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भारतीय निवासियों द्वारा संविदागत एक्सपोजरों पर ऑपशन्स लेखन की अनुमति देना

भारिबैं/2015-16/431
ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.78

23 जून 2016

सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

भारतीय निवासियों द्वारा संविदागत एक्सपोजरों पर ऑपशन्स लेखन की अनुमति देना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (एडी कैट-।) बैंकों का ध्यान समय समय पर यथा संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएँ) विनियम, 2000 दिनांक 3 मई 2000 (अधिसूचना सं. फेमा/25/आरबी-2000 दिनांक 3 मई 2000) और समय समय पर यथा संशोधित ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं. 32 दिनांक 28 दिसंबर 2010 – ओवर दि काउंटर (ओटीसी) विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव एवं कमोडिटी प्राइस तथा फ्रेट रिस्क्स के ओवरसीज हेजिंग के संबंध में व्यापक दिशा-निर्देश, की ओर आकृष्ट किया जाता है । डेरिवेटिव के संबंध में व्यापक दिशा-निर्देश पर रिज़र्व बैंक परिपत्र सं. डीबीओडी सं. बीपी.बीसी.86/21.04.157/2006-07 दिनांक 20 अप्रैल 2007 तथा परिपत्र सं. डीबीओडी सं. बीपी.बीसी.44/21.04.157/2011-12 दिनांक 2 नवंबर 2011 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है ।

2. जैसाकि 7 अप्रैल 2015 को द्वैमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में घोषणा की गयी थी, ओवर द काउंटर (ओटीसी) करेंसी ऑपशन्स मार्केट में सहभागिता को प्रोत्साहित करने और इसकी अर्थसुलभता बढ़ाने कि लिए यह निर्णय लिया गया है कि वस्तुओं और सेवाओं के निवासी निर्यातकों एवं आयातकों को इस परिपत्र के अनुबंध । में दिये गये परिचालन दिशा-निर्देश एवं शर्तों के अधीन अपने संविदागत एक्सपोजर पर एकल प्लेन वनीला युरोपियन कॉल एवं पुट ऑप्शन संविदाओं को भारत में किसी एडी श्रेणी-। बैंक को क्रमशः रक्षित कॉल एवं रक्षित पुट लिखने (sell) की अनुमति दी जाये ।

3. विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएँ) विनियम, 2000 (अधिसूचना सं. फेमा. 25/आरबी-2000 दिनांक 3 मई 2000) (विनियम) में आवश्यक संशोधन (अधिसूचना सं. फेमा. 365/2016-आरबी दिनांक 1 जून 2016) शासकीय राजपत्र में जी.एस.आर सं. 571 (ई) दिनांक 1 जून 2016 द्वारा अधिसूचित कर दिये गये हैं, जिसकी एक प्रति संलग्न है (अनुबंध ।।) ।

4. एडी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने घटकों एवं ग्राहकों को अवगत करा दें ।

5. इस परिपत्र में अंतर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (4) के अंतर्गत जारी किये गये हैं और इनसे किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि हो, पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता ।

6. इन दिशा-निर्देशों की समीक्षा अनुभव के आधार पर एक वर्ष बाद की जायेगी ।

भवदीय,

(आर. सुब्रमणियन)
मुख्य महाप्रबंधक


ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.78 दिनांक 23 जून 2016 का अनुबंध ।

वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यातकों और आयातकों द्वारा रक्षित कॉल एवं पुट करेंसी ऑप्शन संविदाओं का लेखन

1. प्रतिभागी

a. मार्केट मेकर्स : भारत में एडी श्रेणी - । बैंक, जिन्हें क्रॉस-करेंसी एवं विदेशी करेंसी-भारतीय रुपया ऑप्शन्स बहियाँ परिचालित करने का अनुमोदन प्राप्त है ।

b. उपयोगकर्ता : सूचीबद्ध कंपनियाँ और उनकी सहायक संस्थाएँ/संयुक्त उपक्रम/एसोशिएट्स, जिनका साझा खजाना और समेकित तुलनपत्र हो, या असूचीगत कंपनियाँ, जिनकी शुद्ध स्वाधिकृत निधि कम से कम 200 करोड़ रुपये हो, बशर्ते कि भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान द्वारा यथा-निर्धारित वित्तीय विवरणों में युक्तियुक्त प्रकटीकरण किये जायें ।

