मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं के वित्तीय विवरण- प्रस्तुति, प्रकटीकरण और रिपोर्टिंग) निदेश, 2016 - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं के वित्तीय विवरण- प्रस्तुति, प्रकटीकरण और रिपोर्टिंग) निदेश, 2016
आरबीआई/डीबीआर/2015-16/26 23 जून 2016 मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (अखिल भारतीय वित्तीय भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 ठ के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, इस बात से आश्वस्त होने पर कि ऐसा करना लोकहित में आवश्यक और लाभकारक है तथा वित्तीय क्षेत्र की नीति के लिए हितकारी है, एतद्वारा इसमें इसके बाद विनिर्दिष्ट निदेश जारी करता है। अध्याय- I 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ
2. प्रयोज्यता ये निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित सभी अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं (एआईएफ़आई) यथा एक्जिम बैंक, नाबार्ड, एनएचबी और सिडबी पर दिसंबर 20161 को समाप्त तिमाही से लागू होंगे। अध्याय- II 3. एआईएफ़आई उनके द्वारा किए जाने वाले सभी कारोबारों के संबंध में वर्ष या अवधि, जैसी स्थिति हो, के अंतिम कार्यदिवस के आधार पर तुलन पत्र और लाभ-हानि लेखा तैयार करेंगे, जिनका स्वरूप और तरीका उनके कार्यकलापों को अधिशासित करने वाले अधिनियम के तहत विनिर्दिष्ट किया जाएगा। 4. एकल स्तरीय वित्तीय विवरणों के साथ-साथ, एआईएफ़आई समेकित वित्तीय विवरण भी तैयार और प्रकट करेंगे। 5. समेकित वित्तीय लेखा, लेखांकन मानक (एएस) 21 – समेकित वित्तीय विवरण (सीएफ़एस) और अन्य संबंधित लेखांकन मानक – एएस 23 - समेकित वित्तीय विवरणों में सहयोगियों में निवेश का लेखा और एएस 27 – संयुक्त उद्यम में हितों की वित्तीय रिपोर्टिंग के अनुसार तैयार किए जाएंगे। इस प्रयोजन से “मूल”, “अनुषंगी”, “सहयोगी”, “संयुक्त उद्यम”, “नियंत्रण” और “समूह” शब्दों का वही अर्थ होगा जो उपरोक्त लेखांकन मानकों में उन्हें दिया गया है। 6. समेकित वित्तीय विवरण प्रस्तुत करने वाली मूल कंपनी सभी अनुषंगियों, देशी और विदेशी, को भी समेकित करेगी, सिवाय उनके जिन्हें एएस- 21 के तहत विनिर्दिष्ट रूप से छूट देने की अनुमति दी गई हो। किसी अनुषंगी को समेकित न किए जाने का कारण सीएफ़एस में प्रकट करना होगा। किसी विशिष्ट संस्था को शामिल किया जाए या नहीं, यह निर्णय करने की ज़िम्मेदारी मूल संस्था के प्रबंधन की होगी और यदि सांविधिक लेखापरीक्षकों का यह विचार है कि कोई संस्था जिसे समेकित किया जाना चाहिए था, उसे छोड़ दिया गया है, तो उन्हें इस बारे में टिप्पणी करनी होगी। 7. सीएफ़एस में सामान्यतः समेकित तुलन पत्र, समेकित हानि- लाभ लेखा विवरण, मुख्य लेखांकन नीतियों और लेखा संबंधी टिप्पणियों को शामिल किया जाएगा। 8. समेकन में प्रयुक्त वित्तीय विवरण समान रिपोर्टिंग तिथि के होंगे। यदि यह संभव नहीं है, तो एएस- 21 अनुषंगी कंपनियों के छह महीने पुराने तुलन पत्र का प्रयोग करने की अनुमति देता है और निर्दिष्ट करता है कि बीच की अवधि में हुए महत्वपूर्ण लेन-देन या अन्य गतिविधियों के प्रभाव को समायोजित किया जाएगा। यदि मूल संस्था और अनुषंगी की तुलन पत्र तिथि अलग- अलग है, तो मूल संस्था की तुलन पत्र तिथि के अनुसार अंतर-समूह नेटिंग की जाएगी। ऐसे मामलों में, जहां तुलन पत्र तिथि एआईएफ़आई के समान है, वहां एआईएफ़आई नियंत्रक तथा महालेखापरीक्षक द्वारा अपने अनुषंगियों की लेखापरीक्षा का इंतजार किए बिना अपना समेकित लेखा विवरण (सीएफ़एस) प्रकाशित करेंगे। तथापि, एआईएफ़आई मूल कंपनी के साथ अनुषंगियों के लेखों के समेकन से पहले यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे अनुषंगियों के लेखों की सांविधिक लेखापरीक्षा पूरी हो चुकी है। 