मास्टर परिपत्र – फेमा,1999 के तहत उल्लंघनों की कंपांउंडिंग - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र – फेमा,1999 के तहत उल्लंघनों की कंपांउंडिंग
आरबीआई/2015-16/67 1 जुलाई 2015 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक तथा प्राधिकृत बैंक महोदया /महोदय, मास्टर परिपत्र – फेमा,1999 के तहत उल्लंघनों की कंपांउंडिंग विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 के तहत उल्लंघनों की कंपांउडिंग एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है, जिसके जरिये आवेदक फेमा, 1999 की धारा 13 (1) के तहत फेमा, 1999 के किसी प्रावधान के स्वीकृत उल्लंघन की कंपांउडिंग के लिए आवेदन कर सकता है। 2. यह मास्टर परिपत्र "फेमा, 1999 के तहत उल्लंघनों की कंपांउंडिंग" विषय पर वर्तमान अनुदेशों को एक स्थान पर समेकित करता है। इस मास्टर परिपत्र में निहित परिपत्रों/अधिसूचनाओं की सूची परिशिष्ट में दी गई है। 3. नए अनुदेश जारी होने पर, इस मास्टर परिपत्र को समय-समय पर अद्यतन किया जाता है। मास्टर परिपत्र किस तारीख तक अद्यतन है, इसका उचित रूप में उल्लेख किया जाता है। 4. सामान्य मार्गदर्शन के लिए इस मास्टर परिपत्र का संदर्भ लिया जाए। आवश्यक होने पर विस्तृत जानकारी के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक और प्राधिकृत बैंक संबंधित परिपत्रों/ अधिसूचनाओं का संदर्भ लें। भवदीय, (बी.पी.कानूनगो) 1.1 फेमा, 1999 के अध्याय IV, धारा 13 (1) के अनुसार यदि कोई व्यक्ति फेमा, 1999 के किसी प्रावधान का उल्लंघन करता है अथवा इस नियम के तहत अधिकारों का प्रयोग करते हुए जारी किये गये किसी नियम, विनियम, अधिसूचना, निर्देश अथवा आदेश का उल्लंघन करता है अथवा ऐसी किसी शर्त, जिसके लिए रिज़र्व बैंक द्वारा निर्देश जारी किया गया है, का उल्लंघन करता है तो वह न्याय निर्णयन पर, जहाँ राशि परिमाणनीय अथवा दो लाख रूपयों तक है, ऐसे उल्लंघन में निहित राशि की तिगुनी राशि तक दण्ड के लिए दायी होगा। जहाँ राशि परिमाणनीय नहीं है तथा उल्लंघन करना लगातार जारी है तो आगे का दण्ड जो उल्लंघन जारी रहने के दौरान पहले दिन के बाद प्रत्येक दिन के लिए पाँच हजार रूपये तक बढ़ाया जा सकता है। फेमा, 1999 की धारा 15 के प्रावधान उल्लंघनों की कंपाउंडिंग करने की अनुमति देते हैं तथा इस प्रकार के उल्लंघन करने वाले व्यक्ति द्वारा किये गये आवेदन पत्र पर अधिनियम की धारा 13 के तहत यथा परिभाषित किसी उल्लंघन की कंपाउंडिंग के लिए कंपाउंडिंग प्राधिकारी को अधिकार देते हैं। विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसिडिंग्ज) नियमावली, 2000 के नियम 4 के तहत ऐसे उल्लघंनों में निहित राशि के अनुसार उल्लंघनों की कंपाउंडिंग करने के अधिकार कंपाउंडिंग अधिकारियों के लिए विनिर्दिष्ट किए गए हैं और यदि उल्लंघन में निहित राशि अपरिमाणनीय होगी तो उल्लंघन की कंपाउंडिंग नहीं हो सकेगी। 