आरबीआई/2012-13/57 शबैंवि.(पीसीबी) एमसी.सं. 7/09.09.001/2012-13 02 जुलाई 2012 मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक महोदया/ महोदय, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण पर मास्टर परिपत्र - शहरी सहकारी बैंक कृपया उपर्युक्त विषय पर 1 जुलाई 2011 का हमारा मास्टर परिपत्र शबैंवि. बीपीडी (पीसीबी) एम सी सं. 7/ 09.09.001/ 2011-12 (भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध) देखें। संलग्न मास्टर परिपत्र में 30 जून 2012 तक जारी सभी अनुदेशों/दिशा-निर्देशों को समेकित एवं अद्यतन किया गया है तथा परिशिष्ट में उल्लिखित है। भवदीय (ए उद्गाता) प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक संलग्नक : यथोक्त
विषय - सूची प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार पर मास्टर परिपत्र
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण पर मास्टर परिपत्र 1. प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार का संक्षिप्त परिचय 1.1 जुलाई 1968 में आयोजित राष्ट्रीय ऋण परिषद की बैठक में इस बात पर जोर दिया गया था कि वाणिज्य बैंक प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र, कृषि और लघु उद्योग क्षेत्र के वित्तपोषण हेतु ज्यादा प्रतिबद्धता दिखाएं। बाद में, प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को अग्रिम से सम्बन्धित आंकड़ों के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मई 1971 में गठित अनौपचारिक अध्ययन दल की रिपोर्ट के आधार पर 1972 के दौरान प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के स्वरुप को औपचारिक अभिव्यक्तिप्रदान की गई । उक्त रिपोर्ट के आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को अग्रिम की रिपोर्ट मंगवाने हेतु एक संशोधित विवरणी निर्धारित की और प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के विभिन्न वर्गों के अंतर्गत शामिल की जाने वाली योग्य मदों को इंगित करने के प्रयोजन से कतिपय दिशा-निर्देश भी जारी किये । हालांकि, प्रारम्भ में प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र उधारों के अंतर्गत कोई विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित नहीं किये गए थे, नवम्बर 1974 में बैंकों को सूचित किया गया कि वे मार्च 1979 तक अपने सकल अग्रिमों में इन क्षेत्रों को देय अग्रिमों का प्रतिशत बढ़ाकर 33 1/3% कर दें । 1.2 शहरी सहकारी बैंकों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मई 1983 में गठित स्थायी परामर्शदात्री समिति ने प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (शहरी सहकारी बैंक) द्वारा प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को ऋण उपलब्ध कराने की आवश्यकता की जांच की। समिति की सिफारिशों को भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्वीकार किया तथा तदनुसार प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र और कमजोर वर्ग को शहरी सहकारी बैंकों द्वारा उधार के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए। 1.3 प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र का गठन करनेवाले खंडों, लक्ष्यों और उप-लक्ष्यों आदि सहित प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार पर मौजूदा नीति, तथा बैंकों, वित्तीय संस्थानों, जनता और भारतीय बैंक संघ से प्राप्त टिप्पणियों / सिफारिशों की जांच, समीक्षा और परिवर्तन की सिफारिश करने हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक में गठित आंतरिक कार्यकारी दल (अध्यक्षः श्री सी.एस.मूर्ति) द्वारा सितंबर 2005 में की गई सिफारिशों के आधार पर यह निर्णय किया गया है कि केवल उन क्षेत्रों को प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के एक भाग के रूप में शामिल किया जाए जो जनसंख्या के एक बड़े हिस्से, कमज़ोर वर्गों तथा रोजगार प्रधान क्षेत्रों जैसे कृषि, अत्यंत लघु और लघु उद्यमों को प्रभावित करते हों।तदनुसार, शहरी सहकारी बैंकों के लिए मोटे तौर पर प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के निम्नलिखित वर्ग होंगे : 2. प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के वर्ग 2.1 कृषि (प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष वित्त) : कृषि को प्रत्यक्ष वित्त में कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों (डेरी उद्योग, मत्स्यपालन, सुअर पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन आदि) के लिए बिना कोई सीमा के अल्पावधि, मध्यावधि और दीर्घावधि ऋण देना शामिल है ।प्रत्यक्ष वित्त की सुविधा केवल स्थायी सदस्यों तक सीमित रखी जाए तथा अस्थायी सदस्य या कंपनी जैसे प्राथमिक कृषि ऋण समितियां(पीएसीएस), प्राथमिक भूमि विकास बैंक आदि को न दिया जाए। कृषि को अप्रत्यक्ष वित्त में संलग्न पैरा 5 में उल्लिखित कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों के लिए ऋण शामिल होंगे। कृषि क्षेत्र और संबद्ध गतिविधियों को प्रदान ऋण इस बात पर ध्यान दिए बिना कि वित्त निर्यात या घरेलु गतिविधियों के लिए है, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार के अंतर्गत वर्गीकृत करने के लिए पात्र है। कृषि क्षेत्र और संबद्ध गतिविधियों को प्रदान निर्यात ऋण "कृषि क्षेत्र के लिए निर्यात ऋण" शीर्ष के अंतर्गत विवरण II में अलग से सूचित करें । 