अर्हता प्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा विदेशी निवेश-हेजिंग सुविधाएं - आरबीआई - Reserve Bank of India
अर्हता प्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा विदेशी निवेश-हेजिंग सुविधाएं
भारिबैंक/2012-13/185 31 अगस्त 2012 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, अर्हता प्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा विदेशी निवेश-हेजिंग सुविधाएं प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथासंशोधित, 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 [3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.25/आरबी-2000] तथा 28 दिसंबर 2010 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 32 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. 9 अगस्त 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.8, 3 नवंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.42, 13 जनवरी 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.66 और 1 मार्च 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.89 के अनुसार अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को घरेलू पारस्परिक (म्युच्युअल) निधियों की रुपये में मूल्यवर्गीकृत यूनिटों और सूचीबद्ध ईक्विटी शेयरों में निवेश करने और सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों को सूचीबद्ध होने वाली कर्ज प्रतिभूतियों में, उसमें विनिर्दिष्ट शर्तों के तहत, निवेश करने की अनुमति दी जाती है। इसके अलावा, 16 जुलाई 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 7 के अनुसार अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को, विभिन्न शर्तों के तहत, प्रत्यावर्तन के आधार पर कर्ज प्रतिभूतियों को खरीदने की अनुमति दी गयी है। उक्त परिपत्र के पैरा 2(x) के अनुसार अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को अनुमत निवेशों (ईक्विटी और कर्ज लिखतों) के संबंध में मुद्रा जोखिमों की हेजिंग करने की अनुमति भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर, जारी दिशानिर्देशों के अनुसार दी जाएगी। 3. अब यह निर्णय लिया गया है कि अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को उन्हें अनुमत निवेशों (ईक्विटी और कर्ज लिखतों) के संबंध में मुद्रा जोखिमों को हेज करने की अनुमति अनुबंध में दिए गए ब्योरे के अनुसार दी जाए। 4. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.25/आरबी-2000 [विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000] में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं। 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों/ग्राहकों को अवगत करायें । 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीय, (रुद्र नारायण कर) [31 अगस्त 2012 के ए.पी.(डीआईआर अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों के लिए सुविधाएं प्रयोजन
उत्पाद वायदा विदेशी मुद्रा संविदाएं जिनमें से एक मुद्रा रुपया हो और विदेशी मुद्रा-आईएनआर आप्शंस। आईपीओ से संबंधित प्रवाह के लिए विदेशी मुद्रा – आईएनआर स्वाप। परिचालनात्मक दिशानिर्देश, शर्तें ए) अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को उस प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक के पास अनुमत निवेशों के लिए मुद्रागत जोखिमों को हेज करने की अनुमति दी जाएगी जिनके पास निवेश के प्रयोजनार्थ उन्होंने रुपया खाते रखे हों। बी) कवर के लिए पात्रता अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक द्वारा की गई घोषणा के आधार पर प्राधिकृत व्यापारी द्वारा अर्हता प्राप्त विदेशी निवेशक के अर्हता प्राप्त निक्षेपागार सहभागी द्वारा मार्केट कीमत संचरण, नए निवेश प्रवाह, प्रत्यावर्तित राशि और अन्य संबंधित पैरामीटरों के आधार पर, न्यूनतम तिमाही अंतराल पर, उपलब्ध कराए गए/प्रमाणित निवेश मूल्य की आवधिक समीक्षा करके निर्धारित की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बकाया वायदा कवर अंतर्निहित एक्स्पोजरों से समर्थित हैं। सी) यदि प्रतिभूति की बिक्री से भिन्न कारणों से पोर्टफोलियो का बाजार मूल्य संकुचित होने से हेज अंशत: या पूर्णत: खुल (naked) जाती है, तो निवेशक के चाहने पर हेज मूल परिपक्वता अवधि तक जारी रखने की अनुमति दी जा सकती है। डी) संविदाएं एक बार रद्द होने पर फिर से बुक नहीं की जा सकती हैं। हालांकि, वायदा संविदाएं परिपक्वता पर या उससे पहले रोल ओवर की जा सकती हैं। ई) हेज की लागत प्रत्यावर्तनीय निधियों और/अथवा सामान्य बैंकिंग चैनॅल के मार्फत अंत: विप्रेषण से पूरी की जानी चाहिए। एफ) हेज संबंधी प्रासंगिक सभी बाह्य विप्रेषण लागू कर घटा कर किए जाएं। जी) आईपीओ से संबंधित अस्थाई(transient) पूंजी प्रवाह के लिए:
|