दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई - एनयूएलएम) - आरबीआई - Reserve Bank of India
दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई - एनयूएलएम)
भारिबैं/2018-19/89 06 दिसंबर 2018 अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय / महोदया दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई - एनयूएलएम) भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर बैंकों को भारत सरकार के राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम) के बारे में परिचालनात्मक अनुदेश जारी किए हैं। डीएवाई-एनयूएलएम के अंतर्गत स्व-रोजगार कार्यक्रम (एसईपी) के संबंध में भारत सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा इसके दिशानिर्देशों को संशोधित किया गया है। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा किए गए संशोधनों को समाहित करते हुए यह संशोधित मास्टर परिपत्र जारी किया जा रहा है तथा इसे रिज़र्व बैंक के वेबसाइट /en/web/rbi पर भी डाला गया है। भवदीया, (सोनाली सेन गुप्ता) अनुलग्नक : यथोक्त मास्टर परिपत्र - दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई - एनयूएलएम) पृष्ठभूमि भारत सरकार, आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय (एमओएचयूपीए) ने 2013 में मौजूदा स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई) की पुनर्संरचना की है और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) शुरू किया है। एनयूएलएम सभी जिला मुख्यालयों (चाहे जनसंख्या कोई भी हो) और एक लाख या उससे अधिक की जनसंख्या वाले सभी शहरों में 24 सितंबर 2013 से कार्यान्वयनाधीन है। एनयूएलएम का स्वरोजगार कार्यक्रम (एसईपी), वैयक्तिक और सामूहिक उद्यमों तथा शहरी गरीबों के स्व-सहायता समूहों (एसएचजी) की स्थापना को समर्थन देने के लिए ऋणों पर ब्याज सब्सिडी के प्रावधान के माध्यम से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित करता है। एसजेएसआरवाई के यूएसईपी (शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम) और यूडब्ल्यूएसपी (शहरी महिला स्व-सहायता कार्यक्रम) के लिए वर्तमान के पूंजी सब्सिडी के प्रावधान के स्थान पर व्यक्तिगत उद्यम (एसईपी-I), सामूहिक उद्यम (एसईपी-जी) और स्वयं सहायता समूह (एसईपी-एसएचजी) के ऋणों पर ब्याज सब्सिडी दी जाएगी। शहरी क्षेत्रों में गरीबों के लिए आजीविका के अवसरों में सुधार लाने की दृष्टि से आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय (यूपीए प्रभाग), भारत सरकार ने अपने दिनांक 19 फरवरी 2016 के कार्यालय ज्ञापन संख्या के-14011/2/2012-यूपीए/एफटीएस-5196 द्वारा राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की व्याप्ति बढ़ाने का निर्णय लिया है। मिशन की व्याप्ति बढ़ाते हुए उसका “दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई - एनयूएलएम)” के रूप में पुन: नामकरण किया गया है। डीएवाई - एनयूएलएम के घटक स्वरोजगार कार्यक्रम (एसईपी) के परिचालनात्मक दिशानिर्देश निम्नानुसार हैं : 1. प्रस्तावना : 1.1 एसईपी, शहरी गरीबों को उनके कौशल, प्रशिक्षण, योग्यता और स्थानिक स्थितियों के अनुकूल लाभप्रद स्वरोजगार उद्यमों / माइक्रो उद्यमों की स्थापना के लिए सड़क विक्रेता/ फेरीवालों सहित व्यक्ति / समूह को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। यह कार्यक्रम शहरी गरीबों के स्व-सहायता समूहों (एसएचजी) को बैंकों से आसानी से ऋण प्राप्त करने एवं एसएचजी ऋणों पर ब्याज सब्सिडी प्राप्त करने में सहायता करता है। एसईपी, माइक्रो उद्यमों में लगे हुए लाभार्थियों को अपनी आजीविका के लिए प्रौद्योगिकीय, विपणन और अन्य समर्थक सेवाएं देने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा तथा उद्यमकर्ताओं की कार्यशील पूंजी आवश्यकता के लिए क्रेडिट कार्ड जारी करने को भी सुगम बनाएगा। 1.2 अल्प रोजगार और बेरोजगार वाले शहरी गरीब को ऐसे विनिर्माण, सेवा और छोटा-मोटा कारोबार के लघु उद्यम स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा जिनके लिए काफी स्थानीय मांग हो। स्थानीय कौशल और स्थानीय कारीगरी को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। प्रत्येक शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) को चाहिए कि वह उपलब्ध कौशल, उत्पादों की विपणन क्षमता, लागत, आर्थिक संभाव्यता आदि को ध्यान में रखते हुए ऐसे कार्यकलापों / परियोजनाओं का संग्रह विकसित करें। 1.3 एसईपी के अंतर्गत महिला लाभार्थियों का प्रतिशत 30 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए। एससी और एसटी लाभार्थियों की संख्या कम से कम शहर / नगर में गरीबों की जनसंख्या में उनके अनुपात की सीमा तक होने चाहिए। इस कार्यक्रम के अंतर्गत कमजोर व्यक्तियों (डिफरेंटली एबल) के लिए 3 प्रतिशत के आरक्षण का विशेष प्रावधान किया जाना चाहिए। अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री के 15 सूत्रीय कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए, इस घटक के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदायों के लिए भौतिक और वित्तीय लक्ष्यों का कम से कम 15 प्रतिशत निश्चित किया जाना चाहिए। 