RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S3

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

सिटीज़न कार्नर - आरबीआई विनियम बैनर

RBINotificationSearchFilter

सर्च रिफाइन करें

खोज परिणाम

प्रेस प्रकाशनी

  • Row View
  • Grid View
अक्‍तूबर 30, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बीरभूम डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बीरभूम, पश्चिम बंगाल पर मौद्रिक दंड लगाया

30 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बीरभूम डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बीरभूम, पश्चिम बंगाल
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 19 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा बीरभूम डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बीरभूम, पश्चिम बंगाल (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'भारतीय रिजर्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016' और 'साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.10 लाख (एक लाख दस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47- ए (1) (सी) तथा प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 23 (4) के साथ पठित धारा 25 (1) (iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक (i) खातों के जोखिम वर्गीकरण की समय-समय पर समीक्षा करने में विफल रहा, (ii) कई खातों का जोखिम वर्गीकरण करने में विफल रहा; और (iii) चार सीआईसी में से तीन की सदस्यता लेने में विफल रहा। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1201

30 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बीरभूम डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बीरभूम, पश्चिम बंगाल
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 19 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा बीरभूम डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बीरभूम, पश्चिम बंगाल (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'भारतीय रिजर्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016' और 'साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.10 लाख (एक लाख दस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47- ए (1) (सी) तथा प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 23 (4) के साथ पठित धारा 25 (1) (iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक (i) खातों के जोखिम वर्गीकरण की समय-समय पर समीक्षा करने में विफल रहा, (ii) कई खातों का जोखिम वर्गीकरण करने में विफल रहा; और (iii) चार सीआईसी में से तीन की सदस्यता लेने में विफल रहा। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1201

अक्‍तूबर 30, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने शिहोरी नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, शिहोरी, जिला बनासकांठा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

30 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने शिहोरी नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, शिहोरी, जिला बनासकांठा, गुजरात
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 4 अक्तूबर 2023 के आदेश द्वारा शिहोरी नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, शिहोरी, जिला बनासकांठा, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'निदेशकों आदि को ऋण और अग्रिम - प्रतिभू/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक - स्पष्टीकरण' के साथ पठित 'निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों/ संस्थाओं, जिनमें उनके हित हों, को ऋण और अग्रिम’ तथा 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशियां रखना' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.00 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47-ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने (i) ऐसे ऋण स्वीकृत किए जहां बैंक के निदेशकों के रिश्तेदार गारंटीकर्ता थे; और (ii) निर्धारित अंतर-बैंक काउंटर-पार्टी एक्सपोज़र सीमा का उल्लंघन किया। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1204

30 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने शिहोरी नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, शिहोरी, जिला बनासकांठा, गुजरात
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 4 अक्तूबर 2023 के आदेश द्वारा शिहोरी नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, शिहोरी, जिला बनासकांठा, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'निदेशकों आदि को ऋण और अग्रिम - प्रतिभू/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक - स्पष्टीकरण' के साथ पठित 'निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों/ संस्थाओं, जिनमें उनके हित हों, को ऋण और अग्रिम’ तथा 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशियां रखना' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.00 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47-ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने (i) ऐसे ऋण स्वीकृत किए जहां बैंक के निदेशकों के रिश्तेदार गारंटीकर्ता थे; और (ii) निर्धारित अंतर-बैंक काउंटर-पार्टी एक्सपोज़र सीमा का उल्लंघन किया। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1204

अक्‍तूबर 30, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने पिज पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पिज, जिला खेड़ा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 4 अक्तूबर 2023 के आदेश द्वारा पिज पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पिज, जिला खेड़ा, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47-ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 4 अक्तूबर 2023 के आदेश द्वारा पिज पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पिज, जिला खेड़ा, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47-ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

अक्‍तूबर 30, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने उमा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, वडोदरा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

30 अक्तूबर 2023  भारतीय रिज़र्व बैंक ने उमा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, वडोदरा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया  भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 4 अक्तूबर 2023 के आदेश द्वारा उमा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, वडोदरा, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशि रखने' संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹7.00 लाख (सात लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47-ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।  यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।  पृष्ठभूमि  31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचा

30 अक्तूबर 2023  भारतीय रिज़र्व बैंक ने उमा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, वडोदरा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया  भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 4 अक्तूबर 2023 के आदेश द्वारा उमा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, वडोदरा, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशि रखने' संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹7.00 लाख (सात लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47-ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।  यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।  पृष्ठभूमि  31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचा

