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विदेशी मुद्रा (फोरेक्‍स) लेनदेन

उत्तर: एक प्राधिकृत व्‍यक्ति वह प्रतिष्‍ठान है जो भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा फोरेक्‍स कारोबार के लिए प्राधिकृत है। यह कोई प्राधिकृत डीलर हो सकता है, कोई मनी-चेंजर, विदेश स्थित बैंकिंग इकाई या फिर फेमा की धारा 10 की उप-धारा (1) के तहत प्राधिकृत कोई अन्‍य व्‍यक्ति हो सकता है। प्राधिकृत व्‍यक्तियों की सूची यहां उपलब्‍ध है।

नहीं। मॉडल शिक्षा ऋण योजना, 2022 वर्तमान में केवल अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) पर लागू है। एससीबी की सूची यहां उपलब्ध है।

उत्तर: भारतीय रुपये (आईएनआर) के माध्यम से निपटान की व्यवस्था मौजूदा प्रणाली के साथ की गई एक अतिरिक्त व्यवस्था है, जो मुक्त रूप से परिवर्तनीय मुद्राओं का उपयोग करती है और यह एक प्रकार से पूरक व्यवस्था के रूप में काम करेगी। इससे वास्तविक (मुक्त रूप से परिवर्तनीय) मुद्रा पर निर्भरता कम होगी।
उत्तर: टोकन को वापस वास्तविक कार्ड विवरण में बदलने को डी-टोकनाइजेशन के रूप में जाना जाता है।
सरकारी प्रति‍भूति अधि‍नि‍यम, 2006 का उद्देश्य सरकारी प्रति‍भूति से संबधि‍त कानून तथा आरबीआई द्वारा इसके प्रबंधन और इससे संबंधि‍त मामले में समेकन और संशोधन करना है ।
It is not necessary that individual alongwith his related parties have shareholding in the NOFHC. However, if any individual belonging to the Promoter Group chooses to become a promoter of the NOFHC, he along with his relatives (as defined in Section 6 of the Companies Act 1956) and along with entities in which he and / or his relatives hold not less than 50 per cent of the voting equity shares can hold voting equity shares not exceeding 10 per cent of the total voting equity shares of the NOFHC. [para 2 ( C ) (ii) (a) of the guidelines]

उत्तर: डेबिट कार्ड बैंको द्वारा जारी किए जाते हैं। क्रेडिट कार्ड अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (भुगतान बैंकों को छोड़कर), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (अन्य बैंकों के सहयोग से), शहरी सहकारी बैंकों, और गैर-बैंक वित्तीय कंपनियों (आरबीआई से अनुमोदन के अधीन) द्वारा जारी किए जाते हैं। प्रीपेड कार्ड पात्र बैंकों और अधिकृत गैर-बैंकों द्वारा जारी किए जाते हैं।

यहां समूह संस्थाएं का अर्थ समूह में आरबीआई विनियमित संस्थाओं को संदर्भित करती हैं, जो परिपत्र में उल्लिखित समूह संस्था की परिभाषा को पूरा करती हैं। इसलिए, यदि सनदी लेखाकार फर्म का कोई भागीदार समूह में आरबीआई विनियमित संस्था में निदेशक है, तो उक्त फर्म को समूह में आरबीआई विनियमित संस्थाओं में से किसी के एससीए/एसए के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा। हालांकि, अगर किसी लेखापरीक्षा फर्म को एससीए/एसए के रूप में नियुक्ति के लिए समूह में आरबीआई द्वारा विनियमित संस्थाओं में से किसी द्वारा विचार किया जा रहा है, जिसका भागीदार किसी भी समूह संस्था (जो आरबीआई द्वारा विनियमित नहीं है) में निदेशक है, तो उक्त लेखापरीक्षा फर्म एसीबी के साथ-साथ बोर्ड/एलएमसी को उचित प्रकटीकरण करेगा।

उत्तर: दिनांक ०२ सितंबर २०२२ के परिपत्र के अनुलग्नक I के पैरा १ में निर्दिष्ट किया गया है कि ये दिशानिर्देश 'डिजिटल उधार' पर लागू होते हैं। इसलिए, यदि कोई उधार लेनदेन 'डिजिटल उधार' की परिभाषा के तहत अर्हता प्राप्त करता है, तो ही इस तरह के उधार की सुविधा देने वाले सेवा प्रदाता को एलएसपी के रूप में नामित किया जाएगा।

उत्तर: खंड 34 के प्रावधान, जिसमें ऋण के हस्तांतरण के समय केवल नकद आधार पर हस्तांतरण अपेक्षित है, और जो बनाए रखे गए आर्थिक हित से संबन्धित है का हस्तांतरण खंड 15 के प्रावधानों का अल्पीकरण किए बिना होगा। हालांकि, यह दोहराया जाता है कि हस्तातरणकर्ता द्वारा खंड 15 के तहत आर्थिक हित के किसी भी प्रतिधारण के परिणामस्वरूप क्रेडिट विस्तार नहीं होना चाहिए।

उत्तर: आईआईबी सरकारी प्रतिभूति है और निवेश पर मास्टर परिपत्र के पैरा 2(i) में निर्दिष्ट के अनुसार वर्गीकृत किया जाना चाहिए:

वर्गीकरण

i) बैंक का सम्पूर्ण निवेश पोर्टफोलियो (एसएलआर प्रतिभूति और गैर-एसएलआर प्रतिभूति सहित) तीन वर्गों के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाना चाहिए

उदा. ‘परिपक्वता तक रखना’

‘बिक्री के लिए उपलब्ध’ और ‘ट्रेडिंग के लिए रखना’

* हालांकि, तुलन पत्र (Balance Sheet) में, निवेशों को वर्तमान 6 वर्गीकरणों के अनुसार ही वर्गीकृत जारी किया जाएगा:

उदा. क) सरकारी प्रतिभूतियाँ,

ख) अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियाँ

ग) शेयर

घ) डिबेंचर एवं बॉन्ड,

च) सब्सिडीयरी /संयुक्त उद्यम और

छ) अन्य (सीपी, म्यूचल फंड इकाई, इत्यादि)।

उत्तर: यदि कोई व्यक्ति फेमा, 1999 के किसी प्रावधान [धारा 3(ए) को छोड़कर] का उल्लंघन करता है अथवा इस अधिनियम के तहत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए जारी किये गये किसी नियम, विनियम, अधिसूचना, निदेश अथवा आदेश का उल्लंघन करता है अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा जिस शर्त के अधीन प्राधिकार जारी किया गया है, उस शर्त का उल्लंघन करता है, तो वह रिज़र्व बैंक के पास शमन के लिए आवेदन कर सकता है। फेमा, 1999 की धारा 3(ए) के तहत उल्लंघनों के शमन हेतु आवेदन प्रवर्तन निदेशालय (डीओई) को प्रस्तुत किए जाएं।


भारतीय रिज़र्व बैंक
वित्तीय बाजार परिचालन विभाग
विनिमय दर – 1945-1971

कार्य दिवसों का औसत भारतीय रुपये (आईएनआर) से 100 यूएसडी
1945-46 332.25
1946-47 331.96875
1947-48 331.75
1948-49 331.75
1949-50 407.4375
1950-51 477.50
1951-52 478.15625
1952-53 478.25
1953-54 476.25
1954-55 477.78125
1955-56 478.9375
1956-57 479.22
1957-58 478.32
1958-59 476.54
1959-60 476.80
1960-61 476.82
1961-62 477.20
1962-63 477.20
1963-64 478.29

कार्य दिवसों का औसत 1 यूएसडी के बदले 100 भारतीय रुपये (आईएनआर)
1960-61 20.97
1965-66 20.90
1966-67 20.86 / 13.20
1967-68 13.22
1968-69 13.12
1969-70 13.26
1970-71 13.23

