फेमा, 1999 के तहत उल्लंघनों की कंपाउंडिंग
उत्तर: इस संबंध में रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध ‘निदेश- फेमा 1999 के तहत उल्लंघनों का शमन’ का संदर्भ लिया जा सकता है।
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को हमारे दिनांक 4 मई 2009 के परिपत्र ग्राआऋवि.एसएमई और एनएफएस.बीसी.सं.102/06.04.01/2008-09 के द्वारा सूचित किया गया है कि वे अपने बोर्ड द्वारा विधिवत अनुमोदित एक गैर-विवेकाधीन एकमुश्त निपटान योजना की व्यवस्था करें। बैंकों को यह भी सूचित किया गया है कि वे अपनी ओटीएस नीतियों का पर्याप्त रूप से प्रचार करें।
उत्तर: ई₹ की ऑफ़लाइन सुविधा उपयोगकर्ता को सीमित या बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले स्थानों पर लेनदेन करने में सक्षम बनाती है। इससे भौतिक नकदी के लाभों को प्रतिबिंबित करने की अपेक्षा है, जिससे यह दूरस्थ क्षेत्रों में उपयोग के लिए एक विश्वसनीय समाधान बन सकता है। वर्तमान में, विभिन्न समाधानों का अन्वेषण किया जा रहा है। एक समाधान इंटरनेट के बिना लेनदेन की सुविधा देता है परंतु इसमे दूरसंचार कनेक्टिविटी की आवश्यकता होती है, जबकि दूसरा समाधान एनएफसी संचार का लाभ उठाते हुए लेनदेन का परीक्षण कर रहा है।
हाँ, शिकायतकर्ता के अधिकृत प्रतिनिधि (अधिवक्ता के अतिरिक्त) के माध्यम से शिकायत दर्ज की जा सकती है। ऐसी शिकायतें योजना में निर्धारित प्रपत्र में अधिकार-पत्र के साथ प्रस्तुत की जानी चाहिए {जिसमें प्रतिनिधि का विवरण अर्थात् नाम, पता, मोबाइल नंबर (सूचना प्राप्त करने के लिए अनिवार्य) और ई-मेल हो}।
उत्तर: संदर्भ अवधि की शुरुआत में विदेश में रखे गए कुल राशि का मतलब वह बकाया राशि होगा जो संदर्भ अवधि की शुरुआत अर्थात अप्रैल 2024 - मार्च 2025 (अप्रैल 01, 2024 को संदर्भित) की शुरुआत में विदेश से (किए गए निर्यात के लिए) प्राप्त की जानी है। यह प्राप्य खातों (निर्यात के लिए) का प्रारंभिक शेष है।
उत्तर. वी-सीआईपी चेहरे की पहचान और ग्राहक की उचित तत्परता के साथ ग्राहक पहचान की एक वैकल्पिक विधि है जो आरई को एक अधिकृत आरई अधिकारी और ग्राहक के बीच डिजिटल, सुरक्षित, लाइव, सूचित और सहमति-आधारित और लाइव ऑडियो-विजुअल बातचीत के माध्यम से ग्राहक की पहचान की जानकारी प्राप्त और सत्यापित करने की अनुमति देती है ताकि सीडीडी उद्देश्य के लिए आवश्यक पहचान जानकारी प्राप्त की जा सके। वी-सीआईपी से आरई की शाखा में प्रत्यक्ष जाने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है लेकिन इसे आमने-सामने की सीआईपी के समान ही माना जाता है। सहयोगी वी-सीआईपी की भी अनुमति है, जब बैंक ग्राहक के स्तर पर ही प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए कारोबार प्रतिनिधि (बीसी) की मदद लेते हैं।
उत्तर: नहीं।
उत्तर : जी नहीं।
परीक्षण चरण की अवधि संबंधित पीआर के सैंडबॉक्स रूपरेखा के अनुसार होगी।
बैंकों को बीएसबीडीए खोलते समय ऐसे ग्राहकों को एटीएम डेबिट कार्ड, एटीएम पिन और उससे जुड़े जोखिम के बारे में जानकारी देनी चाहिए। तथापि, यदि ग्राहक एटीएम डेबिट कार्ड न रखना
चाहता हो तो बैंकों को ऐसे ग्राहकों को जबरन एटीएम डेबिट कार्ड देने की आवश्यकता नहीं है। तथापि, यदि ग्राहक एटीएम डेबिट कार्ड रखना चाहता हो तो बैंक अपने अन्य ग्राहकों को एटीएम डेबिट कार्ड और पिन सौंपने के लिए अपनाई जा रही पद्धति अपनाते हुए सुरक्षित सुपुर्दगी चैनलों के माध्यम से बीएसबीडीए ग्राहकों को वह उपलब्ध कराए।
Ans : The advantages of ECS Debit to customers are many and include,
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ECS Debit mandates will take care of automatic debit to customer accounts on the due dates without customers having to visit bank branches / collection centres of utility service providers etc.
