आरबीआई/2025-26/36 विवि.एसटीआर.आरईसी.19/21.07.001/2025-26 8 मई 2025 भारतीय रिज़र्व बैंक (डिजिटल उधार) निदेश, 2025
अध्याय I: प्रारंभिक 1. प्रस्तावना भारत की ऋण प्रणाली से देश लाभान्वित हो इस उद्देश्य से ऋण प्रणाली का परिचालन करने के लिए रिज़र्व बैंक को सांविधिक रूप से अधिकार प्राप्त है। इस प्रयास में, रिज़र्व बैंक सुसंगत विकास, वित्तीय स्थिरता तथा जमाकर्ताओं और उधारकर्ताओं के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए वित्तीय प्रणालियों, उत्पादों और ऋण वितरण के तरीकों में नवाचार प्रोत्साहित करता है। हालांकि, डिजिटल उधार उत्पादों के निर्माण, वितरण और सेवा प्रदान करने के तरीकों को लेकर कुछ प्रश्न उभरकर आए हैं, जिनका निराकरण न किए जाने की स्थिति में यह डिजिटल उधार पारिस्थितिकी तंत्र में उधारकर्ता के विश्वास को प्रभावित कर सकता है। प्रमुख समस्याएं अन्य पक्षों की निरंकुश भागीदारी, गलत विक्रय, डेटा गोपनीयता का उल्लंघन, अनुचित व्यावसायिक आचरण, अत्यधिक ब्याज दर लगाना और अनैतिक वसूली प्रथाओं से संबंधित हैं। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए, “डिजिटल उधार पर कार्य समूह” द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार, रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर डिजिटल उधार पर अपने द्वारा विनियमित संस्थाओं को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह निदेश पैरा 6 के तहत उल्लिखित कई विनियमित संस्थाओं के साथ साझेदारी करने वाले ऋण सेवा प्रदाताओं को शामिल करने की व्यवस्था के लिए कुछ नए उपायों के साथ-साथ पूर्ववर्ती निदेशों को समेकित करते हैं, और इन निदेशों के पैरा 17 के तहत उल्लिखित डिजिटल उधार देने वाले ऐप्स की एक निर्देशिका बनाते हैं। तदनुसार, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21, 35 ए और 56, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 जेए, 45 एल और 45 एम, राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30 ए और 32, फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम, 2011 की धारा 6 और क्रेडिट सूचना कंपनियां (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 11 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट होने पर कि ऐसा करना सार्वजनिक हित में आवश्यक और समीचीन है, के उपरांत इन निदेशों को जारी करता है। 2. संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ
- इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (डिजिटल उधार) निदेश, 2025 कहा जाएगा।
- यह निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे, सिवाय पैरा 6 के, जो 1 नवंबर, 2025 से लागू होंगे, और पैरा 17 के, जो 15 जून, 2025 से लागू होंगे।
3. प्रयोज्यता यह निदेश निम्नलिखित संस्थाओं की सभी डिजिटल उधार गतिविधियों पर लागू होंगे, जिन्हें इसके उपरांत, संदर्भ के अनुसार विनियमित संस्था (आरई) और सामूहिक रूप से विनियमित संस्थाएं (आरई) के रूप में संबोधित किया जाएगा:
- सभी वाणिज्यिक बैंक,
- सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक, केंद्रीय सहकारी बैंक,
- सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों सहित), और
- सभी अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान।
4. परिभाषाएं इन निदेशों के प्रयोजन के लिए, जब तक कि अन्य संदर्भ अपेक्षित न हो, प्रस्तुत शब्द का अर्थ निम्नानुसार होगा:
- वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर): दिनांक 15 अप्रैल, 2024 का 'ऋण और अग्रिमों के लिए मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस)' पर परिपत्र संख्या विवि.एसटीआर.आरईसी.13/13.03.00/2024-25 यथासंशोधित के तहत परिभाषित एपीआर।
- डिफॉल्ट लॉस गारंटी (डीएलजी): यह आरई और अन्य इकाई के बीच एक संविदात्मक व्यवस्था है, जिसे किसी भी नाम से संबोधित किया जाता हो, इसमें अन्य इकाई द्वारा आरई के ऋण पोर्टफोलियो के एक निश्चित प्रतिशत तक चूक के कारण हुए नुकसान के बदले आरई को क्षतिपूर्ति करने की गारंटी दी जाती है। इसे अग्रिम रूप से निर्दिष्ट किया जाता है। इसप्रकार की कोई अन्य अंतर्निहित गारंटी, जो आरई के ऋण पोर्टफोलियो कार्यनिष्पादन से जुड़ी हो और पहले से निर्दिष्ट हो, वह भी डीएलजी की परिभाषा के तहत कवर होगी।
- डिजिटल उधार: ग्राहक अधिग्रहण, ऋण मूल्यांकन, ऋण अनुमोदन, संवितरण, वसूली और संबंधित ग्राहक सेवा के लिए वृहद पैमाने पर निर्बाध डिजिटल तकनीकों का उपयोग करके एक दूरस्थ और स्वचालित उधार प्रक्रिया।
- डिजिटल उधार ऐप/प्लेटफॉर्म (डीएलए): मोबाइल और/या वेब-आधारित एप्लिकेशन, जो एकल (स्टैंडअलोन) आधार पर या उपयोगकर्ता इंटरफेस वाले एप्लिकेशन कार्यों के हिस्से के रूप में डिजिटल उधार सेवाएं प्रदान करते हैं। डीएलए में आरई के एप्लिकेशन के साथ-साथ रिज़र्व बैंक द्वारा जारी मौजूदा आउटसोर्सिंग दिशानिर्देशों के अनुरूप किसी भी ऋण सुविधा सेवाओं को बढ़ाने के लिए आरई द्वारा नियोजित ऋण सेवा प्रदाता (एलएसपी) द्वारा संचालित एप्लिकेशन शामिल होंगे।
- ऋण सेवा प्रदाता (एलएसपी): विनियमित इकाई (किसी अन्य आरई सहित) का एजेंट जो रिज़र्व बैंक द्वारा जारी मौजूदा आउटसोर्सिंग दिशानिर्देशों[1] के अनुरूप आरई की ओर से ग्राहक अधिग्रहण, हामीदारी अंकन (अंडरराइटिंग) और मूल्य निर्धारण, सर्विसिंग, निगरानी, विशिष्ट ऋण या ऋण पोर्टफोलियो की वसूली से संबंधित सेवाओं में विनियमित इकाई के एक या अधिक डिजिटल उधार कार्यों, या उसके हिस्से को पूरा करता है।