2.2 लघु उद्यम (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष वित्त) : लघु उद्यम को प्रत्यक्ष वित्त में सामान के विनिर्माण / उत्पादन, प्रसंस्करण या परिरक्षण में कार्यरत व्यष्टि और लघु (विनिर्माण) उद्यमों तथा सेवाएं प्रदान करने वाले व्यष्टि और लघु (सेवा) उद्यमों, जिनका क्रमशः संयंत्र और मशीनों तथा उपकरणों (भूमि और भवन तथा उसमें उल्लिखित ऐसी मदों को छोड़कर मूल लागत) में निवेश संलग्न भाग I में निर्धारित राशि से अधिक न हो, को प्रदान सभी प्रकार के ऋण शामिल हैं। व्यष्टि और लघु (सेवा) उद्यमों में संलग्न भाग I में दी गई परिभाषा के अनुसार लघु सड़क एवं जलपरिवहन परिचालक, लघु व्यवसाय, व्यावसायिक और स्वनियोजित व्यक्तियों तथा अन्य सभी सेवा उद्यम शामिल होंगे।लघु उद्यमों को अप्रत्यक्ष वित्त में इस क्षेत्र में कारीगरों, ग्राम एवं कुटीर उद्योगों, हथकरघा उद्योग तथा उत्पादनकर्ता की सहकारी संस्थाओं को निविष्टियां उपलब्ध कराने तथा उनके उत्पादनों की विपणन व्यवस्था करनेवाले किसी भी व्यक्ति को दिया गया वित्त शामिल होगा। माईक्रो और लघु उद्यमियों को (एमएसई) (विनिर्माण और सेवाए) प्रदान ऋण इस बात पर ध्यान दिए बिना कि वित्त निर्यात या घरेलु गतिविधियों के लिए है, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार के अंतर्गत वर्गीकृत करने के लिए पात्र है, बशर्ते ऐसे उद्योग एमएसएमईडी अधिनियम 2006 में निहित एमएसई क्षेत्र की परिभाषा के अनुरूप हो । एमएसई को दिया गया निर्यात ऋण "माइक्रो और लघु उद्योग क्षेत्र को निर्यात ऋण" के अंतर्गत विवरण II में अलग से सूचित करें । 2.3 व्यष्टि ऋण : प्रति उधारकर्ता 50,000 रुपए से अनधिक राशि या अग्रिमों पर अधिकतम गैरजमानती स्वीकार्य सीमा जो भी कम है,के ऋण और अन्य वित्तीय सेवाएं और उत्पाद उपलब्ध कराना शामिल होगा। 2.4 शैक्षिक ऋण : शैक्षिक ऋण में अलग-अलग व्यक्तियों को शिक्षा के प्रयोजनार्थ भारत में अध्ययन के लिए 10 लाख रुपए तक तथा विदेश में 20 लाख रुपए के स्वीकृत ऋण और अग्रिम शामिल होंगे , न कि संस्थाओं को दिए गए ऋण और अग्रिम। 2.5 आवासीय ऋणः व्यक्तियों को प्रति परिवार आवासीय इकाइयां खरीदने / निर्माण करने* (बैंकों द्वारा अपने कर्मचारियों को प्रदान ऋण को छोड़कर) हेतु ₹ 25 लाख तक के ऋण तथा क्षतिग्रस्त आवासीय इकाइयों की मरम्मत के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्र में ₹ 1 लाख तक तथा शहरी और महानगरीय क्षेत्रों में ₹ 2 लाख रुपए तक के ऋण शामिल होंगे। 2.6 स्वयं सहायता समूह (एसएचजी)/संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह को कृषि या उससे संबंधित गतिविधियां के लिए दिए गए ऋण को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को अग्रिम समझा जाएगा । साथ ही स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह को ₹ 50,000/- तक दिए गए अन्य ऋण को माइक्रो क्रेडिट समझा जाएगा तथा वह प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को अग्रिम ही समझा जाएगा । स्वयं सहायता समूहों को उधार जो प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण के रूप में अर्हक है, कमजोर वर्ग को उधार के रूप में भी समझा जाएगा । * इस प्रयोजन के लिए परिवार का अर्थ जिसमें सदस्य के पति/पत्नी और बच्चे, सदस्य के मातापिता, भाई और बहन शामिल हैं जो सदस्य पर आश्रित हैं, परंतु कानुनी रूप से अलग हुए पति पत्नी शामिल है। 3. लक्ष्य / उप-लक्ष्य 3.1 प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को ऋण देने के लिए निर्धारित लक्ष्य निवल बैंक ऋण (एबीसी)कुल ऋण और अग्रिम प्लस शहरी सहकारी बैंक द्वारा गैर एसएलआर बांडों में किया गया निवेश या तुलन पत्र से इतर एक्सपोज़र (ओबीइ) के बराबर ऋण की राशि, जो पिछले साल के 31 मार्च की स्थिति इनमें से जो भी अधिक हो, से सहबद्ध होगी। 31 अगस्त 2007 एचटीएम वर्ग में धारित गैर एसएलआर बांडों में बैंकों द्वारा किए गए मौजूदा निवेश को एबीसी की गणना के लिए हिसाब में नहीं लिया जाएगा। तथापि, गैर एसएलआर बांडों में बैंकों द्वारा किए गए नए निवेश को इस प्रयोजन के लिए हिसाब में लिया जाएगा। तुलनपत्र से इतर एक्सपोज़र के बराबर ऋण राशि की गणना करने के प्रयोजन के लिए बैंक वर्तमान एक्सपोजर प्रणाली का उपयोग करें। प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को ऋण देने के लक्ष्यों / उप-लक्ष्यों के प्रयोजन के लिए आंतर-बैंक एक्सपोज़र को हिसाब में नहीं लिया जाएगा। 3.2 शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत ऋण देने के लिए निर्धारित लक्ष्य / उप-लक्ष्य नीचे दिए गए हैं:
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प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत ऋण देने के लिए निर्धारित लक्ष्य / उप-लक्ष्य |
प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को कुल अग्रिम |
समायोजित बैंक ऋण (एबीसी) का 40 प्रतिशत या तुलनपत्र से इतर एक्सपोजर के बराबर ऋण राशि, इनमें से जो भी अधिक हो |
कृषि अग्रिम |
कोई लक्ष्य नहीं |
छोटे उद्यमों को अग्रिम |
