उदारीकृत विप्रेषण योजना
उत्तर: एकमात्र स्वामित्व वाले कारोबार में व्यक्ति/ मालिक के बीच कोई विधिक अंतर नहीं होता है तथा उसी रूप में कारोबार का मालिक एलआरएस के अंतर्गत अनुमत सीमा तक अमेरिकी डॉलर विप्रेषित कर सकता है। यदि एकल स्वामित्ववाली कोई फ़र्म अपने चालू खाते में डेबिट करते हुए एलआरएस के अंतर्गत धन प्रेषित करना चाहती है तो उसकी व्यतिगत क्षमता में उक्त मालिक की पात्रता को ध्यान में लेना होगा। अतः यदि कोई व्यक्ति किसी वित्तीय वर्ष में अपनी खुद की क्षमता में 250,000 अमेरिकी डॉलर विप्रेषित करता है तो वह एकल स्वामित्व वाले कारोबार के मालिक के रूप में अतिरिक्त 250,000 अमेरिकी डॉलर विप्रेषित नहीं कर सकता क्योंकि वहाँ कोई विधिक अंतर नहीं है।
जैसा कि संबंधित संकल्प ढांचे में निर्धारित किया गया है, ऋण देने वाली संस्थाएं समाधान योजना के कार्यान्वयन के समय अवशिष्ट ऋण पर प्रावधान करेगी। यदि बाद मे, कोई गैर-निधि आधारित सुविधा हस्तांतरित की जाती है, तो हस्तांतरित राशि को अवशिष्ट ऋण4 के रूप में माना जाएगा और समाधान ढांचा 1.0 के पैरा 405 और 416 के प्रावधान लागू होंगे, और परिणामस्वरूप, निगरानी अवधि के मूल्यांकन को तदनुसार अद्यतन किया जाना चाहिए। संपूर्ण प्रावधान (अंतरित राशि पर प्रावधानों सहित) तब तक जारी रखे जाएंगे, जब तक कि उन्हें प्रासंगिक समाधान ढांचे में निहित प्रावधानों के संदर्भ में वापस नहीं किया जाता है।
उत्तर: चूंकि कंपनी की एक सहायक कंपनी है, इसलिए उसे विदेश में सहायक कंपनियों की जानकारी से संबंधित फॉर्म का भाग-डी भरना होगा। यदि, वर्ष के दौरान कंपनी की सहायक कंपनी ने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और आईटीईएस की कोई बिक्री नहीं की है, तो तदनुसार भाग-डी में राशि 0 (शून्य) होगी।
उत्तर: थोक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (ई₹- डबल्यू ) वित्तीय संस्थानों और मध्यस्थों द्वारा उपयोग के लिए, मुख्य रूप से अंतर-बैंक निपटान और बड़े-मूल्य के लेनदेन को कारगर बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है । यह एक प्रतिबंधित पारिस्थितिक तंत्र के भीतर कार्य करता है और प्रोग्रामिंग और स्मार्ट अनुबंधों की कार्यक्षमताओं का उपयोग करके थोक भुगतान प्रणालियों की दक्षता, गति और सुरक्षा को बढ़ाता है। थोक सीबीडीसी वित्तीय प्रणाली के बुनियादी ढांचे में सुधार और निपटान जोखिमों को कम करने पर केंद्रित है, वहीं खुदरा सीबीडीसी का उद्देश्य व्यक्तियों / व्यवसायों के लिए पहुँच, वित्तीय समावेशन और सुविधा को बढ़ाना है। खुदरा सीबीडीसी आम लोगों के उपयोग के लिए बनाई गई है और इसका प्रयोग रोजमर्रा के लेन-देन में उसी प्रकार किया जाता है जैसे भौतिक नकदी, लेकिन यह डिजिटल स्वरूप में होती है।
उत्तर: विवादित लेन-देन के विवरण के साथ आप अपने बैंक के शिकायत निवारण प्रकोष्ठ से संपर्क कर सकते हैं। यदि 30 दिनों के भीतर आपकी शिकायत का समाधान नहीं होता है, तो आप "रिज़र्व बैंक-एकीकृत ओम्बड्समैन योजना (आरबी-आईओएस 2021)" के तहत शिकायत कर सकते हैं। आरबी-आईओएस 2021 ग्राहकों को इसमें निर्दिष्ट आरबीआई विनियमित संस्थाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए एकल संदर्भ बिंदु प्रदान करता है। आरबी-आईओएस, 2021 आरबीआई की वेबसाइट पर निम्नलिखित पथ पर उपलब्ध है:/documents/87730/39016390/RBIOS2021_121121.pdf
विवादित लेनदेन की राशि जिसके लिए आरबी-आइओएस, 2021 के तहत शिकायत की जा सकती है और जिस पर आरबीआई ओम्बड्समैन समाधान प्रदान कर सकता पर कोई सीमा नहीं है। तथापि, आरबी-आइओएस के अंतर्गत केवल वही शिकायतें स्वीकार्य हैं जिनमें शिकायतकर्ता को आरई के कृत्य या चूक या कार्य से होने वाली किसी भी हानि के लिए मांगी गई क्षतिपूर्ति, यदि कोई हो, ₹20 लाख या उससे कम है। इसके अलावा शिकायतकर्ता द्वारा सहन की गई मानसिक पीड़ा / उत्पीड़न के एवज में ओम्बड्समैन ₹1 लाख रुपये तक की क्षतिपूर्ति दे सकता है, जैसा की प्रश्न 23 में बताया गया है।
उत्तर: विवादित लेन-देन के विवरण के साथ आप अपने बैंक के शिकायत निवारण प्रकोष्ठ से संपर्क कर सकते हैं। यदि 30 दिनों के भीतर आपकी शिकायत का समाधान नहीं होता है, तो आप "रिज़र्व बैंक-एकीकृत ओम्बड्समैन योजना (आरबी-आईओएस 2021)" के तहत शिकायत कर सकते हैं। आरबी-आईओएस 2021 ग्राहकों को इसमें निर्दिष्ट आरबीआई विनियमित संस्थाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए एकल संदर्भ बिंदु प्रदान करता है। आरबी-आईओएस, 2021 आरबीआई की वेबसाइट पर निम्नलिखित पथ पर उपलब्ध है: https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/content/pdfs/RBIOS2021_121121.pdf.