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Customers need not keep track of due date for payments.
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The debits to customer accounts would be monitored by the ECS Users, and the customers alerted accordingly.
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Cost effective.
उत्तर: यदि एनईएफटी लेनदेन को बैच निपटान के दो घंटे के भीतर जमा या वापस नहीं किया जाता है, तो बैंक, इस संबंध में ग्राहक द्वारा दर्ज किए जाने वाले विशिष्ट दावे की प्रतीक्षा किए बिना वर्तमान आरबीआई एलएएफ रेपो रेट प्लस दो प्रतिशत देरी की अवधि के लिए / क्रेडिट या रिफंड की तारीख तक, जैसा भी मामला हो, तो बैंक प्रभावित ग्राहक को दंडात्मक ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है|
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आरबीआई की वर्तमान दिशानिर्देश के अनुसार, बैंक इन प्रतिभूतियों के सापेक्ष ऋणों पर ब्याज दर स्वयं निर्धारित कर सकता है, बशर्ते ऐसी ब्याज दर आधार दर पर या उससे ऊपर हो।
- अन्य जी-सेक की तरह, आईआईबी पर कूपन छमाही आधार पर भुगतान किए जाएंगे।
- नियत कूपन दर, समायोजित मूलधन पर भुगतान किए जाएंगे।
उत्तर: खाते में केवल कार्यालय के व्यय हेतु सामान्य बेंकिंग चैनल के माध्यम से मुख्यालय से प्राप्त निधि और/ अथवा संविदा के अंतर्गत प्राप्य रुपया राशि, यदि कोई हो, जमा की जाएगी और अन्य कोई भी राशि रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना जमा नहीं की जानी चाहिए। उसी प्रकार इस खाते में कार्यालय के स्थानीय व्यय का वहन करने तथा परियोजना के समापन/ पूर्ति लंबित होने तक सविरामी विप्रेषणों को इस खाते में डेबिट किया जाए।
सविरामी विप्रेषणों के लिए एडी बैंक को लेनदेन की वास्तविकता से संतुष्ट होना चाहिए और निम्नलिखित दस्तावेजों की प्रस्तुति को सुनिश्चित करना चाहिए:
ए) लेखा-परीक्षक/ सनदी लेखाकार द्वारा इस आशय का प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाए कि आयकर, आदि सहित भारत में शेष देयताओं के लिए पर्याप्त प्रावधान कर लिया गया है।
बी) पीओ से इस आशय का वचनपत्र कि इस विप्रेषण से भारत में परियोजना पूरी होने में कोई असर नहीं पड़ेगा एवं भारत में किसी भी तरह की देयता हेतु निधि कम पड़ने पर विदेश से आवक विप्रेषण मंगा कर इसे पूरा किया जाएगा।
उत्तर