छोटे उद्यम क्षेत्र को दिए गए अग्रिमों को एबीसी के 40 प्रतिशत या तुलनपत्र से इतर एक्सपोजर के बराबर ऋण राशि, इनमें से जो भी अधिक हो, को समग्र प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य के अंतर्गत कार्य निष्पादन की गणना करने के लिए हिसाब में लिया जाएगा। |
छोटे उद्यम क्षेत्रों के अंदर माइक्रो उद्यम क्षेत्र |
(i) छोटे उद्यम क्षेत्र को दिए गए कुल अग्रिमों का 40 प्रतिशत उन माइक्रो (विनिर्माण) उद्यमों को जिनका संयंत्र और मशीनरी में निवेश ₹ 5 लाख तक तथा उन माइक्रो (सेवा) उद्यमों को जिनका उपकरण में निवेश ₹ 2 लाख तक है, दिया जाना चाहिए। (ii) छोटे उद्यम क्षेत्र को दिए गए कुल अग्रिम का 20 प्रतिशत उन माइक्रो (विनिर्माण) उद्यमों को जिनका संयंत्र और मशीनरी में निवेश ₹ 5 लाख से अधिक और ₹ 25 लाख तक तथा माइक्रो (सेवा) उद्यमों को जिनका उपकरण में निवेश ₹ 2 लाख से अधिक और ₹10 लाख तक है, दिया जाना चाहिए। (इस प्रकार छोटे उद्यमों को अग्रिम का 60 प्रतिशत माइक्रो उद्यमों को दिया जाना चाहिए)। |
कमजोर वर्गों को अग्रिम |
प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को अग्रिम के निर्धारित लक्ष्य से कम से कम 25% (एबीसी के 10 % या तुलनपत्र से इतर एक्सपोजर के बराबर ऋण राशि जो भी अधिक हो) कमजोर वर्गों को देना चाहिए। |
अल्प संख्यक समूदाय को अग्रिम |
प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को अग्रिम के समग्र लक्ष्य तथा कमजोर वर्गों को 25% क टउपलक्ष्य के भीतर यह सुनिश्चित किया जाए कि अल्प संख्यक समूदाय को भी ऋण का न्यायोचित भाग मिल रहा हैं। |
3.3वेतन भोगी बैंक : प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार की शर्तें वेतन भोगी बैंको पर लागू नहीं हैं। 3.4 अल्प संख्यक समूदाय को ऋण : प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों को प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत कारीगरों और हस्त शिल्पियों के साथ-साथ अल्प संख्यक समुदाय के सब्जी बेचनेवालों, बैलगाडी चलानेवालों, चर्मकारों आदि को ऋण की आपूर्ति को बढ़ाने के लिए आवश्यक उपाय करने चाहिए । इस संबंध में अल्प संख्यक समुदाय में सिख, मुस्लिम, ख्रिश्चियन, जोरोस्ट्रीयन और बुद्धिस्ट शामिल हैं ।प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार के समग्र लक्ष्य तथा कमजोर वर्ग को 25 % के उप-लक्ष्य के भीतर ऋण का न्यायोचित भाग अल्प संख्यक समूदाय को भी मिल रहा है यह सुनिश्चिंति करने के लिए उचित सावधानी बरते। 4. प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत प्रदान अग्रिमों की देखरेख और उनका मूल्यांकन 4.1 प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों को सिफारिश किए गए उक्त लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कारगर उपाय करने चाहिए और प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र ऋण की मात्रा और गुणवत्ता की दृष्टि से निगरानी करनी चाहिए। 4.2 प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को ऋण देने पर यथोचित ध्यान देना सुनिश्चित करने के लिए यह वांच्छनीय है कि कार्यनिष्पादन की आवधिक जांच की जाए । इस प्रयोजन के लिए सामान्य पुनरीक्षा के अलावा जैसे कि बैंक आवधिक आधार पर कर रहें हैं, बैंकों के निदेशक मंडल द्वारा छमाही आधार पर विशिष्ट समीक्षा की जानी चाहिए । तद्नुसार, बैंक उक्त अवधि के दौरान पिछली तिमाही की तुलना में घट-बढ़ दर्शाते हुए बैंक के कार्यनिष्पादन का विस्तृत लेखाजोखा अर्धवार्षिक आधार पर प्रत्येक वर्ष के 30 सितंबर और 31 मार्च को, (विवरण I) निदेशक मंडल को प्रस्तुत करें । 4.3 साथ ही 31 मार्च की स्थिति के अनुसार प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार के कार्यनिष्पादन की वार्षिक समीक्षा निदेशक मंडल के समक्ष (विवरण II भाग अ) अगले वित्तीय वर्ष की 15 तारीख तक प्रस्तुत करें। 31 मार्च की स्थिति के अनुसार प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार के कार्यनिष्पादन की वार्षिक समीक्षा भी निदेशक मंडल के प्रेक्षणों के साथ बैंक के कार्यनिष्पादन में सुधार लाने के लिए किए गए प्रस्ताव/उपायों का उल्लेख करके 31 मार्च की स्थिति के अनुसार वार्षिक समीक्षा की एक प्रति (विवरण II भाग अ से उ)भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भेजी जाए। रिपोर्ट संबंधित अवधि की समाप्ति से 15 दिनों के अंदर क्षेत्रीय कार्यालय को पहुंच जानी चाहिए । 4.4 बैंकों को 31 मार्च की स्थिति के अनुसार कृषि एवं संबंधित कार्यकलापों को दिए गए प्रत्यक्ष वित्त और अग्रिम दर्शानेवाली स्थिति 15 दिनों के अदर विवरण III (भाग अ तथा आ) में उनके क्षेत्र से संबंधित भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करना चाहिए। 4.5 रिपोर्टिंग फार्मेट उनकी आवधिकता के साथ नीचे संक्षिप्त रूप में दिए गए है:
विवरण |
विषय-सूची |
आवधिकता |
विवरण I |
निदेशक मंडल को प्रस्तुत किए जाने वाला ज्ञापन |
शहरी सहकारी बैंको के निदेशक मंडल को छ:माही रूप में प्रस्तुत किए जानेवाला विवरण |
विवरण II -भाग अ |
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को अग्रिम- क्षेत्र वार विस्तृत आंकडे |
निदेशक मंडल तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय को वार्षिक रूप में प्रस्तुत किया जानेवाला विवरण |
विवरण II - भाग आ |
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को अग्रिम- राज्य वार विस्तृत आंकडे - बकाया |
भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय को वार्षिक रूप में प्रस्तुत किया जानेवाला विवरण |
विवरण II - भाग इ |
अल्पसंख्यक समूदाय को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र अग्रिम- राज्य वार आंकडे - चालू वर्ष में वितरण |
वही |
विवरण II - भाग ई |
अल्पसंख्यक समूदाय को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र अग्रिम- राज्य वार |
वही |
विवरण II - भाग उ |
चयनित जिलों में अल्पसंख्यक समूदाय को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र अग्रिम |
वही |
विवरण III - भाग- अ |
कृषि और उससे सबद्ध कार्यकलापों के लिए अग्रिम (प्रत्यक्ष वित्त)- राज्य वार |
वही |
विवरण III - भाग- आ |
कृषि (प्रत्यक्ष वित्त) की वसूली - राज्य वार |
वही |
4.6 संबंधित आंकड़ो के समेकन को सुगम बनाने के लिए बैंक प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र की मदों के उल्लेख के लिए एक रजिस्टर रखें तथा दूसरे रजिस्टर में प्रत्येक कार्यकलाप के लिए एक अलग संविभाग बना कर कमजोर वर्ग के अंतर्गत दिए कुल अग्रिमों का ब्योरा दर्ज करें ताकि प्रत्येक कार्यकलाप के अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र और कमजोरवर्ग के अंतर्गत दिए गए कुल अग्रिमों की जानकारी किसी भी समय आसानी से उपलब्ध हो सके । इन रजिस्टरों का प्रोफार्मा भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत की जानेवाली वार्षिक विवरणी के अनुसार होना चाहिए । 5. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश नीचे दिए गए हैं।
1. |
कृषि |
प्रत्यक्ष वित्त |
1.1 |
किसानों को कृषि तथा उससे संबद्ध कार्यकलापों (डेरी उद्योग, मत्स्य पालन, सुअर पालन, मुर्गी पालन, मधु-मक्खी पालन आदि) के लिए वित्त |
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1.1.1 |
फसल उगाने के लिए अल्पावधि ऋण अर्थात् फसल ऋण । इसमें पारंपरिक / गैर-पारंपरिक बागान एवं उद्यान शामिल होंगे । |
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1.1.2 |
12 माह की अनधिक अवधि के लिए कृषि उपज (गोदाम रसीदों सहित) को गिरवी / दृष्टिबंधक रखकर ₹ 10 लाख तक के अग्रिम, चाहे किसानों को फसल उगाने के लिए फसल ऋण दिए गए हों या नहीं। |
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1.1.3 |
कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों से संबंधित उत्पादन और निवेश आवश्यकताओं हेतु वित्त पोषण के लिए कार्यशील पूंजी और मीयादी ऋण। |
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1.1.4 |
कृषि प्रयोजन हेतु जमीन खरीदने के लिए छोटे और सीमांत किसानों को ऋण । |
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1.1.5 |
आपदाग्रस्त किसानों को गैर संस्थागत उधारदाताओं से लिए गए ऋण चुकाने के लिए उचित संपार्श्विक पर ऋण। |
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1.1.6 |
ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्तियों द्वारा फसल काटने से पूर्व और फसल काटने के बाद किए गए कार्यकलापों जैसे छिड़काव, निराई (वीडिंग), फसल कटाई, श्रेणीकरण (ग्रेडिंग), छंटाई, प्रसंस्करण तथा परिवहन के लिए ऋण। |
1.2 |
अन्य (जैसे कंपनियां, भागीदारी फर्मों तथा संस्थानों) को कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों (डेरी उद्योग, मत्स्य पालन, सुअर पालन, मुर्गी पालन, मधु-मक्खी पालन आदि) के लिए ऋण |
|
1.2.1 फसल काटने से पूर्व और फसल काटने के बाद किए गए कार्यकलापों जैसे छिड़काव, निराई (वीडिंग), फसल कटाई, श्रेणीकरण (ग्रेडिंग), छंटाई तथा परिवहन के लिए ऋण। |
|
1.2.2 उपर्युक्त 1.1.1, 1.1.2, 1.1.3 और 1.2.1 में सूचीबद्ध प्रयोजनों के लिए प्रति उधारकर्ता को एक करोड़ रुपए की कुल राशि तक वित्त पोषण। |
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1.2.3 कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों के लिए प्रति उधारकर्ता को एक करोड़ रुपए की कुल राशि से एक-तिहाई अधिक ऋण। |
अप्रत्यक्ष वित्त |
1.3
|
कृषि एवं उससे संबद्ध कार्यकलापों हेतु वित्त
|
|
1.3.1 कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों के लिए प्रति उधारकर्ता एक करोड़ रुपए की कुल राशि के अलावा उपर्युक्त 1.2 में आनेवाली संस्थाओं को दो-तिहाई ऋण।
|
|
1.3.2 उपर्युक्त 1.1.6 के अलावा संयंत्र और मशीनरी में
₹ 10 करोड़ तक के निवेश वाली खाद्य और कृषि आधारित प्रसंस्करण इकाइयों को ऋण।
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1.3.3
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(i)
|
उर्वरक, कीटनाशक दवाइयों, बीजों आदि की खरीद और वितरण हेतु उधार।
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(ii)
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पशु खाद्य, मुर्गी आहार आदि जैसे संबद्ध कार्यकलापों के लिए निविष्टियों की खरीद एवं संवितरण के लिए
₹ 40 लाख तक के स्वीकृत ऋण ।
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1.3.4
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एग्री क्लिनिक और एग्री बिजनेस की स्थापना के लिए वित्त।
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1.3.5
|
