भारत में ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेन के लिए विशिष्ट लेनदेन अभिज्ञापक – मसौदा
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भारतीय रिज़र्व बैंक सभी पात्र बाजार प्रतिभागी महोदया/महोदय, भारत में ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेन के लिए विशिष्ट लेनदेन अभिज्ञापक – मसौदा विशिष्ट लेनदेन अभिज्ञापक (यूटीआई) की संकल्पना, ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) डेरिवेटिव लेनदेन की रिपोर्टिंग करने के लिए विश्व स्तर पर चिन्हित प्रमुख डेटा तत्वों में से एक के रूप में की गई है ताकि नीति निर्माताओं को ओटीसी डेरिवेटिव बाजार के संबंध में व्यापक दृष्टिकोण मिल सके। 2. भारत में रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव, सरकारी प्रतिभूतियों में वायदा संविदा, विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव, विदेशी मुद्रा ब्याज दर डेरिवेटिव और ऋण डेरिवेटिव के लिए ओटीसी बाजारों में सभी लेनदेन के लिए यूटीआई को लागू करने का निर्णय लिया गया है। ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेन के लिए यूटीआई के कार्यान्वयन के लिए एक रूपरेखा अनुबंध में संलग्न है। 3. ये निदेश 01 अप्रैल, 2026 से लागू होंगे। 4. इस परिपत्र में निहित निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45यू के साथ पठित धारा 45डब्ल्यू के तहत प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में इसे सक्षम करने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए गए हैं। भवदीया, (डिम्पल भांडिया) (भारत में ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेन के लिए विशिष्ट लेनदेन अभिज्ञापक पर 06 अक्टूबर, 2025 के मसौदा परिपत्र का अनुबंध) 1. परिभाषा 1.1 "विशिष्ट लेनदेन अभिज्ञापक" या "यूटीआई" का अर्थ है किसी ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेन को दिया गया एक विशिष्ट अभिज्ञापक। 1.2 ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेन के लिए "शासी निदेश" का अर्थ निम्नलिखित है: ए) विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव के लिए- विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा) विनियम, 2000 (दिनांक 3 मई, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.25/आरबी-2000) और मास्टर निदेश - जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन (दिनांक 05 जुलाई, 2016 की अधिसूचना सं. एफएमआरडी मास्टर निदेश सं.1/2016-17), समय-समय पर यथासंशोधित। बी) ब्याज दर डेरिवेटिव के लिए- रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019 (दिनांक 26 जून, 2019 की अधिसूचना सं. एफएमआरडी.डीआईआरडी.20/2019), समय-समय पर यथासंशोधित और भारतीय रिज़र्व बैंक (सरकारी प्रतिभूतियों में वायदा संविदा) निदेश, 2025 (दिनांक 21 फरवरी, 2025 की अधिसूचना सं. एफ़एमआरडी.डीआईआरडी.17/14.03.042/2024-25), समय-समय पर यथासंशोधित। सी) ऋण डेरिवेटिव के लिए- मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण डेरिवेटिव) निदेश, 2022 (दिनांक 10 फरवरी, 2022 की अधिसूचना सं. एफएमआरडी.डीआईआरडी.11/14.03.004/2021-22), समय-समय पर यथासंशोधित। डी) अन्य निदेश, जो अधिनियम या विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999, जैसा भी मामला हो, में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए, रिज़र्व बैंक द्वारा ओटीसी डेरिवेटिव के उपयोग की अनुमति प्रदान करने हेतु जारी किए जाएँ। 