अधिसूचनाएं - आरबीआई - Reserve Bank of India
अधिसूचनाएं
आरबीआई/2023-24/61
विसविवि.केंका.एमएसएमई.बीसी.सं.10/06.02.031/2023-24
13 सितम्बर 2023
अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(लघु वित्त बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) (भुगतान बैंकों को छोड़कर)
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/राज्य सहकारी बैंक
/ज़िला मध्यवर्ती सहकारी बैंक
सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (आवास वित्त कंपनियों को छोड़कर)
महोदया/ महोदय,
पीएम विश्वकर्मा योजना
भारत सरकार ने 'पीएम विश्वकर्मा योजना' शुरू की है जिसका उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करना है ताकि वे अपने संबंधित व्यापार की मूल्य श्रृंखला में आगे बढ़ने में सक्षम हो सकें। इस योजना में, अन्य उपायों के अलावा, लाभार्थियों को भारत सरकार द्वारा ब्याज अनुदान सहायता के साथ रियायती ब्याज दर पर ऋण सहायता की परिकल्पना की गई है।
2. इस संबंध में, ऋण देने वाले पात्र संस्थान उचित कार्रवाई के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा जारी योजना संबंधी दिशानिर्देशों का संदर्भ ग्रहण करें।
भवदीया,
(निशा नम्बियार)
मुख्य महाप्रबंधक
आरबीआई/2023-24/61
विसविवि.केंका.एमएसएमई.बीसी.सं.10/06.02.031/2023-24
13 सितम्बर 2023
अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(लघु वित्त बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) (भुगतान बैंकों को छोड़कर)
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/राज्य सहकारी बैंक
/ज़िला मध्यवर्ती सहकारी बैंक
सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (आवास वित्त कंपनियों को छोड़कर)
महोदया/ महोदय,
पीएम विश्वकर्मा योजना
भारत सरकार ने 'पीएम विश्वकर्मा योजना' शुरू की है जिसका उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करना है ताकि वे अपने संबंधित व्यापार की मूल्य श्रृंखला में आगे बढ़ने में सक्षम हो सकें। इस योजना में, अन्य उपायों के अलावा, लाभार्थियों को भारत सरकार द्वारा ब्याज अनुदान सहायता के साथ रियायती ब्याज दर पर ऋण सहायता की परिकल्पना की गई है।
2. इस संबंध में, ऋण देने वाले पात्र संस्थान उचित कार्रवाई के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा जारी योजना संबंधी दिशानिर्देशों का संदर्भ ग्रहण करें।
भवदीया,
(निशा नम्बियार)
मुख्य महाप्रबंधक
आरबीआई/2011-12/62 शबैंवि.बीपीडी (पीसीबी).एमसी.सं.5 /13.05.000/2012-13 2 जुलाई 2012 मुख्य कार्यपालक अधिकारीसभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक महोदया / महोदय मास्टर परिपत्र अग्रिमों का प्रबंधन - शहरी सहकारी बैंक कृपया उपर्युक्त विषय पर 1 जुलाई, 2011 का हमारा मास्टर परिपत्र शबैवि.बीपीडी (पीसीबी) एमसी.सं. 5/13. 05. 000/2011-12 देखें (भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध)। संलग्न मास्टर परिपत्र में 30 जून 2012 तक जारी सभी अनुदेशों / दिशानिर्देशों को स
आरबीआई/2011-12/62 शबैंवि.बीपीडी (पीसीबी).एमसी.सं.5 /13.05.000/2012-13 2 जुलाई 2012 मुख्य कार्यपालक अधिकारीसभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक महोदया / महोदय मास्टर परिपत्र अग्रिमों का प्रबंधन - शहरी सहकारी बैंक कृपया उपर्युक्त विषय पर 1 जुलाई, 2011 का हमारा मास्टर परिपत्र शबैवि.बीपीडी (पीसीबी) एमसी.सं. 5/13. 05. 000/2011-12 देखें (भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध)। संलग्न मास्टर परिपत्र में 30 जून 2012 तक जारी सभी अनुदेशों / दिशानिर्देशों को स