अक्‍तूबर 25, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि घाटाल पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पश्चिम बंगाल पर मौद्रिक दंड लगाया

25 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि घाटाल पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पश्चिम बंगाल
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 21 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा दि घाटाल पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पश्चिम बंगाल (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता', 'एक्सपोजर मानदंड और सांविधिक/ अन्य प्रतिबंध – शहरी सहकारी बैंक', 'भारतीय रिजर्व बैंक - (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016' संबंधी निदेशों के अननुपालन और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना, 2014- बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26ए- परिचालनगत दिशानिर्देश’ के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26ए के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए ₹1.50 लाख (एक लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) और प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 23 (4) के साथ पठित धारा 25 (1) (iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक (i) सीआईसी को क्रेडिट जानकारी अपलोड करने में विफल रहा, (ii) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक काउंटर-पार्टी एक्सपोजर सीमा का उल्लंघन किया, (iii) खातों के जोखिम वर्गीकरण की समय-समय पर समीक्षा के लिए कोई प्रणाली तैयार नहीं की, और (iv) सभी पात्र जमाराशियाँ जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि में अंतरित नहीं की। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उपर्युक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों और सांविधिक प्रावधान के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1176

25 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि घाटाल पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पश्चिम बंगाल
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 21 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा दि घाटाल पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पश्चिम बंगाल (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता', 'एक्सपोजर मानदंड और सांविधिक/ अन्य प्रतिबंध – शहरी सहकारी बैंक', 'भारतीय रिजर्व बैंक - (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016' संबंधी निदेशों के अननुपालन और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना, 2014- बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26ए- परिचालनगत दिशानिर्देश’ के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26ए के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए ₹1.50 लाख (एक लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) और प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 23 (4) के साथ पठित धारा 25 (1) (iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक (i) सीआईसी को क्रेडिट जानकारी अपलोड करने में विफल रहा, (ii) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक काउंटर-पार्टी एक्सपोजर सीमा का उल्लंघन किया, (iii) खातों के जोखिम वर्गीकरण की समय-समय पर समीक्षा के लिए कोई प्रणाली तैयार नहीं की, और (iv) सभी पात्र जमाराशियाँ जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि में अंतरित नहीं की। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उपर्युक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों और सांविधिक प्रावधान के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1176

अक्‍तूबर 25, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि मंजेरी को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, मंजेरी, मलप्पुरम जिला, केरल पर मौद्रिक दंड लगाया

25 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि मंजेरी को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, मंजेरी, मलप्पुरम जिला, केरल
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 29 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा दि मंजेरी को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, मंजेरी, मलप्पुरम जिला, केरल (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी "ग्राहक सुरक्षा - अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में सहकारी बैंकों के ग्राहकों की सीमित देयता", "प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए बुनियादी साइबर सुरक्षा ढांचा" और "प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए व्यापक साइबर सुरक्षा ढांचा” संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹10,000/- (दस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

धोखाधड़ी करने वालों द्वारा बैंक के मोबाइल बैंकिंग एप्लिकेशन के साथ छेड़छाड़ के संबंध में बैंक द्वारा रिपोर्ट की गई एक साइबर सुरक्षा घटना और उसके बाद भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की गई सूचना प्रौद्योगिकी जांच (आईटीई) से, अन्य बातों के साथ-साथ, बैंक के साइबर सुरक्षा ढांचे में कई खामियों का पता चला। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अननुपालन के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1172

25 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि मंजेरी को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, मंजेरी, मलप्पुरम जिला, केरल
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 29 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा दि मंजेरी को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, मंजेरी, मलप्पुरम जिला, केरल (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी "ग्राहक सुरक्षा - अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में सहकारी बैंकों के ग्राहकों की सीमित देयता", "प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए बुनियादी साइबर सुरक्षा ढांचा" और "प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए व्यापक साइबर सुरक्षा ढांचा” संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹10,000/- (दस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

धोखाधड़ी करने वालों द्वारा बैंक के मोबाइल बैंकिंग एप्लिकेशन के साथ छेड़छाड़ के संबंध में बैंक द्वारा रिपोर्ट की गई एक साइबर सुरक्षा घटना और उसके बाद भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की गई सूचना प्रौद्योगिकी जांच (आईटीई) से, अन्य बातों के साथ-साथ, बैंक के साइबर सुरक्षा ढांचे में कई खामियों का पता चला। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अननुपालन के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1172