उत्तर: ग्राहक अपने बैंक से संपर्क कर सकता है और उनके साथ मामला उठा सकता है। यदि ग्राहक बैंक के उत्तर से संतुष्ट नहीं है या 30 दिनों के भीतर बैंक से उत्तर प्राप्त नहीं होने की स्थिति में, ग्राहक रिज़र्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना का सहारा ले सकता है। आरबीआई लोकपाल के कार्यालय का विवरण इस लिंक पर उपलब्ध है: https://rbi.org.in/hi/web/rbi/complaints/addresses-of-the-rbi-ombudsman या ग्राहक https://cms.rbi.org.in/cms/indexpage.html#hi-IN पर ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं।
उत्तर. आरई को ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड को चालू समुचित सावधानी प्रक्रिया के भाग के रूप में अद्यतन करना आवश्यक है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सीडीडी के अंतर्गत एकत्रित जानकारी अथवा डेटा अद्यतन और सुसंगत रखा जाए। ऐसे अद्यतनीकरण की आवधिकता, आरई द्वारा ग्राहक के जोखिम वर्गीकरण पर निर्भर करती है और केवाईसी रिकार्डों का ऐसा आवधिक अद्यतनीकरण (जिसे कभी-कभी पुनः केवाईसी कहा जाता है) उच्च जोखिम वाले ग्राहकों के लिए कम से कम प्रत्येक दो वर्ष में एक बार, मध्यम जोखिम वाले ग्राहकों के लिए आठ वर्ष में एक बार तथा निम्न जोखिम वाले ग्राहकों के लिए दस वर्ष में एक बार किया जाएगा। तथापि, आरई अपनी आंतरिक केवाईसी नीति के अनुसार कोई भी अतिरिक्त और असाधारण उपाय अपना सकता है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ ग्राहक की भौतिक उपस्थिति, केवाईसी का आवधिक अद्यतनीकरण आरई की उस शाखा में जहां खाता रखा जाता है, न्यूनतम विनिर्दिष्ट आवधिकता की तुलना में केवाईसी अद्यतन की अधिक लगातार आवधिकता, आदि की आवश्यकता हो सकती है।
उत्तर: जी हाँ। नामित बैंकों को इस योजना के तहत जुटाए गए सोने को अन्य नामित बैंकों की योजना के तहत निर्धारित समान उपयोगिता के लिए उधार देने की अनुमति है।
24 जुलाई 2017 के मास्टर निदेश विसविवि.एमएसएमई एंड एनएफएस.12/06.02.31/2017-18 के अनुसार बैंकों को सूचित किया गया है कि वे एमएसई क्षेत्र के लिए अपनी मौजूदा ऋण-नीतियों की समीक्षा करें और उसमें निम्नलिखित प्रावधानों को शामिल करके उन्हें समायोजित करें ताकि जरूरत पड़ने पर, विशेषतः किसी अप्रत्याशित परिस्थिति में निधियों की आवश्यकता के दौरान अर्थक्षम सूक्ष्म व लघु उद्यम (एमएसई) उधारकर्ताओं को समय पर और पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराया जा सके:
- मीयादी ऋणों के मामले में आपाती ऋण सुविधा का विस्तार करना
- एमएसई इकाइयों की आकस्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त कार्यशील पूंजी
- नियमित कार्यशील पूंजी सीमाओं की मध्यावधि समीक्षा, जहां बैंकों को यह विश्वास हो कि एमएसई उधारकर्ताओं के मांग के स्वरूप में परिवर्तनों के कारण पिछले वर्ष की वास्तविक बिक्री के आधार पर प्रति वर्ष एमएसई की मौजूदा क्रेडिट सीमा में वृद्धि की आवश्यकता होती है।
- ऋण निर्णयों के लिए समय-सीमा।
(कृपया अधिक जानकारी के लिए 27 अगस्त 2015 का परिपत्र विसविवि.एमएसएमई एंड एनएफएस.बीसी.सं. 60/06.02.31/2015-16 देखें)।
किसी भी पूछताछ के लिए कृपया iors@rbi.org.in पर ईमेल करें
Ans. In case of non-bank issued PPIs, cash withdrawal is permitted upto a limit of ₹ 2,000/- per transaction within an overall monthly limit of ₹ 10,000/- per PPI across all channels (agents, ATMs, PoS devices, etc.).
Ans : Yes. In case of any need to withdraw or stop a mandate the customer can do so by approaching the user institution to withdraw the mandate. The account holder / customer can also withdraw the mandate / debit instruction directly from his / her banker without involvement of the User institution. The withdrawal instructions of a customer in such cases would be treated equivalent to a ‘stop payment’ instruction in cheque clearing system. However, as a matter of best practice, the customer may also provide prior notice or intimation of mandate withdrawal to the ECS user institution well in time, so as to ensure that the input files submitted by the user institution does not include the ECS Debit details in respect of the withdrawn / stopped mandates, leading to avoidable returns/rejections etc.
