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फ़र॰ 21, 2012
आयात के लिए विदेशी मुद्रा जारी करना – और उदारीकरण
भारिबैंक/2011-12/404ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 82 21 फरवरी 2012 विदेशी मुद्रा का कारोबार करने वाले सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, आयात के लिए विदेशी मुद्रा जारी करना – और उदारीकरण विदेशी मुद्रा का कारोबार करने वाले सभी प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 19 जून 2003 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 106 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार भारत में आयात के लिए व्यक्तियों, फर्मों तथा कंपनियों द्वारा 500 अमरीकी डॉलर से अधिक अथवा उसकी समतुल्य राशि के भुगतान क
भारिबैंक/2011-12/404ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 82 21 फरवरी 2012 विदेशी मुद्रा का कारोबार करने वाले सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, आयात के लिए विदेशी मुद्रा जारी करना – और उदारीकरण विदेशी मुद्रा का कारोबार करने वाले सभी प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 19 जून 2003 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 106 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार भारत में आयात के लिए व्यक्तियों, फर्मों तथा कंपनियों द्वारा 500 अमरीकी डॉलर से अधिक अथवा उसकी समतुल्य राशि के भुगतान क
फ़र॰ 21, 2012
माल और सेवाओं का निर्यात – एक वर्ष से ऊपर (विनिर्माण एवं पोत लदान) वाले पोत लदान संबंधी माल के निर्यात के लिए अग्रिम भुगतान की प्राप्ति
भारिबैंक/2011-12/403ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 81 21 फरवरी 2012 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, माल और सेवाओं का निर्यात – एक वर्ष से ऊपर (विनिर्माण एवं पोत लदान) वाले पोत लदान संबंधी माल के निर्यात के लिए अग्रिम भुगतान की प्राप्ति प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 23/आरबी-2000 के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000 के विनियम 16 के उप-व
भारिबैंक/2011-12/403ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 81 21 फरवरी 2012 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, माल और सेवाओं का निर्यात – एक वर्ष से ऊपर (विनिर्माण एवं पोत लदान) वाले पोत लदान संबंधी माल के निर्यात के लिए अग्रिम भुगतान की प्राप्ति प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 23/आरबी-2000 के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000 के विनियम 16 के उप-व
फ़र॰ 15, 2012
धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने संबंधी मानक - मुद्रा परिवर्तन संबंधी गतिविधियां
भारिबैंक/2011-12/397 ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.77 15 फरवरी 2012 सभी प्राधिकृत व्यक्ति महोदया/महोदय, धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने संबंधी मानक - मुद्रा परिवर्तन संबंधी गतिविधियां प्राधिकृत व्यक्तियों का ध्यान 19 सितंबर 2011 के ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.21 और 23 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जो कतिपय क्षेत्राधिकारों के एएमएल/सीएफटी व्यवस्था में कमियों के कारण उत्पन्न जोखिमों के संबंध में थे । 2. वित्तीय कार्रवाई टास्क
भारिबैंक/2011-12/397 ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.77 15 फरवरी 2012 सभी प्राधिकृत व्यक्ति महोदया/महोदय, धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने संबंधी मानक - मुद्रा परिवर्तन संबंधी गतिविधियां प्राधिकृत व्यक्तियों का ध्यान 19 सितंबर 2011 के ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.21 और 23 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जो कतिपय क्षेत्राधिकारों के एएमएल/सीएफटी व्यवस्था में कमियों के कारण उत्पन्न जोखिमों के संबंध में थे । 2. वित्तीय कार्रवाई टास्क
फ़र॰ 15, 2012
धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने संबंधी मानक - मुद्रा अंतरण सेवा योजना के तहत सीमापार (क्रास बॉर्डर) से आवक धनप्रेषण
भारिबैंक/2011-12/398 ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.78 15 फरवरी 2012 सभी प्राधिकृत व्यक्ति, जो मुद्रा अंतरण सेवा योजना के तहत भारतीय एजेंट हैं महोदया/महोदय, धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने संबंधी मानक - मुद्रा अंतरण सेवा योजना के तहत सीमापार (क्रास बॉर्डर) से आवक धनप्रेषण प्राधिकृत व्यक्तियों का ध्यान 19 सितंबर 2011 के ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.22 और 24 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जो कतिपय क्षेत्राधिकारों के एएमएल/सीएफटी
भारिबैंक/2011-12/398 ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.78 15 फरवरी 2012 सभी प्राधिकृत व्यक्ति, जो मुद्रा अंतरण सेवा योजना के तहत भारतीय एजेंट हैं महोदया/महोदय, धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने संबंधी मानक - मुद्रा अंतरण सेवा योजना के तहत सीमापार (क्रास बॉर्डर) से आवक धनप्रेषण प्राधिकृत व्यक्तियों का ध्यान 19 सितंबर 2011 के ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.22 और 24 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जो कतिपय क्षेत्राधिकारों के एएमएल/सीएफटी
फ़र॰ 15, 2012
स्पष्टीकरण – भारत में अचल संपत्ति की खरीद – रिपोर्टिंग अपेक्षाएँ
भारिबैंक/2011-12/399ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 79 15 फरवरी 2012 विदेशी मुद्रा में कार्यरत सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, स्पष्टीकरण – भारत में अचल संपत्ति की खरीद –रिपोर्टिंग अपेक्षाएँ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 21/2000-आरबी अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण) विनियमावली, 2000 के विनियम 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है। उपर्युक्त विनियम के अनुसार, जब भार
भारिबैंक/2011-12/399ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 79 15 फरवरी 2012 विदेशी मुद्रा में कार्यरत सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, स्पष्टीकरण – भारत में अचल संपत्ति की खरीद –रिपोर्टिंग अपेक्षाएँ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 21/2000-आरबी अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण) विनियमावली, 2000 के विनियम 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है। उपर्युक्त विनियम के अनुसार, जब भार
फ़र॰ 15, 2012
माल और सेवाओं का निर्यात – सॉफ्टेक्स क्रियाविधि का सरलीकरण और पुनरीक्षण (संशोधन)
