समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश (ODI) – ‘रिपोर्टिंग तथा ODI फार्मों’ को सरल बनाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश (ODI) – ‘रिपोर्टिंग तथा ODI फार्मों’ को सरल बनाना
भा.रि.बैंक/2015-16/374 13 अप्रैल 2016 सभी श्रेणी–I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश (ODI) – ‘रिपोर्टिंग तथा ODI फार्मों’ को सरल बनाना प्राधिकृत व्यापारी (प्रा.व्या श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान, समय-समय पर संशोधित अधिसूचना सं. फेमा 120/आरबी-2004 के तहत अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंधन (किसी विदेशी प्रतिभूति को जारी अथवा अंतरित करना) (संशोधन) विनियमावली, 2004 (अधिसूचना) की ओर आकृष्ट किया जाता है। प्रा.व्या श्रेणी-I बैंकों का ध्यान ODI फार्मों को सरल बनाने संबंधी दिनांक 01 जून 2007 के ए.पी. (डीआइआर सीरीज़) परिपत्र सं. 68 और दिनांक 21 अगस्त 2012 के ए.पी. (डीआइआर सीरीज़) परिपत्र सं.15 तथा 14 अगस्त 2013 के ए.पी.(डीआइआर सीरीज़) परिपत्र सं. 24 द्वारा जारी अनुदेशों की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिनमें निवासी व्यक्तियों (RI) को उदारीकृत विविप्रेषण योजना (एलआरएस) सीमा के भीतर समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी स्थापित करने की अनुमति दी गयी थी। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान ODI की ऑनलाइन रिपोर्टिंग प्रणाली के परिचालन पर दिनांक 24 फरवरी 2010 को जारी ए.पी. (डीआइआर सीरीज़) परिपत्र सं. 36, 31 मई 2012 के ए.पी. (डीआइआर सीरीज़) परिपत्र सं. 131, 1 जनवरी 2016 के के मास्टर निदेश सं.15/2015-16 के पैरा बी-7 और भाग-2 तथा 1 जनवरी 2016 के एफइडी मास्टर निदेश सं 18/2015-16 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. वर्तमान में, ODI में आवेदन के लिए संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्व साली सहायक कंपनी को स्वचालित मार्ग / अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत प्रत्यक्ष निवेश हेतु फार्म ODI भाग-I (छ: भागों में) प्रस्तुत करना होता है। साथ ही, भारतीय पार्टी द्वारा विविप्रेषण और वित्तीय प्रतिबद्धता फार्म ODI भाग-II में रिपोर्ट की जाती है। समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम/ पूर्णत: स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों की वार्षिक निष्पादन रिपोर्ट फार्म-ODI भाग-III और विनिवेश का ब्योरा वर्तमान में नामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक के माध्यम से फार्म-ODI भाग-IV में प्रस्तुत किया जाना अपेक्षित है। जबकि फार्म ODI भाग-I और भाग-III ODI करने वाले आवेदक द्वारा प्रस्तुत किया जाना होता है। ODI भाग-I और भाग-IV आवेदक की ओर से एडी बैंक द्वारा प्रस्तुत किए जाने होते हैं, ताकि भारतीय पार्टियों के ODI संबंधी ब्योरे तथा उससे सम्बंधित लेनदेनों का समावेशन हो सके। अब यह निर्णय लिया गया कि फार्म ODI भाग-II को भाग-I में शामिल किया जाए. जिससे अब फार्म ODI में छ: की बजाय पांच भाग होंगे. 3. सरल किए गए और संशोधित फार्म ODI (अनुबंध-I) में अब निम्नलिखित भाग होंगे: भाग-I विशिष्ट पहचान संख्या के आबंटन और विप्रेषण/ लेन देन रिपोर्ट करने के लिए आवेदन:
भाग II- वार्षिक निष्पादन रिपोर्ट (एपीआर) भाग III- निम्नानुसार विनिवेश की रिपोर्ट
4. इसके अतिरिक्त, अनुबंध-II और अनुबंध-III में फार्मेट के अनुसार उद्यम पूँजी कोष/ वैकल्पिक निवेश कोष, संविभाग निवेश और म्यूच्यूअल कोष द्वारा समुद्रपारीय निवेश के लिए नया रिपोर्टिंग फॉर्मेट भी लागू किया गया है. ईएसओपी के क्रय अथवा पुन: क्रय रिपोर्ट करने के लिए ए डी बैंक अभी भी उसी वर्तमान फॉर्मेट (अनुबंध-IV) में सूचना दे सकते हैं. 5. यह भी सूचित किया जाता है कि यूआइएन के आबंटन के बाद निवेश के बाद हुए परिवर्तन फॉर्म ODI भाग-I (अनुबंध-I) के प्रस्तुतिकरण के सम्बन्ध में परिचालनगत निदेशों में निर्दिष्ट किए अनुसार सूचित किए जाएँ. 