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आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) के लिए नियामक ढांचे की समीक्षा

भारिबैं/2022-23/128
विवि.एसआईजी.एफआईएन.आरईसी.75/26.03.001/2022-23

11 अक्टूबर 2022

सभी आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियां

महोदय/महोदया

आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) के लिए नियामक ढांचे की समीक्षा

बैंकों और वित्तीय संस्थानों की दबावग्रस्त वित्तीय आस्तियों के प्रबंधन में एआरसी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनकी इस भूमिका को ध्यान में रखते हुए, उनके कामकाज और संचालन ढांचे की समीक्षा करने की आवश्यकता महसूस की गई। तदनुसार, 7 अप्रैल 2021 को मौद्रिक नीति वक्तव्य के साथ जारी विकासात्मक और नियामक नीतियों पर वक्तव्य के हिस्से के रूप में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने एआरसी के कामकाज की व्यापक समीक्षा करने और उन्हें अधिक पारदर्शी और कुशल तरीके से कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए उपयुक्त उपायों की सिफारिश करने के लिए एक समिति का गठन किया था।

2. समिति की सिफारिशों और हितधारकों की प्रतिक्रिया के आधार पर, एआरसी के लिए मौजूदा नियामक ढांचे में संशोधन किया गया है जो कि अनुबंध में वर्णित है।

3. ये दिशा-निर्देश तत्काल प्रभाव से अथवा अनुबंध में अन्यथा इंगित अनुसार प्रभावी होंगे।

भवदीय,

(जे.पी. शर्मा)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

खंड I: कारपोरेट अभिशासन ढांचा

एआरसी क्षेत्र में पारदर्शिता को मजबूत करने और एआरसी में कारपोरेट अभिशासन मानकों में सुधार की दृष्टि से, निम्नलिखित उपाय प्रारम्भ किए जा रहे हैं:

1. एआरसी के अभिशासन को सुधारने के उपाय

(i) निदेशक मंडल की अध्यक्षता और बैठकें: बोर्ड का अध्यक्ष एक स्वतंत्र निदेशक होगा। बोर्ड के अध्यक्ष की अनुपस्थिति में, बोर्ड की बैठकों की अध्यक्षता एक स्वतंत्र निदेशक द्वारा की जाएगी। बोर्ड की बैठकों के लिए कोरम, बोर्ड की कुल संख्या का एक तिहाई अथवा तीन निदेशक, इनमे से जो भी अधिक हो, होगी। इसके अलावा, बोर्ड की बैठकों में भाग लेने वाले कम से कम आधे निदेशक स्वतंत्र निदेशक होंगे।

(ii) प्रबंध निदेशक (एमडी)/ मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और पूर्णकालिक निदेशक (डब्ल्यूटीडी) का कार्यकाल: एमडी / सीईओ या डब्ल्यूटीडी का कार्यकाल एक बार में पांच साल से अधिक की अवधि के लिए नहीं होगा और वह व्यक्ति पुनर्नियुक्ति का पात्र होगा। तथापि, एमडी/सीईओ या डब्ल्यूटीडी का पद एक ही पदधारी द्वारा लगातार पंद्रह वर्षों से अधिक समय तक धारण नहीं किया जाएगा। तत्पश्चात, अन्य शर्तों को पूरा करते हुए कोई व्यक्ति, तीन वर्ष के न्यूनतम अंतराल के बाद, बोर्ड द्वारा आवश्यक और वांछनीय समझे जाने पर, उसी एआरसी में एमडी/सीईओ या डब्ल्यूटीडी के रूप में पुन: नियुक्ति का पात्र होगा। इस तीन वर्ष की कूलिंग अवधि के दौरान, उस व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी क्षमता में एआरसी के साथ नियुक्त या संबद्ध नहीं किया जाएगा। पदारोहण योजना सुनिश्चित करने के लिए एआरसी उचित उपाय करेंगे।

(iii) एमडी/ सीईओ और डब्ल्यूटीडी की आयु: कोई भी व्यक्ति 70 वर्ष की आयु के पश्चात एमडी/ सीईओ या डब्ल्यूटीडी के रूप में नहीं रहेगा। अपनी आंतरिक नीति के हिस्से के रूप में, एआरसी बोर्ड 70 वर्ष की समग्र सीमा के भीतर, सेवानिवृत्ति की अवर आयु निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं।

