहरणार्थ किसी ऋण का भविष्य में होने वाला मूल्य 0 है) ।

टाइप - 0 अथवा 1 संख्या है और ये निर्दिष्ट करते हैं कि भुगतान कब देय है ।

टाइप का अर्थ

यदि भुगतान देय है

0 अथवा छोड़ दिया

अवधि के अंत में

1

अवधि के आरंभ में

उदाहरण - तीन वर्ष के लिए प्रत्येक वर्ष के बाद 100 रु. के वर्तमान मूल्य को 9% की ब्याज दर से, इसका मूल्य निम्नानुसार होगा ।

रेट - 9% अथवा 0.09; एनपीईआर-3 (3 वर्ष); पीएमटी-100; एफवी-0 क्योंकि तीन वर्ष के बाद शेष शून्य होगा ; टाइप-0 (अवधिके अंत में) उत्तर - 253.13 होगा ।

2. भविष्य में होने वाला मूल्य

एफवी (रेट, एनपीईआर, पीएमटी, पीवी, टाइप)

इस फंक्शन का प्रयोग दी गई ब्याज दर पर किए गए निवेशों की श्रृंखला के भविष्य में मूल्य की गणना के लिए किया जाता है ।

दर - प्रत्येक अवधिक के लिए ब्याज दर है ।

एनपीईआर - एक वर्ष में भुगतान अवधियों की कुल संख्या है ।

पीएमटी - प्रत्येक अवधि में किया गया भुगतान है तथा वार्षिकी की अवधि में परिवर्तित नहीं हो सकती । विष्टि रूप से पीएमटी में मूलधन और ब्याज होता है पर अन्य कोई शुल्क या कर नहीं होते । यदि पीएमटी को हटा दिया जाए तो पीवी तर्क को शामिल किया जाना चाहिए ।

पीवी - वर्तमान मूल्य है या एकमुश्त राशि है अर्थात अभी भविष्य में किए जाने वाले भुगतानों की श्रृंखला। यदि पीवी को हटा दिया जाए तो उसे 0 माना जाएगा(जीरो) और पीएमटी तर्क को शामिल किया जाना चाहिए ।

टाइप - 0 अथवा 1 संख्या है और ये निर्दिष्ट करते हैं कि भुगतान कब देय है । यदि टाइप हटा दिया जाए तो यह 0 माना जाए ।

उदाहरण - प्रत्येक वर्ष अदा किए गए 100 रु. के भविष्य मूल्य की तीन वर्ष के लिए 9% की ब्याज दर गणना करने पर मूल्य निम्नानुसार होगा :

दर - 9% अथव 0.09, एनपीईआर-3 (3 वर्ष); पीएमटी-100; पीवी-0; क्योंकि शुरु में कोई एकमुश्त भुगतान नही है; टाइप-1 (अवधि के शुरु होने पर) उत्तर 357.31 होगा ।

3. कूपन दिवस

COUPDAYBS (समायोजन, परिपक्वता, अवधिकता, आधार)

यह फंक्शन कूपन अवधि के शुरु से अंत तक दिनों की संख्या की गणना के लिए प्रयोग किया जाता है, जिसमें समायोजन तारीख होती है ।

समायोजन प्रतिभूति की समायोजन तारीख होती है । प्रतिभूति समायोजन तारीख, जारी की तारीख के बाद की तारीख होती है जब प्रतिभूति क्रेता को बेची जाती है ।

परिपक्वता प्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख होती है । परिपक्वता तारीख वह होती है जिस दिन प्रतिभूति की अवधि समाप्त होती है ।

आवधिकता का अर्थ प्रति वर्ष कूपन भुगतानों की संख्या है । वार्षिक भुगतान के लिए आवधिकता=1; अर्धवार्षिकी के लिए, आवधिकता=2; तिमाही के लिए आवधिकता=4 ।

आधार प्रयोग के लिए गणना के आधार पर दिनों की गिनती होगा । दिवस की गणना की परंपरा नीचे दर्शाए अनुसार उपलब्ध कराई जाए ।

आधार

दिनों की गिनती का आधार

आधार

दिनों की गिनती का आधार

0 अथवा हटाया गया

यूएस (एनएएसडी) 30/360

3

वास्तविक 365

1

वास्तविक/वास्तविक

4

यूरोपियन 30/360

2

वास्तविक/360

 

 

उदाहरण - 2 फरवरी 2019 को परिपक्व होने वाली प्रतिभूति जिसकी समायोजन तारीख 27 मई 2009; फार्मूला मूल्य निम्नानुसार होगा :

परिपपक्वता 2/2/2019; समायोजन-25/5/2009/आवधिकता-2 (छमाही कूपन) और आधार 4 (दिन गिनने की परंपरा 30/360)

परिणाम 180 होगा (कूपन अवधि में कूपन दिनें की सं.)

4. ईयरप्रैक

ईयरप्रैक (आरंभ-तारीख, समाप्ति-तारीख, आधार) (अवशेष परिपक्वता प्राप्त करने के लिए)

इस फंक्शन का प्रयोग प्रतिभूति की अवशिष्ट परिपक्वता वर्षों में जाने के लिए किया जाता है ।

आरंभ - तारीख वह तारीख हे जो आरंभ की तारीख बताती है ।

समाप्ति - तारी वह तारीख है जो अंत की तारीख बताती है ।

आधार प्रयोग के आधार पर दिनों की संख्या का स्वरूप है ।

उदाहरण - 6 फरवरी 2019 को परिपक्व होने वाली प्रतिभूति के लिए 27 मई 2009 को वर्षों में अवशिष्ट परिपक्वता की गणना निम्नानुसार होगी :

आरंभ की तारीख - 27 मई 2009, अंत की तारीख 2/2/2019, आधार-4

परिणाम 9.68 वर्ष होगा ।

5. मूल्य

मूल्य (समायोजन, परिपक्वता, दर, प्रतिफल, शोधन, आवधिकता, आधार)

इस फंक्शन का प्रयोग आवधिक ब्याज देने वाली प्रतिभूति का मूल्य जानने के लिए किया जाता है ।

समायोजन प्रतिभूति की समायोजन तारीख है ।प्रतिभूति समायोजन की तारीख वह तारीख होती है जिस तारीख को निधि और प्रतिभूति का आदान-प्रदान होता है ।

परिपक्वता प्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख है । परिपक्वता तारीख वह तारीख है जब प्रतिभूति की अवधि समाप्त होती है ।

दर प्रतिभूति की वार्षिक कूपन दर है ।

प्रतिफ्ल प्रतिभूति की वार्षिक प्रतिफल है ।

शोधन प्रत्येक 100 रु. के अंकित मूल्य पर प्रतिभूति का शोधन मूल्य है ।

आवधिकता का अर्थ प्रति वर्ष कूपन भुगतानों की संख्या है । वार्षिक भुगतान के लिए आवधिकता=1; अर्धवार्षिकी के लिए, आवधिकता=2; तिमाही के लिए आवधिकता=4 ।

आधार प्रयोग के आधार पर दिन गिनने का स्वरूप है ।

उदाहरण - 6.05% 2019, 2 फरवरी 2019 को परिपक्व होने वाली प्रतिभूति है । 1 जून 2009 को द्वितीयक बाजार में इसकी प्रतिफल 6.68% है । समायोजन तारीख 2 जून 2009 है । मूल्य फार्मूला में इसका मूल्य निम्नानुसार होगा ।

समायोजन - 2/6/2009; परिपक्वता-2/2/2009; दर 6.05%; प्रतिफल-6.68%; शोधन-100 (अंकित मूल्य); आवधिकता - 2 (छमाही कूपन); आधार-4

परिणाम 95.55 प्रतिशत होगा ।

6. प्रतिफल

प्रतिफल (समायोजन, परिपक्वता, दर, पीआर, शोधन, आवधिकता, आधार) ।

इस फंक्शन का प्रयोग प्रतिभूति का मूल्य दिए जाने पर प्रतिभूति की परिपक्वता पर प्रतिफल निकालने के लिए किया जाता है ।

समायोजन - प्रतिभूति की समायोजन तारीख है । प्रतिभूति समायोजन की तारीख वह तारीख होती है जिस तारीख को निधि और प्रतिभूति का अदान-प्रदान होता है ।

परिपक्वता - प्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख है । परिपक्वता तारीख वह तारीख है जब प्रतिभूति की अवधि समाप्त होती है ।

दर - प्रतिभूति की वार्षिक कूपन दर है ।

पीआर - प्रति 100 रु. के अंकित मूल्य का प्रतिभूति मूल्य

शोधन - प्रत्येक 100 रु. के अंकित मूल्य पर प्रतिभूति का शोधन मूल्य है ।

आवधिकता का अर्थ प्रति वर्ष कूपन भुगतानों की संख्या है । वार्षिक भुगतान के लिए आवधिकता=1; अर्धवार्षिकी के लिए, आवधिकता=2; तिमाही के लिए आवधिकता=4 ।

आधार - प्रयोग के आधार पर दिन गिनने का स्वरूप है ।

ऊपर दिए गए उसी उदाहरण को लेते हुए तथा 95.55 रु. के मूल्य पर प्रतिफल का परिणाम 6.68% होगा ।