अक्‍तूबर 23, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने इंद्रायणी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पिंपरी, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया

23 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने इंद्रायणी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पिंपरी, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 25 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा इंद्रायणी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पिंपरी, महाराष्ट्र (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामले- शहरी सहकारी बैंक' तथा ‘भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016 संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹3.00 लाख (तीन लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने (i) आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंडों का पालन नहीं किया, तथा (ii) अपने ग्राहकों के केवाईसी के समय-समय पर अद्यतनीकरण के लिए प्रणाली लागू नहीं की थी। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1167

23 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने इंद्रायणी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पिंपरी, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 25 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा इंद्रायणी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पिंपरी, महाराष्ट्र (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामले- शहरी सहकारी बैंक' तथा ‘भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016 संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹3.00 लाख (तीन लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने (i) आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंडों का पालन नहीं किया, तथा (ii) अपने ग्राहकों के केवाईसी के समय-समय पर अद्यतनीकरण के लिए प्रणाली लागू नहीं की थी। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1167

अक्‍तूबर 19, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि छापी नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, बनासकांठा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

19 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि छापी नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, बनासकांठा, गुजरात
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा दि छापी नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, बनासकांठा, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'निदेशकों, रिश्तेदारों, फर्मों/ संस्थाओं, जिसमें उनके हित हों, को ऋण’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.00 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने अपने एक निदेशक के रिश्तेदार को ऋण स्वीकृत किया था। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1144

19 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि छापी नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, बनासकांठा, गुजरात
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा दि छापी नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, बनासकांठा, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'निदेशकों, रिश्तेदारों, फर्मों/ संस्थाओं, जिसमें उनके हित हों, को ऋण’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.00 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने अपने एक निदेशक के रिश्तेदार को ऋण स्वीकृत किया था। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1144

अक्‍तूबर 19, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने वडनगर नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, वडनगर, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

19 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने वडनगर नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, वडनगर, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा वडनगर नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, वडनगर, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'निदेशकों आदि को ऋण और अग्रिम- प्रतिभू/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक - स्पष्टीकरण' के साथ पठित 'निदेशकों, रिश्तेदारों, फर्मों/ संस्थाओं, जिसमें उनके हित हों, को ऋण तथा 'सहकारी बैंक - जमाराशियों पर ब्याज दर' संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने (i) एक ऐसा ऋण स्वीकृत किया जहां बैंक के निदेशकों में से एक का रिश्तेदार गारंटीकर्ता था (ii) परिपक्व मियादी जमाराशियों पर परिपक्वता की तारीख से उनके चुकौती की तारीख तक लागू दर पर ब्याज का भुगतान नहीं किया। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1142

19 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने वडनगर नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, वडनगर, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा वडनगर नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, वडनगर, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'निदेशकों आदि को ऋण और अग्रिम- प्रतिभू/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक - स्पष्टीकरण' के साथ पठित 'निदेशकों, रिश्तेदारों, फर्मों/ संस्थाओं, जिसमें उनके हित हों, को ऋण तथा 'सहकारी बैंक - जमाराशियों पर ब्याज दर' संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने (i) एक ऐसा ऋण स्वीकृत किया जहां बैंक के निदेशकों में से एक का रिश्तेदार गारंटीकर्ता था (ii) परिपक्व मियादी जमाराशियों पर परिपक्वता की तारीख से उनके चुकौती की तारीख तक लागू दर पर ब्याज का भुगतान नहीं किया। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1142

अक्‍तूबर 19, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, ढोलका, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

19 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, ढोलका, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, ढोलका, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों/ संस्थाओं को ऋण और अग्रिम जिसमें उनके हित हों' तथा 'सहकारी बैंक - जमाराशि पर ब्याज दर' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹3.00 लाख (तीन लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक ने (i) अपने एक निदेशक के रिश्तेदार को ऋण स्वीकृत किया, और (ii) परिपक्वता की तारीख से पुनर्भुगतान की तारीख तक लागू दर पर अतिदेय मीयादी जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान नहीं किया। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1143