2. उत्पाद

a. रक्षित कॉल : कोई निवासी निर्यातक वस्तुओं एवं सेवाओं के भारत से निर्यात से उत्पन्न संविदागत एक्सपोजर की रक्षा पर एक एकल प्लेन वनीला युरोपियन कॉल ऑप्शन संविदा भारत में किसी एडी श्रेणी-। बैंक को लिख (sell) सकता है ।

b. रक्षित पुट : कोई निवासी आयातक भारत में वस्तुओं एवं सेवाओं के आयात से उत्पन्न संविदागत एक्सपोजर की रक्षा पर एकल प्लेन वनीला युरोपियन पुट ऑप्शन संविदा भारत में किसी एडी श्रेणी-। बैंक को लिख (sell) सकता है ।

c. रक्षित ऑप्शन के उपयोग को बचाव-युक्ति के रूप में नहीं समझा जायेगा ।

d. रक्षित कॉल और रक्षित पुट को एक अंतर्निहित नकदी लिखत और एक सामान्य डेरिवेटिव उत्पाद का समुच्चय होने के चलते उन्हें समय समय पर यथा संशोधित परिपत्र डीबीओडी सं. बीपी.बीसी. 86/21.04.157/2006-07 दिनांक 20 अप्रैल 2007 द्वारा डेरिवेटिवों के संबंध में जारी किये गये व्यापक दिशा-निर्देशों के अनुसार सुनियोजित डेरिवेटिव उत्पाद माना जायेगा ।

3. परिचालन दिशा-निर्देश, निबंधन एवं शर्तें

a. सामान्य रूप से डेरिवेटिव उत्पादों और विशेष रूप से सुनियोजित उत्पादों को नियंत्रित करने वाले ऊपर पैरा (2) (घ) में उल्लिखित परिपत्र और उसके परवर्ती संशोधनों के सभी दिशा-निर्देश, आवश्यक परिवर्तनों के साथ, रक्षित ऑप्शन्स पर लागू होंगे ।

b. एडी श्रेणी-। बैंक अपने निर्यातक या आयातक घटकों के साथ रक्षित ऑप्शन्स तभी कर सकते हैं, जब उन्होंने इस संबंध में अपने सक्षम प्राधिकारी (बोर्ड/जोखिम समिति/एएलसीओ) से विनिर्दिष्ट अनुमोदन प्राप्त कर लिया हो, और क्रॉस करेंसी एवं विदेशी करेंसी-आइएनआर ऑप्शन्स बही को परिचालित करने के संबंध में ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.32 दिनांक 28 दिसंबर 2010 में अंतर्विष्ट शर्तों के अनुसार ही कर सकते हैं ।

c. जोखिम प्रबंधन प्रणाली की क्षमता, ऑप्शन राइटर की वित्तीय सुदृढ़ता का मूल्यांकन करने की जिम्मेवारी संबंधित एडी श्रेणी-। बैंक की होगी । एडी श्रेणी-। बैंक बचाव के उपाय, यथा, निरंतर लाभप्रदता, उच्चतर निवल मालियत, पण्यावर्त, आदि, अनुबद्ध कर सकते हैं, जो ऑप्शन्स राइटर के फोरेक्स परिचालनों और रिस्क प्रोफाइल पर निर्भर करेगा ।

d. रक्षित ऑप्शन्स या तो आधार के मूल्य के एक हिस्से पर या उसके पूरे हिस्से पर लिखे जा सकते हैं ।

