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कोर निवेश कंपनियां

प्रस्तावना

भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III बी में निहित शक्तियों के आधार पर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के विनियमन और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक को सौंपी गई है। विनियामक और पर्यवेक्षी उद्देश्य इस प्रकार हैं:क) वित्तीय कंपनियों का सुदृढ़ विकास सुनिश्चित करना;ख) सुनिश्चित करें कि ये कंपनियां नीतिगत ढांचे के भीतर वित्तीय प्रणाली के एक हिस्से के रूप में कार्य करती हैं, और इस तरह से कार्य करतीं हैं कि उनके अस्तित्व और कामकाज से प्रणालीगत विचलन नहीं होता है; और किग) वित्तीय प्रणाली के इस क्षेत्र में होने वाले विकास के साथ तालमेल रखते हुए एनबीएफसी पर बैंक द्वारा की जाने वाली निगरानी और पर्यवेक्षण की गुणवत्ता बनी हुई है।पिछले कुछ वर्षों में, आरबीआई द्वारा उत्कीर्ण कुछ विशेष एनबीएफसी जैसे कोर इन्वेस्टमेंट कंपनियां (सीआईसी), एनबीएफसी- इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियां (आईएफसी), इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड- एनबीएफसी, एनबीएफसी-एमएफआई और एनबीएफसी-फैक्टर सबसे हालिया हैं।एनबीएफसी, आम जन, रेटिंग एजेंसियों, चार्टर्ड एकाउंटेंट आदि के हितों के लिए विनियामक परिवर्तनों के अंतर्निहित तर्क की व्याख्या करना और कुछ परिचालन मामलों पर स्पष्टीकरण प्रदान करना आवश्यक महसूस किया गया है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, प्रश्नों के रूप में स्पष्टीकरण और जवाब, विशिष्ट एनबीएफसी पर भारतीय रिजर्व बैंक (गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग) द्वारा इस आशा के साथ लाया जा रहा है कि यह विनियामक ढांचे की बेहतर समझ प्रदान करेगा।प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण कोर निवेश कंपनियों (सीआईसी-एनडी-एसआई) पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में दी गई जानकारी आम जन की सुविधा के लिए सामान्य प्रकृति की होती है और दिए गए स्पष्टीकरण विशिष्ट एनबीएफसी को बैंक द्वारा जारी मौजूदा विनियामक निर्देशों/अनुदेशों को प्रतिस्थापित नहीं करते हैं।

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर- सीआईसी-एनडी-एसआई एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है

(i) 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक की आस्ति आकार हो

(ii) शेयरों और प्रतिभूतियों के अधिग्रहण का व्यवसाय करना और जो अंतिम लेखापरीक्षित तुलनपत्र की तारीख को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करता है: -

(iii) समूह कंपनियों में इक्विटी शेयरों, वरीयता शेयरों, बांडों, डिबेंचर, डेट या ऋण में निवेश के रूप में अपनी निवल आस्ति का 90% से कम नहीं धारित करता है;

(iv) समूह कंपनियों में इक्विटी शेयरों में इसका निवेश (निर्गम की तारीख से 10 साल से अधिक की अवधि के भीतर अनिवार्य रूप से इक्विटी शेयरों में परिवर्तनीय सहित) इसकी निवल आस्ति का 60% से कम नहीं है जैसा कि उपर्युक्त खंड (iii) में उल्लिखित है;

(v) यह ह्रासमान होने या विनिवेश के उद्देश्य से ब्लॉक बिक्री के अलावा समूह कंपनियों में शेयरों, बांडों, डिबेंचर, डेट या ऋण में अपने निवेश में व्यापार नहीं करता है;

(vi) यह भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45आई (सी) और 45आई (एफ) में निर्दिष्ट किसी भी अन्य वित्तीय गतिविधि को कारित नहीं करता है, सिवाय बैंक जमा, मुद्रा बाजार लिखतों, सरकारी प्रतिभूतियों, डेट और ऋण में निवेश,समूह कंपनियों को निर्गम या समूह कंपनियों की ओर से जारी गारंटियों को छोड़कर।

