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भारत में आयात हेतु व्यापार ऋण (ट्रेड क्रेडिट)

भारिबैंक/2013-14/290
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 53

24 सितंबर 2013

सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

भारत में आयात हेतु व्यापार ऋण (ट्रेड क्रेडिट)

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान भारत में आयात हेतु व्यापार ऋण लेने से संबंधित 17 अप्रैल 2004 के ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 87, 1 नवंबर 2004 के ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 24, 11 सितंबर 2012 के ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 28 और 14 दिसंबर 2012 के ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 59 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार उसमें दी गयी कतिपय शर्तों के तहत प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की कंपनियों को (पोत लदान की तारीख से) अधिकतम पाँच वर्षों के लिए 20 मिलियन अमरीकी डालर से अनधिक के व्यापार ऋण लेने की सुविधा हेतु अनुमोदन प्रदान कर सकते हैं। यह भी विनिर्दिष्ट किया गया है कि ओवरसीज़ आपूर्तिकर्ता, बैंक और वित्तीय संस्था के पक्ष में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक द्वारा साख पत्र/ गारंटी/ वचन पत्र/चुकौती आश्वासन पत्र (LOC) तीन वर्षों से अधिक अवधि के लिए जारी करने की अनुमति नहीं है। अनुमत अवधि से अधिक रोलओवर/समय विस्तार की अनुमति नहीं दी गयी है।

3. समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा वर्गीकृत कैपिटल माल के आयात के लिए सभी क्षेत्रों की कंपनियों को अधिकतम 5 वर्षों की अवधि के लिए 20 मिलियन अमरीकी डालर से अनधिक के व्यापार ऋण लेने की अनुमति प्रदान की जाए। यह भी निर्णय लिया गया है कि सभी व्यापार ऋणों के लिए 15 माह की प्रारंभिक संविदा अवधि में ढील देकर उसे 6 माह कर दिया जाए।

4. हालांकि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों को ओवरसीज़ आपूर्तिकर्ता, बैंक और वित्तीय संस्था के पक्ष में द्वारा साख पत्र/ गारंटी/ वचन पत्र/चुकौती आश्वासन पत्र (LOC) जारी करने की अवधि को तीन वर्ष से अधिक अवधि के लिए बढ़ाने की अनुमति नहीं है।

5. व्यापार ऋण नीति से संबंधित सभी अन्य पहलू अपरिवर्तित बने रहेंगे और उनका अनुपालन किया जाए। संशोधित व्यापार ऋण नीति तत्काल प्रभाव से लागू होगी और वह इस संबंध में प्राप्त अनुभव के तहत समीक्षा के अधीन होगी।

6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं ।

भवदीय,

(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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