7. अवधि

अवधि (समायोजन, परिपक्वता, कूपन, प्रतिफल, आवधिकता, आधार) ।

इस फंक्शन का प्रयोग प्रतिभूति की अवधि वर्षों की संख्या में जानने के लिए किया जाता है ।

समायोजन प्रतिभूति की समायोजन तारीख है । प्रतिभूति समायोजन की तारीख वह तारीख होती है जिस तारीख को निधि और प्रतिभूति का अदान-प्रदान होता है ।

परिपक्वता - प्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख है । परिपक्वता तारीख वह तारीख है जब प्रतिभूति की अवधि समाप्त होती है ।

कूपन - प्रतिभूति की वार्षिक कूपन दर है ।

प्रतिफल - प्रतिभूति की वार्षिक प्रतिफल है ।

आवधिकता का अर्थ प्रति वर्ष कूपन भुगतानों की संख्या है । वार्षिक भुगतान के लिए आवधिकता=1; अर्धवार्षिकी के लिए, आवधिकता=2; तिमाही के लिए आवधिकता=4 ।

आधार प्रयोग के आधार पर दिन गिनने का स्वरूप है ।

उदाहरण - 6.05% 2019, 2 फरवरी 2019 को परिपक्व होने वाली प्रतिभूति है । 1 जून 2009 को द्वितीयक बाजार में इसकी प्रतिफल 6.68% है । समायोजन तारीख 2 जून 2009 है । अवधि फार्मूला में मूल्य निम्नानुसार होगा । समायोजन-2-6-2009; परिपक्वता-2-2-2019; दर-6.05%; प्रतिफल-6.68%; आवधिकता-2 (छमाही कूपन); आधार-4

परिणाम 7.25 वर्ष होगा ।

8. संशोधित अवधि

संशोधित अवधि (समायोजन, परिपक्वता, कूपन, प्रतिफल, आवधिकता, आधार) ।

इस फंक्शन का प्रयोग प्रतिभूति की संशोधित अवधि जानने के लिए किया जाता है ।

समायोजन - प्रतिभूति की समायोजन तारीख है । प्रतिभूति समायोजन की तारीख वह तारीख होती है जिस तारीख को निधि और प्रतिभूति का अदान-प्रदान होता है ।

परिपक्वता - प्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख है । परिपक्वता तारीख वह तारीख है जब प्रतिभूति की अवधि समाप्त होती है ।

कूपन - प्रतिभूति की वार्षिक कूपन दर है ।

प्रतिफल - प्रतिभूति की वार्षिक प्रतिफल है ।

आवधिकता का अर्थ प्रति वर्ष कूपन भुगतानों की संख्या है । वार्षिक भुगतान के लिए आवधिकता=1; अर्धवार्षिकी के लिए, आवधिकता=2; तिमाही के लिए आवधिकता=4 ।

आधार - प्रयोग के आधार पर दिन गिनने का स्वरूप है ।

ऊपर दिए अनुसार वही उदाहरण लेते हुए एक्सेल फंक्शन में उक्त अवधि और मूल्य देते हुए फार्मूले का परिणाम 7.01 होगा ।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

जे. रिपोर्टिंग

उत्तर: किसी ईसीबी के संबंध में कोई ड्रा-डाउन है तो वह रिज़र्व बैंक से एलआरएन मिलने के बाद ही किया जाना चाहिए। एल आर एन प्राप्त करने के लिए उधारकर्ताओं को विधिवत रूप से प्रमाणित फार्म ईसीबी निदेशक, भुगतान संतुलन सांख्यिकीय प्रभाग, सांख्यिकीय और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम), भारतीय रिज़र्व बैंक, बांद्रा–कुर्ला काम्प्लेक्स, मुंबई – 400051 को प्रस्तुत करेगा। यह सुनिश्चित किया जाए कि फॉर्म ईसीबी में ईसीबी की सभी शर्तें सही ढंग से रिपोर्ट की गई हैं तथा कोई कॉलम खाली नहीं रखा गया है (ऐसे कॉलम जो उधार पर लागू नहीं होते हैं अथवा जिनके समक्ष “कुछ नहीं” जानकारी देनी है, को भी उचित रूप से शामिल किया जाए)। ईसीबी के मानदंडों में परिवर्तन फिर वे स्वचालित मार्ग के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I के अनुमोदन से हो अथवा अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से हो, संशोधित फार्म ईसीबी में यथाशीघ्र लेकिन परिवर्तन किये जाने के अधिकतम सात दिनों के भीतर डीएसआईएम को रिपोर्ट की जानी चाहिए। संशोधित फार्म ईसीबी प्रस्तुत करते समय पत्र में उन परिवर्तनों का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए । ईसीबी कए लिए फॉर्म ईसीबी के संबंध में रिपोर्टिंग दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं करने पर फेमा के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले

सभी एनबीएफसी जमाराशि स्वीकार करने के लिए पात्र नहीं होती है। केवल वे एनबीएफसी जिसे बैंक द्वारा विशेष रूप से प्राधिकृत किया गया है तथा जिन्हे निवेश ग्रेड रेटिंग हैं, वे अपने निवल स्वाधिकृत निधि के डेढ गुणा (1½) तक जमाराशि स्वीकार /धारण कर सकते हैं। सभी मौजूदा बगैर रेटिंग प्राप्त एएफसीज जिन्हें जमाराशि स्वीकार करने की अनुमति प्राप्त है, उन्हें 31 मार्च 2016 तक अपनी रेटिंग करनी होगी। ऐसी एएफसीज जिन्हें 31 मार्च 2016 तक रेटिंग प्राप्त नहीं होती उन्हें उसके बाद मौजूदा जमाराशियों का नवीनीकरण अथवा नयी जमाराशि स्वीकार करने की अनुमति नहीं होगी। इस बीच की अवधि के लिए अर्थात 31 मार्च 2016 तक, बगैर रेटिंग प्राप्त एएफसीज अथवा वे जिन्हें सब-इंवेस्टमेंट रेटिंग प्राप्त है, वे केवल परिपक्वता पर अपनी मौजूदा जमाराशि का नवीनीकरण कर सकती है तथा नयी जमा राशि स्वीकार नहीं कर सकती, जब तक उन्हें इंवेस्टमेंट ग्रेड रेटिंग प्राप्त नहीं हो जाता।

तथापि, सार्वजनिक नीति के मामले में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह निर्णय लिया है कि केवल बैंक सार्वजनिक जमाराशि स्वीकार कर सकते है इसलिए जमाराशि स्वीकार करने वाली किसी नई एनबीएफसी को वर्ष 1997 के बाद से कोई पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है।

वर्तमान में, एनबीएफसी 12.5% का अधिकतम ब्याज दर दे सकती है। ब्याज का भुगतान अथवा चक्रवृद्धि अंतराल, मासिक अंतराल से कम नहीं होना चाहिए। एनबीएफसी को न्यूनतम 12 महिनों और अधिकतम 60 महिनों के लिए नई सार्वजनिक जमाराशि स्वीकार करने /नवीनीकरण करने की अनुमति है। एनबीएफसीज को मांग पर देय जमाराशि स्वीकार करने की अनुमति नहीं है।

भारत में विदेशी निवेश

III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश

उत्तर: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक(एफ़पीआई), अनिवासी भारतीय(एनआरआई), प्रवासी भारतीय(ओसीआई), विदेशी केंद्रीय बैंक,बहुदेशीय विकास बैंक दीर्घकालिक निवेशक, जैसे, सोवरिन वेल्थ फंड (एसडब्ल्यूएफ), बहुदेशीय एजंसियां, एन्डाउमन्ट फंड, इन्श्योरन्स फंड तथा पेंशन फंड, जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड दीर्घकालिक निवेशक में पंजीकृत हैं, अधिसूचना सं. फेमा 20 की अनुसूची 5 में विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार अन्य प्रतिभूतियों में निवेश कर सकते हैं।

भारतीय मुद्रा

घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट

भुगतान योग्य नहीं पाए जाने पर बैंकनोटों को प्राप्तकर्ता बैंक अपने पास रखते हैं तथा उन्‍हें भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजा जाता है जहां इन्हें नष्ट कर दिया जाता है ।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Liquid Asset requirement

The minimum level of liquid asset between January 1 and March 31, 1998 remains unchanged at 10 per cent and 5 per cent of the regulated deposits outstanding as on September 30, 1997 for equipment leasing/hire purchase finance companies and loan/investment companies respectively, depending upon their Registration status under erstwhile Registration Scheme. However, on and from April 1, 1998, the requirement of liquid assets would be uniform for all these NBFCs except RNBCs at 12.5 per cent of the "public deposits". The ratio will be 15 per cent of public deposits on and from April 1, 1999. For RNBCs, the ratio shall remain unchanged at 10 per cent of the deposits outstanding.

