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79055873

पिछले कार्य निष्पादन के आधार पर वायदा संविदाएं बुक करना

आरबीआइ/2006-07/208
पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.22

दिसंबर 13, 2006

सेवा में

सभी श्रेणी I के प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

पिछले कार्य निष्पादन के आधार पर वायदा संविदाएं बुक करना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान जनवरी 24, 2002 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.19, दिसंबर 21, 2002 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.63 तथा नवंबर 1, 2004 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.26 की ओर आकर्षित किया जाता है। वर्तमान में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक, विशिष्ट शर्तों के अधीन, आयातकों और निर्यातकों को, जोखिम की घोषणा और पिछले तीन वित्तीय वर्षों (अप्रैल से मार्च) के वास्तविक आयात/निर्यात पण्यावर्त के औसत तक अथवा पिछले वर्ष के वास्तविक आयात/निर्यात पण्यावर्त, जो भी अधिक हो, पर आधारित वायदा संविदा बुक करने की अनुमति दे सकते हैं। पात्र सीमा 25 प्रतिशत से अधिक बुक की गई वायदा संविदाएं सुपुर्दगी आधार पर होंगी और उन्हें रद्द नहीं किया जा सकेगा। वर्ष के दौरान बुक की गई कुल वायदा संविदाएं और किसी भी समय बकाया, पात्र सीमा से अधिक नहीं होंगी। इसके अलावा, आयात और निर्यात लेनदेनों के लिए पात्र सीमाओं की गणना अलग-अलग की जाएगी।

2.         वर्ष 2006-07 की वार्षिक नीति की मध्यावधि समीक्षा (पैरा 105) में घोषित किए अनुसार आयातकों और निर्यातकों को ज़्यादा लचीलापन देने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्त सुविधा को और उदार बनाया जाए। तदनुसार, आयातकों/निर्यातकों द्वारा जोखिम की घोषणा तथा पिछले कार्यनिष्पादन के आधार पर बुक किए गए पात्र सीमा के 50 प्रतिशत से अधिक वायदा संविदाएं सुपुर्दगी आधार पर होंगी और उन्हें रद्द नहीं किया जा सकेगा। इस सुविधा के लिए निर्धारित सभी अन्य शर्तें और रिपोर्टिंग आवश्यकताएं यथावत रहेंगी।

3.         प्राधिकृत व्यापारी - श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।

4.         इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

मास्टर परिपत्र

अ 2.  प्राधिकृत व्यापारी आयातकों और निर्यातकों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन जोखिम की घोषणा के आधार पर और पिछले तीन वित्तीय वर्षों (अप्रैल से मार्च) के वास्तविक आयात/ निर्यात टर्नओवर या पिछले वर्ष के वास्तविक आयात/ निर्यात टर्नओवर, जो भी अधिक हो, के औसत तक पिछले निष्पादन पर आधारित वायदा संविदा करने की भी अनुमति दे सकते हैं :

(क)      वर्ष के दौरान की गई कुल वायदा संविदा और किसी भी समय बकाया वायदा संविदा पात्र सीमा अर्थात् पिछले 3 वित्तीय वर्षों (अप्रैल से मार्च) के वास्तविक आयात/ निर्यात पण्यावर्त अथवा पिछले वर्ष के वास्तविक आयात/ निर्यात पण्यावर्त जो भी अधिक हो से अधिक नहीं होनी चाहिए। पात्र सीमा से 25 प्रतिशत अधिक बुक की गई संविदा सपुर्दगी योग्य आधार पर होगी और रद्द नहीं की जा सकेगी। आयात/ निर्यात लेनदेनों के लिए इन सीमाओं की गणना अलग से की जाएगी।

(ख)      दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए बिना की गई किसी भी वायदा संविदा को इस सीमा के तहत निपटाया जाएगा।

(ग)       आयातक और निर्यातक इस सुविधा के अंतर्गत अन्य प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I के पास बुक की गई राशि से संबंधित घोषणा प्राधिकृत व्यापारी को प्रस्तुत करेंगे।

