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Commercial Banking Overview

परिचय परिचय

परिचय

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

अधिदेश/लक्ष्य : विनियमन के लक्ष्य जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना, बैंकिंग कारोबार का सुव्यवस्थित विकास और परिचालन करना तथा बैंकिंग प्रणाली की समग्र सुदृढ़ता और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना है।

दायरा: वाणिज्यिक बैंक, लघु वित्त बैंक, भुगतान बैंक, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं, ऋण सूचना कंपनियां, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा स्थानीय क्षेत्र बैंक।

क्रमिक विकास: भारतीय बैंकिंग प्रणाली के विकास के साथ ही विनियामक कार्यों का विकास हुआ तथा अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर विवेकपूर्ण मानदंड अपनाए गए हैं।

RBI Commercial Banking Overview Simple Content

विविधतापूर्ण बैंकिंग प्रणाली का निर्माण करना

रिज़र्व बैंक अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, कुशल और विविधतापूर्ण बैंकिंग संरचना का निर्माण करने के लिए प्रयासरत है। बैंक को विश्वास है कि अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, कुशल और विविधतापूर्ण बैंकिंग संरचना विभिन्न प्रकार की ग्राहक आवश्यकताओं की पूर्ति अधिक कुशलतापूर्वक कर सकती है। चूंकि विभिन्न प्रकार के बैंक अपनी पहुंच, चलनिधि, पूंजीकरण तथा बाज़ार की शक्तियों के महत्व के आधार पर विभिन्न प्रकार से परिचालन करेंगे, इसलिए वे विस्तृत श्रेणियों की ग्राहक सेवाएं दे पाएंगे, जिससे ग्राहकों के हितों में वृद्धि होगी। वैश्विक बैंक, लघु वित्‍त बैंक और भुगतान बैंकों से संबंधित लाइसेंसिंग नीतियां विविधतापूर्ण बैंकिंग संरचना का निर्माण करने की दिशा में उठाए गए कदम हैं।

Commercial Banking Key Topics

मुख्य विषय

RBI Comercial Banking Overview Accordion

  • विनियमन के लिए प्रयुक्त साधन सांविधिक, विवेकपूर्ण विनियमन, अन्य विनियामक दिशानिर्देश तथा गवर्नर, उप-गवर्नर के भाषणों द्वारा नैतिक प्रत्यायन, और आवधिक बैठकें, सेमिनार आदि हैं।

विनियमन के लिए संरचना उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय/मुख्य बिंदु:

  • बैंक खोलने के लिए लाइसेंस जारी करना,
  • भारत में बैंकों द्वारा शाखाएं खोलने के लिए प्राधिकार देना,
  • विदेशी बैंकों के प्रवेश और विस्तार का नियंत्रण करना तथा भारतीय बैंकों को विदेश में परिचालन करने का अनुमोदन देना,
  • विवेकपूर्ण मानदंड, बासल II और III संरचनाओं का नीति-निर्माण, समीक्षा और कार्यान्वयन, ऋण, बाजार तथा परिचालनगत जोखिमें, दबाव परीक्षण पर परिमाणात्मक मॉडलों का वैधीकरण,
  • अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानक (आईएफआरएस), प्रतिभूतीकरण
  • समाधान क्रियाविधि, आदि।
  • बैंकों द्वारा एसएलआर और सीआरआर बनाए रखने की निगरानी,
  • निजी क्षेत्र के बैंकों के पूर्णकालिक निदेशकों और अंशकालिक अध्यक्ष और भारत में परिचालित विदेशी बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों की नियुक्तियों और उनके मुआवजा पैकेज को अनुमोदित करना।
  • बैंकिंग कंपनियों का समामेलन, पुनर्गठन और परिसमापन का निरीक्षण करना,
  • ग्राहक सेवा संबंधी नीतिगत मुद्दे,
  • धनशोधन निवारण और आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध तथा अपने ग्राहक को जानिए (केवायसी) के बारे में अनुदेश जारी करना
  • वित्तीय संस्थाओं का विनियमन,
  • निजी क्षेत्र बैंक के 5% या अधिक शेयरों या मतदान अधिकारों के अधिग्रहण के लिए पूर्व अनुमोदन प्रदान करना