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

नहीं। मार्कअप आरबीआई द्वारा प्रभारित शुल्क नहीं है। यह उस कीमत के आधार पर वापस किया जा सकता है जिस पर नीलामी में बोलियां आवंटित की जाती हैं।

देशी जमा

III. अग्रिम

किसी अनुसूचित बैंक द्वारा, अन्य बातों के साथ-साथ उनके अपने कर्मचारियों को दिये गये या नवीकृत ऋणों या अग्रिमों या अन्य वित्तीय सुविधा पर, बैंकों द्वारा मंजूर अग्रिमों संबंधी ब्याज दर निदेश लागू नहीं होंगे। जहाँ बैंक के स्टाफ सदस्यों द्वारा अपने ग्राहकों (अर्थात् संबंधित बैंक के स्टाफ सदस्य) को उधार देने हेतु गठित को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटियों को बैंक अग्रिम प्रदान करता है, वहाँ ऐसे अग्रिमों पर भारतीय रिज़र्व बैंक के ब्याज दर निदेश लागू नहीं होंगे।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

जे. रिपोर्टिंग

उत्तर: उधारकर्ताओं को वास्तविक ईसीबी लेनदेनों की रिपोर्ट सही तथा पूर्ण रूप में विधिवत रूप से प्रमाणित फॉर्म ईसीबी 2 में एडी श्रेणी -I बैंक के माध्यम भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट आवधिकता के अनुसार डीएसआईएम को प्रस्तुत करनी है। फॉर्म ईसीबी 2 में से कोई भी स्तम्भ खाली नहीं रखा जाएगा (ऐसे स्तम्भ जो कि उधार पर लागू नहीं हैं अथवा जिनके समक्ष “कुछ नहीं” सूचना देनी है को भी पर्याप्त रूप से शामिल किया जाना चाहिए) । फॉर्म ईसीबी 2 संबंधित महीने के समाप्त होने के बाद सात कामकाजी दिनों के भीतर डीएसआईएम के पास पहुँच जानी चाहिए। ईसीबी के मानदंडों में यदि कोई परिवर्तन किया जाता है तो उन्हें भी फॉर्म ईसीबी-2 में शामिल किया जाना चाहिए। फॉर्म ईसीबी-2 के संबंध में रिपोर्टिंग दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं किए जाने जिसमें रिपोर्टिंग की आवधिकता का पालन करने में की गई चूक शामिल है, पर फेमा के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई कि जा सकती है।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