1.2 भारत सरकार ने रिज़र्व बैंक के साथ परामर्श करते हुए मामलों की कंपाउंडिंग के प्रशासन का दायित्व फेमा, 1999 की धारा 3 (ए) को छोड़कर रिज़र्व बैंक को सौंपा है। तदनुसार, लेनदेनों की लागत को कम करके नागरिकों और कंपनी समुदायों को सुविधा प्रदान करने एवं जान बूझकर किए गए, कपटपूर्ण और छलपूर्ण लेनदेनों के संबंध में कड़ा रुख अपनाने की दृष्टि से फेमा, 1999 के तहत उल्लंघनों को कंपाउंड करने के लिए रिज़र्व बैंक को अधिकार देने हेतु भारत सरकार द्वारा विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसिडिंग्ज) नियमावली, 2000 बनायी गयी है । 2.1 रिज़र्व बैंक तथा प्रवर्तन निदेशालय (डीओई) के कंपाउंडिंग अधिकार क्रमश: निम्नानुसार हैं : (ए) रिज़र्व बैंक को पूर्वोक्त अधिनियम की धारा 3 के खण्ड (ए) को छोड़कर, फेमा, 1999 की सभी धाराओं के उल्लंघनों को कंपाउंड करने के लिए अधिकार दिये गये हैं। (बी) प्रवर्तन निदेशालय फेमा, 1999 की धारा 3 के खण्ड (ए) के तहत कंपाउंडिंग के अधिकारों का प्रयोग करेगा (तत्वत: हवाला लेनदेनों के संबंध में)। 2.2 फेमा, 1999 के तहत कंपाउंडिंग प्रक्रिया के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार ने उल्लंघनों की कंपाउंडिंग के लिए प्रक्रिया तैयार की है। कंपाउंडिंग प्राधिकारी द्वारा एक बार उल्लंघन की कंपाउंडिंग होने पर उल्लंघनकर्ता के विरुद्ध, जैसी भी स्थिति हो, कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी अथवा कार्यवाही जारी नहीं रहेगी। 3.1. ग्राहक सेवा के उपाय के रूप में और परिचालनगत सुविधा को सुकरता प्रदान करने की दृष्टि से विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 के तहत निम्न-प्रकार के उल्लंघनों की कंपांउंडिंग करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों को अधिकार प्रत्यायोजित किये गए हैं:
विदेशी निवेश प्रभाग के तीन प्रभागों अर्थात संपर्क/शाखा/परियोजना कार्यालय (LO/BO/ PO) प्रभाग, अनिवासी विदेशी खाता प्रभाग (NRFAD) और अचल संपत्ति (IP) प्रभाग के कार्य 15 जुलाई 2014 से विदेशी मुद्रा विभाग, केन्द्रीय कार्यालय कक्ष, नई दिल्ली को स्थानांतरित (transfer) कर दिए गए हैं। तदनुसार, विदेशी मुद्रा विभाग, केन्द्रीय कार्यालय कक्ष नई दिल्ली से संबद्ध अधिकारी अब निम्नलिखित उल्लंघनों की कंपाउंडिंग के लिए प्राधिकृत किए जाते हैं।
3.2 उल्लिखित उल्लंघनों को, उल्लंघन राशि की सीमा पर विचार किए बिना, सभी क्षेत्रीय कार्यालयों (कोची और पणजी को छोड़कर) द्वारा कंपाउंड किया जा सकता है। कोची और पणजी क्षेत्रीय कार्यालय उक्त प्रकार के एक सौ लाख रुपये (रु.1,00,00,000/) से कम के उल्लंघनों को कंपाउंड कर सकते हैं। पणजी और कोची क्षेत्रीय कार्यालयों के अधिकार क्षेत्र के एक सौ लाख रुपये (रु.1,00,00,000/-) से अधिक के ऐसे उल्लंघनों तथा फेमा के तहत हुए अन्य उल्लंघनों को फेमा के प्रभावी कार्यान्वयन संबंधी कक्ष (सेफा), मुंबई द्वारा पहले की भांति कंपाउंड किया जाता रहेगा। 