मास्टर परिपत्र-संबद्ध कार्यकलाप (allied activities)-बीमा कारोबार में प्रवेश, क्रेडिट कार्ड जारी करना तथा कतिपय उत्पादों की मार्केटिंग एवं वितरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र-संबद्ध कार्यकलाप (allied activities)-बीमा कारोबार में प्रवेश, क्रेडिट कार्ड जारी करना तथा कतिपय उत्पादों की मार्केटिंग एवं वितरण
भारिबैं/2014-15/35 1 जुलाई 2014 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसीज) महोदय, मास्टर परिपत्र-संबद्ध कार्यकलाप (allied activities)-बीमा कारोबार में प्रवेश, क्रेडिट कार्ड जारी करना तथा कतिपय उत्पादों की मार्केटिंग एवं वितरण सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने उल्लिखित विषय पर 30 जून 2014 तक जारी सभी अनुदेशों को समेकित किया है। यह नोट किया जाए कि परिशिष्ट में सूचीबद्ध अधिसूचनाओं में अंतर्विष्ट सभी अनुदेश, जहाँ तक वे इस विषय से संबंधित हैं, मास्टर परिपत्र में समेकित एवं अद्यतन कर दिये गये हैं। मास्टर परिपत्र बैंक की वेब साइट (http://www.rbi.org.in). पर भी उपलब्ध है। भवदीय, (के के वोहरा)
संबंद्ध कार्यकलाप का परिचय I. 1बीमा कारोबार में प्रवेश (1) गवर्नर महोदय द्वारा वर्ष 2000-2001 के लिए 27 अप्रैल 2000 को घोषित मौद्रिक एवं ऋण नीति के वक्तव्य में, अन्य बातों के साथ-साथ, यह उल्लेख किया था कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा बीमा कारोबार में प्रवेश करने के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। तदनुसार, बाजार सहभागियों के दृष्टिकोणों/सुझावों/टिप्पणियों पर विचार करते हुए बैंक ने 9 जून 2000 को दिशानिर्देशों के अंतिम रूप को जारी किया था, जिन्हें नीचे दिया जा रहा है। इच्छुक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सूचित किया जाता है कि वे अपने सांविधिक लेखापरीक्षक से विधिवत प्रमाणित कराए हुए आवश्यक ब्योरों के साथ अपना आवदेन पत्र गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करें जिसके अधिकार-क्षेत्र में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय आता है। (ए) भारतीय रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ शुल्क आधारित एवं जोखिम रहित बीमा कारोबार करने की एजेंसी का कारोबार, रिज़र्व बैंक की अनुमति के बिना, कतिपय शर्तों के साथ कर सकती हैं; (बी) भारतीय रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत, पात्रता मानदण्ड पूरे करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ जोखिम सहित बीमा कारोबार करने के लिए ज्वाइंट वेंचर कंपनी स्थापित कर सकती हैं बशर्ते सुरक्षा उपायों के तहत ऐसा किया जाए। ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी सामान्यत: बीमा कंपनी की प्रदत्त पूंजी के अधिकतम 50% तक ज्वाइंट वेंचर कंपनी की ईक्विटी को धारण (होल्ड) सकती है। भारतीय रिज़र्व बैंक, चयनित आधार पर, प्रारंभ में किसी प्रवर्तक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को, ईक्विटी में अंशदान विनिर्दिष्ट अवधि में पूरा होने तक की अवधि के लिए, उच्च अंशदान की अनुमति दे सकता है। 2यह स्पष्ट किया जाता है कि एक ही समूह की गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी की एक से अधिक कंपनी (वित्तीय गतिविधि करती हो या नहीं) यदि बीमा कंपनी में हिस्सेदारी (स्टेक) लेना चाहती है तो एक ही समूह की सभी कंपनियों के योगदान को गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के लिए बीमा संयुक्त उपक्रम में 50 प्रतिशत की निर्धारित सीमा हेतु गिना जाएगा. 