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भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋणों पर पूर्व-भुगतान प्रभार) निदेश, 2025

भारिबैं/2025-26/64
विवि.एमसीएस.आरईसी.38/01.01.001/2025-26

2 जुलाई 2025

भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋणों पर पूर्व-भुगतान प्रभार) निदेश, 2025

सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई)1 के लिए आसान एवं किफायती वित्तपोषण की उपलब्धता अत्यंत महत्वपूर्ण है। तथापि, रिज़र्व बैंक की पर्यवेक्षी समीक्षाओं ने दर्शाया है कि एमएसई को स्वीकृत ऋणों के मामले में पूर्व-भुगतान प्रभार लगाने के संबंध में विनियमित संस्थाएं (आरई) भिन्न-भिन्न प्रथाओं का पालन कर रहे हैं जिनके कारण ग्राहक शिकायतें और विवाद उत्पन्न होते हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ आरई ने ऋण संविदाओं/करारों में प्रतिबंधात्मक खंड शामिल किए हैं ताकि उधारकर्ताओं को कम ब्याज दर अथवा बेहतर सेवा शर्तों का लाभ उठाने के लिए किसी अन्य ऋणदाता के पास जाने से रोका जा सके। तदनुसार, जैसा कि 9 अक्तूबर 2024 को विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में  घोषित किया गया था, इस संबंध में एक मसौदा परिपत्र 21 फरवरी 2025 को सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया था।

2. पर्यवेक्षी निष्कर्षों और मसौदा परिपत्र पर प्राप्त जन प्रतिक्रिया की समीक्षा के आधार पर, रिज़र्व बैंक,  बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21, 35ए और 56, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेए, 45एल और 45एम तथा राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते  हुए,  तदोपरांत विनिर्दिष्ट, निदेश जारी करता है।

3.(i) इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋणों पर पूर्व-भुगतान प्रभार) निदेश, 2025 कहा जाएगा।
(ii) यह निदेश 1 जनवरी 2026 को अथवा उसके बाद स्वीकृत अथवा नवीनीकृत सभी ऋण2 और अग्रिमों पर लागू होंगे।

4. यह निदेश सभी वाणिज्यिक बैंकों (भुगतान बैंकों को छोड़कर), सहकारी बैंकों, एनबीएफसी और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों पर लागू होंगे।

5. सभी अस्थायी दर वाले ऋणों और अग्रिमों पर पूर्व-भुगतान प्रभार लगाने के संबंध में आरई को निम्नलिखित निदेशों का पालन करना होगा:
(i)  व्यवसाय के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए व्यक्तियों को, सह-बाध्यताधारी (यों) के साथ अथवा उसके बिना, दिए गए सभी ऋणों हेतु कोई आरई पूर्व-भुगतान प्रभार नहीं लगाएगा;
(ii) व्यवसाय के उद्देश्य के लिए व्यक्तियों और एमएसई को,  सह-बाध्यताधारी (यों) के साथ अथवा उसके बिना, दिए गए सभी ऋणों के लिए,:
(ए) वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और स्थानीय क्षेत्र बैंक को छोड़कर), टियर 4 प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, एनबीएफसी-यूएल और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान कोई पूर्व-भुगतान प्रभार नहीं लगाएगा।
(बी) लघु वित्त बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, टियर 3 प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक, केंद्रीय सहकारी बैंक और एनबीएफसी-एमएल ₹50 लाख रुपये तक की स्वीकृत राशि/सीमा वाले ऋणों पर कोई पूर्व-भुगतान प्रभार नहीं लगाएगा।

(iii)  उपर्युक्त पैराग्राफ 5(i) और 5(ii) में दिए गए निदेश ऋणों के आंशिक अथवा पूर्ण रूप से पूर्व-भुगतान के लिए उपयोग की गई निधियों के स्रोत पर ध्यान दिए बिना और बिना किसी न्यूनतम अवरुद्धता (लॉक-इन) अवधि के लागू होंगे।
(iv)  दोहरी/विशेष दर (निश्चित और अस्थायी दर का संयोजन) ऋणों के लिए उपर्युक्त निदेशों की प्रयोज्यता इस बात पर निर्भर करेगी कि ऋण पूर्व-भुगतान के समय अस्थायी दर पर है अथवा नहीं।  

6. उपर्युक्त पैराग्राफ 5(i) और 5(ii) में उल्लिखित मामलों के अतिरिक्त अन्य मामलों में, पूर्व-भुगतान प्रभार, यदि कोई है, आरई की अनुमोदित नीति के अनुसार होंगे। तथापि, मियादी ऋणों के मामले में, पूर्व-भुगतान प्रभार, यदि आरई द्वारा लगाया जाता है, तो वह प्रीपेड की जा रही राशि पर आधारित होगा।नकदी ऋण (कैश क्रेडिट)/ओवरड्राफ्ट सुविधाओं के मामले में, नियत तारीख से पहले सुविधा बंद करने पर पूर्व-भुगतान प्रभार स्वीकृत सीमा से अधिक राशि पर नहीं लगाया जाएगा।