आरबीआई/2023-24/59
विवि.रिटर्न.आरईसी.34/12.01.001/2023-24
08 सितम्बर 2023
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / सभी अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों / सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों के अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
महोदया / महोदय,
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 - धारा 42(1ए) - अतिरिक्त सीआरआर बनाए रखने की आवश्यकता
कृपया दिनांक 10 अगस्त, 2023 के परिपत्र विव.रिटर्न.आरईसी.29/12.01.001/2023-24 तथा उपर्युक्त विषय पर संबंधित अधिसूचना देखें।
2. जैसा कि 08 सितंबर, 2023 की आरबीआई प्रेस विज्ञप्ति में घोषणा की गई, समीक्षा के बाद, चरणबद्ध तरीके से वृद्धिशील सीआरआर (आई-सीआरआर) को बंद करने का निर्णय लिया गया है। वर्तमान और उभरती चलनिधि स्थितियों के आकलन के आधार पर, यह निर्णय लिया गया है कि आई-सीआरआर के तहत परिबद्ध की गई राशि को चरणों में जारी किया जाएगा ताकि प्रणाली की तरलता को आकस्मिक आघातों का सामना न करना पड़े और मुद्रा बाजार व्यवस्थित तरीके से कार्य कर सके। राशियाँ निम्नानुसार जारी की जाएंगी:
आरबीआई/2023-24/59
विवि.रिटर्न.आरईसी.34/12.01.001/2023-24
08 सितम्बर 2023
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / सभी अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों / सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों के अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
महोदया / महोदय,
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 - धारा 42(1ए) - अतिरिक्त सीआरआर बनाए रखने की आवश्यकता
कृपया दिनांक 10 अगस्त, 2023 के परिपत्र विव.रिटर्न.आरईसी.29/12.01.001/2023-24 तथा उपर्युक्त विषय पर संबंधित अधिसूचना देखें।
2. जैसा कि 08 सितंबर, 2023 की आरबीआई प्रेस विज्ञप्ति में घोषणा की गई, समीक्षा के बाद, चरणबद्ध तरीके से वृद्धिशील सीआरआर (आई-सीआरआर) को बंद करने का निर्णय लिया गया है। वर्तमान और उभरती चलनिधि स्थितियों के आकलन के आधार पर, यह निर्णय लिया गया है कि आई-सीआरआर के तहत परिबद्ध की गई राशि को चरणों में जारी किया जाएगा ताकि प्रणाली की तरलता को आकस्मिक आघातों का सामना न करना पड़े और मुद्रा बाजार व्यवस्थित तरीके से कार्य कर सके। राशियाँ निम्नानुसार जारी की जाएंगी:
आरबीआई/2023-24/58
सीओ.डीपीएसएस.पीओएलसी.नंबर.एस-567/02-23-001/2023-2024
04 सितम्बर 2023
प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (भुगतान बैंक, लघु वित्त बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदया / प्रिय महोदय,
एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (यूपीआई) के माध्यम से बैंकों में पूर्व-स्वीकृत क्रेडिट लाइनों का परिचालन
कृपया 06 अप्रैल 2023 के विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य का संदर्भ लें, जिसमें बैंकों में पूर्व-स्वीकृत क्रेडिट लाइनों से/में हस्तांतरण को सक्षम करके यूपीआई के दायरे का विस्तार किया गया है। वर्तमान में, बचत खाता, ओवरड्राफ्ट खाता, प्रीपेड वॉलेट और क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़ा जा सकता है। जैसा कि घोषणा की गई है, यूपीआई का दायरा अब फंडिंग खाते के रूप में क्रेडिट लाइनों को शामिल करके विस्तारित किया जा रहा है।
2. इस सुविधा के तहत, व्यक्तिगत ग्राहक की पूर्व सहमति से, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक द्वारा व्यक्तियों को जारी पूर्व-स्वीकृत क्रेडिट लाइन के माध्यम से भुगतान, यूपीआई प्रणाली का उपयोग करके लेनदेन के लिए सक्षम किया जाता है।
