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अप्रैल 18, 2007
‘निजी क्षेत्र के बैंकों और विदेशी बैंकों के लिए संरक्षित प्रकटन योजना’ की शुरुआत
आरबीआई/2006-2007/328 डीओ डीबीएस.एमआरएमसी सं.बीसी 5/23.02.011/2006-07 18 अप्रैल 2007 भारत में कार्यरत सभी निजी क्षेत्र के बैंक और विदेशी बैंक ‘निजी क्षेत्र के बैंकों और विदेशी बैंकों के लिए संरक्षित प्रकटन योजना’ की शुरुआत भारत सरकार ने अपने दिनांक 21 अप्रैल 2004 के संकल्प के तहत केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को केंद्रीय सरकार या किसी केंद्रीय अधिनियम, सरकारी कंपनियों, सोसाइटीज़ या केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली या उसके द्वारा नियंत्रित स्थानीय प्राधिकरणों के द्वारा य
आरबीआई/2006-2007/328 डीओ डीबीएस.एमआरएमसी सं.बीसी 5/23.02.011/2006-07 18 अप्रैल 2007 भारत में कार्यरत सभी निजी क्षेत्र के बैंक और विदेशी बैंक ‘निजी क्षेत्र के बैंकों और विदेशी बैंकों के लिए संरक्षित प्रकटन योजना’ की शुरुआत भारत सरकार ने अपने दिनांक 21 अप्रैल 2004 के संकल्प के तहत केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को केंद्रीय सरकार या किसी केंद्रीय अधिनियम, सरकारी कंपनियों, सोसाइटीज़ या केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली या उसके द्वारा नियंत्रित स्थानीय प्राधिकरणों के द्वारा य
अप्रैल 17, 2007
बैंकों द्वारा सुरक्षा जमा लॉकर/वस्तुओं के लिए सुरक्षित अभिरक्षा सुविधा प्रदान करना तथा सुरक्षा जमा लॉकरों तक पहुंच/ सुरक्षित अभिरक्षा से वस्तुं लौटाना
आरबीआइ/2006-2007/325बैंपविवि. सं. एलईजी. बीसी. 78 /09.07.005/2006-07 17 अप्रैल 2007 27 चैत्र 1929 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) महोदय बैंकों द्वारा सुरक्षा जमा लॉकर/वस्तुओं के लिए सुरक्षित अभिरक्षा सुविधा प्रदान करना तथा सुरक्षा जमा लॉकरों तक पहुंच/ सुरक्षित अभिरक्षा से वस्तुं लौटाना सार्वजनिक सेवाओं से संबंधित क्रियाविधि और कार्यनिष्पादन मूल्यांकन संबंधी समिति (सीपीपीएपीएस) ने लॉकरों के आसान परिचालन के लिए कुछ सिफारिशें की हैं । ह
आरबीआइ/2006-2007/325बैंपविवि. सं. एलईजी. बीसी. 78 /09.07.005/2006-07 17 अप्रैल 2007 27 चैत्र 1929 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) महोदय बैंकों द्वारा सुरक्षा जमा लॉकर/वस्तुओं के लिए सुरक्षित अभिरक्षा सुविधा प्रदान करना तथा सुरक्षा जमा लॉकरों तक पहुंच/ सुरक्षित अभिरक्षा से वस्तुं लौटाना सार्वजनिक सेवाओं से संबंधित क्रियाविधि और कार्यनिष्पादन मूल्यांकन संबंधी समिति (सीपीपीएपीएस) ने लॉकरों के आसान परिचालन के लिए कुछ सिफारिशें की हैं । ह
अप्रैल 12, 2007
एकल जमा खातों में नामांकन सुविधा
भारिबैं / 2006 - 07 / 318 ग्राआऋवि.केका.आरएफ.बीसी.सं. 70 / 07.38.01/2006 - 07 12 अप्रैल 2007 अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी राज्य तथा जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकमहोदय,एकल जमा खातों में नामांकन सुविधा कृपया उपर्युक्त विषय पर 12 जुलाई 2005 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.केका.आरएफ.बीसी. सं. 12 / 07.38.01/2005-06 का पैरा 9 देखें जिसमें बैंकों को सूचित किया गया था कि वे नामांकन सुविधा तथा उत्तरजीविता खंड के लाभ का व्यापक प्रचार करें तथा जमा खाता धारकों का इस संबंध में मार
भारिबैं / 2006 - 07 / 318 ग्राआऋवि.केका.आरएफ.बीसी.सं. 70 / 07.38.01/2006 - 07 12 अप्रैल 2007 अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी राज्य तथा जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकमहोदय,एकल जमा खातों में नामांकन सुविधा कृपया उपर्युक्त विषय पर 12 जुलाई 2005 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.केका.आरएफ.बीसी. सं. 12 / 07.38.01/2005-06 का पैरा 9 देखें जिसमें बैंकों को सूचित किया गया था कि वे नामांकन सुविधा तथा उत्तरजीविता खंड के लाभ का व्यापक प्रचार करें तथा जमा खाता धारकों का इस संबंध में मार
अप्रैल 09, 2007
लेन-देनों का निकटतम रुपये तक पूर्णांकन