2. लाभार्थी का चयन तथा आवेदनों को प्रायोजित करने की क्रियाविधि: शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) से समुदाय संघटक (सीओ) और व्यावसायिक शहरी गरीबों में से संभाव्य लाभार्थी का अभिनिर्धारण करेंगे। डीएवाई-एनयूएलएम के घटक अर्थात सामाजिक संग्रहण और संस्थागत विकास (एसएमएण्डआईडी) के अंतर्गत गठित समुदाय अर्थात स्व-सहायता समूह (एसएचजी) और क्षेत्र स्तरीय परिसंघ (एएलएफ) भी यूएलबी को एसईपी के अंतर्गत वित्तीय सहायता के प्रयोजन हेतु संभाव्य व्यक्ति और समूह उद्यमकर्ताओं को भेज सकते हैं। लाभार्थी सहायता के लिए सीधे ही यूएलबी अथवा उसके प्रतिनिधियों से संपर्क कर सकता है। बैंक भी अपने स्तर पर संभाव्य लाभार्थियों का अभिनिर्धारण कर सकते हैं और ऐसे मामले सीधे ही यूएलबी को भेज सकते हैं। बैंक आउटरिच को बढ़ाने हेतु अपने सूचीबद्ध व्यवसाय प्रतिनिधियों और व्यवसाय सुलभकर्ताओं का उपयोग कर सकते हैं। इस संबंध में, बैंक की नीति के अनुसार समुचित सावधानी बरती जाए। 2.1 वैयक्तिक और सामूहिक उद्यम ऋणों के आवेदन शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) द्वारा प्रायोजित किए जाएंगे जो वैयक्तिक और सामूहिक उद्यम के लिए प्रायोजक एजेंसी होगी। 2.2 यूएलबी वृहद स्तर पर, अभियान, सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) गतिविधियों, स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन, शहरी आजीविका केंद्र (सीएलसी), आदि के द्वारा संभाव्य लाभार्थियों में एसईपी के बारे में जागरूकता फैलायेंगे। यूएलबी संसाधन संगठनों और उसके क्षेत्रीय स्टाफ को सक्रिय रूप से शामिल करते हुए इस घटक के संबंध में सूचना का प्रसार भी कर सकता है। 2.3 उद्यम स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के इच्छुक लाभार्थी इस प्रयोजन का आवेदन एक सादे पेपर पर मूलभूत ब्योरे जैसे नाम, आयु, संपर्क के ब्योरे, पता, आधार के ब्योरे (यदि कोई हो), अपेक्षित ऋण की राशि, बैंक खाता संख्या (यदि उपलब्ध हो), उद्यम / कार्यकलाप का प्रकार, संवर्ग, आदि देते हुए संबंधित यूएलबी अधिकारी को प्रस्तुत कर सकते हैं। प्रयोजन मेल / डाक द्वारा भी यूएलबी कार्यालय को भेजा जा सकता है। यूएलबी वर्षभर में ऐसे प्रयोजन प्राप्त करेगा। 2.4 एनयूएलएम के घटक, सामाजिक संग्रहण और संस्थात्मक विकास (एसएमएण्डआईडी) के अंतर्गत गठित समुदाय संरचना अर्थात स्व-सहायता समूह (एसएचजी / क्षेत्र स्तरीय परिसंघ (एएलएफ) भी एसईपी के अंतर्गत वित्तीय सहायता के प्रयोजन हेतु संभाव्य वैयक्तिक और सामूहिक उद्यमकर्ताओं को यूएलबी के पास भेज सकते हैं। 2.5 लाभार्थी से प्रयोजन की प्रस्तुती / प्राप्ति पर संबंधित यूएलबी रजिस्टर / या एमआईएस, यदि उपलब्ध हो, में ब्योरों की प्रविष्टि करेगा और इस कारण से लाभार्थियों की प्रतीक्षा सूची तैयार करेगा। यूएलबी लाभार्थी को ऐसी विशिष्ट पंजीकरण संख्या के साथ प्राप्त सूचना जारी करेगा, जिसका प्रयोग आवेदन की स्थिति का ट्रैक रखने के लिए संदर्भ संख्या के रूप में किया जा सकेगा। 2.6 यूएलबी ऋण आवेदन फार्म (एलएएफ) भरने, कार्यकलाप के ब्योरे, पहचान प्रमाण, पते का प्रमाण, बैंक खाते के ब्योरे आदि सहित आवश्यक दस्तावेजीकरण पूर्ण करने के लिए प्रतीक्षा सूची के अनुसार लाभार्थियों को बुलाएगा। लाभार्थियों की पहचान को सत्यापित करने हेतु उनके आधार संख्या को भी रिकार्ड में लाया जाए। यदि, लाभार्थी के पास आधार संख्या न हो तो उनके किसी अन्य विशिष्ट पहचान दस्तावेज़ जैसे की वॉटर कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि लिया जाएगा तथा उन्हें जल्द से जल्द आधार कार्ड प्राप्त करने में सहायता प्रदान की जाएगी। राज्य शहरी आजीविका मिशन (एसयूएलएम), राज्य स्तरीय बैंकर समिति (एसएलबीसी) संयोजक बैंक के साथ परामर्श से उपयुक्त फार्मेट में ऋण आवेदन फार्म (एलएएफ) विकसित कर सकता है। राज्यभर/केंशाप्र में उसी एलएएफ का उपयोग किया जा सकता है। ऋण आवेदन फार्म (एलएएफ) में लाभार्थी और उनके परिवार से संबंधित बुनियादी आर्थिक स्थित की जानकारी शामिल होगी। यह डाटा ऐसा होना चाहिए कि इसके उपयोग से बाद के दिनों में लाभार्थी के आर्थिक स्थिति पर पड़ने वाले इसके लाभ के प्रभाव का विश्लेषण किया जा सके। 2.7 यूएलबी स्तर पर गठित टास्क फोर्स अनुभव, कौशल, गतिविधियों की व्यवहार्यता, गतिविधियों की व्यापकता, आदि के आधार पर आवेदनों की छानबीन करेंगे। तदनंतर, टास्क फोर्स आवेदनों की संक्षिप्त सूची तैयार करेगा और आवेदन के लिए सिफारिश करने अथवा उसे अस्वीकार करने से पहले साक्षात्कार हेतु लाभार्थियों को बुलाएगा अथवा यदि आवश्यक हो तो आवेदक से अतिरिक्त जानकारी की मांग करेगा। 2.8 यूएलबी का मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) / नगरपालिका आयुक्त टास्क फोर्स के गठन के लिए जिम्मेदार होगा और वह टास्क फोर्स का अध्यक्ष होगा। यूएलबी के आकार / जनसंख्या के अनुसार यूएलबी के स्तर पर 1 से अधिक टास्क फोर्स हो सकते हैं। 2.9 टास्क फोर्स की निदर्शी संरचना निम्नानुसार होगी :