अध्याय II: आरई-एलएसपी व्यवस्था संबंधी सामान्य अपेक्षाएं 5. एलएसपी से संबंधित समुचित सावधानियां बरतने की अपेक्षाएं
- एलएसपी को शामिल करते हुए आरई द्वारा डिजिटल उधार, आरई और एलएसपी के बीच एक संविदात्मक समझौते के तहत किया जाएगा, जो प्रत्येक पक्ष की संबंधित भूमिकाओं, अधिकारों और दायित्वों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है।
- आरई को डिजिटल उधार के लिए एलएसपी के साथ समझौता करने से पहले एलएसपी की तकनीकी क्षमताओं, डेटा गोपनीयता नीतियों और भंडारण प्रणालियों की सुदृढ़ता, उधारकर्ताओं के साथ आचरण में निष्पक्षता, आचरण के पिछले रिकॉर्ड और सभी लागू नियमों तथा विधियों का पालन करने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए, समुचित सावधानियां बरतनी होगी।
- संविदात्मक समझौते की शर्तों के संबंध में आरई द्वारा एलएसपी के आचरण की आवधिक समीक्षा की जाएगी और विचलन पाएं जाने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
- आरई अपनी नीति के भाग के रूप में एलएसपी के समर्थन से उत्पन्न ऋण पोर्टफोलियो के लिए उपयुक्त निगरानी तंत्र निर्धारित करेगी।
- आरई वसूली एजेंट के रूप में कार्य करने वाले एलएसपी को अपने कर्तव्यों का जिम्मेदारी से निर्वहन करने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि एलएसपी इस संबंध में लागू अनुदेशों[2] का अनुपालन करती है।
- आरई आउटसोर्सिंग[3] पर मौजूदा दिशानिर्देशों का अनुपालन करना जारी रखेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि उनके द्वारा नियोजित एलएसपी और डीएलए (आरई के अथवा आरई द्वारा नियोजित एलएसपी के) इन निदेशों का अनुपालन करते हैं।
- एक व्यापक सिद्धांत के रूप में, किसी एलएसपी के साथ आरई द्वारा किया गया कोई भी आउटसोर्सिंग करार किसी भी तरह से किसी भी सांविधिक या विनियामक प्रावधान के तहत आरई को उसके दायित्वों से न्यून या निर्दोष नहीं ठहराएगा, तथा एलएसपी के सभी कार्यों और चूक के लिए विनियमित इकाई पूरी तरह से जिम्मेदार और उत्तरदायी होगी।
6. कई उधारदाताओं को शामिल करने वाली आरई-एलएसपी व्यवस्था ऐसे मामलों में जहां एलएसपी के पास डिजिटल उधार देने के लिए अन्य कई आरई के साथ करार किए गए हैं, वहां प्रत्येक आरई निम्नलिखित सुनिश्चित करेगी:
- एलएसपी डीएलए पर उधारकर्ता के अनुरोध से मेल खाने वाले सभी ऋण प्रस्तावों का एक डिजिटल-व्यू प्रदान करेगा जो उधारकर्ता की आवश्यकता को पूरा करता है। जिन उधारदाताओं के नाम मेल नही खाते हो उन्हें भी डिजिटल-व्यू में दर्शाया जाएगा।
- यद्यपि एलएसपी ऋण प्रदान करने के लिए उधारकर्ताओं के अनुरोध को ऋणदाता (ऋणदाताओं) से सुमेलित करने के लिए कोई भी तंत्र अपना सकता है, लेकिन उसे समान स्थिति वाले उधारकर्ताओं और उत्पादों के लिए सुसंगत दृष्टिकोण का पालन करना होगा। एलएसपी द्वारा अपनाई गई प्रणाली तथा इस प्रणाली में किए गए किसी भी बाद के परिवर्तन का उचित दस्तावेजीकरण किया जाएगा।
- सुमेलन करने वाले उधारदाताओं से ऋण प्रस्तावों के डिजिटल परिदृश्य में ऋण प्रस्ताव देने वाले आरई का नाम, ऋण की राशि और अवधि, एपीआर, मासिक पुनर्भुगतान दायित्व और दंडात्मक प्रभार (यदि लागू हो) शामिल होंगे, जिससे उधारकर्ता को विभिन्न प्रस्तावों के बीच निष्पक्ष तुलना करने में मदद मिलेगी। प्रत्येक विनियमित संस्था के संबंध में केएफएस का लिंक भी उपलब्ध कराया जाएगा।
- एलएसपी द्वारा प्रदर्शित सामग्री निष्पक्ष, वस्तुपरक होगी और किसी विशेष आरई के उत्पाद को प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से प्रेरित अथवा बढ़ावा नहीं देगी, जिसमें उधारकर्ताओं को किसी विशेष ऋण प्रस्ताव को चुनने में गुमराह करने के लिए डिज़ाइन किए गए डार्क पैटर्न/भ्रामक पैटर्न[4] का उपयोग शामिल है। हालाँकि, सार्वजनिक रूप से पूर्व-घोषित मेट्रिक के आधार पर ऋण प्रस्तावों की रैंकिंग को किसी विशेष उत्पाद को बढ़ावा देने के रूप में नहीं माना जाएगा।
अध्याय III: आचार और ग्राहक (उपभोक्ता) संरक्षण आवश्यकताएँ 7. उधारकर्ता की ऋण-पात्रता का आकलन करना
- कोई भी ऋण देने से पहले उधारकर्ता की ऋण-पात्रता का आकलन करने हेतु आरई द्वारा उधारकर्ता के आर्थिक प्रोफ़ाइल से संबंधित आवश्यक जानकारी प्राप्त की जाएगी, जिसमें न्यूनतम आयु, व्यवसाय और आय विवरण सम्मिलित होगा। इसे लेखापरीक्षा प्रयोजनों के लिए अभिलेख के रूप में रखा जाएगा।
- आरई द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा कि ऋण सीमा में तब तक कोई स्वचालित वृद्धि नहीं होगी जब तक कि उधारकर्ता से ऐसी वृद्धि के लिए स्पष्ट अनुरोध प्राप्त न हो, उसका मूल्यांकन न किया जाए और उसे रिकॉर्ड में न रखा जाए।
8. उधारकर्ताओं के लिए प्रकटीकरण
- आरई द्वारा समय-समय पर यथा संशोधित दिनांक 15 अप्रैल 2024 को ‘ऋण और अग्रिमों के लिए मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस)’ पर जारी परिपत्र संख्या विवि .एसटीआर.आरईसी.13/13.03.00/2024-25 में निहित अनुदेशों के अनुसार मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस) प्रदान किए जाएंगे।