महत्वपूर्ण शब्दावली और सामान्यतया प्रयोग होने वाली बाजार शब्दावलीउपचित ब्याजबॉण्ड पर उपचित ब्याज, ब्याज की वह राशि है जो पिछले कूपन भुगतान के बाद संचित हुई है । ब्याज अर्जित किया गया है पर चूंकि कूपन का भुगतान केवल कूपन तारीखों को किया जाता है, अत: निवेशक को अभी धन का लाभ नहीं मिला है । भारत में सरकारी प्रतिभूतियों की दिन गिनने की परंपरा 30/360 है ।बोली मूल्य/प्रतिफलप्रतिभूति के लिए संभाव्य क्रेता द्वारा लगाया जाने वाला मूल्य/प्रतिफल ।विनिमय दर के पहले तीन अंक (बिग फिगर)जब मूल्य 102.35 लगाया गया है, दशमलव से इतर भाग (102) को बिग फिगर कहते हैं ।स्पर्धी बोलीनीलामी में बोलीकर्ता द्वारा लगाए गए मूल्य को स्पर्धी बोली कहा जाता है ।कूपनप्रतिभूति के अंकित मूल्य के आधार पर गणना किए गए अनुसार ऋण प्रतिभूति पर अदा की गई ब्याज की दर ।कूपन अंतरालऋण प्रतिभूति की अवधि में लगातार नियमित अंतरालों पर किया गया कूपन भुगतान जो तिमाही, अध्र वार्षिक (वर्ष में दो बार) अथवा वार्षिक भुगतान हो सकता है ।बट्टाजब प्रतिभूति का मूल्य सम मूल्य से कम होता है, तो यह माना जाता है कि उसमें बट्टे पर कारोबार हो रहा है । अंकित मूल्य और मूल्य के बीच का अंतर बट्टे का मूल्य कहलाता है । उदाहरण के लिए यदि किसी प्रतिभूति पर 99 रु. में कारोबार हो रहा है तो बट्टा 1 रु. होगा ।अवधि (मैकाले अवधि)बॉण्ड की अवधि, बॉण्ड के आरंभिक निवेश की वसूली के लिए वर्षों की संख्या है । इसकी गणना, नकदी प्रवाह प्राप्त करने के लिए वर्षों की भारित औसत संख्या, के रूप में की जाती है जिसमें नकदी प्रवाह के वर्तमान मूल्य को वर्षों से गुणा किया जाता है । ऐसे मूल्य के जोड़ को, अवधि निकालने के लिए, प्रतिभूति के मूल्य से भाग किया जाता है प्रश्न सं.27 का बॉक्स IV देखें ।अंकित मूल्यप्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख को किसी निवेशक को अदा किया जाने वाला अंकित मूल्य कहलाता है । ऋण प्रतिभूतियाँ अलग-अलग अंकित मूल्य पर जारी की जाती है; तथापि भारत में, इन का अंकित मूल्य विशिष्ट रूप से 100 रु. होता है । अंकित मूल्य को चुकौती राशि भी कहा जाता है । इस राशि का शोधन मूल्य, मूल मूल्य (अथवा मूलधन), परिपक्वता मूल्य अथवा सम मूल्य भी कहा जाता है ।अस्थायी दर बॉण्डवे बॉण्ड जिनकी कूपन दर पूर्व निर्धारित अंतरालों पर रिसेट की जाती है तथा पूर्व निर्धारित बाज़ार आधारित ब्याज दर है ।गिल्ट/सरकारी प्रतिभूतियाँसरकारी प्रतिभूतियों को गिल्ट अथवा गिल्ट एज्ड प्रतिभूतियाँ कहा जाता है । "सरकारी प्रतिभूति" का अर्थ है वह प्रतिभूति जो सरकार द्वारा लोक ऋण जुटाने अथवा सरकार के कार्यालयीन बजट में सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य किसी प्रयोजन हेतु तथा सरकारी प्रतिभूति अधिनियम 2006 में निर्दिष्ट रूप में से किसी एक रूप में सृजित और जारी की जा रही है ।मार्केट लॉटमार्केट लॉट का अर्थ उन व्यापारों के मानक मूल्य से है जो बाजार में किए जाते हैं । सरकारी प्रतिभूति बाजार में मानक मार्केट लॉट 5 करोड़ रु. अंकित मूल्य के हैं ।परिपक्वता तारीखवह तारीख जब मूलधन (अंकित मूल्य) लोटाया जाता है । ऋण प्रतिभूति का अंतिम कूपन और अंकित मूल्य निवेशक को परिपकवता की तारीख को लौटाया जाता है । अवधि की सीमा अल्पावधि (1 वर्ष) से दीर्घावति (30 वर्ष) तक अलग-अलग होता है ।गैर स्पर्धी बोलीगैर स्पर्धी बोली का अर्थ है कि बोलीकर्ता, मूल्य की बोली लगाए बिन, दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों की बोली में भाग ले सकता है । गैर स्पर्धी घटक का आबंटन उस भारित औसत दर पर होगा जो स्पर्धी बोली के आधार पर नीलामी में आएगा । यह एक आबंटन सुविधा है जिसमें कुल प्रतिभूतियों का एक भाग सफल स्पर्धी बोली के भारित औसत मूल्य पर बोलीकर्ताओ को आबंटित किया जता है । (कृपया प्रश्न सं.4 के अंतर्गत पैराग्राफ 4.3 भी देखें) ।विषम मात्रा (ऑड लॉट)5 करोड़ रु. के मानक बाजार लॉट आकार के इतर अन्य किसी मूल्य के लेन-देनों को विषम मात्रा (ऑड लॉट) कहा जाता है । सामान्यतया मूल्य 10,000 रु. के न्यूनतम मूल्य सहित 5 करोड़ रु. से कम होता है । विषम मात्रा के लेन-देन सामान्यतया खुदरा और छोटे सहभागियों द्वारा किया जाता है ।सममूल्य परप्रतिभूति का अंकित मूल्य ही सममूल्य हे जो सरकारी प्रतिभूतियों के लिए 100 रु. है । जब प्रतिभूति का मूल्य उसके अंकित मूल्य के बराबर होता है प्रतिभूति को सममूल्य पर कहा जाता है ।अधिमूल्य (प्रीमियम)जब प्रतिभूति का मूल्य सममूल्य से अधिक होता हे तो कहा जाता हे कि प्रतिभूति पर कारोबार अधिमूल्य पर है । प्रीमियम का मूल्य, अंकित मूल्य ओर मूल्य के बीच का अंतर है । उदाहरण के लिए यदि किसी प्रतिभूति का कारोबार 102 रु. पर हो रहा है तो प्रीमियम 2 रु. है ।मूल्य100 रु. के अंकित मूल्य के लिए उद्धृत किया गया मूल्य । किसी वित्तीय लिखत का मूल्य भविष्य में होने वाले नकदी प्रवाह के वर्तमान मूल्य के बराबर है । ऋण प्रतिभूति के लिए दिया गया मूल्य कई कारकों पर आधारित है । नई जारी की गई ऋण प्रतिभूतियाँ सामान्य तौर पर उनके अंकित मूल्य अथवा उनके आस-पास के मूल्य पर बेची जाती हैं । द्वितीयक बाजार में जहाँ निवेशकों के बीच पहले से जारी ऋण प्रतिभूतियाँ खरीदी और बेची जाती हैं, बाँण्ड के लिए दिए जाने वाले मूल्य में बाजार ब्याज दरें, अर्जित ब्याज, आपूर्ति और मांग, ऋण गुणवत्ता, परिपक्वता की तारीख, जारी करने का तरीका, बाजार घटनाएँ तथा लेन-देन का आकार प्रभावित करने वाली मदों पर निभ्रर होता है ।प्राथमिक व्यापारीसरकारी उधार की आवश्यकताओं को यथासंभव सस्ते और सक्षम रूप से पूरा करने के उद्देश्य से विशेषकृत वित्तीय फर्मों/बैंकों के एक समूह को सरकारी प्रतिभूति बाजार और जारीकर्ता के बीच विशेषीकृत मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए नियुक्त किया जाता है । इन संस्थाओं को सामान्यतया प्राथमिक व्यापारी अथवा मार्केट मेकर कहा जाता है । लगातार बोली लगाने तथा विपणन योग्य बाजार प्रतिभूतियों में मूल्य लगाने अथवा नीलामी में बोली लगाने जैसे कार्यों के बदले में इन फर्मों को प्राथमिक/द्वितीयक बाजार में कुछ लाभ मिलते हैं ।तत्काल सकल निपटान प्रणाली (आरटीजीएस)आरटीजीएस प्रणाली एक बैंक से दूसरे को "तत्काल" और "सकल" आधार पर मुद्रा अंतरण करने का निधि अंतरण तंत्र है । बैंकिंग चैनल के माध्यम से यह सबसे तेज मुद्रा अंतरण प्रणाली है । "तत्काल" निपटान का अर्थ बिना किसी प्रतीक्षा अवधि के भुगतान निपटान । प्रक्रिया होने पर लेन-देन तत्काल कर दिए जाते हैं । "सकल निपटान" का अर्थ है कि लेन-देन एक पर एक आधार पर किए जाते हैं, इन्हें दूसरे लेन-देनों से जोड़ा नहीं जाता है । चूंकि मुद्रा अंतरण रिज़र्व बैंक की बहियों में किया जाता है, भुगतान को अंतिम और अविकल्पी मान लिया जाता है ।रिपो रेटरिपो लेन-देन पर अर्जित राशि रिपो रेट है जिसे वार्षिक ब्याज दर के रूप में बताया गया है ।रिपो/रिवर्स रिपोरेपो, निधियों की प्राप्ति के लिए प्रतिभूतियों को इस करार के साथ बेचने के लिए एक प्रकार का लिखत है, जिसमें उक्त प्रतिभूतियों को आपस में सहमत तारीख और मूल्य पर पुनर्खरीद करनी पड़ती है जिसमें उधार ली गई निधियों पर ब्याज शामिल है ।रेपो (पुन: खरीद) लेनदेन का विपरीत लेनदेन ‘रिवर्ज़ रेपो’ (प्रति पुनर्खरीद) कहलाता है जिसमें प्रतिभूतियों की खरीदारी करके उधार दिया जाता है, जिसके लिए तय मूल्य पर पारस्परिक रूप से निर्धारित भावी तारीख को उक्त प्रतिभूतियों की पुन:बेचने का करार किया जाता है ।अवशिष्ट परिपक्वताप्रतिभूति की परिपकवता अवधि तक शेष अवधि उसकी अवशिष्ट परिपक्वता है । उदाहरण के लिए 10 वर्ष की परिपकवता की मूल अवधि के लिए जारी प्रतिभूति की 2 वर्ष बाद अवशिष्ट परिपक्वता 8 वर्ष होगी ।द्वितीयक बाजारएक बाजार जिसमें बकाया प्रतिभूतियों का कारोबार किया जाता है । ये प्राथमिक, अथवा प्रारंभिक बाजार से भिन्न है, जहां प्रतिभूतियाँ पहली बार बेची जाती हैं । द्वितीयक बाजार का अर्थ है प्रतिभूतियों की आरंभिक साव्रजनिक ब्रिकी के बाद होने वाला क्रय और विक्रय ।निरंतर बिक्रीनिरंतर बिक्री के अंतर्गत कुछ राशि की प्रतिभूतियाँ सृजित की जाती हैं और बिक्री के लिए उपलबध होती है, सामान्यतया ये न्यूनतम मूल्य पर होती हैं तथा बाजार में बोली आने पर बेची जाती हैं । ये प्रतिभूतियाँ दिन अथवा सप्ताहों तक बेची जा सकती है तथा मांग अधिक होने पर प्राधिकरण इसका मूल्य बढ़ाने (न्यूनतम) अथवा मांग कमजोर होने पर कम करने का लचीलापक अपना सकती हैं । निरंतर बिक्री और (टैप सेल) लगभग एक समान है, तथापि टैपसेल में ऋण प्रबंधक को निरंतर बिक्री के लिए उपलब्धता और निर्देशक मूल्य के संबंध में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होती है । निरंतर बिक्री आवश्यक रूप से बाजार की पहल पर होती है ।खजाना बिलसरकार की उधार देयताएँ जिनकी अवधि समाप्ति 1 वर्ष अथवा कम होती है सामान्यतया खजाना बिल अथवा टी बिल कहलाते हैं । खजाना बिल, खजाने/सरकार की अल्पावधि देयताएँ होती हैं । ये अंकित मूल्य पर बट्टे पर जारी लिखत हैं और मुद्रा बाजार का महत्वपूर्ण भाग हैं ।हामीदारीवह व्यवस्था जिसके द्वारा निवेश बैंकर प्रतिभूति के प्राथमिक निर्गम के उस अंश का अभिग्रहण करते हैं जिसके लिए अंशदान नहीं दिया गया ।भारित औसत मूल्य/प्रतिफलयह मूल्य/प्रतिफल का भारित औसत हिस्सा है जहाँ मूल्य/प्रतिफल पर प्रयोग की गई राशि भार है । गैर स्पर्धी धारक को आबंटन भारित औसत मूल्य/प्रतिफल पर होगा जो स्पर्धी बोली के आधार पर नीलामी से उभर कर आएगा ।प्रतिफलकिसी प्रतिभूति पर वार्षिक प्रतिशतता दर पर अर्जित प्रतिफल । प्रतिफल प्रतिभूति के खरीद मूल्य तथा कूपन ब्याज दर का कार्य है । प्रतिफल वैश्विक बाजारों तथा अर्थव्यवस्था सहित विभिन्न कारणों से घटता-बढ़ता रहता है ।परिपक्वता पर प्रतिफल (वाइटीएम)परिपक्वता पर प्रतिफल वह प्रतिफल है जिसकी कोई व्यक्ति परिपक्वता तक प्रतिभूति रखने पर आशा करता है । परिपक्वता पर प्रतिफल आवश्यक रूप से वह बट्टा दर हे जिस पर भविष्य के भुगतानों का वर्तमान मूल्य प्रतिभूति के मूल्य के बराबर होता है (निवेश प्रतिफल मूलधन पर प्रतिफल) ।प्रतिफल वक्रविभिन्न परिपक्वता अवधि तथा उसी ऋण गुणवत्ता के बॉण्डों के बीच प्रतिफल और परिपक्वता के बीच संबंध दर्शाने वाला ग्राफिक संबंध । यह रेखा ब्याज दरों का अवधि ढाँचा दर्शाती है । इससे निवेशक ऋण प्रतिभूतियों का विभिन्न परिपक्वता तथा कूपन से तुलना कर सकता है ।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले

वह कंपनी जिसके पास उसकी कुल आस्तियों के 50% से अधिक की वित्तीय आस्तियां नहीं हैं और इन आस्तियों से होने वाली आमदनी कुल आमदनी के 50% से कम है, तो उसे एनबीएफसी नहीं कहा जाएगा। इसका प्रमुख व्यवसाय गैर–वित्तीय गतिविधि जैसे कृषि प्रचालन, औद्योगिक गतिविधि, माल की खरीद और बिक्री, या अचल सम्पत्तियों की बिक्री/निर्माण होगा और इन्हें गैर-बैंकिंग गैर–वित्तीय कंपनी माना जाएगा। गैर-बैंकिंग गैर वित्तीय कंपनी द्वारा जमा राशियाँ ग्रहण करना कार्पोरेट कार्य मंत्रालय के नियम और विनियमों द्वारा विनियमित होता है।

भारत में विदेशी निवेश

III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश

उत्तर: “विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक (FVCI)” अर्थात ऐसा निवेशक जो भारत से बाहर स्थापित और निगमित है और वह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक) विनियमावली, 2000 के तहत भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) में पंजीकृत है।

भारतीय मुद्रा

घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट

कटे-फटे/फटे नोटों को बदलने के लिए दिशानिर्देश “नोटों व सिक्कों को बदलने की सुविधा” के संबंध में दिनांक 01 अप्रैल 2025 के हमारे मास्टर परिपत्र डीसीएम (एनई) सं.जी-5/08.07.18/2025-26 में उपलब्ध हैं जो हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in में कार्य-वार साइटें > मुद्रा प्रबंधन > अधिसूचनाएं के अंतर्गत उपलब्ध हैं । भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) के अनुसार कटे-फटे नोटों को सभी बैंक शाखाओं में बदला जा सकता है ।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Liquid Asset requirement

No. An NBFC is required to invest in approved securities a part of the deposits, for compliance with the provisions of section 45IB of the RBI Act. The term `approved securities’ has been defined in the RBI Act itself which means the Government securities and Government guaranteed bonds. Hence it is not permissible for the NBFCs to maintain a part of the securities in the form of investments in bonds of and deposits with banks.