- नियत दर जी-सेक की तरह, आईआईबी प्राइमरी डीलरों द्वारा हस्ताक्षरित होंगे।
उत्तर: शिकायतें https://cms.rbi.org.in पर ऑनलाइन या समर्पित ई-मेल के माध्यम से दर्ज की जा सकती हैं या आरबीआई, चौथी मंजिल, सेक्टर 17, चंडीगढ़ - 160 017 में स्थापित 'केंद्रीकृत रसीद और प्रसंस्करण केंद्र' को भौतिक मोड में निम्नलिखित पथ /documents/87730/38689832/RBIOS2021_12112021_A.pdf. पर दिए गए प्रारूप में भेजी जा सकती है। एक टोल-फ्री नंबर - 14448 (सुबह 9:30 बजे से शाम 5:15 बजे तक) - बहुभाषी समर्थन के साथ शिकायत दर्ज करने और शिकायत निवारण पर जानकारी दर्ज करने में सहायता लेने के लिए ग्राहकों के लिए भी उपलब्ध है।
नई पीढ़ी के बैंकनोटों का निर्गम और शुभारंभ करते हुए सेंट्रल बैंक ऑफ केन्या ने सूचित किया है कि (http://kenyalaw.org/kenya_gazette/gazette/volume/MTk2Mg--/Vol.CXXI-No.69) पर उपलब्ध सेंट्रल बैंक ऑफ केन्या की 31 मई 2019 की गजट सूचना संख्या 4849 और (https://www.centralbank.go.ke/uploads/press_releases/696932423_Press Release - New Generation Banknotes.pdf) ,पर उपलब्ध 6 जून 2019 की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार '1000 शिलिंग (Ksh)' मूल्यवर्ग के सभी करेंसी नोट वैध मुद्रा नहीं रहेंगे, और 1 अक्टूबर 2019 से इनका विनिमय नहीं हो सकेगा ।
(सेंट्रल बैंक ऑफ केन्या से प्राप्त अनुराध पर प्रकाशित)
निम्नलिखित के नाम स्वीकृत जमाराशियों के संबंध में -
क. बैंक के स्टाफ -सदस्य अथवा किसी सेवानिवृत्त सदस्य, एकल अथवा उसके परिवार के किसी अन्य सदस्य या सदस्यों के साथ संयुक्त रूप में, या
ख. बैंक के स्टाफ के दिवंगत सदस्य अथवा दिवंगत सेवानिवृत्त सदस्य के पति/की पत्नी
एफ सी एन आर (बी) जमाराशियों के लिए निर्धारित समग्र उच्चतम सीमा के भंग न करने की शर्त के अधीन बैंक अपने विवेक से निर्दिष्ट ब्याज दर के ऊपर वार्षिक एक प्रतिशत से अनधिक दर तक अतिरिक्त ब्याज दे सकते हैं,
बशर्ते
i. जमाकर्ता अथवा संयुक्त खाते के सभी जमाकर्ता भारतीय राष्ट्रिकता अथवा मूल का/के अनिवासी हो/हों, और
ii. संबंधित जमाकर्ता से बैंक यह घोषणा प्राप्त करेगा कि इस तरह जमा किया गया धन अथवा जो समय-समय पर जमा किया जाएगा, वह उपर्युक्त खंड (क) और (ख) में उल्लेख किये अनुसार - जमाकर्ताओं से संबंधित धन होगा ।
स्पष्टीकरण : ‘परिवार’ शब्द का अर्थ होगा तथा इसमें शामिल होंगे बैंक के स्टाफ-सदस्य/सेवानिवृत्त सदस्य के पति/की पत्नी, उनके बच्चे, माता-पिता, भाई और बहनें जो ऐसे सदस्य/सेवानिवृत्त सदस्य पर आश्रित हैं तथा इसमें कानूनी दृष्टि से विभक्त पति/पत्नी शामिल नहीं होंगे -
उत्तर
बीएसबीडीए में, बैंकों को एटीएम और अन्य मोड के माध्यम से न्यूनतम चार निकासी नि: शुल्क प्रदान करने की आवश्यकता है। चार आहरणों के अलावा, यह बैंकों के विवेक पर छोड़ दिया जाता है कि वे या तो नि:शुल्क पेशकश करें या अतिरिक्त निकासी के लिए शुल्क लें। हालांकि, बैंकों द्वारा उचित, गैर-विवेकाधीन, गैर-भेदभावपूर्ण और पारदर्शी तरीके से बैंकों द्वारा मूल्य निर्धारण संरचना की जानी चाहिए।
-
चूंकि बैंक के अधीन ग्राहक होंगे, अतः केवाईसी बैंकों द्वारा की जाएगी।
उत्तर: शिकायतें https://cms.rbi.org.in पर ऑनलाइन या समर्पित ई-मेल के माध्यम से दर्ज की जा सकती हैं या निम्नलिखित पथ https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/content/pdfs/RBIOS2021_121121_A.pdf पर दिए गए प्रारूप में आरबीआई, चौथी मंजिल, सेक्टर 17, चंडीगढ़ - 160 017 में स्थापित 'केंद्रीकृत रसीद और प्रसंस्करण केंद्र' को भौतिक मोड में भेजी जा सकती हैं। एक टोल-फ्री नंबर - 14448 (सुबह 9:30 बजे से शाम 5:15 बजे तक) - बहुभाषी समर्थन के साथ शिकायत दर्ज करने और शिकायत निवारण पर जानकारी दर्ज करने में सहायता लेने के लिए ग्राहकों के लिए भी उपलब्ध है।
• बॉण्ड की मीयाद समाप्त होने से एक महीना पहले निवेशक को बॉण्ड की मीयाद पूरी होने की सूचना दे दी जाएगी।
• मीयाद पूरी होने की तारीख पर बॉण्ड की परिपक्वता राशि रिकार्ड में दर्ज बैंक खाते में जमा कर दी जाएगी।
• यदि बैंक खाते, ई-मेल पते आदि में कोई परिवर्तन है तो निवेशक को चाहिए कि वह उसकी सूचना बैंक/ एसएचसीआईएल/ डाकघर को तुरंत दे।
उत्तर: नहीं।
उत्तर. आईटीईएस सर्वेक्षण प्रश्नावली के भाग ए के क्यू-3 में "कृपया निर्दिष्ट करें" फ़ील्ड में व्यावसायिक गतिविधियों की सूची दर्ज करें। "कृपया निर्दिष्ट करें" फ़ील्ड में अलग-अलग प्रतिशत प्रदान करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
उत्तर: ई₹- डबल्यू में वित्तीय लेनदेन के लिए निपटान प्रणालियों को बदलने और उन्हें अधिक कुशल और सुरक्षित बनाने की क्षमता है। यह प्लेटफ़ॉर्म की प्रोग्रामेबिलिटी और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट सुविधाओं का लाभ उठाता है और निपटान जोखिम को कम करता है।
उत्तर: एसआरवीए का विवरण फेडाई की वेबसाइट पर ‘एसआरवीए डायरेक्टरी’ लिंक के अंतर्गत देखा जा सकता है।