19 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, ढोलका, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, ढोलका, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों/ संस्थाओं को ऋण और अग्रिम जिसमें उनके हित हों' तथा 'सहकारी बैंक - जमाराशि पर ब्याज दर' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹3.00 लाख (तीन लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक ने (i) अपने एक निदेशक के रिश्तेदार को ऋण स्वीकृत किया, और (ii) परिपक्वता की तारीख से पुनर्भुगतान की तारीख तक लागू दर पर अतिदेय मीयादी जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान नहीं किया। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1143

अक्‍तूबर 19, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने सूरत नेशनल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

19 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने सूरत नेशनल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा सूरत नेशनल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'सहकारी बैंक - जमाराशि पर ब्याज दर' और 'ग्राहक संरक्षण - अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में सहकारी बैंकों के ग्राहकों की सीमित देयता' संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹6.00 लाख (छह लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक ने (i) परिपक्व मियादी जमा पर परिपक्वता की तारीख से उनके चुकौती की तारीख तक लागू दर पर ब्याज का भुगतान नहीं किया और (ii) ग्राहकों को अनधिकृत लेनदेन की तुरंत रिपोर्ट करने के लिए बैंक द्वारा भेजे गए इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन से संबंधित एसएमएस और ईमेल अलर्ट का 'उत्तर' देकर जवाब देने की सुविधा प्रदान नहीं की थी। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

 

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1141

19 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने सूरत नेशनल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा सूरत नेशनल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'सहकारी बैंक - जमाराशि पर ब्याज दर' और 'ग्राहक संरक्षण - अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में सहकारी बैंकों के ग्राहकों की सीमित देयता' संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹6.00 लाख (छह लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक ने (i) परिपक्व मियादी जमा पर परिपक्वता की तारीख से उनके चुकौती की तारीख तक लागू दर पर ब्याज का भुगतान नहीं किया और (ii) ग्राहकों को अनधिकृत लेनदेन की तुरंत रिपोर्ट करने के लिए बैंक द्वारा भेजे गए इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन से संबंधित एसएमएस और ईमेल अलर्ट का 'उत्तर' देकर जवाब देने की सुविधा प्रदान नहीं की थी। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

 

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1141

अक्‍तूबर 19, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने महिला को-ऑपरेटिव नागरिक बैंक लिमिटेड, भरूच, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

19 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने महिला को-ऑपरेटिव नागरिक बैंक लिमिटेड, भरूच, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा महिला को-ऑपरेटिव नागरिक बैंक लिमिटेड, भरूच, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशि रखना' और 'अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक ने (i) अंतर-बैंक सकल और प्रतिपक्षकार जोखिम सीमा का उल्लंघन किया, और (ii) निर्धारित अवधि के अनुसार खातों के जोखिम वर्गीकरण की समीक्षा नहीं की। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1140

19 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने महिला को-ऑपरेटिव नागरिक बैंक लिमिटेड, भरूच, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा महिला को-ऑपरेटिव नागरिक बैंक लिमिटेड, भरूच, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशि रखना' और 'अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक ने (i) अंतर-बैंक सकल और प्रतिपक्षकार जोखिम सीमा का उल्लंघन किया, और (ii) निर्धारित अवधि के अनुसार खातों के जोखिम वर्गीकरण की समीक्षा नहीं की। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1140

अक्‍तूबर 16, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, बाबरा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

16 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, बाबरा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, बाबरा, गुजरात (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 26 ए (2) और 'निदेशकों, रिश्तेदारों, फर्मों/ संस्थाओं, जिसमें उनके हित हों, को ऋण और अग्रिम, 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशि रखना' और 'सहकारी बैंक - जमाराशियों पर ब्याज दर' संबंधी भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि    

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने (i) जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि में पात्र राशि अंतरित नहीं की, (ii) एक ऐसे व्यक्ति को ऋण सुविधा स्वीकृत की जहां बैंक के निदेशकों में से एक का रिश्तेदार गारंटीकर्ता था, (iii) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक सकल एक्सपोज़र सीमा का उल्लंघन किया, (iv) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक काउंटर पार्टी एक्सपोज़र सीमा का उल्लंघन किया, और (v) बैंक में दावा न किए गए अवधि के लिए परिपक्व अदत्त मीयादी जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान नहीं किया। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि बीआर अधिनियम के प्रावधानों और निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।  