- दंडात्मक प्रभारों के संबंध में, आरई समय-समय पर यथासंशोधित 18 अगस्त 2023 के ‘उचित उधार व्यवहार - ऋण खातों में दंडात्मक प्रभार’ पर परिपत्र संख्या विवि.एमसीएस.आरईसी .28/01.01.001/2023-24 द्वारा निर्देशित होगा।
- आरई द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा कि डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित दस्तावेज[5] (आरई के लेटर हेड पर) जैसे केएफएस, ऋण उत्पाद का सारांश, स्वीकृति पत्र, नियम और शर्तें, खाता विवरण, उधारकर्ताओं के डेटा के भंडारण और उपयोग के संबंध में आरई / एलएसपी की गोपनीयता नीतियां, आदि ऋण अनुबंध / अंतरण के निष्पादन पर पंजीकृत और सत्यापित ईमेल / एसएमएस पर स्वचालित रूप से उधारकर्ता को प्रवाहित होंगे।
- आरई को सार्वजनिक डोमेन में अपनी वेबसाइट बनाए रखनी होगी, जिसे अन्य बातों के साथ-साथ, आसान तरीके से एक्सेस करने के लिए वेबसाइट के प्रमुख स्थान पर निम्नलिखित विवरण अद्यतन रखा जाएगा:
ए. आरई के सभी डिजिटल ऋण उत्पादों और इसके डीएलए का विवरण; बी. एलएसपी और एलएसपी के डीएलए का विवरण तथा उन गतिविधियों का विवरण जिसके लिए उन्हें नियुक्त किया गया है; सी. आरई की ग्राहक सेवा और आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र का विवरण; डी. आरबीआई की शिकायत प्रबंधन प्रणाली (सीएमएस) और सचेत पोर्टल से लिंक; ई. गोपनीयता नीतियां और अन्य विवरण, जैसा कि रिज़र्व बैंक के मौजूदा दिशानिर्देशों के अंतर्गत अपेक्षित है। आरई द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा कि डीएलए/एलएसपी के पास आरई की उपर्युक्त वेबसाइट के लिंक हों।
- ऋण चूक के मामले में, जब वसूली के लिए वसूली एजेंट को नियुक्त किया जाता है अथवा पहले से नियुक्त वसूली एजेंट में कोई परिवर्तन होता है, तो वसूली के लिए उधारकर्ता से संपर्क करने हेतु अधिकृत वसूली एजेंट का विवरण, वसूली एजेंट द्वारा उधारकर्ता से वसूली के लिए संपर्क करने से पहले, ईमेल/एसएमएस के माध्यम से उधारकर्ता को सूचित किया जाएगा।
9. ऋण संवितरण, चुकौती और पुनर्भुगतान
- विशेष रूप से वैधानिक अथवा विनियामक अधिदेश (आरबीआई या किसी अन्य विनियामक के) के अंतर्गत कवर किए गए संवितरणों, सह-ऋण अंतरण[6] के लिए संवितरणों और विशिष्ट अंतिम उपयोग के लिए संवितरणों के बीच धन के प्रवाह को छोड़कर, ऋण का संवितरण हमेशा उधारकर्ता के बैंक खाते में किया जाएगा, बशर्ते कि ऋण सीधे अंतिम लाभार्थी[7] के बैंक खाते में संवितरित किया जाए।
- आरई द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी ऋण सेवा, पुनर्भुगतान आदि ऋणदाता द्वारा सीधे आरई के बैंक खाते में निष्पादित किए जाएं, बिना किसी तीसरे पक्ष के पास-थ्रू खाते/पूल खाते के, जिसमें एलएसपी के खाते भी शामिल हैं।
- उधारकर्ता और विनियमित संस्था के बैंक खातों के बीच निधि के प्रवाह को एलएसपी सहित किसी तीसरे पक्ष द्वारा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित नहीं किया जाएगा।
- आरई द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एलएसपी को देय कोई भी शुल्क, प्रभार, प्रतिपूर्ति आदि सीधे आरई द्वारा भुगतान किया जाए और एलएसपी द्वारा उधारकर्ताओं से अलग से शुल्क नहीं लिया जाए अथवा एकत्र नहीं किया जाए।
- बकाया ऋणों के मामले में, जहां भी आवश्यक हो, आरई नकद में ऋण वसूलने के लिए प्रत्यक्ष इंटरफेस संस्थापित कर सकता है। आरई को परिचालन संबंधी लचीलापन प्रदान करने के लिए, ऐसे अंतरण को आरई के बैंक खाते में ऋण की प्रत्यक्ष चुकौती की अपेक्षा से छूट दी गई है। तथापि, नकद राशि में की गई कोई भी वसूली उसी दिन उधारकर्ता के खाते में पूर्ण रूप से दर्शाई जाएगी और आरई सुनिश्चित करेगी कि ऐसी वसूली के लिए एलएसपी को देय कोई भी शुल्क, प्रभार आदि का भुगतान आरई द्वारा सीधे किया जाए तथा एलएसपी द्वारा वसूली की आय से उधारकर्ता से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से शुल्क नहीं लिया जाए।
10. कूलिंग ऑफ अवधि
- उधारकर्ता को प्रारंभिक “कूलिंग ऑफ अवधि” के दौरान बिना किसी दंड के मूलधन और आनुपातिक एपीआर का भुगतान करके डिजिटल ऋण से निकासी का स्पष्ट विकल्प दिया जाएगा। विराम अवधि का निर्धारण आरई के बोर्ड द्वारा ऋण नीति में निर्धारित नीति के अनुसार किया जाएगा, बशर्ते कि निर्धारित अवधि एक दिन से कम न हो। कूलिंग ऑफ अवधि के बाद भी ऋण जारी रखने वाले उधारकर्ता के लिए, आरबीआई के लागू दिशानिर्देशों[8] के अनुसार पूर्व-भुगतान की अनुमति जारी रहेगी।
- यदि ग्राहक कूलिंग ऑफ अवधि के दौरान ऋण से बाहर निकलता है, तो आरई उचित एकमुश्त प्रसंस्करण फीस रख सकती है। यदि यह लागू किया गया हो तो इसकी जानकारी ग्राहक को केएफएस में पहले ही दी जाएगी।
11. शिकायत निवारण
- आरई और एलएसपी, जिनका उधारकर्ता के साथ इंटरफेस है, वे उधारकर्ता द्वारा डिजिटल ऋण से संबंधित दर्ज की गई शिकायतों/मुद्दों का निपटान करने के लिए नोडल शिकायत निवारण अधिकारी नामित करेंगे।
- नोडल शिकायत निवारण अधिकारियों का संपर्क विवरण आरई, उसके एलएसपी और डीएलए की वेबसाइटों पर तथा उधारकर्ता को उपलब्ध कराए गए केएफएस में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा।
- शिकायत दर्ज कराने की सुविधा डीएलए और वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराई जाएगी, जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है। यह दोहराया जाता है कि शिकायत निवारण की जिम्मेदारी आरई की रहेगी।