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

प्राथमिक नीलामियों के गैर-प्रतिस्पर्धी खंड में, जिस मूल्य पर प्रतिभूतियां आवंटित की जाती हैं, वह नीलामी में सफल प्रतिस्पर्धी बोलियों की भारित औसत कीमत है। चूंकि इस भारित औसत मूल्य की गणना नीलामी समाप्त होने के बाद ही की जा सकती है, इसलिए बोली लगाने के समय गैर-प्रतिस्पर्धी खंड के माध्यम से प्रतिभूति की कीमत अज्ञात है। इस अनिश्चितता को कवर करने के लिए, भारित औसत मूल्य अधिक होने की स्थिति में एक मार्कअप लागू किया जाता है।

देशी जमा

IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम

नहीं।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

जे. रिपोर्टिंग

उत्तर: नहीं। यदि ईसीबी की शर्तों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है, तो संशोधित फॉर्म ईसीबी (पूर्व का फॉर्म 83) फ़ाइल करना आवश्यक नहीं है।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले

भारतीय रिजर्व बैंक किसी भी वित्तीय संस्था के पर्यवेक्षण में जमाकर्ताओं के हित की रक्षा को अत्यंत महत्व देता है। कोई निवेशक किसी कंपनी में निवेश इस आशय के साथ करता है कि वह प्रवर्तकों के साथ जोखिम और लाभ को शेयर करेगा जबकि एक जमाकर्ता किसी भी संस्था में अपनी जमाराशि केवल विश्वास के आधार पर जमा करता है। अतएव, वित्तीय विनियमन में जमाकर्ताओं के हित की रक्षा की सर्वोच्च प्राथमिकता होती है। बैंक अत्यधिक विनियमित वित्तीय संस्थाए हैं। बैंको के विफल होने की स्थिति में निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम जमाराशियों पर एक लाख रूपये तक की बीमा राशि का भुगतान करता है।

भारत में विदेशी निवेश

III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश

उत्तर: सेबी में पंजीकृत विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक(एफ़वीसीआई) फेमा 20 (आर) की अनुसूची 7 में निर्धारित शर्तों के अनुसार निवेश कर सकते हैं।

भारतीय मुद्रा

घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट

भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) अधिनियम, 2009 [भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018, यथा संशोधित] के तहत क्षतिग्रस्त बैंकनोट के मूल्य का आकलन करते समय क्रम संख्या अथवा अन्य विनिर्दिष्‍ट विशेषता की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति निर्णय का आधार नहीं है ।

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

अतिरिक्त मार्कअप यानी बोली लगाते समय वसूले जाने वाले मूल्य, वास्तविक आवंटन मूल्य को घटाकर, नीलामी की तारीख से दो कार्य दिवसों के भीतर आपके लिंक्ड बैंक खाते में वापस कर दिया जाएगा।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Liquid Asset requirement

The unquoted Government securities are to be valued at their carrying cost. The term `carrying cost has been defined in the Non-Banking Financial Companies Prudential Norms (Reserve Bank) Directions, 1998 to mean the net book value of the asset and interest accrued thereon but not received.

देशी जमा

IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम

नहीं।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

Glossary of Important Terms and Commonly Used Market Terminology

Accrued Interest

The accrued interest on a bond is the amount of interest accumulated on a bond since the last coupon payment. The interest has been earned, but because coupons are paid only on coupon dates, the investor has not gained the money yet. In India day count convention for G-Secs is 30/360.

Auction –Multiple price and Uniform Price

In a Multiple Price auction, the successful bidders are required to pay for the allotted quantity of securities at the respective price / yield at which they have bid. On the other hand, in a Uniform Price auction, all the successful bidders are required to pay for the allotted quantity of securities at the same rate, i.e., at the auction cut-off rate, irrespective of the rate quoted by them.

Bid Price/ Yield

The price/yield being offered by a potential buyer for a security.

Big Figure

When the price is quoted as ₹102.35, the portion other than decimals (102) is called the big figure.

Competitive Bid

Competitive bid refers to the bid for the stock at the price stated by a bidder in an auction.

Coupon

The rate of interest paid on a debt security as calculated on the basis of the security’s face value.

Coupon Frequency

Coupon payments are made at regular intervals throughout the life of a debt security and may be quarterly, semi-annual (twice a year) or annual payments.

Discount

When the price of a security is below the par value, it is said to be trading at a discount. The value of the discount is the difference between the FV and the Price. For example, if a security is trading at ₹ 99, the discount is ₹ 1.

Duration (Macaulay Duration)

Duration of a bond is the number of years taken to recover the initial investment of a bond. It is calculated as the weighted average number of years to receive the cash flow wherein the present value of respective cash flows are multiplied with the time to that respective cash flows. The total of such values is divided by the price of the security to arrive at the duration. Refer to Box IV under question 27.

Face Value

Face value is the amount that is to be paid to an investor at the maturity date of the security. Debt securities can be issued at varying face values, however in India they typically have a face value of ₹100. The face value is also known as the repayment amount. This amount is also referred as redemption value, principal value (or simply principal), maturity value or par value.

Floating-Rate Bond

Bonds whose coupon rate is re-set at predefined intervals and is based on a pre-specified market based interest rate.

Gilt/ G-Secs

G-Secs are also known as gilts or gilt edged securities. “G-Sec” means a security created and issued by the Government for the purpose of raising a public loan or for any other purpose as may be notified by the Government in the Official Gazette and having one of the forms mentioned in the G-Secs Act, 2006.

Market Lot

Market lot refers to the standard value of the trades that happen in the market. The standard market lot size in the G-Secs market is ₹ 5 crore in face value terms.

Maturity Date

The date when the principal (face value) is paid back. The final coupon and the face value of a debt security is repaid to the investor on the maturity date. The time to maturity can vary from short term (1 year) to long term (30 years).

Non-Competitive Bid

NCB means the bidder would be able to participate in the auctions of dated G-Secs without having to quote the yield or price in the bid. The allotment to the non-competitive segment will be at the weighted average rate that will emerge in the auction on the basis of competitive bidding. It is an allocating facility wherein a part of total securities are allocated to bidders at a weighted average price of successful competitive bid. (Please also see paragraph no.4.3 under question no.4).

Odd Lot

Transactions of any value other than the standard market lot size of ₹ 5 crore are referred to as odd lot. Generally, the value is less than the ₹ 5 crore with a minimum of ₹10,000/-. Odd lot transactions are generally done by the retail and small participants in the market.

Par value

Par value is nothing but the face value of the security which is ₹ 100 for G-Secs. When the price of a security is equal to face value, the security is said to be trading at par.

Premium

When the price of a security is above the par value, the security is said to be trading at premium. The value of the premium is the difference between the price and the face value. For example, if a security is trading at ₹102, the premium is ₹ 2.

Price

The price quoted is for per ₹ 100 of face value. The price of any financial instrument is equal to the present value of all the future cash flows. The price one pays for a debt security is based on a number of factors. Newly-issued debt securities usually sell at, or close to, their face value. In the secondary market, where already-issued debt securities are bought and sold between investors, the price one pays for a bond is based on a host of variables, including market interest rates, accrued interest, supply and demand, credit quality, maturity date, state of issuance, market events and the size of the transaction.

Primary Dealers

In order to accomplish the objective of meeting the Government borrowing needs as cheaply and efficiently as possible, a group of highly qualified financial firms/ banks are appointed to play the role of specialist intermediaries in the G-Sec market between the issuer on the one hand and the market on the other. Such entities are generally called Primary dealers or market makers. In return of a set of obligations, such as making continuous bids and offer price in the marketable G-Secs or submitting reasonable bids in the auctions, these firms receive a set of privileges in the primary/ secondary market.

Real Time Gross Settlement (RTGS) system

RTGS system is a funds transfer mechanism for transfer of money from one bank to another on a “real time” and on “gross” basis. This is the fastest possible money transfer system through the banking channel. Settlement in “real time” means payment transaction is not subjected to any waiting period. The transactions are settled as soon as they are processed. “Gross settlement” means the transaction is settled on one to one basis without bunching with any other transaction. Considering that money transfer takes place in the books of the Reserve Bank of India, the payment is taken as final and irrevocable.

Repo Rate

Repo rate is the return earned on a repo transaction expressed as an annual interest rate.

Repo/Reverse Repo

Repo means an instrument for borrowing funds by selling securities of the Central Government or a State Government or of such securities of a local authority as may be specified in this behalf by the Central Government or foreign securities, with an agreement to repurchase the said securities on a mutually agreed future date at an agreed price which includes interest for the fund borrowed.

Reverse Repo means an instrument for lending funds by purchasing securities of the Central Government or a State Government or of such securities of a local authority as may be specified in this behalf by the Central Government or foreign securities, with an agreement to resell the said securities on a mutually agreed future date at an agreed price which includes interest for the fund lent.