अनुसूचित शहरी सहकारी बैंको द्वारा गैर बैंकिंग वित्तिय कंपनियों को कृषि मशीनरी और औज़ारों के वितरण हेतु किराया खरीद योजना के लिए वित्त।
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1.3.6
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केवल कृषि / संबद्ध कार्यकलापों के वित्तपोषण के उद्देश्य से बैंकों द्वारा नाबार्ड द्वारा जारी विशेष बांडों में 31 मार्च 2007 तक किए गए निवेशों को, ऐसे बांडों की परिपक्वता तारीख तक या 31 मार्च 2010 तक, जो भी पहले हो, कृषि को अप्रत्यक्ष ऋण के रुप में वर्गीकृत किया जाए। तथापि, 31 मार्च 2007 के बाद ऐसे विशेष बांडों में किए गए नए निवेश ऐसे वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होंगे।
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1.3.7
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भंडारण सुविधाओं का निर्माण और उन्हें चलाने कृषि उत्पाद / उत्पादनों के भंडारण के लिए बनाई गई कोल्ड स्टोरेज इकाइयों, (भंडारघर, बाज़ार प्रांगण, गोदाम और साइलो) चाहे वे कहीं भी स्थित हों, सहित के लिए ऋण।
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यदि स्टोरेज इकाई को लघु उद्योग इकाई / व्यष्टि या लघु उद्यम के रुप में पंजीकृत किया गया हो, तो ऐसी इकाइयों को दिए गए ऋण को लघु उद्यम क्षेत्र को ऋण के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाएगा।
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1.3.8
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कस्टम सेवा इकाइयों को अग्रिम, जिनका प्रबंध व्यक्तियों, संस्थाओं या ऐसे संगठनों द्वारा किया जाता है, जिनके पास ट्रैक्टरों, बुलडोज़रों, कुआं खोदने के उपस्करों, थ्रेशर, कंबाइन्स आदि का दस्ता है और वे किसानों का काम ठेके पर करते हों।
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1.3.9
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द्रप सिंचाई / छिड़काव सिंचाई प्रणाली / कृषि-मशीनों के विक्रेताओं को निम्नलिखित शर्तों पर दिया गया वित्त, चाहे वे कहीं भी कार्यरत हों ;
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(क)
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विक्रेता केवल ऐसी वस्तुओं का कारोबार करता हो अथवा यदि वह अन्य वस्तुओं का कारोबार करता हो तो ऐसी वस्तुओं के लिए अलग और स्पष्ट अभिलेख रखता हो।
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(ख)
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प्रत्येक विक्रेता के लिए निर्धारित उच्चतम सीमा 30 लाख रुपए तक का पालन किया जाए ।
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1.3.10
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किसानों को कुएं के लिए बिजली की आपूर्ति हेतु स्टेप-डाउन पाइंट से कम टेंशन कनेक्शन उपलब्ध कराने तथा विशेष कृषि परियोजना के अंतर्गत सुधार योजना प्रणाली (एसआइ-एसपीए),हेतु किए जा चुके व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए राज्य विद्युत बोर्डों तथा उनके वर्गीकरण / पुनर्गठन से उत्पन्न हो रहे विद्युत वितरण निगमों / कंपनियों को इस परिपत्र की तारीख को संवितरित किए जा चुके और बकाया ऋण, उनकी परिपक्वता/ पुनर्भुगतान की तारीख या 31 मार्च 2010, जो भी पहले हो, तक अप्रत्यक्ष वित्त के रूप में वर्गीकरण हेतु पात्र होंगे। तथापि, नए अग्रिम, कृषि को अप्रत्यक्ष वित्त के रुप में वर्गीकरण हेतु पात्र नहीं होंगे।
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1.3.11
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प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत आनेवाले प्रयोजनों हेतु आगे सहकारी क्षेत्र को ऋण देने के लिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) को दिए गए ऋण को 31 मार्च 2010 तक कृषि को अप्रत्यक्ष ऋण के रुप में माना जाएगा।
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1.3.12
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किसानों को आगे उधार देने के लिए अनुसूचित शहरी सहकारी बैंको द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को प्रदान ऋण।
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1.3.13
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एनजीओ / एमएफआई को प्रदान ऋण बशर्ते उन्हे किसानों को आगे उधार देने के लिए सदस्य बनाया गया हो।
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2
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लघु उद्यम
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प्रत्यक्ष वित्त
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2.1
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लघु उद्यम क्षेत्र में प्रत्यक्ष वित्त के अंतर्गत निम्नलिखित को ऋण शामिल होंगे :
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2.1.1 विनिर्माण उद्यम
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(क) लघु (विनिर्माण) उद्यम
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ऐसे उद्यम जो सामानों के विनिर्माण / उत्पादन, प्रसंस्करण या परिरक्षण के कार्य में लगे हैं और जिनका संयंत्र और मशीनों (लघु उद्योग मंत्रालय द्वारा दिनांक 5 अक्तूबर 2006 की उनकी अधिसूचना सं. एसओ. 1722 (ई) में उल्लिखित वस्तुओं तथा भूमि और भवन को छोड़कर मूल लागत) में निवेश