3ऐसे मामलो में जहां आईआरडीए द्वारा संयुक्त बीमा उपक्रम कंपनी से पूंजी का अंत:प्रवाह के लिए कहा गया हो, ऐसी स्थिति में बैंक मामले दर मामले के आधार पर, 27 मई 2011 का परिपत्र सं.221 में समूह के लिए विनिर्दिष्ट 50% की सीमा में छूट पर विचार कर सकता है। छूट की अनुमति, यदि दी जाती है तो, यह 10 फरवरी 2004 का परिपत्र सं.35/10.24/2003-04 में विनिर्दिष्ट सभी विनियमाक शर्तों का एनबीएफसी द्वारा पालन के अधीन होगा तथा विशिष्ट मामलों में ऐसे अन्य शर्तों का अनुपालन भी करना होगा। ऐसे छूट के लिए एनबीएफसी संबंधित दस्तावेज सहित अपना आवेदन उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करे जिसके क्षेत्राधिकार में उसका पंजीकृत कार्यालय स्थित है। (सी) भारतीय रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ जो ज्वाइंटवेंचर में सहभागिता के पात्रता मानदण्ड पूरे नहीं करती हैं, अपनी स्वाधिकृत निधियों के 10% तक या रु. 50 करोड़, जो भी कम हो, बीमा कंपनी में निवेश कर सकती हैं बशर्ते ऐसे निवेश की वे पात्रता रखती हों। 2. (ए) किसी भी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को ऐसा कारोबार विभागीय तौर पर करने की अनुमति नहीं होगी। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी की सहायक या उसी ग्रुप की कंपनी या किसी अन्य गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के कारोबार में लगी है या बैंकिंग कारोबार में लगी है को समान्यत: जोखिम सहभागिता के आधार पर बीमा कंपनी के साथ जुड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। (बी) भारतीय रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ जो निवेशक के रूप में या जोखम सहभागिता के आधार पर बीमा कारोबार में प्रवेश करती हैं, उन्हें एतदर्थ भारजीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमति लेनी होगी। सभी संबंधित पहलुओं को दृष्टिगत रखते हुए बैंक मामले -दर- मामले के आधार पर अनुमति देगा। यह सुनिश्चित किया जाए कि बीमा कारोबार में शामिल जोखिम गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के कारोबार में अंतरित न हो जाए तथा बीमा कारोबार से उत्पन्न जोखिम गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के कारोबार को प्रदूषित न कर दे। 4नोट: एकही समूह की कंपनी" का अर्थ ऎसी व्यवस्था जिसमें दो या दो से अधिक संस्थान का निम्नलिखित संबंधो में से किसी के द्वारा एक दुसरे से जुडा रहना. सहायक कंपनी- मूल कंपनी (एएस 21 के प्रावधानों के तहत परिभाषित), संयुक्त उपक्रम (एएस 27 के प्रावधानों के तहत परिभाषित) , सम्बद्ध (एएस 23 के प्रावधानों के तहत परिभाषित), प्रोमोटर - प्रोमोटी (सेबी विनियमन,1997 ( शेयरो का अधिग्रहण तथा टेकओवर) के आधार पर) , लिस्टेड कंपनी के लिए, संबंधित पार्टी (एएस18 के प्रावधानों के तहत परिभाषित) , समान ब्रांड वाले नाम तथा ईक्विटी में 20% तथा अधिक का निवेश. (3) 5कोर निवेश कंपनियों (सीआईसी) का विशिष्ट कारोबार मॉडल के आलोक में बीमा कारोबार में उनके प्रवेश के लिए पृथक दिशानिदेश बनाया गया है। जबकि पात्रता मानदण्ड, सामान्य रूप में, अन्य गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों हेतु निर्धारित मापदंड के अनुरूप होगी तथा संयुक्त बीमा उपक्रम में सीआईसी का निवेश हेतु उनके लिए उच्चतम सीमा का निर्धारण नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त यह स्पष्ट किया जाता है कि सीआईसी बीमा ऐजेंसी का कारोबार नहीं कर सकती है। भारतीय रिज़र्व बैंक से छूट प्राप्त सीआईसी को पूर्वानुमति लेने की आवश्यकता नहीं हैं बशर्ते कि वे 05 जनवरी 2011 के सीसी सं:206 के तहत निर्धारित छूट हेतु निर्धारित शर्तों को पूरा करती हो। संयुक्त बीमा उपक्रम में उनका निवेश बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के नियम द्वारा निदेशित होगें। II. 6क्रेडिट कार्ड जारी करना गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को रिज़र्व बैक की पूर्वानुमति के बिना क्रेडिट कार्ड कारोबार करने की अनुमति नहीं है। क्रेडिट कार्ड कारोबार के संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि जमाराशियाँ न स्वीकारने वाली कंपनियों सहित कोई भी कंपनी जो यह कारोबार करने की इच्छुक हो उसके लिए यह अपेक्षित है कि उसके पास 7पंजीकरण प्रमाणपत्र हो, विशेष रूप से इस कारोबार में प्रवेश की अनुमति के अलावा पूर्व शर्त के तहत न्यूनतम निवल स्वाधिकृत निधियाँ 100 करोड़ रुपए हों तथा इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर लगायी गयी शर्ते भी पूरी करती हो। 