9. समान परिस्थितियों में समान प्रकार के लेन-देनों और अन्य गतिविधियों के लिए समान लेखांकन नीतियों का उपयोग कर सीएफएस तैयार किया जाएगा। यदि ऐसा करना व्यवहार्य नहीं है, तो इस तथ्य के साथ-साथ समेकित वित्तीय विवरण में जिन मदों के लिए भिन्न लेखांकन नीतियां लागू की गई हैं, उनका अनुपात प्रकट किया जाएगा। एक समान लेखांकन नीतियों का उपयोग कर सीएफएस तैयार करने के उद्देश्य से एआईएफ़आई अनुषंगियों के सांविधिक लेखा परीक्षकों द्वारा प्रस्तुत किए गए असमान लेखा नीतियों के समायोजन विवरण पर निर्भर करेंगे। 10. जिन मामलों में एक समूह की विभिन्न संस्थाएं विभिन्न व्यवसायों से संबंधित विनियामक द्वारा निर्धारित भिन्न लेखा मानकों के द्वारा नियंत्रित होते हैं, वहां एआईएफ़आई समेकन के उद्देश्य से एक ही प्रकार की परिस्थितियों में समान लेन-देन और अन्य गतिविधियों के लिए उस पर लागू होने वाले नियमों और विनियामक अपेक्षाओं का उपयोग करेंगे। जहां विनियामक मानदंड भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किए गए हैं, वहां लेखांकन मानकों के अनुसार लागू मानदंडों का पालन किया जाएगा। 11. मूल्यांकन के प्रयोजन से, सहयोगी कंपनियों (एएस 23 के अंतर्गत विनिर्दिष्ट रूप से छूटप्राप्त के अलावा) में निवेश का लेखांकन एएस 23 के अनुसार लेखांकन की "इक्विटी विधि" के अंतर्गत किया जाएगा। 12. जिन अनुषंगियों का समेकन न किया गया हो और जिन सहयोगियों को एएस 23 के अंतर्गत छूटप्राप्त है, इनमें निवेश का मूल्यांकन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी संबंधित मूल्यांकन मानदंडों के अनुसार किया जाएगा। संयुक्त उद्यमों में निवेश के मूल्यांकन का लेखांकन एएस 27 के “आनुपातिक समेकन´ विधि से किया जाएगा। एआईएफ़आई अनुषंगियों, सहयोगियों और संयुक्त उद्यमों को विनिर्दिष्ट परिस्थितियों में समेकन में शामिल न किए जाने से संबंधित लेखांकन मानकों के प्रावधानों को ध्यान में रखेंगे। 13. एकल स्तरीय वित्तीय विवरण और समेकित वित्तीय विवरण एआईएफ़आई के वार्षिक लेखा प्रकाशित होने के एक माह के भीतर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किए जाएंगे। अध्याय- III 14. एआईएफ़आई वित्तीय विवरणों के “लेखा पर टिप्पणियों ”में इन निदेशों के अनुबंध I में विनिर्दिष्ट की गई जानकारी प्रकट करेंगे। इस प्रकटीकरण का उद्देश्य केवल अन्य नियमों, विनियमों या लेखांकन और वित्तीय रिपोर्टिंग मानकों की प्रकटीकरण अपेक्षाओं का पूरक बनना है, न कि उन्हें प्रतिस्थापित करना। इस निदेश में दिए गए प्रकटीकरण न्यूनतम हैं, और एआईएफ़आई को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे अपने विशिष्ट परिचालनों से संबंधित उपयुक्त माने जाने वाले अतिरिक्त प्रकटीकरण भी करें। 15. एआईएफ़आई लेखांकन मानकों से संबंधित विशिष्ट मुद्दों पर अनुबंध II में दिए गए मार्गदर्शन का पालन करेंगे। अध्याय- IV दायरा 16. यदि किसी एआईएफ़आई के कोई अनुषंगी, संयुक्त उद्यम या सहयोगी हैं, तो उसे सीएफ़एस के साथ-साथ उसके नियंत्रण वाली सभी संस्थाओं सहित पूरे समूह से संबंधित समेकित विवेकपूर्ण रिपोर्ट (सीपीआर) भी तैयार करनी होगी, जैसा कि अनुबंध III में निर्धारित किया गया है। यह रिपोर्टें तैयार करने के लिए एआईएफ़आई अनुबंध IV में दिए गए मार्गदर्शन का पालन करेंगे। किसी समेकित एआईएफ़आई के सीपीआर में वित्तीय गतिविधियां करने वाली उसकी संबंधित संस्थाओं (अनुषंगी, सहयोगी और संयुक्त उद्यम) की जानकारी और लेखे