बैंकों द्वारा बीएसबीडीए खोलते समय ऐसे ग्राहकों को एटीएम डेबिट कार्ड, एटीएम पिन और इससे जुड़ी जोखिमों के बारे में शिक्षित करना चाहिए। तथापि, यदि ग्राहक एटीएम डेबिट कार्ड नहीं रखना चाहता है तो बैंकों को ऐसे ग्राहकों पर एटीएम डेबिट कार्ड थोपने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, यदि ग्राहक एटीएम डेबिट कार्ड का विकल्प चुनते हैं, तो बैंकों द्वारा बीएसबीडीए धारकों को सुरक्षित वितरण चैनलों के माध्यम से उसी प्रक्रिया को अपनाते हुए प्रदान किया जाना चाहिए, जिसे वे अपने अन्य ग्राहकों को एटीएम डेबिट कार्ड और पिन की डिलीवरी के लिए अपनाते रहे हैं।
एक विशिष्ट कार्यशील पूंजी ऋणदाता के लिए, जहां एक्सपोजर मीयादी ऋण के अलावा अन्य सुविधाओं के रूप में है, वहां समाधान योजना के कार्यान्वयन के बाद एक वर्ष के लिए कार्यशील पूंजी सुविधा के संतोषजनक प्रदर्शन2 के बाद प्रावधानों को वापस लिया जा सकता है।
कार्यशील पूंजी सीमा (कार्यशील पूंजी ऋण) के बकाया 'उधार घटक' के संबंध में, समाधान ढांचा 1.0 के पैराग्राफ 453 लागू होंगे, जो, निर्धारित शर्तों के अधीन, प्रत्येक चरण में अवशिष्ट/धारित ऋण के निर्धारित अनुपात के पुनर्भुगतान पर प्रावधानों के दो चरण के रिवर्सल के लिए प्रदान करता है।
उत्तर: दिनांक 30 जून 2014 के ए. पी. (डीआईआर) परिपत्र सं. 151 के अनुसार अनिवासियों को विप्रेषण की अनुमति देते समय स्रोत पर कर कटौती के संबंध में जिस क्रियाविधि का पालन करना है उस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक फेमा के अंतर्गत कोई अनुदेश जारी नहीं करेगा। एडी बैंकों के लिए कर संबंधी यथालागू क़ानूनों की अपेक्षाओं का अनुपालन करना अनिवार्य होगा।
उत्तर: अधिक जानकारी आरबीआई द्वारा जारी निम्नलिखित परिपत्रों - DPSS.CO.PD No.1463/02.14.003/2018-19 दि. जनवरी 8, 2019, CO.DPSS.POLC.No.S-469/02-14-003/2021-22 दि. अगस्त 25, 2021 तथा CO.DPSS.POLC.No.S-516/02-14-003/2021-22 दि. सितंबर 07, 2021 में पाई जा सकती है।
At the time of making applications, the Promoters/Promoter Group will have to furnish a road map and methodologies they would adopt to comply with all the requirements of the corporate structure indicated in para 2 (C)(ii) and (iii) of the guidelines and realign the business between the entities to be held under the NOFHC [para 2(C)(iv) of the guidelines] within a period of 18 months. After the ‘in-principle approval’ is accorded by RBI for setting up of the bank, the actual setting up of NOFHC and the bank, re-organization of the Promoter Group entities to bring the regulated financial services entities under the NOFHC as well as realignment of business among the entities under the NOFHC have to be completed within a period of 18 months from the date of in-principle approval or before commencement of banking business, whichever is earlier.