उत्तर. ग्राहक के जोखिम वर्गीकरण के लिए निर्धारित व्यापक संकेतक पैरामीटर ग्राहक की पहचान, सामाजिक/वित्तीय स्थिति, व्यावसायिक कार्यकलाप की प्रकृति, ग्राहक के व्यवसाय और उसके स्थान के बारे में जानकारी, ग्राहक के साथ-साथ लेनदेन को कवर करने वाला भौगोलिक जोखिम, दिये जाने वाले उत्पादों/ सेवाओं का प्रकार, उत्पादों/सेवाओं की डिलीवरी के लिए उपयोग किया जाने वाला डिलीवरी चैनल, किए गए लेनदेन के प्रकार - नकद, चेक/मौद्रिक उपकरण, वायर ट्रांसफर, विदेशी मुद्रा लेनदेन, आदि है। ग्राहक की पहचान पर विचार करते समय, जारीकर्ता प्राधिकारियों द्वारा ऑनलाइन या अन्य सेवाओं के माध्यम से पहचान दस्तावेजों की पुष्टि करने की क्षमता को भी ध्यान में रखा जा सकता है। जोखिम श्रेणी और उसके कारणों को आरई द्वारा ग्राहकों को प्रकट करना आवश्यक नहीं है।
24 जुलाई 2017 के मास्टर निदेश विसविवि.एमएसएमई एंड एनएफएस.12/06.02.31/2017-18 के अनुसार बैंकों को सूचित किया गया है कि एमएसई उधारकर्ताओं में इकाइयों को ₹ 25 लाख तक के ऋण के लिए ऋण निर्णयों की समय-सीमा 14 कार्य दिवसों से अधिक नहीं होगी। उपर्युक्त सीमा से अधिक राशि के ऋणों के मामले में समयसीमा बोर्ड द्वारा अनुमोदित स्वीकृति समय-सीमा के मानदंडों के अनुसार होगी। साथ ही, बैंकों को यह भी सूचित किया गया है कि वे एमएसएमई से संबंधित सभी ऋण संबंधी जानकारी जिसमें ऋण निर्णयों के लिए समय-सीमा, सांकेतिक दस्तावेज़ों की जांच-सूची, आदि शामिल हैं, बैंकों की वेबसाइट पर एक अलग टैब के तहत प्रमुखता से प्रदर्शित करें।
24 जुलाई 2017 के मास्टर निदेश विसविवि.एमएसएमई एंड एनएफएस.12/06.02.31/2017-18 के अनुसार बैंकों को सूचित किया गया है कि वे बैंक केंद्रीय पंजीकरण और सभी एमएसएमई ऋण आवेदनों की ई-ट्रैकिंग की प्रणाली की सुविधा के लिए ऋण प्रस्ताव ट्रैकिंग प्रणाली (सीपीटीएस)/ समतुल्य ट्रैकिंग प्रणाली स्थापित करें। यह प्रणाली स्वचालित रूप से ऋण संबंधी आवेदन की पावती जनरेट करेगी, जिसमें भौतिक और ऑनलाइन दोनों प्रकार के आवेदनों के लिए एक विशिष्ट आवेदन क्रमांक होगा। इसके अलावा, बैंकों द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि आवेदन की पावती और स्थिति स्वचालित रूप से आवेदकों को भेजी जाए।
साथ ही, बैंकों को यह भी सूचित किया गया है कि वे एमएसएमई उधारकर्ताओं को लिखित रूप में मुख्य कारण/ कारणों को सूचित करें जिन पर बैंक द्वारा विधिवत विचार किए जाने के बाद ऋण संबंधी आवदेनों को अस्वीकृत किया गया। (कृपया अधिक जानकारी के लिए 9 मई 2013 का परिपत्र ग्राआऋवि.सं.एमएसएमइ एंड एनएफएस.बीसी.74/06.02.31/2012-13 देखें)।
Ans : Yes. It is left to the choice of the individual customer and the ECS user to decide these aspects. The mandate can contain a ceiling on the maximum amount of debit, specify the purpose of debit and validity period of the mandate.
उत्तर: सुरक्षित और सुरक्षित डिजिटल भुगतान सुनिश्चित करने के तरीकों के बारे में जानकारी के लिए आरबीआई का वेबपेज "आरबीआई कहता है" /hi/web/rbi/rbi-kehta-hai पर देखा जा सकता है। इसके अलावा, आरबीआई ने डिजिटल लेनदेन के उपयोगकर्ताओं के लिए बीई (अ) वेयर नामक एक पत्रिका भी लॉन्च की है, जिसे /documents/87730/39016390/BEAWARE07032022.pdf पर देखा जा सकता है।
Persons resident in India are permitted to maintain foreign currency accounts in India under following two Schemes:
- EEFC Accounts –
To avoid exchange loss on conversion of foreign exchange into Indian Rupee & Rupee into foreign exchange, residents can retain upto 50% of foreign currency remittances received from abroad in a foreign currency account, viz., EEFC account, with an authorised dealer in India . Funds held in EEFC account can be utilised for current account transactions and also for approved capital account transactions as specified by the extant Rules/Regulations/Notifications/Directives issued by the Government/RBI from time to time.
- RFC Accounts :-
Returning Indians, i.e., those Indians, who were non-residents earlier, and are returning now for permanent stay, are permitted to open, hold and maintain with an authorised dealer in India a Resident Foreign Currency (RFC) Account to keep their foreign currency assets. Assets held outside India at the time of return can be credited to such accounts. The funds in RFC account are free from all restrictions regarding utilisation of foreign currency balances including any restriction on investment outside India. The facility is also available to residents provided foreign exchange to be credited to such account is received out of certain specified type of funds/accounts.