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि बीआर अधिनियम के उपर्युक्त प्रावधानों और भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। 

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1120

16 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, बाबरा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, बाबरा, गुजरात (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 26 ए (2) और 'निदेशकों, रिश्तेदारों, फर्मों/ संस्थाओं, जिसमें उनके हित हों, को ऋण और अग्रिम, 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशि रखना' और 'सहकारी बैंक - जमाराशियों पर ब्याज दर' संबंधी भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि    

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने (i) जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि में पात्र राशि अंतरित नहीं की, (ii) एक ऐसे व्यक्ति को ऋण सुविधा स्वीकृत की जहां बैंक के निदेशकों में से एक का रिश्तेदार गारंटीकर्ता था, (iii) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक सकल एक्सपोज़र सीमा का उल्लंघन किया, (iv) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक काउंटर पार्टी एक्सपोज़र सीमा का उल्लंघन किया, और (v) बैंक में दावा न किए गए अवधि के लिए परिपक्व अदत्त मीयादी जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान नहीं किया। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि बीआर अधिनियम के प्रावधानों और निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।  

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि बीआर अधिनियम के उपर्युक्त प्रावधानों और भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। 

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1120

अक्‍तूबर 16, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने मकरपुरा इंडस्ट्रियल इस्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जिला वडोदरा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

16 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मकरपुरा इंडस्ट्रियल इस्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जिला वडोदरा, गुजरात
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा मकरपुरा इंडस्ट्रियल इस्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जिला वडोदरा, गुजरात (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 26ए (2) और 'निदेशकों, रिश्तेदारों, फर्मों/संस्थाओं, जिसमें उनके हित हों, को ऋण और अग्रिम’ संबंधी भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने (i) जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि में पात्र राशि अंतरित नहीं की, और (ii) एक ऋण स्वीकृत किया जिसमें बैंक के निदेशक का एक रिश्तेदार गारंटीकर्ता था। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि बीआर अधिनियम के प्रावधानों और निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि बीआर अधिनियम के उपर्युक्त प्रावधानों और भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1119

16 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मकरपुरा इंडस्ट्रियल इस्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जिला वडोदरा, गुजरात
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा मकरपुरा इंडस्ट्रियल इस्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जिला वडोदरा, गुजरात (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 26ए (2) और 'निदेशकों, रिश्तेदारों, फर्मों/संस्थाओं, जिसमें उनके हित हों, को ऋण और अग्रिम’ संबंधी भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने (i) जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि में पात्र राशि अंतरित नहीं की, और (ii) एक ऋण स्वीकृत किया जिसमें बैंक के निदेशक का एक रिश्तेदार गारंटीकर्ता था। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि बीआर अधिनियम के प्रावधानों और निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि बीआर अधिनियम के उपर्युक्त प्रावधानों और भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1119

अक्‍तूबर 16, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि सेवालिया अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सेवालिया, जिला खेड़ा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

16 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि सेवालिया अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सेवालिया,
जिला खेड़ा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा दि सेवालिया अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सेवालिया,जिला खेड़ा, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'निदेशकों आदि को ऋण और अग्रिम - प्रतिभू/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक - स्पष्टीकरण' के साथ पठित 'निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों/ संस्थाओं, जिनमें उनका हित हो, को ऋण और अग्रिम संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹50,000/- (पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण और निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट तथा उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक ने एक ऋण स्वीकृत किया था, जिसमें बैंक के निदेशकों में से एक का रिश्तेदार प्रतिभू/गारंटीकर्ता था। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का उपरोक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1118

16 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि सेवालिया अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सेवालिया,
जिला खेड़ा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा दि सेवालिया अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सेवालिया,जिला खेड़ा, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'निदेशकों आदि को ऋण और अग्रिम - प्रतिभू/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक - स्पष्टीकरण' के साथ पठित 'निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों/ संस्थाओं, जिनमें उनका हित हो, को ऋण और अग्रिम संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹50,000/- (पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण और निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट तथा उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक ने एक ऋण स्वीकृत किया था, जिसमें बैंक के निदेशकों में से एक का रिश्तेदार प्रतिभू/गारंटीकर्ता था। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का उपरोक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1118

अक्‍तूबर 16, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने गुजरात मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