भारिबैं/2006-07/315 ग्राआऋवि. केका.आरएफ. बीसी. 67/07.02.01/2006-07 9 अप्रैल 2007 सभी राज्य एवं मध्यवर्ती सहकारी बैंक महोदयलेन-देनों का निकटतम रुपये तक पूर्णांकन कृपया दिनांक 1 जनवरी 1991 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.सं. आरएफ.बीसी. 68/डी.1-90-91 का अवलोकन करें, जिसके द्वारा बैंकों को सूचित किया गया था कि जमाराशियों पर ब्याज भुगतान/अग्रिमों पर ब्याज प्रभार सहित सभी लेनदेन निकटतम रुपये तक पूर्णांकित किये जाने चाहिए अर्थात् 50 पैसे और उससे अधिक की आंशिक राशि अगले उच्चतर रुपय
भारिबैं/2006-07/315 ग्राआऋवि. केका.आरएफ. बीसी. 67/07.02.01/2006-07 9 अप्रैल 2007 सभी राज्य एवं मध्यवर्ती सहकारी बैंक महोदयलेन-देनों का निकटतम रुपये तक पूर्णांकन कृपया दिनांक 1 जनवरी 1991 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.सं. आरएफ.बीसी. 68/डी.1-90-91 का अवलोकन करें, जिसके द्वारा बैंकों को सूचित किया गया था कि जमाराशियों पर ब्याज भुगतान/अग्रिमों पर ब्याज प्रभार सहित सभी लेनदेन निकटतम रुपये तक पूर्णांकित किये जाने चाहिए अर्थात् 50 पैसे और उससे अधिक की आंशिक राशि अगले उच्चतर रुपय
अप्रैल 05, 2007
एकल जमा खातों में नामांकन सुविधा
आरबीआइ/2006-07/310 बैंपविवि. सं. एलईजी. बीसी. 75 /09.07.005/2006-075 अप्रैल 2007 15 चैत्र 1929 (शक) सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) महोदयएकल जमा खातों में नामांकन सुविधा कृपया उपर्युक्त विषय पर 9 जून 2005 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीसी. 95/09.07.005/ 2004-05 का पैरा 9 देखें जिसमें बैंकों को सूचित किया गया था कि वे नामांकन सुविधा तथा उत्तरजीविता खंड के लाभ का व्यापक प्रचार करें तथा जमा खाता धारकों का इस संबंध में मार्गदर्शन करें। हमे
आरबीआइ/2006-07/310 बैंपविवि. सं. एलईजी. बीसी. 75 /09.07.005/2006-075 अप्रैल 2007 15 चैत्र 1929 (शक) सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) महोदयएकल जमा खातों में नामांकन सुविधा कृपया उपर्युक्त विषय पर 9 जून 2005 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीसी. 95/09.07.005/ 2004-05 का पैरा 9 देखें जिसमें बैंकों को सूचित किया गया था कि वे नामांकन सुविधा तथा उत्तरजीविता खंड के लाभ का व्यापक प्रचार करें तथा जमा खाता धारकों का इस संबंध में मार्गदर्शन करें। हमे
मार्च 30, 2007
चेकों का निकटतम रुपये तक पूर्णांकन
आरबीआइ/2006-07/299 बैंपविवि. डीआइआर. बीसी. 70/13.01.01/2006-07 30 मार्च 2007 9 चैत्र 1929 (शक) सभी वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) महोदय चेकों का निकटतम रुपये तक पूर्णांकन कृपया ‘जमाराशियों पर ब्याज दरें’ विषय पर 1 जुलाई 2006 के हमारे मास्टर परिरपत्र बैंपविवि. डीआइआर. बीसी. 6/13.03.00/2006-07 के पैराग्राफ 19 का अवलोकन करें, जिसके द्वारा बैंकों को सूचित किया गया था कि जमाराशियों पर ब्याज भुगतान/अग्रिमों पर ब्याज प्रभार सहित सभी लेनदेन निकटतम रुपये तक
आरबीआइ/2006-07/299 बैंपविवि. डीआइआर. बीसी. 70/13.01.01/2006-07 30 मार्च 2007 9 चैत्र 1929 (शक) सभी वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) महोदय चेकों का निकटतम रुपये तक पूर्णांकन कृपया ‘जमाराशियों पर ब्याज दरें’ विषय पर 1 जुलाई 2006 के हमारे मास्टर परिरपत्र बैंपविवि. डीआइआर. बीसी. 6/13.03.00/2006-07 के पैराग्राफ 19 का अवलोकन करें, जिसके द्वारा बैंकों को सूचित किया गया था कि जमाराशियों पर ब्याज भुगतान/अग्रिमों पर ब्याज प्रभार सहित सभी लेनदेन निकटतम रुपये तक
मार्च 06, 2007
ऋणदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता संबंधी दिशा-निर्देश
आरबीआइ/2006-2007/280 बैंपविवि. सं. एलईजी. बीसी. 65 /09.07.005/2006-07 6 मार्च 2007 15 फाल्गुन 1928 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक / अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदयऋणदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता संबंधी दिशा-निर्देश कृपया 5 मई 2003 का हमारा परिपत्र बैंपविवि.एलईजी सं. बीसी. 104/09.07.007/2002-03 देखें जिसमें ऋणदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता (Fair Practices Code) तैयार करने के लिए बैंकों /वित्तीय संस्थाओं को दिशा-निर्देश जारी क
आरबीआइ/2006-2007/280 बैंपविवि. सं. एलईजी. बीसी. 65 /09.07.005/2006-07 6 मार्च 2007 15 फाल्गुन 1928 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक / अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदयऋणदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता संबंधी दिशा-निर्देश कृपया 5 मई 2003 का हमारा परिपत्र बैंपविवि.एलईजी सं. बीसी. 104/09.07.007/2002-03 देखें जिसमें ऋणदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता (Fair Practices Code) तैयार करने के लिए बैंकों /वित्तीय संस्थाओं को दिशा-निर्देश जारी क
