समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश (ODI) – वार्षिक कार्य-निष्पादन रिपोर्ट (APR) प्रस्तुत करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश (ODI) – वार्षिक कार्य-निष्पादन रिपोर्ट (APR) प्रस्तुत करना
भा.रि.बैंक/2015-16/373 13 अप्रैल 2016 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक महोदया/महोदय, समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश (ODI) – वार्षिक कार्य-निष्पादन रिपोर्ट (APR) प्रस्तुत करना प्राधिकृत व्यापारी (एडी-श्रेणी I) बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथा संशोधित 7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120/आरबी-2004 [विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली 2004] (अधिसूचना) की ओर आकर्षित किया जाता है। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान ODI फॉर्मो को युक्तिसंगत बनाने पर 1 जून 2007 का ए.पी. (डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 68, वार्षिक कार्य-निष्पादन रिपोर्ट (एपीआर) प्रस्तुत करने संबंधी दिशानिर्देशों को युक्तिसंगत बनाने पर 12 सितंबर 2012 का ए.पी. (डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 29, निवासी व्यक्तियों द्वारा उदारीकृत विप्रेषण योजना (LRS) जिसके अंतर्गत उन्हें भारत के बाहर संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी गठित करने की अनुमति दी जाती है, पर 14 अगस्त 2013 का ए.पी. (डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 24 तथा 1 जनवरी 2016 के एफआईडी के मास्टर निदेश सं 15/ 2015-16 के पैरा बी.14 की ओर भी आकर्षित किया जाता है। 2. वर्तमान में भारतीय पक्षकार (आईपी) / निवासी व्यक्ति (आरआई) जिसने समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई) किया है उसे समय-समय पर यथासंशोधित 7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120/ रिज़र्व बैंक - 2004 के अंतर्गत कतिपय बाध्यताओं का अनुपालन करना होता है। इन बाध्यताओं में भारतीय पक्षकार / एकल निवासी द्वारा भारत के बाहर गठित अथवा अनुग्रहित प्रत्येक संयुक्त उद्यम (जेवी) / पूर्ण स्वामित्ववाली सहयोगी कंपनी (WOS) के संबंध में हर वर्ष 30 जून तक रिज़र्व बैंक को फॉर्म ओडीआई भाग III में वार्षिक कार्य-निष्पादन रिपोर्ट (APR) प्रस्तुत करने की बाध्यता शामिल है। 3. यह पाया गया है कि: (क) भारतीय पार्टी / निवासी भारतीय नियमित रूप से एपीआर प्रस्तुत नहीं करते हैं अथवा विलंब से प्रस्तुत करते हैं। यह अधिसूचना के नियम-15 के अनुरूप नहीं है। (बी) पदनामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक (एडीबैंक) द्वारा कई बार विप्रेषणों और वित्तीय प्रतिबद्धता के अन्य फॉर्म का स्वचाति मार्ग से ऐसे भेजे जाते हैं जबकि ऐसे विप्रेषणों को प्रभावित करने वाले भारतीय पक्षवार / एकल निवासी के सभी समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम / संपूर्ण स्वामित्तवाली सहयोगी कंपनी के संबंध में एपीआर प्रस्तुत नहीं किया गया है। यह अधिसूचना के नियम 6(2)(iv) का उल्लंघन है। 4. प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को भारतीय पक्षकारों /एकल निवासीयों द्वारा एपीआर प्रस्तुती की जॉंच के लिए बेहतर क्षमता उपलब्ध कराने और एपीआर प्रस्तुत करने के संबंध में अनुपालन स्तर को सुधारने के लिए अब निम्नानुसार सूचित किया जाता है कि : क) ऑनलाइन ओआईडी आवेदन को उचित रूप से आशोधित किया गया है ताकि प्राधिकृत व्यापारी बैंक का नोडल कार्यालय उन संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी जिसके लिए वह पदनामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक नहीं है सहित किसी आवेदक से संबंधित सभी एपीआर की बकाया स्थिति को देख सकते हैं। तदनुसार, एडीबैंक को पात्र आवेदक की ओर से लेनदेन संबंधी किसी ओडीआई करने / सुविधा देने से पूर्व यह पुष्टि करने के लिए कि आवेदक को सभी संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्व सहायक कंपनी के संबंध में सभी एपीआर प्रस्तुत किए गए हैं उनको अपने नोडल कार्यालय से आवश्यक रूप से जॉंच कर लेनी चाहिए। ख) एकल निवासी के मामले में सांविधिक लेखापरीक्षक अथवा सनदी लेखाकार द्वारा एपीआर के अधिप्रमाणन पर जोर देने की आवश्यकता नहीं है। ग) यदि एकाधिक भारतीय पक्षकार / एकल निगरानी ने एकसमान समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में निवेश किया है तो एपीआर प्रस्तुत करने का दायित्व संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में अधिकतम शेयरधारिता वाले भारतीय पक्षकार / एकल निवासी का होगा। वैक्पिक तौर पर समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में शेयर धारण करने वाले भारतीय पक्षकार / एकल निवासी परस्पर सहमति से एपीआर प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी किसी पदनामित संस्था को सौंप सकते है जो एडी बैंक को उचित वचनपत्र प्रस्तुत करते हुए अधिसूचना के नियम 15 (iii) के अंतर्गत एपीआर प्रस्तुत करने के अपने उत्तरदायित्व की सूचना रसीद देंगे ; घ) भारतीय पक्षकार / एकल निवासी जिसने अधिसूचना के नियमों के अंतर्गत समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी स्थापित / ग्रहण की है वे हर वर्ष एडी बैंक को भारत के बाहर वाली प्रत्येक जेवी / डब्ल्यूओएस के संबंध में फॉर्म ओडीआई भाग II में एक एपीआर और अन्य रिपोर्ट अथवा दस्तावेज हर वर्ष 31 दिसंबर तक अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित तारीख तक प्रस्तुत करना होगा। प्रस्तुत किया जानेवाला एपीआर रिज़र्व बैंक द्वारा विशिष्ट छूट को छोड़कर संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के अद्यतन लेखा परीक्षित वार्षिक खातों के आधार पर होना चाहिए। 5. प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को बैंक / शाखा स्तर पर सभी डीलिंग अधिकारियों को आवश्यक अनुदेश जारी करने चाहिए और मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए उचित प्रक्रियाएं और प्रणालियां बनाएं। एपीआर प्रस्तुत करने संबंधी किसी भी अनुदेशों का गैर-अनुपालन को यथासंशोधित 7 जुलाई 2004 के अधिनियम सं. फेमा 120/रिज़र्व बैंक–2004 के नियम-15 का उल्लंघन माना जाएगा और इसे गंभीरता से लिया जाएगा। 6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को इस परिपत्र की विषवस्तु से अवगत कराएं। 7. इन परिवर्तनों को दर्शाने के लिए 1 जनवरी 2016 के मास्टर निदेशन सं. 15/2015-16 और 1 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं. 18/2015-16 को अद्यतन किया जा रहा है। 8. इस परिपत्र में दिए गए निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 की 42) की धारा 10(4) तथा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और इससे किसी अन्य क़ानून के अंतर्गत वांछित अनुमति/ अनुमोदन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। भवदीय (ए. के. पाण्डेय) |