(iv) प्रदर्शन की समीक्षा: बोर्ड द्वारा एमडी/ सीईओ और डब्ल्यूटीडी के प्रदर्शन की वार्षिक समीक्षा की जाएगी।

2. बोर्ड की समितियां

बोर्ड द्वारा निगरानी को मजबूत करने के लिए, सभी एआरसी बोर्ड की निम्नलिखित समितियों का गठन करेगी:

(i) लेखा परीक्षा समिति: एआरसी बोर्ड की एक लेखा परीक्षा समिति का गठन करेगी, जिसमें केवल गैर-कार्यकारी निदेशक शामिल होंगे। बोर्ड का अध्यक्ष लेखा परीक्षा समिति का सदस्य नहीं होगा। लेखा परीक्षा समिति की तीन सदस्यों के कोरम के साथ तिमाही में कम से कम एक बार बैठक होगी। लेखा परीक्षा समिति की बैठकों की अध्यक्षता एक स्वतंत्र निदेशक द्वारा की जाएगी जो बोर्ड की किसी अन्य समिति की अध्यक्षता नहीं करेगा। लेखा परीक्षा समिति के प्रत्येक सदस्य के पास वित्तीय विवरणों के साथ-साथ उससे जुड़ी टिप्पणियों/ रिपोर्टों को समझने की क्षमता होनी चाहिए और कम से कम एक सदस्य के पास वित्तीय लेखांकन या वित्तीय प्रबंधन में अपेक्षित व्यावसायिक विशेषज्ञता/ योग्यता होनी चाहिए। लेखा परीक्षा समिति के पास वह सभी शक्तियां, कार्य और कर्तव्य हो जो कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 177 में निर्धारित हैं। इसके अलावा, लेखा परीक्षा समिति समय-समय पर आंतरिक नियंत्रण प्रणाली की प्रभावशीलता, विशेष रूप से आस्ति अधिग्रहण के संबंध में एआरसी द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रियाएं और आस्ति पुनर्निर्माण उपाय और उससे संबंधित मामले की समीक्षा और मूल्यांकन करेगी । लेखा परीक्षा समिति यह भी सुनिश्चित करेगी कि प्रबंधन शुल्क/ प्रोत्साहन राशि/ व्यय का लेखा-जोखा लागू नियमों के अनुपालन अनुसार है।

(ii) नामांकन और पारिश्रमिक समिति: एआरसी बोर्ड की एक नामांकन और पारिश्रमिक समिति का गठन करेगी, जिसके पास कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 178 में निर्धारित समान शक्तियां, कार्य और कर्तव्य होंगे। इसके अलावा, समिति प्रस्तावित/ मौजूदा निदेशकों और प्रायोजकों की ‘उपयुक्त और उचित’ स्थिति को सुनिश्चित करेगी।

3. पारगमन अवधि

एआरसी जो वर्तमान में उपर्युक्त अनुच्छेद 1 और 2 में निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन नहीं करते हैं, उन्हें इस परिपत्र की तारीख से छह महीने के भीतर इन दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।

4. शेयरधारिता में परिवर्तन के लिए पूर्व स्वीकृति

'शेयरधारिता में परिवर्तन हेतु बैंक से पूर्वानुमति लेना' पर दिनांक 24 फरवरी 2015 के परिपत्र संख्या गैबैंविवि(नीप्र)कंपरि.सं.01/एससीआरसी/26.03.001/2014-2015 के संदर्भ में, एआरसी को शेयरों के हस्तांतरण1 के कारण शेयरधारिता में परिवर्तन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है। इन आवश्यकताओं के अलावा, नए शेयर जारी होने के कारण एआरसी के प्रायोजकों में किसी भी बदलाव के लिए भी भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता होगी।