2.10 बाद में टास्क फोर्स मामला–दर-मामला आधार पर आवेदन यथोचित पाने पर सिफारिश करेगा, यदि अनुचित हो तो अस्वीकार करेगा अथवा लाभार्थी से पुन: जांच करने हेतु आवश्यक जानकारी प्रस्तुत करने के लिए कहेगा। 2.11 कार्य बल (टास्क फोर्स) द्वारा विधिवत सिफारिश किए गए मामलों को आगे की कार्रवाई के लिए यूएलबी द्वारा संबंधित बैंकों को अग्रसारित किया जाएगा। 'टास्क फोर्स' द्वारा सिफारिश किए गए ऐसे मामलों पर संबंधित बैंकों को 15 दिनों की समयावधि में कार्रवाई करनी होगी। चूंकि ऐसे मामलों की सिफारिश पहले ही 'टास्क फोर्स' द्वारा की गई है, इसलिए बैंकों द्वारा केवल अपवादात्मक परिस्थितियों में ही इन्हें अस्वीकार किया जाना चाहिए। 2.12 बैंक यूएलबी को प्राप्त आवेदनों की स्थिति पर आवधिक रिपोर्ट भेजेंगे। एमआईएस का प्रयोग किए जाने की स्थिति में बैंकों को दस्ती रिपोर्ट (मैनुअल रिपोर्ट) के अलावा ऑन-लाइन आवेदनों की अद्यतन स्थिति देने की अनुमति दी जा सकती है। 2.13 बैंक शहरी गरीब लाभार्थियों के ऋण आवेदन को, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) या इस प्रकार के किसी अन्य योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार यूएलबी से पूर्व प्रायोजन मिलने की आवश्यकता के बिना ही, संबंधित कागजातों के आधार पर सीधे ही प्राप्त कर सकते हैं। बैंक, डीएवाई - एनयूएलएम के अंतर्गत ब्याज सब्सिडी के लिए पात्रता की पुष्टि हेतु ऐसे स्वीकृत ऋणों की जानकारी यूएलबी को भेजेंगे। आवेदनों की जांच हेतु गठित टास्क फोर्स इन आवेदनों का निपटारा शीघ्रताशीघ्र करेंगे यदि वो मानदंडों को पूरा करते हैं। उनके पात्रता की पुष्टि होने पर, यूएलबी द्वारा प्रायोजित लाभार्थियों के लिए ब्याज सब्सिडी दावे के आधार पर, यूएलबी से ब्याज सब्सिडी से संबंधित दावा किया जा सकता है। ब्याज सब्सिडी सीधे लाभार्थी के डीएवाई - एनयूएलएम ऋण खाते में जमा अंतरित किया जाएगा। यह क्रियाविधि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के अनुरूप होगी। 3. शैक्षणिक अर्हताएं और प्रशिक्षण आवश्यकता: इस घटक के अंतर्गत संभाव्य लाभार्थी के लिए कोई न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता आवश्यक नहीं है। तथापि जहां माइक्रो उद्यम विकास के लिए अभिनिर्धारित कार्यकलाप के लिए कुछ विशेष कौशल आवश्यक हो वहां लाभार्थी को वित्तीय सहायता देने से पहले उन्हें यथोचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। 3.1 कौशल प्रशिक्षण और नियोजन के माध्यम से रोजगार (ईएसटीएण्डपी): संभाव्य लाभार्थी को प्रस्तावित माइक्रो उद्यम चलाने के लिए आवश्यक कौशल प्राप्त करने के बाद ही वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए। यदि लाभार्थी ने पहले ही ज्ञात संस्था, पंजीकृत एनजीओ / स्वैच्छिक संगठन से प्रशिक्षण लिया है अथवा किसी सरकारी योजना के अंतर्गत प्रशिक्षित है तो उसे ऐसा प्रशिक्षण देने की आवश्यकता नहीं होगी बशर्ते वह आवश्यक प्रमाणपत्र प्रस्तुत करता है। यदि लाभार्थी ने पारिवारिक व्यवसाय से आवश्यक कौशल प्राप्त किए हैं तो वित्तीय सहायता देने से पहले ऐसे मामलों को यूएलबी द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए। 3.2 उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) : यूएलबी, लाभार्थियों को कौशल प्रशिक्षण देने के अलावा व्यक्तिगत और सामूहिक उद्यमकर्ताओं के लिए 3-7 दिन का उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम भी आयोजित करेगा। ईडीपी में उद्यमशीलता विकास के मूलभूत कौशल जैसे उद्यम का प्रबंधन, मूलभूत लेखाकरण, वित्तीय प्रबंधन, विपणन, उत्पादन-पूर्व और उत्पादनतोत्तर सहलग्नता, कानूनी क्रियाविधियां, लागत निर्धारण और राजस्व आदि शामिल किए जाएंगे। सामूहिक उद्यमों में उपर्युक्त विषयों के अतिरिक्त मॉड्यूल में समूह की सक्रियता, काम का आवंटन, लाभ में हिस्सेदारी तंत्र आदि भी समाविष्ट होगा। 3.3 ईडीपी मॉड्यूल को राज्य मिशन प्रबंध इकाई (एसएमएमयू) द्वारा पैनलबद्ध संस्था / एजेंसी अथवा सलाहकार फर्म की सहायता से समर्थित राज्य शहरी आजीविका मिशन (एसयूएलएम) द्वारा विकसित पूर्णत: निश्चित किया जाना चाहिए और यूएलबी द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते समय उसका उपयोग किया जाना चाहिए। ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थाओं (आरएसईटीआई), उद्यमशीलता विकास / प्रशिक्षण का कार्य करने वाली प्रतिष्ठित संस्थाओं, प्रबंधन / शैक्षणिक संस्थाओं, प्रतिष्ठित एनजीओ जो उद्यमशीलता विकास / प्रशिक्षण का कार्य करते हैं आदि जैसी संस्थाओं के माध्यम से यह ईडीपी प्रशिक्षण आयोजित किया जा सकता है। 