3.3 तदनुसार, उक्त उल्लंघनों से संबंधित कंपाउंडिंग के लिए आवेदन पत्र संबंधित एंटिटियों द्वारा उन क्षेत्रीय कार्यालयों जिनके अधिकार क्षेत्र में वे आती हैं अथवा विदेशी मुद्रा विभाग, केन्द्रीय कार्यालय कक्ष नई दिल्ली को प्रस्तुत किए जाएंगे। अन्य सभी उल्लंघनों के लिए, आवेदनपत्र CEFA, विदेशी मुद्रा विभाग, 5 वीं मंजिल, अमर भवन, सर पी॰एम॰ रोड, फोर्ट, मुंबई - 400001 को प्रस्तुत किए जाते रहेंगे। (16 अक्तूबर 2014 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 36 द्वारा यथा संशोधित) 4.1 फेमा, 1999 के तहत ज्ञापन पत्र के जरिये उल्लंघन सूचित किये जाने पर अथवा उल्लंघन किया गया है अथवा ज्ञात हुआ, यह अपने आप मालूम होने पर फेमा, 1999 के तहत उल्लंघन की कंपाउंडिंग के लिए आवेदन पत्र कंपाउंडिंग प्राधिकारी (सीए) को प्रस्तुत किया जाए। आवेदन पत्र का फॉर्मेट विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसिडिंग्ज) नियमावली, 2000 के साथ अनुलग्न किया गया है (संलग्नक -।)। 4.2 आवेदक निर्धारित फार्मेट में आवेदन पत्र के साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, बाह्य वाणिज्यिक उधार, समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश और शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय, यथा लागू, के ब्योरे भी संलग्नक (संलग्नक-।।) के अनुसार प्रस्तुत करें और उसके साथ इस आशय का एक वचनपत्र भी संलग्न करें कि उनके विरुद्ध प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो, आदि जैसी किसी एजेंसी (संलग्नक-।।।) द्वारा कोई जाँच नहीं की जा रही है, साथ ही उल्लंघनों की कंपाउंडिंग के लिए आवेदन करते समय संस्था के बहिर्नियम और अद्यतन लेखा-परिक्षित तुलन पत्र की प्रतिलिपि भी प्रस्तुत करें ताकि कंपाउंडिंग की प्रक्रिया विनिर्दिष्ट समय में पूरी हो सके। 4.3 उपर्युक्त पैरा 3.1 और 3.2 में उल्लिखित उल्लंघनों के संबंध में तथा उनमें दर्शायी गयी उल्लंघन की राशि तक कंपाउंडिंग के लिए, संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय की सूचना पर अथवा स्वयंप्रेरित रूप से, सभी आवेदन पत्र ऐसी कंपनियों/व्यक्तियों द्वारा निर्धारित रु.5000/- के शुल्क, जो ''भारतीय रिज़र्व बैंक'' के पक्ष में आहरित डिमांड ड्राफ्ट के रूप में हो एवं संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय में देय हो, के साथ सीधे उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किए जाएं जिनके अधिकार क्षेत्र में वे आती हैं/आते हैं। सभी अन्य प्रकार के उल्लंघनों की कंपाउंडिंग के आवेदन पत्र निर्धारित रु. 5000/- के शुल्क, जो ''भारतीय रिज़र्व बैंक'' के पक्ष में आहरित डिमांड ड्राफ्ट के रूप में हो एवं मुंबई में देय हो, के साथ कंपाउंडिंग प्राधिकारी, फेमा के प्रभावी कार्यान्वयन संबंधी कक्ष (सेफा), विदेशी मुद्रा विभाग, 5 वीं मंज़िल, अमर बिल्डिंग, सर पी.एम.रोड, फोर्ट, मुंबई – 400001 को प्रस्तुत किये जाएं। 4.4 कंपाउंडिंग के लिए आवेदन पत्र प्राप्त होने पर, कार्यवाही पूरी की जाएगी और कंपाउंडिंग प्राधिकारी द्वारा कंपाउंडिंग के लिए आवेदन पत्र की प्राप्ति की तारीख से 180 दिनों के भीतर कंपाउंडिंग आदेश जारी किया जाएगा। इस प्रयोजन के लिए समय सीमा कंपाउंडिंग के लिए पूर्ण किये गये आवेदन पत्र की रिज़र्व बैंक द्वारा प्राप्ति की तारीख से गिनी जाएगी। 