5. निदेशकों तथा सीईओ के लिए ‘उचित एवं उपयुक्त’ मानदंड

(i) सरफेसी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, निदेशक या एमडी/ सीईओ की नियुक्ति/ पुनर्नियुक्ति के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है। एआरसी ट्रैक रिकॉर्ड, सत्यनिष्ठा और अन्य 'उचित और उपयुक्त' मानदंडों के आधार पर पद के लिए व्यक्ति की उपयुक्तता निर्धारित करने के लिए सम्यक सावधानी बरतेंगे। इस उद्देश्य के लिए, एआरसी को नियुक्त/ मौजूदा निदेशकों और एमडी/सीईओ से परिशिष्ट I में संलग्न प्रारूप में आवश्यक जानकारी और घोषणा प्राप्त करनी होगी। नामांकन और पारिश्रमिक समिति इस उद्देश्य के लिए दी गयी घोषणाओं की जांच करेगी।

(ii) अद्यतन जानकारी के साथ परिशिष्ट I में दी गयी घोषणा प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को निदेशकों/ एमडी/ सीईओ से वार्षिक आधार पर प्राप्त की जाएगी। परिशिष्ट I के पैराग्राफ 3 और 4 में दिये गए मदों से संदर्भितस्थिति में किसी भी बदलाव के बारे में विचार करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के विनियमन विभाग को सूचित किया जाएगा।

(iii) एआरसी को, निदेशकों को एआरसी में शामिल होने के समय परिशिष्ट II में संलग्न प्रारूप में एक अनुबंधनिष्पादित करवाने की आवश्यकता होगी, जो उन्हें व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से उनकीक्षमताओं के अनुसार उनकीजिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए बाध्यकारी बनाएगा। इस विलेख को एआरसी द्वारा संरक्षित किया जाएगा और मांगने पर इसे भारतीय रिज़र्व बैंक को उपलब्ध कराया जाएगा।

6. वर्धित प्रकटीकरण

एआरसी को योग्य खरीदारों (क्यूबी) के व्यापक समूह से निवेश प्राप्त करने में सक्षम बनाने और एआरसी के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए, प्रस्ताव दस्तावेज़ में निम्नलिखित अतिरिक्त प्रकटीकरण किए जाएंगे:

(i) पिछले 5 वर्षों या एआरसी के कारोबार की शुरुआत के बाद से, जो भी कम हो, का एआरसी की वित्तीय जानकारी का सारांश।

(ii) पिछले 8 वर्षों में शुरू की गई योजनाओं पर सभी सुरक्षा रसीद (एसआर) निवेशकों के लिए उत्पन्न रिटर्न का ट्रैक रिकॉर्ड।

(iii) पिछले 8 वर्षों में शुरू की गई योजनाओं की रिकवरी रेटिंग माइग्रेशन और रेटिंग एजेंसी के साथ जुड़ाव का ट्रैक रिकॉर्ड।

7. क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (सीआरए) के साथ जुड़ाव और एसआर की रेटिंग

(i) एआरसी अनिवार्य रूप से सीआरए से एसआर की रिकवरी रेटिंग प्राप्त करेंगे और एसआर धारकों को ऐसी रेटिंग के पीछे की धारणाओं और तर्कों का प्रकटीकरण करेंगे।

(ii) एआरसी कम से कम 6 रेटिंग चक्रों (प्रत्येक छमाही के लिए) के लिए एक सीआरए बनाए रखेंगे। यदि इन 6 रेटिंग चक्रों के बीच में ही सीआरए को बदल दिया जाता है, तो एआरसी इस तरह के बदलाव के कारण का प्रकटीकरण करेंगे।

खंड II: अन्य उपाय

8. एकमुश्त निपटान के तहत उधारकर्ताओं द्वारा देय बकाया राशि का निपटान

(i) पूर्व के दिशानिर्देशों के तहत2, प्रत्येक एआरसी को उधारकर्ताओं से देय ऋणों के निपटान के लिए व्यापक मानदंड निर्धारित करते हुए एक बोर्ड-अनुमोदित नीति तैयार करने की आवश्यकता थी। इसके अलावा, बोर्ड को देय राशियों के निपटान के प्रस्तावों पर निर्णय लेने के लिए किसी भी निदेशक और/या एआरसी के किसी भी पदाधिकारी को शामिल करने वाली समिति को ये अधिकार सौंपने की अनुमति दी गई थी। समीक्षा करने पर, उधारकर्ताओं द्वारा देय राशियों के निपटान के माध्यम से वित्तीय आस्तियों के पुनर्निर्माण के दिशा-निर्देशों को निम्नानुसार संशोधित किया गया है:

ए) उधारकर्ता के साथ बकाया राशि का निपटान एक स्वतंत्र सलाहकार समिति (आईएसी)3 द्वारा प्रस्ताव की जांच के बाद ही किया जाएगा, जिसमें तकनीकी/ वित्तीय /कानूनी पृष्ठभूमि वाले पेशेवर शामिल होंगे। आईएसी, उधारकर्ता की वित्तीय स्थिति, उधारकर्ता से देय राशि की वसूली के लिए उपलब्ध समय सीमा, उधारकर्ता की अनुमानित आय और नकदी प्रवाह और अन्य प्रासंगिक पहलुओं का आकलन करने के बाद, बकाया राशि के निपटान के संबंध में एआरसी को अपनी सिफारिशें देगी।

बी) कम से कम दो स्वतंत्र निदेशकों सहित निदेशक मंडल, आईएसी की सिफारिशों पर विचार करेगा और यह तय करने से पहले कि क्या उधारकर्ता के साथ बकाया राशि के निपटान का विकल्प मौजूदा परिस्थितियों में उपलब्ध सर्वोत्तम विकल्प है, बकाया राशि की वसूली के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर विचार करेगा, तथा इस सबंध में निर्णय को, विस्तृत तर्क सहित, बोर्ड बैठक के कार्यवृत्त में विशेष रूप से दर्ज किया जाएगा।

सी) बकाया राशि की वसूली के लिए सभी संभव कदम उठाने के बाद और ऋण की वसूली की कोई और संभावना नहीं होने की स्थिति में ही उधारकर्ता के साथ निपटान किया जाना चाहिए।

डी) निपटान राशि का निवल वर्तमान मूल्य (एनपीवी) आम तौर पर प्रतिभूतियों के वसूली योग्य मूल्य से कम नहीं होना चाहिए। यदि वित्तीय आस्तियों के अधिग्रहण के समय दर्ज की गई प्रतिभूतियों के मूल्यांकन और निपटान में प्रवेश करने के समय मूल्यांकित वसूली योग्य मूल्य के बीच महत्वपूर्ण अंतर है, तो इसके कारणों को विधिवत दर्ज किया जाएगा।

ई) निपटान राशि का भुगतान अधिमानतः एकमुश्त किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में जहां उधारकर्ता पूरी राशि का एकमुश्त भुगतान करने में असमर्थ है, वहां आईएसी न्यूनतम अग्रिम एकमुश्त भुगतान और अधिकतम चुकौती अवधि के बारे में विशिष्ट सिफारिशें करेगा।

एफ) एआरसी उपर्युक्त ढांचे के आधार पर बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करेंगे।

ii. 19 मार्च 2014 के परिपत्र गैबैंपवि.(नीप्र)कंपरि.सं.37 /एससीआरसी /26.03.001/2013-2014 के अनुसार 'चूककर्ताओं द्वारा एआरसी से आस्तियों की पुनर्खरीद और प्रायोजक बैंकों से एआरसी द्वारा आस्तियों का अधिग्रहण' के अनुच्छेद 2(बी)4 के तहत दिए गए निर्देशों को एतद्द्वारा वापस ले लिया गया है तथा एआरसी संभावित खरीदारों से निपटने में दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 की धारा 29ए का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे।

9. प्रबंधन शुल्क संबंधी नीति

दिनांक 16 जुलाई 2020 के परिपत्र विवि.एनबीएफसी (एआरसी) कंपरि सं. 9/26.03.001/2020-21 के अनुसार उचित व्यवहार संहिता (एफपीसी) पर एआरसी को प्रबंधन शुल्क, व्यय और प्रोत्साहन राशि पर बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति बनाने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि एआरसी द्वारा लिए जाने वाले प्रबंधन शुल्क/ प्रोत्साहन राशि उचित और पारदर्शी है, निम्नलिखित अतिरिक्त उपाय अपनाए जाएंगे:

(i) आस्ति पुनर्निर्माण या प्रतिभूतिकरण गतिविधि के लिए लगाया जाने वाला कोई भी प्रबंधन शुल्क/ प्रोत्साहन राशि केवल अंतर्निहित वित्तीय आस्तियों से प्रभावित वसूली से ही लिया जाएगा।