3.4 व्यक्तिगत और सामूहिक उद्यमकर्ताओं को अनुवर्ती उद्यमी सहायता: व्यक्तिगत और सामूहिक उद्यमकर्ताओं को सहायता प्रदान करने के उपरांत, जब भी आवश्यकता हो यूएलबी अनुवर्ती उद्यमी विकास कार्यक्रम (ईडीपी) का आयोजन करेंगे। इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन अधिमानतः छः महीने में एक बार ऐसे प्रत्येक लाभार्थी हेतु किया जाए जिन्हें ऋण दिया गया है। अनुवर्ती ईडीपी के दौरान, लाभार्थी द्वारा सामना किए जा रहे समस्याओं और मुद्दों पर चर्चा की जाए और समाधान के बारे में बताया जाए। 4. वित्तीय सहायता का स्वरूप : शहरी गरीब को वैयक्तिक और सामूहिक उद्यम स्थापित करने के लिए उपलब्ध वित्तीय सहायता बैंक ऋणों पर ब्याज सब्सिडी के रूप में होगी। वैयक्तिक अथवा सामूहिक उद्यमों को स्थापित करने के लिए बैंक ऋण पर 7 प्रतिशत की ब्याज दर से अधिक पर ब्याज सब्सिडी उपलब्ध होगी। डीएवाई - एनयूएलएम के अंतर्गत बैंकों को 7 प्रतिशत वार्षिक और ब्याज की प्रभारित दर के बीच के अंतर की राशि उपलब्ध की जाएगी। ब्याज सब्सिडी केवल ऋण की समय पर चुकौती किए जाने वाले मामले में दी जाएगी। इस संबंध में बैंकों से यथोचित प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाएगा। समय पर ऋण की चुकौती करने पर सभी महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को 3 प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज सबवेंशन उपलब्ध कराया जाएगा। ब्याज सबवेंशन, समय पर ऋण की चुकौती (ऋण चुकौती अवधि के अनुसार) तथा बैंकों द्वारा यूएलबी से उपयुक्त प्रमाणपत्र प्राप्त करने के अधीन होगा। 3 प्रतिशत के अतिरिक्त ब्याज सबवेंशन राशि की प्रतिपूर्ति पात्र महिला स्वयं सहायता समूह को किया जाएगा। बैंक, 3 प्रतिशत के अतिरिक्त ब्याज सबवेंशन राशि की प्रतिपूर्ति पात्र महिला स्वयं सहायता समूह के खाते में करने के उपरांत प्रतिपूर्ति की मांग करेंगे। 5. बैंकों को ब्याज सब्सिडी हेतु क्रियाविधि : 5.1 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) और लघु वित्त बैंक जो कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) प्लेटफार्म से संबद्ध हैं वे इस योजना के अंतर्गत ब्याज सबवेंशन पाने के लिए पात्र होंगे। 5.2 लाभार्थियों को ऋण वितरण के बाद बैंक की संबंधित शाखा ब्याज सब्सिडी राशि के ब्योरों के साथ वितरित ऋण मामलों के ब्योरे यूएलबी को प्रेषित करेगी। क्रियाविधि I 5.3 बैंकों द्वारा किए गए दावों का निपटान यूएलबी द्वारा तिमाही आधार पर किया जाएगा, तथापि दावों का प्रस्तुतीकरण मासिक आधार पर किया जाना चाहिए। यूएलबी अपने स्तर पर तारीख की जांच करेगा और ब्याज सब्सिडी की राशि (7 प्रतिशत वार्षिक तथा प्रचलित ब्याज दर के बीच अंतर की राशि) बैंकों को जारी करेगा। 5.4 इस घटक के अंतर्गत ऋणों पर ब्याज सब्सिडी दावों के लिए निर्धारित फार्मेट संलग्न (अनुबंध – I) है। 5.5 दावे एक तिमाही से अधिक लंबित नहीं होने चाहिए। यदि बैंकों के दावों का निपटान 6 माह की अवधि में नहीं होता है तो एसएलबीसी को अधिकार है कि वह ऐसे यूएलबी द्वारा दावों के निपटान की शर्त के अधीन चुनिंदा शहरों में यह योजना अस्थायी तौर पर बंद करे। ऐसी संभाव्य घटनाओं में दावों का निपटान भावी प्रभाव से अग्रणी जिला बैंक को दिया जाना चाहिए। क्रियाविधि II 5.6 दावों का निपटान : ब्याज सब्सिडी निर्मुक्त करने हेतु नोडल एजेंसी : प्रत्येक राज्य उस राज्य के ‘राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) संयोजक’ के परामर्श द्वारा राज्य में एक सरकारी क्षेत्र के बैंक को नोडल बैंक के रूप में नियुक्त करेंगे। सभी बैंक ब्याज सबवेंशन के संबंध में अपने शाखाओं से प्राप्त डाटा को समेकित करेंगे तथा नोडल बैंक के पोर्टल पर अपलोड करेंगे। नोडल बैंक, सत्यापन के बाद, ब्याज सब्सिडी को बैंक शाखाओं को प्रेषित करेंगे। राज्य/ केंद्र शाषित प्रदेश नोडल बैंक के पास पहले से ही कुछ निधि जमा रखेंगे जो कि डीएवाई-एनआरएलएम के दिशानिर्देशों के अनुसार बैंक शाखाओं को निधि निर्मुक्त करेंगे। नोडल बैंक नियमित आधार पर एसयूएलएम को प्रतिपूर्ति खाते प्रस्तुत करेंगे। इस क्रियाविधि का अनुसरण तीनों प्रकार के ऋणों अर्थात एसईपी (I), एसईपी (जी) तथा एसएचजी-बैंक सहलग्नता में किया जाएगा। 6. वैयक्तिक उद्यम (एसईपी – I) ऋण और सब्सिडी स्वरोजगार के लिए वैयक्तिक माइक्रो उद्यम स्थापित करने हेतु इच्छुक शहरी गरीब वैयक्तिक लाभार्थी किसी भी बैंक से इस घटक के अंतर्गत सब्सिडीकृत ऋण ले सकता है। वैयक्तिक माइक्रो उद्यम ऋणों के मानदंड / विशेषताएं निम्नानुसार हैं। 6.1 आयु : ऋण के लिए आवेदन करते समय संभाव्य लाभार्थी की आयु 18 वर्ष की होनी चाहिए। 6.2 परियोजना लागत (पीसी) : वैयक्तिक माइक्रो-उद्यम के मामले में अधिकतम इकाई परियोजना लागत रु. 200,000 (दो लाख रुपए) है। 6.3 बैंक ऋण पर संपार्श्विक गारंटी : कोई संपार्श्विक आवश्यक नहीं। दिनांक 6 मई 2010 के रिज़र्व बैंक के परिपत्र ग्राआऋवि.एसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.सं.79/06.02.31/2009-10 के अनुसार बैंकों के लिए अधिदेश है कि वे एमएसई क्षेत्र की इकाइयों को दिए गए 10 लाख रुपए तक के ऋणों के मामले में संपार्श्विक जमानत स्वीकार न करें। अत: ऋण देने के लिए निर्मित आस्तियॉं ही बैंकों के पास दृष्टिबंधक / गिरवी / बंधक होंगी। एसईपी ऋणों के लिए गारंटी रक्षा (कवर) प्राप्त करने के प्रयोजन से बैंक कार्यकलाप की पात्रता के अनुसार गारंटी रक्षा के लिए लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा स्थापित सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी न्यास (सीजीटीएमएसई) या किसी अन्य उचित गारंटी फंड से संपर्क कर सकते हैं। 6.4 चुकौती : बैंकों के मानदंडों के अनुसार 6-18 माह के प्रारंभिक ऋण स्थगन के बाद चुकौती की अवधि 5 से 7 वर्ष तक की होगी। 6.5 मार्जिन राशि : रु. 50,000/- तक के ऋणों के लिए कोई मार्जिन राशि नहीं ली जानी चाहिए और रु. 50,000/- से 10 लाख तक के ऋणों के लिए अधिमानत: 5 प्रतिशत मार्जिन राशि के रूप में ली जानी चाहिए तथा किसी भी हालत में वह परियोजना लागत के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। 6.6 ऋण सुविधा का प्रकार : बैंक व्यक्तियों को मीयादी ऋण के रूप में पूंजी व्यय के लिए वित्त और नकदी ऋण के माध्यम से कार्यशील पूंजी ऋण दे सकता है। बैंक अलग – अलग उधारकर्ताओं की आवश्यकतानुसार पूंजी व्यय और कार्यशील पूंजी घटकों सहित संमिश्र ऋण दे सकते हैं। 7. सामूहिक उद्यम (एसईपी-जी) – ऋण और सब्सिडी स्व-सहायता समूह (एसएचजी) अथवा डीएवाई - एनयूएलएम के अंतर्गत गठित एसएचजी के सदस्य अथवा शहरी गरीबों का समूह जो स्वरोजगार हेतु सामूहिक उद्यम स्थापन करने का इच्छुक है इस घटक के अंतर्गत किसी भी बैंक से सब्सिडीकृत ऋण का लाभ ले सकता है। सामूहिक माइक्रो-उद्यम ऋणों के लिए मानदंड / विशेषताएं निम्नानुसार हैं। 7.1 पात्रता मानदंड : सामूहिक उद्यमों में शहरी गरीब परिवारों के कम से कम 70% सदस्यों के साथ न्यूनतम 3 सदस्य होने चाहिए। एक समूह में एक ही परिवार के एक से अधिक व्यक्तियों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। 7.2 आयु : बैंक ऋण के लिए आवेदन करते समय सामूहिक उद्यम के सभी सदस्यों की आयु 18 वर्ष की होनी चाहिए। 7.3 परियोजना लागत (पीसी) : समूह रु.2 लाख प्रति सदस्य की अधिकतम ऋण सीमा या फिर रु.10 लाख, जो भी न्यूनतम हो, के लिए पात्र होगा। 7.4 ऋण का प्रकार : ऋण, आपसी विश्वास और समूह के बीच जमानती व्यवस्था के आधार पर 10 लाख तक के समग्र सीमा तक, एक उधारकर्ता इकाई के रूप में कार्यरत समूह को एकल ऋण के रूप में या समूह के प्रत्येक सदस्य को वैयक्तिक ऋण के रूप में 2 लाख तक दिया जा सकता है। समूह को ऋण देते समय ‘भूमिहीन किसान’ के संयुक्त कृषि समूहों के वित्तपोषण पर बजट (2014-15) घोषणा पर दिनांक 13 नवंबर 2014 के रिज़र्व बैंक के परिपत्र में निर्धारित सिद्धांतों और बाद में किए गए संशोधनों का पालन किया जाना चाहिए। 7.5 ऋण सुविधा का प्रकार : बैंक समूहों को मीयादी ऋण के रूप में पूंजी व्यय के लिए वित्त और नकदी ऋण सुविधा के माध्यम से कार्यशील पूंजी ऋण दे सकता है। बैंक समूह की आवश्यकताओं के आधार पर पूंजी व्यय और कार्यशील पूंजी के लिए संमिश्र ऋण दे सकते हैं। 7.6 ऋण और मार्जिन राशि : बैंक द्वारा समूह उद्यम को ऋण के रूप में परियोजना लागत से हिताधिकारी के अंशदान (मार्जिन राशि) घटाकर शेष राशि दी जाएगी। रु. 50,000/- तक के ऋणों के लिए कोई मार्जिन राशि नहीं ली जानी चाहिए और उच्चतर राशि के ऋणों के लिए अधिमानत: 5 प्रतिशत मार्जिन राशि के रूप में ली जानी चाहिए तथा किसी भी हालत में वह परियोजना लागत के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। 7.7 बैंक ऋण पर संपार्श्विक गारंटी : कोई संपार्श्विक / गारंटी आवश्यक नहीं। ऋण देने के लिए निर्मित आस्तियां ही बैंकों के पास दृष्टिबंधक / बंधक / गिरवी होंगी। पैरा 6.4 में दिए गए अनुसार बैंक सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी न्यास (सीजीटीएमएसई) या किसी अन्य उचित गारंटी फंड से संपर्क कर सकते हैं। 7.8 चुकौती : बैंकों द्वारा किए गए निर्णय के अनुसार 6-18 माह के प्रारंभिक ऋण स्थगन के बाद चुकौती अवधि 5-7 वर्ष की होगी। 8. एसएचजी-बैंक सहलग्नता – सामान्य दिशानिर्देश भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति और समय-समय पर केन्द्रीय बजट में की जानेवाली घोषणाओं में बैंकों के साथ एसएचजी की सहलग्नता पर बल दिया जा रहा है और इस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकों को विभिन्न दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। एसएचजी सहलग्नता कार्यक्रम को बढ़ाने और उसे निरंतर बनाए रखने के लिए बैंकों को सूचित किया गया है कि वे एसएचजी को दिए जाने वाले उधार को नीति और कार्यान्वयन के स्तर पर अपने मुख्य प्रवाह के ऋण (क्रेडिट) कार्य के भाग के रूप में मान लें। 