4.5 कंपाउंडिंग प्राधिकारी कंपाउंडिंग प्रक्रिया से संबंधित कोई अतिरिक्त जानकारी, रिकार्ड तथा अन्य दस्तावेजों की माँग कर सकते हैं। इस प्रकार की अतिरिक्त जानकारी/दस्तावेज कंपाउंडिंग प्राधिकारी द्वारा विनिर्दिष्ट की गयी अवधि के भीतर प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है और यदि अतिरिक्त जानकारी/दस्तावेज विनिर्दिष्ट की गयी अवधि के भीतर प्रस्तुत नहीं किये जाते हैं तो आवेदन पत्र अस्वीकृत किया जा सकता है। 4.6 विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसिडिंग्ज) नियमावली, 2000 के नियम (4) के उप नियम (1) के अनुसार दस्तावेजों तथा आवेदन पत्र में किये गये प्रस्तुतीकरण के आधार पर आवेदन पत्र की जाँच की जाएगी और निर्धारित किया जाएगा कि उल्लंघन परिमाणनीय है अथवा नहीं, और यदि है तो उल्लंघन की राशि तदनुसार तय की जाएगी। 4.7 निम्नलिखित निदर्शी मदों के साथ-साथ अन्य बातें ध्यान में रखते हुए उल्लंघन के स्वरूप की जाँच की जाती है: ए. क्या उल्लंघन तकनीकी है और/अथवा छोटे स्वरूप का है तथा क्या केवल प्रशासनिक सतर्कता संबंधी सूचना की आवश्यकता है; बी. क्या उल्लंघन गंभीर स्वरूप का है तथा उल्लंघन की कंपाउंडिंग न्यायसंगत है; और सी. क्या उल्लंघन में, प्रथम दृष्ट्या, धन-शोधन, विनियामक ढांचे के गंभीर अतिक्रमण वाले राष्ट्रीय तथा सुरक्षा संबंधी मामले शामिल हैं। तथापि, रिज़र्व बैंक उल्लिखित उल्लंघनों को वर्गीकृत करने का अधिकार सुरक्षित रखता है और उल्लंघनकर्ता अथवा किसी अन्य को स्वत: तकनीकी आधार पर उल्लंघनों को वर्गीकृत करने का अधिकार नहीं होगा। 4.8 यह स्पष्ट किया जाता है कि कंपाउंडिंग के लिए विनिर्दिष्ट आवेदन पत्र में उल्लंघन का संदर्भ प्राप्त होने से इतर जब भी रिज़र्व बैंक द्वारा उल्लंघन की पहचान की जाती है या किसी कंपनी (एंटिटी) द्वारा उल्लंघन में शामिल होने की बात बैंक की नोटिस में लायी जाती है, तो बैंक यह निश्चित करना जारी रखेगा कि (i) क्या उल्लंघन तकनीकी और/या हल्के स्वरूप का है और इसलिए तत्संबंध में प्रशासनिक/सचेतक सूचना जारी करने के मार्फत उस पर कार्रवाई की जा सकती है, (ii) क्या उल्लंघन मटीरियल स्वरूप का है और इसलिए उसकी कंपाउंडिंग करना आवश्यक है जिसके लिए पूरी प्रक्रिया को पूरा किया जाए या (iii) क्या उसमें शामिल मुद्दे संवेदनशील/गंभीर स्वरूप के हैं और इसलिए उन्हें प्रवर्तन निदेशालय को संदर्भित करने की जरूरत है। तथापि, एक बार संबंधित कंपनी द्वारा स्वयं कंपाउंडिंग के लिए आवेदन करने एवं उसके उल्लंघन स्वीकार करने पर, उसके 'तकनीकी' या 'मटीरियल' स्वरूप पर विचार नहीं किया जाएगा और विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 15 (1) के साथ पठित विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसिडिंग्ज) नियमावली, 2000 के नियम 9 के अनुसार कंपाउंडिंग की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी । 4.9 जिस संबंध में उल्लंघन किया गया है उस संबंध में फेमा,1999 के प्रावधान अथवा फेमा,1999 के अधीन अधिकारों का प्रयोग करते हुए किसी नियम, विनियम, अधिसूचना, निर्देश अथवा आदेश विनिर्दिष्ट करते हुए कंपाउंडिंग आवेदनपत्र का निपटान कंपाउंडिंग आदेश जारी करते हुए किया जाता है। 