₹ 5 करोड़ से अधिक न हो।
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(ख) व्यष्टि (विनिर्माण) उद्यम
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ऐसे उद्यम जो सामानों के विनिर्माण / उत्पादन, प्रसंस्करण या परिरक्षण के कार्य में लगे हैं और जिनका संयंत्र और मशीनों (2.1.1 (क) में उल्लिखित वस्तुओं तथा भूमि और भवन को छोड़कर मूल लागत) में निवेश
₹ 25 लाख से अधिक न हो, चाहे इकाई कहीं भी स्थित हो।
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2.1.2 सेवा उद्यम
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(क) लघु (सेवा) उद्यम
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ऐसे उद्यम जो सेवाएं उपलब्ध / प्रदान करने में लगे हैं और जिनका उपस्करों (भूमि और भवन, फर्नीचर और जुड़नार तथा अन्य वस्तुएं जो प्रदान की गई सेवा से सीधे संबद्ध न हों या जैसाकि एमएसएमइडी अधिनियम, 2006 में अधिसूचित किया गया हो, को छोड़कर मूल लागत) में निवेश 2 करोड़ रुपए से अधिक न हो।
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(ख) व्यष्टि (सेवा) उद्यम
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ऐसे उद्यम जो सेवाएं उपलब्ध / प्रदान करने में लगे हैं और जिनका उपस्करों (भूमि और भवन, फर्नीचर और जुड़नार तथा 2.1.2 (क) में उल्लिखित ऐसी वस्तुओं को छोड़कर मूल लागत) में निवेश
₹10 लाख से अधिक न हो।
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(ग) लघु और व्यष्टि (सेवा) उद्यम में लघु सड़क तथा जल परिवहन परिचालक, छोटे कारोबार, व्यावसायिक और स्व-नियोजित व्यक्ति तथा अन्य सभी सेवा उद्यम शामिल होंगे। लघु और छोटे (सेवा) उद्यमों की निम्नलिखित गतिविधियो को दिए गए ऋण प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार में शामिल किए जाए, बशर्ते ऐसे उद्यम उपकरण में निवेश के संदर्भ में लघु और छोटे (सेवा) उद्यमों की परिभाषा को पूर्ण करते हो (भूमि और भवन तथा फर्निचर, फिटिंग्ज और अन्य मदें जो दी जानेवाली सेवा से सीधे संबंधित नहीं है या एमएसएमइडी अधिनियम 2006 में जैसे अधिसूचित हो को छोडकर मूल किमत) (अर्थात् क्रमश: ₹ 10 लाख और ₹ 2 करोड़ से अधिक न हो) (i) प्रबंध सेवा सहित परामर्श सेवाएं (ii) जोखिम और बीमा प्रबंध में कंपोजिट ब्रोकर (iii) बीमाधारमों के चिकित्सा बीमा के लिए थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेशन सेवाएं (टीपीए) (iv) सिड ग्रेडिंग सेवाएं (v) प्रशिक्षण-सह-इनक्यूबेटर केंद्र (vi) शैक्षिक संस्थाएं (vii) प्रशिक्षण संस्थाएं (viii) खुदरा व्यापार (ix) विधि व्यवसाय अर्थात विधि सेवा (x) मेडिकल उपकरणों का व्यापार (नए) (xi) प्लेसमेंट और प्रबंध परामर्श सेवाएं तथा (xii) विज्ञापन एजंसी और प्रशिक्षण केंद्र टिप्पणी: खुदरे व्यापार के लिए प्रदान ऋण (अर्थात आवश्यक कमोडीटीज (फेअर प्राइस शॉप), कंज्युमर को-आपरेटिव स्टोअर तथा निजी खुदरा व्यापारी को ₹ 20 लाख तक की सीमा में प्रदान अग्रिम) अब से छोटे (सेवा ) उद्यम का भाग होंगे । |
2.1.3 खादी और ग्राम उद्योग क्षेत्र (केवीआई)
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परिचालनों के आकार, अवस्थिति तथा संयंत्र और मशीनरी में मूल निवेश की राशि पर ध्यान दिए बगैर खादी-ग्राम उद्योग क्षेत्र की ईकाइयों को प्रदान सभी अग्रिम। ऐसे अग्रिम प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत लघु उद्योग हेतु नियत उप-लक्ष्य (60 प्रतिशत) के अधीन विचार करने के लिए पात्र होंगे।
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अप्रत्यक्ष वित्त
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2.2
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लघु (विनिर्माण तथा सेवा) उद्यम क्षेत्र को अप्रत्यक्ष वित्त के अंतर्गत निम्नलिखित को दिए गए ऋण शामिल होंगे :
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2.2.1
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ऐसे व्यक्ति जो कारीगरों, ग्राम एवं कुटीर उद्योगों को निविष्टियों की आपूर्ति तथा उनके उत्पादनों के विपणन के कार्य में विकेंद्रित क्षेत्र की सहायता कर रहे हों।
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2.2.2
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केवल गैर-कृषि क्षेत्र के वित्तपोषण के उद्देश्य से नाबार्ड द्वारा जारी विशेष बांडों में बैंकों द्वारा 31 मार्च 2007 तक किए गए निवेशों को, ऐसे बांडों की परिपक्वता तारीख तक या 31 मार्च 2010 तक, जो भी पहले हो, लघु उद्यम क्षेत्र को अप्रत्यक्ष वित्त के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। तथापि, 31 मार्च 2007 के बाद ऐसे विशेष बांडों में किए गए निवेश ऐसे वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होंगे।
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2.2.3
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लघु और व्यष्टि उद्यमों (विनिर्माण तथा सेवा) को आगे उधार देने के लिए एनबीएफसी को अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों द्वारा प्रदान ऋण।
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3.
