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अवयस्कों (नाबालिग) का जमा खाता खोलना और उनका परिचालन करना

भारिबैं/2025-26/26
विवि.एमसीएस.आरईसी.17/01.01.003/2025-26                                      

21 अप्रैल 2025

सभी वाणिज्यिक बैंक
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
सभी राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक

महोदया / महोदय,

अवयस्कों (नाबालिग) का जमा खाता खोलना और उनका परिचालन करना

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पहले भी बैंकों को अवयस्कों के जमा खाते खोलने और उनके परिचालन संबंधी दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।  मौजूदा दिशानिर्देशों को तर्कसंगत और सुसंगत बनाने के उद्देश्य से वर्तमान दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई है।  

2. समीक्षा के आधार पर, अवयस्कों के जमा खाते खोलने और परिचालन संबंधी संशोधित अनुदेश नीचे दिए गए हैं:

(ए) किसी भी आयु के अवयस्कों को अपने प्राकृतिक अथवा कानूनी अभिभावक के माध्यम से बचत और सावधि जमा खाते खोलने और परिचालित करने की अनुमति दी जा सकती है। उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 29 दिसंबर 1976 के परिपत्र डीबीओडी.एलईजी.बीसी.158/सी.90(एच)-76 के अनुसार अभिभावक के रूप में माता के साथ ऐसे खाते खोलने की अनुमति भी दी जा सकती है।

(बी) कम से कम 10 वर्ष की आयु सीमा से अधिक तथा बैंकों द्वारा अपनी जोखिम प्रबंधन नीति को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की गई राशि और शर्तों के अनुसार अवयस्कों को, यदि वे चाहें तो, स्वतंत्र रूप से बचत/सावधि जमा खाते खोलने और परिचालित करने की अनुमति दी जा सकती है, और ऐसी शर्तों की जानकारी खाताधारक को दी जाएगी।

(सी) वयस्क होने पर, खाताधारक के नए परिचालन अनुदेश और नमूना हस्ताक्षर प्राप्त किए जाएंगे तथा उन्हें रिकार्ड में रखा जाएगा। इसके अतिरिक्त, यदि खाता अभिभावक द्वारा संचालित किया जाता है, तो शेष राशि की पुष्टि की जाएगी। बैंकों को इन अपेक्षाओं की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वयस्कता आयु प्राप्त करने वाले नाबालिग खाताधारकों को इन आवश्यकताओं के बारे में सूचित करने सहित अग्रिम कार्रवाई करनी होगी।  

(डी) बैंक अपनी जोखिम प्रबंधन नीति, उत्पाद अनुकूलता और ग्राहक उपयुक्तता के आधार पर अवयस्क खाताधारकों को इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम/डेबिट कार्ड, चेक बुक सुविधा आदि जैसी अतिरिक्त बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने के लिए स्वतंत्र हैं।

(ई) बैंकों को सुनिश्चित करना होगा कि अवयस्कों के खातों में, चाहे वे स्वतंत्र रूप से परिचालित हों अथवा अभिभावक के माध्यम से, जमाराशि से अधिक आहरित नहीं की जाए तथा उनमें हमेशा जमाराशि शेष बना रहे।  

(एफ़) बैंकों को अवयस्कों के जमा खाते खोलने के लिए एवं अविरत समुचित सावधानी बरतने हेतु अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) निदेश, 2016 पर दिनांक 25 फरवरी 2016 के मास्टर निदेश, (समय-समय पर यथासंशोधित) के प्रावधानों के अनुसार समुचित सावधानी बरतनी होगी।

3. उपर्युक्त दिशानिर्देश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए और 56 के अंतर्गत जारी किए गए हैं। बैंकों को सूचित किया जाता है कि इन दिशानिर्देशों के अनुरूप नई नीतियां बनाएं और/अथवा मौजूदा नीतियों में संशोधन कर 01 जुलाई 2025 तक लागू करें। इस दौरान, मौजूदा नीतियां जारी रहेंगी।

4. अनुबंध में सारणीबद्ध परिपत्र इस परिपत्र की प्रभावी तिथि से निरस्त माने जाएंगे।