3. बैंक, अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार, ऐसी क्रेडिट लाइनों के उपयोग के नियम और शर्तें निर्धारित कर सकते हैं। शर्तों में अन्य मदों के अलावा, क्रेडिट सीमा, क्रेडिट की अवधि, ब्याज दर आदि शामिल हो सकते हैं।
4. यह निदेश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10(2) के तहत जारी किया गया है।
भवदीय,
(गुणवीर सिंह)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
आरबीआई/2023-24/58
सीओ.डीपीएसएस.पीओएलसी.नंबर.एस-567/02-23-001/2023-2024
04 सितम्बर 2023
प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (भुगतान बैंक, लघु वित्त बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदया / प्रिय महोदय,
एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (यूपीआई) के माध्यम से बैंकों में पूर्व-स्वीकृत क्रेडिट लाइनों का परिचालन
कृपया 06 अप्रैल 2023 के विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य का संदर्भ लें, जिसमें बैंकों में पूर्व-स्वीकृत क्रेडिट लाइनों से/में हस्तांतरण को सक्षम करके यूपीआई के दायरे का विस्तार किया गया है। वर्तमान में, बचत खाता, ओवरड्राफ्ट खाता, प्रीपेड वॉलेट और क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़ा जा सकता है। जैसा कि घोषणा की गई है, यूपीआई का दायरा अब फंडिंग खाते के रूप में क्रेडिट लाइनों को शामिल करके विस्तारित किया जा रहा है।
2. इस सुविधा के तहत, व्यक्तिगत ग्राहक की पूर्व सहमति से, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक द्वारा व्यक्तियों को जारी पूर्व-स्वीकृत क्रेडिट लाइन के माध्यम से भुगतान, यूपीआई प्रणाली का उपयोग करके लेनदेन के लिए सक्षम किया जाता है।
3. बैंक, अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार, ऐसी क्रेडिट लाइनों के उपयोग के नियम और शर्तें निर्धारित कर सकते हैं। शर्तों में अन्य मदों के अलावा, क्रेडिट सीमा, क्रेडिट की अवधि, ब्याज दर आदि शामिल हो सकते हैं।
4. यह निदेश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10(2) के तहत जारी किया गया है।
भवदीय,
(गुणवीर सिंह)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
आरबीआई/2023-24/57
सीओ.डीपीएसएस.पीओएलसी.सं.एस.526/02-14-003/2023-24 24 अगस्त 2023 अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी अधिकृत भुगतान प्रणाली संचालक और भागीदार (बैंक और गैर-बैंक)
आरबीआई/2023-24/57
सीओ.डीपीएसएस.पीओएलसी.सं.एस.526/02-14-003/2023-24 24 अगस्त 2023 अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी अधिकृत भुगतान प्रणाली संचालक और भागीदार (बैंक और गैर-बैंक)
आरबीआई/2023-24/56 विवि.एएमएल.आरईसी.33/14.06.001/2023-24 18 अगस्त 2023 सभी विनियमित संस्थाओं के अध्यक्ष/मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदया/महोदय,
आरबीआई/2023-24/56 विवि.एएमएल.आरईसी.33/14.06.001/2023-24 18 अगस्त 2023 सभी विनियमित संस्थाओं के अध्यक्ष/मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदया/महोदय,
आरबीआई/2023-24/53
विवि.एमसीएस.आरईसी.28/01.01.001/2023-24
18 अगस्त 2023
सभी वाणिज्यिक बैंक (भुगतान बैंकों को छोड़कर, लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित)
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
सभी एनबीएफसी (एचएफसी सहित) और
अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (एक्जिम बैंक, नाबार्ड, एनएचबी, सिडबी और एनएबीएफआईडी)