4.10 जहाँ अधिक जाँच करने के लिए पर्याप्त कारण हैं, वहाँ भारतीय रिज़र्व बैंक, जैसा भी उचित समझे, मामले को फेमा, 1999 के अधीन और अधिक जाँच तथा आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रवर्तन निदेशालय (डीओई) को अथवा धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के अंतर्गत स्थापित धन शोधन निवारण प्राधिकारी को अथवा किसी अन्य एजेंसी, जो भी उचित हो, को भेज सकता है। ऐसे आवेदन पत्रों का निपटान आवेदक को आवेदन पत्र वापस करते हुए किया जाएगा। 5. कंपाउंडिंग की व्याप्ति और पद्धति 5.1 कंपाउंडिंग प्राधिकारी (सीए) फेमा, 1999 के प्रावधानों अथवा फेमा, 1999 के अधीन अधिकारों का प्रयोग करते हुए जारी किसी नियम, विनियम, अधिसूचना, निर्देश अथवा आदेश के संबंध में स्वीकार किये गये कथित उल्लंघनों के बारे में क्षेत्राधिकार का प्रयोग करेगा। 5.2 अभिलेखों और प्रस्तुतीकरणों पर विचार करने के बाद, मामले की गुणवत्ता तथा कंपाउंडिंग प्राधिकारी (सीए) के पूर्ण विवेक के तहत कंपाउंडिंग संबंधी आवेदन पत्र का निपटान किया जाएगा। निम्नलिखित घटक, जो केवल निदर्शी हैं, कंपाउंडिंग आदेश पारित करने के प्रयोजन और उल्लंघन की राशि के निर्धारण, जिसके बाबत भुगतान किए जाने पर, कंपाउंडिंग की जानी है, के लिए विचारार्थ लिये जाएंगे: (i) अनुचित लाभ गत प्राप्त राशि, उल्लंघन के परिणामस्वरूप जहां भी परिमाणनीय (हो); 6.1 आवेदक को किसी विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर आवेदन पत्र के समर्थन में वैयक्तिक रूप से आगे और अधिक दस्तावेजों के प्रस्तुतीकरण के लिए वैयक्तिक सुनवाई हेतु एक अवसर प्रदान किया जाएगा। यदि उल्लंघनकर्ता अथवा उसका प्राधिकृत प्रतिनिधि वैयक्तिक सुनवाई हेतु कंपाउंडिंग प्राधिकारी (सीए) के समक्ष वैयक्तिक रूप से उपस्थित न रहने तथा प्रस्तुतीकरण न करने का विकल्प चुनता है तो कंपाउंडिंग प्राधिकारी (सीए) कंपाउंडिंग के लिए आवेदन पत्र के साथ उपलब्ध जानकारी तथा प्रस्तुत किये गये दस्तावेजों के आधार पर कंपाउंडिंग आवेदन पत्र पर कार्यवाही प्रारंभ करेगा। 6.1.1 यह स्पष्ट किया जाता है कि कंपाउडिंग प्राधिकारी के समक्ष व्यक्तिगत सुनवाई हेतु उपस्थित होना स्वैच्छिक है और आवेदक इसमें उपस्थित नहीं भी हो सकते हैं। आवेदक 28 जून 2010 तथा 13 दिसंबर 2011 के क्रमश: ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 56 और 57 में यथाविनिर्दिष्ट मामले से संबंधित पूरी जानकारी आवेदन के साथ अनुलग्न करें और उसके बाद स्व-विवेकानुसार सुनवाई में स्वयं उपस्थित होने/न होने के विकल्प का चयन कर सकते हैं। इसके अलावा, यदि आवेदक व्यक्तिगत सुनवाई के विकल्प का चयन करता है तो रिज़र्व बैंक कानूनी विशेषज्ञों / सलाहकारों द्वारा प्रतिनिधित्व करने / को साथ लाने के बजाय आवेदक द्वारा इसके लिए सीधे (स्वयं) आने को प्रोत्साहित करेगा क्योंकि कंपाउडिंग केवल स्वीकार किए गए उल्लंघनों के लिए होती है (18 जनवरी 2013 की प्रेस प्रकाशनी सं. 