1.3 यहाँ उपयोग किए गए किन्तु परिभाषित नहीं किए गए शब्दों और अभिव्यक्तियों का वही अर्थ होगा जो उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में दिया गया है। 2. प्रयोज्यता 2.1 ओटीसी डेरिवेटिव बाजार में शासी निदेशों के अनुसार किए गए सभी लेनदेन के लिए यूटीआई अनिवार्य रूप से सृजित/रिपोर्ट किया जाएगा। 3. सामान्य दिशानिर्देश 3.1 ओटीसी डेरिवेटिव में लेनदेन के लिए यूटीआई, भुगतान और बाजार अवसंरचना समिति (सीपीएमआई) – अंतरराष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (आईओएससीओ) द्वारा फरवरी 2017 में जारी यूटीआई तकनीकी मार्गदर्शन के अनुसार सृजित किया जाएगा। यूटीआई में अधिकतम 52 अक्षर (कैरेक्टर) होंगे जिसमें सृजक इकाई का एलईआई और उसके बाद एक विशिष्ट अभिज्ञापक होगा और यह अपने पूरे जीवनचक्र में किसी डेरिवेटिव लेनदेन के लिए विशिष्ट होगा। 3.2 यूटीआई सृजक इकाई का निर्धारण सारणी 1 में दिए गए प्रवाह (वाटरफॉल) के अनुसार किया जाएगा, जिसमें यूटीआई सृजन की जिम्मेदारी प्रवाह में अगली इकाई को सौंप दी जाएगी, यदि अभिज्ञापित यूटीआई सृजक इकाई यूटीआई सृजन करने में असमर्थ या अनिच्छुक है। प्रवाह के अनुसार, यदि क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड – ट्रेड रिपॉजिटरी (सीसीआईएल-टीआर (सीसीआईएल-टीआर) को कोई लेनदेन यूटीआई के बिना रिपोर्ट की जाती है तो सीसीआईएल-टीआर लेनदेन के लिए यूटीआई का सृजन करेगा।
3.3 भारत और किसी विदेशी क्षेत्राधिकार में रिपोर्ट करने योग्य लेनदेन के लिए, जिसमें विदेशी क्षेत्राधिकार में शीघ्रतर रिपोर्टिंग समयरेखा है, बाजार सहभागियों को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित प्रयास करने होंगे कि यूटीआई समय पर प्राप्त और रिपोर्ट किया जाए। यदि बाजार प्रतिभागी रिपोर्टिंग समय-सीमा के भीतर यूटीआई की रिपोर्ट करने में असमर्थ है, तो बाजार प्रतिभागी लेनदेन की तारीख से दो कारोबार दिवसों के भीतर यूटीआई प्राप्त कर सकता है और सीसीआईएल-टीआर को प्रस्तुत कर सकता है। सीसीआईएल-टीआर द्वारा पूर्व में सृजित यूटीआई को तब एक अस्थायी/अंतरिम यूटीआई के रूप में माना जाएगा। 3.4 डेरिवेटिव संविदा से संबंधित किसी भी जानकारी में संशोधन को एक अद्यतन रूप (अपडेट) माना जाएगा और इसके लिए नए यूटीआई के सृजन की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, मौजूदा रिपोर्टिंग दिशानिर्देशों के अनुसार, रिपोर्ट करने योग्य एक नई डेरिवेटिव संविदा के निर्माण के परिणामस्वरूप नवीयन जैसी जीवनचक्र घटना के परिणामस्वरूप एक नया यूटीआई सृजन करना होगा। 3.5 यूटीआई के कार्यान्वयन से सीसीआईएल-टीआर को रिपोर्ट करने के लिए अनिवार्य ओटीसी डेरिवेटिव संविदाओं में कोई बदलाव नहीं होगा और बाजार प्रतिभागी मौजूदा निर्देशों के अनुसार लेनदेन की रिपोर्ट करना जारी रखेंगे। सीसीआईएल, ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेन की यूटीआई के साथ रिपोर्टिंग के लिए संशोधन या आशोधन सहित संशोधित रिपोर्टिंग प्रारूप और इस उद्देश्य के लिए परिचालन दिशानिर्देश जारी करेगा। 3.6 बाजार सहभागियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि इन निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय किए गए हैं। |
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