(ii) बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति विभिन्न परिदृश्यों के तहत प्रबंधन शुल्क/ प्रोत्साहन राशि पर मात्रात्मक कैप/ सीमा को इंगित करेगी, जिससे किसी भी विचलन के लिए बोर्ड के अनुमोदन की आवश्यकता होगी।

10. न्यूनतम शुद्ध (निवल) स्वामित्व वाली निधि (एनओएफ) की आवश्यकता

वित्तीय आस्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और सुरक्षा हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002- धारा 3(1)(बी) - एआरसी के लिए एनओएफ की आवश्यकता पर 28 अप्रैल 2017 के परिपत्र डीएनबीआर.पीडी (एआरसी) सीसी.सं.03/26.03.001/2016-17 के पैरा 4 के तहत अपेक्षित न्यूनतम एनओएफ को एतद्द्वारा चालू आधार पर 100 करोड़ की मौजूदा आवश्यकता से बढ़ाकर 300 करोड़ कर दिया गया है। फलस्वरूप, इस परिपत्र की तारीख को अथवा उसके बाद पंजीकरण का प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाली कोई भी एआरसी न्यूनतम 300 करोड़ के एनओएफ के बिना प्रतिभूतिकरण या आस्ति पुनर्निर्माण का व्यवसाय शुरू नहीं करेगी। मौजूदा एआरसी के लिए 300 करोड़ की न्यूनतम आवश्यक एनओएफ प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित ग्लाइड पाथ (glide path) प्रदान किया गया है:

वर्तमान न्यूनतम एनओएफ 31 मार्च 2024 तक 31 मार्च 2026 तक
100 करोड़ 200 करोड़ 300 करोड़

उपर्युक्त चरणों में से किसी एक का भी पालन न करने की स्थिति में, अनुपालन न करने वाले एआरसी पर पर्यवेक्षी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें उस समय लागू आवश्यक न्यूनतम एनओएफ तक पहुंचने तक वृद्धिशील व्यवसाय शुरू करने पर प्रतिबंध भी शामिल है।

11. अधिशेष निधियों का परिनियोजन

इस विषय पर 21 अप्रैल 2010 के परिपत्र गैबैंपवि.(नीप्र)कंपरि.सं.18/एससीआरसी/26.03.001/2009-2010 के पैरा (ई) में संशोधन किया गया है। एआरसी को अपनी अधिशेष निधियों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने के लिए, पहले से अनुमत अवसरों के अतिरिक्त, उन्हें अब उपलब्ध अधिशेष निधियों को अल्पकालिक लिखतों अर्थात, मुद्रा बाजार म्युचुअल फंड, जमा प्रमाणपत्र और कॉरपोरेट बॉन्ड/ वाणिज्यिक कागजात जिनकी अल्पकालिक रेटिंग एए- या उससे ऊपर की लंबी अवधि की रेटिंग के बराबर है, में लगाने की भी अनुमति है, जो निम्नलिखित शर्तों के अधीन है:

(i) ऐसे उपकरणों में अधिकतम निवेश एआरसी के एनओएफ के 10% तक सीमित है।

(ii) इस संबंध में एआरसी के पास बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति हो।

12. एआरसी द्वारा जारी एसआर में निवेश

'एआरसी के लिए नियामक ढांचा - कुछ संशोधन' के 05 अगस्त 2014 के परिपत्र गैबैंपवि (नीप्र) कंपरि.सं.41/एससीआरसी/26.03.001/2014-2015 के पैरा 2(ए) को को संशोधित किया गया है। अब से, एआरसी, निधियों का हस्तांतरण करके, उनके द्वारा हर योजना के तहत जारी किए गए सभी एसआर के मोचन तक चालू आधार पर प्रत्येक योजना के प्रत्येक वर्ग के एसआर में अंतरणकर्ता के निवेश का कम से कम 15% या जारी किए गए कुल एसआर का 2.5%, जो भी अधिक हो, निवेश करेंगे।

13. एआरसी को दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 (आईबीसी) के तहत समाधान आवेदक के रूप में कार्य करने की अनुमति देना

