एजेंसी बैंक द्वारा सरकारी कारोबार के संचालन पर मास्टर परिपत्र – एजेंसी कमीशन का भुगतान - आरबीआई - Reserve Bank of India
एजेंसी बैंक द्वारा सरकारी कारोबार के संचालन पर मास्टर परिपत्र – एजेंसी कमीशन का भुगतान
आरबीआई/2017-18/2 1 जुलाई 2017 सभी एजेंसी बैंक महोदय/महोदया एजेंसी बैंक द्वारा सरकारी कारोबार के संचालन पर मास्टर परिपत्र – एजेंसी कमीशन का भुगतान कृपया दिनांक 1 जुलाई 2015 का उक्त विषयक हमारा मास्टर परिपत्र आरबीआई/2015-16/81 देखें। हमने अब मास्टर परिपत्र को संशोधित और अद्यतन किया है जिसमें 30 जून 2017 के अंत में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उक्त विषय पर जारी आवश्यक अनुदेशों को संकलित किया है। 2. संशोधित मास्टर परिपत्र की प्रति आपकी सूचना के लिए यहां संलग्न कर रहे हैं । यह परिपत्र हमारी वेबसाइट /en/web/rbi/notifications/master-circulars से भी डाउनलोड किया जा सकता है। भवदीय (एस.रामास्वामी) अनुलग्नक: यथोक्त। एजेन्सी कमीशन के संबंध में मास्टर परिपत्र प्रस्तावना 1. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक केंद्र और राज्य सरकारों के सामान्य बैंकिंग कारोबार को अपने स्वयं के कार्यालयों के माध्यम से और आपसी समझौते से नियुक्त एजेंसी बैंकों के कार्यालयों के माध्यम से चलाता है। एजेंसी बैंकों द्वारा किए जाने वाले सरकारी कारोबार के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक उन्हें एजेंसी कमीशन (जिसे टर्नओवर कमीशन भी कहा जाता है) का भुगतान करता है। इस मास्टर परिपत्र में अनुबंध 1 में सूचीबद्ध किए गए परिपत्रों में निहित अनुदेशों को समेकित किया गया है। एजेन्सी कमीशन के लिए पात्र सरकारी लेनदेन 2. एजेंसी बैंकों द्वारा किए गए निम्नलिखित सरकारी कारोबार से संबंधित लेनदेन एजेंसी कमीशन के लिए पात्र होंगे:
3. वित्तीय संस्थाओं और बैंकों से सीधे उगाहे गए राज्य सरकारों के अल्पावधि/ दीर्घावधि ऋण एजेंसी कमीशन के लिए पात्र नहीं हैं क्योंकि ये लेनदेन सामान्य बैंकिंग कारोबार की प्रकृति के नहीं माने जाते हैं। लोक ऋण के प्रबंध के लिए एजेंट के रूप में कार्य करने हेतु रिज़र्व बैंक एजेंसी बैंकों को यथा सहमत दर पर अलग से पारिश्रमिक अदा करता है। मंत्रालयों/विभागों इत्यादि की ओर से बैंकों द्वारा खोले गए साख पत्र/बैंक गारंटी से होने वाले लेनदेन एजेंसी कमीशन के लिए पात्र नहीं होंगे। 4. जब भी एजेंसी बैंक भौतिक मोड या ई-मोड (चालान आधारित) के माध्यम से स्टांप शुल्क संग्रह करते हैं, वे एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए पात्र हैं बशर्ते कि एजेंसी बैंक स्टांप शुल्क संग्रह करने के लिए जनता से कोई शुल्क या राज्य सरकार से पारिश्रमिक प्राप्त नहीं करते हैं। 5. यदि एजेंसी बैंक को फ्रैंकिंग विक्रेता के रूप में राज्य सरकार द्वारा काम दिया गया है और वे जनता से दस्तावेजों की फ्रैंकिंग के लिए स्टांप शुल्क का संग्रह करते हैं तो वे एजेंसी कमीशन के लिए पात्र नहीं होंगे क्योंकि राज्य सरकार फ्रैंकिंग विक्रेता के रूप में एजेंसी बैंक को कमीशन दे रही है। हालांकि फ्रैंकिंग बार की खरीद के लिए भौतिक या ई-मोड में चालान के माध्यम से कोषागार में क्रेडिट करने के लिए फ्रैंकिंग विक्रेता द्वारा देय स्टांप शुल्क का संग्रह करने वाले एजेंसी बैंक एजेंसी कमीशन के लिए पात्र होंगे क्योंकि ऊपर बताए अनुसार यह स्टांप ड्यूटी का नियमित भुगतान होगा। 