प्रेस प्रकाशनियां - विदेशी मुद्रा प्रबंध - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रेस प्रकाशनियां
भारतीय रिज़र्व बैंक ने फरवरी 2025 के लिए स्वचालित और अनुमोदन दोनों माध्यमों से बाह्य वाणिज्यिक उधारों (ईसीबी), विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉण्डों (एफसीसीबी) और रुपया मूल्यवर्ग बॉण्डों (आरडीबी) के आंकड़े आज जारी किए।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने फरवरी 2025 के लिए स्वचालित और अनुमोदन दोनों माध्यमों से बाह्य वाणिज्यिक उधारों (ईसीबी), विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉण्डों (एफसीसीबी) और रुपया मूल्यवर्ग बॉण्डों (आरडीबी) के आंकड़े आज जारी किए।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज मार्च 2025 माह के लिए स्वचालित मार्ग और अनुमोदन मार्ग दोनों के अंतर्गत समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश पर आंकड़े जारी किए है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज मार्च 2025 माह के लिए स्वचालित मार्ग और अनुमोदन मार्ग दोनों के अंतर्गत समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश पर आंकड़े जारी किए है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने पूर्व में 2 जुलाई 2024 की प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से प्राधिकृत व्यापारियों के लिए वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात और आयात संबंधी मसौदा विनियमावली और मसौदा निदेशों पर जनता से टिप्पणियाँ/प्रतिक्रियाएँ आमंत्रित की थीं। 2. जनता से प्राप्त प्रतिक्रियाओं और विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श के आधार पर विनियमावली और निदेशों के मसौदों को पुनः संशोधित किया गया है। संशोधित विनियमावली का जोर कारोबार को आसान बनाने तथा सभी अनुदेशों को एक ही दस्तावेज़ में शामिल करने पर है। विनियमावली में प्राधिकृत व्यापारियों को जारी किए गए अनुदेश शामिल हैं, जिनमें निर्यात और आयात से संबंधित लेनदेन के संचालन हेतु प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रियाएं भी शामिल हैं, जिन्हें वर्तमान में प्राधिकृत व्यापारियों को निदेशों के रूप में अलग से जारी किया जाता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने पूर्व में 2 जुलाई 2024 की प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से प्राधिकृत व्यापारियों के लिए वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात और आयात संबंधी मसौदा विनियमावली और मसौदा निदेशों पर जनता से टिप्पणियाँ/प्रतिक्रियाएँ आमंत्रित की थीं। 2. जनता से प्राप्त प्रतिक्रियाओं और विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श के आधार पर विनियमावली और निदेशों के मसौदों को पुनः संशोधित किया गया है। संशोधित विनियमावली का जोर कारोबार को आसान बनाने तथा सभी अनुदेशों को एक ही दस्तावेज़ में शामिल करने पर है। विनियमावली में प्राधिकृत व्यापारियों को जारी किए गए अनुदेश शामिल हैं, जिनमें निर्यात और आयात से संबंधित लेनदेन के संचालन हेतु प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रियाएं भी शामिल हैं, जिन्हें वर्तमान में प्राधिकृत व्यापारियों को निदेशों के रूप में अलग से जारी किया जाता है।
आज, भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिसंबर 2024 के अंत के लिए भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति से संबंधित आंकड़े जारी किए [1]।
दिसंबर 2024 के अंत में आईआईपी की मुख्य बातें:
भारत पर अनिवासियों के निवल दावे 2024-25 की तीसरी तिमाही के दौरान 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़कर दिसंबर 2024 में 364.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गए।