उत्‍तर: ई₹ को बैंकों और गैर-बैंकों द्वारा व्यक्ति-से-व्यक्ति भुगतान या व्यक्ति-से-व्यापारी लेनदेन के लिए पेश किए गए ई₹ वॉलेट के माध्यम से रखा और लेन-देन किया जा सकता है। कोई व्यक्ति प्ले स्टोर या ऐप स्टोर से ई₹ ऐप डाउनलोड करके और ऐप निर्देशों का पालन करके ई₹ वॉलेट का उपयोग प्रारंभ कर सकता है। ई₹ वॉलेट का उपयोग करने के विस्तृत निर्देशों को वॉलेट प्रदान करने वाले बैंकों और गैर-बैंकों से जाँचा जा सकता है। व्यापारियों को भुगतान सीबीडीसी-क्यूआर कोड या संबंधित व्यापारी स्थान पर उपलब्ध यूपीआई-क्यूआर कोड को स्कैन करके किया जा सकता है।

परिपत्र में दिए गए निर्देश आरबीआई के दिनांक 26 मार्च, 2019 के मास्टर निदेश – बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण और संरचित बाध्यताएं (समय-समय पर संशोधित) के तहत आने वाले उत्पादों पर लागू नहीं हैं और बैंक उपरोक्त मास्टर निदेश में निहित प्रासंगिक अनुदेशों द्वारा निर्देशित हो सकते हैं।

उत्तर. परिपत्र में उधारकर्ताओं से पत्राचार को निम्नानुसार परिकल्पित किया गया है:

() स्वीकृति के समय:

  1. वार्षिक ब्याज दर/वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर), जो भी लागू हो, मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस) और ऋण करार में प्रकट की जाएगी।
  2. ऋण पर बेंचमार्क ब्याज दर में परिवर्तन का संभावित प्रभाव।

(बी) ऋण की अवधि के दौरान:

  1. इसके बाद, बाह्य बेंचमार्क दर के कारण ईएमआई/अवधि में किसी भी वृद्धि की सूचना दी जाएगी; तथा
  2. त्रैमासिक विवरण उपलब्ध कराया जाएगा, जिसमें न्यूनतम अब तक वसूले गए मूलधन और ब्याज, ईएमआई राशि, शेष ईएमआई की संख्या तथा ऋण की अवधि के लिए वार्षिक ब्याज दर का प्रकटीकरण किया जाएगा।

उत्तर: मास्टर निदेश- भारतीय रिज़र्व बैंक (जमाराशियों पर ब्याज दर) निदेश, 2025 के पैराग्राफ 4.22 के अनुसार पुनर्निवेश जमाराशियां वह जमाराशियां हैं जहां ब्याज (जब भी देय हो) परिपक्वता तक उसी अनुबंधित दर पर पुनर्निवेशित किया जाता है जिसे परिपक्वता तिथि पर मूल राशि के साथ आहरित किया जा सकता है।

उत्तर: वार्षिक

उत्तर: मास्टर निदेशों के पैराग्राफ 5.1 के अनुसार विनियमित संस्थाओं (आरई) को धोखाधड़ी की घटनाओं को, लागू कानूनों के अधीन, तुरंत कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) को रिपोर्ट करना अपेक्षित है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) की धारा 33 के तहत, किसी व्यक्ति को सभी अपराधों के बारे में एलईए को रिपोर्ट करना अनिवार्य नहीं है, बल्कि केवल उन अपराधों के बारे में रिपोर्ट करना आवश्यक है जो उस धारा में सूचीबद्ध हैं। हालाँकि, विनियमित संस्था को सूचित किया जाता है कि वे ₹1 लाख या उससे अधिक की राशि से जुड़ी धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्ट अनिवार्य रूप से एलईए को करें।

भारतीय रिज़र्व बैंक के एजीआर ढांचे में आरबीआई ओम्बड्समैन (आरबीआइओ), उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण कक्ष (सीईपीसी) और सीईपीडी शामिल हैं। आरबीआइओ आरबी-आइओएस, 2021 के ढांचे के तहत कार्य करते हैं। आरबी-आइओएस, 2021 के दायरे में नहीं आने वाली आरई के विरुद्ध शिकायतें सीईपीसी प्राप्त करती हैं। सीईपीडी आरबी-आइओएस के तहत अपीलीय प्राधिकारी (एए) को सहायता प्रदान करती है और अपील मामलों को संसाधित करती है।

उत्तर: गैर-बैंकों द्वारा स्थापित, उनके स्वामित्व वाले एवं उनके द्वारा परिचालित किए जाने वाले एटीएम को व्हाइट लेबल एटीएम कहा जाता है। गैर-बैंक एटीएम परिचालक भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत होते हैं। प्राधिकृत व्हाइट लेबल एटीएम परिचालकों की सूची भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है https://rbi.org.in/hi/web/rbi/payment-and-settlements/other-links/information-useful-to-banks-fis/payment-system-operators

पेंशन का भुगतान करनेवाले बैंकों द्वारा पेंशनरों के खातों में पेंशनराशि को पेंशन भुगतान प्राधिकारियों (Pension Paying Authorities) द्वारा दिए गए अनुदेश के आधार पर जमा किया जाता है।

उत्तर. हाँ, केवाईसी अनिवार्य रूप से किया जाना है:

(ए) खाता-आधारित संबंध की शुरुआत करते समय अर्थात विनियमित संस्था के साथ किसी भी प्रकार का खाता खोलते समय; अथवा

(बी) जब कोई वॉक इन ग्राहक ₹50,000 के बराबर अथवा उससे अधिक राशि का कभी-कभार लेन-देन करता है (चाहे वह एकल लेन-देन हो अथवा कई लेन-देन जो आपस में जुड़े हुए प्रतीत होते हों); अथवा

(सी) जब कोई वॉक इन ग्राहक कोई अंतरराष्ट्रीय राशि अंतरण करता है; अथवा

(डी) जब आरई को प्राप्त ग्राहक पहचान डेटा की प्रामाणिकता अथवा पर्याप्तता के बारे में संदेह हो; अथवा

(ई) जब आरई एक एजेंट के रूप में अपने स्वयं के उत्पाद अथवा अन्‍य पक्ष के उत्पाद बेचता है; अथवा क्रेडिट कार्ड के बकाया का भुगतान, प्रीपेड/ ट्रेवल कार्ड की बिक्री और उसे री-लोड करने और किसी अन्य उत्पाद का ₹50,000 से अधिक का भुगतान करता है।

उत्तर: निवासी भारतीय [व्यक्ति, एचयूएफ़, प्रोपराइटरशिप और पार्टनरशिप फर्म, सेबी (म्यूचुअल फंड) विनियमों के तहत पंजीकृत म्यूचुअल फंड/एक्सचेंज ट्रेडेड फंड सहित ट्रस्ट, कंपनियाँ, धर्मार्थ संस्थाएँ, केंद्र सरकार, राज्य सरकार या केंद्र सरकार या राज्य सरकार के स्वामित्व वाली कोई अन्य संस्था]

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार ने उद्यम सहायता प्रमाण-पत्र को ऑनलाइन जनरेट करने के जरिए अनौपचारिक सूक्ष्य उद्यमों (आईएमई) को औपचारिक रूप देने की दृष्टि से उद्यम सहायता प्लॉटफार्म (यूएपी) की शुरुआत की है। एमएसएमई मंत्रालय ने आईएमई की परिभाषा निम्नानुसार दी है – ऐसे उद्यम जिन्हें अपने आवर्त के आधार पर केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 के उपबंधों के अंतर्गत विवरणियां दाखिल करने से छूट दी गई है।   