हां, बैंक एमएसई उद्यमियों को निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करते हैं:
(i) ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई)
ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) की पहल पर, पूरे देश में विभिन्न बैंकों द्वारा ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई) स्थापित किए गए हैं। इन ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों का प्रबंधन बैंकों द्वारा भारत सरकार और राज्य सरकारों के सक्रिय सहयोग से किया जाता है। निरंतर बदलते वैश्विक बाजार में मौजूदा उद्यमियों को प्रतिस्पर्धी होने में मदद करने के लिए आरएसईटीआई विभिन्न छोटी अवधि (अधिमानतः 1 से 6 सप्ताह तक) के कौशल उन्नयन कार्यक्रम आयोजित करते हैं। आरएसईटीआई यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके द्वारा प्रशिक्षित उम्मीदवारों की एक सूची क्षेत्र की सभी बैंक शाखाओं को भेजी जाए और सरकार द्वारा प्रायोजित किसी भी योजना या प्रत्यक्ष ऋण के तहत वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने हेतु उनके साथ समन्वय किया जाए।
(ii) वित्तीय साक्षरता और परामर्श सहायता:
बैंकों को सूचित किया गया है कि वे या तो अपनी शाखाओं में अलग से विशेष प्रकोष्ठ स्थापित करें, या उनके तुलनात्मक लाभ के अनुसार उनके द्वारा स्थापित वित्तीय साक्षरता केंद्रों (एफएलसी) में इस कार्य को सीधे तौर पर एकीकृत करें। इन एफएलसी के माध्यम से, बैंक एमएसई उद्यमियों को वित्तीय साक्षरता, परिचालन कौशल, जिसमें लेखांकन और वित्त, व्यवसाय योजना आदि शामिल हैं, के संबंध में सहायता प्रदान करते हैं (दिनांक 1 अगस्त 2012 परिपत्र ग्राआऋवि.एमएसएमई और एनएफएस.बीसी.सं.20/06.02.31/2012-13 को देखें)।
साथ ही, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) द्वारा संचालित वित्तीय साक्षरता केंद्रों को दिनांक 02 मार्च 2017 के हमारे परिपत्र विसविवि.एफएलसी.बीसी.सं.22/12.01.018/2016-17 द्वारा लक्ष्य विशिष्ट वित्तीय साक्षरता शिविर, जिसमें पहचाने गए लक्षित समूहों में से एक एमएसई है, आयोजित करने हेतु सूचित किया गया है।
उत्तर: प्रोग्रामेबिलिटी विशेषता प्रायोजक इकाई (सरकार / कॉर्पोरेट) या उपयोगकर्ता को यह सुनिश्चित करने की अनुमति देती है कि सीबीडीसी वॉलेट में उपलब्ध राशि का उपयोग किसी विशिष्ट, निर्दिष्ट उद्देश्य के लिए ही किया जाए। इसे समाप्ति तिथि, भौगोलिक स्थान, मर्चेंट श्रेणी कोड, मर्चेंट वीपीए आदि जैसे विभिन्न मापदंडों पर प्रोग्राम किया जा सकता है। वर्तमान में, प्रोग्रामेबिलिटी का उपयोग प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजनाओं, ब्याज अनुदान योजना, ऋण, परिभाषित उद्देश्यों के लिए कर्मचारी भत्ते जैसे क्षेत्रों में इसके संभावित उपयोग मामलों की पहचान और अन्वेषण किया जा रहा है।
उत्तर: 'विदेश में रखी गई राशि' वह बकाया राशि है जो कंपनी द्वारा अभी तक आयातकों से प्राप्त की जानी है अर्थात कंपनी द्वारा किए गए निर्यात के लिए भुगतान न की गई राशि। Q-7(v) विदेश में रखी गई राशि में परिवर्तन है जो कि क्लोजिंग बैलेंस माइनस ओपनिंग बैलेंस के बराबर है। सन्दर्भ अवधि 2024-25 के लिए अप्रैल 01, 2024 को प्रारंभिक शेष और मार्च 2025 के अंत में अंतिम शेष।