महोदया/ महोदय,
उचित उधार प्रथा - ऋण खातों में दंडात्मक शुल्क
दंडात्मक ब्याज के प्रकटीकरण में तर्कसंगतता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं (आरई) के लिए विभिन्न दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। वर्तमान दिशानिर्देशों के अंतर्गत, ऋण देने वाली संस्थाओं के पास ब्याज की दंडात्मक दरें लगाने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करने की परिचालन स्वायत्तता है। यह पाया गया है कि कई आरई, ऐसी शर्तें जिन पर क्रेडिट सुविधाएं स्वीकृत की गई थीं, उधारकर्ता द्वारा उनकी चूक/गैर-अनुपालन किए जाने के मामले में, लागू ब्याज दरों के अलावा, दंडात्मक ब्याज दरों का प्रयोग कर रही हैं।
2. दंडात्मक ब्याज/शुल्क लगाने का इरादा अनिवार्य रूप से ऋण अनुशासन की भावना निर्माण करना है, न की ऐसे शुल्क ब्याज की अनुबंधित दर से अधिक राजस्व वृद्धि उपकरण के रूप में उपयोग करने के लिए है। हालाँकि, पर्यवेक्षी समीक्षाओं में दंडात्मक ब्याज/शुल्क लगाने संबंध में आरई द्वारा भिन्न प्रथाएं जिनसे ग्राहकों में शिकायतें और विवाद उत्पन्न होते हैं के उदाहरण मिले हैं।
3. ऋणों पर दंडात्मक ब्याज/शुल्क वसूलने के लिए आरई द्वारा अपनाई गई प्रथाओं की समीक्षा करने पर, अपनाए जाने हेतु निम्नलिखित निर्देश जारी किए गए हैं: -
(i) उधारकर्ता द्वारा ऋण अनुबंध के महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों का अनुपालन न करने पर कोई दंड, यदि लगाया जाता है, तो उसे 'दंडात्मक शुल्क' के रूप में माना जाएगा, और इसे 'दंडात्मक ब्याज' के रूप में नहीं लगाया जाएगा, जो अग्रिमों पर लगाए गए ब्याज की दर में जोड़ा जाता है। दंडात्मक शुल्कों का कोई पूंजीकरण नहीं किया जाएगा अर्थात ऐसे शुल्कों पर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं लिया जाएगा। हालाँकि, इससे ऋण खाते में ब्याज चक्रवृद्धि की सामान्य प्रक्रियाएँ प्रभावित नहीं होंगी।
(ii) आरई द्वारा ब्याज दर में कोई अतिरिक्त घटक शामिल नहीं किए जाएंगे और इन दिशानिर्देशों का अक्षरश: अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।
(iii) आरई को दंडात्मक शुल्क अथवा ऋण पर समान शुल्क, चाहे उसे किसी भी नाम से जाना जाए, पर बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करनी होगी।
(iv) दंडात्मक शुल्क की मात्रा उचित होगी और किसी विशेष ऋण/उत्पाद श्रेणी के भीतर भेदभाव किए बिना ऋण अनुबंध के महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों के अनुपालन न करने के अनुरूप होगी।
(v) 'व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को, व्यवसाय के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए' स्वीकृत किए गए ऋणों के मामले में दंडात्मक शुल्क, महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों के समान गैर-अनुपालन के लिए गैर-व्यक्तिगत उधारकर्ताओं पर लागू दंडात्मक शुल्क से अधिक नहीं होगा।
आरबीआई/2023-24/53
विवि.एमसीएस.आरईसी.28/01.01.001/2023-24
18 अगस्त 2023
सभी वाणिज्यिक बैंक (भुगतान बैंकों को छोड़कर, लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित)
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
सभी एनबीएफसी (एचएफसी सहित) और
अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (एक्जिम बैंक, नाबार्ड, एनएचबी, सिडबी और एनएबीएफआईडी)
महोदया/ महोदय,
उचित उधार प्रथा - ऋण खातों में दंडात्मक शुल्क