7. नकदी ऋण (कैश क्रेडिट)/ओवरड्राफ्ट सुविधाओं के मामले में, यदि उधारकर्ता सुविधा का नवीकरण नहीं करने के अपने आशय के बारे में आरई को ऋण करार में निर्धारित अवधि से पहले सूचित करता है, तो कोई पूर्व-भुगतान प्रभार लागू नहीं होगा, बशर्ते कि सुविधा नियत तारीख को बंद हो जाए।

8. आरई के अनुरोध पर जहां पूर्व-भुगतान किया जाता है, वहां आरई  कोई प्रभार नहीं लगाएगा ।

9. पूर्व-भुगतान प्रभारों की प्रयोज्यता अथवा अन्यथा स्वीकृति पत्र और ऋण करार में स्पष्ट रूप से प्रकट किया जाएगा। इसके अलावा, ऋणों और अग्रिमों के मामले में जहां 'ऋण और अग्रिमों के लिए मुख्य तथ्य विवरण' पर 15 अप्रैल 2024 के रिज़र्व बैंक के परिपत्र में निर्दिष्ट अनुसार मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस) प्रदान किया जाना है, उसका उल्लेख केएफएस में भी किया जाएगा। किसी पूर्व-भुगतान प्रभार जिसे यहां विनिर्दिष्ट अनुसार प्रकट नहीं किया गया है, को आरई  द्वारा प्रभारित नहीं किया जाएगा।

10. आरई ऋणों के पूर्व-भुगतान के समय पूर्वव्यापी रूप से कोई ऐसा प्रभार/शुल्क नहीं लगाएगा, जिन्हें आरई  द्वारा पहले छोड़ दिया गया था।

11. निरसन प्रावधान
इन निदेशों के जारी होने के साथ, अनुबंध में उल्लिखित रिज़र्व बैंक द्वारा जारी परिपत्रों/मास्टर निदेशों में निहित अनुदेश इन निदेशों की प्रभावी तारीख से निरस्त हो जाएंगे। निरसित किए गए सभी परिपत्रों को इन अनुदेशों के प्रभावी होने से पूर्व संगत अवधियों के दौरान लागू माना जाएगा।       

(वीणा श्रीवास्तव)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

निरस्त किए गए परिपत्रों/अनुदेशों की सूची


क्र सं

परिपत्र सं.

दिनांक

विषय

1.

बैपविवि.संख्या.डीआईआर.बीसी.107/13.03.00/2011-12

5 जून 2012

आवास ऋण – फोरक्लोज़र प्रभार/ अवधिपूर्व-भुगतान अर्थदंड का लगाया जाना

2.

ग्राआऋवि.केंका.आरसीबीडी.बीसी.सं.84/03.03.01/2011-12

15 जून 2012

आवास ऋण – फोरक्लोज़र प्रभार/ अवधिपूर्व-भुगतान अर्थदंड का लगाया जाना

3.

ग्राआऋवि.केका.आरआरबी.बीसी. 85/03.05.033/2011-12

18 जून 2012

आवास ऋण – फोरक्लोज़र प्रभार/ अवधिपूर्व-भुगतान अर्थदंड का लगाया जाना

4.

शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी). परि. सं. 41/ 12.05.001/2011-12

26 जून 2012

आवास ऋण- शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा प्रतिबंधात्मक प्रभार/पुर्वभुगतान दंड लगाना

5.

बैंपविवि. डीआईआर. बीसी. सं. 110/13.03.00/2013-14

7 मई 2014

अस्थिर दर वाले मीयादी ऋणों पर फोरक्‍लोजर प्रभार की वसूली/अवधिपूर्व भुगतान अर्थदंड का लगाया जाना

6.

शबैंवि.बीपीडी (पीसीबी) परि. सं.64/12.05.001/2013-14

26 मई 2014

अस्थिर दर वाले मीयादी ऋणों पर फोरक्‍लोजर प्रभार की वसूली/अवधिपूर्व भुगतान पर अर्थदंड का लगाया जाना

7.

ग्राआऋवि.केंका.आरसीबीडी.आरआरबी.बीसी.सं.102/07.51.013/
2013-14

27 मई 2014

अस्थिर दर वाले मीयादी ऋणों पर फोरक्‍लोजर प्रभार/अवधिपूर्व भुगतान अर्थदंड का लगाया जाना

8.

बैंविवि.डीआईआर.बीसी.सं.08/13.03.00/2019-20

2 अगस्त  2019

फ्लोटिंग दर वाले मीयादी ऋण पर अवधि-पूर्व चुकौती प्रभार/ अवधि-पूर्व भुगतान दंड लगाना

9.

मास्टर निदेश – गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी – आवास वित्त कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2021

17 फरवरी 2021 (समय-समय पर यथा संशोधित)

पैराग्राफ 85.7

10.

मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी – स्केल आधारित विनियमन) निदेश, 2023

19 अक्तूबर 2023 (समय-समय पर यथा संशोधित)

पैराग्राफ 45.7.4


1 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमईडी) अधिनियम, 2006 में परिभाषित

2 इस परिपत्र के प्रयोजन के लिए 'ऋण' शब्द में मियादी ऋण के साथ-साथ मांग ऋण भी शामिल होंगे

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