भवदीया

(वीणा श्रीवास्तव)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

अवयस्क के जमा खातों पर जारी दिशा-निर्देशों की सूची

क्रम सं. परिपत्र तारीख परिपत्र का शीर्षक
1 आरपीसीडी.सं.आरएफ.डीआईआर.बीसी.32/डी.1-85 08 जनवरी 1985 अभिभावक के रूप में माता के साथ अवयस्क के नाम पर बैंक खाता खोलना
2 यूबीडी.(डीसी)1148/वी.1-84/85 22 फ़रवरी 1985 अभिभावक के रूप में माता के साथ अवयस्क के नाम पर बैंक खाता खोलना
3 डीबीओडी.सं.एलईजी.बीसी.19/सी.90(एच)-89 08 सितम्बर 1989 माता को अभिभावक बनाकर अवयस्कों के नाम पर बैंक खाते खोलना
4 डीबीओडी.सं.एलईजी.बीसी.28/सी.90(एच)-89 06 अक्टूबर 1989 माता को अभिभावक बनाकर अवयस्कों के नाम पर बैंक खाते खोलना
5 यूबीडी.डीसी.1/वी.1-89/90 02 जनवरी 1990 माता को अभिभावक बनाकर अवयस्कों के नाम पर बैंक खाते खोलना
6 डीबीओडी.सं.एलईजी.बीसी.108/09.07.005/2013-14 06 मई 2014 अवयस्कों के नाम पर बैंक खाते खोलना
7 यूबीडी.बीपीडी.(पीसीबी).परि.सं.61/13.01.000/2013-14 12 मई 2014 अवयस्कों के नाम पर बैंक खाते खोलना
8 आरपीसीडी.सीओ.आरआरबी.बीसी.सं.100/03.05.33/2013-14 12 मई 2014 ‘क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में ग्राहक सेवा’ पर परिपत्र के अनुबंध का पैराग्राफ 4.10 (माता को अभिभावक बनाकर नाबालिगों के नाम पर खाते खोलना)
9 आरपीसीडी.सीओ.आरआरबी.बीसी.सं..104/03.05.33/2013-14 27 मई 2014 अवयस्कों के नाम पर बैंक खाते खोलना
10 आरपीसीडी.सीओ.आरसीआरबी.बीसी.सं..29/07.51.010/2014-15 09 सितंबर 2014 अवयस्कों के नाम पर बैंक खाते खोलना

डीबीओडी.सं.एलईजी.बीसी.158/सी.90(एच)-76

29 दिसंबर 1976

सभी वाणिज्यिक बैंक

महोदय,

माता को अभिभावक बनाकर अवयस्कों के नाम पर बैंक खाते खोलना

हमारे संज्ञान में लाया गया है कि महिला ग्राहकों को अवयस्कों के नाम से, उनकी माताओं को अभिभावक बनाकर बैंक खाते खोलने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। संभवतः, बैंक, पिता के जीवित रहते हुए अवयस्क बच्चे की माता को अभिभावक के रूप में स्वीकार करने के लिए अनिच्छुक होते हैं, क्योंकि हिंदू अप्राप्तवयता और संरक्षकता अधिनियम, 1956 की धारा 6 के अनुसार ऐसे मामलो में केवल पिता को ही अभिभावक माना जाना चाहिए। इस कानूनी कठिनाई को दूर करने के लिए तथा बैंकों को अवयस्कों के नाम पर उनकी माताओं की अभिभावकता में ऐसे खाते स्वतंत्र रूप से खोलने में सक्षम बनाने हेतु, कुछ वर्गों से सुझाव दिया गया है कि उपरोक्त प्रावधानों में उचित संशोधन किया जाना चाहिए। हालांकि यह सत्य है कि उपर्युक्त अधिनियम में संशोधन से हिंदुओं के मामले में कठिनाई दूर हो सकती है, लेकिन इससे अन्य समुदायों की समस्या हल नहीं होगी, क्योंकि मुस्लिम, ईसाई, पारसी समुदायों के अवयस्क तब तक इससे बाहर रह जाएंगे, जब तक कि इन समुदायों को नियंत्रित करने वाले कानूनों में भी संशोधन नहीं किया जाता।

2. इसलिए, हमने भारत सरकार के साथ परामर्श करके उपर्युक्त समस्या के विधिक और व्यावहारिक पहलुओं की जांच की और हमें सूचित किया गया कि यदि माताओं को अभिभावक के रूप में मानने की मांग को रेखांकित करने वाला विचार केवल सावधि और बचत बैंक खाते खोलने से संबंधित है, तो अपेक्षाओं को पूरा करने में कोई कठिनाई नहीं होगी, क्योंकि कानूनी प्रावधानों के बावजूद, ऐसे खाते बैंकों द्वारा खोले जा सकते हैं, बशर्ते उन खातों में परिचालन की अनुमति देने में पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए जाएं, यह सुनिश्चित करके कि अभिभावकों के रूप में माताओं के साथ खोले गए अवयस्कों के खातों से अधिक राशि निकालने की अनुमति नहीं है और वे हमेशा क्रेडिट में रहें। इस प्रकार, अवयस्कों की करार करने की क्षमता, विवाद का विषय नहीं होगी। यदि यह सावधानी बरती जाए तो बैंकों के हितों की पर्याप्त सुरक्षा हो सकेगी। अत: हमें प्रसन्नता होगी यदि आप कृपया अपनी सभी शाखाओं को उपरोक्त उल्लिखित  स्थिति से अवगत करा दें और उन्हें अनुदेश दें कि जब भी उनके पास ऐसे अनुरोध प्राप्त होते है तो वे, उपरोक्त उल्लिखित सुरक्षा उपायों के अधीन अभिभावकों के रूप में माताओं के साथ अवयस्कों के खाते (केवल सावधि और बचत) खोलने की अनुमति दें।

भवदीय,

पी.आर. कुलकर्णी
उप मुख्य अधिकारी

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