जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता (डीईए) निधि योजना, 2014 - संशोधित परिचालन दिशानिर्देश
आरबीआई/2025-26/62 25 जून 2025 महोदया / महोदय जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता (डीईए) निधि योजना, 2014 - संशोधित परिचालन दिशानिर्देश जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता (डीईए) निधि योजना, 2014, बैंकों द्वारा विभिन्न रिटर्न जमा करने सहित डीईए निधि में अंतरित राशि के हस्तांतरण और दावे के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया निर्धारित करती है। 2. वर्ष 2014 से बैंकों को परिचालन दिशानिर्देशों के रूप में समय-समय पर अनुदेश जारी किए गए हैं। मौजूदा अनुदेशों को समेकित और युक्तिसंगत बनाने के लिए हाल ही में समीक्षा की गई है। संशोधित अनुदेश अनुबंध में दिए गए हैं। 3. यह अनुदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26ए और 35ए के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए गए हैं और डीईए निधि योजना के अंतर्गत आने वाले सभी बैंकों, अर्थात् वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, स्थानीय बैंकों, लघु वित्त बैंकों और सार्वजनिक बैंकों सहित) और सभी सहकारी बैंकों पर लागू हैं। 4. यह अनुदेश 1 अक्तूबर 2025 से प्रभावी होंगे। भवदीय (सुनील टी.एस. नायर) संलग्न: यथोपरि जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना, 2014 - बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26ए - परिचालन दिशानिर्देश 1. ई-कुबेर प्रणाली में पंजीकरण की प्रक्रिया सर्वप्रथम, बैंक को ई-कुबेर प्रणाली में डीईए निधि मॉड्यूल के अंतर्गत पंजीकरण कराना होगा। तत्पश्चात, पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करने के लिए बैंक को dea.fund@rbi.org.in के साथ दो ई-मेल आईडी साझा करनी होंगी। वह बैंक (गैर-सदस्य बैंक), जिसका ई-कुबेर प्रणाली में एक्सेस नहीं है, उसे पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करने के लिए अपने प्रायोजक बैंक को दो ई-मेल आईडी देना होगा। पंजीकरण प्रक्रिया पूरी होने पर, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा भविष्य में ई-कुबेर प्रणाली में पंजीकृत केवल उन दो ई-मेल आईडी पर ही संपर्क किया जाएगा। उपर्युक्त पंजीकरण प्रक्रिया बैंक के लिए अदावी राशियों को प्रेषित करने और ई-कुबेर प्रणाली के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक रूप में डीईए निधि योजना (योजना) में परिभाषित रिफंड दावों को प्रस्तुत करने के लिए एक पूर्वापेक्षा है। जिस बैंक ने अभी तक पंजीकरण प्रक्रिया पूरी नहीं की है, उसे इसे शीघ्र पूरा करने की व्यवस्था करनी होगी। 2. बैंक के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता बैंक अपने डीईए निधि खाते को संयुक्त रूप से संचालित करने के लिए अधिकारियों (अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं) की पहचान करेगा, जो डीईए निधि योजना के अंतर्गत लागू विवरण (फॉर्म-I, फॉर्म-II और सुधार फॉर्म, जैसा कि परिपत्र में आगे विस्तृत है) को अधिकृत करने के लिए जिम्मेदार होंगे। बैंक, इस प्रयोजन हेतु अधिकृत निदेशक मंडल/एमडी और सीईओ/ईडी/कार्यकारी समिति द्वारा प्रदान किए गए संकल्प/निर्णय/प्राधिकार (केवल हिंदी या अंग्रेजी में) की प्रमाणित सत्य प्रति, अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं की सूची, अर्थात् अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता के रूप में नामित अधिकारियों (अधिकतम दस हस्ताक्षरकर्ता) के साथ, आरबीआई को प्रस्तुत करेगा। अधिकृत अधिकारियों में कोई भी परिवर्तन निर्धारित संशोधित प्रारूप (अनुबंध II) में प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें संकल्प/निर्णय/प्राधिकार दोनों का विवरण और सभी अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं के नमूना हस्ताक्षर शामिल होंगे। बैंक, किए गए परिवर्तनों की सूचना देते समय, केवल शामिल किए गए या हटाए गए नामों को प्रस्तुत करने के बजाय, सभी अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं और उनके नमूना हस्ताक्षरों का विवरण आरबीआई को प्रस्तुत करना सुनिश्चित करेगा। 