मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (केन्द्रीय अनापत्ति नहीं दिए गए ओटीसी डेरिवेटिव के लिए मार्जिनिंग) निदेश, 2024 - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (केन्द्रीय अनापत्ति नहीं दिए गए ओटीसी डेरिवेटिव के लिए मार्जिनिंग) निदेश, 2024
आरबीआई/2024-25/117 08 मई, 2024 सभी पात्र बाजार प्रतिभागी महोदया/महोदय, मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (केन्द्रीय अनापत्ति नहीं दिए गए ओटीसी डेरिवेटिव के लिए मार्जिनिंग) निदेश, 2024 कृपया 06 फरवरी 2020 को जारी किए गए द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2019-20 के एक भाग के तौर पर घोषित विकासात्मक और विनियामक नीतियों के बारे में दिए गए वक्तव्य के पैराग्राफ 10 का संदर्भ लें, जो केन्द्रीय अनापत्ति नहीं दिए गए डेरिवेटिव (एनसीसीडी) हेतु विचरण मार्जिन (वीएम) और प्रारंभिक मार्जिन (आईएम) के विनिमय हेतु निदेशों को जारी करने के बारे है। 2. दिनांक 01 जून, 2022 को मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (विचरण मार्जिन) निदेश, 2022 जारी किए गए थे और एनसीसीडी के लिए प्रारंभिक मार्जिन के विनिमय के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने वाले मसौदा निदेश 16 जून, 2022 को जारी किए गए थे। बाजार सहभागियों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर, मसौदा निदेशों को अंतिम रूप दिया गया है। मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (केन्द्रीय अनापत्ति नहीं दिए गए ओटीसी डेरिवेटिव के लिए मार्जिनिंग) निदेश, 2024 इसके साथ संलग्न है। 3. ये निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45डब्ल्यू और विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के तहत प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में सक्षमकारी सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए गए हैं। भवदीया, (डिम्पल भांडिया) अधिसूचना संख्या एफएमआरडी.डीआईआरडी.02/14.01.023/2024-25, दिनांक 08 मई, 2024 मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (केन्द्रीय अनापत्ति नहीं दिए गए ओटीसी डेरिवेटिव के लिए मार्जिनिंग) निदेश, 2024 भारतीय रिज़र्व बैंक (जिसे इसके बाद रिज़र्व बैंक कहा गया है) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 02) की धारा 45यू के साथ पठित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 02) की धारा 45डब्ल्यू और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और 01 जून, 2022 के मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (विचरण मार्जिन) निदेश, 2022 का अधिक्रमण करते हुए, निम्नलिखित निदेश जारी करता है। इस संबंध में विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 (अधिसूचना सं. फेमा.25/आरबी-2000, दिनांक 03 मई 2000), विदेशी मुद्रा प्रबंध (ऋण लिखत) विनियमावली, 2019 (अधिसूचना सं. फेमा.396/2019-आरबी, दिनांक 17 अक्तूबर 2019), विदेशी मुद्रा प्रबंध (डेरिवेटिव संविदाओं हेतु मार्जिन) विनियमावली, 2020 (अधिसूचना सं. फेमा.399/आरबी-2020 दिनांक 23 अक्तूबर 2020) और एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.06, दिनांक 08 मई 2024 का संदर्भ भी आमंत्रित किया जाता है। 1. संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ (1) इन निदेशों को मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (केन्द्रीय अनापत्ति नहीं दिए गए ओटीसी डेरिवेटिव्स के लिए मार्जिनिंग) निदेश, 2024 कहा जाएगा। (2) ये निदेश 08 नवंबर, 2024 से लागू होंगे। 2. प्रयोज्यता (1) इन निदेशों के उपबंध निम्नलिखित संविदाओं के लिए प्रयोज्य होंगे, जो इन निदेशों के लागू होने की तारीख को या इसके बाद निष्पादित की जाती हैं : (ए) केन्द्रीय अनापत्ति नहीं दी गई विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं जो विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 (अधिसूचना सं. फेमा.25/आरबी-2000 दिनांक 3 मई 2000) और समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश – जोखिम प्रबंधन और अंतर बैंक लेनदेन, दिनांक 05 जुलाई 2016 के अनुसार निष्पादित की गई हैं; (बी) केन्द्रीय अनापत्ति नहीं दी गई ब्याज दर डेरिवेटिव संविदाएं जो समय-समय पर यथासंशोधित रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019 (अधिसूचना सं.एफएमआरडी.डीआइआरडी.20/2019 दिनांक 26 जून 2019 के अनुसार निष्पादित की गई हैं; (सी) केन्द्रीय से अनापत्ति नहीं दी गई क्रेडिट डेरिवेटिव संविदाएं जो समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (क्रेडिट डेरिवेटिव) निदेश, 2022 (अधिसूचना सं. एफएमआरडी.डीआइआरडी.11/14.03.004/2021-22 दिनांक 10 फरवरी 2022) के अनुसार निष्पादित की गई हैं; और (डी) रिज़र्व बैंक द्वारा यथानिर्दिष्ट कोई भी अन्य संविदा जो केन्द्रीय अनापत्ति (एनसीसीडी) नहीं दी गई संविदा है। (2) इन निदेशों के लागू होने की तारीख से पहले निष्पादित किसी विद्यमान डेरिवेटिव संविदा में यथार्थ संशोधनों (पूर्ववर्ती-नियमाधीन संविदा), निम्नलिखित सहित, इन निदेशों के तहत नवीन डेरिवेटिव संविदा के रूप में अर्हक नहीं होंगे। (ए) अप्रधान संशोधन जो संविदा के निबंधनों और शर्तों में प्रमुख बदलाव नहीं करते या कोई नया प्रमुख जोखिम सृजित नहीं करते; (बी) केवल बेन्चमार्क सुधारों का अनुपालन करने के प्रयोजन से किए गए संशोधन; और (सी) दायित्व नवीयन, पोर्टफोलियो संक्षेपण और पूर्ववर्ती नियमाधीन संविदाओं के संबंध में मानक व्यापार अनुरक्षण प्रक्रियाओं को लागू करने के परिणामस्वरूप सृजित संविदाएं। तथापि; पूर्ववर्ती-नियमाधीन संविदाओं के संक्षेपण के परिणामस्वरूप सृजित संविदाओं के साथ-साथ इन निदेशों के अंतर्गत आने वाली संविदाओं को इन निदेशों के तहत मार्जिन आवश्यकताओं को पूरा करना होगा। 