दंडात्मक ब्याज के प्रकटीकरण में तर्कसंगतता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं (आरई) के लिए विभिन्न दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। वर्तमान दिशानिर्देशों के अंतर्गत, ऋण देने वाली संस्थाओं के पास ब्याज की दंडात्मक दरें लगाने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करने की परिचालन स्वायत्तता है। यह पाया गया है कि कई आरई, ऐसी शर्तें जिन पर क्रेडिट सुविधाएं स्वीकृत की गई थीं, उधारकर्ता द्वारा उनकी चूक/गैर-अनुपालन किए जाने के मामले में, लागू ब्याज दरों के अलावा, दंडात्मक ब्याज दरों का प्रयोग कर रही हैं।
2. दंडात्मक ब्याज/शुल्क लगाने का इरादा अनिवार्य रूप से ऋण अनुशासन की भावना निर्माण करना है, न की ऐसे शुल्क ब्याज की अनुबंधित दर से अधिक राजस्व वृद्धि उपकरण के रूप में उपयोग करने के लिए है। हालाँकि, पर्यवेक्षी समीक्षाओं में दंडात्मक ब्याज/शुल्क लगाने संबंध में आरई द्वारा भिन्न प्रथाएं जिनसे ग्राहकों में शिकायतें और विवाद उत्पन्न होते हैं के उदाहरण मिले हैं।
3. ऋणों पर दंडात्मक ब्याज/शुल्क वसूलने के लिए आरई द्वारा अपनाई गई प्रथाओं की समीक्षा करने पर, अपनाए जाने हेतु निम्नलिखित निर्देश जारी किए गए हैं: -
(i) उधारकर्ता द्वारा ऋण अनुबंध के महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों का अनुपालन न करने पर कोई दंड, यदि लगाया जाता है, तो उसे 'दंडात्मक शुल्क' के रूप में माना जाएगा, और इसे 'दंडात्मक ब्याज' के रूप में नहीं लगाया जाएगा, जो अग्रिमों पर लगाए गए ब्याज की दर में जोड़ा जाता है। दंडात्मक शुल्कों का कोई पूंजीकरण नहीं किया जाएगा अर्थात ऐसे शुल्कों पर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं लिया जाएगा। हालाँकि, इससे ऋण खाते में ब्याज चक्रवृद्धि की सामान्य प्रक्रियाएँ प्रभावित नहीं होंगी।
(ii) आरई द्वारा ब्याज दर में कोई अतिरिक्त घटक शामिल नहीं किए जाएंगे और इन दिशानिर्देशों का अक्षरश: अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।
(iii) आरई को दंडात्मक शुल्क अथवा ऋण पर समान शुल्क, चाहे उसे किसी भी नाम से जाना जाए, पर बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करनी होगी।
(iv) दंडात्मक शुल्क की मात्रा उचित होगी और किसी विशेष ऋण/उत्पाद श्रेणी के भीतर भेदभाव किए बिना ऋण अनुबंध के महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों के अनुपालन न करने के अनुरूप होगी।
(v) 'व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को, व्यवसाय के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए' स्वीकृत किए गए ऋणों के मामले में दंडात्मक शुल्क, महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों के समान गैर-अनुपालन के लिए गैर-व्यक्तिगत उधारकर्ताओं पर लागू दंडात्मक शुल्क से अधिक नहीं होगा।
संदर्भ.संख्या एमपीडी.बीसी.244/07.01.279/2003-04 5 नवंबर 2003 कार्तिक 14, 1925 (सं) सभी प्राथमिक डीलर महोदय प्राथमिक डीलरों की कॉल/नोटिस मनी मार्केट तक पहुंच कृपया गवर्नर के पत्र सं एमपीडी.बीसी.241/07.01.279/2003-04 दिनांक 3 नवंबर 2003 के साथ संलग्न वर्ष 2003-04 के लिए मौद्रिक और ऋण नीति की मध्यावधि समीक्षा पर उनके वक्तव्य के पैराग्राफ 62 और 63 (पैराग्राफ की प्रति संलग्न) देखें। 2. यह पुनर्स्मरण किया जाए कि अप्रैल 2002 के वार्षिक नीति वक्तव्य के बाद, जुलाई 2002 में यह