फ़र॰ 21, 2007
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 - दरवाजे पर (डोर-स्टेप) बैंकिंग

आरबीआइ/2006-2007/262 बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 59/22.01.010/2006-07 21 फरवरी 2007 2 फाल्गुन 1928 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदय बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 - दरवाजे पर (डोर-स्टेप) बैंकिंग कृपया आप उपर्युक्त विषय पर 30 अप्रैल 2005 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 86/22.01.001/2004-05 देखें जिसके अनुसार बैंकों को यह सूचित किया गया था कि वे अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन से ग्राहक के परिसर में सेवाएं उपलब्ध कर

आरबीआइ/2006-2007/262 बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 59/22.01.010/2006-07 21 फरवरी 2007 2 फाल्गुन 1928 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदय बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 - दरवाजे पर (डोर-स्टेप) बैंकिंग कृपया आप उपर्युक्त विषय पर 30 अप्रैल 2005 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 86/22.01.001/2004-05 देखें जिसके अनुसार बैंकों को यह सूचित किया गया था कि वे अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन से ग्राहक के परिसर में सेवाएं उपलब्ध कर

फ़र॰ 02, 2007
बैंक प्रभारों का औचित्य सुनिश्चित करने के लिए योजना तैयार करने हेतु गठित कार्यदल की रिपोर्ट
आरबीआइ/2006-07/245 बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 56/13.03.00/2006-07 2 फरवरी 2007 13 माघ 1928 (शक) सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदयबैंक प्रभारों का औचित्य सुनिश्चित करने के लिए योजना तैयार करने हेतु गठित कार्यदल की रिपोर्ट जैसा कि बैंकों को पता होगा, वर्ष 2006-2007 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य में घोषित किए गए अनुसार, बैंकिंग सेवाओं में उचित व्यवहार सुनिश्चत करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक प्रभारों के औचित्य को सुनिश्चित करने के
आरबीआइ/2006-07/245 बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 56/13.03.00/2006-07 2 फरवरी 2007 13 माघ 1928 (शक) सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदयबैंक प्रभारों का औचित्य सुनिश्चित करने के लिए योजना तैयार करने हेतु गठित कार्यदल की रिपोर्ट जैसा कि बैंकों को पता होगा, वर्ष 2006-2007 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य में घोषित किए गए अनुसार, बैंकिंग सेवाओं में उचित व्यवहार सुनिश्चत करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक प्रभारों के औचित्य को सुनिश्चित करने के
जन॰ 31, 2007
स्वच्छ नोट नीति - नोट पैकेटों की स्टैपलिंग
भारिबैं / 2006-07 / 241 संदर्भ : ग्राआऋवि.केका. सं. बीसी. 43 /07.38.03 /2006-07 31 जनवरी 2007 सभी राज्य सहकारी बैंक / जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकमहोदय,स्वच्छ नोट नीति - नोट पैकेटों की स्टैपलिंग यह देखा गया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुदेश जारी किए जाने के बावजूद बैंक नये नोट पैकेटों को स्टैपल करने की परंपरा अभी भी जारी रखे हुए हैं। कई बार स्टैपल करने से नोट न केवल खराब होते हैं, बल्कि इससे नोटों का जीवन-काल कम होता है और ग्राहकों को नोट पैकेट खोलने में कठिनाई हो
भारिबैं / 2006-07 / 241 संदर्भ : ग्राआऋवि.केका. सं. बीसी. 43 /07.38.03 /2006-07 31 जनवरी 2007 सभी राज्य सहकारी बैंक / जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकमहोदय,स्वच्छ नोट नीति - नोट पैकेटों की स्टैपलिंग यह देखा गया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुदेश जारी किए जाने के बावजूद बैंक नये नोट पैकेटों को स्टैपल करने की परंपरा अभी भी जारी रखे हुए हैं। कई बार स्टैपल करने से नोट न केवल खराब होते हैं, बल्कि इससे नोटों का जीवन-काल कम होता है और ग्राहकों को नोट पैकेट खोलने में कठिनाई हो

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