3. परिभाषाएं (1) इन परिभाषाओं में यदि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित नहीं हो तो : (ए) केन्द्रीय प्रतिपक्ष का आशय ऐसे प्रतिष्ठान से है जो स्वयं को एक या एकाधिक वित्तीय बाजारों में सौदाकृत संविदाओं के प्रतिपक्षों के बीच अंत:स्थापित करता है और इस प्रकार प्रत्येक विक्रेता के लिए क्रेता और प्रत्येक क्रेता के लिए विक्रेता बन जाता है और इस प्रकार खुली संविदाओं के निष्पादन को सुनिश्चित कर देता है। (बी) जमा प्रमाणपत्र का वही आशय है जो समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (जमा प्रमाणपत्र) निदेश, 2021 दिनांक 04 जून, 2021 के पैराग्राफ 2(ए)(iii) में दिया गया है। (सी) वाणिज्यिक पत्र का वही आशय है जो समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (वाणिज्यिक पत्र और एक वर्ष तक की मूल या प्रारंभिक परिपक्वता के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर) निदेश, 2024 दिनांक जनवरी 03, 2024 के पैराग्राफ 2(ए)(iv) में दिया गया है। (डी) समेकित समूह का आशय ऐसे समूह से है जो भारतीय लेखांकन मानक (इंड एएस) 110 – समेकित वित्तीय विवरणी, अथवा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानक (आइएफआरएस) 10 – समेकित वित्तीय विवरणी या किसी अन्य समतुल्य लेखांकन मानकों की विवेचनाओं में आता है। (ई) बाजार से संपार्श्वीकृत का आशय विचरण मार्जिन के विनिमय के प्रति ऐसे दृष्टिकोण से है जिसमें विनिमयकृत मार्जिन की विशिष्टता किसी डेरिवेटिव संविदा के पक्षकारों के बीच वर्तमान बाजार-सहबद्ध जोखिम को निरापद करने के लिए संपार्श्विक के रूप में है। (एफ़) वित्तीय क्षेत्र विनियामक का आशय भारतीय रिज़र्व बैंक (भारिबैं), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) और पेन्शन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) से है। (जी) प्रारंभिक मार्जिन का आशय उस संपार्श्विक से है जो भविष्य के उस संभावित जोखिम को कवर करने के लिए एकत्र किया जाता है जो किसी डेरिवेटिव संविदा के बाजार मूल्य में भविष्य में होने वाले बदलावों से उस समय उत्पन्न हो सकता है जब यह बंद हो जाती है या प्रतिपक्ष डिफ़ॉल्ट के मामले में पोजीशन बदल लेती है। (एच) निवर्तन (नेटिंग) समझौता इसका वही आशय रहेगा जो अर्हक वित्तीय संविदाओं का द्विपक्षीय निवर्तन अधिनियम, 2020 (2020 का 30) की धारा 2(1)(k) के तहत निर्धारित किया गया है। (आई) केन्द्रीय अनापत्ति रहित डेरिवेटिव (एनसीसीडी) का आशय ऐसी डेरिवेटिव संविदाओं से है, जिनके निपटान को किसी भी केन्द्रीय प्रतिपक्ष ने गारंटीकृत नहीं किया है। (जे) अनिवासी का आशय ‘भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति’ को शामिल करते हुए वही रहेगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 2(w) में परिभाषित है। (के) संबद्ध पक्ष का वही अर्थ रहेगा जो भारतीय लेखांकन मानक (इन्ड एएस) 24 – संबद्ध पक्ष-प्रकटीकरण अथवा अंतरराष्ट्रीय लेखांकन मानक (आइएएस) 24 – संबद्ध पक्ष-प्रकटीकरण या अन्य समतुल्य लेखांकन मानकों में निर्धारित कर दिया गया है । (एल) निवासी का आशय ‘भारत में निवासी व्यक्ति’ को शामिल करते हुए वही रहेगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 2(v) में परिभाषित है। (एम) बाजार के अनुसार निपटान का आशय है विचरण मार्जिन के विनिमय की ऐसी पद्धति जिसमें किसी डेरिवेटिव संविदा के पक्षों के बीच विनिमयकृत मार्जिन को बाजार से सम्बद्ध वर्तमान जोखिम के अनुसार निपटाया हुआ माना जाता है, इसमें विचरण मार्जिन का लौटाने का कोई दायित्व और इस पर दावा करने का कोई अधिकार नहीं होता है। निपटान के बाद पक्षों के बीच बाजार से सम्बद्ध जोखिम को फिर से शून्य पर कर दिया जाता है। (एन) विचरण मार्जिन का आशय है वह संपार्श्विक जो किसी डेरिवेटिव संविदा के बाजार मूल्य में परिवर्तनों से होने वाले बाजार-संबद्ध वर्तमान जोखिम को परावर्तित करने के लिए लिया या चुकाया जाता है। (2) इन निदेशों में प्रयुक्त किन्तु परिभाषित नहीं किए गए शब्दों और अभिव्यक्तियों का वही अर्थ रहेगा जो इनके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में निर्धारित किया गया है। 4. प्रतिष्ठान का दायरा 4.1 विचरण मार्जिन के विनिमय के लिए समाहित किए गए प्रतिष्ठान (1) इन निदेशों के तहत निम्नलिखित प्रतिष्ठानों को विचरण मार्जिन के विनिमय के लिए घरेलू समाहित प्रतिष्ठान (इसके बाद घरेलू समाहित प्रतिष्ठान – वीएम) के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा : (ए) वित्तीय क्षेत्र के किसी भी विनियामक द्वारा नियंत्रित प्रतिष्ठान (भारत में परिचालन कर रहे विदेशी बैंकों की शाखाओं सहित) और समेकित समूह व्याप्ति के आधार पर जिनके एनसीसीडी के बकाया का औसत सकल अनुमानिक रकम (एएएनए) ₹25,000 करोड़ या अधिक है। (बी) अन्य निवासी प्रतिष्ठान जिनके समेकित समूह व्याप्ति के आधार पर बकाया एनसीसीडी का एएएनए ₹60,000 करोड़ और अधिक है। (2) इन निदेशों के तहत निम्नलिखित प्रतिष्ठानों को विचरण मार्जिन के विनिमय के लिए विदेशी समाहित प्रतिष्ठान (इसके बाद विदेशी समाहित प्रतिष्ठान – वीएम) के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा : (ए) अनिवासी वित्तीय प्रतिष्ठान समेकित समूह व्याप्ति के आधार पर जिनके एनसीसीडी का बकाया एएएनए 3 बिलियन अमरीकी डॉलर और इससे अधिक है।