- यदि उधारकर्ता द्वारा आरई अथवा आरई द्वारा नियुक्त एलएसपी के विरुद्ध दर्ज की गई कोई शिकायत आरई द्वारा पूरी तरह अथवा आंशिक रूप से खारिज की जाती है, अथवा उधारकर्ता उत्तर से संतुष्ट नहीं है; अथवा आरई द्वारा शिकायत प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर उधारकर्ता को कोई जवाब नहीं प्राप्त होता है, तो उक्त उधारकर्ता रिज़र्व बैंक-एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस) [9] के तहत शिकायत प्रबंधन प्रणाली (सीएमएस) [10] पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर सकता है अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित शिकायत निवारण तंत्र के अनुसार "केंद्रीयकृत रसीद और प्रसंस्करण केंद्र, चौथी मंजिल, भारतीय रिज़र्व बैंक, सेक्टर -17, सेंट्रल विस्टा, चंडीगढ़ - 160017" को प्रत्यक्ष रूप से शिकायत भेज सकता है।
अध्याय IV: प्रौद्योगिकी और डेटा अपेक्षाएँ 12. डेटा संग्रह, उपयोग और अन्य पक्षकारों के साथ साझा करना
- आरई को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके डीएलए तथा एलएसपी के डीएलए द्वारा डेटा का किसी भी प्रकार का संग्रह आवश्यकता-आधारित हो तथा लेखा-परीक्षा (ऑडिट) ट्रेल उधारकर्ता की पूर्व और स्पष्ट सहमति से की जाए। किसी भी स्थिति में, आरई को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आरई/एलएसपी के डीएलए मोबाइल फोन संसाधनों जैसे फाइल और मीडिया, संपर्क सूची, कॉल लॉग, टेलीफोनी फ़ंक्शन आदि एक्सेस न करें। केवल ऑन-बोर्डिंग/केवाईसी अपेक्षाओं के लिए आवश्यक कैमरा, माइक्रोफोन, स्थान अथवा किसी अन्य सुविधा हेतु उधारकर्ता की एकबारगी स्पष्ट सहमति प्राप्त की जाएँ।
- उधारकर्ता को विशिष्ट डेटा के उपयोग के लिए सहमति देने अथवा अस्वीकार करने, अन्य पक्षकारों के लिए प्रकटीकरण को प्रतिबंधित करने, डेटा को बनाए रखने, व्यक्तिगत डेटा एकत्र करने के लिए पहले से दी गई सहमति रद्द करने और यदि आवश्यक हो, तो आरई/एलएसपी को डेटा हटाने/मिटाने का विकल्प प्रदान किया जाएगा।
- इंटरफेस के प्रत्येक चरण में उधारकर्ताओं की सहमति प्राप्त करने के उद्देश्य का प्रकटीकरण उधारकर्ताओं के साथ किया जाना आवश्यक है।
- किसी अन्य पक्षकार के साथ वैयक्तिक जानकारी साझा करने से पहले उधारकर्ता की स्पष्ट सहमति ली जाएगी, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहां ऐसा साझा करना सांविधिक अथवा विनियामक आवश्यकता के अनुसार आवश्यक हो।
13. डेटा का भंडारण
- आरई द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा कि उनके द्वारा नियोजित एलएसपी कुछ आधारभूत न्यूनतम डेटा (जैसे, नाम, पता, ग्राहक का संपर्क विवरण, आदि) को छोड़कर उधारकर्ता की वैयक्तिक जानकारी संग्रहीत नहीं करते हैं, जो आरई-एलएसपी करार के दायरे में उनके परिचालन अथवा सेवा को पूरा करने के लिए आवश्यक हो सकती है। ग्राहक की वैयक्तिक जानकारी की डेटा गोपनीयता और सुरक्षा की निरंतर जिम्मेदारी आरई की होगी।
- आरई द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा कि ग्राहक डेटा के भंडारण के संबंध में स्पष्ट नीतिगत दिशानिर्देश बनाए जाएं, जिसमें संग्रहीत किए जाने वाले डेटा का प्रकार, डेटा को संग्रहीत करने की अवधि, डेटा के उपयोग पर प्रतिबंध, डेटा नष्ट करने का प्रोटोकॉल, सुरक्षा उल्लंघन कार्रवाई मानक आदि शामिल हों, तथा आरई और आरई द्वारा नियुक्त एलएसपी द्वारा उनकी वेबसाइट और डीएलए पर प्रमुखता से उनका निरंतर प्रकटीकरण किया जाए।
- आरई सुनिश्चित करेंगे कि आरई और एलएसपी द्वारा कोई बायोमेट्रिक डेटा संग्रहीत/एकत्रित न किया जाए, जब तक कि मौजूदा सांविधिक दिशानिर्देशों के अंतर्गत इसकी अनुमति न दी गई हो।
- आरई द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी प्रकार का डेटा केवल भारत में स्थित सर्वरों में ही संग्रहीत किए जाएं, साथ ही सांविधिक दायित्वों/विनियामक अनुदेशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, यदि डेटा भारत के बाहर संसाधित किया जाता है, तो उसे भारत के बाहर के सर्वर से हटा दिया जाएगा और प्रसंस्करण के 24 घंटे के भीतर भारत वापस लाया जाएगा।
14. व्यापक गोपनीयता नीति
- आरई और आरई द्वारा नियोजित एलएसपी में लागू कानूनों, संबंधित विनियमों और आरबीआई दिशा-निर्देशों के अनुरूप एक व्यापक गोपनीयता नीति होगी, जिसे आरई और एलएसपी की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा, जैसा भी मामला हो।
- डीएलए के माध्यम से व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करने की अनुमति वाले अन्य पक्ष (जहां लागू हो) का विवरण भी गोपनीयता नीति में दिया जाएगा।
15. प्रौद्योगिकी मानक
- आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि वे और उनके द्वारा नियुक्त एलएसपी डिजिटल उधार देने के लिए, आरबीआई और अन्य एजेंसियों द्वारा निर्धारित साइबर सुरक्षा पर विभिन्न प्रौद्योगिकी मानकों / आवश्यकताओं या समय-समय पर जो भी निर्दिष्ट किए जा सकते हैं, का अनुपालन करते हैं।
अध्याय V: ऋण सूचना और डीएलए की रिपोर्टिंग 16. साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) को रिपोर्टिंग