यूएपी का प्रबंधन-कार्य सिडबी द्वारा किया जाता है जहां प्लेटफॉर्म पर उद्यमों का पंजीकरण ऐसी नामित एजेंसियों की सहायता से किया जाता है जो आरबीआई विनियमित संस्थाएं (अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों आदि सहित) हैं। यूएपी पर आईएमई को जारी प्रमाण-पत्र पीएसएल लाभ प्राप्त करने की दृष्टि से यूआरसी के बराबर माना जाता है। उद्यम सहायता प्रमाण-पत्र रखने वाले आईएमई को पीएसएल वर्गीकरण के उद्देश्य से सूक्ष्म उद्यमों के रूप में माना जाता है।

(कृपया 24 जुलाई 2017 का मास्‍टर निदेश मास्‍टर निदेश विसविवि.एमएसएमई व एनएफएस.12/ 06.02.31/2017-18 तथा 09 मई 2023 का विसविवि.एमएसएमई और एनएफएस.बीसी.सं.09/ 06.02.31/ 2023-24 देखें)

मूल कारण: 09 मई, 2025 को 'उद्यम सहायता प्लॉटफार्म पर अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों का औपचारिक बनाया जाना' पर परिपत्र में शामिल पहलुओं को शामिल करने के लिए, ऊपर बताए अनुसार एक नया प्रश्न प्रस्तावित किया गया है।

भारत में वित्तीय क्षेत्र के विनियामकों/प्राधिकरणों ने अपने-अपने क्षेत्रों में नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए विनियामक सैंडबॉक्स स्थापित किए हैं। इनमें निम्नलिखित विनियामक शामिल हैं:

जी नहीं, व्‍यक्ति एक बैंक में केवल एक ही 'बुनियादी बचत बैंक जमा खाता' रखने के लिए पात्र है।
Ans: It is clarified that treatment advised in the relevant clause (revised clause 77A) for investment by a transferor in SRs backed by stressed loans transferred by it are applicable to all SR investments outstanding as on the date of issuance of the MD. However, lenders other than specified at clause 3(a) & (e) shall be guided by the proviso added to the clause 77A.

उत्तर. फंड ट्रांसफर के लिए आरटीजीएस कई फायदे प्रदान करता है:

  • यह धन हस्तांतरण के लिए एक सकुशल और सुरक्षित प्रणाली है।

  • आरटीजीएस लेनदेन / हस्तांतरण में आरबीआई द्वारा निर्धारित राशि की कोई ऊपरी सीमा नहीं है।

  • प्रणाली 24x7x365 आधार पर सभी दिनों में उपलब्ध है। लाभार्थी के खाते में धन का वास्तविक समय में हस्तांतरण होता है।

  • प्रेषक को भौतिक चेक या डिमांड ड्राफ्ट का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है।

  • कागजी लिखतों को जमा करने के लिए लाभार्थी को बैंक की शाखा में जाने की आवश्यकता नहीं है।

  • लाभार्थी को भौतिक उपकरणों के खो जाने / चोरी होने या उसके धोखाधड़ी से नकदीकरण की संभावना के बारे में आशंकित होने की आवश्यकता नहीं है।

  • विप्रेषक इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग करके अपने घर / कार्यस्थल से प्रेषण शुरू कर सकता है, यदि उसका बैंक ऐसी सेवा प्रदान करता है।

  • लेन-देन शुल्क भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किया गया है।

  • लेन-देन को कानूनी समर्थन प्राप्त है।

उ : कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 3 के तहत पंजीकृत प्रत्येक कंपनी जो एनबीएफसी-फैक्टर के रूप में पंजीकरण की मांग कर रही है, उसके पास न्यूनतम निवल स्वाधिकृत निधि (एनओएफ) रु 5 करोड़ होनी चाहिए। मौजूदा कंपनियां जो एनबीएफसी-फैक्टर के रूप में पंजीकरण चाहती हैं, लेकिन एनओएफ मानदंड रुपये 5 करोड़ को पूरा नहीं करती हैं, आवश्यकता का अनुपालन करने के लिए अधिक समय मांगते हुए बैंक से संपर्क कर सकते हैं।

A link to ATS has been provided in the RBI website http://www.rbi.org.in.

उत्तर: आईडीएफ-एमएफ को बैंकों और एनबीएफसी द्वारा प्रायोजित किया जा सकता है। केवल बैंक और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियां ही आईडीएफ-एनबीएफसी को प्रायोजित कर सकती हैं।

स्थानीय चेक संग्रहण शुल्क संबंधित बैंक द्वारा समय-समय पर तय किए जाते हैं और ग्राहकों को बैंक की प्रतिबद्धता के कोड के हिस्से के रूप में उनके सीसीपी के माध्यम से ग्राहक को सूचित किए जाते हैं।

बाहरी चेकों के लिए बैंक निम्नलिखित से अधिक प्रभार नहीं ले सकते हैं:

रुपये तक 5,000 और सहित– रुपये. 25 प्रति लिखत + सेवा कर; 5,000 रुपये से ऊपर और रु. 10,000 तक और इसमें शामिल - रु. 50 प्रति लिखत से अधिक नहीं + सेवा कर; 10,000 रुपये से अधिक और 1,00,000 रुपये तक और इसमें शामिल - प्रति लिखत 100 रुपये से अधिक नहीं + सेवा कर;

रु. 1,00,000 से ऊपर - निर्णय लेने के लिए बैंकों पर छोड़ दिया गया।

कोई अतिरिक्त शुल्क जैसे कूरियर शुल्क, जेब खर्च आदि नहीं लगाया जाना चाहिए।

यह नोट किया जा सकता है कि यदि संग्रहणकर्ता बैंक और भुगतानकर्ता बैंक एक ही सीटीएस ग्रिड के अधिकार क्षेत्र में स्थित हैं, भले ही वे अलग-अलग शहरों में स्थित हों, तो कोई बाहरी चेक संग्रहण शुल्क नहीं लगाया जाएगा।

  • हाँ, शोधन के समय समायोजित मूलधन और अंकित मूल्य (एफ़वी) से ज्यादा भुगतान करके पूंजीगत सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।

  • यदि अपस्फीति के कारण एफ़वी समायोजित मूलधन से कम हो जाता है, तो एफ़वी का शोधन पर भुगतान किया जाएगा, इस प्रकार पूंजी को सुरक्षा प्राप्त होगी।

Ans The remitting bank transmits the funds transfer message to RBI so as to reach NCC, before the cut off time for the settlement, the receiving bank’s account is credited by RBI at the destination centre and beneficiary gets credit on the same day.
बैंक के लाइसेंस रद्द करने/परिसमापन की तारीख तक अथवा समामेलन/विलय/पुनर्निर्माण स्कीम लागू होने की तारीख तक, प्रत्येक जमाकर्ता को किसी बैंक में समान अधिकार एवं क्षमता में रखे गए मूलधन और ब्याज दोनों के लिए अधिकतम रु 5,00,000 (पांच लाख रुपए) तक बीमा प्रदान किया जाता है।
An authorized dealer is normally a bank specifically authorized by the Reserve Bank under Section 10(1) of FEMA,1999, to deal in foreign exchange or foreign securities.
हाँ। विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 की धारा 10 के तहत रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत संस्थाएं ही मुद्रा परिवर्तन का कारोबार कर सकती हैं। कोई भी व्यक्ति जिसके पास रिज़र्व बैंक द्वारा जारी वैध लाइसेंस नहीं है, वह मुद्रा परिवर्तन का कारोबार नहीं कर सकता । कोई भी व्यक्ति जो वैध लाइसेंस के बिना मुद्रा परिवर्तन का कारोबार करता हुआ पाया जाता है, वह उक्त अधिनियम के तहत दंड का पात्र होगा।