1 (बी) अन्य अनिवासी वित्तीय प्रतिष्ठान, समेकित समूह व्याप्ति के आधार पर जिनके एनसीसीडी का बकाया एएएनए 8 बिलियन अमरीकी डॉलर और इससे अधिक है। 4.2 प्रारंभिक मार्जिन के विनिमय के लिए समाहित प्रतिष्ठान (1) वित्तीय क्षेत्र के किसी भी विनियामक द्वारा नियंत्रित प्रतिष्ठान (भारत में परिचालन कर रहे विदेशी बैंकों की शाखाओं सहित) और समेकित समूह व्याप्ति के आधार पर जिनके एनसीसीडी के बकाया का औसत सकल अनुमानिक रकम (एएएनए) ₹60,000 करोड़ या अधिक है, को इन निदेशों के तहत प्रारंभिक मार्जिन के विनिमय के लिए घरेलू समाहित प्रतिष्ठान (इसके बाद घरेलू समाहित प्रतिष्ठान – आईएम) के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। (2) अनिवासी वित्तीय प्रतिष्ठान, समेकित समूह व्याप्ति के आधार पर जिनके एनसीसीडी का बकाया एएएनए 8 बिलियन अमरीकी डॉलर और इससे अधिक है, प्रारंभिक मार्जिन के विनिमय के लिए विदेशी समाहित प्रतिष्ठान (इसके बाद विदेशी समाहित प्रतिष्ठान – आईएम) के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। 4.3 बकाया एनसीसीडी की औसत सकल अनुमानिक रकम (1) बकाया एनसीसीडी के एएएनए का आकलन एक वर्ष के मार्च, अप्रैल और मई के अंत की स्थिति के अनुसार बकाया एनसीसीडी की कुल अनुमानिक रकम के साधारण औसत के रूप में किया जाएगा। घरेलू समाहित प्रतिष्ठानों और विदेशी समाहित प्रतिष्ठानों का निर्धारण करने के लिए एक वर्ष के लिए एएएनए का उपयोग उसी साल के 1 सितम्बर से अगले साल के 31 अगस्त तक की एक वर्ष की अवधि के लिए किया जाएगा। (2) एएएनए आकलन में इन निदेशों के दायरों से बाहर के समूहों सहित सभी समेकित समूहों की सभी एनसीसीडी संविदाओं को शामिल किया जाएगा लेकिन समूह-गत संव्यवहारों को शामिल नहीं किया जाएगा। 4.4 समाहित प्रतिष्ठानों हेतु निदेश (1) एक घरेलू समाहित प्रतिष्ठान - वीएम, एनसीसीडी लेनदेन के लिए प्रतिपक्ष के साथ विचरण मार्जिन का विनिमय करेगा यदि प्रतिपक्ष एक घरेलू समाहित प्रतिष्ठान - वीएम या एक विदेशी समाहित प्रतिष्ठान - वीएम है। (2) एक घरेलू समाहित प्रतिष्ठान - आईएम, एनसीसीडी लेनदेन के लिए प्रतिपक्ष के साथ प्रारंभिक मार्जिन का विनिमय करेगा यदि प्रतिपक्ष एक घरेलू समाहित प्रतिष्ठान - आईएम या एक विदेशी समाहित प्रतिष्ठान - आईएम है। (3) समाहित प्रतिष्ठान यह पता लगाने के लिए उचित प्रक्रियाएँ स्थापित करेंगे कि एनसीसीडी लेनदेन के लिए प्रतिपक्ष विचरण मार्जिन या प्रारंभिक मार्जिन के विनिमय के लिए घरेलू समाहित प्रतिष्ठान है या नहीं। इस उद्देश्य के लिए, समाहित प्रतिष्ठान, अन्य बातों के साथ-साथ, प्रतिपक्षों की घोषणा पर भरोसा कर सकते हैं। (4) घरेलू समाहित प्रतिष्ठान निम्नलिखित का विनिमय न करने का विकल्प चुन सकते हैं: (ए) भौतिक रूप से निपटाए गए विदेशी मुद्रा अग्रिम और भौतिक रूप से निपटाए गए विदेशी मुद्रा स्वैप संविदाओं के लिए विचरण मार्जिन और/या प्रारंभिक मार्जिन; (बी) वित्तीय संस्थाओं (इन निदेशों के पैराग्राफ 4.1 (1) (बी) और 4.1 (2) (बी) में संदर्भित) के अलावा किसी प्रतिष्ठान के साथ किए गए किसी अन्य एनसीसीडी लेनदेन के लिए विचरण मार्जिन, इस शर्त के अधीन कि एनसीसीडी लेनदेन संस्था द्वारा हेजिंग के उद्देश्य से किया जा रहा है; तथा (सी) क्रॉस-करेंसी स्वैप के मूलधन के विनिमय से जुड़े निश्चित भौतिक रूप से निपटाए गए विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए प्रारंभिक मार्जिन। स्वैप के जीवनकाल के दौरान होने वाले सभी अन्य भुगतान या नकदी प्रवाह प्रारंभिक मार्जिन आवश्यकताओं के अधीन होंगे। समाहित प्रतिष्ठानों को ऐसे लेनदेन से जुड़े जोखिमों के प्रबंधन के लिए उचित जोखिम प्रबंधन नीतियां और प्रक्रियाएं विकसित करने होंगे।2 (5) इन निदेशों के प्रावधान ऐसे एनसीसीडी लेनदेन पर लागू नहीं होंगे जिसमें प्रतिपक्षों में से कोई निम्नलिखित में से कोई प्रतिष्ठान हो: (ए) भारत सरकार एवं राज्य सरकारें; (बी) एक विदेशी संप्रभु; (सी) एक केंद्रीय बैंक; (डी) अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक; तथा (ई) बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) जो बेसल III पूंजी विनियमन पर दिनांक 01 अप्रैल, 2022 के समय-समय पर यथासंशोधित आरबीआई मास्टर परिपत्र के पैराग्राफ 5.5 के अंतर्गत सूचीबद्ध हैं।3 (6) इन निदेशों के प्रावधान एक ही समेकित समूह से संबंधित किसी प्रतिष्ठानों के बीच एनसीसीडी लेनदेन पर लागू नहीं होंगे। (7) किसी किसी प्रतिष्ठान को, समाहित प्रतिष्ठान के रूप में वर्गीकृत किए जाने पर, इन निदेशों के अनुसार, अन्य समाहित प्रतिष्ठान के साथ प्रारंभिक मार्जिन और विचरण मार्जिन का विनिमय करना आवश्यक होगा, जो केवल प्रतिष्ठान को समाहित प्रतिष्ठान के रूप में मान्यता दिए जाने के बाद किए गए एनसीसीडी लेनदेन के लिए होगा। (8) एक समाहित प्रतिष्ठान, समाहित प्रतिष्ठान के रूप में वर्गीकृत होना बंद होने पर, इन निदेशों के अनुसार, उस तारीख से, जिस दिन से वह समाहित प्रतिष्ठान के रूप में मान्यता प्राप्त होना बंद कर देता है, अपने एनसीसीडी लेनदेन, जिसमें बकाया एनसीसीडी लेनदेन भी शामिल हैं, के लिए मार्जिन का विनिमय नहीं करने का विकल्प चुन सकता है। 