21 फरवरी 2005 को स्पष्ट रूप से सूचित किया गया था कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को डेबिट कार्ड, स्मार्ट कार्ड, स्टोर वैल्यू कार्ड, चार्ज कार्ड, आदि जारी करने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को रिज़र्व बैंक द्वारा वाणिज्य बैंकों को 21 नवंबर 2005 के परिपत्र सं. बैंपविवि.एफएसडी.बीसी. 49/24.01.011/2005-06 में जारी अनुदेशों का भी पालन करना है। III. 8को-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड जारी करना भारतीय रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को, चयनित आधार, पर अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के साथ, बिना जोखिम की हिस्सेदारी के, को-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति से प्रारंभ में दो वर्षों के लिए एवं तदुपरांत समीक्षा के अधीन जारी करने की अनुमति दी जाए। न्यूनतम पात्रता अपेक्षाओं को पूरी करने वाली तथा कतितपय विनिर्धारणों का पालन करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ एतदर्थ आवदन करने की पात्र हैं। IV. 9गैर बैंकिं ग वित्तीय कंपनियों द्वारा पारस्परिक निधियों (मुचुअल फंडों) का वितरण 5. इसके अलावा यह निर्णय लिया गया है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को, चयनित आधार पर, मुचुअल फंडों के एजेंट के रूप में मुचुअल फंड उत्पादों को बेचने और उन्हें वितरित करने की अनुमति प्रारंभ में दो वर्षों की अवधि के लिए और तदुपरांत उसकी समीक्षा के अधीन दी जाए। कतिपय न्यूनतम पात्रता अपेक्षाओं को पूरी करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ एतदर्थ आवेदन करने की पात्र हैं। किसी अवांछित/दूषित कार्य/परिचालन की जानकारी रिज़र्व बैंक को मिलने पर, 3 माह की नोटिस देकर अनुमति वापस ली जा सकेगी। परिपत्रों की सूची
130 जून 2000 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.13/02.01/99-2000, 1 जनवरी 2002 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.18/02.01/2001-02 के साथ पठित 10 फरवरी 2004 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.35/10.24/2003-14 में ब्योरा शामिल है। 227 मई 2011 की अधिसूचना सं:डीएनबीएस.पीडी.सीसी 221.221/03.02.002/2010-11 द्वारा जोडा गया। 328 नवम्बर 2013 का गैबैंपवि.नीप्र.कंपरि.सं.361/03.02.002/2013-14 द्वारा जोड़ा गया। 427 मई 2011 की अधिसूचना सं:डीएनबीएस.पीडी.सीसी 221.221/03.02.002/2010-11 51 अप्रैल 2013 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.322/03.10.00/2012-13 में ब्योरा दिया गया है। 67 जुलाई 2004 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.41/10.27/2004-05 तथा 21 नवम्बर 2005 का बैंपविवि.एफडीसी.बीसी.49/24.01.11/2005-06 में ब्योरा दिया गया है। 7फूट नोट: 1अप्रैल2014 को जारी प्रेस विज्ञप्ति 2013-14/1931 के अनुसार, 1 अप्रैल 2014 से एनबीएफसीज़ का कारोबार करने के लिए प्रस्ताव रखनेवाली संस्थाओं को पंजीकरण प्रमाणपत्र (सीओआर) जारी करने के मामले को एक वर्ष की अवधि के लिए आस्थगित रखा जाए। 804 दिसम्बर 2006 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.83/03.10.27/2006-07 में ब्योरा दिया गया है। 904 दिसम्बर 2006 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.84/03.10.27/2006-07 में ब्योरा दिया गया है। |