निवारण की गति कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे मामले की जटिलता, आरई द्वारा दस्तावेजों को समय पर प्रस्तुत करना, ओम्बड्समैन कार्यालयों में शिकायतों की मात्रा आदि।
हालांकि, नई प्रणाली के तहत, सीएमएस शिकायतकर्ता और आरई को तत्काल सूचनाएं भेजता है और दोनों पक्षों के लिए सभी शिकायत संबंधी संचार के लिए एकल बिंदु संदर्भ के रूप में कार्य करता है, जिससे अनुचित देरी को रोका जा सकता है। अन्य सभी बातें समान रहने पर, सभी विवरणों के साथ सीधे सीएमएस पर दर्ज की गई शिकायतों का तेजी से निवारण होता है।
उत्तर: नहीं, चेहरे पर विशिष्ट हाव-भाव जैसे पलकें झपकाना, मुस्कुराना, भौंहें चढ़ाना आदि जीवंतता (लाइवनेस) जांच के लिए अनिवार्य नहीं हैं। आरई को जीवंतता जांच के दौरान ग्राहक की विशेष आवश्यकता, यदि कोई हो, का उचित संज्ञान लेना आवश्यक है।
उत्तर: व्यापारिक साझेदार देश के प्रतिनिधि बैंक के विशेष रुपया वोस्ट्रो खाते में होने वाले लेनदेन की रिपोर्टिंग के लिए भारत में स्थित एडी बैंक जिम्मेदार होगा।
उत्तर: जी हाँ। जीएमएस के अंतर्गत बैंकों द्वारा जारी जमा प्रमाणपत्रों के संपार्श्विक पर रुपी ऋण का लाभ लिया जा सकता है।
आईओआरएस के तहत सफल परीक्षण के पश्चात, संस्था अपने उत्पाद को बाज़ार में लॉन्च करने से पहले आवश्यक प्राधिकरण और विनियामक अनुमोदन प्राप्त करने के लिए संबंधित पीआर और एआर से संपर्क कर सकती है। संबंधित विनियामकों के निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होंगे। आईओआरएस से सफलतापूर्वक निकास करने वाले उत्पाद को व्यापक रूप से अपनाने के लिए संबंधित विनियामक द्वारा प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से प्रकाशित किया जाएगा।
Ans : User institutions enjoy many benefits from the ECS Debit Scheme like,
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Savings on administrative machinery and costs of collecting the cheques from customers, presenting in clearing, monitoring their realisation and reconciliation.
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Better cash management because of realisation / recovery of dues on due dates promptly and efficiently.
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Avoids chances of loss / theft of instruments in transit, likelihood of fraudulent access to the paper instruments and encashment thereof.
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Realisation of payments on a uniform date instead of fragmented receipts spread over many days.
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Cost effective.
उत्तर: आप आरटीजीएस सहायता केंद्र / आरबीआई के संपर्क बिंदु rtgsmumbai@rbi.org.in पर संपर्क कर सकते हैं।
उत्तर: विप्रेषक द्वारा अपने आवेदन/निर्देश में लिखे/दिए गए खाता संख्या को क्रेडिट दिया जाता है। लाभार्थी के खाते में क्रेडिट केवल खाता संख्या के आधार पर जारी किया जाता है। ग्राहक को सही खाता संख्या लिखने की जिम्मेदारी है। प्रवर्तक/प्रेषक को एनईएफटी प्रेषण निर्देश/आवेदन में लाभार्थी का सही खाता संख्या प्रदान करने में उचित सावधानी बरतनी चाहिए।
