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समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश

भारिबैंक/2013-14/180
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 23

14 अगस्त 2013

सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/ महोदय,

समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान, 7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं.फेमा.120/आरबी-2004 [विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2004], समय-समय पर यथासंशोधित (अधिसूचना) और 26 सितंबर 2007 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 11; 3 जून 2008 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 48 और 23 अप्रैल 2013 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 99 की ओर आकृष्ट किया जाता है। समीक्षा करने पर समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश को नियंत्रित करने वाले विनियमों को तत्काल प्रभाव से निम्नवत युक्तियुक्त बनाने का निर्णय लिया गया है :

2. समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश सीमा में कमी

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश से संबंधित मौजूदा उपबंधों के अनुसार किसी भारतीय पार्टी द्वारा विदेश स्थित सद्भावी कारोबारी गतिविधियों में संलग्न उसकी सभी जेवी और/अथवा डब्लूएस में, स्वचालित मार्ग के अंतर्गत, कुल समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश अंतिम लेखापरीक्षित तुलनपत्र की तारीख को भारतीय पार्टी की निवल मालियत के 400% से अधिक नहीं होने चाहिए।

अब यह निर्णय लिया गया है कि :

(ए) भारतीय पार्टी की निवल मालियत के 400% की वर्तमान निवेश सीमा को घटाकर स्वचालित मार्ग के अंतर्गत उसकी निवल मालियत के 100% की जाए। तद्नुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक भारतीय पार्टी के अंतिम लेखापरीक्षित तुलनपत्र की तारीख को उसकी निवल मालियत के 100% तक ही स्वचालित मार्ग के अंतर्गत समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश करने की अनुमति दे सकते हैं;

(बी) ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधन क्षेत्र की समुद्रपारीय अनिगमित कंपनियों में भारतीय कंपनी द्वारा अपनी निवल मालियत के मौजूदा 400% तक निवेश करने की सीमा को घटाकर भारतीय कंपनी के अंतिम लेखापरीक्षित तुलनपत्र की तारीख को ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधन क्षेत्र की समुद्रपारीय अनिगमित कंपनियों में निवेश की सीमा, स्वचालित मार्ग के अंतर्गत, उसकी निवल मालियत के 100% की जाए;

(सी) निवल मालियत के 100% से अधिक के समुद्रपारीय निवेश के लिए अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विचार किया जा सकता है;

3. सार्वजनिक क्षेत्र के नवरत्न उपक्रमों, ओएनजीसी विदेश लिमिटेड और ऑयल इंडिया लिमिटेड द्वारा समुद्रपारीय अनिगमित कंपनियों और तेल क्षेत्र ( अर्थात तेल और प्राकृतिक गैस आदि के लिए खोज और खुदाई) से संबंधित समुद्रपारीय अनिगमित कंपनियों में निवेश से संबंधित उपबंध, जो स्वचालित मार्ग के अंतर्गत बिना किसी सीमा के भारत सरकार द्वारा विधिवत अनुमोदित होते हैं, अब तक की भांति लागू बने रहेंगे ।

4. उपर्युक्त उपबंध तत्काल प्रभावी होंगे और भावी सभी नए समुद्रपारीय निवेश प्रस्तावों पर लागू होंगे, किंतु मौजूदा विनियमों के अंतर्गत स्थापित वर्तमान जेवी/डब्लूएस सेट-अप पर लागू नहीं होंगे।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराने का कष्ट करें ।

6. 7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं. फेमा.120/आरबी-2004 [विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2004] में आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किये जा रहे हैं ।

7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(सी.डी. श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक

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