(घ)       वायदा संविदा की परिपक्वता से पहले सहायक दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने का वचनपत्र ग्राहक से प्राप्त किया जाए।

(ङ)       अपने ग्राहकों की वास्तविक आवश्यकताओं से आश्वस्त होने पर निम्नलिखित दस्तावेजों की जांच के बाद प्राधिकृत व्यापारी पात्र सीमा के 50 प्रतिशत से अधिक बकाया वायदा संविदा की अनुमति दे :

i.            ग्राहक के सनदी लेखाकार से प्राप्त प्रमाण पत्र कि इस सुविधा का उपयोग करते समय सभी मार्गदर्शी सिद्धांतों का अनुपालन किया गया है।

ii.          पिछले तीन वर्षों के दौरान ग्राहक के आयात/ निर्यात टर्नओवर का प्रमाणपत्र, जो संलग्नक VII के फार्मेट में उनके सनदी लेखाकार द्वारा विधिवत अभिप्रमाणित हो।

च)        किसी निर्यातक के मामले में, उपर्युक्त सुविधा का लाभ उठाने के लिए अतिदेय बिलों की राशि पण्यावर्त के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

छ)        प्राधिकृत व्यापारी से अपेक्षित है कि वह संलग्नक IX में दिए गए फार्मेट में इस सुविधा के तहत उनके ग्राहकों द्वारा स्वीकृत और उपयोग की गई सीमाओं के संबंध में एक मासिक रिपोर्ट (प्रत्येक माह के अंतिम शुक्रवार को) प्रस्तुत करें।रिपोर्ट मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग, विदेशी मुद्रा बाज़ार प्रभाग, केन्द्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई 400 001 को भेजी जाए।

नोटः पैरा अ 2 में विनिर्दिष्ट सीमाएं जोखिम की घोषणा के आधार पर की गई वायदा संविदा से संबंधित है। दस्तावेजी साक्ष्यों के सत्यापन के बाद जब प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा वायदा संविदा की जाती हैं, ये सीमाएं लागू नहीं होती हैं तथा ऐसी संविदाएं नीहित सीमा तक बुक की जाएं ।

ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.63

दिसंबर 21, 2002

जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेनदेन

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान जनवरी 24, 2002 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.19 और निम्नलिखित पैराग्राफों में उल्लिखित बाद के संशोधनों की ओर आकर्षित किया जाता है। यह निर्णय लिया गया है कि निम्नलिखित छूट की अनुमति दी जाए :

3.         पिछले कार्यनिष्पादन के आधार पर वायदा संविदाएं बुक करना

दिसंबर 1, 2001 के हमारे परिपत्र सं. ईसी.सीओ.एफएमडी/453/02.03.75/2001-02 के अनुसार प्राधिकृत व्यापारी अपने निर्यातक/आयातक ग्राहकों को पिछले 3 वर्षों की औसत आयात/निर्यात कार्यनिष्पादन के आधार पर प्राप्त सीमाओं तक वायदा संविदा का प्रस्ताव दे सकते हैं। यह इस शर्त के अधीन है कि इस प्रकार बुक की गई वायदा संविदाएं और शेष किसी भी समय 50 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा के अधीन पात्र सीमा के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

यह निर्णय लिया गया है कि सीमा को बढ़ाकर 100 मिलियन अमरी की डॉलर कर दिया जाए। तदनुसार प्राधिकृत व्यापारी अपने ग्राहकों को पात्र सीमा तक वायदा संविदा करने की अनुमति दे सकते हैं बशर्ते किसी भी समय वायदा संविदा शेष 100 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा के अंदर पात्र सीमा के 25 प्रतिशत से अधिक न हो। यह नोट किया जाए कि पात्र सीमाओं की गणना निर्यात और आयात लेनदेनों के लिए अलग-अलग की जानी है। अन्य सभी शर्तें यथावत रहेंगी।

(अप्रैल 5, 2003 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.93 भी देखें)

