वित्तीय समावेशन और विकास - आरबीआई - Reserve Bank of India
परिचय
यह कार्य वित्तीय समावेशन, वित्तीय शिक्षण को बढ़ावा देने और ग्रामीण तथा एमएसएमई क्षेत्र सहित अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्ध कराने पर नवीकृत राष्ट्रीय ध्यानकेंद्रण का सार संक्षेप में प्रस्तुत करता है।
- प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्रों के लिए ऋण प्रवाह: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्रों के लिए ऋण प्रवाह को मजबूती प्रदान करने के लिए समष्टि नीति का निर्माण। यह सुनिश्चित करना कि समाज के वित्तीय रूप से वंचित वर्गों के बीच नए कारोबार अवसर सृजित करने हेतु बैंकों के लिए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार एक साधन बन सके।
- वित्तीय समावेशन और वित्तीय साक्षरता: बुनियादी औपचारिक वित्तीय सेवाओं और उत्पादों की श्रृंखला तक पहुंच सुनिश्चित करना और वित्तीय जागरूकता पहल को बढ़ाना। वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति (एनएसएफआई) 2019-24 और वित्तीय शिक्षण हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति (एनएसएफई): 2020-25, भारत में वित्तीय समावेशन और वित्तीय साक्षरता नीतियों के दृष्टिकोण और प्रमुख उद्देश्यों को निर्धारित करता है ताकि वित्तीय क्षेत्र में सभी हितधारकों को शामिल करते हुए कार्रवाई के व्यापक अभिसरण के माध्यम से पहुंच का विस्तार किया जाए तथा प्रयासों को बनाए रखा जाए।
- एमएसएमई क्षेत्र को ऋण प्रवाह: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र में ऋण के इष्टतम प्रवाह को सक्षम करने और एमएसएमई खातों में व्याप्त दबाव को दूर करने के लिए नीतियां बनाना।
- एसएचजी, एससी/एसटी समुदाय और अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण वितरण: सरकार द्वारा प्रायोजित चुनिंदा योजनाओं के माध्यम से व्यक्तियों, स्वयं सहायता समूहों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों और अल्पसंख्यक समुदायों में ऋण प्रवाह को बढ़ाना।
- कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए ऋण प्रवाह: (i) किसानों के लिए वित्त तक आसान पहुँच और (ii) प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने को सक्षम करने हेतु व्यापक दिशानिर्देश जारी करना।
- संस्थाएं: राज्य स्तरीय बैंकर समिति (एसएलबीसी), अग्रणी बैंक योजना, आदि जैसी संस्थागत व्यवस्था को मजबूत बनाना जिससे कि ऊपर उल्लेखित उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।
मुख्य विषय
Agriculture
Providing broad guidelines to enable (i) ease of access to finance by farmers and (ii) financial assistance to farmers affected by natural calamities.
National Strategy for Financial Inclusion
The National Strategy for Financial Inclusion sets forth the vision and key objectives of the financial inclusion policies in India.
MSME Lending
Enabling optimal flow of credit to the MSME sector and address stress in the accounts of MSMEs.
MSME stress resolution
Framework for Revival and Rehabilitation of MSMEs - To provide a simpler and faster mechanism to address the stress in the accounts of MSMEs and to facilitate the promotion and development of MSMEs.
Priority Sector Lending
Priority Sector Lending is a tool for banks for capturing untapped business opportunities among the financially excluded sections of society.
- स्टेकधारकों के साथ चर्चा करके उनसे प्राप्त इनपुटों के साथ नीति निर्माण और विश्वसनीय आंकड़ों, सांविधिक और अन्य के संग्रह से मजबूत तथा समयबद्ध प्रबंध सूचना प्रणाली।
- रिज़र्व बैंक की प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की परिभाषा का स्टेकधारकों को और अधिक सशक्त संप्रेषण। प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के अंतर्गत बैंकों की उपलब्धि की निरंतर रूप से अधिकाधिक और निकटस्थ निगरानी।
- राज्य स्तरीय बैंकर समितियों (एसएलबीसी) के माध्यम से प्रभावी निगरानी। फसल हानि की सीमा के मूल्यांकन के लिए सरल और स्पष्ट दिशानिर्देश बनाना, जहां संकट उत्पादन प्रभाव क्षमता के कारण है।
- सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए ऋण प्रवाह में क्षेत्रीय/क्षेत्रकीय (उद्योग-वार) असमानता का आंकलन करना। एमएसएमई क्षेत्र के लिए ऋण के प्रवाह को तेज करने से संबंधित विभिन्न निवेशकों (निजी/सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक/सहकारी समितियां) की सफलता की कहानी साझा करना।
- वित्तीय साक्षरता केंद्रों (सीएफएल) के माध्यम से जमीनी स्तर पर वित्तीय साक्षरता को आगे बढ़ाने के लिए अभिनव और समुदाय के नेतृत्व वाले भागीदारी दृष्टिकोण को मजबूत करना।
- वित्तीय समावेशन के विस्तार को समग्र रूप से मापने के लिए वित्तीय समावेशन सूचकांक (एफआई-इंडेक्स) को सरकार और क्षेत्रीय विनियामकों के परामर्श से विकसित किया गया है, जिसपर भविष्य के नीतिगत हस्तक्षेपों को बेहतर बनाने हेतु बारीकी से निगरानी रखी जाएगी।
कानूनी ढांचा
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: नवंबर 23, 2022