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व्यष्टि ऋण
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3.1 ऋण जो प्रति उधारकर्ता
₹ 50,000 से अधिक न हों, या गैर जमानती अग्रिमों की अधिकतम स्वीकृत सीमा जो भी कम हो।
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3.2 अनौपचारिक क्षेत्र से ऋण ग्रस्त गरीबों को ऋण
आपदाग्रस्त व्यक्तियों (किसानों को छोड़कर) को गैर संस्थागत उधारदाताओं से लिया गया ऋण समय से पूर्व चुकाने के लिए, उचित संपार्श्विक पर दिया गया ऋण प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र होगा।
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4.
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अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए राज्य द्वारा प्रायोजित संगठन
अनुसूचित जातियों / अनुसूचित जनजातियों के लिए राज्य द्वारा प्रायोजित संगठनों को अपने हिताधिकारियों के लिए निविष्टियों की खरीद और आपूर्ति तथा / अथवा उनके उत्पादनों के विपणन के विशिष्ट प्रयोजन के लिए स्वीकृत अग्रिम।
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5.
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शिक्षा
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5.1 अलग-अलग व्यक्तियों को शिक्षण के प्रयोजनार्थ भारत में अध्ययन के लिए 10 लाख रुपए तक तथा विदेश में अध्ययन के लिए
₹ 20 लाख तक स्वीकृत शैक्षिक ऋण । संस्थाओं को दिए गए ऋण प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को अग्रिम के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होंगे।
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5.2 शहरी सहकारी
बैंकों द्वारा एनबीएफसी को अलग-अलग व्यक्तियों को शिक्षण के प्रायोजनार्थ भारत में अध्ययन के लिए 10 लाख रुपए और विदेश में अध्ययन के लिए
₹ 20 लाख के आगे उधार देने हेतु प्रदान ऋण।
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6.
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आवास
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6.1 व्यक्तियों को प्रत्येक परिवार एक आवास इकाई खरीदने / निर्माण करने हेतु, चाहे जो भी स्थान हो, ₹ 25 लाख तक का ऋण जिसमें बैंकों द्वारा उनके अपने कर्मचारियों को प्रदान ऋण शामिल नहीं होंगे। 6.2 परिवारों को उनके क्षतिग्रस्त आवास इकाइयों की मरम्मत के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में ₹ 1 लाख और शहरी तथा महानगर क्षेत्रों में ₹ 2 लाख का दिया गया ऋण। |
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6.3 किसी भी सरकारी एजेंसी को आवास इकाई के निर्माण अथवा गंदी बस्तियों को हटाने और गंदी बस्तियों में रहनेवालों के पुनर्वास के लिए प्रदान वित्तीय सहायता, जिसकी अधिकतम सीमा
₹ 5 लाख प्रति आवास इकाई से अधिक न हो।
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6.4 आवास इकाई के निर्माण / पुनर्निर्माण अथवा गंदी बस्तियों को हटाने और गंदी बस्तियों में रहनेवालों के पुनर्वास के लिए पुनर्वित्त प्रदान किए जाने हेतु राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) द्वारा अनुमोदित किसी गैर-सरकारी एजेंसी को प्रदान वित्तीय सहायता, जिसके ऋण घटक की अधिकतम सीमा
₹ 5 लाख प्रति आवास इकाई होगी।
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6.5 एनएचबी / हुडको द्वारा जारी बांडो में 1 अप्रैल 2007 को या उसके बाद शहरी सहकारी बैंकों द्वारा किया गया निवेश प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार के रूप में पात्र नहीं होगा
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7.
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स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह को कृषि या उससे संबंधित गतिविधियां के लिए दिए गए ऋण को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को अग्रिम समझा जाएगा । साथ ही स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह को
₹ 50,000/- तक दिए गए अन्य ऋण को माइक्रो क्रेडिट समझा जाएगा तथा वह प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को अग्रिम ही समझा जाएगा ।
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8.