उत्तर: नीचे (ए) तथा (बी) में उल्लिखित देशों से इतर सभी देशों की यात्रा पर जा रहे यात्रियों को प्रतियात्रा 3000 अमरीकी डालर तक के विदेशी मुद्रा नोट / सिक्के खरीदने की अनुमति है। शेष राशि को स्टोर वैल्यू कार्ड, यात्रा चेकों अथवा बैंकर्स ड्राफ्ट के रूप में ले जा सकते हैं। इस के अपवाद हैं: (ए) इराक या लीबिया को जा रहे यात्री, जो विदेशी मुद्रा नोटों तथा सिक्कों के रूप में प्रतियात्रा 5000 अमरीकी डालर या उसके बराबर से अनधिक राशि आहारित कर सकते हैं; (बी) इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान, रशियन फेडरेशन तथा स्वतंत्र देशों के कामनवैल्थ के अन्य गणतंत्र की यात्रा करने वाले यात्री जो विदेशी मुद्रा नोटों तथा सिक्कों के रूप में पूरी विदेशी मुद्रा (250,000 अमरीकी डॉलर) आहारित कर सकते हैं

एफ़एफ़एमसी / एडी बैंकों द्वारा हज / उमराह की तीर्थयात्रा पर जा रहे यात्री – पात्रता की पूरी (250,000 अमरीकी डॉलर) राशि नकदी में या भारत की हज समिति द्वारा विनिर्दिष्ट सीमा तक नकदी जारी कर दी जाए।

उत्तर: निवासी अर्थात वह व्यक्ति जिसकी परिभाषा फेमा, 1999 की धारा (v)2 में की गई है। साथ ही यदि कियाई प्राधिकरण द्वारा उसकी आवासीय स्थिति पर सवाल उठाया जाता है तो अपनी आवासीय स्थिति को साबित करने का दायित्व उस व्यक्ति का है।

सरकारी खाते में जमा करने संबंधी सभी राशि‍याँ जैसे कर और अन्य विप्रेषण की राशियाँ, संबंधि‍त सरकार/वि‍भाग के निर्धारित चालान भरकर जमा की जाती हैं। करदाताओं को संबंधित सरकारी पोर्टल में लाग इन करके इलेक्ट्रानिक रूप में सरकारी देय राशियों का भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। तथापि यदि वे देय राशियों का नकद, चेक, मांग ड्राफ्ट से भुगतान करने के इच्छुक हैं, तो इस संबंध में निर्धारित चालान के साथ इन्हें प्राधिकृत एजेंसी बैंक की शाखाओं में प्रस्तुत करना अपेक्षित है।
भारत सरकार के दिनांकित प्रतिभूतियों और ट्रज़री बिलों की निर्दिष्ट नीलामियों में, अधिसूचित राशि के 5 प्रतिशत तक गैर-प्रतिस्पर्धी बोलियों को अधिसूचित राशि के भीतर अनुमति होगी। अर्थात, अधिसूचित राशि यदि ₹ 1,000 करोड़ है, तो गैर-प्रतियोगी बोलीदाताओं के लिए आरक्षित राशि ₹ 50 करोड़ होगी और शेष ₹ 950 करोड़ प्रतिस्पर्धी नीलामियों के लिए लगाए जाएंगे।

सीटीएस के माध्यम से समाशोधन के लिए केवल सीटीएस-2010 मानकों के अनुरूप लिखतों (चेकों) को प्रस्तुत किया जा सकता है।

सीटीएस-2010 मानकों में देश भर के बैंकों द्वारा जारी किए गए चेकों के मानकीकरण को प्राप्त करने के लिए कुछ मानक शामिल हैं। इनमें कागज की गुणवत्ता, वॉटरमार्क, अदृश्य स्याही में बैंक का लोगो, शून्य पेंटोग्राफ आदि जैसे चेक फॉर्म पर अनिवार्य न्यूनतम-सुरक्षा सुविधाओं का प्रावधान और चेक पर फील्ड प्लेसमेंट का मानकीकरण शामिल है। यह न्यूनतम-सुरक्षा सुविधाएँ और मानकीकरण, छवि-आधारित प्रसंस्करण परिदृश्य में, अदाकर्ता बैंकों के चेक की जांच / पहचान करने में प्रस्तुतकर्ता बैंकों की मदद करते हैं।

उ. ईसीएस क्रेडिट को कोई भी संस्था शुरू कर सकती है जिसे बहुत से हिताधिकारियों को थोक एवं पुनरावृत्ति किस्म के भुगतान करने होते हों। संस्थागत प्रयोक्ताओं को पहले ईसीएस केन्द्र में पंजीकरण कराना होता है। प्रयोक्ता को ईसीएस क्रेडिट में सहभागी होने से पूर्व हिताधिकारी की सहमति और उसका बैंक खाता विवरण लेना होता है।
As on date, twenty Banking Ombudsmen have been appointed with their offices located mostly in state capitals. The addresses and contact details of the Banking Ombudsman offices have been provided under Annex I of the Scheme.
The non competitive bidding facility will encourage wider participation and retail holding of government securities.It will enable individuals , firms and other mid segment investors who do not have the expertise to bid competitively in the auctions.Such investors will have fair chance of assured allotments at the rate which emerges in the auction.Scope of the scheme
मीयादी जमाराशियों पर तिमाही या उससे लंबी अवधि के अंतराल पर ब्याज दिया जा सकता है। उपचित तिमाही ब्याज को डिस्काउंट कर बैंक मासिक ब्याज दे सकते हैं।
Authorised dealers can continue to effect remittances upto the amount approved by RBI and within the validity period, as indicated in the RBI approval, provided no changes have been made in the relevant guidelines and/or regulations, after issuance of the RBI approval.
From exchange control point of view, no monitoring is required. However, the banks are free to put in place such administrative arrangements as considered necessary for a smooth conduct of accounts, especially in cases where it is likely that a request for repatriation of funds outside India will be made.
Yes, the tourists can freely make local payments by debit to the NRO account.
Resident individuals are permitted to make overseas portfolio investments without any limit in listed overseas companies that have at least 10% share in an Indian company listed in a recognized stock exchange in India as on 1st January of the year of investment.
Release of foreign exchange for studies abroad up to the estimate given by an institution abroad or US$30,000 per academic year, whichever is higher, does not require prior permission from the Reserve Bank.
आंकड़ों में सम्पूर्ण लेनदेन संबंधी विवरण और भुगतान या निपटान लेनदेन से संबंधित जानकारी जिसे भुगतान मैसेज/अनुदेश के हिस्से के रूप में एकत्रित / प्रेषित / प्रसंस्कृत किया गया है, शामिल होना चाहिए। इसमें अन्य बातों के साथ-साथ ग्राहक संबंधी आंकड़े (नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल, आधार संख्या, पैन नंबर, आदि यथा लागू); भुगतान संवेदनशील आंकड़े (ग्राहक और लाभग्राही खाता विवरण); भुगतान क्रेडेंशियल (ओटीपी, पिन, पासवर्ड, आदि); और लेनदेन संबंधी आंकड़े (उत्पन्न होने वाली और गंतव्य प्रणाली संबंधी सूचना, लेनदेन संदर्भ, टाइमस्टैम्प, राशि, आदि) शामिल हैं।

उत्तर

नहीं, एक व्यक्ति एक बैंक में केवल एक 'आधारभूत बचत बैंक जमा खाता' रखने के लिए पात्र है।