6. एडी बैंक कोई ODI लेनदेन करने से पहले उसी अधिसूचना के विनियम 6 (2) (VI) के अनुसार आवेदक से फॉर्म ODI भाग-I प्राप्त कर लें. साथ ही, एडी बैंक ऑनलाइन ओआइडी आवेदन में सम्बंधित फॉर्म ओडीई रिपोर्ट करें तथा विप्रेषण करते समय UIN प्राप्त करें. 7. यदि आरआइ ही ODI करते हैं तो ODI भाग I प्रको सांविधिक लेखा परीक्षकों अथवा लेखाकारों द्वारा प्रमाणित कराने की आवश्यकता नहीं है. सम्बंधित आरआइ द्वारा किया गया स्व प्रमाणन स्वीकार किया जाए. 8. संशोधित ODI फॉर्म तथा फॉर्म भरने हेतु अनुदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे. 9. फार्मों से प्राप्त जानकारी को सार्वजानिक डोमेन में रखने का अधिकार रिज़र्व बैंक के पास सुरक्षित है. 10. पहले के समान एडी बैंक ODI फॉर्म तथा निवेश के बाद परिवर्तनों से सम्बंधित दस्तावेज भी प्राप्त करते रहेंगे. इनका अनुरक्षण UIN वारकिया जाना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किया जा सके. 11. एडी बैंकों को उचित प्रक्रिया और प्रणाली तैयार रखनी चाहिए और सभी कार्यरत अधिकारियों को शाखा/ बैंक स्तर पर आवश्यक अनुदेश जारी किए जाएँ की वे इन दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करें. फॉर्म ODI की ऑनलाइन रिपोर्टिंग 12. ऑनलाइन ओआइडी आवेदनपत्रों में और सुधार किए गए हैं ताकि पारम्परिक कागज़ आधारित फाइलिंग प्रणाली को और कम किया जा सके, एडी बैंकों को सन्दर्भ के प्रयोजन हेतु आंकड़े आसानी से और शीघ्र मिल सकें और इस गतिशील परिवेश में प्रवाह पर उचित निगरानी राखी जा सके. तदनुसार, ऑनलाइन ओआइडी आवेदन में मोड्यूल जोड़े गए हैं जो इस परिपत्र में निर्दिष्ट किए अनुसार सभी ODI फार्मों में रेपोर्ट किए जाएँ. 13. अब ऑनलाइन आवेदनपत्र प्रक्रिया में एडी मेकर, एडी जांचकर्ता और एडी प्राधिकर्ता की अवधारणा लागू की गई है. एडी मेकर लेनदेन की शुरुआत करेगा और एडी जांचकर्ता को रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करने से पहले लेन देन की जाँच के लिए प्रस्तुत करेगा. एडी प्राधिकर्ता को विभिन्न कारणों, यथा आइपी/आरआइ से और स्पष्टीकरण लेने के कारण हुए विलम्ब, ऑनलाइन ओआइडी आवेदनपत्र में लेन देनों की रिपोर्टिंग में तकनिकी कठिनाई तथा विधिवत तत्परता प्रक्रिया पूरी कने में देरी के कारण लंबित ODI लेन देनों की संपुष्टि का प्राधिकार होगा. 14. एडी बैंक मध्य प्रबंधन स्तर पर एक अधिकारी की पहचान कर सकता है जिसे एडी प्राधिकर्ता का कार्य सौंपा जाए. इस प्राधिकर्ता को निम्नलिखित उत्तरदायित्व सौंपे जाएँगे: i. ओआइडी फॉर्म देर से प्रस्तुत करने में देरी के कारणों की वास्तविकता की जाँच करना. ii. ऑनलाइन ओआइडी आवेदनपत्रों में तथ्यों को दर्ज करने के बाद परिचालानगत कठिनाइयों के कारण देर से रिपोर्ट किए गए लेन देनों की टिप्पणी कालम में संपुष्टि करना. 15. एडी बैंक की केन्द्रीयकृत इकाई/ नोडल कार्यालय यह सुनिश्चित करे कि समुद्रपारीय निवेशों की ऑनलाइन रिपोर्टिंग https://oid.rbi.org.in में दिए गए आवेदनपत्र में की जाए. 16. एडी बैंक द्वारा पहचान किए गए एडी मेकर, एडी जांचकर्ता और एडी प्राधिकर्ता ओआइडी आवेदनों की जाँच के लिए (अनुबंध-V) में निर्धारित फॉर्मेट में अनुरोध करके यूज़र आइडी प्राप्त कर सकते हैं. 17. फॉर्म ODI भाग I,भाग IIऔर भाग IIIके प्रस्तुतीकरण हेतु अनुदेशों का अनुपालन न किए जाने को क्रमश: यथा-संशोधित 7 जुलाई 2004 की फेमा अधिसूचना सं.120/आरबी-2004 के विनियम 6(2)(VI), विनियम-15 और विनियम 16 का उल्लंघन माना जाएगा. इन दिशा-निर्देशों/ अनुदेशों का अनुपालन न करने पर रिज़र्व बैंक इसे गंभीरता से लेगा और आवश्यक समझी जाने वाली दंडनीय कारवाई करेगा। 18. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सम्बंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें। 19. इन परिवर्तनों को दर्शाने के लिए 1 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.15/2015-16 और 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं. 18/2015-16 को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है। 20. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीय (ए. के. पाण्डेय) |