- 15 मई 2013 के हमारे प्रेस विज्ञप्ति में निर्दिष्ट, प्रत्येक अंश का आकार रु. 1,000 करोड़ से 2,000 करोड़ होंगे।
-
उपभोक्ताओं को प्रतिभूतियाँ धन प्राप्ति के बाद जारी आर दें चाहिए। धन प्राप्ति के बाद, बैंक को सीबीएस पर उपभोक्ता को पंजीकृत करना चाहिए और धारिता प्रमाणपत्र जनरेट करना चाहिए।
उत्तर. उपर्युक्त पीपीआई के अलावा, पीपीआई की निम्नलिखित दो श्रेणियां हैं:
ए. उपहार पीपीआई; तथा
बी. मास ट्रांजिट सिस्टम के लिए पीपीआई (पीपीआई-एमटीएस)।
भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है कि 30.12.16 तक पीएमजीकेवाई के अधीन कर, जुर्माना, अधिभार हेतु भुगतान और जमा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी पुराने 500 और 1000 के बैंक नोटों के माध्यम से किया जा सकता है। घोषणा करने वालों के लिए प्रधान मंत्री गरीब कल्याण जमा योजना 2016 हेतु कराधान एवं निवेश व्यवस्था 17 दिसंबर 2016 से 31 मार्च 2017 तक उपलब्ध है। योजना के अधीन कर, जुर्माना, अधिभार हेतु भुगतान और जमा आईटीएनएस – 287 चालान के माध्यम से किया जाना है। पीएमजीकेवाई के संदर्भ में अधिसूचना www.incometaxindia.gov.in पर उपलब्ध है।
उत्तर
बचत बैंक जमा ब्याज दर के विविनियमन पर हमारे 30 जनवरी 2012 के परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.बीसी.सं.57/03.05.33/2011-12 में निहित निर्देश 'आधारभूत बचत बैंक जमा खाता' में रखी जमाराशियों पर लागू होते हैं।
उत्तर. आरबीआई की वेबसाइट https://www.rbi.org.in/Scripts/FAQView.aspx?Id=140 पर "केंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों में बड़े मूल्य के लेनदेन के लिए विधिक संस्था पहचानकर्ता (एलईआई)" पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न देखे जा सकते हैं।
बचत बैंक जमा ब्याज दर के अविनियमन पर दिनांक 7 फरवरी 2012 शबैवि.बीपीडी(पीसीबी)सं.18/13.01. 000/2011-12 में निहित हमारे अनुदेश बुनियादी बचत बैंक जमा खाते में धारित जमाराशि पर लागू हैं
At the time of making applications, the Promoters/Promoter Group will have to furnish a road map and methodologies they would adopt to comply with all the requirements of the corporate structure indicated in para 2 (C)(ii) and (iii) of the guidelines and realign the business between the entities to be held under the NOFHC [para 2(C)(iv) of the guidelines] within a period of 18 months. After the ‘in-principle approval’ is accorded by RBI for setting up of the bank, the actual setting up of NOFHC and the bank, re-organization of the Promoter Group entities to bring the regulated financial services entities under the NOFHC as well as realignment of business among the entities under the NOFHC have to be completed within a period of 18 months from the date of in-principle approval or before commencement of banking business, whichever is earlier.
उत्तर: व्यष्टि से भिन्न व्यक्तियों के लिए निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध हैं:
ए) पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान किए गए अपने विदेशी मुद्रा उपार्जन के एक प्रतिशत तक अथवा 5,000,000 अमेरिकी डॉलर, इनमें से जो भी कम हो तक की राशि का दान जो निम्नलिखित के लिए हों: (क) प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थाओं में चेयर्स (प्रोफेसरशिप) का सृजन; (ख) शिक्षा संस्थाओं द्वारा प्रवर्तित निधियों (जो कि निवेश निधि नहीं है) में अंशदान; तथा (ग) दानदात्री कंपनी के कार्य क्षेत्र की तकनीकी संस्था अथवा निकाय अथवा संघ में अंशदान।
बी) भारत में आवासीय फ्लॅट अथवा वाणिज्यिक प्लॉट्स बेचने के लिए विदेश में स्थित एजेंट को प्रति लेनदेन 25,000 अमेरिकी डॉलर अथवा आवक विप्रेषण की 5% राशि में से जो भी कम हो, तक का कमीशन।
सी) बुनियादी सुविधाओं संबंधी परियोजनाओं से जुड़ी परमर्शदात्री सेवाओं के लिए प्रति परियोजना 10,000,000 अमेरिकी डॉलर तक तथा भारत के बाहर की अन्य परामर्शदात्री सेवाओं के लिए 1,000,000 प्रति परियोजना तक की राशि के विप्रेषण।
डी) किसी संस्था द्वारा निगमन पूर्व व्यय की प्रतिपूर्ति के रूप में भारत में लाए गए निवेश के पांच प्रतिशत के अथवा 100,000 अमेरिकी डॉलर, इनमें से जो भी कम हो, तक की राशि का विप्रेषण।
(ई) फेम (कैट) संशोधन नियमावली, 2015 की अनुसूची-III के पैरा 1 में उल्लिखित प्रयोजनों के लिए 250,000 अमेरिकी डॉलर प्रति वित्तीय वर्ष तक के विप्रेषण। तथापि ऐसी संस्थाओं द्वारा किए गए सभी अवशिष्ट चालू खाता लेनदेन अन्यतः किसी विशिष्ट सीमा के बिना अनुमत हैं तथा पहले की भांति एडी के स्तर पर उनका निपटान करना है। प्राधिकृत व्यापारी को लेनदेन की सदाशयता से स्वयं संतुष्ट होना पड़ेगा।
उपर्युक्त सीमा से अधिक किसी भी लेनदेन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक होगा।
उत्तर: वर्तमान में, थोक सीबीडीसी पायलट में कुल 14 प्रतिभागी शामिल हैं, जिनमें बैंक और गैर-बैंक दोनों प्रकार की संस्थाएं सम्मिलित हैं।
शिकायत प्राप्त होने पर, यह आंकलन करने के लिए जांच की जाती है, कि क्या यह शिकायत स्वीकार्य या अस्वीकार्य है (जैसा कि प्रश्न 14 में बताया गया है)। यदि शिकायत को अस्वीकार्य पाया जाता है, तो शिकायत बंद कर दी जाती है, और शिकायतकर्ता को उस संबंध में उपयुक्त रूप से सूचित किया जाता है।