6. सभी एजेंसी बैंक एजेंसी कमीशन का दावा करते समय यह प्रमाणित करें कि अपात्र लेनदेनों पर एजेंसी कमीशन का दावा प्रस्तुत नहीं किया गया है। 7. एजेंसी बैंक, जो अपनी स्वयं की कर देयताएं अपनी स्वयं की शाखाओं के माध्यम से, अथवा जहां कहीं उनकी स्वयं की प्राधिकृत शाखाएं नहीं है, वहां भारतीय स्टेट बैंक की प्राधिकृत शाखाओं के माध्यम से अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यालयों के माध्यम से अदा कर रहे हैं, उन्हें इनका स्क्रौल में अलग से उल्लेख करना चाहिए। ऐसे लेनदेन एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए पात्र नहीं होंगे। एजेंसी कमीशन का दावा प्रस्तुत करते समय बैंकों को इस आशय का एक प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना चाहिए कि उनके द्वारा अदा की गई, उनकी स्वयं की कर देयताएं (स्रोत्र पर काटे गए कर [टीडीएस], कार्पोरेशन कर, इत्यादि) इसमें शामिल नहीं हैं। इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि निम्नलिखित गतिविधियाँ एजेंसी बैंक व्यवसाय के दायरे में नहीं आती हैं और इसलिए वे एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए पात्र नहीं हैं। (a) सरकारी ठेकेदारों/आपूर्तिकर्ताओं द्वारा एजेंसी बैंकों के माध्यम से प्रस्तुत बैंक गारंटी/जमानती जमाराशियाँ आदि, जो बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों के लिए किया गया बैंकिंग लेनदेन है। (b) स्वायत्तशासी/सांविधिक निकाय/म्यूनिसिपलटियों/निगमों/स्थानीय निकायों का बैंकिंग व्यवसाय (c) स्वायत्तशासी/सांविधिक निकायों/म्यूनिसिपलटियों/निगमों/स्थानीय निकायों को हुई हानि के लिए सरकार द्वारा पूँजी अंशदान/आर्थिक सहायता/उपदान के रूप में पूँजी प्रकृति के भुगतान (d) पूर्वनिधियन वाली योजनाएं, जिन्हें केंद्र सरकार के मंत्रालय/विभाग (महा लेखानियंत्रक के परामर्श से) और राज्य सरकार के विभाग द्वारा किसी बैंक के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है। एजेंसी कमीशन के लिए दरें 8. एजेंसी बैंक समझौते के पैराग्राफ 5 के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक इसमें निर्धारित दरों के अनुसार एजेंसी बैंक का भुगतान करता है। 1 जुलाई 2012 से प्रभावी लागू दरें नीचे दी जा रही है :
9. इस संदर्भ में, उपरोक्त सारणी में क्रम संख्या क. (ii) के सामने दर्शाई गई ‘प्राप्तियां-ई-मोड लेनदेन’ ऐसे लेनदेन हैं जोकि धनप्रेषक के बैंक खाते से, इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से, निधि के प्रेषण के रूप में है और वे सभी लेनदेन हैं जिसमें नकद/लिखतों की भौतिक प्राप्ति शामिल नहीं है। 10. वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) की व्यवस्था लागू करने के संदर्भ में यह सूचित किया जाता है कि जीएसटी भुगतान प्रक्रिया के अंतर्गत एकल कामन पोर्टल पहचान सं. सफलतापूर्वक पूर्ण होने पर चालान पहचान संख्या जेनरेट होती है, तो उसे एकल लेनदेन माना जाए चाहे वह एकाधिक प्रधान खाताशीर्ष/उप प्रधान खाताशीर्ष/लघु खाताशीर्ष वाले खातों में जमा किया जाता है। इसका आशय यह है कि एकल चालान के माध्यम से अदा किया गया सीजीएसटी, एसजीएसटी, आईजीएसटी और उपकर आदि को एकल लेनदेन माना जाएगा। इस प्रकार एकल चालान अर्थात् सीपीआईएन के अंतर्गत जोड़े गए सभी अभिलेखों को एजेंसी कमीशन का दावा करने के प्रयोजन से एकल लेनदेन माना जाएगा। यह 1 जुलाई 2017 से प्रभावी होगा। 