(vii) यह सार्वजनिक निधि स्वीकार करता है।

भारत में विदेशी निवेश

“अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्न’ नामक यह शृंखला इस विषय पर उपयोगकर्ताओं द्वारा समान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में देने का प्रयास है। तथापि कोई लेनदेन करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों/ नियमों अथवा निदेशों का संदर्भ लें। इससे संबंधित मूल विनियमावली 07 नवंबर 2017 को अधिसूचित एवं समय समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2017 [जिसे समान्यतः फेमा 20(आर) नाम से जाना जाता है] के मार्फत जारी की गई है। प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उसके ग्राहकों और घटकों के साथ विदेशी मुद्रा संबंधी कारोबार को कैसे संचालित किया जाएगा, ताकि संबन्धित विनियमों का अनुपालन हो सके, इसके संबंध में दिशानिर्देश भारत में विदेशी निवेश पर जारी मास्टर निदेश में दिये गए हैं।

उत्तर: जिन मार्गों के अंतर्गत विदेशी निवेश किया जा सकता है, वे निम्नानुसार हैं:

ए. स्वचालित मार्ग: फेमा 20(आर) के विनियम-16 में विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार सभी गतिविधियों/ क्षेत्रों में सरकार अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना स्वचालित मार्ग के अंतर्गत विदेशी निवेश अनुमत है।

बी. सरकारी अनुमोदन मार्ग: स्वचालित मार्ग के अंतर्गत कवर न की गई गतिविधियों में विदेशी निवेश के लिए सरकार का पूर्वानुमोदन आवश्यक है। सरकार के अनुमोदन के लिए आवेदन करने की विधि http://fifp.gov.in/Forms/SOP.pdf पर दी गई है।

भारतीय मुद्रा

अपडेट हो गया है: अप्रैल 15, 2025

क) भारतीय मुद्रा/मुद्रा प्रबंधन से जुड़ी आधारभूत जानकारी

भारतीय मुद्रा का नाम भारतीय रुपया (आईएनआर) है । एक रुपया में 100 पैसे होते हैं । भारतीय रुपये का प्रतीक "₹" है । यह रूपरेखा (डिजाइन) देवनागरी अक्षर "₹" (र) तथा लैटिन के बड़े “आर/R” अक्षर के समान है जिसमें शीर्ष पर दोहरी क्षैतिज रेखा है ।

समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत

अपडेट हो गया है: जून 02, 2025

सामान्य सूचना

समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण (सीपीआईएस) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के तत्वावधान में आयोजित एक स्वैच्छिक डेटा संग्रह कार्य है। सीपीआईएस का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति (आईआईपी) में संविभागीय निवेश के आंकड़ों की गुणवत्ता में सुधार करना है - यानि इक्विटी और निवेश फंड शेयरों, दीर्घकालिक ऋण प्रतिभूतियों और लघुकालिक ऋण प्रतिभूतियों के रूप में संविभागीय निवेश संपत्तियों की होल्डिंग और सावधि ऋण प्रतिभूतियां और समकक्ष अर्थव्यवस्थाओं द्वारा इन आंकड़ों को उपलब्ध कराना है। अतः, सीपीआईएस सीमा पार किससे किसको के आंकड़े विकसित करने के उद्देश्य का समर्थन करता है और वित्तीय अंतर्संबंधों की बेहतर समझ में योगदान देता है।

भारत वर्ष ने 2004 से आईएमएफ़ के वार्षिक सीपीआईएस में भाग लेना शुरू किया है। इसके बाद, G-20 डेटा गैप्स इनिशिएटिव (डीजीआई) के तहत आईएमएफ़ की सिफारिश के अनुसार, भारत वर्ष 2014 से विशेष डेटा प्रसार मानकों (एसडीडीएस) के तहत इसकी प्रतिबद्धता के अनुसार सीपीआईएस की अर्ध-वार्षिक रिपोर्टिंग करता है । भारतीय रिज़र्व बैंक, भारत की ओर से आईएमएफ़ को सीपीआईएस डेटा प्रस्तुत करता है।