स्वीकार्य शिकायत के लिए आईबीआई ओम्बड्समैन शिकायतकर्ता और विनियमित संस्था के बीच समझौते द्वारा शिकायत के निपटान को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा। यदि पक्षकारों के बीच शिकायत का एक सौहार्दपूर्ण समाधान हो जाता है, तो इसे अभिलिखित किया जाएगा व पक्षकारों द्वारा हस्ताक्षरित किया जाएगा। चूंकि पक्षकारों ने इस पर अपने हस्ताक्षर करके समझौते के लिए सहमति व्यक्त की है, यह दोनों पक्षों पर बाध्यकारी हो जाता है और ओम्बड्समैन द्वारा कोई औपचारिक निर्णय जारी नहीं किया जाता है।
यदि मामले का समाधान समझौते (सुविधा या सुलह या मध्यस्थता) के माध्यम से नहीं होता है, तो ओम्बड्समैन, दोनों पक्षों को एक उचित अवसर देने के बाद (और उनके समक्ष रखे गए अभिलेख, बैंकिंग विधि के सिद्धांतों और प्रथाओं, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निदेशों, अनुदेशों और दिशानिर्देशों और ऐसे अन्य कारक जो उनकी राय में शिकायत पर निर्णय लेने के लिए प्रासंगिक हैं, के आधार पर) एक अधिनिर्णय पारित कर सकता है (विशिष्ट प्रदर्शन के लिए विनियमित संस्था को निर्देशित करते हुए) या शिकायत को अस्वीकार कर सकता है (यदि यह पाया जाता है कि आरई प्रचलित मानदंडों और प्रथाओं का पालन कर रही है)। शिकायत का निष्कर्ष शिकायतकर्ता और आरई दोनों को सूचित किया जाता है।
उत्तर: हाँ, यह अनिवार्य है। यहां फॉर्म भरने के लिए अधिकृत व्यक्ति प्रस्तुत की गई जानकारी की जिम्मेदारी लेता है और सीआईएन नंबर सहित इसकी यथार्थता की घोषणा करता है। आईटीईएस सर्वेक्षण प्रश्नावली के भाग-ए से डी में भरे गए सभी विवरणों के लिए यह अंतिम जांच है।
उत्तर: ग्राहक को एटीएम/डबल्यूएलए में अपने लेनदेन सुरक्षित और प्रतिरक्षित रखने के लिए निम्नलिखित क्या करें और क्या न करें का अनुपालन करना चाहिए:
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ग्राहकों को अपने किसी भी एटीएम/डबल्यूएलए लेनदेन को पूरी गोपनीयता में करना चाहिए।
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एक समय में एटीएम/डबल्यूएलए किओस्क में केवल एक ही कार्ड धारक का प्रवेश/पहुँच होनी चाहिए।
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कार्ड धारक को अपना कार्ड कभी भी किसी को नहीं देना चाहिए।
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कार्ड के ऊपर पिन संख्या न लिखें।
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कार्ड धारक को अपना पिन किसी को भी नहीं बताना चाहिए।
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एटीएम में पिन संख्या दर्ज करते समय कभी भी किसी को अपना पिन नंबर नहीं देखने देना चाहिए ।
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कभी भी ऐसे पिन का प्रयोग न करें जिसका अनुमान आसानी से लगाया जा सके।
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एटीएम/डबल्यूएलए में कभी भी कार्ड न छोड़ें।
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कार्ड धारक को एटीएम/डबल्यूएलए लेनदेन संबंधी चेतावनी प्राप्त करने के लिए कार्ड जारी करने वाले बैंक में अपना मोबाइल नंबर पंजीकृत करवाना चाहिए। यदि खाते में कोई भी अनधिकृत कार्ड लेनदेन पाया जाता है तो इसकी सूचना तुरंत कार्ड जारी करने वाले बैंक को दी जानी चाहिए।
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कार्ड धारक एटीएम/डबल्यूएलए से जुड़े हुए किसी अतिरिक्त उपकरण से सावधान रहें। इनका उपयोग ग्राहक के आंकड़ों को धोखे से चुराने के लिए होता है। यदि इस प्रकार का कोई उपकरण पाया जाता है तो तुरंत सुरक्षा गार्ड/बैंक/इसे चलाने वाली व्हाइट लेबल कंपनी को इसके बारे में सूचित करें।
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एटीएम/डबल्यूएलए के आस-पास किसी संदिग्ध व्यक्ति के आने – जाने पर नज़र रखें। ग्राहक को ऐसे अपरिचित लोगों से सावधान रहना चाहिए जो कि उसे बातों में लगाना चाहते हैं अथवा एटीएम के संचालन में सहायता /मदद देने का प्रस्ताव करते हैं।
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कार्ड धारक इस बात को याद रखें कि बैंक अधिकारी फोन पर कभी भी आपके कार्ड का विवरण अथवा पिन नंबर नहीं पूछेंगे। अत: यदि कोई व्यक्ति यह दर्शाते हुए कि वह आपके बैंक से है और आपसे संपर्क करता है तो आप उसका प्रतिउत्तर न दें।
उत्तर. व्यक्तियों के लिए केवाईसी के आवधिक अद्यतन के तरीके निम्नानुसार हैं:
(ए) यह कार्य उस आरई की शाखा में किया जा सकता है जिसमें ग्राहक का खाता है, या उसी आरई की किसी अन्य शाखा में किया जा सकता है; या
(बी) आरई अपने साथ पंजीकृत ग्राहक के ईमेल-आईडी / मोबाइल नंबर, एटीएम, डिजिटल चैनल (जैसे ऑनलाइन बैंकिंग / इंटरनेट बैंकिंग, आरई का मोबाइल एप्लिकेशन), पत्र, आदि के माध्यम से स्व-घोषणा तब प्राप्त कर सकता है जब "केवाईसी जानकारी में कोई परिवर्तन नहीं है" हो और तब भी जब "केवल पते के विवरण में परिवर्तन है" हो। तथापि, घोषित पते को आरई द्वारा दो महीने के भीतर सकारात्मक पुष्टि के माध्यम से सत्यापित किया जाएगा; या
(सी) आधार ओटीपी आधारित नॉन-फेस-टू-फेस (अप्रत्यक्ष) मोड मे ई-केवाईसी और वी-सीआईपी ;
(डी) आरई के पास ग्राहक के केवाईसी रिकॉर्ड को, संबंधित ग्राहक हेतु सीकेवाईसीआर से प्राप्त अद्यतन जानकारी/अधिसूचना, यदि कोई हो, के आधार पर अद्यतन करने का भी अधिकार है।
Ans : No. There is no value limit on the amount of individual transactions that can be collected by ECS Debit.