11. इसी प्रकार लेनदेन, जो जीएसटी के अंतर्गत शामिल नहीं हैं, के मामले में इस बात पर बल दिया जा रहा है कि एकल चालान (इलेक्ट्रानिक अथवा भौतिक) को केवल एकल लेनदेन माना जाएगा न कि एकाधिक लेनदेन, चाहे इसमें एकाधिक प्रधान खाताशीर्ष/उप प्रधान खाताशीर्ष/लघु खाताशीर्ष वाले खातों में जमा किया जाता है। अत: एकल चालान के अंतर्गत जोड़े गए अभिलेखों, जिनकी प्रक्रिया सफलता पूर्वक पूरी हो गई है, को एजेंसी कमीशन के दावे के प्रयोजन से एकल लेनदेन माना जाएगा। 12. एजेंसी बैंक, पेंशन लेनदेन के लिए, रु.65/- प्रति लेनदेन की दर से एजेंसी कमीशन का दावा करने के लिए, केवल तभी पात्र होंगे, जब उनके द्वारा पेंशन के संवितरण का संपूर्ण कार्य, जिसमें पेंशन गणना का कार्य भी शामिल है, निष्पादित किया जाएगा। यदि पेंशन संवितरण से संबंधित कार्य, संबंधित सरकारी विभाग/कोषागार द्वारा किया गया हो और बैंकों द्वारा केवल उन्हें सरकारी खाते से एकल नामे द्वारा अपने यहाँ अनुरक्षित पेंशनरों के खातों में जमा करना अपेक्षित हो, तो ऐसे लेनदेन को 'पेंशन भुगतान के अलावा भुगतान' के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाएगा और वे 1 जुलाई 2012 से प्रति रु.100/- के टर्नओवर पर 5.5 पैसे की दर से एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए पात्र होंगे। 13. किसी एजेंसी बैंक को पूरी दर पर एजेंसी कमीशन देय है बशर्ते बैंक द्वारा सभी स्तरों पर लेनदेनों का संचालन किया जाए। तथापि जहाँ ये कार्य दो बैंकों द्वारा किया जा रहा हो तो एजेंसी कमीशन बैंकों के मध्य 75:25 के अनुपात में शेयर किए जाएंगे। इस प्रकार विस्तृत रूप में यह एजेंसी कमीशन एजेंसी बैंकों को निम्नलिखित ब्यौरे के अनुसार देय है :
14. एजेंसी कमीशन के भुगतान हेतु पात्र लेनदेनों की संख्या प्रति पेंशनभोगी के लिए प्रतिवर्ष 14 से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसमें निवल पेंशन के भुगतान हेतु मासिक जमा का एक लेनदेन तथा मंहगाई राहत में वृद्धि, यदि लागू हो, के कारण बकाए के भुगतान के लिए प्रतिवर्ष अधिकतम दो लेनदेन शामिल है। पेंशन के विलंब से प्रारंभ होने/पुन: प्रारंभ होने के कारण बकाए के भुगतान वाले मामले वाले लेनदेन एजेंसी कमीशन का दावा करने के लिए एकल लेनदेन होंगे। अर्थात् पेंशन के विलंब से प्रारंभ होने/पुन: प्रारंभ होने के कारण बकाए के भुगतान को एकल जमा लेनदेन माना जाएगा न कि अलग मासिक जमा वाला लेनदेन। एजेंसी कमीशन का दावा 15. एजेंसी बैंकों को राज्य सरकार के लेनदेनों से संबंधित अपने एजेंसी कमीशन के दावे भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय और केंद्रीय सरकार के लेनदेनों से संबंधित अपने एजेंसी कमीशन के दावे सीएएस नागपुर को निहित प्रारूप में प्रस्तुत करने होते हैं। सभी एजेंसी बैंकों के लिए एजेंसी कमीशन का दावा प्रस्तुत करने संबंधी संशोधित प्रारूप और शाखा के अधिकारियों और सनदी लेखाकारों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने वाले अलग और विशिष्ट प्रमाणपत्रों के सेट अनुबंध-2 में दिए गए हैं। ये प्रमाणपत्र, कार्यकारी निदेशक/ मुख्य महाप्रबंधक (सरकारी कारोबार के प्रभारी) के इस आशय के सामान्य प्रमाणपत्र कि कोई पेंशन बकाया क्रेडिट किया जाना बाकी नहीं है/नियमित पेंशन/बकाया जमा करने में कोई देरी नहीं हुई है, के अतिरिक्त होंगे। 