गोपनीयता खंड

सीपीआईएस के तहत एकत्रित इकाई-वार जानकारी को गोपनीय रखा जाता है और केवल समेकित योग ही भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा आईएमएफ़ को प्रस्तुत किए जाते हैं।

सीपीआईएस के तहत रिपोर्ट करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं

उत्तर: वर्तमान में सीपीआईएस के तहत बैंकों, म्यूचुअल फंड कंपनियों, गैर-वित्तीय कंपनियों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और बीमा कंपनियों का सर्वेक्षण किया जाता है।

भारतीय उद्योग में विदेशी सहयोग (एफसीएस) पर द्विवार्षिक सर्वेक्षण

अपडेट हो गया है: जून 02, 2025

सामान्य निर्देश

रिज़र्व बैंक लंबे समय से एफसीएस सर्वेक्षण कर रहा है क्योंकि यह न केवल शोधकर्ताओं के लिए फायदेमंद है बल्कि उद्योगों के लिए भी मददगार है क्योंकि यह उन्हें प्रतिस्पर्धा के संभावित क्षेत्रों का अंदाजा देता है। 2011 में अनिवार्य FLA संगणना की शुरुआत के बाद, इस सर्वेक्षण को 2012 में FLA संगणना के पूरक के रूप में पुनर्गठित किया गया था।

सर्वेक्षण प्रदर्शन के संकेतकों की एक विस्तृत श्रृंखला (उत्पादन, निर्यात, आयात, सामग्री की लागत, आदि) के साथ-साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों की महत्वपूर्ण विशेषताओं (प्रकृति, अवधि, भुगतान का तरीका, निर्यात प्रतिबंध, प्रावधान अनन्य अधिकार, समझौतों की समाप्ति के बाद प्रौद्योगिकी का उपयोग, आदि) पर जानकारी प्राप्त करता है।

सर्वेक्षण वर्तमान में भारतीय प्रत्यक्ष निवेश कंपनियों के लिए द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है, जिन्होंने दो वित्तीय वर्षों के मार्च के अंत में विदेशी कंपनियों के साथ विदेशी तकनीकी सहयोग समझौते किए हैं।

सर्वेक्षण आरबीआई प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से शुरू किया जाता है। इसके साथ ही, रिपोर्टिंग संस्थाओं को ईमेल सूचनाएं भी Excel आधारित सर्वेक्षण प्रश्नावली के साथ भेजी जाती हैं। रिपोर्ट करने वाली संस्थाएं फिर आरबीआई की जेनेरिक ईमेल आईडी पर विधिवत भरी हुई सर्वेक्षण प्रश्नावली प्रस्तुत करती हैं, जिसे फिर आरबीआई के आंतरिक इंट्रानेट पोर्टल पर संसाधित किया जाता है।

रिपोर्टिंग संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों का आंतरिक विश्लेषण किया जाता है और समग्र स्तर के परिणाम आरबीआई की वेबसाइट पर द्विवार्षिक रूप से प्रकाशित किए जाते हैं।

गोपनीयता खंड

प्रदान की गई कंपनी-वार जानकारी को गोपनीय रखा जाएगा और रिज़र्व बैंक द्वारा केवल समेकित योग ही जारी किए जाएंगे।

नोट: प्रतिवादी कंपनियों को भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध Excel प्रारूप (*.xls प्रारूप) में सर्वेक्षण प्रश्नावली को भरना चाहिए। उत्तरदाताओं से अनुरोध है कि वे सर्वेक्षण प्रश्नावली भरने से पहले निर्देश पत्रक (सर्वेक्षण प्रश्नावली में उपलब्ध) को अच्छी तरह से पढ़ लें।

FCS सर्वेक्षण में भाग लेते समय याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बिंदु

उत्‍तर: सर्वेक्षण प्रश्नावली भरते समय प्रतिवादी कंपनियों को निम्‍नलिखित बातों का पालन करना चाहिए:

(i) कंपनी को नवीनतम सर्वेक्षण प्रश्नावली का उपयोग करना चाहिए जो बिना किसी Macro के .xls प्रारूप में है।

(ii) कंपनी को सर्वेक्षण प्रश्नावली को Excel 97-2003 वर्कबुक यानी केवल .xls फॉर्मेट में सेव करना होगा।

(iii) सर्वेक्षण प्रश्नावली को .xls प्रारूप में सेव के लिए, नीचे दिए गए चरणों का पालन करें

अ. ऑफिस बटन / फाइल पर जाएं → इस रूप में सहेजें → इस रूप में सहेजें

ब. "Excel 97-2003 वर्कबुक" चुनें और सर्वेक्षण प्रश्नावली को .xls फॉर्मेट में सेव करें।

(iv) कंपनी को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रदान किए गए सर्वेक्षण प्रश्नावली के .xls प्रारूप का उपयोग करना चाहिए और अनुरोध किया जाता है कि सर्वेक्षण प्रश्नावली में किसी Macro को शामिल न करें।

(v) कृपया ध्यान दें कि किसी अन्य प्रारूप (.xls प्रारूप के अलावा) में प्रस्तुत किए गए सर्वेक्षण प्रश्नावली सिस्टम द्वारा स्वत: खारिज कर दिए जाएंगे।

(vi) कृपया सुनिश्चित करें कि सर्वेक्षण प्रश्नावली में दी गई सभी सूचनाएँ पूर्ण हैं और कोई सूचना छूटी नहीं है।

(vii) पार्ट-I से III भरने के बाद कंपनी को डिक्लेरेशन भरना होता है। डिक्लेरेशन शीट इस बात की पुष्टि और सत्यापन करने में मदद करती है कि कंपनी द्वारा दर्ज की गई जानकारी को आरबीआई को सबमिट करने से पहले उसकी दोबारा जांच की जाती है। इससे डेटा एंट्री एरर, मिस्ड डेटा आदि जैसी त्रुटियों से बचने में मदद मिलेगी।

(viii) इसके अलावा, उत्तरदाताओं से अनुरोध है कि वे सर्वेक्षण प्रश्नावली के सभी भागों में डेटा फाइलिंग के दौरान किसी विशेष वर्ण अर्थात [!@#$%^&*_()] और अल्पविराम का उपयोग न करें।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

भाग-I बाह्य वाणिज्यिक उधार

ए. कुछ बुनियादी प्रश्न

उत्तर: ईसीबी तथा ट्रेड क्रेडिट (टीसी) संबंधी मौजूदा ढांचे पर मार्गदर्शन के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण तथा संरचित प्रतिबद्धताएं विषय पर दिनांक 26 मार्च 2019 के मास्टर निदेश सं. 5 से संदर्भ करें। पूर्व ढांचों के अंतर्गत जुटाये गए ईसीबी तथा टीसी का उक्त ईसीबी तथा टीसी का लाभ उठाते समय यथालागू तदनुरूपी दिशानिर्देशों का अनुपालन करना जारी रहेगा।

विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))

विप्रेषण पारिवारिक तथा राष्ट्रीय आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और बाह्य वित्तपोषण का एक सबसे बड़ा स्रोत भी है। भारत के हिताधिकारी बैंकिंग तथा डाक के माध्यम से सीमापारीय आंतरिक विप्रेषण प्राप्त कर सकते हैं। बैंकों को विप्रेषण का कारोबार करने हेतु अन्य बैंकों के साथ भागीदारी करने के लिए सामान्य अनुमति है। डाक के माध्यम हेतु समान्यतः यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन के (यूपीयू) अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली (आईएफ़एस) प्लैटफ़ार्म का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा आवक विप्रेषण प्राप्त करने के लिए दो और चैनल हैं, अर्थात रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए) तथा धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) जोकि देश में विप्रेषण प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक प्रयोग में लाई जाने वाली व्यवस्था है।