भारतीय निवासियों की विदेशी वित्तीय आस्तियों में 40.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई और भारत में गैर-निवासियों के दावों में भी 29.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर गिरावट आई, जिसके परिणामस्वरूप भारत की निवल विदेशी देयतों में वृद्धि हुई। (तालिका 1)।
अक्तूबर-दिसंबर 2024 के दौरान भारतीय निवासियों के विदेशी आस्तियों में कमी का मुख्य कारण आरक्षित आस्तियों में 70.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट है।
तथापि, आरक्षित आस्तियों में दिसंबर 2023 की तुलना में 13.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई।
तिमाही के दौरान आवक प्रत्यक्ष और पोर्टफोलियो निवेश में गिरावट के कारण भारत की विदेशी देयताओं में कमी आई, हालांकि व्यापार ऋण, ऋण और मुद्रा तथा जमाराशियों में वृद्धि दर्ज की गई।
दिसंबर 2024 में भारत की कुल अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय आस्तियों में आरक्षित आस्तियों की हिस्सेदारी 59.0 प्रतिशत रही (तालिका 2)।
अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये की विनिमय दर में परिवर्तन ने, अमेरिकी डॉलर में मूल्यन करने पर, देयताओं में परिवर्तन को प्रभावित किया।
भारत की अंतर्राष्ट्रीय देयताओं की तुलना में अंतर्राष्ट्रीय आस्तियों का अनुपात दिसंबर 2024 में बढ़कर 74.7 प्रतिशत हो गया, जो एक वर्ष पहले 73.1 प्रतिशत था।
कुल बाह्य देयताओं में ऋण देयताओं की हिस्सेदारी दिसंबर 2024 में बढ़कर 53.6 प्रतिशत हो गया, जो एक तिमाही पहले 52.9 प्रतिशत और एक वर्ष पहले 51.2 प्रतिशत था (तालिका 3)।
आज, भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिसंबर 2024 के अंत के लिए भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति से संबंधित आंकड़े जारी किए [1]।
दिसंबर 2024 के अंत में आईआईपी की मुख्य बातें:
भारत पर अनिवासियों के निवल दावे 2024-25 की तीसरी तिमाही के दौरान 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़कर दिसंबर 2024 में 364.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गए।
भारतीय निवासियों की विदेशी वित्तीय आस्तियों में 40.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई और भारत में गैर-निवासियों के दावों में भी 29.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर गिरावट आई, जिसके परिणामस्वरूप भारत की निवल विदेशी देयतों में वृद्धि हुई। (तालिका 1)।
अक्तूबर-दिसंबर 2024 के दौरान भारतीय निवासियों के विदेशी आस्तियों में कमी का मुख्य कारण आरक्षित आस्तियों में 70.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट है।
तथापि, आरक्षित आस्तियों में दिसंबर 2023 की तुलना में 13.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई।
तिमाही के दौरान आवक प्रत्यक्ष और पोर्टफोलियो निवेश में गिरावट के कारण भारत की विदेशी देयताओं में कमी आई, हालांकि व्यापार ऋण, ऋण और मुद्रा तथा जमाराशियों में वृद्धि दर्ज की गई।
दिसंबर 2024 में भारत की कुल अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय आस्तियों में आरक्षित आस्तियों की हिस्सेदारी 59.0 प्रतिशत रही (तालिका 2)।
अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये की विनिमय दर में परिवर्तन ने, अमेरिकी डॉलर में मूल्यन करने पर, देयताओं में परिवर्तन को प्रभावित किया।
भारत की अंतर्राष्ट्रीय देयताओं की तुलना में अंतर्राष्ट्रीय आस्तियों का अनुपात दिसंबर 2024 में बढ़कर 74.7 प्रतिशत हो गया, जो एक वर्ष पहले 73.1 प्रतिशत था।
कुल बाह्य देयताओं में ऋण देयताओं की हिस्सेदारी दिसंबर 2024 में बढ़कर 53.6 प्रतिशत हो गया, जो एक तिमाही पहले 52.9 प्रतिशत और एक वर्ष पहले 51.2 प्रतिशत था (तालिका 3)।