4.         वायदा संविदाओं को बुक और रद्द करना

प्राधिकृत व्यापारियों को मार्च 26, 2002 के परिपत्र ईसी.सीओ.एफएमडी. 790/02.03.75/2001-02 और जुलाई 31, 2002 के ईसी.सीओ.एफएमडी.2/2002-03.75/2002-03 द्वारा यह अनुमति दी गई है कि वे निवासी कंपनियों को कतिपय शर्तों के अधीन सभी लेनदेनों को कवर करनेवाली रद्द की गई संविदाओं को पुनः बुक करें। पात्र सीमाओं की गणना के लिए विस्तृत अनुदेश जारी किए गए हैं जबकि यह संकेत दिया गया कि पात्रता पर ध्यान दिए बगैर  एक ग्राहक के लिए प्रति वित्तीय वर्ष में 100 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा होगी।

यह निर्णय लिया गया है कि इस सीमा को हटा दिया जाए। तदनुसार प्राधिकृत व्यापारी एक वर्ष के अंदर देय सभी विदेशी मुद्रा जोखिमों को रद्द किए गए संविदाओं की पुनः बुकिंग की इस सुविधा का प्रस्ताव देने के लिए स्वतंत्र हैं। तथापि यह सुविधा केवल उन्हीं ग्राहकों को दी जाए जिन्होंने संलग्न संशोधित फार्मेट के अनुसार प्राधिकृत व्यापारियों को जोखिम के ब्योरे प्रस्तुत किए हैं।

एक वर्ष से अधिक के दौरान देय जोखिमों की रक्षा और दीर्घावधि विदेशी मुद्रा-रुपया स्वैप के लिए बुक की गई वायदा संविदाएं, यदि एक बार रद्द किए गए तो उन्हें पुनः बुक नहीं किया जा सकता है। प्राधिकृत व्यापारी निर्यात लेनदेनों के संबंध में बगैर किसी प्रतिबंध के यह सुविधा देना जारी रखें।

ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.19

 जनवरी 24, 2002

जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेनदेन

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा/25/2000-आरबी की ओर आकर्षित किया जाता है।

2.         वायदा विनिमय कवर और अन्य डेरिवेटिव प्रॉडक्ट्स अनिवासी बैंकों के रुपया खाते और अंतर-बैंक लेनदेन से संबंधित निदेश संलग्नक में दिए गए हैं। ये निदेश वर्तमान अनुदेशों का अधिक्रमण करेंगे, अर्थात,:
i.
एक्सचेंज कंट्रोल मैनुअल का खण्ड 3 (भाग इ और ई और संलग्नक II)
ii. एक्सचेंज कंट्रोल मैनुअल का खण्ड 5 (भाग अ और आ और संलग्नक)
iii. जनवरी 19, 2000 के ए.डी.(एम.ए. सिरीज़) परिपत्र सं.1 में दिए गए अनुदेश

3.         संलग्नक के भाग आ और इ में दिए गए विस्तृत मार्गदर्शी सिद्धांत मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 5/2000-आरबी के विनियम 6 के अंतर्गत की गई अपेक्षा के अनुसार जारी किए जा रहे हैं जो प्राधिकृत व्यापारियों को भारत के बाहर अपनी शाखा, मुख्य कार्यालय अथवा संपर्की के पास जमा रखने और प्राधिकृत व्यापारी की भारत के बाहर किसी शाखा अथवा किसी संपर्की द्वारा रखे गए जमा को स्वीकार करने और भारत में अपने खातों में उसे रखने की अनुमति देता है।

भाग
जोखिम प्रबंधन
खण्ड I

प्राधिकृत व्यापारियों से इतर निवासियों के लिए सुविधाएं :

वायदा विनिमय संविदांए

अ.1      (i)         प्राधिकृत व्यापारी मई 3, 2000 के रिज़र्व बैंक की अधिसूचना सं. फेमा 25/आरबी-2000 की अनुसूची 1 के पैरा 1 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार निवासियों के साथ वायदा संविदा कर सकते हैं।

           

