बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी)
भारिबैंक/2011-12/340 05 जनवरी 2012 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । (प्रा.व्या. श्रेणी - ।) बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और उधार देना) विनियमावली, 2000, समय-समय पर यथा संशोधित, 7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120/आरबी-2004 के जरिये जारी विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण और निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2004 तथा बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) से संबंधित, समय-समय पर यथा संशोधित, 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.5, 4 दिसंबर 2006 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.17, 04 जुलाई 2011 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.1 और 23 सितंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.27 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. स्वचालित मार्ग के तहत पात्र उधारकर्ताओं के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार की सीमा 23 सितंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 27 के जरिये स्वचालित मार्ग के तहत अनुमत अंतिम उपयोगों के लिए प्रति वित्तीय वर्ष प्रति उधारकर्ता 750 मिलियन अमरीकी डॉलर या उसके समतुल्य राशि तक बढ़ायी गयी थी । सीमा में वृद्धि के परिणामस्वरूप, स्वचालित मार्ग के तहत संशोधित औसत परिपक्वता अवधि संबंधी दिशानिर्देश निम्नानुसार हैं :- ए) एक वित्तीय वर्ष में तीन वर्षों की न्यूनतम औसत परिपक्वता वाले 20 मिलियन अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य राशि के बाह्य वाणिज्यिक उधार; और बी) पांच वर्ष की न्यूनतम औसत परिपक्वता वाले 20 मिलियन अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य राशि से अधिक और 750 मिलियन अमरीकी डॉलर तक अथवा उसके समतुल्य राशि के बाह्य वाणिज्यिक उधार । 3. तदनुसार, 4 दिसंबर 2006 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.17 के जरिये विनिर्दिष्ट औसत परिपक्वता अवधि, पूर्वभुगतान और काल/पुट आप्शन्स (250 मिलियन अमरीकी डालर की अतिरिक्त राशि के लिए) की अपेक्षा हटा दी गयी है । 4. यह भी स्पष्ट किया जाता है कि स्वचालित मार्ग के तहत पात्र उधारकर्ता अनुमत अंतिम उपयोगों के लिए प्रति वित्तीय वर्ष 750 मिलियन अमरीकी डॉलर या उसके समतुल्य राशि तक के विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (एफसीसीबीएस) जारी कर सकते हैं । इसी प्रकार, विनिर्दिष्ट सेवा क्षेत्र अर्थात होटल, अस्पताल तथा सॉफ्टवेयर कंपनियां किसी वित्तीय वर्ष में अनुमत अंतिम उपयोगों के लिए 200 मिलियन अमरीकी डॉलर या उसके समतुल्य राशि तक के विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (एफसीसीबीएस) जारी कर सकते हैं बशर्ते बाह्य वाणिज्यिक उधार की आगम राशि का उपयोग भूमि के अधिग्रहण के लिए नहीं किया जाना चाहिए । 5. 04 जुलाई 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.1 के पैरा 2 (viii) के जरिये, वर्तमान बकाया विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (एफसीसीबीएस) के पुनर्वित्त हेतु लिए गए बाह्य वाणिज्यिक उधार/ विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों (एफसीसीबीएस) को मौजूदा मानदण्डों के तहत स्वचालित मार्ग के अंतर्गत उपलब्ध 500 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा के भाग के रूप में माना जाना था । स्वचालित मार्ग के तहत सीमाओं में हुई वृद्धि के परिणामस्वरूप, यह स्पष्ट किया जाता है कि वर्तमान बकाया विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों (एफसीसीबीएस) के पुनर्वित्त हेतु लिए गए बाह्य वाणिज्यिक उधार/ विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों (एफसीसीबीएस) की गणना मौजूदा मानदण्डों के तहत स्वचालित मार्ग के अंतर्गत उपलब्ध 750 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा के भाग के रूप में की जाएगी । 6. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के सभी अन्य पहलू, यथा पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, समग्र लागत, अंतिम उपयोग, पूर्व भुगतान, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण और रिपोर्टिंग व्यवस्था अपरिवर्तित बने रहेंगे । 7. 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और उधार देना) विनियमावली, 2000 और 7 जुलाई 2004 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण और निर्गम) विनियमावली, 2004 में आवश्यक संशोधन, जहाँ कहीं आवश्यक हैं, अलग से जारी किये जा रहे हैं । 8. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों/ग्राहकों को अवगत करायें । 9. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमत/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीया, (डा. सुजाता एलिज़ाबेथ प्रसाद) |