उत्तर. पीएसएस अधिनियम, 2007 के तहत, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दो विनियम बनाए गए हैं, अर्थात् भुगतान और निपटान प्रणाली विनियम, 2008 के विनियमन और पर्यवेक्षण बोर्ड और भुगतान और निपटान प्रणाली विनियम, 2008। ये दोनों विनियम 12 अगस्त 2008 को पीएसएस अधिनियम, 2007 के साथ लागू हुए।

उत्तर: केवल बीओ/ एलओ/ पीओ खोलने के इच्छुक बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, ईरान, चीन, हांगकांग, मकाऊ या पाकिस्तान के आवेदकों को राज्य पुलिस प्राधिकारियों के पास पंजीकरण कराना होगा। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को इन देशों के "व्यक्तियों" को दिया जाने वाला अनुमोदन-पत्र गृह मंत्रालय, आंतरिक सुरक्षा प्रभाग-I, भारत सरकार, नई दिल्ली को आवश्यक कार्रवाई एवं अभिलेख हेतु भेजना होगा। अन्य सभी देशों को राज्य पुलिस प्राधिकारियों के पास पंजीकरण करने से छूट दी गई है।

हाँ। अमेरिकी डॉलर में मूल्यांकित चेकों की वसूली (उगाही) के तरीके अलग-अलग हैं। बैंकों (प्रस्तुतकर्ता बैंक) द्वारा अपनायी जाने वाली वसूली प्रक्रिया उनके द्वारा स्थापित संस्थागत व्यवस्था पर निर्भर करते हुए अलग-अलग होती है। बैंकों द्वारा मूल रूप से तीन प्रकार की व्यवस्थाएं अपनायी गयी हैं -

i. नगद पत्र व्यवस्था (सीएलए): भारत में प्रस्तुतकर्ता बैंक चेक के घरेलू समाशोधन के लिए इसे संयुक्त राज्य अमेरिका में अपने प्रतिनिधि बैंक (सीबी) को भेजता है। प्रतिनिधि बैंक निधि की उगाही करता है और अमेरिका में रखे गए प्रस्तुतकर्ता बैंक के खाते में इसे जमा कर देता है। ऐसे खाते नोस्ट्रो खाते कहलाते हैं। प्रतिनिधि बैंक नकद पत्र व्यवस्था (सीएलए) के तहत भेजे गए चेकों पर बैंक को पूर्व-निर्धारित तारीख पर (जो प्रतिनिधि बैंक के पास चेक प्रस्तुत करने के बाद 7 से 9 दिन तक होती है) अनंतिम क्रेडिट देता है। हालांकि, अनंतिम क्रेडिट एक विराम अवधि (कूलिंग पीरियड) के अधीन होगा। विराम अवधि के बाद, ग्राहक का खाता जो भारत में प्रस्तुतकर्ता बैंक में होता है, में निधि डाल दी जाती है। सुरक्षित वसूली सुविधा की स्थिति में, प्रतिनिधि बैंक कुछ अतिरिक्त लागत पर गारंटीकृत क्रेडिट उपलब्ध कराता है।

(विराम अवधि वह समय है जब तक बैंक ग्राहक के खाते में निधि डालने से पहले, अमेरिकी कानून के प्रावधानों के तहत चेक के संभावित प्रतिफल हेतु अपने नॉस्ट्रो खाते में अदाकर्ता बैंक द्वारा चेक की राशि के अनंतिम क्रेडिट प्राप्त होने के बाद प्रतीक्षा करता है। विस्तृत विवरण प्रश्न संख्या 9 में दिए गए हैं।)

(सुरक्षित वसूली प्रतिनिधि बैंक द्वारा दी गई एक सुविधा है। इस सुविधा के तहत, प्रतिनिधि बैंक सामान्य वसूली सेवा से भिन्न एक निश्चित समय अवधि के भीतर दायित्व रहित गारंटीकृत अंतिम क्रेडिट उपलब्ध कराता है। इस प्रकार, इस सुविधा में वसूली समय अवधि बेहतर होती है। यह सुविधा प्रदान करने वाले प्रतिनिधि बैंक, सामान्यतया, इस व्यवस्था के तहत वसूल किए गए वैयक्तिक चेकों की राशि पर एक उच्चतम सीमा तय कर देते हैं। प्रतिनिधि बैंक, अमेरिका के कानून के अनुसार अदाकर्ता बैंक द्वारा भुगतान वापस होने पर इसे स्वयं पर ले लेते हैं। ऐसी सेवाएं देने वाले बैंक दायित्व रहित क्रेडिट सुविधा प्रदान करने के लिए कुछ अतिरिक्त राशि लेते हैं।

ii. सीधी वसूली व्यवस्था (डीसीए) : भारत में स्थित बैंकों द्वारा चेक, यूएसए स्थित अदाकर्ता बैंकों को वसूली के लिए सीधे भेजे जाते हैं। आम तौर पर वसूली सेवाओं के अंतर्गत समाशोधित निधियों की प्राप्ति निश्चित रूप से हो जाती है अर्थात् इसमें वापसी का जोखिम न के बराबर है। अत: सामान्य रूप से बड़े मूल्य के चेकों को वसूली के अंतर्गत भेज दिया जाता है, यद्यपि उसमें समय अधिक लग सकता हे।

iii. अंतिम क्रेडिट सेवाएं (एफसीएस) : कुछ प्रतिनिधि बैंक ये सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। जो प्रतिनिधि बैंक यह सेवा प्रदान करता है वह लिखत पर निश्चित रूप से धन-राशि जमा किए जाने की गारंटी देता है। इस व्यवस्था के अंतर्गत बैंकों को उनके अपने नोस्ट्रो खातों में बिना किसी विकल्प के अंतिम क्रेडिट मिल जाता है। साधारणतया इस सेवा में कोई कूलिंग अवधि नहीं होती है, क्योंकि इस कूलिंग अवधि को प्रतिनिधि बैंक समाशोधित राशि की विमोचन से पहले फैक्टरिडग करते हैं।

विदेशी मुद्रा के नियंत्रण के विचार से कोई अनुप्रवर्तन आवश्यक नहीं है। परंतु बैंक खातों के सुचारु रूप से परिचालन के लिए यथावश्यक प्रशासनिकव्यवस्था करने के लिए स्वतंत्र हैं, विशेष रूप से जहाँ बैंक समझते हों कि भारत से बाहर निधियों के वापिस ले जाने के लिए अनुरोध प्राप्त हो सकता है।

उत्तर: लीवरेज अनुपात एनबीएफसी-पी2पी प्लेटफॉर्म की बैलेंस शीट पर प्राप्त बाहरी देयताओं को उसके स्वाधिकृत निधियों द्वारा विभाजित करके प्राप्त होता है। प्लेटफॉर्म का उपयोग करके ऋण दिये गए /लिए गए ग्राहकों की निधि को प्लेटफॉर्म के बाहरी देयता के रूप में नहीं गिना जाएगा।

बैंकों में सीबीएस के साथ, यह महसूस किया गया है कि नियमित लेन-देन संबंधी गतिविधियों के अलावा, एमआईएस, एडीएफ, आदि जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सीबीएस प्रणाली क्षमताओं का उपयोग करने का समय आ गया है।
The Scheme has been made applicable to System Participants as defined in Clause 3 (11) of the Scheme.

