परिचय
यद्यपि यह भूमिका हमारी गतिविधियों का एक ऐसा पहलू है, जिसके संबंध में स्पष्ट रूप से कहीं उल्लेख तो नहीं है, किंतु अति महत्वपूर्ण गतिविधियों की श्रेणी में इसकी गिनती की जाती है। इसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत संरचना के निर्माण हेतु संस्थाओं की स्थापना करना, किफायती वित्तीय सेवाओं की सुलभता बढ़ाना तथा वित्तीय शिक्षण एवं साक्षरता को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं।
भारत में ऐसे वित्तीय संस्थाएं हैं जो बैंक नहीं है किंतु वे जमाराशि स्वीकार करती हैं तथा बैंक की तरह ऋण सुविधा प्रदान करती हैं। भारत में इन्हें गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) कहा जाता है।
भारत में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में केवल वित्तीय कंपनियां शामिल नहीं है जैसा कि आम जनता द्वारा बड़े पैमाने पर समझा जाता है; इस शब्द में कंपनियों का एक बड़ा समूह शामिल है जो निवेश कारोबार, बीमा कारोबार, चिट फंड, निधि, व्यापार बैंकिंग, स्टॉक ब्रोकिंग, वैकल्पिक निवेश आदि का कारोबार करती है। अत: उक्त सभी कंपनियां भारतीय रिज़र्व बैंक के विनियामक अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है।
31 मार्च 2014 तक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की कुल संख्या 12,029 थी जिसमें से जमाराशि स्वीकार करने वाली एनबीएफसी की संख्या 241 है तथा रु. 100 करोड़ और उससे अधिक परिसंपत्ति के आकार वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां 465 है, रु. 50 करोड़ और रु. 100 करोड़ के बीच जमाराशि नहीं स्वीकार करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां 314 हैं और 50 करोड़ से कम परिसंपत्ति आकार वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां 11,009 हैं। इस क्षेत्र का कुल परिसंपत्ति आकार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक को छोड़कर) का लगभग 14 प्रतिशत है।