5. मार्जिन की गणना 5.1 विचरण मार्जिन (1) विचरण मार्जिन का विनिमय पूरी तरह से बाजार के साथ संपार्श्विकृत या बाजार के अनुसार निपटान की गई, किसी एनसीसीडी संविदा के बाजार-से-सहबद्ध जोखिम के साथ किया जाएगा। ऐसी स्थिति जब जोखिमों को बाजार-से-सहबद्ध नहीं किया जा सकता हो, तब पूर्व-सहमत वैकल्पिक प्रक्रिया अथवा फॉलबैक व्यवस्था, जैसा कि क्रेडिट समर्थन अनुलग्नक में निर्धारित है, का प्रयोग विचरण मार्जिन की संगणना करने के प्रयोजन से किया जाएगा। (2) विचरण मार्जिन की गणना दैनिक आधार पर की जाएगी। (3) विचरण मार्जिन की संगणना और विनिमय सम्यक निवल आधार पर उन सभी एनसीसीडी संविदाओं के लिए किया जाएगा, जिनका निष्पादन एकल, विधिक रूप से प्रवर्तनीय निवारक करार के तहत किया जाता है। 5.2 प्रारंभिक मार्जिन (1) प्रारंभिक मार्जिन की गणना लेनदेन के आरंभ में की जाएगी और उसके बाद संभावित भावी जोखिम में परिवर्तनों के आधार पर नियमित और सतत आधार पर की जाएगी, जिसमें शामिल है, लेकिन यह सीमित नहीं है, जब बाजार में महत्वपूर्ण व्यवधान की घटना पर, पोर्टफोलियो में ट्रेड जोड़े जाते हैं या घटाए जाते हैं, और जब प्रारंभिक मार्जिन मॉडल (यदि लागू हो) को पुनः समायोजित किया जाता है। बशर्ते कि प्रारंभिक मार्जिन की पुनर्गणना 10 कार्य दिवसों की अवधि के भीतर की जाएगी। (2) प्रारंभिक मार्जिन की राशि की गणना निम्नलिखित में से किसी एक के संदर्भ में की जाएगी: (ए) अनुबंध I में उल्लिखित एक मानकीकृत दृष्टिकोण; या (बी) अनुबंध II में उल्लिखित एक मात्रात्मक पोर्टफोलियो मार्जिन मॉडल ("मॉडल दृष्टिकोण")। (3) समाहित प्रतिष्ठान एक ही आस्ति वर्ग यानी क्रेडिट, विदेशी मुद्रा/ब्याज दर और अन्य के भीतर सभी लेन-देन के लिए प्रारंभिक मार्जिन की गणना के लिए मानकीकृत दृष्टिकोण और मॉडल दृष्टिकोण के बीच चयन कर सकते हैं। इन निदेशों के उद्देश्य के लिए विदेशी मुद्रा और ब्याज दर व्युत्पन्न संविदाओं को एकल आस्ति वर्ग का हिस्सा माना जाएगा। प्रत्येक आस्ति वर्ग के लिए, एक विशेष दृष्टिकोण का चयन सुसंगत आधार पर किया जाएगा और विशेष दृष्टिकोण को चुनने के कारणों के साथ-साथ दृष्टिकोण में परिवर्तन के कारणों को, जहाँ लागू हो, प्रलेखित किया जाएगा। (4) यदि रिज़र्व बैंक को विश्वास हो कि ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है, तो वह किसी समाहित प्रतिष्ठान को मानकीकृत दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए प्रारंभिक मार्जिन की गणना करने का निदेश दे सकता है। 6. मार्जिन का विनिमय (1) विचरण मार्जिन का विनिमय समग्र निवल आधार पर, सभी एनसीसीडी संविदाओं में किया जाएगा, जो एकल, कानूनी रूप से लागू नेटिंग समझौते के तहत निष्पादित किए जाते हैं। (2) प्रारंभिक मार्जिन का विनिमय सकल आधार पर किया जाएगा, तथा इसमें दोनों प्रतिपक्षकारों द्वारा देय प्रारंभिक मार्जिन राशियों में से किसी को भी शामिल नहीं किया जाएगा, यह सभी एनसीसीडी संविदाओं में किया जाएगा, जो एकल, कानूनी रूप से लागू करने योग्य नेटिंग समझौते के तहत निष्पादित किए जाएंगे। (3) प्रारंभिक मार्जिन के विनिमय के लिए ₹ 450 करोड़4 से अधिक की सीमा लागू नहीं की जा सकती। यह सीमा दो समेकित समूहों के बीच बकाया सभी एनसीसीडी संविदाओं के आधार पर समेकित समूह के स्तर पर लागू की जाएगी। कुल गणना की गई प्रारंभिक मार्जिन राशि और प्रारंभिक मार्जिन सीमा के बीच के अंतर को दो समेकित समूहों के बीच विनिमय किया जाएगा यदि कुल प्रारंभिक मार्जिन राशि सीमा से अधिक है। (4) विचरण मार्जिन और प्रारंभिक मार्जिन के विनिमय के लिए, संयुक्त रूप से, न्यूनतम ट्रांसफर राशि (एमटीए) ₹ 4.5 करोड़ से अधिक नहीं होनी चाहिए। समाहित प्रतिष्ठान विचरण मार्जिन और प्रारंभिक मार्जिन के लिए अलग-अलग एमटीए निर्धारित करने के लिए परस्पर सहमत हो सकते हैं, बशर्ते कि संयुक्त होने पर एमटीए ₹ 4.5 करोड़ से अधिक न हो। यदि मार्जिन राशि एमटीए से अधिक है तो पूरी मार्जिन राशि का विनिमय किया जाएगा । (5) विचरण मार्जिन और प्रारंभिक मार्जिन को लेनदेन तिथि ("टी") या मार्जिन पुनर्गणना तिथि ("आर") के बाद जल्द से जल्द बुलाया और विनिमय किया जाएगा, लेकिन ऐसा लेनदेन तिथि ("टी + 3") या मार्जिन पुनर्गणना तिथि ("आर + 3") से तीन स्थानीय कारोबारी दिवसों के बाद नहीं किया जाए। (6) घरेलू समाहित प्रतिष्ठान और विदेशी समाहित प्रतिष्ठान के बीच एनसीसीडी लेनदेन के लिए विचरण मार्जिन और प्रारंभिक मार्जिन को भारत में या विदेशी क्षेत्राधिकार में पोस्ट/एकत्र किया जा सकता है, जो डेरिवेटिव संविदाओं के लिए मार्जिन पर 08 मई, 2024 के एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 06 के प्रावधानों के अधीन है। 7. बाजार दृष्टिकोण के तहत विचरण मार्जिन का संव्यवहार (1) बैंकों द्वारा विचरण मार्जिन के रूप में प्राप्त नकद संपार्श्विक, समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (जमा पर ब्याज दर) निदेश, 2016 के प्रावधानों के अधीन नहीं होगा। (2) प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा विचरण मार्जिन के रूप में प्राप्त नकद संपार्श्विक, समय-समय पर संशोधित मास्टर निदेश - जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेनदेन, 2016 के भाग सी के पैराग्राफ 5 के प्रावधानों के अधीन नहीं होगा। (3) विचरण मार्जिन के रूप में प्राप्त नकद संपार्श्विक पर ऋण सहायता अनुबंध के अनुसार ब्याज का भुगतान कर सकते हैं। (4) ऋण सहायता अनुबंध के अनुसार, विचरण मार्जिन के रूप में प्राप्त नकद और गैर-नकद संपार्श्विक को पुनः दृष्टिबंधक रखा जा सकता है, पुनः गिरवी रखा जा सकता है या पुनः उपयोग किया जा सकता है। 