ये अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा केवल सूचना और सामान्य मार्गदर्शन उद्देश्यों के लिए जारी किए जाते हैं। उसके आधार पर की गई कार्रवाई और / या लिए गए निर्णयों के लिए बैंक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। स्पष्टीकरण या व्याख्या के लिए, यदि कोई हो, तो बैंक द्वारा समय-समय पर जारी प्रासंगिक परिपत्रों और अधिसूचनाओं द्वारा निर्देशित हो सकते है।
- वर्तमान वित्तीय वर्ष के द्वितीय छमाही में रिटेल निवेशकों के लिए विशिष्ट शृंखला शुरू की गई थी (लगभग अक्तूबर 2013 के पास)
विभिन्न उपलब्ध मात्रात्मक शर्तें निम्नानुसार हैं:-
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नार्मल (सामान्य): बाई डिफाल्ट राशि की प्रकृति नार्मल होगी। किसी नार्मल आर्डर की आंशिक रूप से ट्रेडिंग की जा सकेगी।
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डिस्क्लोज्ड: डिस्क्लोज्ड राशि आर्डर राशि का वह अंश है जिसे उपयोगकर्ता मार्केट को बताना चाहता है। यह एक वैकल्पिक फील्ड है।
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ऑल या एनओएन (एओएन): इस विकल्प को चुनने से कोई प्रयोगकर्ता यह स्पष्ट करता है कि वह आर्डर को संपूर्ण रूप में ट्रेड करना चाहता है अर्थात् किसी प्रकार की आंशिक ट्रेडिंग की अनुमति नहीं होगी। यह एक वैकल्पिक फील्ड है।
विभिन्न उपलब्ध समय शर्तें निम्नानुसार है:-
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डे (दैनिक): इस शर्त के तहत आर्डर, ट्रेडिंग सेशन की वैधता के दौरान पूरे समय वैध रहेगा। यह सेशन के बंद होने के समय तक उपलब्ध रहेगा। बाई डिफाल्ट समय शर्त में दैनिक का विकल्प सेलेक्ट (चुना हुआ) रहता है।
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आईओसी( तत्काल या रद्द): यदि कोई उपयोगकर्ता चाहता है कि उसका आर्डर तत्काल ट्रेड हो जाय तो उसे आईओसी विकल्प चुनना होगा। इस शर्त के तहत आईओसी आर्डर दिए जाने पर आर्डर की तुरंत मैचिंग प्राप्त की जाती है और इसके मिलने पर ट्रेडिंग पूरी हो जाती है अन्यथा आईओसी आर्डर रद्द हो जाता है।
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जीटीटी (गूड टिल टाइम): यहाँ आर्डर देते समय यूज़र यह समय-सीमा बता सकेगा कि कब तक वह आर्डर वैध रहेगा और ट्रेड करने के लिए वह कब तक उपलब्ध होगा। ज्यों ही यूज़र द्वारा तय की गई आर्डर की समय-सीमा समाप्त हो जाती है त्यों ही वह आर्डर रद्द हो जाएगा।
उत्तर: आरबीआई की वेबसाइट /hi/web/rbi/faq-page-2?ddm__keyword__26256231__FaqDetailPage2Title_en_US=Legal Entity Identifier (LEI) for Large Value Transactions in Centralised Payment Systems पर "केंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों में बड़े मूल्य के लेनदेन के लिए कानूनी इकाई पहचानकर्ता (एलईआई)" पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न देखे जा सकते हैं।
उत्तर. उपहार पीपीआई की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
ए. ऐसे प्रत्येक पूर्वदत्त उपहार लिखत का अधिकतम मूल्य ₹10,000/- से अधिक नहीं होगा;
बी. ये पुनः लोड करने योग्य नहीं होंगे;
सी. कैश-आउट अथवा निधि अंतरण की अनुमति नहीं होगी। तथापि, पीपीआई धारक की सहमति प्राप्त करने के बाद निधि को 'स्रोत खाते को वापस' (वह खाता जहां से उपहार पीपीआई लोड किया गया था) अंतरित किया जा सकता है;
डी. पीपीआई धारक द्वारा अनुरोध किए जाने पर पुन: सत्यापित किया जाएगा (जिसमें नए लिखत जारी किए जाने के माध्यम से, शामिल है); तथा
ई. उपहार पीपीआई का उपयोग करने वाले लेनदेन के लिए प्रमाणीकरण का अतिरिक्त कारक (एएफए) / दो कारक प्रमाणीकरण (2एफए) अनिवार्य नहीं है।
उत्तर
बीएसबीडीए ग्राहकों को प्रदान की जाने वाली न्यूनतम सुविधाओं में चेक बुक सुविधा की परिकल्पना नहीं की जाती है। वे चेक बुक सुविधा सहित कोई भी अतिरिक्त सुविधा निःशुल्क प्रदान करने के लिए स्वतंत्र हैं (जिस स्थिति में खाता बीएसबीडीए रहता है) या अतिरिक्त सुविधाओं के लिए शुल्क (जिस स्थिति में खाता बीएसबीडीए नहीं है)।
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आवेदन आरबीआई की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। हालांकि, बैंक भी फॉर्म को प्रिंट करके और ग्राहकों को उपलब्ध करा सकता है।
उत्तर: निवासी भारतीयों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन एनआरआई/ पीआईओ को, जो निवासी भारतीय का करीबी रिश्तेदार(कंपनी अधीनियम, 2013 की धारा 2(77) में "रिश्तेदार" के रूप में परिभाषित) हैं, रेखांकित चेक/ इलैक्ट्रॉनिक अंतरण के माध्यम से ऋण देने की अनुमति है:-
(i) ऐसा ऋण ब्याज मुक्त होना चाहिए और ऋण की न्यूनतम परिपक्वता अवधि एक वर्ष हो।
(ii) ऋण की राशि निवासी व्यष्टि को उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत उपलब्ध प्रति वित्तीय वर्ष 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की समग्र सीमा के भीतर हो। यह सुनिश्चित करना उधारकर्ता की जिम्मेदारी होगी कि वित्तीय वर्ष के दौरान दिए जाने वाले ऋण की राशि 2 ,50,000 अमेरिकी डॉलर की एलआरएस की सीमा के भीतर है।
(iii) ऋण का उपयोग उधार लेने वाले की व्यक्तिगत आवश्यकताओं या भारत में अपने स्वयं के कारोबार के लिए किया जाए।
(iv) इस ऋण का उपयोग एकल रूप में अथवा किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिल के ऐसे कार्यों के लिए न किया जाए जिनमें भारत के बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा निवेश प्रतिबंधित है, जैसे : -
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चिट फंड का कारोबार, या
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निधि कंपनी, या