2012-13/1215 द्वारा यथासंशोधित)। 6.2 कंपाउंडिंग प्राधिकारी (सीए) आवेदन पत्र में किये गये प्रकथन तथा वैयक्तिक सुनवाई के दौरान उल्लंघनकर्ता द्वारा इस संबंध में किये गये प्रस्तुतीकरण, यदि कोई हो, के आधार पर कंपाउंडिंग आदेश पारित करेगा। 6.3 जहाँ फेमा, 1999 की धारा 16 की उप-धारा (3) के अधीन शिकायत किये जाने के बाद, जैसी भी स्थिति हो, विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसिडिंग्ज) नियमावली, 2000 के नियम 8 के उप नियम (2) के अधीन जारी किये गये कंपाउंडिंग आदेश की एक प्रति आवेदक (उल्लंघनकर्ता) को तथा न्यायनिर्णय प्राधिकारी को भी दी जाएगी। 7. कंपाउंडिंग के बाद की क्रियाविधि 7.1 विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसिडिंग्ज) नियमावली, 2000 के नियम 8 के उप नियम (2) के अधीन कंपाउंडिंग के आदेश में यथाविनिर्दिष्ट कंपाउंडिंग की गयी उल्लंघन की राशि का भुगतान, इस प्रकार के उल्लंघन के कंपाउंडिंग के आदेश की तारीख से 15 दिनों के भीतर ''भारतीय रिज़र्व बैंक'' के पक्ष में मांग ड्राफ्ट के रूप में देय है। कंपाउंडिंग आदेश में निदेशित किये गये अनुसार मांग ड्राफ्ट जमा करना होगा। 7.2 कंपाउंडेड उल्लंघन की राशि के माँग ड्राफ्ट की वसूली पर रिज़र्व बैंक द्वारा आदेश में विनिर्दिष्ट शर्तों, यदि कोई हों, के अधीन इस संबंध में एक प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा । 7.3 कंपाउंडिंग आदेश पारित किये जाने के बाद आदेश हटाने के लिए अथवा कंपाउंडिंग आदेश अवैध मानने के लिए अथवा कंपाउंडिंग प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश की समीक्षा का अनुरोध करने के लिए नियमावली के प्रावधान उल्लंघनकर्ता को कोई अधिकार प्रदान नहीं करते हैं। 7.4 कंपाउंडिंग आदेश में विनिर्दिष्ट सीमा के भीतर कंपाउंडेड राशि का भुगतान करने में चूक जाने पर विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसिडिंग्ज) नियमावली, 2000 के नियम 10 के अनुसार यह समझा जाएगा कि उल्लंघनकर्ता ने इस नियमावली के अधीन किसी उल्लंघन के कंपाउंडिंग के लिए कभी भी आवेदन नहीं किया था। 7.5 फेमा, 1999 के उल्लंघन (फेमा, 1999 की धारा 13 में यथा परिभाषित) के संबंध में, जो कंपाउंडिंग प्राधिकारी द्वारा कंपाउंडेड नहीं है, प्रवर्तन निदेशालय के संदर्भ सहित उल्लंघनों के संबंध में फेमा, 1999 के संबंधित प्रावधान लागू होंगे। 8. कंपाउंडिंग प्रक्रिया के लिए पूर्वापेक्षा 8.1 किसी व्यक्ति द्वारा किया गया कोई उल्लंघन जो कंपाउंडिंग नियमावली के अधीन जिस तारीख को कंपाउंडेड हुआ था, उसी प्रकार का उल्लंघन उस तारीख से तीन वर्षों की अवधि के भीतर कंपाउंड नहीं किया जाएगा। ऐसे उल्लंघन का समाधान फेमा, 1999 के संबंधित प्रावधान के अधीन किया जाएगा। पूर्व में कंपाउंडेड उल्लंघन की तारीख से तीन वर्षों की अवधि की समाप्ति के बाद किये गये किसी दूसरे अथवा अनुवर्ती उल्लंघन को पहला उल्लंघन समझा जाएगा। 