Residual Maturity

The remaining period until maturity date of a security is its residual maturity. For example, a security issued for an original term to maturity of 10 years, after 2 years, will have a residual maturity of 8 years.

Secondary Market

The market in which outstanding securities are traded. This market is different from the primary or initial market when securities are sold for the first time. Secondary market refers to the buying and selling that goes on after the initial public sale of the security.

Tap Sale

Under Tap sale, a certain amount of securities is created and made available for sale, generally with a minimum price, and is sold to the market as bids are made. These securities may be sold over a period of day or even weeks; and authorities may retain the flexibility to increase the (minimum) price if demand proves to be strong or to cut it if demand weakens. Tap and continuous sale are very similar, except that with Tap sale the debt manager tends to take a more pro-active role in determining the availability and indicative price for tap sales. Continuous sale are essentially at the initiative of the market.

Treasury Bills

Debt obligations of the Government that have maturities of one year or less are normally called Treasury Bills or T-Bills. Treasury Bills are short-term obligations of the Treasury/ Government. They are instruments issued at a discount to the face value and form an integral part of the money market.

Underwriting

The arrangement by which investment bankers undertake to acquire any unsubscribed portion of a primary issuance of a security.

Weighted Average Price/ Yield

It is the weighted average mean of the price/ yield where weight being the amount used at that price/ yield. The allotment to the non-competitive segment will be at the weighted average price/yield that will emerge in the auction on the basis of competitive bidding.

Yield

The annual percentage rate of return earned on a security. Yield is a function of a security’s purchase price and coupon interest rate. Yield fluctuates according to numerous factors including global markets and the economy.

Yield to Maturity (YTM)

Yield to maturity is the total return one would expect to receive if the security is being held until maturity. Yield to maturity is essentially the discount rate at which the present value of future payments (investment income and return of principal) equals the price of the security.

Yield Curve

The graphical relationship between yield and maturity among bonds of different maturities and the same credit quality. This curve shows the term structure of interest rates. It also enables investors to compare debt securities with different maturities and coupons.

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

जे. रिपोर्टिंग

उत्तर: नहीं। एलएसएफ़ के प्रावधान फरवरी 2019 से प्रस्तुत ईसीबी-2 विवरणियों पर लागू होंगे, अर्थात जनवरी 2019 के माह में किए गए लेनदेन के लिए फरवरी के माह में प्रस्तुत ईसीबी-2 विवरणियों पर लागू होंगे।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले

भारतीय रिजर्व बैंक अपनी वेब साइट www.rbi.org.in → साइट मैप → एनबीएफसी की सूची → जमा राशियां स्वीकार करने के लिए प्रधिकृत एनबीएफसीज, पर उन एनबीएफसीज के नामों की सूची प्रकाशित करता है जिनके पास जमाराशियां स्वीकार करने का वैध पंजीकरण प्रमाणपत्र है। कभी-कभी कुछ कंपनियों को अस्थायी तौर पर जनता से जमाराशियाँ स्वीकार करने हेतु प्रतिबंधित कर दिया जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जमाराशियाँ स्वीकार करने हेतु अस्थायी तौर पर प्रतिबंधित की गई ऐसी एनबीएफसीज की सूची अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित की जाती है। भारतीय रिजर्व बैंक इन दोनों सूचियों का अद्यतन करता है। आम जनता को सूचित किया जाता है कि वे एनबीएफसीज के पास जमाराशियां रखने के पहले इन सूचियों की जांच कर लें।

भारत में विदेशी निवेश

III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश

उत्तर: एफ़वीसीआई द्वारा किए गए सभी निवेश के लिए प्रतिफल राशि बैंकिंग चैनलों के जरिए विदेश से किए गए आवक विप्रेषण से प्राप्त अथवा एफ़सीवीआई द्वारा भारत में एडी बैंक में बनाए रखे गए विदेशी मुद्रा खाते और/ अथवा विशेष अनिवासी रुपया (एसएनआरआर) खाते में धारित निधियों में से अदा की जा सकेगी। विदेशी मुद्रा खाते और विशेष अनिवासी रुपया (एसएनआरआर) खाते का उपयोग केवल संबंधित अनुसूची के अंतर्गत लेनदेन के लिए ही किया जाएगा।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Liquid Asset requirement

The liquid assets securities can be lodged with one bank branch only and at one place only. However, the company has the discretion now to keep such securities with a bank branch either at the place of its registered office or at another place of its choice after taking prior approval of the concerned Regional Office of RBI.

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

नहीं। हालांकि, अगर आप किसी अलग बैंक अकाउंट का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो रिटेल डायरेक्ट पोर्टल के जरिए लिंक्ड बैंक अकाउंट को बदल सकते हैं।

देशी जमा

IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम

किसी बैंक का निधि आधारित और निधीतर आधारित दोनों सहित, पूंजी बाजार में सभी प्रकार का कुल एक्सपोज़र, जिसमें इक्विटी शेयरों में प्रत्यक्ष निवेश, परिवर्तनीय बांडों और डिबेंचरों तथा इक्विटी उन्मुख पारस्परिक निधियों के यूनिट, इक्विटी शेयरों (आइपीओ सहित), में निवेश के लिए व्यक्तियों को शेयरों की जमानत पर दिए अग्रिमों, बांडों और डिबेंचरों, इक्विटी उन्मुख पारस्परिक निधियों के यूनिट और शेयर दलालों को दिए ज़मानती तथा बेज़मानती अग्रिम और शेयर दलालों एवं बाजार के सहभागियों की ओर से जारी गारंटियां शामिल हैं, पिछले वर्ष के 31 मार्च के कुल बकाया अग्रिमों (वाणिज्य पत्र सहित) के 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। पूंजी बाजार में एक्सपाज़र पर उच्चतम सीमा की गणना के लिए, शेयरों में संबंधित बैंक के प्रत्यक्ष निवेश की गणना संबंधित शेयरों के लागत मूल्य पर की जाएगी।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

जे. रिपोर्टिंग

उत्तर: हां। एलएसएफ़ शून्य विवरणियों सहित प्रत्येक फॉर्म ईसीबी को प्रस्तुत नहीं करने पर लागू है ।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले

24 अप्रैल 2004 से, अनिवासी भारतीयों के अनिवासी खाते के जमा में से नामें की गई राशि को छोड़कर, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी निवासी भारतीयों के अनिवासी से जमाराशियां स्वीकार नहीं कर सकती, बशर्तें कि वह राशि अनिवासी बाह्य/विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) खाते से अंत: प्रेषण या अंतरण नहीं किया गया हो। तथापि, मौजूदा अनिवासी जमाराशियों को नवीनकृत किया जा सकता है।

भारत में विदेशी निवेश

III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश

उत्तर: बिक्रीगत/ परिपक्वतागत आगम राशि (करों का निवल) का विप्रेषण भारत के बाहर किया जा सकता है अथवा विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक के विदेशी मुद्रा खाते अथवा विशेष अनिवासी रुपया (एसएनआरआर) खाते में जमा किया जा सकता है।

भारतीय मुद्रा

घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट

संचलन से वापस लिए गए बैंकनोटों को भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्गम कार्यालयों में स्‍वीकार किया जाता है । भारतीय रिज़र्व बैंक, अन्य विषयों के साथ, इन बैंकनोटों की प्रामाणिकता का सत्यापन करने, अंकगणितीय सटीकता तथा पुन: जारी किए जाने हेतु उपयुक्त नोटों के पृथक्‍करण तथा गंदे (अनफिट) नोटों को नष्ट करने के लिए अत्यधिक परिष्कृत मुद्रा सत्यापन तथा प्रसंस्करण प्रणाली (सीवीपीएस) मशीनों तथा श्रेडिंग एवं ब्रिकेटिंग प्रणाली (एसबीएस) मशीनों का उपयोग करता है ।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Liquid Asset requirement

A. The securities held on behalf of and NBFC, in a bank’s Constituents’ SGL Account can be reckoned towards compliance of requirements of Section 45IB. The securities are required to be deposited with one bank branch and at one place only for the purpose of adequate control. Hence, if an NBFC holds securities with its designated bank branch in its Constituents’ SGL Account, it would be necessary for the company to lodge its physical securities also with the same bank branch.