एआरसी को वर्तमान में भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना प्रतिभूतिकरण या आस्ति पुनर्निर्माण या सरफेसी अधिनियम की धारा 10(1) में संदर्भित व्यवसाय के अलावा किसी अन्य व्यवसाय को शुरू करने या चलाने की अनुमति नहीं है। अब यह निर्णय लिया गया है कि सरफेसी अधिनियम की धारा 10(2) के प्रावधान के अंतर्गत एआरसी को आईबीसी के तहत एक समाधान आवेदक (आरए) के रूप में उन गतिविधियों को करने की अनुमति दी जाए, जिनके लिए विशेष रूप से सरफेसी अधिनियम के तहत अनुमति नहीं है। यह अनुमति निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगी:

(i) एआरसी का न्यूनतम एनओएफ 1,000 करोड़ है।

(ii) एआरसी के पास आरए की भूमिका निभाने के संबंध में एक बोर्ड-अनुमोदित नीति होगी जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ गतिविधियों का दायरा, क्षेत्रीय एक्सपोजर के लिए आंतरिक सीमा आदि शामिल हो सकते हैं।

(iii) आईबीसी के तहत समाधान योजना प्रस्तुत करने के प्रस्तावों पर निर्णय लेने के लिए बहुसंख्यक स्वतंत्र निदेशकों की एक समिति का गठन किया जाएगा।

(iv) एआरसी द्वारा ऐसे क्षेत्र-विशिष्ट प्रबंधन फर्मों/ व्यक्तियों का एक पैनल तैयार करने की संभावना का पता लगाया जाएगा, जिनके पास फर्मों/ कंपनियों को चलाने में विशेषज्ञता है, जिन्हें जरूरत पड़ने पर फर्मों/ कंपनियों के प्रबंधन के लिए विचार किया जा सकता है।

(v) किसी विशिष्ट कारपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के संबंध में, आईबीसी के तहत निर्णायक प्राधिकरण द्वारा समाधान योजना के अनुमोदन की तारीख से पांच साल के बाद एआरसी कारपोरेट देनदार पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव या नियंत्रण नहीं बनाए रखेंगे। इस शर्त का अनुपालन न करने की स्थिति में, एआरसी को आईबीसी के तहत समाधान आवेदक या समाधान सह-आवेदक के रूप में कोई नई समाधान योजना प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

(vi) एआरसी द्वारा वर्तमान प्रकटीकरण आवश्यकताओं के अतिरिक्त आईबीसी के तहत अर्जित आस्तियों के संबंध में वित्तीय विवरणों में अतिरिक्त प्रकटीकरण किया जाएगा। इनमें आईबीसी के तहत अर्जित संपत्ति का प्रकार और मूल्य, कारपोरेट देनदार के व्यवसाय के आधार पर क्षेत्रवार वितरण आदि शामिल होंगे।

(vii) एआरसी द्वारा अपने वित्तीय विवरणों में त्रैमासिक आधार पर निर्णायक प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित समाधान योजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति का खुलासा किया जाएगा।

14. एआरसी को दबावग्रस्त ऋणों का अंतरण

28 जून 2019 के परिपत्र गैबैंविवि नीप्र(एआरसी)कंपरि.सं.07/26.03.001/2018-19 और दिनांक 6 दिसंबर 2019 के परिपत्र विवि.गैबैंविक(एआरसी)कंपरि.संख्या 8/26.03.001/2019-20 के प्रावधानों के अधीन दबावग्रस्त ऋण जो अंतरणकर्ताओं की बहियों में डिफ़ॉल्ट रूप से हैं, उन्हें एआरसी को अंतरित करने की अनुमति है। मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण एक्सपोजर का हस्तांतरण) निदेश, 2021 का उपयुक्त रूप से अद्यतन किया जा रहा है।


1 शेयरों का कोई भी अंतरण जिसके द्वारा अंतरिती प्रायोजक बन जाता है; शेयरों का कोई भी अंतरण जिसके द्वारा अंतरणकर्ता प्रायोजक नहीं रह जाता है; पंजीकरण के प्रमाण पत्र की तारीख से शुरू होने वाले पांच साल की अवधि के दौरान प्रायोजक द्वारा एआरसी की कुल चुकता शेयर पूंजी के दस प्रतिशत या अधिक का कुल अंतरण।