8. प्रारंभिक मार्जिन का संव्यवहार (1) प्रतिपक्षकारों से एकत्रित प्रारंभिक मार्जिन इस प्रकार बनाए रखा जाएगा: (ए) संग्रहित मार्जिन पोस्टिंग पक्ष द्वारा चूक के बाद समय पर संग्रहण पक्ष को उपलब्ध हो जाता है; तथा (बी) एकत्रित किया गया मार्जिन कानूनी रूप से लागू करने योग्य संपार्श्विक व्यवस्था के अधीन है जो एकत्रित करने वाले पक्ष के दिवालियेपन या दिवालियापन में प्रवेश करने की स्थिति में लागू कानून के तहत यथासंभव सीमा तक पोस्टिंग पक्ष की रक्षा करता है। (2) समाहित प्रतिष्ठान एकत्रित किए गए प्रारंभिक मार्जिन को उस प्रतिपक्षकार का मानेगा जिसने उसे पोस्ट किया था। (3) एकत्रित किए गए प्रारंभिक मार्जिन को या तो इन निदेशों के पैराग्राफ 9(2) और 9(4) में निर्दिष्ट शर्तों के अधीन या अन्य कानूनी रूप से प्रभावी व्यवस्थाओं के माध्यम से, किसी संपार्श्विक सेवा प्रदाता के पास प्रारंभिक मार्जिन रखकर, संग्रहण करने वाले पक्ष की स्वामित्व वाली आस्तियों से अलग किया जाएगा। इसके अलावा, संग्रहण करने वाला पक्ष पोस्टिंग करने वाले पक्ष को यह विकल्प भी प्रदान करेगा कि वह अपने द्वारा पोस्ट किए गए प्रारंभिक मार्जिन को अन्य सभी प्रतिपक्षों की आस्तियों से अलग कर सके। (4) एकत्रित प्रारंभिक मार्जिन को पुनः दृष्टिबंधक नहीं बनाया जाएगा, पुनः गिरवी नहीं रखा जाएगा, पुनः उपयोग नहीं किया जाएगा, या किसी अन्य लेनदेन के लिए मार्जिन या गारंटी के रूप में या उसे सुरक्षित करने के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा। (5) पोस्टिंग पक्ष की पूर्व लिखित सहमति के अधीन, नकद में एकत्रित प्रारंभिक मार्जिन को इन निदेशों के पैराग्राफ 10 के तहत निर्दिष्ट पात्र संपार्श्विक में पुनर्निवेशित किया जा सकता है, बशर्ते कि पुनर्निवेशित प्रारंभिक मार्जिन (प्रासंगिक हेयरकट को लागू करने के बाद) इन निदेशों में निर्धारित प्रावधानों को पूरा करता हो। (6) एकत्रित किए गए प्रारंभिक मार्जिन से अर्जित ब्याज उस प्रतिपक्ष को मिलेगा जिसने इसे पोस्ट किया है, जो समाहित प्रतिष्ठानों के बीच समझौते के अधीन है। समाहित प्रतिष्ठान यह सुनिश्चित करेगा कि प्रतिपक्ष को अर्जित ब्याज का भुगतान प्रतिपक्ष को किया जाए या उसके लाभ के लिए रखा जाए, जैसा भी मामला हो। (7) बैंकों द्वारा प्रारंभिक मार्जिन के रूप में प्राप्त नकद संपार्श्विक, समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (जमा पर ब्याज दर) निदेश, 2016 के प्रावधानों के अधीन नहीं होगा। (8) प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा प्रारंभिक मार्जिन के रूप में प्राप्त नकद संपार्श्विक, समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश - जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेनदेन, 2016 के भाग सी के पैराग्राफ 5 के प्रावधानों के अधीन नहीं होगा। 9. संपार्श्विक सेवा प्रदाता - पात्रता (1) इन निदेशों के प्रावधानों के अधीन, एक समाहित प्रतिष्ठान भारत या विदेश में प्रारंभिक मार्जिन रख सकता है। (2) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक और भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआईएल) भारत में प्रारंभिक मार्जिन के लिए संपार्श्विक सेवा प्रदाता के रूप में कार्य करने के लिए पात्र होंगे। (3) संपार्श्विक सेवा प्रदाता यह सुनिश्चित करेगा कि पोस्टिंग प्रतिष्ठान की ओर से उसके द्वारा रखे गए प्रारंभिक मार्जिन को अलग किया जाए और अपनी स्वामित्व वाली आस्तियों के साथ मिश्रित न किया जाए। संपार्श्विक सेवा प्रदाता पोस्टिंग प्रतिष्ठान को यह विकल्प भी प्रदान करेगा कि वह अपने द्वारा पोस्ट किए गए प्रारंभिक मार्जिन को अन्य सभी पोस्टिंग प्रतिष्ठानों की आस्तियों से अलग कर सके। (4) किसी विदेशी क्षेत्राधिकार में संपार्श्विक सेवा प्रदाता का उपयोग करने का चयन करने समाहित प्रतिष्ठान को यह सुनिश्चित करना होगा कि संपार्श्विक सेवा प्रदाता विदेशी क्षेत्राधिकार के विनियमों के अनुसार ऐसी सेवाएं प्रदान करने के लिए विधिवत् अधिकृत है। (5) समाहित प्रतिष्ठान को संपार्श्विक सेवा प्रदाता द्वारा एकत्रित प्रारंभिक मार्जिन को सुरक्षित रखने की क्षमता के बारे में स्वयं संतुष्ट होना होगा। 10. योग्य संपार्श्विक और हेयरकट (1) दो घरेलू समाहित प्रतिष्ठानों - वीएम के बीच विचरण मार्जिन का विनिमय निम्नलिखित संपार्श्विक प्रकारों का उपयोग करके किया जाएगा: (ए) भारतीय मुद्रा; (बी) भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जारी ऋण प्रतिभूतियाँ; और (सी) भारत में निवासी व्यक्तियों द्वारा जारी रुपया बांड, जो : i. भारत में किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो; और ii. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के साथ पंजीकृत रेटिंग एजेंसी द्वारा AAA की क्रेडिट रेटिंग प्रदान की गई हो। यदि दो या अधिक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा अलग-अलग रेटिंग दी जाती है, तो सबसे कम रेटिंग मानी जाएगी। (डी) जमा प्रमाणपत्र; और (ई) वाणिज्यिक पत्र, जिन्हें भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के साथ पंजीकृत रेटिंग एजेंसी द्वारा न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग A1 दी गई है। यदि दो या अधिक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा अलग-अलग रेटिंग दी जाती है, तो सबसे कम रेटिंग मानी जाएगी। (2) दो घरेलू समाहित प्रतिष्ठानों – आईएम के बीच प्रारंभिक मार्जिन का विनिमय निम्नलिखित संपार्श्विक प्रकारों का उपयोग करके किया जाएगा: (ए) भारतीय मुद्रा; और (बी) भारत सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा जारी ऋण प्रतिभूतियाँ। (3) एक घरेलू समाहित प्रतिष्ठान - वीएम और एक विदेशी समाहित प्रतिष्ठान - वीएम के बीच विचरण मार्जिन का विनिमय निम्नलिखित संपार्श्विक प्रकारों का उपयोग करके किया जाएगा, जो डेरिवेटिव संविदाओं के लिए मार्जिन पर 08 मई, 2024 के एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 06 के प्रावधानों के अधीन है: (ए) भारतीय मुद्रा; (बी) स्वतंत्र रूप से परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा; (सी) भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जारी ऋण प्रतिभूतियाँ; (डी) विदेशी संप्रभुओं द्वारा जारी ऋण प्रतिभूतियाँ, जिनकी रेटिंग एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स/फिच रेटिंग्स द्वारा एए- और उससे अधिक है या मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस द्वारा एए3 और उससे अधिक है। यदि दो या अधिक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा अलग-अलग रेटिंग दी जाती है, तो सबसे कम रेटिंग को माना जाएगा; और (ई) भारत में निवासी व्यक्तियों द्वारा जारी रुपया बांड जो: (i) भारत में किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो; और (ii) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के साथ पंजीकृत रेटिंग एजेंसी द्वारा AAA की क्रेडिट रेटिंग प्रदान की गई हो। यदि दो या अधिक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा अलग-अलग रेटिंग दी जाती है, तो सबसे कम रेटिंग मानी जाएगी। (एफ़) जमा प्रमाणपत्र; और (जी) वाणिज्यिक पत्र, जिन्हें भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के साथ पंजीकृत रेटिंग एजेंसी द्वारा न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग A1 दी गई है। यदि दो या अधिक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा अलग-अलग रेटिंग दी जाती है, तो सबसे कम रेटिंग मानी जाएगी। (4) एक घरेलू समाहित प्रतिष्ठान – आईएम और एक विदेशी समाहित प्रतिष्ठान – आईएम के बीच प्रारंभिक मार्जिन का विनिमय निम्नलिखित संपार्श्विक प्रकारों का उपयोग करके किया जाएगा, जो डेरिवेटिव संविदाओं के लिए मार्जिन पर 08 मई, 2024 के एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 06 के प्रावधानों के अधीन है: (ए) भारतीय मुद्रा; (बी) स्वतंत्र रूप से परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा; (सी) भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जारी ऋण प्रतिभूतियाँ; और (डी) विदेशी संप्रभुओं द्वारा जारी ऋण प्रतिभूतियाँ जिनकी क्रेडिट रेटिंग एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स/फिच रेटिंग्स द्वारा एए- और उससे अधिक है या मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस द्वारा एए3 और उससे अधिक है। यदि दो या अधिक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा अलग-अलग रेटिंग दी जाती है, तो सबसे कम रेटिंग को माना जाएगा; (5) जोखिम-संवेदनशील हेयरकट, प्राप्त संपार्श्विक के मूल्य पर लागू किए जाएंगे। प्राप्त संपार्श्विक पर और संपार्श्विक के प्रकार के आधार पर लागू किए जाने वाले न्यूनतम हेयरकट की अनुसूची अनुबंध III में निर्धारित की गई है। (6) विचरण मार्जिन आवश्यकताओं के उद्देश्य से, क्रेडिट समर्थन अनुबंध में सहमति के अनुसार आधार मुद्रा या पात्र मुद्राओं के अलावा किसी अन्य मुद्रा में प्राप्त सभी गैर-नकद संपार्श्विक पर आठ प्रतिशत की अतिरिक्त मुद्रा बेमेल हेयरकट लागू की जाएगी। (7) प्रारंभिक मार्जिन आवश्यकताओं के उद्देश्य से, आठ प्रतिशत की अतिरिक्त मुद्रा बेमेल हेयरकट सभी नकद और गैर-नकद संपार्श्विक पर लागू की जाएगी, जो कि उस समाप्ति मुद्रा के अलावा किसी अन्य मुद्रा में प्राप्त की जाती है जिसे संपार्श्विक पोस्ट करने वाले प्रतिपक्ष ने प्रासंगिक अनुबंध में निर्दिष्ट किया है। प्रत्येक प्रतिपक्ष एक समाप्ति मुद्रा निर्दिष्ट कर सकता है। (8) एनसीसीडी लेनदेन के किसी भी प्रतिपक्षकार या उनके संबंधित पक्षों द्वारा जारी प्रतिभूतियों को संपार्श्विक के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। (9) प्रतिपक्षों को प्राप्त संपार्श्विक से जुड़े जोखिमों के प्रबंधन के लिए उचित नियंत्रण स्थपित करना होगा, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ गलत तरीके का जोखिम5, संकेन्द्रण जोखिम और चलनिधि जोखिम शामिल हैं। (10) मूल रूप से पोस्ट या संग्रहित योग्य संपार्श्विक को प्रतिस्थापित किया जा सकता है, बशर्ते कि प्रतिस्थापित संपार्श्विक इन निदेशों में निर्धारित सभी आवश्यकताओं को पूर करता हो और प्रतिस्थापित संपार्श्विक का मूल्य, जोखिम-संवेदनशील हेयरकट को लागू करने के बाद, मार्जिन आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त हो। (11) इन निदेशों के पैराग्राफ 11 के अनुसार, विदेशी क्षेत्राधिकार की मार्जिन आवश्यकताओं का अनुपालन करने का चयन करने वाला एक घरेलू समाहित प्रतिष्ठान, विदेशी क्षेत्रधिकार की मार्जिन आवश्यकताओं के संदर्भ में अनुमत संपार्श्विक प्रकारों का उपयोग करके मार्जिन का विनिमय कर सकता है। 