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वायदा संविदाओं की बुकिंग - उदारीकरण

आरबीआई/2007-2008/
एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.

10 अक्‍तूबर 2007

प्रति,

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक

महोदया/महोदय

वायदा संविदाओं की बुकिंग - उदारीकरण

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (एडी श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान 24 जनवरी 2002 के एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 19, 21 दिसंबर 2002 के एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 63, दिनांक 1 नवंबर 2004 के एपी (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र संख्या 26, दिनांक 13 दिसंबर 2006 के एपी (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र संख्या 22 और दिनांक 8 मई 2007 के एपी (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र संख्या 52 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार भारत में निवासी व्यक्तियों को अंतर्निहित एक्‍सपोजर के आधार पर वायदा संविदा करने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, निर्यातकों और आयातकों को भी निर्दिष्ट शर्तों के अधीन, एक्सपोजर की घोषणा के आधार पर और पिछले कार्य-निष्‍पादनों के आधार पर वायदा संविदा बुक करने की अनुमति दी गई है।

2. जैसा कि वर्ष 2007-08 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य (पैरा 142 और 143) में घोषित किया गया था, लघु और मध्यम उद्यम (एसएमई) क्षेत्र और निवासी व्यक्तियों को अधिक सुगमता प्रदान करने की दृष्टि से, वायदा संविदाओं के दायरे और सीमा को और अधिक उदार बनाने का निर्णय लिया गया है ताकि ऐसी संस्थाओं को उनकी विदेशी मुद्रा एक्‍सपोजरों को गतिशील आधार पर हेज करने की सुविधा दी जा सके। तदनुसार, प्रयोक्ताओं के विचारों/टिप्पणियों के लिए 1 जून 2007 को एक प्रारूप परिपत्र वेबसाइट पर रखा गया था। इसके बाद, एफईडीएआई और बैंकों से भी चर्चा की गई। बैंकों, एफईडीएआई, उपयोगकर्ता समूह, आदि से अब प्राप्त फीडबैक के आलोक में, दिशानिर्देशों को उपयुक्त रूप से संशोधित किया गया है।

लघु और मध्यम उद्यम (एसएमई) (पैरा 142)

3. विदेशी मुद्रा जोखिम में प्रत्यक्ष और / या अप्रत्यक्ष एक्‍सपोजर रखनेवाले, छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) को अपने एक्‍सपोजरों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने हेतु सक्षम करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को यह अनुमति दी जाए कि वे, निम्नलिखित शर्तों के अधीन, ऐसी संस्थाओं को वायदा संविदाएं बुक करने / रद्द करने / पुन: बुक करने / रोल ओवर करने की अनुमति दे सकते हैं।

(i) इस तरह की संविदाओं को यह सुनिश्चित करने के बाद बुक करने की अनुमति दी जा सकती है कि संस्‍था ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 4 अप्रैल 2007 के परिपत्र आरपीसीडी.पीएलएनएस.बीसी.सं.63/06.02.31/2006-07 द्वारा यथापरिभाषित एसएमई के रूप में अर्हताप्राप्‍त है।

(ii) ऐसी संविदाएं उन प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों के माध्यम से बुक की जा सकती हैं जिनके साथ एसएमई की क्रेडिट सुविधाएं और/या बैंकिंग संबंध हैं और बुक की गई कुल वायदा संविदाएं उनकी विदेशी मुद्रा आवश्यकताओं या उनकी कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं या पूंजीगत व्यय के लिए उनके द्वारा प्राप्त क्रेडिट सुविधाओं के अनुरूप होनी चाहिए।

(iii) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को दिनांक 20 अप्रैल 2007 के डीबीओडी.सं.बीपी.बीसी.86/21.04.157/2006-07 द्वारा जारी 'डेरिवेटिव पर व्यापक दिशानिर्देश' के पैरा 8.3 के अनुसार एसएमई ग्राहकों के लिए वायदा संविदाओं के "उपयोगकर्ता औचित्‍य" और "उपयुक्तता" के संबंध में समुचित सावधानी बरतनी चाहिए।

(iv) इस सुविधा का लाभ उठाने वाले एसएमई को इस सुविधा के तहत अन्य प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों के साथ पहले से बुक किए गए वायदा संविदाओं की राशि, यदि कोई हो, के संबंध में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को एक घोषणा-पत्र प्रस्तुत करना चाहिए।

4. एसएमई को अपने एक्‍सपोजर की हेजिंग के लिए विदेशी मुद्रा रुपया ऑप्‍शन का उपयोग करने की भी अनुमति है।

निवासी व्यक्ति (पैरा 143)

5. निवासी व्यक्तियों को वास्तविक या प्रत्याशित दोनों आवक और जावक विप्रेषणों से उत्पन्न होने वाले विदेशी मुद्रा एक्‍सपोजरों को प्रबंधित / हेज करने में सक्षम बनाने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि उन्हें स्वघोषणा के आधार पर, 100,000 अमरीकी डालर की सीमा तक अंतर्निहित दस्तावेजों को प्रस्‍तुत किए बिना वायदा संविदा बुक करने की अनुमति दी जाए। इस सुविधा के तहत बुक की गई संविदाएं सामान्य रूप से सुपुर्दगी के आधार पर होंगी। हालांकि, नकदी प्रवाहों में विसंगति या अन्य आकस्मिकताओं के मामले में, इस सुविधा के तहत बुक की गई संविदाओं को रद्द करने और फिर से बुक करने की अनुमति दी जा सकती है। बकाया संविदाओं का आनुमानिक मूल्य किसी भी समय 100,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक नहीं होना चाहिए। इसके अलावा, संविदाओं को केवल एक वर्ष की अवधि तक बुक करने की अनुमति दी जा सकती है।

6. ऐसी संविदा उन प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों, जिनके साथ निवासी व्यक्ति का बैंकिंग संबंध है के माध्यम से अनुलग्‍नक I में दिए गए प्रारूप में आवेदन-सह-घोषणा के आधार पर बुक किए जा सकते हैं। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक स्वयं को आश्‍वस्‍त करे कि निवासी व्यक्ति वायदा संविदाओं की बुकिंग में निहित जोखिम की प्रकृति को समझते हैं और ऐसे ग्राहक के लिए वायदा संविदाओं के "उपयोगकर्ता औचित्‍य" और "उपयुक्तता" के संबंध में समुचित सावधानी बरते।

7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को अनुवर्ती महीने के पहले सप्ताह के भीतर मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिजर्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, केंद्रीय कार्यालय, विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग, केंद्रीय कार्यालय भवन, मुंबई - 400 001 को अनुलग्‍नक II में दिए गए प्रारूप के अनुसार एक तिमाही रिपोर्ट प्रस्तुत करना आवश्‍यक है।

8. दिनांक 3 मई 2000 के अधिसूचना संख्या 25/2000-आरबी [विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000] में किए गए आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।

9. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषय-वस्तु को अपने घटकों और संबंधित ग्राहकों के ध्यान में लाएं।

10. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के तहत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत आवश्यक अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर बिना किसी प्रतिकूल प्रभाव के जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक

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