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

नहीं। यह योजना व्यक्तियों द्वारा केवल गैर-प्रतिस्पर्धी भागीदारी (यानी अपनी कीमत चुनने के बिना बोलियां) की सुविधा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है। हालांकि, यदि कोई प्रतिस्पर्धी बोली लगाना चाहता है, तो वह किसी बैंक/प्राथमिक डीलर/किसी अन्य अधिकृत संस्थान से संपर्क कर सकता है।

देशी जमा

IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम

नहीं। बैंकों पर शेयरों की शॉर्ट सेल करने का प्रतिबंध है।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

के. विविध

उत्तर: हां। मौजूदा मानदंडों के अंतर्गत ईसीबी की मूल राशि तथा ब्याज, दोनों को इक्विटि में परिवर्तित करने की अनुमति है। यह अनुमति “बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, तथा संरचित प्रतिबद्धता” पर दिनांक 26 मार्च 2019 के मास्टर निदेश सं. 5 के पैराग्राफ 7.4 में दिए गए अनुसार यथालागू शर्तों के अधीन होगी।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले

नहीं। को-ऑप. क्रेडिट सोसायटी जनता से जमाराशियां स्वीकार नहीं कर सकती। वह अपने उपनियमों के तहत निर्धारित सीमा तक ही अपने सदस्यों से जमाराशियां स्वीकार कर सकती हैं।

भारत में विदेशी निवेश

III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश

उत्तर: निवेश माध्यम’ का अर्थ है ऐसी एंटीटी से है जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अथवा इस प्रयोजन के लिए नामित किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा निर्मित संबन्धित विनियमों के तहत पंजीकृत और विनियमित है। फेमा 20(आर) की अनुसूची 8 के प्रयोजन के लिए निवेश माध्यम भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (REITs) विनियमावली, 2014 द्वारा प्रशासित रियल इस्टेट निवेश ट्रस्ट (REITs), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (InvIts) विनियमावली, 2014 द्वारा प्रशासित इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (AIFS) विनियमावली, 2012 द्वारा प्रशासित अल्टरनेटिव निवेश निधियाँ इसमें शामिल हैं । इसमें भूतपूर्व सेबी (उद्यम पूंजी निधि) विनियमावली, 1996 के अंतर्गत पंजीकृत उद्यम पूंजी निधि शामिल नहीं है।

भारतीय मुद्रा

घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट

महात्मा गांधी (नई) शृंखला सहित सभी बैंकनोट जिन पर कुछ लिखा हो अथवा रंग/ तेल के दाग लगे हो तो वे वैध मुद्रा जारी रहेंगे, बशर्ते कि वे सुपाठ्य हों । इस प्रकार के नोटों को किसी भी बैंक शाखा में जमा किया जा सकता है या उन्‍हें बदला जा सकता है ।

यद्यपि, बैंक नोट में राजनैतिक अथवा धार्मिक स्‍वरूप का संदेश देने अथवा इस तरह के संदेश देने की क्षमता हो, की नीयत से लिखे गए अनावश्‍यक शब्‍दों या दृश्‍य निरूपण हों अथवा उनके किसी व्‍यक्ति या संस्‍था के हितों को पूरा करने में सहायक होने पर बैंकनोटों के संबंध में ऐसे दावे को भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 [जैसा कि भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018] के अनुसार निरस्त कर दिया जाएगा ।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Liquid Asset requirement

Most of the companies are unitary entities. They function from the place of their Registered Office. Some of the large sized companies as also some others may intend to keep the securities at metropolitan centres for operational advantages. The place where the securities are held could be outside the jurisdiction of the concerned Regional Office of RBI because the jurisdictional areas are decided on the basis of place of location of the Registered Office of the companies. In such cases, it is imperative for the Regional Offices to know the place where the securities are being kept.

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

आरबीआई के पास रिटेल डायरेक्ट गिल्ट (आरडीजी) खाता खोलने और उसे बनाए रखने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। प्राथमिक नीलामियों में बोलियां जमा करने के समय आरबीआई द्वारा कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। हालांकि, अपनी खरीद की फंडिंग करते समय लागू पेमेंट गेटवे चार्ज निवेशक को वहन करना होगा।

देशी जमा

IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम

विद्युत प्रभारों का भुगतान, सीमा शुल्क, किराये पर खरीद /पट्टा किराया किस्तों, प्रतिभूतियों की बिक्री और अन्य प्रकार के वित्तीय निभाव से संबंधित बिलों की बैंकों को बट्टे पर भुनाई नहीं करनी चाहिए।

भारतीय मुद्रा

ड़) जाली नोट/जालसाजी

जिस किसी नोट में असली भारतीय करेंसी नोट की विशेषताएँ नहीं पाई जाती हैं वह संदिग्ध जाली नोट, प्रतिरूपित नोट अथवा नकली नोट वह नोट होता है ।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

के. विविध

उत्तर: हां। ईसीबी का इक्विटि में आंशिक परिवर्तन करने के लिए मुक्त रूप से अनुमति तब ही दी जाएगी जब ईसीबी के रुप में रहनेवाली शेष राशि ईसीबी संबंधी सभी दिशानिर्देशों का अनुपालन करती हो।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले

नहीं। इन समितियों का गठन वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए होता है और वे केवल अपने सदस्यों से ही जमाराशियां स्वीकार कर सकती है, न कि जनता से।

भारत में विदेशी निवेश

III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश

उत्तर: किसी निवेश माध्यम जिसका प्रयोजक अथवा प्रबंधक अथवा निवेश प्रबंधक का (i) निवासी भारतीय नागरिकों के पास स्वामित्व तथा नियंत्रण नहीं है अथवा (ii) उसका स्वामित्व तथा नियंत्रण भारत के बाहर निवास करने वाले व्यक्तियों के पास है द्वारा भारतीय कंपनी अथवा एलएलपी में किया गया निवेश निवेश प्राप्त कर्ता कंपनी अथवा एलएलपी, जैसी स्थिति हो, के लिए अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश होगा।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Extent of regulations over NBFCs accepting public deposits and not accepting public deposits

The NBFCs accepting public deposits shall furnish to RBI Certificate from the Auditors regarding solvency of the company in repayment of the deposits as and when the claims arise; Balance Sheet and the Auditors’ Reports submitted to the Board of Directors as also to the Shareholders of the company; Statutory Annual Return on deposits in the First Schedule; Quarterly Return on liquid assets; Half-yearly Return on prudential norms; and a copy of the Credit Rating once a year alongwith one of the Half-yearly Returns on prudential norms as at (v) above.

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

प्रतिभूतियों को निपटान तिथि पर आपके रिटेल डायरेक्ट खाते में जमा किया जाएगा, जो आमतौर पर व्यापार तिथि/नीलामी तिथि के बाद का कार्य दिवस है।

देशी जमा

IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम

गैर-बैंकिंग गैर-वित्तीय कंपनियों की सार्वजनिक जमाराशि योजनाओं के अंतर्गत बैंकों द्वारा अपनी निधियों के निवेश पर कोई प्रतिबंध नहीं है, परंतु ऐसी कंपनियों की सार्वजनिक जमाराशि योजना में किया गया निवेश बैंकों द्वारा अपने तुलनपत्र में तथा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अंतर्गत भेजी गयी विवरणियों में ऋण/अग्रिम के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

के. विविध

उत्तर: नहीं ।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले

जी हां, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के जमाकर्ताओं को नामांकन की सुविधा उपलब्ध है। नामांकन की सुविधा के नियम, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45थब में दिए गए हैं। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बैंक विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 45यक के अंतर्गत बनाये गये बैंकिंग कंपनियां (नामांकन) नियम, 1985 अपनाने को कहा गया है। तदनुसार, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के जमाकर्ता/ओं को एक व्यक्ति को नामांकित करने की अनुमति दी गई है, जिसे जमाकर्ता/ओं की मृत्यु हो जाने की दशा में गैर बैंकिंग कंपनी जमाराशि लौटा सके। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सूचित किया गया है कि वे उक्त नियमों में विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार फार्म डीए 1 में जमाकर्ताओं द्वारा किए गए नामांकन स्वीकार करें और क्रमश: नामांकन निरस्त किए जाने के लिए फार्म डीए 2 और नामांकन में परिवर्तन करने के लिए फार्म डीए 3 का प्रयोग करें।

भारत में विदेशी निवेश

III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश

उत्तर: वैकल्पिक (अल्टरनेटिव) निवेश निधि श्रेणी III जिसे कोई विदेशी निवेश प्राप्त हुआ है वो केवल उन सिक्युरिटीज अथवा लिखतों में ही पोर्टफोलियो निवेश कर सकती हैं जिनमें अधिनियम तथा उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों अथवा विनियमों के अधीन निवेश करने की अनुमति है।

भारतीय मुद्रा

ड़) जाली नोट/जालसाजी

जाली नोट की पहचान असली भारतीय करेंसी नोट में मौजूद सुरक्षा विशेषताओं के आधार पर की जा सकती है । नोट को देखने, छूने तथा झुका कर देखने पर ये विशेषताएँ आसानी से पहचानी जा सकती हैं । भारतीय बैंक नोटों मे मौजूद सुरक्षा विशेषताओं के बारे मे जानकारी www.rbi.org.in  > कार्य-वार साइटें > मुद्रा प्रबंधन > पैसा बोलता है https://rbi.org.in/hi/web/rbi/rbi-kehta-hai/know-your-banknotes पर उपलबद्ध हैं।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Extent of regulations over NBFCs accepting public deposits and not accepting public deposits

The NBFCs except RNBCs not accepting/holding public deposits are not required to submit to RBI their Statutory Returns in the First Schedule or the Balance Sheet or the Quarterly Liquid Asset Return or the Half-yearly Prudential Norm Return. However, all the NBFCs (other than those exempted - see answer to question No. 1) are required to be Registered with RBI and and also make sure that they continue to be eligible to remain Registered. RBI has powers to cause Inspection of the Books of any company and call for any other information about its business activities. For this purpose, the NBFCs are required to furnish the information in respect of any change in the composition of their Board of Directors, address of the company and its Directors and the name/s of its Auditors.