उत्तर: विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते केवल चालू खाते के रूप में रखे जा सकते हैं । विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खातों पर कोई ब्याज देय नहीं है ।

उत्तर : उधारकर्ता किसी भी स्तर पर किसी भी स्रोत से अपनी निधीयन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वतंत्र हैं।
बैंक एमसीएलआर की गणना के लिए फंड की सीमांत लागत के प्रतिशत के रूप में सभी परिचालन लागतों की गणना कर सकते हैं।

भारत सरकार ने 27 फरवरी, 2017 को विनिर्दिष्‍ट बैंक नोट (देयताओं की समाप्ति) अधिनियम 2017 को अधिसूचित किया । इस अधिनियम द्वारा विनिर्दिष्‍ट बैंक नोट (देयताओं की समाप्ति) अध्यादेश 2016, जो 31 दिसम्बर, 2016 से प्रभावी था और जिसमें विनिर्दिष्‍ट बैंक नोट (एसबीएन) की देयताओं की समाप्ति तथा इससे सम्बंधित तथा प्रासंगिक मामलों के लिए प्रावधान किया गया था, को निरस्त किया गया । भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 34 के तहत विनिर्दिष्‍ट बैंक नोट के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक की देयताएं समाप्‍त हो जाएगी और इस संबंध में, केंद्र सरकार की गारंटी भी समाप्‍त हो जाएगी।

इस संबंध में रियायत अवधि प्रदान की गई है जिसके दौरान भारतीय नागरिक जो इस बात की घोषणा करते हैं कि वे 9 नवंबर 2016 से 30 दिसंबर 2016 तक भारत के बाहर थे, वे विनिर्दिष्‍ट बैंक नोट रिज़र्व बैंक के पाँच कार्यालयों (मुबंई, नई दिल्‍ली, चेन्‍नै, कोलकाता और नागपुर) में जमा कर सकते हैं, बशर्ते केंद्र सरकार की अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्‍ट किसी भी श्रेणी के व्‍यक्ति हेतु कारणों अथवा शर्तों को पूरा करते हों। रिज़र्व बैंक, आवश्‍यक सत्‍यापन करने के बाद यदि इस बात से संतुष्‍ट है कि 30 दिसंबर 2016 तक नोट न जमा कर पाने के कारण सही है, तो वह जमाकर्ता के केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) अनुपालित खाते में नोटों की मूल्‍य-राशि जमा कर देगा।

निवासी भारतीयों के लिए छूट अवधि 31 मार्च, 2017 को समाप्त हो गई है । अनिवासी भारतीयों के लिए (भारतीय पासपोर्ट धारक) छूट अवधि 30 जून, 2017 है ।

भारतीय रिजर्व बैंक के उक्त पाँच क्षेत्रीय कार्यालयों में विनिमय काउंटर के समय सारणी के विवरण के लिए यहाँ क्लिक करें

उपर्युक्‍त उल्‍लेखानुसार नोट की मूल्‍य–राशि जमा करने में रिज़र्व बैंक द्वारा मना करने से प्रभावित कोई भी व्‍यक्ति उसे इस प्रकार की मनाही प्राप्‍त होने के 14 दिनों के भीतर रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड को अभ्‍यावेदन दे सकता है।

अध्‍यादेश की धारा 6 के अनुसार, जो कोई भी व्‍यक्ति जानबूझकर अथवा अनजाने में गलत घोषणा करता है तो उसे दंडित किया जाएगा, दंड की राशि 50,000/- तक अथवा जमा की गई निर्दिष्‍ट बैंक नोट के अंकित मूल्‍य राशि का पाँच गुना जो भी अधिक हो, हो सकती है।

31 दिसंबर 2016 से प्रभावी, अध्यादेश की धारा 5 के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी विनिर्दिष्ट बैंक नोट को जानबूझकर अथवा स्वेच्छा से रख, अंतरण अथवा प्राप्त नहीं कर सकेगा। रियायत अवधि समाप्त होने के पश्चात किसी भी मूल्यवर्ग के अधिकतम कुल 10 नोट अथवा अध्ययन / अनुसंधान / मुद्राशास्त्र के उद्देश्य से अधिकतम 25 नोट रखने की अनुमति होगी। इस धारा में ऐसा कुछ भी निहित नहीं है जो अदालत में लंबित किसी भी मामले के संबंध में न्यायालय के निर्देश पर किसी भी व्यक्ति को विनिर्दिष्ट बैंक नोटों को धारित करने के लिए प्रतिबंधित करेगा। अधिहरण किए गए विनिर्दिष्ट बैंक नोटों को जमा करने के लिए, भारत सरकार ने दिनांक 12 मई, 2017 को विनिर्दिष्ट बैंक नोट (अधिहरण किए गए नोटों को जमा किया जाना) नियम, 2017 अधिसूचित किया है ।

धारा 7 के अनुसार, धारा 5 का उल्‍लंघन दंडनीय है जिसमें 10,000/- तक की राशि अथवा उल्लंघन में शामिल निर्दिष्‍ट बैंक नोट के अंकित मूल्‍य राशि का पाँच गुना जो भी अधिक हो, का दंड लगाया जा सकता है।

धारा 6 और 7 के अनुसार उल्‍लंघन/चूक यदि किसी कंपनी द्वारा किया गया है तो प्रत्‍येक वह व्‍यक्ति जो उल्लंघन/चूक के समय कंपनी का प्रभारी और उत्तरदायी था, दोषी माना जाएगा और उसी के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी और दंडित किया जाएगा। यदि अपराध कंपनी के किसी निदेशक/प्रबंधक/सचिव/अधिकारी/कर्मचारी द्वारा किया जाना साबित होता है तो उस व्‍यक्ति को भी इस अपराध के लिए दोषी माना जाएगा और उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी और तदनुसार दंडित किया जाएगा।

NBFCs, as defined in Section 45-I (f) of the Reserve Bank of India Act, 1934 and registered with the RBI under Section 45-IA of the Reserve Bank of India Act, 1934, which (a) are authorised to accept deposits; or (b) have customer interface, with assets size of one billion rupees or above, as on the date of the audited balance sheet of the previous financial year, or of any such asset size as the RBI may prescribe, are covered under the Scheme. The Scheme initially covers NBFCs authorized to accept deposits, and would be gradually extended to cover other identified NBFCs.
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बांड बही खाते में घोषणा करने वाले के क्रेडिट में इस जमा रखा जाएगा।
हां। तथापि केवल ऐसी जमाराशियाँ, जिन्हें परिपक्वता पर न्यूनतम तीन वर्ष की अवधि के लिए नवीकृत किया गया है और एक वर्ष की लॉक-इन अवधि है, आरबीआई के पास स्वैप करने के लिए पात्र जमाराशियों के रूप में अर्हक होंगी।
  • ब्याज दर में दो भाग होंगे। एक 1.5% प्रति वर्ष की नियत दर और दूसरा मूद्रास्फीति दर।

  • उदाहरण के लिए, यदि छह माह के दौरान मंहगाई दर 5% है, तो इन छह माह का ब्याज दर 5.75% होगा। (उदाहरण नियत दर- 0.75% और मुद्रास्फीति दर -5%)।

उत्तर. सीपीएस तक पहुंच वाली गैर-बैंक संस्थाएं स्टैंडअलोन प्राथमिक डीलर, स्टॉक एक्सचेंजों के समाशोधन निगम, केंद्रीय प्रतिपक्षकार (सीसीआईएल), खुदरा भुगतान प्रणाली संगठन (एनपीसीआई), चुनिंदा वित्तीय संस्थान (नाबार्ड, एक्जिम बैंक) और डीआईसीजीसी हैं।

उत्तर. कम आय वाले परिवार अर्थात ₹3,00,000 तक की वार्षिक आय वाले परिवार से संबंधित व्यक्ति/ व्यक्तियों को दिये गए सभी संपार्श्विक-मुक्त ऋण सूक्ष्मवित्त ऋण माने जाएंगे।
जी हां, मूल एनबीएफसी/एचएफसी ऋण वृद्धि की पेशकश कर सकते हैं। हालांकि, इस तरह की ऋण वृद्धि के लिए, उन्हें बैंक द्वारा एनबीएफसी/एचएफसी के लिए निर्धारित पूंजी आवश्यकताओं के अनुसार पूंजी बनाए रखने की आवश्यकता है।