भारिबैंक/2011-12/400ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 80 15 फरवरी 2012 विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, माल और सेवाओं का निर्यात – सॉफ्टेक्स क्रियाविधि का सरलीकरण और पुनरीक्षण (संशोधन) प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 2 फरवरी 2001 की अधिसूचना सं. फेमा. 36/2001-आरबी द्वारा यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 23/2000-आरबी अर्थात् विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000 के विनियम 6 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार भ
भारिबैंक/2011-12/400ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 80 15 फरवरी 2012 विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, माल और सेवाओं का निर्यात – सॉफ्टेक्स क्रियाविधि का सरलीकरण और पुनरीक्षण (संशोधन) प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 2 फरवरी 2001 की अधिसूचना सं. फेमा. 36/2001-आरबी द्वारा यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 23/2000-आरबी अर्थात् विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000 के विनियम 6 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार भ
फ़र॰ 09, 2012
स्पष्टीकरण – विदेशी संस्थाओं (एंटिटीज़) द्वारा भारत में परियोजना कार्यालयों की स्थापना – सामान्य अनुमति
भारिबैंक/2011-12/392ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 76 09 फरवरी 2012 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, स्पष्टीकरण – विदेशी संस्थाओं (एंटिटीज़) द्वारा भारत में परियोजना कार्यालयों की स्थापना – सामान्य अनुमति प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (प्रा.व्या. श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचनासं.फेमा 22/2000-आरबी अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में किसी शाखा अथवा कार्यालय अथवा कारोबार की अन्य जगह स्थापित करना) विनियमावली, 20
भारिबैंक/2011-12/392ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 76 09 फरवरी 2012 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, स्पष्टीकरण – विदेशी संस्थाओं (एंटिटीज़) द्वारा भारत में परियोजना कार्यालयों की स्थापना – सामान्य अनुमति प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (प्रा.व्या. श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचनासं.फेमा 22/2000-आरबी अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में किसी शाखा अथवा कार्यालय अथवा कारोबार की अन्य जगह स्थापित करना) विनियमावली, 20
फ़र॰ 07, 2012
बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) - क्रियाविधि को सरल बनाना
भारिबैंक/2011-12/390ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 75 07 फरवरी 2012 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक महोदया/महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) - क्रियाविधि को सरल बनाना प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और उधार देना) विनियमावली, 2000, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) से संबंधित, समय-समय पर यथा संशोधित, 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र
भारिबैंक/2011-12/390ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 75 07 फरवरी 2012 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक महोदया/महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) - क्रियाविधि को सरल बनाना प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और उधार देना) विनियमावली, 2000, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) से संबंधित, समय-समय पर यथा संशोधित, 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र
फ़र॰ 01, 2012
भारत सरकार और पूर्ववर्ती यूएसएसआर के बीच 30 अप्रैल 1981 तथा 23 दिसंबर 1985 के आस्थगित भुगतान (राजकीय) व्यापार समझौते
भारिबैंक/2011-12/380ए.पी.(डीआईआर सीरीज)परिपत्र सं.74 01 फरवरी 2012 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, भारत सरकार और पूर्ववर्ती यूएसएसआर के बीच 30 अप्रैल 1981 तथा 23 दिसंबर 1985 के आस्थगित भुगतान (राजकीय) व्यापार समझौते प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (ए.डी. श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान 8 दिसंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.54 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसमें विशेष करेंसी बास्केट के तहत 28 नवंबर 2011 से रुपया का मूल्य 73.923372 नियत किया गया था। 2.
भारिबैंक/2011-12/380ए.पी.(डीआईआर सीरीज)परिपत्र सं.74 01 फरवरी 2012 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, भारत सरकार और पूर्ववर्ती यूएसएसआर के बीच 30 अप्रैल 1981 तथा 23 दिसंबर 1985 के आस्थगित भुगतान (राजकीय) व्यापार समझौते प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (ए.डी. श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान 8 दिसंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.54 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसमें विशेष करेंसी बास्केट के तहत 28 नवंबर 2011 से रुपया का मूल्य 73.923372 नियत किया गया था। 2.
जन॰ 31, 2012
डायमंड डॉलर खाते (डीडीएएस) खोलना
भारिबैंक/2011-12/378 ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 73 31 जनवरी 2012 सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, डायमंड डॉलर खाते (डीडीएएस) खोलना प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । (ए.डी. श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान 13 फरवरी 2009 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 51 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके जरिये प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को कतिपय शर्तों के अधीन पात्र फर्मों और कंपनियों द्वारा डायमंड डॉलर खाते (डीडीएएस) खोलने तथा बनाये रखने के लिए अधिकार प्रत्या
भारिबैंक/2011-12/378 ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 73 31 जनवरी 2012 सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, डायमंड डॉलर खाते (डीडीएएस) खोलना प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । (ए.डी. श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान 13 फरवरी 2009 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 51 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके जरिये प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को कतिपय शर्तों के अधीन पात्र फर्मों और कंपनियों द्वारा डायमंड डॉलर खाते (डीडीएएस) खोलने तथा बनाये रखने के लिए अधिकार प्रत्या

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