वसूल न हुए निर्यात बिलों को "बट्टे खाते में डालना - माल और सेवाओं का निर्यात-क्रियाविधि को सरल बनाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
वसूल न हुए निर्यात बिलों को "बट्टे खाते में डालना - माल और सेवाओं का निर्यात-क्रियाविधि को सरल बनाना
भारिबैंक/2012-13/435 12 मार्च 2013 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, वसूल न हुए निर्यात बिलों को "बट्टे खाते में डालना - प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 9 सितंबर 2000, 4 अप्रैल 2001, 14 दिसंबर 2002, 5 दिसंबर 2003, 28 फरवरी 2007 और 22 जुलाई 2010 के क्रमश: ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.12, 30, 61, 40, 33 तथा 3 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिनके अनुसार बट्टे खाते में डालने के सीमित अधिकार निर्यातकों को दिए गए थे और निर्यातकों द्वारा निर्यात बिलों को "बट्टे खाते में डालने" हेतु प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को प्रस्तुत अनुरोधों को स्वीकार करने की अनुमति उन्हें, अन्य बातों के साथ-साथ, इस शर्त के अधीन दी गयी है कि निर्यातक संबंधित पोतलदानगत निर्यात पर प्राप्य प्रोत्साहन (export incentives), यदि लिया हो, को समानुपातिक आधार पर पहले लौटा दें। 2. इस क्रियाविधि को और सरल बनाने व उदारीकृत करने के मद्देनज़र तथा सभी निर्यातकों के साथ-साथ प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को इस बाबत लचीलापन उपलब्ध कराने के लिए पिछले अनुदेशों की समीक्षा की गयी है। 22 जुलाई 2010 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 3 में "बट्टे खाते में डालने" से पहले तत्संबंध में प्राप्त प्रोत्साहनों को लौटाने की शर्त के अधीन, अब यह निर्णय लिया गया है कि 'वसूल न हुए निर्यात बिलों' को "बट्टे खाते में डालने" से संबंधित सीमाओं को निम्नवत उदार बनाया जाए: ए) निर्यातक द्वारा स्वयं "बट्टे खाते में डालना" बी) स्टेटस होल्डर निर्यातकों द्वारा स्वयं "बट्टे खाते में डालना"----------------------- 10%* सी) प्राधिकृत व्यापारी बैंक द्वारा "बट्टे खाते में डालना" ------------------------------- 10%* 3. उल्लिखित सीमाएं पिछले कैलेण्डर वर्ष के दौरान वसूल की गयी कुल निर्यात राशियों से संबद्ध होंगी और वर्ष में संचयी रूप से उपलब्ध होंगी। 4. उल्लेखानुसार "बट्टे खाते में डालना" निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगा: (ए) संबंधित राशि एक वर्ष से अधिक अवधि के लिए बकाया रही है; (बी) प्राप्य राशियों की वसूली के लिए निर्यातक द्वारा किए गए समस्त प्रयासों के समर्थन में संतोषजनक दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं; (सी) निम्नलिखित किसी भी श्रेणी में आने वाले मामले:
(डी) निर्यातक ने संबंधित पोत लदानों के संबंध में लिए गए निर्यात प्रोत्साहनों, यदि कोई हों, के आनुपातिक अंश (22 जुलाई 2010 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 3 द्वारा कवर न होने वाले मामलों के लिए) को लौटा/सुर्पुद कर दिया है। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक, संबंधित बिलों को बट्टे खाते में डालने की अनुमति देने से पहले, लिए गए निर्यात प्रोत्साहनों की सुपुर्दगी के दस्तावेज़ी साक्ष्य प्राप्त करें। (ई) स्वयं बट्टे खाते डालने के मामले में, निर्यातक सनदी लेखाकार का इस आशय का एक प्रमाणपत्र संबंधित प्राधिकृत व्यापारी बैंक को प्रस्तुत करे जिसमें पिछले कैलेण्डर वर्ष में वसूल हुई निर्यात राशि और इस वर्ष के दौरान पहले ही बट्टे खाते में डाली गयी राशि, यदि कोई हो, संबंधित जीआर/एसडीएफ नंबर, जिन्हें बट्टे खाते में डालना है, बिल नं., इनवाइस का मूल्य, निर्यातित पण्य, निर्यातित देश के नाम का उल्लेख हो। सनदी लेखाकार के प्रमाणपत्र में यह भी दर्शाया जाए कि यदि कोई निर्यात लाभ निर्यातक द्वारा लिए गए हैं तो उन्हें सुर्पुद किया गया है। 5. तथापि, "बट्टे खाते में डालने" की सुविधा हेतु निम्नलिखित पात्र नहीं है: (ए) ऐसे बाह्य समस्याओं वाले देशों को किए गए निर्यात अर्थात विदेशी क्रेता ने जहाँ स्थानीय मुद्रा में निर्यात के मूल्य को जमा किया है किन्तु उक्त राशि के प्रत्यावर्तन की अनुमति देश के केंद्रीय बैंकिंग प्राधिकारियों ने नहीं दी है। (बी) जीआर/एसडीएफ़ फार्म, जो प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व गुप्तचर निदेशालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, आदि जैसी एजेंसियों द्वारा अन्वेषण के अधीन है, के साथ ही साथ वे बकाया बिल भी जो सिविल/आपराधिक मुकदमे (suit) के अधीन हैं। 6. संबंधित प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र के तहत अनुमत बट्टे खाते में डाले गए मामलों के ब्योरे देते हुए ईबीड्ल्यू फार्म में (संलग्न फार्मेट में) एक विवरण रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रेषित करें, जिसके क्षेत्राधिकार में वे कार्यरत हैं। 7. प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे एक ऐसी प्रणाली अमल में लाएं जिसके तहत उनके आंतरिक निरीक्षक अथवा लेखापरीक्षक (प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा नियुक्त किए गए बाह्य लेखापरीक्षकों सहित) बकाया निर्यात बिलों को बट्टे खाते में डालने के लिए यादृच्छिक नमूना जाँच/प्रतिशत में जाँच (random sample check/percentage check) करें। 8. उल्लिखित अनुदेशों द्वारा कवर न किए गए/उल्लिखित सीमाओं से ऊपर की सीमा वाले मामले भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किए जाएं। 9. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत करायें । 10. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमत/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीया, (रश्मि फौज़दार) |