संदर्भ.संख्या एमपीडी.बीसी.244/07.01.279/2003-04 5 नवंबर 2003 कार्तिक 14, 1925 (सं) सभी प्राथमिक डीलर महोदय प्राथमिक डीलरों की कॉल/नोटिस मनी मार्केट तक पहुंच कृपया गवर्नर के पत्र सं एमपीडी.बीसी.241/07.01.279/2003-04 दिनांक 3 नवंबर 2003 के साथ संलग्न वर्ष 2003-04 के लिए मौद्रिक और ऋण नीति की मध्यावधि समीक्षा पर उनके वक्तव्य के पैराग्राफ 62 और 63 (पैराग्राफ की प्रति संलग्न) देखें। 2. यह पुनर्स्मरण किया जाए कि अप्रैल 2002 के वार्षिक नीति वक्तव्य के बाद, जुलाई 2002 में यह
आरबीआई/2023-24/54
विवि.एसआईजी.एफ़आईएन.आरईसी.31/03.10.001/2023-24
18 अगस्त 2023
सभी इंफ्रास्ट्रेंक्चर डेब्ट फंड-एनबीएफ़सी (आईडीएफ़-एनबीएफ़सी)
महोदय/ महोदया,
आईडीएफ़-एनबीएफ़सी के लिए विनियामक ढांचे की समीक्षा
आधारभूत संरचना क्षेत्र को वित्तपोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए आईडीएफ़-एनबीएफ़सी को सक्षम बनाने और एनबीएफ़सी द्वारा आधारभूत संरचना को वित्तपोषण को नियंत्रित करनेवाले विनियमों को समानीकरण करने के लिए भारत सरकार के साथ विचार-विमर्श करने के बाद आईडीएफ़-एनबीएफ़सी पर लागू दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई है।
2. आईडीएफ़-एनबीएफ़सी के लिए संशोधित विनियामक ढांचा अनुबंध में दिया गया है। ये दिशानिर्देश इस परिपत्र की तारीख से प्रभावी होंगे।
भवदीय,
(जे.पी.शर्मा)
मुख्य महाप्रबंधक
आरबीआई/2023-24/54
विवि.एसआईजी.एफ़आईएन.आरईसी.31/03.10.001/2023-24
18 अगस्त 2023
सभी इंफ्रास्ट्रेंक्चर डेब्ट फंड-एनबीएफ़सी (आईडीएफ़-एनबीएफ़सी)
महोदय/ महोदया,
आईडीएफ़-एनबीएफ़सी के लिए विनियामक ढांचे की समीक्षा
आधारभूत संरचना क्षेत्र को वित्तपोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए आईडीएफ़-एनबीएफ़सी को सक्षम बनाने और एनबीएफ़सी द्वारा आधारभूत संरचना को वित्तपोषण को नियंत्रित करनेवाले विनियमों को समानीकरण करने के लिए भारत सरकार के साथ विचार-विमर्श करने के बाद आईडीएफ़-एनबीएफ़सी पर लागू दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई है।
2. आईडीएफ़-एनबीएफ़सी के लिए संशोधित विनियामक ढांचा अनुबंध में दिया गया है। ये दिशानिर्देश इस परिपत्र की तारीख से प्रभावी होंगे।
भवदीय,
(जे.पी.शर्मा)
मुख्य महाप्रबंधक
आरबीआई/2023-24/52
विवि.आरईटी.आरईसी.29/12.01.001/2023-24
10 अगस्त 2023
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / सभी अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक /
सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
महोदया / महोदय,
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 - धारा 42(1ए) - अतिरिक्त सीआरआर बनाए रखने की आवश्यकता
भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1) के अंतर्गत, सभी अनुसूचित बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक में निवल मांग और आवधिक देयताओं (एनडीटीएल) का 4.50 प्रतिशत नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) बनाए रखना आवश्यक है।
2. वर्तमान तरलता स्थितियों की समीक्षा करने पर, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1ए) के अंतर्गत सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / सभी अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक / सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक को 12 अगस्त 2023 से प्रारम्भ होने वाले पखवाड़े से 19 मई 2023 और 28 जुलाई 2023 के बीच एनडीटीएल में वृद्धि पर 10 प्रतिशत का वृद्धिशील सीआरआर (आई-सीआरआर) भारतीय रिज़र्व बैंक में बनाए रखने का निर्णय लिया गया है। आई-सीआरआर की समीक्षा 8 सितंबर 2023 या उससे पहले की जाएगी।
3. संबंधित अधिसूचना दिनांक 10 अगस्त 2023, विवि.आरईटी.आरईसी.30/12.01.001/2023-24 की प्रति संलग्न की गई है।
भवदीय,
(ब्रिज राज)
