बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति–घरेलू बैंकिंग प्रणाली सेलिए गएरुपया ऋणों का पुनर्वित्तपोषण/अदायगी - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति–घरेलू बैंकिंग प्रणाली सेलिए गएरुपया ऋणों का पुनर्वित्तपोषण/अदायगी
भारिबैंक/2013-14/585 9 मई 2014 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति–घरेलू बैंकिंग प्रणाली प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 25 जनवरी 2010 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 28, 22 जुलाई 2010 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 4, 23 सितंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 25, 20 अप्रैल 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.111, 25 जून 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.134, 11 सितंबर 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.26, 26 नवंबर 2012 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.54, 21 जनवरी 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.78 तथा 15 जुलाई 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.12 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिनके अनुसार पात्र भारतीय कंपनियों को घरेलू बैंकिंग प्रणाली से लिए गए रुपया ऋणों का पुनर्वित्तपोषण/अदायगी करने के लिए, मान्यताप्राप्त उधारदाताओं से, विनिर्दिष्ट शर्तों के तहत, बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति दीजाती है। 2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान भारतीय रिज़र्व बैंक के बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग (डीबीओडी) द्वारा जारी 22 अप्रैल 2014 के परिपत्र डीबीओडी॰सं॰बीपी॰बीसी॰ 107/21.04.048/2013-14 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार घरेलू बैंकिंग प्रणाली से लिए गए रुपया ऋणों की अदायगीभारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं/सहायक कंपनियों से प्राप्त बाह्य वाणिज्यिक उधारसे करनेकी अनुमति नहीं है। 3. इस मामले की जांच (examine) की गई है तथा यह निर्णय लिया गया है कि पात्र भारतीय कंपनियों को निम्नलिखित प्रयोजनों हेतु घरेलू बैंकिंग प्रणाली से लिए गए रुपया ऋणों के पुनर्वित्तपोषण/की अदायगी के लिए भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं/सहायक कंपनियों से बाह्य वाणिज्यिक उधार लेनेकीअनुमति नहीं दी जाएगी: ए) अंतरण वित्तपोषण योजना : संदर्भ 22 जुलाई 2010 का ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.4 । बी) इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की कंपनियों द्वारा वर्तमान रुपया ऋणों की अदायगी हेतु: संदर्भ 23 सितंबर 2011 का तथा 20 अप्रैल 2012 का क्रमश: ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.25 और 111 । सी) स्पेक्ट्रम आबंटन : संदर्भ 25 जनवरी 2010 का तथा 26 नवंबर 2012 का क्रमश: ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.28 और 54 । डी) रुपया ऋणों की अदायगी : संदर्भ 25 जून 2012, 11 सितंबर 2012, 21 जनवरी 2013 और 15 जुलाई 2013 के क्रमश: ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.134, 26, 78 और 12 । 4. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति मेँ किए गए ये संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। बाह्य वाणिज्यिक उधारनीति से संबंधित सभी अन्य पहलू अपरिवर्तित बने रहेंगे। 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों और घटकों को अवगत कराएं । 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीय (रुद्र नारायण कर) |