उत्तर: रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए विस्तृत प्रक्रियागत अनुदेश दिनांक 17 मार्च 2020 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.22 तथा समय-समय पर संशोधित माल तथा सेवाओं के निर्यात पर जारी 1 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.16/2015-16 में निहित हैं।

उत्तर: ट्रेड्स में विक्रेता के रूप में केवल एमएसएमई ही भाग ले सकते हैं।

उत्तर: हां, घरेलू भारतीय पक्ष द्वारा कोई अंतर्निहित लेनदेन करते समय, जिसके लिए विदेशों में विप्रेषण के लिए ए-2 रिपोर्टिंग की आवश्यकता होती है, जो प्रक्रिया अपनाई जाती है, वही प्रक्रिया एसएनआरआर खाते में क्रेडिट हेतु घरेलू विप्रेषण के मामले में भी अपनाई जानी चाहिए।

इस आवश्यकता के पीछे सिद्धांत यह है कि निर्धारित सीसीओ एक अनुभवी अधिकारी है ताकि वह स्वतंत्र रूप से और प्रभावी ढंग से अनिवार्य कार्यों का निर्वहन कर सके। तदनुसार, उपर्युक्त के अनुरूप, जोखिम प्रबंधन कार्यों में कारोबारी लाइनों के भीतर नियंत्रण कार्य भी शामिल होंगे। इसलिए, यदि किसी क्षेत्रीय / आंचलिक / कारोबार प्रमुख के पास 5 साल या उससे अधिक के लिए कारोबार लाइनों के नियंत्रण कार्यों पर अपेक्षित जिम्मेदारी/अनुभव था, तो वह इस शर्त के तहत सीसीओ के पद के लिए पात्र होगा/होगी।
उत्तर. सरकारों अथवा उनके विभागों/मंत्रालयों के लिए एनईएफटी और आरटीजीएस में भुगतान लेनदेन के लिए एलईआई प्राप्त करना अथवा एलईआई नंबर का उल्लेख करना आवश्यक नहीं है । तथापि, निगमों/उपक्रमों, जिसमें सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाले शामिल हैं, को एलईआई प्राप्त करने की आवश्यकता होगी । एनईएफटी/आरटीजीएस के माध्यम से सरकारी उपक्रमों और निगमों के ₹50 करोड़ और उससे अधिक के सभी एकल भुगतान लेनदेनों में विप्रेषक और लाभार्थी से संबंधित एलईआई जानकारी शामिल होगी ।
उत्तर: नकद निकासी पर लगाया जाने वाला शुल्क, यदि कोई हो, लेनदेन राशि के 1% से अधिक नहीं होगा।

उत्तर. पीपीआई बैंकों और गैर-बैंकों द्वारा जारी किए जा सकते हैं। बैंक आरबीआई से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद पीपीआई जारी कर सकते हैं। गैर-बैंक पीपीआई जारीकर्ता भारत में निगमित और कंपनी अधिनियम, 1956/2013 के तहत पंजीकृत कंपनियां हैं। वे आरबीआई से प्राधिकरण प्राप्त करने के बाद व्यक्तियों/संगठनों को पीपीआई जारी करने के लिए भुगतान प्रणाली का परिचालन कर सकते हैं।

जिस संस्था के प्रति उधारदाता संस्थाओं का एक्सपोजर है, उसके संबंध में आईसीए की आवश्यकता, दिनांक 7 जून 2019 के दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचे की, और परिणामस्वरूप समाधान ढांचे की भी एक बुनियादी विशेषता है। उधारदाता संस्थाओं को विधिक संस्था, जिसके प्रति उनका एक्सपोजर है, के संबंध में आईसीए तैयार करने के लिए पर्याप्त छुट दी गयी है, जिसमें मामले-दर-मामले के आधार पर प्रत्येक उधारकर्ता की विशिष्ट आवश्यकताओं को संबोधित किया जा सकता है. आईसीए के भीतर एक ही उधारकर्ता की विभिन्न परियोजनाओं के लिए विभिन्न समाधान पद्धतियो को डिजाइन किया जाना भी शामिल है। इसी प्रकार, समाधान ढांचे में अपेक्षित विधिक संस्था स्तर पर खोले जाने वाले एस्क्रो खाते के अलावा, यदि ऋणदाता चाहें तो प्रत्येक परियोजना स्तर पर अतिरिक्त अलग-अलग एस्क्रो खाते स्थापित करने में कोई प्रतिबंध नहीं है। केवल स्थावर संपदा क्षेत्र से संबंधित उधारकर्ताओं, जिनके आवासीय और वाणिज्यिक स्थावर संपदा व्यवसाय दोनों हैं, के संबंध में वित्तीय मापदंडों के लिए निर्धारित थ्रेशहोल्ड परियोजना स्तर पर लागू किए जा सकते हैं।

जीएएच को एनडीएस-ओएम की उसी आर्डर बुक का एक्‍सेस उपलब्ध होगा जो प्राथमिक सदस्‍यों को होता है। जीएएच अपने आर्डर पर नियंत्रण रखने की बेहतर स्थिति में होंगे (आर्डर देने/संशोधन करने/कैंसल करने/रोकने/रिलिज करने) और उन्‍हें बाजार में रियल टाइम लाइव दरें उपलब्‍ध होंगी। चूंकि निष्‍पादित किये गये आर्डर की सूचना और विभिन्‍न प्रश्‍न जीएएच को आनलाइन उपलब्‍ध है इसलिए वे अपनी पोजिशन्‍स का बेहतर ढंग से प्रबंध कर सकते हैं। वेब पर आधारित इंटरफेस पहले ही से कस्‍टोडियन बैंकों/प्राथमिक व्‍यापारियों के साथ रखे गिल्‍ट खातो को लिवरेज देता है इसलिए खुदरा सहभागियों को एक कुशल सिस्‍टम उपलब्‍ध कराता है।

उत्तर: क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने के इरादे को दर्शाने वाली ग्राहक द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया जैसे कि पिन जेनरेशन, लेनदेन नियंत्रण में संशोधन, इंटरएक्टिव वॉयस उत्तर, ग्राहक सेवा केंद्र पर रिकॉर्ड की गई कॉल और एसएमएस को सक्रियण के रूप में माना जा सकता है। हालाँकि, यदि कार्ड जारी करने की तारीख से 30 दिनों से अधिक समय तक कार्डधारक द्वारा सक्रिय नहीं किया जाता है, तो कार्ड जारीकर्ता एमडी के पैरा 6 (क) (vi) के अनुरूप वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) आधारित सहमति मांगी जाएगी।

उत्तर: बैंकों को उपरोक्त प्रश्न संख्या 2 में निर्दिष्ट खातों में क्रेडिट शेष को लगातार निष्क्रिय अथवा दावा न की गई की स्थिति में 10 वर्ष पूरे होने के उपरांत महीने के अंतिम कार्य दिवस पर डीईए निधि में स्थानांतरित करना आवश्यक है।
उदाहरण के लिए, अप्रैल के महीने में डीईए निधि में स्थानांतरित होने वाली जमा राशि (अर्थात्, 10 वर्षों के लिए दावा न की गई) को मई के महीने में अंतिम कार्य दिवस पर डीईए निधि में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

उत्तर: सभी अदावी जमाराशियाँ/खाते जो आरबीआई के जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता (डीईए) निधि का हिस्सा हैं, उन्हें उद्गम (UDGAM) पोर्टल में खोजा जा सकता है। [कृपया डीईए निधि योजना, 2014 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न देखें।].