e. एडी श्रेणी-। बैंक उस एक्सपोजर को, जिस पर एक रक्षित ऑप्शन लिखा गया है, “ अनहेज्ड एक्सपोजर" मानेगा । तदनुसार, अनहेज्ड फॉरेन करेंसी एक्सपोजर वाले प्रतिष्ठानों के लिए पूँजी और प्रावधानन अपेक्षाओं के संबंध में रिज़र्व बैंक परिपत्र डीबीओडी सं. बीपी.बीसी. 85/21.06.200/2013-14 दिनांक 15 जनवरी 2014 द्वारा जारी किये गये दिशा-निर्देश लागू होंगे ।

f. रक्षित ऑप्शन संविदाएँ आधार की परिपक्वता तक के लिए लिखी जा सकती हैं, लेकिन वे अधिकतम 12 महीनों की परिपक्वता अवधि के लिए होंगी ।

g. रक्षित ऑप्शन को निर्बाध रूप से निरस्त या पुनः दर्ज किया जा सकता है, बशर्ते कि आधार का सत्यापन संबंधित एडी श्रेणी-। बैंक द्वारा किया जाये ।

h. पात्र अंतर्निहित संविदागत एक्सपोजरों के लिए. ऑप्शन विक्रेता रक्षित ऑप्शन का लेखन या तो एकल एफसीवाइ-आइएनआर के रूप में या एफसीवाइ-युएसडी एवं युएसडी-आइएनआर चरणों के अलग-अलग ऑप्शन्स के रूप में कर सकता है ।

i. समय समय पर यथा संशोधित ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.32 दिनांक 28 दिसंबर 2010 के "संविदागत एक्सपोजर्स" – वायदा विदेशी मुद्रा संविदाएँ, क्रॉस करेंसी ऑप्शन्स (जिसमें रुपया शामिल नहीं है) और विदेशी मुद्रा-आइएनआर के अंतर्गत अधिकथित परिचालन दिशा-निर्देश और शर्तें संगत सीमा तक रक्षित ऑप्शन्स के लिए लागू होंगे ।

j. इन दिशा-निर्देशों में उल्लिखित के सिवाय रक्षित ऑप्शन्स किसी अन्य डेरिवेटिव या नकदी लिखत को संयुक्त करके नहीं किये जायेंगे ।

k. जैसाकि समय समय पर यथा संशोधित व्यापक दिशा-निर्देशों के अंतर्गत प्रावधान किया गया है, प्राधिकृत व्यापारी उनको निर्यातकों और आयातकों द्वारा बेचे गये रक्षित ऑप्शन्स के संबंध में नकदी मार्जिन/नकदी संपार्श्विक बनाये रख सकते हैं, यदि आवश्यक हो ।

l. अपने घटकों के साथ रक्षित ऑप्शन्स करने वाले एडी श्रेणी-। बैंक उसकी रिपोर्ट समय समय पर यथा संशोधित हमारे परिपत्र एफएमडी.एमएसआरजी.सं.75 दिनांक 13 मार्च 2013 के अनुसार ओटीसी विदेशी मुद्रा डेरिवेटिवों के लिए सीसीआइएल के रिपोर्टिंग प्लैटफार्म पर कर सकते हैं ।

4. उपर्युक्त के अतिरिक्त, समय समय पर यथा संशोधित हमारे परिपत्र ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.32 दिनांक 28 दिसंबर 2010 के खंड (1)(बी) में अधिकथित "भारत में निवासियों द्वारा किये गये फोरेक्स डेरिवेटिव संविदाओं के लिए सामान्य अनुदेश", आवश्यक परिवर्तनों के साथ, रक्षित ऑप्शन्स पर लागू होंगे ।


ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.78 दिनांक 23 जून 2016 का अनुबंध ।।

अधिसूचना सं.फेमा.365/2016-आरबी

1 जून 2016

विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा) (संशोधन) विनियम, 2016

जी.एस.आर. 571 (ई). – विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 47 की उप धारा (2) के खंड (ग) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिज़र्व बैंक इसके द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा) विनियम, 2000 (अधिसूचना सं.फेमा/25/2000-आरबी दिनांक 3 मई 2000) में निम्नखित संशोधन करता है, य़था :-