2 (ए) प्रत्येक एआरसी निदेशक मंडल द्वारा विधिवत अनुमोदित एक नीति तैयार करेगी जिसमें उधारकर्ताओं से देय ऋणों के निपटान के लिए व्यापक मानदंड निर्धारित किए जाएंगे। (बी) नीति में अन्य बातों के साथ-साथ कट-ऑफ तिथि, वसूली योग्य राशि की गणना के लिए सूत्र और खाते के निपटान, भुगतान के नियम और शर्तें, और तय की गई राशि का भुगतान करने की उधारकर्ता की क्षमता जैसे पहलुओं को शामिल किया जा सकता है। (सी) जहां निपटान एक ही किश्त में पूरी राशि के भुगतान की परिकल्पना नहीं करता है, प्रस्ताव एक स्वीकार्य व्यापार योजना, अनुमानित आय और उधारकर्ता के नकदी प्रवाह के अनुरूप और समर्थित होना चाहिए। (डी) प्रस्ताव को एआरसी के आस्ति देयता प्रबंधन या निवेशकों को दी गई प्रतिबद्धताओं को प्रभावित नहीं करना चाहिए; (ई) निदेशक मंडल देय राशियों के निपटान के प्रस्तावों पर निर्णय लेने के लिए किसी भी निदेशक और/या कंपनी के किसी भी पदाधिकारी को शामिल करने वाली समिति को अधिकार सौंप सकता है; (एफ) नीति से व्यतिक्रम केवल निदेशक मंडल के अनुमोदन से किया जाना चाहिए।

3 मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत, एआरसी को उधारकर्ता के व्यवसाय के प्रबंधन में परिवर्तन या अधिग्रहण से संबंधित प्रस्तावों की जांच के लिए एक आईएसी का गठन करना आवश्यक है। यह आईएसी अब उधारकर्ता के साथ बकाया राशि के निपटान के प्रस्तावों की भी जांच करेगी।

4 चूककर्ता कंपनी/उधारकर्ताओं के प्रवर्तकों या गारंटरों को एआरसी से अपनी आस्तियां वापस खरीदने की अनुमति है बशर्ते निम्नलिखित शर्तें पूरी होती हों:
I. इस तरह के निपटान निम्नलिखित अवस्थाओं में सहायक हो सकते है (i) मुकदमेबाजी की लागत और इस संबंध मेंसमय की हानि को कम करना या समाप्त करना;(ii) सुरक्षित आस्तियों के मूल्य में कमी के नकारात्मक प्रभाव को रोकना, जिनकी किसी एक इकाई के गैर-परिचालन के बाद तेजी से मूल्य खोने की संभावना है;(iii) जहां वसूली/समाधान प्रक्रिया अपेक्षाकृत अनिश्चित प्रतीत हो; तथा iv) जहां इस तरह का समझौता पुनर्गठन उद्देश्यों के लिए फायदेमंद हो।
II. आस्ति का मूल्यांकन एआरसी द्वारा निम्नलिखित घटकों पर विचार करने के बाद किया जाता है: प्रस्तावित समझौते का वर्तमान मूल्य (आस्ति का मूल्यांकन छह महीने से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए) समाधान प्रक्रिया के वैकल्पिक तरीके के तहत वसूली के शुद्ध वर्तमान मूल्य की तुलना में, इनमें शामिल समयसीमा को ध्यान में रखते हुए; समय बीतने के कारण प्रत्याभूत आस्ति के मूल्य में संभावित सकारात्मक या नकारात्मक परिवर्तन; सांविधिक देय राशियों के संचयन, कर्मचारियों के प्रति दायित्व आदि के कारण वसूली में संभावित कमी; अन्य कारक, यदि कोई हों, जो वसूली को प्रभावित कर सकते हैं।
III. एआरसी निदेशक मंडल द्वारा विधिवत रूप से अनुमोदित एक नीति तैयार की जाएगी, जिसमें उपर्युक्त पहलुओं तथा एआरसी (रिज़र्व बैंक) दिशानिर्देश और निर्देश, 2003 के खंड 7 (5) में पहले से निहित पहलुओं, जैसे कि समय-समय पर अद्यतित किए जाते हो, को शामिल किया जाना चाहिए।

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