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15 मई 2013 को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में निर्दिष्ट के अनुसार, आईआईबी 4 जून 2013 को शुरू हुआ और 2013-14 के दौरान प्रत्येक माह के अंतिम मंगलवार को उक्त जारी किया। इसमे जून 2013 का अंतिम मंगलवार भी शामिल होगा।
उत्तर
हाँ। हमारे दिनांक 11 अक्टूबर 2006 के परिपत्र संख्या आरपीसीडी. सीओ. आरएफ. बीसी. 28/07.40.06/2006-07 और दिनांक 13 अक्टूबर 2006 के परिपत्र संख्या आरपीसीडी. सीओ. आरआरबी. बीसी. सं. 29/03.05.28-ए/2006-07 में निहित निर्देशों के अनुसार बीएसबीडीए धारकों को पासबुक की सुविधा निःशुल्क प्रदान की जानी चाहिए।
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बाज़ार उधारी के रूप में जारी सरकारी प्रतिभूतियों को प्रयोज्य वर्तमान कराधान, इन प्रतिभूतियों को लागू होगी।
उत्तर: हाँ।
ऋण देने वाली संस्थाएं समाधान योजना के कार्यान्वयन के समय अवशिष्ट ऋण पर प्रावधान करेगी, जैसा कि संबंधित समाधान ढांचे में निर्धारित किया गया है। इन प्रावधानों को तब तक बनाए रखने की आवश्यकता है, जब तक कि उन्हें संबंधित समाधान ढांचे में निहित शर्तो के अनुसार वापस लिया जाए। पुनर्भुगतान या अतिरिक्त राशि के वितरण के कारण बकाया राशि में हुये परिवर्तन से प्रावधानों मे कोई बदलाव नहीं आएगा।
जी हां, बीएसबीडीए धारकों को दिनांक 16 अक्तूबर 2006 का परिपत्र सं शबैवि.बीपीडी(पीसीबी)सं.15/09. 39.000/2006-07 में निहित अनुदेशों के अनुसार मुफ्त में पासबुक सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।
उत्तर: एलएलपी एक निगमित निकाय है और वह अपने साझेदारों से अलग विधिक संस्था है। अतः यदि उक्त एलएलपी उसके लाभ हेतु उच्चतर अध्ययन कर रहें साझेदारों के शिक्षा व्यय का वहन कर रही है तो वह व्यय व्यक्तिगत साझेदारों की एलआरएस सीमा के बाहर होगा और उसे एलएलपी द्वारा किसी सीमा के बिना किए गए अवशिष्ट चालू खाता लेनदेन समझा जाएगा।
ये अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा केवल सूचना और सामान्य मार्गदर्शन उद्देश्यों के लिए जारी किए जाते हैं। इसके आधार पर की गई कार्रवाइयों और / या निर्णयों के लिए बैंक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। स्पष्टीकरण या व्याख्या के लिए, यदि कोई हो, तो बैंक द्वारा समय-समय पर जारी प्रासंगिक परिपत्रों और अधिसूचनाओं द्वारा निर्देशित हो सकते है।
उत्तर: वर्तमान में, 15 बैंक सीबीडीसी वॉलेट प्रदान कर रहे हैं। ऐप डाउनलोड करने के लिए नाम और लिंक नीचे उल्लिखित हैं।
पायलट बैंक | ऐप का नाम | एंड्रॉयड | आईओएस |
भारतीय स्टेट बैंक | ई-रूपी बाय एसबीआई | एंड्रॉयड | आईओएस |
आईसीआईसीआई बैंक | डिजिटल रूपी बाई आईसीआईसीआई बैंक | एंड्रॉयड | आईओएस |
आईडीएफ़सी फ़र्स्ट बैंक | आईडीएफ़सी फ़र्स्ट बैंक डिजिटल रूपी | एंड्रॉयड | आईओएस |
येस बैंक | येस बैंक डिजिटल रूपी | एंड्रॉयड | आईओएस |
एचडीएफ़सी बैंक | एचडीएफ़सी बैंक डिजिटल रूपी | एंड्रॉयड | आईओएस |
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया | डिजिटल रूपी बाई यूबीआई | एंड्रॉयड | आईओएस |