8.1 एसएचजी-बैंक सहलग्नता कार्यक्रम पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दिनांक 02 जुलाई 2018 को जारी मास्टर परिपत्र विसविवि.एफआईडी.बीसी.सं.04/12.01.033/2018-19 के अनुदेश में ऐसे स्व-सहायता समूहों (चाहे पंजीकृत हों अथवा अपंजीकृत) का बचत बैंक खाता खोलना शामिल किया गया है जो अपने सदस्यों के बीच प्रारंभिक रूप में बचत की आदत को बढ़ावा देने में लगे हुए हों। तदनंतर बैंकों द्वारा विधिवत मूल्यांकन अथवा ग्रेड दिए जाने के बाद एसएचजी को बचत सहबद्ध ऋण (बचत के प्रति ऋण का अनुपात 1:1 से बदलकर 1:4) मंजूर किया जा सकता है। तथापि, परिपक्व एसएचजी के मामले में बैंक के विवेकाधिकार के अनुसार बचत के चार गुना की सीमा से अधिक ऋण दिया जा सकता है। बैंकों को यह भी अनुदेश दिया गया है कि वे एसएचजी को अग्रिम, चाहे प्रयोजन कुछ भी हो, जिसके लिए बैंकों द्वारा कमजोर वर्गों को अपने उधार के भाग के रूप में एसएचजी के सदस्यों को शामिल करना चाहिए। 8.2 डीएवाई-एनयूएलएम के घटक सामाजिक संग्रहण और संस्थात्मक विकास (एसएमएण्डआईडी) के अंतर्गत यूएलबी एसएचजी के लिए बैंक खाता खोलने संबंधी आवश्यक मूल कार्य करेगा और परिक्रामी निधि (आरएफ) के प्रति पहुंच की सुविधा देगा। इस प्रयोजन के लिए यूएलबी संसाधन संगठन (आरओ) को काम में लगा सकता है अथवा अपने स्टाफ के माध्यम से एसएचजी को सीधे ही सुविधा पहुंचा सकता है। (डीएवाई-एनयूएलएम के घटक सामाजिक संग्रहण और संस्थात्मक विकास (एसएमएण्डआईडी) में एसएचजी, आरओ और परिक्रामी निधि की संकल्पना और निर्माण के ब्योरे दिए गए हैं) 8.3 बैंक यूएलबी को ब्याज सब्सिडी राशि की गणना के ब्योरों के साथ वितरित ऋण मामलों के ब्योरे प्रेषित करेंगे। यूएलबी अपने स्तर पर डेटा की जांच करेगा और पैरा 5 में उल्लेख किए गए अनुसार समान क्रियाविधि का पालन करते हुए तिमाही आधार पर बैंकों को ब्याज सब्सिडी राशि जारी करेगा। अतिरिक्त ब्याज सबवेंशन का दावा करने के लिए निर्धारित फार्मेट संलग्न है (अनुबंध – II)। 8.4 यूएलबी अपने क्षेत्रीय स्टाफ अथवा संसाधन संगठन (आरओ) के माध्यम से बैंकों से क्रेडिट प्राप्त करने हेतु पात्र एसएचजी के लिए ऋण आवेदन भरने में सहायता करेगा। यूएलबी, एसएचजी का ऋण आवेदन आवश्यक दस्तावेजीकरण के साथ संबंधित बैंकों को अग्रसारित करने के लिए जिम्मेदार होगा। यूएलबी बैंकों को अग्रसारित किए गए एसएचजी ऋण आवेदनों का क्षेत्रवार, बैंकवार, आरओ / स्टाफवार डेटा बनाए रखेगा। वही डेटा मासिक आधार पर एसयूएलएम को प्रेषित किया जाएगा। 8.5 डीएवाई-एनयूएलएम के अंतर्गत प्रभावी एसएचजी-बैंक सहलग्नता को सुनिश्चित करने के लिए एसयूएलएम बैंकों के साथ नियमित आधार पर प्रगति पर निगरानी रखेगा और समीक्षा करेगा और राज्य में एसएचजी ऋणों पर ब्याज सब्सिडी / सबवेंशन के लिए एसएलबीसी के साथ समन्वयन करेगा। शहरी गरीबों के वित्तीय समावेशन के लिए बैंक और शाखा के स्टाफ के सुग्राहीकरण को सुनिश्चित करने के लिए राज्य स्तरीय बैंकर समिति (एसएलबीसी) और अग्रणी बैंकों को सक्रिय रूप से काम में शामिल करना चाहिए। 8.6 यह नोट करें कि ऐसे एसएचजी की पहचान, चयन, गठन और निगरानी जिन्हें ब्याज सबवेंशन दिया जाएगा यह राज्य / यूएलबी की जिम्मेदारी होगी तथा एसएचजी के गलत अभिनिर्धारण जिसे ब्याज सबवेंशन दिया जाएगा, के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं होंगे। 8.7 ऋण सुविधा का प्रकार : एसएचजी अपने आवश्यकतानुसार या तो सावधि ऋण या नकदी ऋण सीमा (सीसीएल) ऋण या दोनों ले सकते हैं। आवश्यकता की स्थित में, पहले से ऋण बकाया होने के बावजूद भी अतिरिक्त ऋण स्वीकृत किया जा सकता है। 8.8 समय पर (प्राम्ट) चुकौती के लिए रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देश निम्नानुसार हैं : क. एसएचजी को नकद ऋण सीमा के लिए i. बकाया शेष स्वीकृत सीमा / आहरण अधिकार के अतिरिक्त निरंतर रूप से 30 दिनों से अधिक नहीं होना चाहिए। ii. खाते में नियमित जमा (क्रेडिट) और नामे (डेबिट) प्रविष्टि होनी चाहिए। हर हालत में माह के दौरान कम से कम एक ग्राहक प्रेरित क्रेडिट होना चाहिए। iii. माह के दौरान ग्राहक प्रेरित क्रेडिट माह के दौरान नामे डाले गए ब्याज को कवर करने के लिए पर्याप्त होगा। ख. एसएचजी को मीयादी ऋण के लिए : ऐसा मीयादी ऋण खाता जिसमें सभी ब्याज भुगतान और / अथवा मूलधन की किस्तों का भुगतान ऋणों की समग्र अवधि के दौरान नियत तारीख से 30 दिनों के भीतर किया जाता है उसे समय पर भुगतान वाला खाता माना जाएगा। समय पर भुगतान दिशानिर्देश भविष्य में इस विषय पर रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों द्वारा मार्गदर्शित होते रहेंगे। 9. एसईपी-I, एसईपी-जी और एसईपी-एसएचजी के लिए प्रगति रिपोर्ट 9.1 यूएलबी संबंधित बैंकों के साथ आवेदकों के वैधीकरण के बाद टास्क फोर्स द्वारा सिफारिश किए गए आवेदनों का आंकड़ा पत्रक तैयार करेगा जिसमें स्वीकृति, वितरण और अस्वीकरण (कारणों सहित) की स्थिति दी गई हो। यह आंकड़ा पत्रक मासिक आधार पर एसयूएलएम को भेज दिया जाएगा। 