ये अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्न आरडीए तथा एमटीएसएस से संबंधित सामान्य प्रश्न है और सामान्य मार्गदर्शन के लिए इनसे संदर्भ क्यी अजाए। प्राधिकृत व्यक्ति तथा उनके घटक यदि आवश्यक हो तो विस्तृत जानकारी के लिए संबंधित परिपत्र/ दिशानिर्देश देखें।

रुपया आहरण व्यवस्था(आरडीए)

रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए) समुद्रपारीय अधिकार क्षेत्रों से सीमापारीय विप्रेषण प्राप्त करने का चैनल है। इस व्यवस्था के अंतर्गत प्राधिकृत श्रेणी-I के बैंक एफ़एटीएफ़ का अनुपालन करने वाले देशों में स्थित अनिवासी विनिमय गृहों के साथ अपने वोस्टरों खाते खोलने तथा बनाए रखने के लिए गठबंधन करते हैं।

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

पेटीएम पेमेंट्स बैंक में बैंक खाते

हाँ। आप अपने खाते में उपलब्ध शेष राशि तक धनराशि का उपयोग, आहरण या अंतरण जारी रख सकते हैं। इसी प्रकार, आप अपने खाते में उपलब्ध शेष राशि तक धनराशि निकालने या अंतरित करने के लिए अपने डेबिट कार्ड का उपयोग जारी रख सकते हैं।

समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा

'समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा' पर दिनांक 8 जून 2023 को जारी परिपत्र

ए. इरादतन कर्ज़ न चुकाने और धोखाधड़ी के मामलों में समझौता निपटान

नहीं। धोखाधड़ी अथवा इरादतन चूककर्ता के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं के संबंध में बैंकों को समझौता निपटान में समर्थ करने वाला उक्त प्रावधान कोई नया विनियामक निर्देश नहीं है और यह 15 वर्षों से अधिक समय से मानित विनियामक उद्देश्य रहा है। इस खंड को समर्थित करने के लिए मौजूदा निर्देश बैंकों के लिए पहले से ही उपलब्ध है, जैसा कि नीचे दिया गया है:

  1. आरबीआई द्वारा अपने 10 मई 2007 को जारी पत्र के माध्यम से आईबीए को सूचित किया गया था कि, “(i) बैंक ऐसे उधारकर्ताओं के विरुद्ध चल रही आपराधिक कार्यवाही पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना इरादतन चूककर्ता/धोखाधड़ी करने वाले उधारकर्ताओं के साथ समझौता निपटान कर सकते हैं; (ii) समझौता निपटान के ऐसे सभी मामलों की जांच प्रबंधन समिति/बैंकों के बोर्ड द्वारा की जानी चाहिए।”

  2. इरादतन चूककर्ताओं पर 1 जुलाई 2015 को जारी मास्टर परिपत्र में ऋणदाताओं को इरादतन चूककर्ता के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं के साथ समझौता निपटान करने पर सहमत होने की परिकल्पना की गई है और कहा गया है कि ऐसे मामलों को क्रेडिट सूचना कंपनियों को सूचित करने की आवश्यकता नहीं है, बशर्ते कि, अन्य बातों के साथ-साथ, "उधारकर्ता ने समझौता की गई राशि का पूरा भुगतान कर दिया हो।"

  3. धोखाधड़ी पर जारी दिनांक 1 जुलाई 2016 के मास्टर दिशानिर्देशों में धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं के साथ समझौता निपटान का प्रावधान, इस शर्त के अधीन किया गया हैं कि, "धोखाधड़ी वाले उधारकर्ता से जुड़े किसी भी समझौता निपटान की अनुमति तब तक नहीं है जब तक कि शर्तें यह निर्धारित न करें कि आपराधिक शिकायत जारी रखी जाएगी अथवा नहीं।"

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क. ऋणों का वर्गीकरण

उत्तर: 01 अप्रैल 2025 तक बकाया ऋणों की प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) पात्रता का निर्धारण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार, 2025 पर मास्टर निदेश के प्रावधानों के संदर्भ में किया जाएगा।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

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