बैंक ऑफ बड़ौदा | बैंक ऑफ बड़ौदा डिजिटल रूपी | एंड्रॉयड | आईओएस |
कोटक महिंद्रा बैंक | डिजिटल रूपी बाई कोटक बैंक | एंड्रॉयड | आईओएस |
केनरा बैंक | केनरा डिजिटल रूपी | एंड्रॉयड | आईओएस |
एक्सिस बैंक | एक्सिस मोबाइल डिजिटल रूपी | एंड्रॉयड | आईओएस |
इंडसइंड बैंक | डिजिटल रूपी बाई इंडसइंड बैंक | एंड्रॉयड | आईओएस |
पंजाब नेशनल बैंक | पीएनबी डिजिटल रूपी | एंड्रॉयड | आईओएस |
फेडरल बैंक | फेडरल बैंक डिजिटल रूपी | एंड्रॉयड | आईओएस |
कर्नाटक बैंक | कर्नाटक बैंक डिजिटल रूपी | एंड्रॉयड | आईओएस |
इंडियन बैंक | इंडियन बैंक डिजिटल रूपी | एंड्रॉयड | आईओएस |
नहीं, आरई के ग्राहक के लिए आरबी-आइओएस, 2021 के तहत शिकायत दर्ज करने या उसका समाधान करने के लिए कोई प्रभार या शुल्क नहीं है। इसके अलावा, शिकायतकर्ता को आरबीआई ओम्बड्समैन के पास शिकायत दर्ज करने के लिए किसी तृतीय-पक्ष एजेंसी से संपर्क करने या किसी शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। शिकायतकर्ता प्रश्न 16 में उल्लिखित किसी भी तरीके से स्वयं या प्रतिनिधि के माध्यम से अपनी शिकायतें दर्ज कर सकते हैं।
उत्तर: हां, यह संदर्भ अवधि के दौरान वास्तव में प्राप्त (वसूली) राशि है जिसमें विदेशों में सहायक कंपनियों/सहयोगियों की बिलिंग शामिल है।
उत्तर: चूंकि लेन-देन भारतीय रुपये में निपटाए जाएंगे, अतः यह भारतीय निर्यातकों और आयातकों के लिए विनिमय दर जोखिम को कम करेगा।
उत्तर. वी-सीआईपी का उपयोग निम्नलिखित प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए किया जा सकता है:
(ए) नए व्यक्तिगत ग्राहक को शामिल करने, स्वामित्व फर्म के मामले में स्वामी, वैध इकाई ग्राहकों के मामले में अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता और लाभकारी स्वामी के मामले में सीडीडी का कार्य करना;
(बी) आधार ओटीपी आधारित ई-केवाईसी अधिप्रमाणन का उपयोग करके अप्रत्यक्ष मोड में खोले गए मौजूदा खाते को परिवर्तित करने के लिए; और
(सी) पात्र ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड के अद्यतन/आवधिक अद्यतन के लिए।
उत्तर: जी हाँ।
आईओआरएस के लिए मानक संचालन प्रक्रिया को निम्नलिखित लिंक के माध्यम से देखा जा सकता है: - FinTech
Ans : The banking system has many benefits from ECS Debit such as –
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Freedom from paper handling and the resultant disadvantages of handling, receiving and monitoring paper instruments presented in clearing.
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Ease of processing and return for the destination bank branches. Destination bank branches can debit the customers’ accounts after matching the account number of the customer in their database and due verification of existence of valid mandate and its particulars. With core banking systems in place and straight-through-processing, this process can be completed with minimal manual intervention.
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Smooth process of reconciliation for the sponsor banks.
- Cost effective.