मुख्य महाप्रबंधक
विवि.आरईटी.आरईसी.30/12.01.001/2023-24
10 अगस्त 2023
अधिसूचना
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप-धारा (1ए) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक एतदद्वारा निदेश देता है कि सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक/सभी अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) को-ऑपरेटिव बैंक/सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक, 12 अगस्त 2023 से शुरू होने वाले पखवाड़े से भारतीय रिजर्व बैंक में निम्नलिखित को बनाए रखेंगे:
धारा 42 की उपधारा (1) के अंतर्गत बनाए रखने के लिए आवश्यक औसत दैनिक शेष के अलावा अतिरिक्त औसत दैनिक शेष; और
ऐसे अतिरिक्त औसत दैनिक शेष की राशि 19 मई 2023 और 28 जुलाई 2023 के बीच निवल मांग और आवधिक देयताओं में वृद्धि के 10 प्रतिशत से कम नहीं होगी।
(जयंत कुमार दाश)
कार्यपालक निदेशक
आरबीआई/2023-24/52
विवि.आरईटी.आरईसी.29/12.01.001/2023-24
10 अगस्त 2023
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / सभी अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक /
सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
महोदया / महोदय,
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 - धारा 42(1ए) - अतिरिक्त सीआरआर बनाए रखने की आवश्यकता
भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1) के अंतर्गत, सभी अनुसूचित बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक में निवल मांग और आवधिक देयताओं (एनडीटीएल) का 4.50 प्रतिशत नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) बनाए रखना आवश्यक है।
2. वर्तमान तरलता स्थितियों की समीक्षा करने पर, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1ए) के अंतर्गत सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / सभी अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक / सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक को 12 अगस्त 2023 से प्रारम्भ होने वाले पखवाड़े से 19 मई 2023 और 28 जुलाई 2023 के बीच एनडीटीएल में वृद्धि पर 10 प्रतिशत का वृद्धिशील सीआरआर (आई-सीआरआर) भारतीय रिज़र्व बैंक में बनाए रखने का निर्णय लिया गया है। आई-सीआरआर की समीक्षा 8 सितंबर 2023 या उससे पहले की जाएगी।
3. संबंधित अधिसूचना दिनांक 10 अगस्त 2023, विवि.आरईटी.आरईसी.30/12.01.001/2023-24 की प्रति संलग्न की गई है।
भवदीय,
(ब्रिज राज)
मुख्य महाप्रबंधक
विवि.आरईटी.आरईसी.30/12.01.001/2023-24
10 अगस्त 2023
अधिसूचना
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप-धारा (1ए) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक एतदद्वारा निदेश देता है कि सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक/सभी अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) को-ऑपरेटिव बैंक/सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक, 12 अगस्त 2023 से शुरू होने वाले पखवाड़े से भारतीय रिजर्व बैंक में निम्नलिखित को बनाए रखेंगे:
धारा 42 की उपधारा (1) के अंतर्गत बनाए रखने के लिए आवश्यक औसत दैनिक शेष के अलावा अतिरिक्त औसत दैनिक शेष; और
ऐसे अतिरिक्त औसत दैनिक शेष की राशि 19 मई 2023 और 28 जुलाई 2023 के बीच निवल मांग और आवधिक देयताओं में वृद्धि के 10 प्रतिशत से कम नहीं होगी।
(जयंत कुमार दाश)
कार्यपालक निदेशक
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: नवंबर 23, 2022
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 03, 2024