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

नहीं। हालांकि, खरीदी गई प्रतिभूतियां आपके रिटेल डायरेक्ट खाते में धारिता विवरण में प्रतिबिंबित होंगी।

देशी जमा

IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम

बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बांड के आबंटन पत्र निम्नलिखित शर्तों के अधीन खरीद सकते हैं -i. अंतर बैंक लेनदेन को छोड़कर सभी लेनदेन केवल मान्यता प्राप्त शेयर बाज़ारों और पंजीकृत दलालों के माध्यम से किए जाने चाहिए।ii. बांड खरीदते समय बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसे प्रतिभूति का स्पष्ट हक मिलता है तथा द्वितीयक बाजार में उस प्रतिभूति का क्रय-विक्रय किया जा सकता है।iii. इस प्रकार का लेनदेन करने के लिए बैंक को बोर्ड के अनुमोदन से अपना आंतरिक दिशानिर्देश निर्धारित करना चाहिए।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

भाग II: व्यापार ऋण (टीसी)

उत्तर: एडी बैंक विदेशी मुद्रा में समुद्रपारीय उधारदाताओं से अल्पावधि व्यापार वित्त का लाभ उठाने के लिए अपने ग्रहकों की ओर से एसबीएलसी जारी कर सकते हैं लेकिन इस शर्त के अधीन कि इस प्रकार से जारी की गई एसबीएलसी समय-समय पर संशोधित “गारंटियां तथा सहस्वीकृतियां” पर बैंकिंग विनियमन विभाग के दिनांक 1 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र सं.डीबीआर.सं.डीआईआर.बीसी.11/13.03.00/2015-16 में निहित प्रावधानों का अनुपालन करती हो ।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक से पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त करना है परंतु ऐसा किए बगैर कार्य करना कानून का उल्लंघन है। ऐसी कंपनियों पर भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। ऐसी संस्थाओं की पहचान हेतु, भारतीय रिज़र्व बैंक के पास सूचना के अनेक स्रोत है। इसमें बाजार आसूचना, प्रभावित पार्टियों से प्राप्त शिकायतें, औद्योगिक स्रोत तथा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी लेखा परीक्षकों का रिपोर्ट (रिजर्व बैंक) निदेश 2008 के अनुसार सांविधिक लेखा परीक्षकों द्वारा प्रस्तुत अपवाद रिपोर्ट शामिल है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक तिमाही सभी केन्द्र शासित प्रदेश /राज्यों में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा राज्य स्तरीय समन्वय समिति (एसएलसीसी) आयोजित की जाती है। एसएलसीसी की अध्यक्षता अब संबंधित राज्य के मुख्य सचिव/ केन्द्र साशित प्रदेश के प्रशासक द्वारा की जाती है तथा सदस्यों के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक के अलावा, एमसीए/ आरओसी के क्षेत्रीय निदेशक, सेबी का स्थानीय युनिट, चिट रजिस्ट्रार, आइसीएआइ, राज्य पुलिस का आर्थिक अपराध ईकाइ तथा राज्य सरकार के गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय के अधिकारी होते है। जैसा कि वित्तीय क्षेत्र के सभी संबंधित विनियामक तथा प्रवर्तक ऐजेंसिया एसएलसीसी में भाग लेते है, अत: इससे सूचना का आदान प्रदान शीघ्रता से होगा तथा अप्राधिकृत और संदेहजनक कारोबार के माध्यम से सार्वजनिक जमाराशियों को जुटाने में संलिप्त संस्थाओं के विरूद्ध नियत समय में प्रभावी कार्रवाई की जा सकेगी।

भारत में विदेशी निवेश

IV. रिपोर्टिंग में विलंब

उत्तर: 7 नवंबर 2017 को अथवा उसके बाद किए गए लेनदेन के मामलों में रिपोर्टिंग करने में विलंब होने पर रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश के भाग IV में दिए गए अनुसार रिपोर्टों को फ़ाइल करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति/ एंटीटी पर विलंब से प्रस्तुति के लिए लगाए गए शुल्क का भुगतान करने का दायित्व होगा। एलएसएफ़ का भुगतान करना कंपाउंडिंग क्रियाविधि से गुजरे बिना रिपोर्टिंग में हुए विलंब को नियमित करने का एक अतिरिक्त विकल्प है।

भारतीय मुद्रा

ड़) जाली नोट/जालसाजी

बैंकनोटों की जालसाजी/जाली तथा नकली नोटों का असली नोटों के रूप में उपयोग करना/जाली या नकली बैंकनोट रखने/बैंक नोटों की जालसाजी अथवा नकली बनाने के लिए उपकरणों या सामग्री को रखना/ बैंकनोट के समान दिखने वाले दस्तावेज़ का उपयोग करना अथवा बनाना भारतीय न्याय संहिता (2023) की धारा 178 से 182 के तहत अपराध है तथा इसके लिए न्‍यायालयों द्वारा जुर्माना लगाया जा सकता है या सात साल से लेकर आजीवन कारावास दिया जा सकता है अथवा दोनों सजाएं दी जा सकती हैं, जो किए गए अपराध पर निर्भर होंगी ।

भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 के तहत उच्च गुणवत्‍ता वाली प्रतिरूपित भारतीय करेंसी संबंधी अपराधों संबंधी अन्वेषण नियम, 2013 तैयार किया है । अधिनियम की तीसरी अनुसूची में उच्च गुणवत्‍ता वाले प्रतिरूपित भारतीय करेंसी नोट को परिभाषित किया गया है । उच्‍च गुणवत्‍ता वाले प्रतिरूपित भारतीय नोट के उत्‍पादन, तस्करी करने या संचरण की गतिविधि को भारतीय न्याय संहिता, 2023 के दायरे में लाया गया है ।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Repayment of matured deposits

There had been instances when some companies had not paid matured deposits on due dates and such claims have been honoured after some delay. The companies did not pay any interest for the delayed period in the absence of any specific provisions in the Reserve Bank Directions in this regard in the past. A provision has, therefore, been inserted subsequently in the Non-Banking Financial Companies Acceptance of Public Deposits (Reserve Bank) Directions dated 31.1.1998 to the effect that interest is payable to the depositors only in case the company has delayed the repayment of matured deposits, from the date of receipt of such claim by the company or the date of maturity of the deposit whichever is later, till the date of actual payment. If the depositor has lodged his claim after the date of maturity, the company would be liable to pay interest for the period from the date of claim till the date of repayment. In other words, for the period between the date of maturity and the date of claim it is the discretion of the company to pay interest.

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

प्रतिभूतियों को आरबीआई के साथ गिल्ट खाते में रखा जाएगा।

देशी जमा

IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम

ऋणों /अग्रिमों की प्रतिभूति के रूप में बैंकों द्वारा स्वीकृत शेयरों /डिबेंचरों /बांडों का मूल्य निर्धारण मौजूदा बाजार मूल्य के आधार पर किया जाना चाहिए।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

भाग II: व्यापार ऋण (टीसी)

उत्तर: एडी बैंकों को एडी बैंकों/ रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा विलंबित आयात देयताओं के निपटान के लिए प्रदान की गई सभी अनुमतियों की रिपोर्ट करनी होती है।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले

नहीं। प्रोप्राइटरशिप/भागीदारी कंपनियाँ अनिगमित निकाय हैं। अतएव उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत जनता से जमाराशियां स्वीकार करने से प्रतिबंधित किया है।

भारत में विदेशी निवेश

IV. रिपोर्टिंग में विलंब

उत्तर: एलएसएफ़ का भुगतान करना कंपाउंडिंग क्रियाविधि से गुजरे बिना रिपोर्टिंग में हुए विलंब को नियमित करने के लिए एक अतिरिक्त सुविधा है। तथापि इसका यह अर्थ नहीं है कि आवेदक कंपाउंडिंग के लिए आवेदन नहीं कर सकता है। 7 नवंबर 2017 को अथवा उसके बाद किए गए लेनदेन के लिए आवेदक को दोनों विकल्प उपलब्ध हैं।

भारतीय मुद्रा

ड़) जाली नोट/जालसाजी

जाली नोट रखने मात्र से सजा नहीं होती है । किसी बैंक नोट के जाली अथवा प्रतिरूपित होने के बारे में जानकारी होने या ऐसा मानने के पीछे कारण होने, और उसे असली नोट की तरह प्रयोग करने का इरादा होने या उसे असली नोट की तरह प्रयोग किया जा सकने की जानकारी के साथ जाली या प्रतिरूपित बैंकनोट रखना भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 180 के तहत न्यायालय मे जुर्माना या सात साल तक की सजा या दोनों के लिए दंडनीय है ।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Repayment of matured deposits

In terms of section 45QA of the Reserve Bank of India Act, 1934, where an NBFC fails to repay any deposit in accordance with the agreed terms and conditions, the Company Law Board can order the company to make repayment of such deposit forthwith or within such time and subject to such conditions as may be specified in the order. The aggrieved depositor is required to submit an application in the Form prescribed by them together with the requisite fee, to the concerned bench of the Company Law Board mentioned in the Deposit Application Form and seek an Order against the erring company . Apart from above, the depositor can also approach the District/State/National Level Consumers Disputes Redressal Forum for relief against the erring company.

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

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