शामिल किए जाएंगे। एआईएफ़आई को सीपीआर के प्रयोजन से किसी संस्था को शामिल न करने के लिए औचित्य बताना होगा। बारंबारता 17. एकल संस्थाओं के लिए मौजूदा डीएसबी विवरणियों की तर्ज पर परोक्ष रिपोर्टिंग प्रणाली के एक भाग के रूप में सीपीआर छमाही आधार पर प्रस्तुत करना होगा। मार्च में समाप्त छमाही के लिए सीपीआर जून के अंत तक प्रस्तुत करना होगा। यदि सीपीआर के अंतर्गत आने वाली संस्थाओं के लेखा-परीक्षित परिणाम उपलब्ध नहीं हैं, तो एआईएफ़आई ऐसी संस्थाओं के अलेखापरीक्षित परिणामों के साथ जून के अंत तक अनंतिम सीपीआर और सितंबर के अंत तक अंतिम स्थिति प्रस्तुत करेंगे। सितंबर में समाप्त छमाही के लिए सीपीआर दिसंबर के अंत तक अवश्य प्रस्तुत किए जाने चाहिए।2 फॉर्मेट 18. एआईएफ़आई संबंधित अधिनियमों के तहत निर्धारित अपने एकल तुलन पत्र का फॉर्मेट ही उचित संशोधनों के साथ सीपीआर के लिए भी प्रयोग करेंगे। सीपीआर में समेकित तुलन पत्र, समेकित लाभ एवं हानि लेखा और समेकित एआईएफ़आई के वित्तीय/ जोखिम प्रोफाइल पर चयनित डेटा शामिल होंगे। अन्य समेकित अनुदेश 19. जो संबंधित संस्थाएं गहन दीर्घकालिक प्रतिबंधों के अंतर्गत परिचालन कर रही हैं, जिससे मूल कंपनी को निधियाँ अंतरित करने की उनकी क्षमता काफी कम हो गई है, के संबंध में एआईएफ़आई को ऐसी संबंधित संस्थाओं द्वारा देय राशि और उनसे वसूली जाने वाली निवल राशि का बही मूल्य अलग से प्रकट करना होगा। एआईएफ़आई इसमें होने वाली कमी के लिए उपयुक्त प्रावधान करने पर भी विचार करेंगे। अध्याय-V निरसन और जारी रहना 20. इन निदेशों को जारी करने के साथ ही रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुबंध V में दिए गए परिपत्रों में निहित अनुदेश/ दिशानिर्देश निरस्त किए जाते हैं। उपरोक्त परिपत्रों में दिए गए सभी अनुदेश/ दिशानिर्देश इन निदेशों के अधीन दिए गए माने जाएंगे। निरसन की तारीख के बाद बैंक द्वारा जारी किए गए किसी अन्य परिपत्र/ दिशानिर्देश/ अधिसूचना में इन निरस्त किए गए परिपत्रों के उल्लेख का आशय इन निदेशों, अर्थात, वित्तीय विवरण – प्रस्तुति और प्रकटीकरण निदेश, 2016 के संदर्भ में माना जाएगा। इस निरसन के बावजूद, एतदद्वारा निरस्त किए गए परिपत्रों के तहत की गई, की गई मानी गई या आरंभ की गई कार्रवाई इन्हीं परिपत्रों के प्रावधानों के द्वारा अधिशासित होती रहेगी। अन्य क़ानूनों का लागू होना प्रतिबंधित नहीं 21. इन निदेशों के प्रावधान उस समय लागू किसी भी अन्य कानून, नियम, विनियम या निदेशों के प्रावधानों की अवमानना में नहीं, बल्कि उनके अतिरिक्त होंगे। व्याख्याएं 22. इन निदेशों के प्रावधानों को प्रभावी बनाने के प्रयोजन से या प्रावधानों को लागू करने या उनकी व्याख्या करने में किसी कठिनाई को दूर करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक, यदि ऐसा करना आवश्यक समझे तो, इसमें शामिल किसी भी विषय पर आवश्यक स्पष्टीकरण जारी कर सकता है, और इन देशों के किसी भी प्रावधान पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दी गई व्याख्या अंतिम और बाध्यकारी होगी। इन निदेशों के द्वारा निरसन किए गए परिपत्रों की सूची [अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं (एक्ज़िम बैंक, नाबार्ड, एनएचबी तथा सिडबी) पर लागू होने की सीमा तक]
1वित्तीय संस्थाओं के लिए प्रकटीकरण मानदंड पर दिनांक 1 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र में दिए गए अनुदेश 30 सितंबर 2016 तक लागू होना जारी रहेगा। 2एनएचबी के मामले में अलेखापरीक्षित परिणामों के साथ अनंतिम सीपीआर सितंबर के अंत तक और अंतिम स्थिति दिसंबर के अंत तक प्रस्तुत किया जाएगा। |