16 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने गुजरात मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद, गुजरात
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा गुजरात मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशि रखना' और ‘आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) का रखरखाव' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹4.50 लाख (चार लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने (i) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक सकल एक्सपोज़र सीमा का उल्लंघन किया, (ii) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक काउंटर पार्टी एक्सपोज़र सीमा का उल्लंघन किया, और (iii) कतिपय दिनों के लिए न्यूनतम आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) बनाए नहीं रखा। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1117

16 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने गुजरात मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद, गुजरात
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा गुजरात मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशि रखना' और ‘आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) का रखरखाव' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹4.50 लाख (चार लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने (i) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक सकल एक्सपोज़र सीमा का उल्लंघन किया, (ii) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक काउंटर पार्टी एक्सपोज़र सीमा का उल्लंघन किया, और (iii) कतिपय दिनों के लिए न्यूनतम आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) बनाए नहीं रखा। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1117

अक्‍तूबर 06, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने विद्यासागर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मिदनापुर, पश्चिम बंगाल पर मौद्रिक दंड लगाया

6 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने विद्यासागर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मिदनापुर, पश्चिम बंगाल
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 14 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा विद्यासागर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मिदनापुर, पश्चिम बंगाल (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'आवास वित्त’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.50 लाख (एक लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में नाबार्ड द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, उससे संबंधित निरीक्षण रिपोर्ट और संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक, जिला केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा किसी एकल उधारकर्ता को दिए जाने वाले आवास ऋण की मात्रा की सीमा संबंधी भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अनुपालन में विफल रहा। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन का उपरोक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1067

6 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने विद्यासागर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मिदनापुर, पश्चिम बंगाल
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 14 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा विद्यासागर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मिदनापुर, पश्चिम बंगाल (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'आवास वित्त’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.50 लाख (एक लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में नाबार्ड द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, उससे संबंधित निरीक्षण रिपोर्ट और संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक, जिला केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा किसी एकल उधारकर्ता को दिए जाने वाले आवास ऋण की मात्रा की सीमा संबंधी भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अनुपालन में विफल रहा। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन का उपरोक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1067

अक्‍तूबर 06, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि संतरागाछी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पश्चिम बंगाल पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 14 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा दि संतरागाछी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पश्चिम बंगाल (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'एक्सपोज़र मानदंड और सांविधिक/ अन्य प्रतिबंध - यूसीबी' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.00 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 14 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा दि संतरागाछी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पश्चिम बंगाल (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'एक्सपोज़र मानदंड और सांविधिक/ अन्य प्रतिबंध - यूसीबी' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.00 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

अक्‍तूबर 06, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि कर्णावती को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

6 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि कर्णावती को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 31 अगस्त 2023 के आदेश द्वारा दि कर्णावती को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'निदेशकों आदि को ऋण और अग्रिम - ज़मानतदार/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक - स्पष्टीकरण' के साथ पठित 'निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों/ संस्थाओं को ऋण और अग्रिम जिनमें उनके हित हों' और 'यूसीबी में धोखाधड़ी: निगरानी और रिपोर्टिंग तंत्र में परिवर्तन’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.50 लाख (एक लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

6 अक्तूबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि कर्णावती को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 31 अगस्त 2023 के आदेश द्वारा दि कर्णावती को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'निदेशकों आदि को ऋण और अग्रिम - ज़मानतदार/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक - स्पष्टीकरण' के साथ पठित 'निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों/ संस्थाओं को ऋण और अग्रिम जिनमें उनके हित हों' और 'यूसीबी में धोखाधड़ी: निगरानी और रिपोर्टिंग तंत्र में परिवर्तन’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.50 लाख (एक लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

अक्‍तूबर 06, 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि गणदेवी पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नवसारी, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 1 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा दि गणदेवी पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नवसारी, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशि रखना' और 'शहरी सहकारी बैंकों में धोखाधड़ी: निगरानी और रिपोर्टिंग तंत्र में परिवर्तन' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 1 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा दि गणदेवी पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नवसारी, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशि रखना' और 'शहरी सहकारी बैंकों में धोखाधड़ी: निगरानी और रिपोर्टिंग तंत्र में परिवर्तन' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

Custom Date Facet

RBIPageLastUpdatedOn

पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: जुलाई 31, 2024