11. विदेशी क्षेत्राधिकार की मार्जिन आवश्यकताओं का अनुपालन (1) घरेलू समाहित प्रतिष्ठान और विदेशी समाहित प्रतिष्ठान के बीच एनसीसीडी लेनदेन विदेशी क्षेत्राधिकार में मार्जिन आवश्यकताओं के अधीन हो सकता है। विदेशी क्षेत्राधिकार में एक घरेलू समाहित प्रतिष्ठान और उसका प्रतिपक्ष इन निदेशों का अनुपालन करने का निर्णय ले सकता है, या विदेशी क्षेत्राधिकार द्वारा कार्यान्वित मार्जिन आवश्यकताओं का अनुपालन कर सकता है, बशर्ते कि विदेशी क्षेत्राधिकार में मार्जिनिंग ढांचे का मूल्यांकन घरेलू समाहित प्रतिष्ठान द्वारा इन निदेशों में आवश्यकताओं के साथ तुलनीय होने के लिए किया गया हो। (2) दो घरेलू समाहित प्रतिष्ठान जो फेमा, 1999 की धारा 10(1) के तहत विदेशी मुद्रा में लेनदेन करने के लिए अधिकृत हैं और जिनमें से कम से कम एक भारत में संचालित विदेशी बैंक की शाखा है, वे इन निदेशों या किसी विदेशी क्षेत्राधिकार की मार्जिन आवश्यकताओं के अनुसार उनके बीच एनसीसीडी लेनदेन के लिए प्रारंभिक मार्जिन का विनिमय करने का निर्णय ले सकते हैं, बशर्ते विदेशी क्षेत्राधिकार में मार्जिनिंग ढांचे का मूल्यांकन दोनों घरेलू समाहित प्रतिष्ठानों द्वारा इन निदेशों में आवश्यकताओं के साथ तुलनीय होने के लिए किया गया हो। (3) घरेलू समाहित प्रतिष्ठान निम्नलिखित व्यापक सिद्धांतों के आधार पर विदेशी क्षेत्राधिकारों के मार्जिनिंग ढांचे की तुलनात्मकता का आकलन करेगा: (ए) विदेशी क्षेत्राधिकार, जिसकी मार्जिन आवश्यकताओं का आकलन किया जा रहा है, वह बीसीबीएस-आईओएससीओ कार्य समूह का सदस्य है; (बी) विदेशी क्षेत्राधिकार में मार्जिनिंग ढांचे को बीसीबीएस और आईओएससीओ द्वारा जारी एनसीसीडी के लिए मार्जिन आवश्यकताओं पर नीति ढांचे के अनुरूप कार्यान्वित किया जाता है; तथा (सी) विदेशी क्षेत्राधिकार में कानूनी रूप से लागू करने योग्य नेटिंग ढांचा है6; (4) इस उद्देश्य के लिए, घरेलू समाहित प्रतिष्ठान तुलनात्मक मूल्यांकन के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति लागू करेगा। प्रत्येक विदेशी क्षेत्राधिकार के मार्जिनिंग ढांचे का मूल्यांकन बोर्ड/समकक्ष निकाय की जोखिम प्रबंधन समिति के समक्ष रखा जाएगा और समय-समय पर समीक्षा के अधीन होगा। (5) रिज़र्व बैंक भविष्य में इन निदेशों के संदर्भ में विदेशी अधिकार क्षेत्रों के मार्जिनिंग ढांचे का तुलनात्मक मूल्यांकन कर सकता है । इस तरह के मूल्यांकन में इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि विदेशी अधिकार क्षेत्र में मार्जिनिंग ढांचा बीसीबीएस और आईओएससीओ द्वारा जारी एनसीसीडी के लिए मार्जिन आवश्यकताओं पर नीति ढांचे के अनुरूप लागू किया गया है या नहीं। (6) रिज़र्व बैंक, किसी विदेशी क्षेत्राधिकार के मार्जिनिंग ढांचे के अपने मूल्यांकन के आधार पर, उस क्षेत्राधिकार के मार्जिनिंग ढांचे का अनुपालन करने का इरादा रखने वाले समकक्षों द्वारा पूरी की जाने वाली अतिरिक्त शर्तें लगा सकता है। (7) एक घरेलू समाहित प्रतिष्ठान एक विदेशी समाहित प्रतिष्ठान के साथ एनसीसीडी लेनदेन में मार्जिन का विनिमय नहीं कर सकता है, यदि क्लोज-आउट नेटिंग और संपार्श्विक व्यवस्था की प्रवर्तनीयता के संबंध में महत्वपूर्ण संदेह है, जो निम्नलिखित के अधीन होगा: (ए) घरेलू समाहित प्रतिष्ठान एक कानूनी समीक्षा करेगा और ऐसे क्षेत्राधिकार की पहचान करने के लिए आधार का दस्तावेजीकरण करेगा जहां क्लोज-आउट नेटिंग और/या संपार्श्विक व्यवस्था कानूनी रूप से लागू करने योग्य नहीं हैं; तथा (बी) इस प्रकार मूल्यांकित प्रत्येक क्षेत्राधिकार के लिए, घरेलू समाहित प्रतिष्ठान, क्षेत्राधिकार में स्थित प्रतिपक्षों के प्रति अपने जोखिम का प्रबंधन करने के लिए उपयुक्त आंतरिक सीमाएं और नियंत्रण स्थापित करेगा। 12. विवाद समाधान (1) प्रतिपक्षों को यह सुनिश्चित करना होगा कि एनसीसीडी लेनदेन करने से पहले विवाद समाधान के लिए उचित नीतियां और प्रक्रियाएं लागू हों। ऐसी नीतियों और प्रक्रियाओं में, अन्य बातों के साथ-साथ, विवाद के रूप में भौतिक शर्तों या मूल्यांकन में विसंगतियों का निर्धारण करने की प्रक्रियाएं, ऐसे विवादों को हल करने के लिए तंत्र और वरिष्ठ प्रबंधन या बोर्ड के लिए भौतिक विवादों को आगे बढ़ाना शामिल होगा, जैसा कि उचित हो सकता है। (2) मार्जिन विवाद की स्थिति में, प्रतिपक्षों को पहले गैर-विवादित राशि का विनिमय करना होगा तथा विवाद समाधान प्रोटोकॉल की समय पर शुरुआत सहित विवाद को हल करने और समयबद्ध तरीके से शेष मार्जिन राशि का विनिमय करने के लिए सभी आवश्यक और उचित प्रयास करने होंगे। 13. रिज़र्व बैंक द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने का दायित्व रिज़र्व बैंक एनसीसीडी बाजारों में शामिल किसी भी एजेंसी जिसमें समाहित प्रतिष्ठान और संपार्श्विक सेवा प्रदाता शामिल हैं, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं है, से कोई भी जानकारी मांग सकता है या कोई स्पष्टीकरण मांग सकता है, जो रिज़र्व बैंक की राय में प्रासंगिक है और एजेंसी को निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर ऐसी अतिरिक्त जानकारी और स्पष्टीकरण प्रस्तुत करना होगा। (डिम्पल भांडिया) प्रारंभिक मार्जिन की गणना के लिए मानकीकृत दृष्टिकोण (1) प्रत्येक नेटिंग समझौते के लिए, निवल मानकीकृत प्रारंभिक मार्जिन राशि की गणना नीचे दिए अनुसार की जाएगी: (ए) आस्ति वर्ग की प्रत्येक व्युत्पन्न संविदा के लिए, व्युत्पन्न संविदा के सकल अनुमानित आकार को सारणी 1 में मार्जिन दर से गुणा किया जाएगा। (बी) सकल मानकीकृत प्रारंभिक मार्जिन राशि प्राप्त करने के लिए इस राशि को एक ही नेटिंग समझौते में सभी आस्ति वर्गों में जोड़ा जाएगा। समान