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

(i) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा) (संशोधन) विनियम, 2016 कहा जा सकेगा ।

(ii) ये शासकीय राजपत्र में प्रकाशन की तिथि से प्रवृत्त होंगे ।

2. विनियमों का संशोधन

(i) वर्तमान विनियम 4 को निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जायेगा :

"भारत में निवासी कोई व्यक्ति अधिनियम के अंतर्गत बनाये गये नियमों या विनियमों या जारी किये गये निदेशों या आदेशों के अंतर्गत अनुमत किसी लेन देन के संबंध में किसी एक्सपोजर जोखिम से बचाव करने या अन्यथा के लिए अनुसूची । में अंतर्विष्ट प्रावधानों के अनुसार विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा कर सकता है ।"

(ii) अनुसूची । में, वर्तमान पैराग्राफ ‘ बी ‘ के बाद निम्नलिखित जोड़ा जायेगा, यथा :

"(सी) अंतर्निहित एक्सपोजर पर एकल ऑप्शन्स का लेखन

भारत में निवासी कोई व्यक्ति किसी लेन देन के संबंध में, जिसके लिए विदेशी मुद्रा का विक्रय और/या क्रय करने की अनुमति अधिनियम या उसके अंतर्गत बनाये गये नियमों या विनियमों या जारी किये गये निदेशों या आदेशों के अंतर्गत उन शर्तों के अधीन, जिन्हें समय समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा अनुबद्ध किया जाये, दी जाती है, के संबंध में अंतर्निहित विदेशी मुद्रा एक्सपोजर पर किसी प्राधिकृत व्यापारी के साथ क्रॉस करेंसी संविदा (जिसमें एक करेंसी के रूप में रुपया शामिल नहीं हो) और/या विदेशी करेंसी-रुपया ऑप्शन संविदा कर सकता है । "

[ एफ. सं. 1/15/ईएम - 2015 ]

(आर. सुब्रमणियन)
मुख्य महाप्रबंधक


पाद टिप्पणी :

1. मूल विनियम शासकीय राजपत्र में जी.एस.आर. सं. 411 (ई) दिनांक 8 मई 2000 द्वारा भाग ।।, खंड 3, उपखंड (आइ) में प्रकाशित किये गये थे और बाद में निम्नलिखित द्वारा उनमें संशोधन किया गया था –

जी.एस.आर. सं. 756 (ई) दिनांक 28.09.2000
जी.एस.आर. सं. 264 (ई) दिनांक 09.04.2002
जी.एस.आर. सं. 579 (ई) दिनांक 19.08 2002
जी.एस.आर. सं. 222 (ई) दिनांक 18.03.2003
जी.एस.आर. सं. 532 (ई) दिनांक 09.07.2003
जी.एस.आर. सं. 880 (ई) दिनांक 11.11.2003
जी.एस.आर. सं. 881 (ई) दिनांक 11.11.2003
जी.एस.आर. सं. 750 (ई) दिनांक 28.12.2005
जी.एस.आर. सं. 222 (ई) दिनांक 19.04.2006
जी.एस.आर. सं. 223 (ई) दिनांक 19.04.2006
जी.एस.आर. सं. 760 (ई) दिनांक 07.12.2007
जी.एस.आर. सं. 577 (ई) दिनांक 05.08.2008
जी.एस.आर. सं. 440 (ई) दिनांक 23.06.2009
जी.एस.आर. सं. 895 (ई) दिनांक 14.12.2009
जी.एस.आर. सं. 635 (ई) दिनांक 27.07.2010
जी.एस.आर. सं. 608 (ई) दिनांक 03.08.2012
जी.एस.आर. सं. 799 (ई) दिनांक 30.12.2012
जी.एस.आर. सं. 330 (ई) दिनांक 23.05.2013
जी.एस.आर. सं. 374 (ई) दिनांक 02.06.2014

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