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कमज़ोर वर्ग
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प्राथमितकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत कमज़ोर वर्गों में निम्नलिखित शामिल हैं :
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(क) 5 एकड़ या इससे कम जोत वाले छोटे और सीमान्त किसान, भूमिहीन किसान, पट्टेदार किसान और बंटाई पर खेती करनेवाले काश्तकार।
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(ख) दस्तकार, ऐसे ग्रामीण और कुटीर उद्योग जिनकी वैयक्तिक ऋण सीमा
₹ 50,000/- से अधिक न हो।
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(ग) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ; तथा महिला
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(घ) आपदाग्रस्त गरीबों को अनौपचारिक क्षेत्र से लिए ऋण समय से पूर्व चुकाने हेतु उचित संपार्श्विक पर दिया गया ऋण। |
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(ङ) ऐसे व्यक्तियों कों शैक्षिक ऋण जिनकी आय
₹ 5000/- से अधिक नहीं है।
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(च) भारत सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित अल्प संख्यक समूदायों के व्यक्ति
जिन राज्यों में अधिसूचित अल्प संख्यक समूदाय वास्तव में बहु संख्यक हैं मद
(च) में केवल अन्य अल्प संख्यक समूदाय शामिल होंगे। जम्मू और कश्मीर, पंजाब, सिक्किम, मिजोराम, नागालैंड और लक्षद्वीप ऐसे राज्य और संघशासित प्रदेश हैं।
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(छ) स्वयं सहायता समूहों को उधार जो प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण के रूप में अर्हक है, कमजोर वर्ग को उधार के रूप में भी समझा जाएगा ।
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टिप्पणी : यद्यपि, शहरी सहकारी बैंको के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कृषि उधार के लिए कोई निश्चित लक्ष्य निर्धारित नहीं किए गए हैं, यहां दिए गए वर्गीकरण का ऋण प्रवाह की निगरानी तथा रिपोर्टिंग हेतु प्रयोग किया जाए।
अल्पसंख्यक सघन जिलों की राज्यवार सूची
अंदमान |
दिल्ली |
1. निकोबार |
31. सेन्ट्रल |
2. अंदमान |
32. नॉर्थ ईस्ट |
आंध्र प्रदेश |
गोवा |
3. हैदराबाद |
33. साऊथ गोवा |
अरुणाचलप्रदेश |
हरियाणा |
4.तवांग |
34. गुडगांव |
5. चांगलँग |
35. सिरसा |
6. तिरप |
हिमाचलप्रदेश |
7. वेस्ट कामेंग |
36. लाहूल और स्पिती |
8. परम परे |
37. किन्नूर |
9. लोअर सुबनसीरी |
जम्मू और काश्मिर |
10. ईस्ट कामेंग |
38. लेह (लद्दाख) |
असम |
झारखंड |
11. दुबरी |
39.पाकूर |
12. गोलपारा |
40.साहिबगंज |
13. बारपेटा |
41. गुमला |
14. हैतकांडी |
42. रांची |
15.करीमगंज |
कर्नाटक |
16.नागांव |
43.दक्षिण कन्नडा |
17. मारीगांव |
44. बिदर |
18. दारांग |
45.गुलबर्गा |
19. बोंगायगांव |
केरल |
20. कछार |
46. मालापूरम |
21.कोकराझार |
47.इर्नाकुलम |
22. नॉर्थ कछार हिल |
48. कोट्टायम |
23. कामरुप |
49. इडुक्की ध |
बिहार |
50.व्यानाड |
24. किसनगंज |
51.पट्टनमथीट्टा |
25.कठीहार |
52.कोझीकोड |
26. अरारीया |
53.कासारगोडे |
27. पूर्णिया |
54.त्रिशूर |
28. सीतामढी |
55.कन्नूर |
29. दारभंगा |
56.कोल्लम |
30.पश्चिम चंपारन |
57.तिरुवनंतपूरम |
58.पालक्कड |
उत्तर प्रदेश |
59.अलपूझा |
87. रामपूर |
मध्यप्रदेश |
88. बिजनौर |
60. भोपाल |
89. मोरादाबाद |
महाराष्ट्र |
90. सहारनपूर |
61. अकोला |
91. मुझफ्फरनगर |
62. मुंबई |
92. मेरठ |
63.ओरंगाबाद |
93.बहाराइच |
64.मुंबई (उपनगर) |
94.बलरामपूर |
65.अमरावती |
95.गाझियाबाद |
66.बुलढाणा |
96.पीलभीत |
67.परभणी |
97.बरैली |
68.वाशिम |
98.सिध्दार्थनगर |
69.हिंगोली |
99.श्रावस्ती |
मणिपूर |
100. जोतीबा फूले नगर |
70. तामेंगलाँग |
101. बागपत |
71.उखरुल |
102. बुलंदशहर |
72.चूराचंद्रपूर |
103.शहाजहानपूर |
73.चांदेल |
104. बदायूं |
74.सेनापती |
105.बाराबंकी |
75.थाऊबल |
106. खेरी |
मेघालया |
107. लखनऊ |
76. वेस्ट गारो हिल्स |
उत्तरांचल |
मिझोराम |
108. हरद्वार |
77. लाँगतलाय |
109. उधमसिंग नगर |
78. मामीत |
वेस्ट बंगाल |
ओरीसा |
110. मुर्शिदाबाद |
79. गजपती |
111. मालदा |
पांडेचरी |
112. उत्तर दिनाजपूर |
80. माहे |
113. बिरभूम |
राजस्थान |
114. साऊथ 24 - परगना |
81. गंगानगर |
115. नादीया |
सिक्कीम |
116. दक्षिण दिनाजपूर |
82. नॉर्थ |
117. हावडा |
83. साऊथ |
118. नॉर्थ 24 - परगना |
84. ईस्ट |
119. कूच बिहार |
85. वेस्ट |
120. कोलकाता |
तामीळनाडू |
121. बर्धमान |
86. कन्याकुमारी |
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परिशिष्ट मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची
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