- क्रेडिट सूचना कंपनी (सीआईसी) (विनियमन) अधिनियम, 2005, सीआईसी नियम, 2006; सीआईसी विनियम, 2006 और समय-समय पर आरबीआई द्वारा जारी संबंधित दिशानिर्देश के प्रावधानों के अनुसार आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके डीएलए और/या एलएसपी के डीएलए के माध्यम से किए गए किसी भी उधार की सूचना सीआईसी को दी जाए, भले ही इसकी प्रकृति/ अवधि कुछ भी हो।
- आरई और/अथवा आरई द्वारा नियोजित एलएसपी से1 संरचित डिजिटल ऋण उत्पादों का विस्तार, जिसमें अल्पावधि, गैर-जमानती/जमानती क्रेडिट अथवा आस्थगित भुगतान शामिल हैं, आरई द्वारा सीआईसी को रिपोर्ट किया जाना चाहिए। आरई यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसे आस्थगित भुगतान ऋण उत्पादों से जुड़े एलएसपी, यदि कोई हों, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी मौजूदा आउटसोर्सिंग दिशा-निर्देश का पालन करेंगे और इन निदेशों द्वारा निर्देशित होंगे।
17. आरबीआई को डीएलए की रिपोर्टिंग
- आरई को अपने द्वारा तैनात/शामिल सभी डीएलए की रिपोर्ट करनी होगी, यदि उनके अथवा एलएसपी के, अथवा विशेष अथवा प्लेटफॉर्म प्रतिभागी के रूप में, आरबीआई के केंद्रीयकृत सूचना प्रबंधन प्रणाली (सीआईएमएस) पोर्टल पर इन निदेश के अनुबंध-I के दिए गए अपेक्षित प्रारूप में।
- आरई को सीआईएमएस पोर्टल में अद्यतन डेटा दाखिल करके जब अतिरिक्त डीएलए तैनात किए जाते हैं अथवा मौजूदा डीएलए का कार्य समाप्त हो जाता है तब उपर्युक्त सूची को अद्यतन करना होगा।
- आरई के मुख्य अनुपालन अधिकारी अथवा आरई के बोर्ड द्वारा इस उद्देश्य के लिए नामित कोई अन्य अधिकारी यह प्रमाणित करेगा कि सीआईएमएस पोर्टल पर उनके द्वारा प्रस्तुत डीएलए का डेटा सही है और डीएलए समय-समय पर अद्यतन इन निदेशों के प्रावधानों सहित सभी मौजूदा विनियामक अनुदेशों का अनुपालन करते हैं।
- उपर्युक्त की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, आरई के बोर्ड द्वारा पदनामित मुख्य अनुपालन अधिकारी/अन्य अधिकारी निम्नलिखित पहलुओं को प्रमाणित करेंगे:
ए. डीएलए के पास आरई वेबसाइट का लिंक है जहां ऋण उत्पादों, ऋणदाता, एलएसपी, ग्राहक सेवा के विवरण, सचेत पोर्टल का लिंक, गोपनीयता नीतियां आदि के बारे में अधिक जानकारी उधारकर्ता द्वारा प्राप्त की जा सकती है। बी. डीएलए (यदि एलएसपी का स्वामित्व है) ने उधारकर्ता द्वारा उठाए गए डिजिटल ऋण से संबंधित शिकायतों/मुद्दों से निपटने के लिए एक उपयुक्त नोडल शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त किया है, जिसका विवरण संबंधित डीएलए पर प्रमुखता से उपलब्ध है। सी. डीएलए द्वारा डेटा संग्रहण और भंडारण इन निदेश के पैरा 12 और 13 तथा समय-समय पर लागू अन्य वैधानिक और विनियामक आवश्यकताओं के अनुपालन में है। डी. इन निदेश के पैरा 8(iv) के तहत आवश्यक रूप से आरई द्वारा प्रस्तुत डीएलए के विवरण भी आरई की वेबसाइट पर उचित रूप से दिए गए हैं।
- आरई को डीएलए के बारे में सूचना की शुद्धता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए यह कि सीआईएमएस पर आरई द्वारा प्रस्तुत डेटा को स्वचालित तरीके से आरबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा और आरबीआई सीआईएमएस पर प्रस्तुत डेटा को सत्यापित/मान्य नहीं करेगा। आरई द्वारा डीएलए से संबंधित ग्राहकों के सभी मुद्दे और शिकायतें सीधे संबोधित और निपटाई जाएंगी।
- आरई यह सुनिश्चित करेगा कि उपर्युक्त रिपोर्टिंग के भाग के रूप में उनके द्वारा तैनात किसी भी तीसरे पक्ष के डीएलए को शामिल करने को डीएलए अथवा कोई संबद्ध इकाई द्वारा यह रिज़र्व बैंक से किसी भी प्रकार का पंजीकरण, प्राधिकार अथवा समर्थन प्रदान करने के रूप में नहीं समझा जाएगा। आरई यह भी सुनिश्चित करेगा कि डीएलए द्वारा अथवा उनकी ओर से जारी किसी भी विपणन, प्रचार अथवा अन्य सामग्री में इस तरह के समावेश को गलत तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया है।
- आरई यह सुनिश्चित करेगा कि सीआईएमएस पोर्टल पर सभी डीएलए के संबंध में दिनांक 15 जून, 2025 रिपोर्टिंग तक पूरी हो जाए।
अध्याय VI: डिफॉल्ट लॉस गारंटी (डीएलजी) व्यवस्था 18. डीएलजी प्रदाता की पात्रता
- आरई केवल एलएसपी/एलएसपी के रूप में कार्यरत अन्य आरई के साथ डीएलजी व्यवस्था में प्रवेश कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, डीएलजी प्रदान करने वाले एलएसपी को कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत एक कंपनी के रूप में शामिल किया जाएगा।
19. डीएलजी प्रदाता के संबंध में समुचित सावधानी और अन्य अपेक्षाएं
- डीएलजी प्रदाता के रूप में कार्य करने वाले आरई सहित आरई को किसी भी डीएलजी व्यवस्था में प्रवेश करने से पहले बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति लागू करनी चाहिए। ऐसी नीति में कम से कम डीएलजी प्रदाता के लिए पात्रता मानदंड, डीएलजी कवर की प्रकृति और सीमा, डीएलजी व्यवस्था की निगरानी तथा समीक्षा की प्रक्रिया और डीएलजी प्रदाता द्वारा देय/प्राप्त शुल्क का विवरण, यदि कोई है।
- आरई यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी डीएलजी व्यवस्था ऋण मूल्यांकन अपेक्षाओं के विकल्प के रूप में कार्य नहीं करती है और डीएलजी कवर के बावजूद मजबूत क्रेडिट अंडरराइटिंग मानकों को लागू किया जाना चाहिए।