9.2 एसयूएलएम संबंधित यूएलबी से प्राप्त सभी रिपोर्टों को समेकित करेगा और आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय (एमओएचयूपीए) को मासिक आधार पर सूचित करेगा। 9.3 एसयूएलएम को चाहिए कि एसईपी के अंतर्गत प्रगति की प्रत्येक एसएलबीसी और जिला परामर्शदात्री समिति (डीसीसी) की बैठक में समीक्षा करने को सुनिश्चित करें। प्रभावी समन्वयन और कार्यान्वयन के लिए एसयूएलएम को एसएलबीसी संयोजक बैंक के साथ एसईपी के संबंध में अन्य कोई महत्वपूर्ण मुद्दा हो तो उठाना चाहिए। 10. उद्यम विकास के लिए क्रेडिट कार्ड 10.1 वैयक्तिक उद्यमकर्ताओं को वित्तीय सहायता चाहे एनयूएलएम के अंतर्गत उद्यम स्थापित करने के लिए सब्सिडीकृत ऋण हो तो भी उसे शहरी गरीब को आजीविका सहायता की सुविधा देने के प्रारंभिक प्रोत्साहन के रूप में देखा जाएगा। तथापि वैयक्तिक उद्यमकर्ता को आर्थिक दृष्टि से उद्यम को वहनीय बनाने के लिए कार्यशील पूंजी के संदर्भ में और वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है। इसमें वस्तुओं, कच्चे माल की खरीद और अन्य विविध खर्च आदि व्यय की पूर्ति करने के लिए तत्काल और अल्पावधि मासिक नकद आवश्यकता को समाविष्ट किया जा सकता है। माइक्रो उद्यमकर्ता को उद्यमशील कार्यकलापों से निर्माण होने वाले व्ययों की पूर्ति करने के लिए नियमित निश्चित मासिक नकदी प्रवाह / आय नहीं होती है। इस तरह की तत्काल ऋण आवश्यकता के लिए वित्तीय संस्था से संपर्क करने के लिए क्रियाविधिगत दस्तावेजीकरण आवश्यक होता है और इसमें बहुत समय बीत जाता है। कार्यशील पूंजी ऋण की इस आवश्यकता की पूर्तता सामान्यतया ऋण के अनौपचारिक स्रोतों (साहूकारों सहित) से की जाती है जो औसतन उच्च ब्याज दर पर उपलब्ध होता है। 10.2 माइक्रो उद्यमकर्ता को अपनी कार्यशील पूंजी और विविध ऋण आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सहायता करने की दृष्टि से डीएवाई - एनयूएलएम बैंकों द्वारा क्रेडिट कार्ड या मुद्रा कार्ड की पहुंच की सुविधा देगा। 10.3 एसयूएलएम राज्य स्तरीय बैंकर समिति (एसएलबीसी) के परामर्श से वैयक्तिक उद्यमकर्ता को क्रेडिट कार्ड (अथवा) मुद्रा कार्ड जारी करने के मानदंड, सीमाएं और विशेषताएं निर्धारित करेगा। इसके लिए सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों द्वारा कार्यान्वित की जा रही सामान्य क्रेडिट कार्ड योजना (जीसीसी) अथवा शहरी क्षेत्रों में बैंकों के उद्यम विकास के लिए क्रेडिट कार्ड के अन्य किसी रूप की तलाश एसयूएलएम और एसएलबीसी द्वारा की जाएगी। संशोधित जीसीसी योजना पर रिज़र्व बैंक की अधिसूचना द्वारा परिपत्र जारी किया गया है देखें दिनांक 2 दिसम्बर 2013 का परिपत्र ग्राआऋवि.एमएसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.सं.61/06.02.31/2013-14 जो रिज़र्व बैंक की वेबसाइट ’www.rbi.org.in’ पर उपलब्ध है। 10.4 यूएलबी संभाव्य लाभार्थी की पहचान करेगा और क्रेडिट कार्ड जारी करने के लिए बैंकों के साथ सहलग्नता की सुविधा उपलब्ध करेगा। फोकस इस बात पर है कि प्रारंभिक रूप से ऐसे सभी लाभार्थियों को क्रेडिट कार्ड जारी किए जाने में समाविष्ट (कवर) करना जिन्होंने एसईपी के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्राप्त की है। इसके अलावा ऐसे अन्य लाभार्थी जो अपना स्वयं का व्यवसाय चला रहे हैं परंतु जिन्होंने एसईपी के अंतर्गत सहायता प्राप्त नहीं की है को भी इसमें समाविष्ट किया जा सकता है यदि वे क्रेडिट कार्ड जारी करने के मानदंडों की पूर्ति करते हैं। 10.5 यूएलबी के स्तर पर इसके लक्ष्य निश्चित किए जा सकते हैं और इस घटक के अंतर्गत प्रगति का समेकन एसयूएलएम के स्तर पर किया जा सकता है तथा आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय (एमओएचयूपीए) को आवधिक रूप से सूचित किया जा सकता है। 11. प्रौद्योगिकी, विपणन और अन्य सहायता 11.1 माइक्रो उद्यमकर्ताओं को प्राय: अपना व्यवसाय बढ़ाने और उसे बनाए रखने की दृष्टि से सहायता की आवश्यकता होती है। आवश्यक सहायता स्थापना, प्रौद्योगिकी, विपणन और अन्य सेवाओं से संबंधित हो सकती है। जो माइक्रो उद्यमकर्ता अत्यंत लघु व्यवसाय करते हैं उन्हें बाज़ार की आवश्यकताएं, उनके द्वारा निर्मित उत्पादों की मांग, मूल्य, कहां बिक्री करें, आदि का बेहतर ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है। इस घटक के अंतर्गत सहायक सेवाओं की परिकल्पना इस दृष्टि से की गई है ताकि माइक्रो उद्यमों के विकास के लिए प्रोत्साहक पर्यावरण उपलब्ध किया जा सके। 11.2 डीएवाई-एनयूएलएम के अंतर्गत स्थापित शहरी आजीविका केंद्र (सीएलसी) माइक्रो उद्यमों को दीर्घावधि तक बने रहने के लिए स्थापना (लाइसेंस, प्रमाणपत्र पंजीकरण, कानूनी सेवाएं आदि), उत्पादन, वसूली, प्रौद्योगिकी, प्रोसेसिंग, विपणन, बिक्री, पैकेजिंग, लेखाकरण आदि जैसी सेवाएं प्रदान करेगा। सीएलसी माइक्रो उद्यमों के उत्पादों और सेवाओं के लिए बाज़ार मांग और बाजार कार्यनीति पर संभाव्यता / मूल्यांकन अध्ययन करने में भी सहायता प्रदान करेगा। 