विविधतापूर्ण बैंकिंग प्रणाली का निर्माण करना

  • रिज़र्व बैंक अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, कुशल और विविधतापूर्ण बैंकिंग संरचना का निर्माण करने के लिए प्रयासरत है। बैंक को विश्वास है कि अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, कुशल और विविधतापूर्ण बैंकिंग संरचना विभिन्न प्रकार की ग्राहक आवश्यकताओं की पूर्ति अधिक कुशलतापूर्वक कर सकती है। चूंकि विभिन्न प्रकार के बैंक अपनी पहुंच, चलनिधि, पूंजीकरण तथा बाज़ार की शक्तियों के महत्व के आधार पर विभिन्न प्रकार से परिचालन करेंगे, इसलिए वे विस्तृत श्रेणियों की ग्राहक सेवाएं दे पाएंगे, जिससे ग्राहकों के हितों में वृद्धि होगी। वैश्विक बैंक, लघु वित्‍त बैंक और भुगतान बैंकों से संबंधित लाइसेंसिंग नीतियां विविधतापूर्ण बैंकिंग संरचना का निर्माण करने की दिशा में उठाए गए कदम हैं।

वैश्विक बैंकों की लाइसेंसिंग

  • ‘निजी क्षेत्र में नवीन बैंकों की लाईसेंसिंग पर दिनांक 22 फरवरी 2013 के दिशानिर्देशों’ के अनुसार दो बैंकों जैसे कि आईडीएफसी बैंक लिमिटेड और बंधन बैंक लिमिटेड को बैंकिंग लाईसेंस जारी किए गए हैं। इस लाइसेंसिंग प्रक्रिया से प्राप्त अनुभव के आधार पर रिज़र्व बैंक दिनांक 1 अगस्त, 2016 के निजी क्षेत्र में यूनिवर्सल बैंकों के 'सदा-सुलभ' लाइसेंसिंग हेतु दिशानिर्देश' के तहत निरंतर आधार पर यूनिवर्सल बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन स्वीकार करने की ओर बढ़ गया है।

भिन्न बैंकों की लाइसेंसिंग

  • लघु वित्‍त बैंकों और भुगतान बैंकों के लाईसेंसिंग पर दिशानिर्देश दिनांक 27 नवंबर 2014 को जारी किए गए हैं। इन दिशानिर्देशों के अंतर्गत लघु वित्‍त बैंकों और भुगतान बैंकों को बैंकिंग लाईसेंस जारी किए गए हैं। ये बैंक "विशेष" या "भिन्न" बैंक हैं, जिनका समान लक्ष्य वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना है।

बैंकों के लिए पूंजी

  • भारतीय बैंकों के लिए बासल III पूंजी विनियमावली पहले घोषित तारीख 31 मार्च 2018 के बजाए 31 मार्च 2019 तक पूर्णत: लागू कर दी जाएगी, जो कि अंतर्राष्ट्रीय रूप से सहमति की तारीख 01 जनवरी 2019 के करीब है।

दबावपूर्ण आस्तियों का प्रबंधन

  • दबावपूर्ण आस्तियों का प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए बैंकों को दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ बैंकिंग प्रणाली द्वारा वित्तीय संकट की शुरू में ही पहचान और उसे हल करने के लिए तुरंत कदम उठाना सुनिश्चित करने की आवश्यकता को भी शामिल किया गया है।

बैंकिंग कंपनियों के लिए उपयोगी विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव:

  • बैंकिंग और प्रौद्योगिकी में नवीनताओं की पृष्ठभूमि में, अपने विविध व्यापार पोर्टफोलियो और जोखिमों के प्रबंधन में बैंकों को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए, वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर) के बोर्ड में निदेशकों के लिए विभिन्न सांविधिक प्रावधानों के तहत उल्लिखित विशेष ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव के क्षेत्रों को निम्नलिखित को शामिल करने के लिए विस्तृत किया गया है (i) सूचना प्रौद्योगिकी (ii) भुगतान और निपटान प्रणाली (iii) मानव संसाधन (iv) जोखिम प्रबंधन और (v) व्यवसाय प्रबंधन ।

सीएफओ और सीटीओ के लिए न्यूनतम पात्रताएं और अनुभव:

  • बैंकिंग और प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रही नवीनताओं को ध्यान में रखते हुए बैंक के जोखिम प्रशासन ढांचे को सशक्त करने और बनाए रखने में एक मुख्य वित्तीय अधिकारी और मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसलिए, इन पदों के लिए आवेदन आमंत्रित करते समय बैंकों द्वारा अनुपालन के लिए न्यूनतम पात्रता और अनुभव निर्धारित किए गए थे।

बैंकों में मुख्य जोखिम अधिकारी की नियुक्ति

  • प्रभावी जोखिम प्रबंधन की प्रक्रिया हेतु बैंकों को ऋण जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया को ऋण मंजूरी प्रक्रिया से अलग रखने की आवश्यकता है। जोखिम प्रबंधन प्रणाली को सर्वोत्तम कार्यप्रणाली के साथ समान दृष्टिकोण और संरेखण में लाने के लिए, बैंकों को बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करने की आवश्यकता है, जो मुख्य जोखिम अधिकारी (सीआरओ), जिसका व्यावसायिक वर्टिकल या व्यवसाय लक्ष्य के साथ कोई रिपोर्टिंग संबंध न हो, की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित कर सके । किसी भी परिस्थिति में, "ड्यूअल हैटिंग” की अनुमति नहीं दी जाएगी, अर्थात् सीआरओ, सीईओ / सीएफओ / आंतरिक लेखापरीक्षा के प्रमुख के रूप में कार्य नहीं करेगा।

बासल III लीवरेज अनुपात संरचना

  • वैश्विक वित्तीय संकट से प्राप्त अनुभव से यह पता चला है कि बैंकिंग प्रणाली में तुलनपत्र पर तथा तुलन-पत्रेतर अत्यधिक लीवरेज का निर्माण ही उन वित्तीय कमजोरियों के मूल में था, जिन्हें वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान देखा गया। बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासल समिति (बीसीबीएस) की हाल ही की सिफारिशों के आधार पर रिज़र्व बैंक लीवरेज अनुपात पर संशोधित दिशानिर्देश जारी करेगा।

एकल/समूह उधारकर्ताओं के लिए एक्सपोजर सीमाओं की समीक्षा

  • एक्सपोजर मानदंडों को क्रमिक रूप से संशोधित वैश्विक मानकों की श्रेणी में लाने के लिए रिज़र्व बैंक 2014-15 में उनकी समीक्षा करने का प्रस्ताव करता है। एक्सपोजर मानकों को कड़ा करने से चक्रीय गिरावट के दौरान जोखिम कम करने में भी सहायता मिलेगी, क्योंकि संरचना के अंतर्गत बैंकों का एक्सपोज़र कुछ बड़े और संबंधित प्रतिपक्षकारों में केंद्रित होने के बजाए बहुत बड़ी संख्या में असंबद्ध प्रतिपक्षकारों के साथ अधिक गहन और वैविध्यपूर्ण होगा।

संकट से सामना करने के लिए वित्तीय प्रणाली की क्षमताओं में सुधार करना

  • दबाव और संकट से सामना करने के लिए केवल प्रतिचक्रीय बफर उपलब्ध करा कर ही नहीं, बल्कि प्रभावी समाधान व्यवस्था के द्वारा दबाव से सीधे निपटने के लिए वित्तीय प्रणाली की क्षमताओं में सुधार करना महत्वपूर्ण है। रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2013-14 में इस संबंध में कुछ पहलें की हैं तथा कॉर्पोरेट ऋण पुनर्रचना प्रणाली, ऋण सूचना और समाधान व्यवस्था को मजबूत बना कर इस एजेंडा को आगे बढ़ाने की बैंक की योजना है। भारतीय रिज़र्व बैंक वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) के साथ समन्वय करके आवश्यक विधिक और संस्थागत परिवर्तन करके तथा एक समाधान निधि के निर्माण के द्वारा इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहता है।

बैंकों द्वारा आईएनडी एएस का कार्यान्वयन

  • रिज़र्व बैंक बैंकों तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अपनाए जाने वाले आईएनडी लेखांकन मानकों के रोड मैप को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।

Legal Framework Of Commercial Banking

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: नवंबर 23, 2022

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