विदेशी ईक्विटी धारकों से बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) लेना - क्रियाविधि का सरलीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी ईक्विटी धारकों से बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) लेना - क्रियाविधि का सरलीकरण
भारिबैंक/2013-14/594 16 मई 2014 सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, विदेशी ईक्विटी धारकों से बाह्य वाणिज्यिक उधार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) से संबंधित, समय-समय पर यथा संशोधित 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है। उनका ध्यान 7 सितंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं 11, 26 सितंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.29 तथा 4 सितंबर 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 31 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है। 2. मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के अनुसार, प्रत्यक्ष विदेशी ईक्विटी धारकों (FEHs) से बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने पर स्वचालित तथा अनुमोदन, दोनों मार्गों, के तहत, जैसा भी मामला हो, विचार किया जाता है। तथापि, सामान्य कार्पोरेट उद्देश्य के लिए अप्रत्यक्ष ईक्विटी धारकों तथा ग्रुप कंपनियों से बाह्य वाणिज्यिक उधारों और प्रत्यक्ष विदेशी ईक्विटी धारकों से बाह्य वाणिज्यिक उधारों पर अनुमोदन मार्ग के तहत विचार किया जाता है। इसके अलावा, विदेशी ईक्विटी धारकों के मामले में, ईसीबी उधारदाता में परिवर्तन संबंधी अनुरोध पर भारतीय रिज़र्व बैंक का अनुमोदन लेना अपेक्षित है। 3. मौजूदा क्रियाविधि को सरल बनाने के उपाय के रूप में, यह निर्णय लिया गया है कि स्वचालित मार्ग के तहत निम्नलिखित मामलों को अनुमोदन प्रदान करने के लिए प्राधिकृत व्यापारी बैंकों में शक्तियों का प्रत्यायोजन किया जाए:
4. संबंधित परिपत्रों में निहित सभी अन्य शर्तें लागू बनी रहेंगी। 5. ईसीबी नीति के अन्य पहलू जैसे पात्र उधारकर्ता, मान्यता-प्राप्त उधारदाता, अनुमत अंतिम उपयोग, ईसीबी राशि, समग्र लागत, औसत परिपक्वता अवधि, समय पूर्व-भुगतान, ईसीबी देयता: ईक्विटी अनुपात, वर्तमान ईसीबी का पुनर्वित्तपोषण, रिपोर्टिंग व्यवस्था, आदि अपरिवर्तित बने रहेंगे। 6. ये परिवर्तन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। 7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों / ग्राहकों को अवगत कराएं। 8. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीय (रुद्र नारायण कर) |