माल और सेवाओं का निर्यात - वसूलीरहित नहीं गए निर्यात बिलों को बट्टे खाते डालना - निर्यात प्रोत्साहनों की वापसी - आरबीआई - Reserve Bank of India
माल और सेवाओं का निर्यात - वसूलीरहित नहीं गए निर्यात बिलों को बट्टे खाते डालना - निर्यात प्रोत्साहनों की वापसी
भारिबैंक/2010-11/123 22 जुलाई 2010 सभी श्रेणी -। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय माल और सेवाओं का निर्यात - वसूलीरहित नहीं गए निर्यात बिलों को प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। (एडी श्रेणी -।) बैंकों का ध्यान 9 सितंबर 2000 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 12, 04 अप्रैल 2001 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 30, 14 दिसंबर 2002 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 61, 05 दिसंबर 2003 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.40 और 28 फरवरी 2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 33 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंकों को निर्यातकों द्वारा निर्यात बिलों को बट्टे खाते में डालने के लिए किये गये अनुरोध स्वीकार करने की अनुमति, अन्य बातों के साथ-साथ इस शर्त पर दी गयी है कि निर्यातकों ने संबंधित पोत लदान के संबंध में, यदि कोई निर्यात लाभ लिया हो, तो समानुपातिक निर्यात प्रोत्साहन को वापस करना चाहिए । 2. अब वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2009-14 में घोषित किया गया है तथा प्रक्रियाओं की पुस्तिका – खंड । (2009-2014) के पैराग्राफ 2.25.4 (उद्धरण संलग्न) में विनिर्दिष्ट किया गया है कि विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) के तहत किसी निर्यात संवर्धन योजना के अंतर्गत निर्यात आगम राशि की वसूली निम्नलिखित शर्तों के अधीन जरुरी नहीं है:- i) गुणवत्ता के आधार पर बट्टे खाते में डालना, प्रचलित दिशा-निर्देशों के अनुसार रिज़र्व बैंक द्वारा अथवा रिज़र्व बैंक की ओर से प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंकों द्वारा स्वीकृत किया गया है; ii) निर्यातक, क्रेता से निर्यात आगम राशि की वसूली न किये जाने के तथ्य के संबंध में भारत के संबंधित विदेश मिशन से एक प्रमाणपत्र प्रस्तुत करता है; और iii) यह स्वयं बट्टे खाते डालने के मामले में लागू नहीं होगा । उपर्युक्त छूट 27 अगस्त 2009 से किये गये निर्यातों के लिए लागू होगी। 3. यह स्पष्ट किया जाता है कि आयात कर वापसी योजना, सीमा-शुल्क अधिनियम, 1962 तथा उसके तहत बनाये गये नियमों के प्रावधानों द्वारा शासित की जाती है, अत: विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) (2009-2014) की प्रक्रियाओं की पुस्तिका – खंड । के पैराग्राफ 2.25.4 में निहित प्रावधान शुल्क वापसी योजना के लिए लागू नहीं होंगे । अतएव, शुल्क वापसी राशि वसूल करनी होगी भले ही दावे का निपटान भारतीय निर्यात ऋण गारंटी निगम(इसीजीसी) द्वारा किया गया हो अथवा बट्टे खाते में डालना रिज़र्व बैंक द्वारा स्वीकृत किया गया हो । 4. तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंकों को सूचित किया जाता है कि विदेश व्यापार नीति (एफटीपी)2009-2014 के तहत किसी विदेश संवर्धन योजना के अंतर्गत निर्यातक द्वारा शुल्क वापसी योजना के तहत यदि कोई निर्यात लाभ लिया हो तो उससे अन्य समानुपातिक निर्यात प्रोत्साहनों के अभ्यर्पण पर बल न दिया जाए बशर्ते उपर्युक्त पैराग्राफ 2 में दर्शाये गये अनुसार शर्ते पूर्ण की जाती है । 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने निर्यातक घटकों को और संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें । 6. इस परिपत्र में समाहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीय जी. जगनमोहन राव
संलग्नक
[ 22 जुलाई 2010 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) की प्रक्रियाओं की पुस्तिका – खंड ।- 2009-14 के पैराग्राफ 2.25.4 का उद्धरण " विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) के तहत किसी निर्यात संवर्धन योजना के अंतर्गत निर्यात आगम राशि की वसूली पर बल नहीं दिया जाना चाहिए, यदि भारतीय रिज़र्व बैंक गुणवत्ता के आधार पर निर्यात आगम राशि की वसूली की आवश्यकता बट्टे खाते में डालता है और निर्यातक, क्रेता से निर्यात आगम राशि की वसूली न किये जाने के तथ्य के संबंध में भारत के संबंधित विदेश मिशन से एक प्रमाणपत्र प्रस्तुत करता है ।
तथापि, यह स्वयं बट्टे खाते डालने के मामले में लागू नहीं होगा । "
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