16. जहाँ बाहरी लेखापरीक्षक, संगामी/सांविधिक लेखापरीक्षक भी हैं, दावे ऐसे समवर्ती/सांविधिक लेखापरीक्षक द्वारा प्रमाणित किए जा सकते हैं। लेखापरीक्षक के प्रमाणपत्र में अन्य बातों के साथ-साथ इस बात का उल्लेख हो कि :-
इसके अलावा, एजेंसी बैंकों द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना अपेक्षित है कि एजेंसी बैंक के आंतरिक निरीक्षक/लेखापरीक्षक, उनकी शाखाओं द्वारा प्रस्तुत एजेंसी कमीशन दावों का सत्यापन करते हैं तथा वे अपने निरीक्षण/लेखापरीक्षा के दौरान उनके सही होने की पुष्टि करते हैं। 17. एजेंसी बैंकों के लिए सुनिश्चित करना आवश्यक है कि एजेंसी कमीशन का दावा निर्धारित प्रारूप में भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय/केंद्रीय लेखा अनुभाग नागपुर को सही रूप में प्रस्तुत किया जाए। एजेंसी बैंक अपनी शाखाओं को सावधान करें कि वे हमारे क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किए जाने वाले दावों का सही होना सुनिश्चित करें। ऐसे गलत दावे यदि आंतरिक/समवर्ती लेखापरीक्षकों द्वारा यथाविधि प्रमाणित किए जाते हैं तो त्रैमासिक दावा करने संबंधी इस आवश्यक शर्त के प्रयोजन को अर्थहीन बना देंगे। 18. एजेंसी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे एजेंसी कमीशन संबंधी दावे उस तिमाही, जिसमें ये लेनदेन किए गए हैं, के समाप्त होने के बाद दो तिमाहियों से लेकर 90 दिनों के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक में प्रस्तुत करें। यदि ऊपर उल्लिखित निर्धारित अवधि के भीतर बैंक ये दावे प्रस्तुत करने में असमर्थ रहते हैं तो वे केवल इस विलंब का कारण देते हुए ही ऐसे दावे प्रस्तुत कर सकते हैं। यह 30 जून 2017 को समाप्त तिमाही के बाद वाले एजेंसी कमीशन के दावे के लिए लागू होगा। 19. भारतीय रिज़र्व बैंक ने 1 जुलाई 2012 से एजेंसी कमीशन पर उनके द्वारा अदा किए गए सेवा कर की राशि की बैंकों को प्रतिपूर्ति करने का निर्णय लिया है। एजेंसी कमीशन पर स्रोत पर कर की कटौती 20. केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने यह स्पष्ट किया है कि ‘केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के सामान्य बैंकिंग कार्य करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा, एजेंसी बैंकों को भुगतान किए गए या जमा किए गए एजेंसी कमीशन पर टैक्स की कटौती करना अपेक्षित नहीं है।’ तथापि संबंधित बैंकों की बहियों में एजेंसी कमीशन की राशि कर-योग्य होगी, क्योंकि वह बैंक की आय का ही भाग है। गलत दावों के लिए दण्ड ब्याज लगाना 21. निपटाए गए एजेंसी कमीशन में से गलत दावों के लिए एजेंसी बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा यथा अधिसूचित बैंक दर + 2% की दर पर दण्ड ब्याज अदा करना होगा। मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची
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