- प्रत्येक बार जब कोई आरई डीएलजी व्यवस्था में प्रवेश करता है अथवा उसका नवीनीकरण करता है, तो उसे स्वयं को संतुष्ट करने के लिए पर्याप्त जानकारी प्राप्त करनी चाहिए कि डीएलजी का विस्तार करने वाली इकाई इसको निबाहने में सक्षम होगी। ऐसी जानकारी में कम से कम डीएलजी प्रदाता की ओर से एक घोषणा शामिल होगी, जिसे डीएलजी प्रदाता के सांविधिक लेखा परीक्षक द्वारा प्रमाणित किया जाएगा, जिसमें कुल बकाया डीएलजी राशि, आरई की संख्या और उन पोर्टफोलियो की संबंधित संख्या शामिल होगी, जिनके समक्ष डीएलजी प्रदान किया गया है। घोषणा में समान पोर्टफोलियो पर पिछली व्यतिक्रमी दरें भी शामिल होंगी।
- यह स्पष्ट किया जाता है कि यहां निर्दिष्ट समुचित सावधानी की अपेक्षाएं इन निदेश के पैरा 5 में निर्धारित आरई-एलएसपी व्यवस्थाओं पर लागू सामान्य अपेक्षाओं के अतिरिक्त हैं।
20. डीएलजी व्यवस्था में प्रवेश संबंधी प्रतिबंध
- आरई मास्टर निदेश - क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड - जारी और आचार संबंधी निदेश, 2022 दिनांक 21 अप्रैल, 2022 के तहत परिभाषित डिजिटल ऋण चैनल और क्रेडिट कार्ड द्वारा दी जाने वाली परिक्रामी उधार सुविधाओं के लिए डीएलजी व्यवस्था में प्रवेश नहीं करेगा।
- आरई उन ऋणों पर डीएलजी व्यवस्था में प्रवेश नहीं करेगा जो समय-समय पर यथासंशोधित 07 सितंबर, 2022 को विवेकपूर्ण मानदंडों की समीक्षा – ऋण गारंटी योजनाओं (सीजीएस) द्वारा गारंटीकृत एक्सपोजरों के लिए जोखिम भार के पैरा 2 के तहत विनिर्दिष्ट ट्रस्ट फंड द्वारा प्रशासित क्रेडिट गारंटी योजनाओं द्वारा कवर किए जाते हैं।
- एनबीएफसी - पी2पी अपने प्लेटफॉर्म पर दिए गए ऋणों के लिए डीएलजी व्यवस्था में प्रवेश नहीं करेगा और समय-समय पर यथासंशोधित 04 अक्टूबर, 2017 के मास्टर निदेश – गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- पीयर टू पीयर लेंडिंग प्लेटफॉर्म (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2017 के पैरा 6(1)(iv) द्वारा मार्गदर्शित होगा।
21. डीएलजी व्यवस्थाओं की संरचना
- डीएलजी व्यवस्था आरई और डीएलजी प्रदाता के बीच एक स्पष्ट और कानूनी रूप से लागू अनुबंध द्वारा समर्थित होगी। इस तरह के अनुबंध में अन्य बातों के साथ निम्नलिखित विवरण शामिल होंगे:
ए. डीएलजी कवर की सीमा; बी. वह फॉर्म जिसमें आरई के साथ डीएलजी कवर बनाए रखना है; सी. डीएलजी लागू के लिए समयसीमा; डी. इन निदेशों के पैरा 27 के तहत प्रकटीकरण आवश्यकताएं। 22. डीएलजी के फॉर्म
- आरई केवल निम्नलिखित रूपों में से एक या अधिक में डीएलजी को स्वीकार करेंगे:
ए. आरई के साथ नकद जमा; बी. आरई के पक्ष में ग्रहणाधिकार के साथ अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक में रखी गई सावधि जमा; सी. आरई के पक्ष में बैंक गारंटी। 23. डीएलजी पर उच्चतम सीमा
- आरई यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी बकाया पोर्टफोलिओ पर डीएलजी कवर की कुल राशि जो पहले से विनिर्दिष्ट है, किसी भी समय उस ऋण पोर्टफोलिओ से वितरित कुल राशि के पांच प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। अव्यक्त गारंटी व्यवस्था के मामले में, डीएलजी प्रदाता अंतर्निहित ऋण पोर्टफोलियो के पांच प्रतिशत के बराबर राशि से अधिक का निष्पादन जोखिम नहीं उठाएगा।
- जिस पोर्टफोलिओ पर डीएलजी की पेशकश की जा सकती है, उसमें पहचान योग्य और मापने योग्य ऋण आस्तियां शामिल होंगी जिन्हें स्वीकृत किया गया है ('डीएलजी सेट')। यह पोर्टफोलिओ डीएलजी कवर के उद्देश्य के लिए स्थिर रहेगा और इसे गतिशील नहीं माना जाएगा। अनुबंध- II में दिए गए उदाहरणों को देखें।
24. एनपीए की पहचान
- पोर्टफोलिओ में वैयक्तिक ऋण आस्तियों को अनर्जक आस्तियां(एनपीए) के रूप में मान्यता देना और उसके परिणामस्वरूप प्रावधान करना, पोर्टफोलिओ स्तर पर उपलब्ध किसी भी डीएलजी कवर से निरपेक्ष, वर्तमान आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान मानदंडों के अनुसार आरई की जिम्मेदारी होगी।
- लागू डीएलजी की राशि अंतर्निहित वैयक्तिक ऋणों के समक्ष समंजन (सेट ऑफ) नहीं की जाएगी, अर्थात् अंतर्निहित ऋण के संबंध में उधारकर्ताओं की देयता अप्रभावी रहेगी।
- आरई द्वारा वसूली, यदि कोई हो, उन ऋणों से, जिन पर डीएलजी लागू और वसूल की गई है, अनुबंध व्यवस्था के संदर्भ में डीएलजी प्रदाता के साथ साझा की जा सकती है।
- आरई द्वारा एक बार लागू की गई डीएलजी राशि को ऋण वसूली सहित बहाल नहीं किया जाएगा।
25. विनियामक पूंजी के लिए डीएलजी का उपाय
- पूंजी गणना अर्थात एक्सपोज़र की गणना और पोर्टफोलिओ में वैयक्तिक ऋण आस्तियों पर क्रेडिट जोखिम न्यूनीकरण लाभों का अनुप्रयोग मौजूदा मानदंडों द्वारा नियंत्रित किया जाना जारी रहेगा[11]।
- यदि डीएलजी प्रदाता एक आरई है, तो वह अपनी पूंजी से बकाया डीएलजी की पूरी राशि काट लेगा।
26. डीएलजी को लागू करना और अवधि
- आरई 120 दिनों की अधिकतम अतिदेय अवधि के भीतर डीएलजी को उद्धृत करेंगे, जब तक कि इससे पहले उधारकर्ता द्वारा भुगतान नहीं किया जाता।
- जिस अवधि के लिए डीएलजी समझौता लागू रहता है, वह अंतर्निहित ऋण पोर्टफोलिओ में ऋण की सबसे लंबी अवधि से कम नहीं होगी।
27. प्रकटीकरण अपेक्षाएं
- आरई यह सुनिश्चित करने के लिए एक व्यवस्था स्थापित करेगा कि एलएसपी जिनके साथ उनके पास डीएलजी व्यवस्था है, वह अपनी वेबसाइट पर पोर्टफोलिओ की कुल संख्या और प्रत्येक पोर्टफोलिओ की संबंधित राशि प्रकाशित करेंगे, जिस पर डीएलजी को प्रस्तावित की गई है। इस प्रावधान के अंतर्गत प्रकटीकरण के भाग के रूप में विनियमित संस्था का नाम प्रकट अथवा नहीं भी किया जा सकता है।