8.2 किसी लेन-देन से संबंधित उल्लंघन, जिसमें सरकार अथवा संबंधित कोई सांविधिक प्राधिकारी, जैसी भी स्थिति हो, से उचित अनुमोदन अथवा अनुमति प्राप्त नहीं की गयी है, ऐसे उल्लंघन संबंधित प्राधिकारियों से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त किये बिना कंपाउंडेड नहीं किये जाएंगे। यदि इस या किसी अन्य कारण से आवेदनपत्र लौटाना पड़े, तो आवेदनपत्र के साथ प्राप्त रुपये 5000/- की फीस भी उसके साथ लौटानी होती है। ऐसे मामलों में कंपाउंडिंग फीस शीघ्र वापस करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि उसे एनईएफटी (NEFT) के द्वारा आवेदक के खाते में जमा कर दिया जाए। आवेदकों को सूचित किया जाता है कि वे संलग्नक IV में मैन्डेट तथा अपने बैंक खाते का ब्योरा, 28 जून 2010 और 13 दिसंबर 2011 के क्रमशः ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 56 और 57 में निहित अनुदेशों के अनुसार विनिर्दिष्ट फार्म में आवेदन पत्र एवं अपेक्षित अन्य दस्तावेजों सहित प्रस्तुत करें। 8.3 धन शोधन के दृष्टिकोण, राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले और / अथवा विनियामक ढांचे के गंभीर अतिक्रमण जैसे उल्लंघन के मामले अथवा ऐसे मामले जहां उल्लंघनकर्ता जिस उल्लंघन के लिए कंपाउंडिंग आदेश के अनुसार विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर कंपाउंडेड राशि अदा करने में चूक गया है, फेमा, 1999 के अधीन आगे की जाँच और आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रवर्तन निदेशालय अथवा धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के कार्यान्वयन के लिए स्थापित प्राधिकारी को अथवा किसी अन्य एजेंसी, जो भी उचित हो, को आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रेषित किये जाएंगे। 8.4 जब कभी उल्लंघन ध्यान में आते हैं तब रिज़र्व बैंक सामान्यत: कंपाउंडिंग के लिए आवेदन करने के लिए संबंधित व्यक्तियों को उनकी पसंद तथा विकल्प के बारे में सूचित करता है। यदि रिज़र्व बैंक द्वारा दर्शायी गयी समय सीमा के भीतर कंपाउंडिंग के लिए आवेदन नहीं किया जाता है तो ऐसे उल्लंघन के तथ्य आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रवर्तन निदेशालय के ध्यान में लाये जाएंगे। प्राधिकृत व्यापारी यह सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कार्रवाई करें कि विदेशी मुद्रा लेनदेनों की रिज़र्व बैंक को रिपोर्टिंग करने से संबंधित प्रणाली में जांच-पड़ताल (checks and balances) समाविष्ट हों ताकि प्राधिकृत व्यापारियों की भूल-चूक के कारण फेमा, 1999 के उपबंधों का उल्लंघन न हो। फेमा, 1999 की धारा 11(3) के अनुसार, रिज़र्व बैंक इस अधिनियम के तहत, रिज़र्व बैंक द्वारा दिए गए किसी निर्देश के उल्लंघन के लिए अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा दिए गए निर्देशानुसार किसी विवरणी को फाइल करने में असफल होने के लिए प्राधिकृत व्यक्ति पर दंड लगा सकता है (17 जनवरी 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 76 द्वारा यथा संशोधित)। इस मास्टर परिपत्र- फेमा,1999 के उल्लंघनों की कंपाउंडिंग में
28 जून 2010 का ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं. 56 |