आज, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपनी वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर तीसरी तिमाही, अर्थात्, अक्तूबर-दिसंबर 2024-25 के भुगतान संतुलन (बीओपी) के आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों के आधार पर, अप्रैल- दिसंबर 2024 के दौरान विदेशी मुद्रा आरक्षित निधियों में परिवर्तन के स्रोत सारणी 1 में दिए गए हैं: सारणी 1: विदेशी मुद्रा आरक्षित निधियों में परिवर्तन के स्रोत * (बिलियन अमेरिकी डॉलर) मदें अप्रैल- दिसंबर 2023 अप्रैल- दिसंबर 2024 I. चालू खाता शेष -30.7 -37.1 II. पूंजी लेखा (निवल राशि) (क से च तक) 63.6 23.3 ए. विदेशी निवेश (i+ii) 40.5 11.0 (i) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 7.8 1.6 (ii) पोर्टफोलियो निवेश 32.7 9.4 जिसमें से:
आज, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपनी वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर तीसरी तिमाही, अर्थात्, अक्तूबर-दिसंबर 2024-25 के भुगतान संतुलन (बीओपी) के आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों के आधार पर, अप्रैल- दिसंबर 2024 के दौरान विदेशी मुद्रा आरक्षित निधियों में परिवर्तन के स्रोत सारणी 1 में दिए गए हैं: सारणी 1: विदेशी मुद्रा आरक्षित निधियों में परिवर्तन के स्रोत * (बिलियन अमेरिकी डॉलर) मदें अप्रैल- दिसंबर 2023 अप्रैल- दिसंबर 2024 I. चालू खाता शेष -30.7 -37.1 II. पूंजी लेखा (निवल राशि) (क से च तक) 63.6 23.3 ए. विदेशी निवेश (i+ii) 40.5 11.0 (i) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 7.8 1.6 (ii) पोर्टफोलियो निवेश 32.7 9.4 जिसमें से:
Preliminary data on India’s balance of payments (BoP) for the third quarter (Q3), i.e., October-December 2024-25, are presented in Statements I and II. Key Features of India’s BoP in Q3:2024-25 • India’s current account deficit (CAD) increased to US$ 11.5 billion (1.1 per cent of GDP) in Q3:2024-25 from US$ 10.4 billion (1.1 per cent of GDP) in Q3:2023-24 but moderated from US$ 16.7 billion (1.8 per cent of GDP) in Q2:2024-25. Merchandise trad
Preliminary data on India’s balance of payments (BoP) for the third quarter (Q3), i.e., October-December 2024-25, are presented in Statements I and II. Key Features of India’s BoP in Q3:2024-25 • India’s current account deficit (CAD) increased to US$ 11.5 billion (1.1 per cent of GDP) in Q3:2024-25 from US$ 10.4 billion (1.1 per cent of GDP) in Q3:2023-24 but moderated from US$ 16.7 billion (1.8 per cent of GDP) in Q2:2024-25. Merchandise trad
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आईडीबीआई बैंक लिमिटेड पर फेमा, 1999 की धारा 10 (4) का उल्लंघन करते हुए किसी ग्राहक द्वारा खोले गए विदेशी मुद्रा खाते से आवक विप्रेषण को संसाधित करते समय समुचित सावधानी नहीं बरतने के लिए फेमा, 1999 की धारा 11(3) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ₹36,30,000/- (छत्तीस लाख तीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आईडीबीआई बैंक लिमिटेड पर फेमा, 1999 की धारा 10 (4) का उल्लंघन करते हुए किसी ग्राहक द्वारा खोले गए विदेशी मुद्रा खाते से आवक विप्रेषण को संसाधित करते समय समुचित सावधानी नहीं बरतने के लिए फेमा, 1999 की धारा 11(3) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ₹36,30,000/- (छत्तीस लाख तीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत किए गए लेनदेन की रिपोर्टिंग से संबंधित भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के उल्लंघन के लिए फेमा, 1999 की धारा 11(3) के प्रावधानों के अंतर्गत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सिटी बैंक
भारतीय रिज़र्व बैंक ने उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत किए गए लेनदेन की रिपोर्टिंग से संबंधित भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के उल्लंघन के लिए फेमा, 1999 की धारा 11(3) के प्रावधानों के अंतर्गत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सिटी बैंक
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: अप्रैल 15, 2025