- उक्त पैरा (i) के तहत प्रकटीकरण मासिक आधार पर किया जाएगा, किसी भी माह के लिए प्रकटीकरण उस माह की समाप्ति के बाद सात (7) कार्य दिवसों के भीतर प्रदान किया जाना चाहिए।
28. अपवाद निम्नलिखित योजनाओं/संस्थाओं के अंतर्गत कवर की गई गारंटी डीएलजी की परिभाषा के अंतर्गत शामिल नहीं होंगी:
- सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी निधि ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई), निम्न आय आवास के लिए क्रेडिट जोखिम गारंटी निधि ट्रस्ट (सीआरजीएफटीएलआईएच) की गारंटी योजनाएं और राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) के तहत व्यक्तिगत योजनाएं।
- समय-समय पर यथा-संशोधित, दिनांक 01 अप्रैल 2025 के बासल III पूंजी विनियमन पर आरबीआई मास्टर परिपत्र के पैरा 5.5 में उल्लिखित अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक (बीआईएस), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और बहुपक्षीय विकास बैंकों द्वारा प्रदान की गई ऋण गारंटी।
अध्याय VII: सामान्य और निरसन प्रावधान 29.सामान्य प्रावधान
- क्रेडिट कार्ड पर ईएमआई कार्यक्रम विशेष रूप से दिनांक 21 अप्रैल 2022 को जारी मास्टर निदेश- क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड - जारी करना और आचरण 2022 के पैरा 6(बी)(iii)[12] द्वारा अधिशासित होते हैं। ऐसे लेनदेन इन निदेशों के अंतर्गत नहीं आएंगे। तथापि, क्रेडिट कार्ड पर दिए जाने वाले अन्य ऋण उत्पाद, जो मास्टर निदेश के उक्त पैरा के अंतर्गत कवर/परिकल्पित नहीं हैं, इन निदेशों के तहत निर्धारित शर्तों द्वारा अधिशासित होंगे। इसके अलावा, यह निदेश ईएमआई कार्यक्रमों सहित डेबिट कार्ड पर दिए जाने वाले सभी ऋणों पर भी लागू होंगे।
- इन निदेशों के अध्याय VI में दिए गए अनुदेशों के अनुरूप आरई और एलएसपी के बीच दर्ज डीएलजी व्यवस्था को दिनांक 24 सितंबर 2021 के मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (मानक आस्तियों का प्रतिभूतिकरण) निदेश, 2021 के पैरा 6 (सी) के तहत परिभाषित सिंथेटिक प्रतिभूतिकरण के रूप में नहीं माना जाएगा और दिनांक 24 सितंबर 2021 के भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण एक्स्पोजर का हस्तांतरण) निदेश, 2021 के पैरा 9(ई) के तहत परिभाषित 'ऋण भागीदारी के प्रावधानों को आकर्षित नहीं करेगा।
- यह निदेश, यथासमय आरई की गतिविधियों पर लागू किसी भी अन्य मौजूदा विनियामकीय मानदंडों या सांविधिक प्रावधानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना लागू हैं।
30. निरसन प्रावधान
- इन निदेशों के जारी होने के साथ ही, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुबंध-III में उल्लिखित परिपत्रों में निहित अनुदेश/दिशानिर्देश निरस्त माना जाएँ।
- उप-पैरा (i) के तहत निरसन के बावजूद, निरस्त अधिनियमों के तहत किया गया कोई भी कार्य, अथवा की गई कोई कार्रवाई अथवा किए जाने का इरादा, अथवा दिया गया कोई निदेश अथवा की गई कोई कार्यवाही अथवा लगाया गया कोई दंड या जुर्माना, जहां तक यह इन निदेशों के प्रावधानों के साथ असंगत नहीं है, इन निदेशों के अनुरूप प्रावधानों के तहत किया गया माना जाएगा।
अनुबंध I: सीआईएमएस पोर्टल पर प्रस्तुत किया जाने वाला डेटा
क्र. सं. |
डीएलए का नाम |
डीएलए के स्वामी का नाम (स्व-स्वामित्व/एलएसपी का नाम यदि डीएलए एलएसपी का है) |
(वेबसाइट/ऐप स्टोर का नाम) पर उपलब्ध |
डीएलए से लिंक # |
शिकायत निवारण अधिकारी का नाम |
शिकायत निवारण अधिकारी का ईमेल आईडी |
शिकायत निवारण अधिकारी का टेलीफोन नंबर |
शिकायत निवारण अधिकारी का मोबाइल नंबर |
आरई की वेबसाइट |
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* प्रत्येक डीएलए को एक पृथक पंक्ति मद के रूप में रिपोर्ट किया जाएगा। यदि कोई डीएलए एकाधिक ऐप स्टोर पर उपलब्ध है, तो प्रत्येक प्रविष्टि को ऐप स्टोर पर डीएलए के विशिष्ट लिंक के साथ अलग से रिपोर्ट करना आवश्यक है # यदि डीएलए एक वेबसाइट है, तो वेबसाइट का लिंक प्रदान करें, अथवा यदि डीएलए किसी ऐप-स्टोर पर होस्ट किया गया ऐप है, तो ऐप-स्टोर पर डीएलए का लिंक प्रदान करें
अनुबंध II: उदाहरण नोट: उदाहरण, समझने में आसानी के लिए दिए गए हैं और यह केवल सांकेतिक हैं, संपूर्ण नहीं। उदाहरण 1 मान लीजिए कि दिनांक 1 अप्रैल 2024 तक आरई डीएलजी व्यवस्था (डीएलजी सेट) के तहत ₹40 करोड़ (कुल स्वीकृत ऋणों में से) का पोर्टफोलियो निर्धारित करते हैं। यह पोर्टफोलियो विशिष्ट डीएलजी व्यवस्था के उद्देश्य के लिए "अवरोधित" रहेगा - जिसका अर्थ है कि ऋण चुकौती/बट्टे खाते में डालने के अलावा इसमें कोई ऋण आस्तियां जोड़ी या घटाई नहीं जा सकती हैं। आरई के पास ऐसे कई डीएलजी सेट हो सकते हैं। ऐसे पोर्टफोलियो पर डीएलजी कवर की अधिकतम सीमा ₹2 करोड़ (₹40 करोड़ का 5%) निर्धारित की जाएगी, जो ऋण संवितरित होने पर आनुपातिक रूप से सक्रिय हो जाएगी। उदाहरण 2 मान लीजिए कि उक्त डीएलजी सेट में से ₹10 करोड़ तक के ऋण तुरंत संवितरित कर दिए गए हैं। तब, 1 अप्रैल 2024 तक, पोर्टफोलियो के लिए उपलब्ध डीएलजी कवर ₹0.5 करोड़ (संवितरित राशि का 5%) होगा। इसके बाद, यदि 15 अप्रैल 2024 को ₹10 करोड़ के ऋण संवितरित किए जाते हैं, तो डीएलजी कवर आनुपातिक रूप से 15 अप्रैल 