अंतर्निहित और परिपक्वता वाले संविदाओं की अनुमानिक राशि को नेट किया जा सकता है। (सी) सकल मानकीकृत प्रारंभिक मार्जिन राशि को सकल प्रतिस्थापन लागत (एनजीआर) में निवल प्रतिस्थापन लागत के अनुपात से समायोजित किया जाएगा, जिससे निम्नानुसार निवल मानकीकृत प्रारंभिक मार्जिन राशि प्राप्त होगी: निवल मानकीकृत आईएम = (0.4 + 0.6 × एनजीआर) × सकल मानकीकृत आईएम जहाँ, (i) निवल प्रतिस्थापन लागत एक ही नेटिंग समझौते में सभी डेरिवेटिव संविदाओं के सभी सकारात्मक और नकारात्मक मार्क-टू-मार्केट मूल्यों का योग है, और इसे शून्य पर रखा जाता है; तथा (ii) सकल प्रतिस्थापन लागत, समान नेटिंग समझौते में सकारात्मक मार्क-टू-मार्केट मूल्य वाले सभी डेरिवेटिव संविदाओं के मार्क-टू-मार्केट मूल्यों का योग है। (2) एनसीसीडी लेनदेन, जिसके लिए प्रतिष्ठान को कोई प्रतिपक्ष जोखिम का सामना नहीं करना पड़ता है, को प्रारंभिक मार्जिन गणना से बाहर रखा जा सकता है। प्रारंभिक मार्जिन की गणना के लिए मॉडल दृष्टिकोण (1) प्रारंभिक मार्जिन की गणना के लिए प्रयुक्त मात्रात्मक पोर्टफोलियो मार्जिन मॉडल निम्नलिखित मानकों को पूरा करेगा: (ए) मॉडल में सभी प्रासंगिक जोखिम कारकों को शामिल किया जाएगा जो एनसीसीडी संविदाओं को भौतिक रूप से प्रभावित करते हैं और एनसीसीडी संविदाओं में निहित जोखिमों की प्रकृति, पैमाने और जटिलता को प्रतिबिंबित करते हैं; (बी) मॉडल 10-दिवसीय समय तल पर वन-टेल्ड 99 प्रतिशत विश्वास अंतराल के आधार पर एनसीसीडी संविदाओं के संभावित भविष्य के जोखिम का अनुमान लगाएगा; (सी) मॉडल को पांच साल से अधिक के ऐतिहासिक डेटा के आधार पर कैलिब्रेट किया जाएगा, जिसमें महत्वपूर्ण वित्तीय दबाव की अवधि शामिल है। वित्तीय दबाव की अवधि की पहचान की जाएगी और प्रत्येक आस्ति वर्ग के लिए अलग से लागू की जाएगी। पहचान की गई अवधि के भीतर डेटा को कैलिब्रेशन उद्देश्यों के लिए समान रूप से भारित किया जाएगा; (डी) मॉडल उन सभी एनसीसीडी संविदाओं पर विचार करेगा जो मॉडल उपयोग के लिए सहमत हैं और समान कानूनी रूप से लागू नेटिंग समझौते के अधीन हैं; (ई) मॉडल प्रत्येक आस्ति वर्ग के भीतर विविधीकरण, हेजिंग और जोखिम ऑफसेट को ध्यान में रख सकता है; तथा (एफ़) एनसीसीडी लेनदेन, जिसके लिए किसी प्रतिष्ठान को कोई प्रतिपक्ष जोखिम का सामना नहीं करना पड़ता है, को प्रारंभिक मार्जिन गणना से बाहर रखा जा सकता है। (2) प्रारंभिक मार्जिन की गणना के लिए प्रयुक्त मात्रात्मक पोर्टफोलियो मार्जिन मॉडल नीचे दी गई आंतरिक शासन प्रक्रिया के अधीन होगा: (ए) मॉडल को प्रारंभिक और आवधिक (कम से कम एक वर्ष में एक बार) स्वतंत्र सत्यापन के अधीन होना होगा ताकि इसकी वैचारिक सुदृढ़ता और उन व्युत्पन्नियों के लिए मॉडल की उपयुक्तता को सत्यापित किया जा सके जिनके लिए इसका उपयोग किया जा रहा है; (बी) मॉडल के प्रदर्शन की नियमित बैक-टेस्टिंग कार्यक्रम सहित सतत आधार पर निगरानी की जाएगी; तथा (सी) मॉडल को लिखित पुनर्अंशांकन नीतियों के अनुसार वर्ष में कम से कम एक बार पुनर्अंशांकित किया जाएगा। (3) मॉडल को निदेशक मंडल (या समकक्ष फोरम) द्वारा अनुमोदित किया जाएगा, जो अन्य बातों के साथ-साथ, इन निदेशों में दिए गए प्रावधानों के साथ मॉडल के सतत अनुपालन को सुनिश्चित करेगा। (4) समाहित प्रतिष्ठान मॉडल कार्यप्रणाली, मॉडल विनिदेशों, सत्यापन रिपोर्ट और बैक-टेस्टिंग कार्यप्रणाली और परिणामों का दस्तावेजीकरण करेंगे। दस्तावेज़ीकरण में, अन्य बातों के साथ-साथ, यह प्रदर्शित किया जाएगा कि मॉडल इन निदेशों में निर्धारित सभी मॉडल मानकों को पूरा करता है। (5) तीसरे पक्ष के मॉडल के उपयोग के मामले में, समाहित प्रतिष्ठान इन निदेशों के प्रावधानों के साथ तीसरे पक्ष के मॉडल का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे। मानकीकृत हेयरकट अनुसूची
1 इन निदेशों के प्रयोजन से वित्तीय प्रतिष्ठानों का आशय उन प्रतिष्ठानों से है जो प्रमुख रूप से निम्नलिखित में से किसी एक या अधिक क्रियाकलापों में संलग्न हैं, यथा – बैंकिंग, उधार देना, बीमा, सेवानिवृत्ति निधि स्कीमों का प्रबंधन, प्रतिभूति कारोबार, अभिरक्षण और सुरक्षण सेवा, पोर्टफोलियो प्रबंधन (आस्ति प्रबंधन और निधि प्रबंधन सहित), प्रतिभूतिकरण, धन-प्रेषण या मुद्रा परिवर्तन सेवाओं का परिचालन और इन क्रियाकलापों के संचालन के साथ अनुषंगी क्रियाकलाप। 2 घरेलू समाहित प्रतिष्ठान, एफएक्स निपटान से संबद्ध जोखिमों के प्रबंधन हेतु एफएक्स संव्यवहारों से संबद्ध जोखिमों के प्रबंधन हेतु बीसीबीएस पर्यवेक्षी दिशानिदेश, फरवरी 2013 का अवलोकन करें: https://www.bis.org/publ/bcbs241.pdf 3 https://website.rbi.org.in/documents/87730/39710850/12MCBaselIIICapitalRegulationsed3ef388f75e48198ff8328b36f43670.pdf 4 प्रतिपक्षों से यह अपेक्षा की जाती है कि जब उनका एक्सपोज़र प्रारंभिक मार्जिन सीमा तक पहुँच जाए तो वे तत्परतापूर्वक कार्य करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यदि सीमा पार हो जाती है तो आवश्यक प्रासंगिक व्यवस्थाएँ मौजूद हैं। 5 गलत तरीके का जोखिम तब होता है जब एकत्रित संपार्श्विक का मूल्य प्रतिपक्ष की साख या अंतर्निहित एनसीसीडी पोर्टफोलियो के मूल्य के साथ एक महत्वपूर्ण सहसंबंध प्रदर्शित करता है जो एकत्रित संपार्श्विक द्वारा दी गई सुरक्षा की प्रभावशीलता को कम कर सकता है। 6 बैंक इस संबंध में 12 मई, 2023 के बेसल III पूंजी विनियमन पर मास्टर परिपत्र के अनुबंध 18 (भाग बी) का संदर्भ ले सकते हैं। |