यदि स्‍वर्ण का बाज़ार भाव कम हो जाता है तो पूंजीगत हानि होने का जोखिम हो सकता है। लेकिन स्‍वर्ण की जितनी मात्रा के लिए निवेशक ने पैसे दिए हैं उस मात्रा में कोई कमी नहीं आती।
सरकारी प्रति‍भूति वि‍नि‍यमावली, 2007 को, सरकारी प्रतिभूति अधिनियम के उद्देशों को सुचारु रूप से कार्यान्वित करने के लि‍ए, आरबीआई द्वारा बनाया गया है ।
It is not necessary that individual alongwith his related parties have shareholding in the NOFHC. However, if any individual belonging to the Promoter Group chooses to become a promoter of the NOFHC, he along with his relatives (as defined in Section 6 of the Companies Act 1956) and along with entities in which he and / or his relatives hold not less than 50 per cent of the voting equity shares can hold voting equity shares not exceeding 10 per cent of the total voting equity shares of the NOFHC. [para 2 ( C ) (ii) (a) of the guidelines]

सरफेसी अधिनियम, 2002 में आस्ति के कब्जे को प्रतीकात्मक अथवा प्रत्यक्ष के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है, और ये ऐसी परंपराएँ हैं जो समयानुसार विकसित हुई हैं। तदनुसार, आरई को सरफेसी अधिनियम, 2002 की धारा 13 (4) के तहत प्रतिभूति आस्तियों पर जानकारी प्रदर्शित करेगा। इसमें आरई की वेबसाइट पर प्रतीकात्मक और प्रत्यक्ष रूप से मौजूद आस्तियों का प्रकाशन शामिल है।

भारत में म्युचुअल फंड (एमएफ) कंपनियों को इस सर्वेक्षण में भाग लेने की आवश्यकता हैं।

वर्तमान में यूपीआई-पेनाउ लिंकेज के माध्यम से प्रेषण हेतु भारत में निम्नलिखित बैंक सक्षम हैं:

  • आईसीआईसीआई बैंक

  • इंडियन बैंक

  • इंडियन ओवरसीज बैंक

  • भारतीय स्टेट बैंक

जी हाँ। ₹2000/- बैंकनोट का वैध मुद्रा का दर्जा बना रहेगा।

उत्तर: नहीं। आरई द्वारा एक बार उद्धरित डीएलजी राशि और ऋण वसूली की राशि को वापस नहीं किया जा सकता है। कृपया प्रश्न 1 पर हमारा उत्तर भी देखें। कृपया अंत मेंउदाहरण देखें।

उत्तर: यदि प्रेषक का भारत में किसी भी एनईएफटी सक्षम बैंक-शाखा में खाता है तो प्रेषण की कोई सीमा नहीं है। वॉक-इन/गैर-ग्राहकों को ₹50,000 प्रति प्रेषण की सीमा के साथ एक वर्ष में 12 प्रेषण भेजने की अनुमति है।

उत्तर. यदि किसी अनिवासी के भारत में रखे खाते में या खाते से कोई क्रेडिट अथवा डेबिट किसी निवासी के साथ लेनदेन के परिणामस्वरूप होता है तो उस पर विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) के प्रावधान लागू होते हैं अतः ऐसे मामलों में उक्त परिपत्र में निहित प्रावधान भी लागू होंगे।

उत्तर: (ए) मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार चलनिधि लिखत लेवल 1 उच्च गुणवत्ता वाली चलनिधि आस्ति हैं।

(बी) आरई अस्थायी रूप से हरित जमाराशि की आय, हरित गतिविधियों/परियोजनाओं के लिए लंबित आवंटन, एक वर्ष तक की अधिकतम परिपक्वता वाले चलनिधि लिखतों में बनाए रख सकते हैं (इसे वित्तीय ढांचा (फाइनेंसिंग फ्रेमवर्क) (एफएफ) के तहत निर्दिष्ट करना होगा)।

(सी) ढांचे में हरित गतिविधियों/परियोजनाओं के लिए आय के गैर-आवंटन के लिए किसी दंड की परिकल्पना नहीं की गई है; हालाँकि, यह पर्यवेक्षी समीक्षा के अधीन होगा।

उत्तर: डेबिट कार्ड का उपयोग एटीएम से नकदी निकालने, बिक्री के बिंदु (पीओएस) टर्मिनलों या ई-कॉमर्स (ऑनलाइन खरीद) पर वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिए किया जा सकता है। उनका उपयोग घरेलू या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जा सकता है।

उत्तर: इलेक्‍ट्रॉनिक तरीके से किए जाने वाले अनुमत फोरेक्‍स लेनदेन केवल भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्‍ट अनुबंधों और शर्तों के अनुसार केवल इस प्रयोजन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्‍लेटफार्म (ईटीपी) अथवा मान्‍यताप्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंजों (नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज ऑफ इंडिया लि. (एनएसई), बीएसई लि. (बीएसई) और मेट्रोपोलिटन स्‍टॉक एक्‍सचेंज ऑफ इंडिया लि. (एमएसई)) पर ही किए जाने चाहिएI प्राधिकृत ईटीपी की सूची यहां उपलब्‍ध है। फेमा के अनुसार निवासी व्‍यक्तियों को अप्राधिकृत ईटीपी पर फोरेक्‍स लेनदेन की अनुमति नहीं हैं।

अप्राधिकृत ईटीपी पर फोरेक्‍स लेनदेन करने वाले निवासी व्‍यक्ति स्‍वयं को फेमा तहत दंडात्‍मक कार्रवाई का भागी बना लेंगे।

आरबीआई ने दिनांक 12 अप्रैल 2010 को ‘संपार्श्विक मुक्त ऋण - शिक्षा ऋण योजना’ पर परिपत्र ग्राआऋवि.एसएमई और एनएफएस.बीसी.सं.69/06.12.05/2009-10 जारी किया है जिसमे बैंकों को 4 लाख तक के शिक्षा ऋण के मामले में संपार्श्विक जमानत प्राप्त नहीं करने को अनिवार्य बनाया गया है।

आरबीआई विनियमित संस्था के एससीए/एसए के रूप में एक लेखापरीक्षा फर्म की नियुक्ति से पहले, इस नियुक्ति और आरबीआई द्वारा विनियमित उसी लेखापरीक्षा फर्म को दिए गए किसी भी गैर-लेखापरीक्षा संबंधी कार्यों को पूरा करने या समूह में आरबीआई विनियमित अन्य संस्थाओं में किसी भी लेखापरीक्षा/ गैर-लेखापरीक्षा कार्यों को पूरा करने के बीच न्यूनतम एक वर्ष का समय अंतराल होना चाहिए। यह शर्त भविष्यलक्षी प्रभाव से यानी वित्त वर्ष 2022-23 से लागू होगी। इसलिए, यदि कोई लेखा परीक्षा फर्म संस्था के साथ कुछ गैर-लेखापरीक्षा कार्य में शामिल है और/या समूह में आरबीआई विनियमित अन्य संस्थाओं में किसी भी लेखापरीक्षा/गैर-लेखा परीक्षा कार्य में शामिल है और वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए संस्था के एससीए/एसए के रूप में नियुक्ति की तारीख से पहले उक्त कार्य को पूरा करती है या छोड़ देती है तो उक्त लेखापरीक्षा फर्म वित्त वर्ष 2021-22 के लिए संस्था के एससीए / एसए के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होगी।

यह दोहराया जाता है कि संस्थाओं के लिए एससीए/एसए द्वारा किसी भी गैर-लेखापरीक्षा कार्य या उसकी समूह संस्थाओं के लिए किसी लेखापरीक्षा/गैर-लेखापरीक्षा कार्यों के बीच का समय अंतराल एससीए/एसए के रूप में लेखापरीक्षा कार्य पूरा करने के बाद कम से कम एक वर्ष का होना चाहिए।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022

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