बैंक ऑफ पापुआ न्यू गिनी द्वारा अपनी वेबसाइट www.bankpng.gov.pg जारी सार्वजनिक सूचना (https://www.bankpng.gov.pg/wp-content/uploads/2014/08/Full-page_-potrait_Paper-Bank-Notes2.pdf) के अनुसार 30 जून 2012 को पापुआ न्यू गिनी के कागजी बैंकनोट वैध मुद्रा नहीं रहे और पापुआ न्यू गिनी में केवल पॉलीमर बैंकनोट ही वैध मुद्रा हैं। इसके अलावा, बैंक ऑफ पापुआ न्यू गिनी ने बैंक नोटों की निम्नलिखित श्रृंखलाओं की जानकारी भी दी है जो उनके द्वारा कभी जारी ही नहीं किए गए थे (और यूरोप में एक रिसाइकलर को बेचे गए थे) और इसलिए पापुआ न्यू गिनी में वे वैध मुद्रा नहीं हैं:
मूल्यवर्ग | प्रीफिक्स | क्रमांक | |
निम्न | उच्च | ||
K2 | ABJ - AJS | 000001 | 003000 |
K10 | AC - AY | 030000 | 031000 |
NBP- NES | 160000 | 173000 | |
K20 | BPNG | 0000001 | 3000000 |
K50 | HTT - HUU | 080000 | 090000 |
K100 | BPNG | 0000001 | 6000000 |
(बैंक ऑफ पापुआ न्यू गिनी से प्राप्त अनुराध पर प्रकाशित)
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नियत दर परंपरागत बॉन्ड के मामले में, आईआईबी को प्रतिफल आधारित के माध्यम से निर्गम किया जाएगा और उसके बाद पुननिर्गम मूल्य आधारित नीलामी के माध्यम से होगा।
इस संदर्भ में प्रश्नों को ई-मेल में भेजा जा सकता है।
उत्तर
बीएसबीडीए खोलते समय ग्राहकों की लिखित में सहमति प्राप्त की जानी चाहिए कि उनके मौजूदा गैर-बीएसबीडीए बचत बैंक खाते बीएसबीडीए खोलने के 30 दिनों के बाद बंद कर दिए जाएंगे और बैंक 30 दिनों के बाद ऐसे खातों को बंद करने के लिए स्वतंत्र हैं।
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भारत सरकार की प्रतिभूतियों को लागू वर्तमान कराधान इन प्रतिभूतियों को भी लागू होगी।
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आयकर अधिनियम 1961 के खंड 193 के उप-खंड (iv) के अनुसार केंद्र सरकार और राज्य सरकार के किसी भी प्रतिभूति पर किसी भी ब्याज पर कोई कर की कटौती नहीं की जाएगी, बशर्ते कि इस खंड में निहित कुछ भी वित्तीय वर्ष के दौरान 8% बचत (कर योग्य) बांड, 2003 पर देय दस हजार रुपये से अधिक ब्याज पर लागू नहीं होगा।
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उक्त खंड के अनुसार, आईआईएनएसएस-सी पर भुगतान योग्य किसी ब्याज से भी टीडीएस की कटौती नहीं की जाएगी, जब तक सरकार से अन्यथा संदर्भित न हो।
उत्तर: जहां कहीं बीओ अथवा पीओ को फेमा के अंतर्गत यथालागू दिशानिर्देशों के भीतर भारत के बाहर निधियाँ विप्रेषित करनी हो, वहाँ यह आवश्यक नहीं है कि वे नामित श्रेणी-I बैंक के माध्यम से ही करें बल्कि वे नामित एडी श्रेणी-I बैंक से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त करने की शर्त के अधीन अपनी पसंद के किसी भी एडी श्रेणी-I बैंक के माध्यम से ऐसा कर सकते हैं। विप्रेषण कॅश/ टॉम/ स्पॉट आधार पर निपटाए जाने वाले लेनदेन के लिए ही होंगे। विप्रेषण बैंकिंग चैनल के माध्यम से निम्न दो में से किसी एक पद्धति से होगा:
(1) नामित श्रेणी-I बैंक भारतीय रुपये में समतुल्य राशि को लेनदेन का कार्य करने वाले बैंक को अंतरित करेगा। लेनदेन करने वाला बैंक उक्त राशि बीओ/ पीओ के मूल कार्यालय को स्विफ्ट के माध्यम से प्रेषित करेगा। तथापि लेनदेन करने वाले बैंक को केवाईसी अनुपालन तथा आवश्यक प्रलेखन सुनिश्चित करना होगा। उसे यूआईएन संख्या, लाभार्थी तथा विप्रेषण संबंधी ब्यौरे सहित स्विफ्ट संदेश को नामित एडी श्रेणी-I बैंक के साथ साझा करना होगा।
(2) नामित श्रेणी-I बैंक भारतीय रुपये में समतुल्य राशि को लेनदेन करने वाले बैंक को अंतरित करेगा। लेनदेन करने वाला बैंक नामित श्रेणी-I बैंक के नॉस्ट्रो खाते में जमा करेगा और वह उक्त राशि को अंतिम लाभार्थी को प्रेषित करेगा।