2024 से ₹1 करोड़ तक बढ़ जाएगा। (प्रत्येक मामले के सारांश के लिए नीचे दी गई तालिका भी देखें) मामला 1: दिनांक 30 जून 2024 तक 5 करोड़ रुपये मूल्य के ऋण बिना किसी चूक के परिपक्व होंगे। इस मामले में, आरई की बहियों में बकाया पोर्टफोलियो ₹15 करोड़ होगा और डीएलजी कवर ₹1 करोड़ रहेगा। मामला 2: तत्पश्चात्, Q2-2024 के दौरान ₹2 करोड़ की चूक है और परिणामस्वरूप आरई संपूर्ण डीएलजी (₹1 crore[13]) लागू करती है। इस मामले में, दिनांक 30 सितंबर 2024 तक आरई की बहियों में बकाया पोर्टफोलियो ₹15 करोड़ होगा (₹20 करोड़ मूल पोर्टफोलियो में से बिना चूक के परिपक्व हुए ₹5 करोड़ ऋण घटाए) परंतु डीएलजी के लिए कोई गुंजाइश नहीं होगी क्योंकि अधिकतम स्वीकार्य डीएलजी कवर ₹1 करोड़ (वितरित राशि का 5%) परिपूर्ण हो चुका है। मामला 3: आगे बढ़ते हुए, मान लेते हैं कि अक्तूबर 2024 के दौरान ₹2 करोड़ के चूक वाले ऋणों पर आरई द्वारा ₹1 करोड़ की वसूली की जाती है। इन मामलों में, दिनांक 31 अक्तूबर 2024 तक आरई की बहियों में बकाया पोर्टफोलियो की राशि घटकर ₹14 करोड़ हो जाएगी (₹20 करोड़ मूल पोर्टफोलियो में से बिना किसी चूक के परिपक्व हुए ₹5 करोड़ के ऋण घटाए गए तथा चूक वाले और वसूल किए गए ₹1 करोड़ के ऋण घटाए गए)। तथापि, डीएलजी कवर को पुनः स्थापित करने के लिए ₹1 करोड़ की वसूली राशि नहीं जोड़ी जा सकती।
(आंकड़े ₹ करोड़ में) |
अवधि |
संवितरित |
बिना चूक के परिपक्व होने वाला ऋण |
चूक की राशि |
लागू डीएलजी |
वसूली/बट्टे खाते में डालना |
उत्कृष्ट पोर्टफोलियो |
उपलब्ध डीएलजी कवर |
प्रारंभिक स्थिति |
10 |
- |
- |
- |
- |
10 |
0.5 |
आगे का संवितरण |
10 |
- |
- |
- |
- |
20 |
1 |
मामला 1 |
20 |
5 |
- |
- |
- |
15 |
1 |
मामला 2 |
20 |
5 |
2 |
1 |
- |
15 |
0 |
मामला 3 |
20 |
5 |
2 |
1 |
1 |
14 |
0 |
अनुबंध III: इन निदेशों के जारी होने के साथ निरस्त किए जाने वाले परिपत्रों की सूची
[1] हालांकि आरबीआई द्वारा जारी मौजूदा अनुदेशों के अनुसार केवल भुगतान एग्रीगेटर (पीए) सेवाएं प्रदान करने वाली संस्थाएं इन निदेशों के दायरे से बाहर रहेंगी, लेकिन एलएसपी की भूमिका निभाने वाले कोई भी पीए को इन निदेशों का पालन करना होगा।
[4] जैसा कि समय-समय पर यथासंशोधित दिनांक 30 नवंबर 2023 को केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण द्वारा जारी ‘अप्रकट (डार्क) पैटर्न का निवारण और विनियमन के लिए दिशानिर्देश, 2023’ की धारा 2(ई) के तहत परिभाषित किया गया है।
[5] सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधानों के अनुसार, समय-समय पर यथासंशोधित।
[6] सह-उधार व्यवस्था समय-समय पर यथासंशोधित मौजूदा अनुदेशों द्वारा अधिशासित होगी। इसमें गैर-पीएसएल ऋणों के लिए विनियमित संस्थाओं के बीच सह-उधार व्यवस्था भी शामिल होगी, बशर्ते कि सह-उधार लेनदेन में विनियमित संस्थाओं के अलावा किसी अन्य पक्ष का किसी भी समय निधियों के प्रवाह पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं होगा।
[7] वेतन पर अग्रिम राशि, जहाँ ऋण सीधे उधारकर्ता के बैंक खाते में वितरित किया जाता है, लेकिन पुनर्भुगतान कॉर्पोरेट नियोक्ता द्वारा किया जाता है, इस शर्त के अधीन अनुमति दी जा सकती है कि ऋण का पुनर्भुगतान कॉर्पोरेट नियोक्ता द्वारा उधारकर्ता के वेतन से राशि काटकर किया जाता है। हालाँकि, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एलएसपी का ऐसे लेन-देन में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से निधि के प्रवाह पर कोई नियंत्रण न हो और पुनर्भुगतान सीधे नियोक्ता के बैंक खाते से आरई को हो।
[11] 01 अप्रैल 2025 को जारी 'बासल III पूंजी विनियमों पर मास्टर परिपत्र' का पैरा 7, समय-समय पर यथासंशोधित, दिनांक 19 अक्टूबर 2023 का मास्टर निदेश- भारतीय रिज़र्व बैंक (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - स्केल आधारित विनियमन)निदेश, 2023 (समय-समय पर अद्यतन), 01 अप्रैल 2025 का 'पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड-प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)' पर मास्टर परिपत्र समय-समय पर यथासंशोधित, 06 अक्टूबर 2016 का 'लघु वित्त बैंकों के लिए परिचालन दिशा-निर्देश' पर परिपत्र और मास्टर निदेश- भारतीय रिजर्व बैंक (बासेल III पूंजी ढांचे, जोखिम मानदंड, महत्वपूर्ण निवेश, वर्गीकरण, मूल्यांकन और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों के लिए निवेश पोर्टफोलियो मानदंडों और संसाधन जुटाने के मानदंडों पर विवेकपूर्ण विनियमन) निदेश,2023 दिनांक 21 सितंबर 2023 (समय-समय पर यथासंशोधित)।
[12] कार्ड जारीकर्ता को क्रेडिट कार्ड लेनदेन को समान मासिक किस्तों (ईएमआई) में परिवर्तित करने में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी, इसके लिए उन्हें रूपांतरण से पहले मूलधन, ब्याज और व्यापारी/कार्ड जारीकर्ता द्वारा दी जाने वाली अग्रिम छूट (इसे निःशुल्क बनाने के लिए) का स्पष्ट उल्लेख करना होगा। क्रेडिट कार्ड बिल/विवरण में भी इसे अलग से दर्शाया जाएगा। ब्याज घटक के साथ ईएमआई रूपांतरण को शून्य-ब्याज/बिना-लागत ईएमआई के रूप में नहीं दर्शाया जाएगा।
[13] यह माना गया है कि आज तक इन ऋणों पर शून्य मूलधन/ब्याज प्राप्त हुआ है।
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