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कृषि या पौधा-रोपण गतिविधि या रियल इस्टेट कारोबार में, या फार्म हाउस का निर्माण, या
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अंतरणीय विकास प्राधिकार (टीडीआर) में ट्रेडिंग।
स्पष्टीकरण:- उक्त मद संख्या (ग) के लिए रियल इस्टेट कारोबार में टाउनशिप का विकास, आवासीय/ वाणिज्यिक परिसरों, सड़कों या पुलों का निर्माण शामिल नहीं होगा।
(v) ऋण राशि एनआरआई/ पीआईओ के एनआरओ खाते में क्रेडिट की जाए। क्रेडिट की गई ऋण की इस राशि को एनआरओ खाते में पात्र क्रेडिट समझा जाए;
(vi) ऋण राशि भारत से बाहर विप्रेषित न की जाए।
(vii) इस ऋण की चुकौती सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से आवक विप्रेषण के रूप में की जाए या उधारकर्ता के अनिवासी साधारण (एनआरओ)/ अनिवसी बाह्य (एनआरई)/ विदेशी मुद्रा अनिवासी (एफसीएनआर) खाते में से डेबिट करके किया जाए या जिन शेयरों या प्रतिभूतियों या अचल संपत्तियों की ज़मानत पर यह ऋण प्रदान किया गया था उनकी बिक्री से प्राप्त आय से चुकौती की जाए।
उत्तर: संस्था को अंतिम प्रसंस्करण के समय प्रस्तुत किए गए आईटीईएस डेटा का सिस्टम जनित पावती मेल प्राप्त होता है। इस संबंध में अलग से कोई मेल नहीं भेजा जाएगा।
उत्तर: ई₹-डब्ल्यू के वर्तमान में दो सक्रिय उपयोग के मामले हैं, (i) सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन के फंड निपटान और (ii) कॉल मनी मार्केट में अंतर-बैंक ऋण और उधार का निपटान। केंद्रीय बैंक की मुद्रा में निपटान से निपटान जोखिम को घटाने, निपटान गारंटी ढांचे या संपार्श्विक की आवश्यकता को कम करने तथा ई₹-डब्ल्यू की प्रोग्रामेबिलिटी और स्मार्ट अनुबंध क्षमताओं का लाभ उठाकर लेनदेन लागत में कमी आने की अपेक्षा है।
बीएसबीडीए ग्राहकों को उपलब्ध करायी जा रही न्यूनतम सुविधाओं में चेक बुक सुविधा की परिकल्पना बीएसबीडीए में नहीं की गई। बैंक नि:शुल्क चेक बुक सुविधा सहित कोई भी अतिरिक्त सुविधा (जिस मामले में खाता बीएसबीडीए बना रहता है) या अतिरिक्त सुविधाओं के लिए प्रभार लगाने (जिस मामले में खाता बीएसबीडीए नहीं होता है) के लिए स्वतंत्र हैं।
हां, आरबीआई ओम्बड्समैन कार्यालय से परामर्श और आरबीआई ओम्बड्समैन कार्यालय द्वारा दी गई आवश्यकता के अधीन सुलह बैठक आरबीआई की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा के माध्यम से वर्चुअल रूप से आयोजित की जा सकती है, जिसके लिए निकटतम आरबीआई कार्यालय, या संबंधित बैंक की किसी भी नजदीकी शाखा में जाना पड़ सकता है या वेबएक्स आदि जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से आयोजित की जा सकती है। ऑडियो कॉन्फ्रेंस कॉल भी संभव है।
उत्तर. केवाईसी दस्तावेजों की अपेक्षा केवाईसी के आवधिक अद्यतनीकरण के लिए उपयोग किए जाने वाले तरीकों पर निर्भर करती है, जैसा कि ऊपर प्रश्न 24 के उत्तर में विस्तृत रूप से उल्लेख किया गया है।
(ए) केवाईसी जानकारी में परिवर्तन के मामले में, ग्राहक को उपर्युक्त प्रश्न 5 के उत्तर में उल्लिखित दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे।
(बी) केवाईसी जानकारी में कोई परिवर्तन न होने की स्थिति में, ग्राहक स्व-घोषणा प्रस्तुत कर सकता है। इसी प्रकार, केवल पते में परिवर्तन होने की स्थिति में भी ग्राहक द्वारा आरई को स्व-घोषणा प्रस्तुत की जा सकती है, जैसा कि ऊपर प्रश्न 24 के उत्तर में विस्तृत रूप से उल्लेख किया गया है।
(सी) नॉन-फेस-टू-फेस मोड में आधार ओटीपी-आधारित ई-केवाईसी प्रमाणीकरण सुविधा के मामले में, ग्राहक वर्तमान पते की घोषणा प्रदान कर सकता है, भले ही वर्तमान पता आधार डेटाबेस में पते से अलग हो। तथापि, आरई को यह सुनिश्चित करना होगा कि आधार प्रमाणीकरण के लिए मोबाइल नंबर वही हो जो ग्राहक की प्रोफाइल में उपलब्ध है, ताकि किसी भी धोखाधड़ी को रोका जा सके।
(डी) री-केवाईसी पूरा करने के लिए वी-सीआईपी के उपयोग के मामले में, अपेक्षाएं केवाईसी पर मास्टर निदेश के पैराग्राफ 18 के अनुसार होंगी, जिसमें (i) नॉन-फेस-टू-फेस मोड में आधार ओटीपी आधारित ई-केवाईसी प्रमाणीकरण; (ii) आधार का ऑफ़लाइन सत्यापन; (iii) सीकेवाईसीआर से डाउनलोड किए गए केवाईसी रिकॉर्ड; और (iv) डिजीलॉकर के माध्यम से जारी किए गए दस्तावेजों सहित समतुल्य ई-दस्तावेज का उपयोग करके पहचान और सत्यापन शामिल है।
टीआरईडीएस का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक बिल फैक्टरिंग एक्सचेंज निर्मित करना है जो इलेक्ट्रॉनिक रूप से बिलों को स्वीकार और भुगतान करें ताकि एमएसएमई बिना देरी के अपनी प्राप्तियों को भुना सकें। यह न केवल उन्हें वित्त तक अधिक पहुंच प्रदान करेगा बल्कि कॉरपोरेट्स को उनके बकाए का समय पर भुगतान करने के लिए उन्हें और अधिक अनुशासित भी बनाएगा। अधिक जानकारी के लिए आप https://rbi.org.in/hi/web/rbi/-/notifications/guidelines-for-the-trade-receivables-discounting-system-treds-lt-a-gt-12404 पर टीआरईडीएस की स्थापना और संचालन के लिए रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों को देख सकते हैं।
Ans : The Reserve Bank of India has deregulated the charges to be levied by sponsor banks from user institutions. The sponsor banks are, however, required to disclose the charges in a transparent manner. With effect from 1st July 2011, originating banks are required to pay a nominal charge of 25 paise and 50 paise per transaction to the Clearing house and destination bank respectively. Bank branches do not generally levy processing / service charges for debiting the accounts of customers maintained with them.