11.3 सीएलसी के मानदंडों के अनुसार सभी एसईपी वैयक्तिक और सामूहिक उद्यम सीएलसी से सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं। सीएलसी यूएलबी के समर्थन से ऐसी विभिन्न अन्य सरकारी योजनाओं के साथ तालमेल कर सकता है जिनमें संभावित लाभार्थियों के लाभ हेतु माइक्रो उद्यम विकास के लिए सेवा और लाभ दिए जा रहे हैं। 11.4 एसयूएलएम उपर्युक्त सेवाएं दिए जाने के प्रयोजन से सीएलसी को अतिरिक्त निधि/व्यावसायिक सहायता की व्यवस्था कर सकता है। 12. डीएवाई-एनयूएलएम के एसईपी के निधियन का स्वरूप 12.1 डीएवाई-एनयूएलएम के तहत सामान्य मानदंडों के अनुसार इस घटक के अंतर्गत निधियन को केंद्र और राज्यों में बांटा जाएगा। 12.2 मंत्रालय राज्यों को आबंटित लक्ष्यों पर आधारित निधियों का वार्षिक आधार पर आवंटन करेगा। राज्य संबंधित एसएलबीसी और यूएलबी के साथ परामर्श से लक्ष्य निश्चित करेगा और यूएलबी को तदनुरूपी निधियों का आवंटन करेगा ताकि ब्याज सबवेंशन के कारण बैंकों को की जानेवाली संपूर्ण प्रतिपूर्ति का निपटान वित्तीय वर्ष के दौरान किया जा सके तथा राज्य के पास कोई सबवेंशन राशि अतिदेय या विलंबित न रहे। 13. निगरानी और मूल्यांकन 13.1 राज्य स्तर पर राज्य मिशन प्रबंधन इकाई (एसएमएमयू) और यूएलबी स्तर परशहरी मिशन प्रबंधन इकाई (सीएमएमयू) इस घटक के अंतर्गत कार्यकलापों / लक्ष्यों की प्रगति पर बारीकी से निगरानी रखेगा, रिपोर्ट और मूल्यांकन करने का उत्तरदायित्व लेगा। एसयूएलएम और यूएलबी / कार्यान्वयन एजेंसियां मिशन निदेशालय द्वारा निर्धारित फार्मेट में समय-समय पर प्रगति की सूचना देंगी जिसमें मासिक और तिमाही के अंत तक संचयी उपलब्धि और कार्यान्वयन के प्रमुख विषयों का उल्लेख होगा। 13.2 इसके अलावा डीएवाई - एनयूएलएम के अंतर्गत लक्ष्य और उपलब्धियों का ट्रैक रखने के लिए व्यापक और सुदृढ़ आईटी-समर्थित डीएवाई - एनयूएलएम एमआईएस स्थापित की जाएगी। राज्यों और यूएलबी को अपनी प्रगति रिपोर्ट ऑनलाइन प्रस्तुत करना आवश्यक होगा और वे इस साधन का उपयोग आम लोगों के बीच प्रगति पर निगरानी रखने के लिए भी कर सकेंगे। सूचना के सक्रिय प्रकटीकरण और डीएवाई-एनयूएलएम के अधीन पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के विचार से एसईपी के अंतर्गत प्रमुख प्रगति रिपोर्टों को समयबद्ध तरीके से पब्लिक डोमेन पर उपलब्ध किए जाएंगे। 13.3 सभी एसईपी लाभार्थियों के पास आवधिक आधार पर विजिट किया जाना चाहिए ताकि लाभ के प्रभाव का मूल्यांकन किया जा सके तथा उनके द्वारा सामना किए जा रहे किसी समस्या का भी पता लगाया जा सके। समुदाय संगठन (सीओ) द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में स्थित सभी लाभार्थियों के पास तीन महीने में कम से कम एक बार विजिट अवश्य किया जाना चाहिए। सीएमएमयू स्तर पर परिजोजना अधिकारी/तकनीकी विशेषज्ञ को चाहिए की वे तीन महीने में कम से कम एक बार 50% लाभार्थियों के पास विजिट करें। फील्ड विजिट के दौरान पार गए तथ्यों को अभिलेख में रखा जाए तथा एमआईएस में भी अपलोड किया जाए। 13.4 उक्त उल्लेखित फील्ड विजिट के दौरान, लाभार्थी के आर्थिक स्थिति से संबंधित डेटा का संग्रह किया जाए तथा लाभार्थी के आर्थिक स्थिति पर लाभ के प्रभाव को जानने हेतु ऋण आवेदन फार्म में दिए गए सूचना के साथ उसकी तुलना की जाए। 13.5 लाभार्थी के आर्थिक स्थिति पर एसईपी के अंतर्गत लाभ के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए उचित अंतराल पर ‘प्रभाव विश्लेषण अध्ययन’ का आयोजन किया जा सकता है। 13.6 डीएवाई - एनयूएलएम के अंतर्गत लक्ष्य बनाम उपलब्धि में प्रगति पर निगरानी रखने के लि, बैंकों को सूचित किया गया है कि वे तिमाही आधार पर संलग्न प्रोफार्मा (अनुबंध III और IV) के अनुसार संबंधित तिमाही की समाप्ति के बाद अगले माह के अंत तक निदेशक, यूपीए को dupa-mhupa@nic.in साथ ही साथ भारतीय रिज़र्व बैंक को ई-मेल पर समेकित प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करें। 13.7 एनयूएलएम के अंतर्गत ऋण हेतु विशिष्ट कोड: बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे इन ऋणों को गैर-कृषिगत ऋण में वर्गीकृत करें तथा एनयूएलएम के अंतर्गत अनुमोदित ऋणों के लिए अपने डेटाबेस में विशिष्ट उप-कोड का उपयोग करें। साथ ही, एसईपी-I, एसईपी-जी, एसएचजी और डब्लूएसएचजी के लिए अलग से उप-उप-कोड निर्धारित किया जाए। एनयूएलएम के अंतर्गत ऋणों का वर्गीकरण, खास तौर पर एसएचजी और डब्लूएसएचजी के संबंध में, उचित सावधानी बरती जाए ताकि एनआरएलएम ऋणों की तुलना में इन ऋणों को अलग से पहचाना जा सके क्योंकि डब्लूएसएचजी अलग से अतिरिक्त 3 प्रतिशत के ब्याज सबवेंशन हेतु पात्र हैं। परिशिष्ट
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