(ii)        अपने ग्राहकों के लिए वायदा संविदा करते समय प्राधिकृत व्यापारी जोखिम की उपस्थिति और किस सीमा तक सुरक्षा की आवश्यकता है यह सुनिश्चित करने के लिए इस बात पर ध्यान दिए बगैर कि निहित लेनदेन चालू खाता लेनदेन है अथवा पूंजी खाता लेनदेन, उचित दस्तावेजी साक्ष्यों का सत्यापन करें। संविदा के ब्योरे उचित प्रमाणीकरण के तहत ऐसे दस्तावेजों पर अंकित किए जाएं और उसकी प्रतियां सत्यापन के लिए रखी जाएं।           

           

आ.2     प्राधिकृत व्यापारी इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित शर्तों के अधीन आयातकों और निर्यातकों को जोखिम की घोषणा और पिछले कार्य निष्पादन के आधार पर वायदा संविदा बुक करने की अनुमति भी दे सकते हैं।

           

अ.3      निम्नािलिखत शर्तों के अधीन किसी एक प्राधिकृत व्यापारी के साथ रद्द की गई वायदा संविदा किसी दूसरे प्राधिकृत व्यापारी के साथ पुनः बुक किया जा सकता है।

           

क.        प्रस्ताव पर प्रतिस्पर्धात्मक दरों, प्राधिकृत व्यापारी जिसके साथ मूल रूप से बुकिंग की गई थी, के साथ बैंकिंग संबंध के  समाप्त होने आदि द्वारा बदलाव न्यायसंगत है।
ख.        रद्द करना और पुनः बुक करना संविदा की परिपक्वता तारीख पर साथ-साथ किया जाता है।

ग.        मूल संविदा रद्द की गई है यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी उस प्राधिकृत व्यापारी की है जो संविदा की पुनः बुकिंग करता है।

वायदा संविदा से इतर संविदाएं

ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.93

अप्रैल 5, 2003

पिछले कार्यनिष्पादन के आधार पर वायदा संविदाओं की बुकिंग

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान दिसंबर 1, 2001 के परिपत्र सं. ईसी. सीओ. एफएमडी/ 453/ 02.03.75/2001-02 और दिसंबर 21, 2002 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.63 के पैराग्राफ 3 की ओर आकर्षित किया जाता है। प्राधिकृत व्यापारियों को पिछले 3 वर्षें के औसत आयात/ निर्यात कार्यनिष्पादन के आधार पर अपने आयातक/ निर्यातक ग्राहकों को वायदा संविदा का प्रस्ताव देने की अनुमति दी जाती है बशर्ते किसी भी समय में शेष वायदा संविदाएं 100 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा के अंदर पात्र सीमा के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

2.         वास्तविक जोखिमों से होनेवाले मुद्रा जोखिमों के प्रभावशाली और सक्रियता से प्रबंधन के लिए प्रमाणित पिछले कार्यनिष्पादन और भारी आयात/निर्यात पण्यावर्तवाले कॉर्पोरेट्स को और सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से रिज़र्व बैंक आवेदन की प्राप्ति पर दस्तावेजी साक्ष्यों की प्रस्तुति के बगैर पिछले कार्यनिष्पादन के आधार पर वायदा संविदा बुक करने के लिए उच्च सीमाओं की अनुमति देने पर विचार करेगा। बढ़ाई गई सीमा के तहत बुक की गई ऐसी वायदा संविदाएं सुपुर्दगी आधार पर होंगी।

उच्च सीमा का लाभ उठाने के इच्छुक कॉर्पोरेट, उच्च सीमा की आवश्यकता को तर्कसंगत बताते हुए अपने आवेदन मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, विदेशी मुद्रा बाज़ार प्रभाग, केन्द्रीय कार्यालय, मुंबई 400001 को भेजें (फैक्स सं. 22611427, ईमेल ecdcofmd@rbi.org.in)। पिछले तीन वर्षों के आयात/निर्यात, इन वर्षों में विलंबित वसूली/ भुगतान और वर्तमान सीमा के ब्योरे प्राधिकृत व्यापारी द्वारा विधिवत अधिप्रमाणित करके संलग्न फार्मेट में प्रस्तुत किए जाएं।

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