3. अदावी राशि को निधि में अंतरित करने की प्रक्रिया 3.1 बैंक, योजना में निर्दिष्ट प्रत्येक कैलेंडर माह में देय राशि (अर्थात, 10 वर्ष या उससे अधिक समय से निष्क्रिय खातों की आय तथा शेष अदावी राशि)) और अंतरण की तिथि तक ब्याज प्रदान करनेवाले खातों पर अर्जित ब्याज को, आगामी माह के अंतिम पाँच कार्य दिवसों के दौरान, डीईए निधि (निधि) में अंतरित करेगा। निधि में देय राशि अंतरित करने से पहले, बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि उस तिथि तक उससे संबंधित सभी कानूनी दायित्व, जिनमें कटौती योग्य और देय करों से संबंधित दायित्व भी शामिल हैं, पूरे हो गए हैं या उनके लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है। 3.2 निजी खाता - सदस्य बैंक, "डीईए निधि सेवाएँ" मॉड्यूल के अंतर्गत ई-कुबेर प्रणाली के माध्यम से संपूर्ण देय राशि को निधि में अंतरित करेगा। जब कोई सदस्य बैंक निधि में देय राशि जमा कर रहा हो, तो उसे "बैंक डीईए निधि कोड" फ़ील्ड में अपना डीईए निधि कोड और जमाराशियों का विस्तृत विवरण (खातों की संख्या और राशि), जैसे ब्याज-धारित जमाराशियाँ, ब्याज-रहित जमाराशियाँ और अन्य क्रेडिट, जिसमें ब्याज-रहित राशि (अर्थात, योजना के अनुच्छेद 3(iii) में परिभाषित अदावी जमाराशियों के अलावा कोई अन्य राशि) भी शामिल है उन्हें, ई-कुबेर प्रणाली में इस हेतु दिए गए फ़ील्ड में प्रस्तुत करना होगा। 3.3 अन्य बैंक (गैर-सदस्य) का खाता - यदि कोई प्रायोजक बैंक अन्य गैर-सदस्य बैंकों की देय राशि अंतरित कर रहा है, तो वह ई-कुबेर में दिए गए फ़ील्ड में अन्य (गैर-सदस्य) बैंक के उपयुक्त बैंक डीईए निधि कोड को दर्शाकर, समेकित नहीं करेगा, बल्कि राशि को बैंक-वार अलग-अलग, निधि में अंतरित करेगा। उन्हें ई-कुबेर प्रणाली में संबंधित क्षेत्रों, अर्थात् उनके लिए निर्दिष्ट क्षेत्रों में, जमाराशियों का विस्तृत विवरण (खातों की संख्या और राशि), जैसे ब्याज-धारित जमाराशियाँ, ब्याज-रहित जमाराशियाँ और अन्य क्रेडिट के अंतर्गत प्रदान करना होगा। 4. अदावी राशि के अंतरण और दावा प्रस्तुत करने हेतु विंडो 4.1 अदावी राशि के अंतरण के लिए जमाराशि विंडो ई-कुबेर के माध्यम से अदावी राशि/जमाराशियों को निधि में अंतरण करने की विंडो प्रत्येक माह के अंतिम पाँच कार्य दिवसों के दौरान ही खुली रखी जाएगी, और किसी बैंक (गैर-सदस्य बैंक सहित) को प्रति माह केवल एक बार अदावी राशि का अंतरण करने की अनुमति होगी। गैर-सदस्य बैंक को सूचित किया जाता है कि वे अदावी राशि/जमाराशि को अपने प्रायोजक बैंक (सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से) को नियत तिथि से पर्याप्त समय पहले अंतरित कर दें, ताकि प्रायोजक बैंक उसे ई-कुबेर प्रणाली के माध्यम से निधि में अंतरण कर सके। निधि में अंतरित राशि प्राप्त होने पर, ई-कुबेर प्रणाली से बैंक की पंजीकृत ईमेल आईडी पर एक स्वसृजित पावती रसीद सीधे भेजी जाएगी। 4.2 दावा प्रस्तुत करने हेतु दावा विंडो ई-कुबेर प्रणाली में निधि से दावा प्रस्तुत करने की विंडो प्रत्येक माह के पहले 10 कार्यदिवसों के दौरान खुली रखी जाएगी। एक बैंक प्रति माह केवल एक समेकित दावा प्रस्तुत करेगा। गैर-सदस्य बैंक को सूचित किया जाता है कि वे अपने प्रायोजक बैंक को देय तिथि से पर्याप्त समय पहले दावा प्रस्तुत करें, ताकि प्रायोजक बैंक ई-कुबेर प्रणाली के माध्यम से उसे आरबीआई को प्रस्तुत कर सके। 4.3 बैंक को निर्धारित समय-सीमा के भीतर, निधि में देय अदावी राशि/जमाराशि को अंतरित करना होगा और दावे प्रस्तुत करने होंगे। बैंक को निधि में अंतरित/दावा की गई राशि की संशुद्धता भी सुनिश्चित करनी होगा। 5. धनवापसी (रिफंड) दावा प्रस्तुत करने की प्रक्रिया - फॉर्म II 5.1 योजना के पैरा 4 (i) के अनुसार, किसी ग्राहक/जमाकर्ता, जिसकी अदावी राशि/जमाराशि निधि में अंतरित कर दी गई है, उनसे मांग प्राप्त होने पर, बैंक ग्राहक/जमाकर्ता को ब्याज सहित, यदि लागू हो, भुगतान करेगा और उसके बाद, ग्राहक/जमाकर्ता को भुगतान की गई समतुल्य राशि के लिए निधि से धनवापसी का दावा प्रस्तुत करेगा। यदि ग्राहक/जमाकर्ता द्वारा केवल आंशिक राशि की धनवापसी का दावा किया जाता है, तो बैंक खाते को चालू स्थिति मे रखते हुए ग्राहक को तदनुसार भुगतान करेगा और शेष राशि (ब्याज सहित, यदि कोई हो) खाते में रखेगा, और उसके बाद निधि से पूरी राशि के लिए दावा प्रस्तुत करेगा। बैंक, आरबीआई द्वारा जारी बैंकों में निष्क्रिय खाते/दावा रहित जमाराशि - संशोधित अनुदेश पर दिनांक 1 जनवरी 2024 के परिपत्र विवि.एसओजी (एलईजी).आरईसी/64/09.08.024/2023-24 का संदर्भ ग्रहण करें, जिसमें निष्क्रिय खातों को सक्रिय करने के लिए परिचालन संबंधी दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। 5.2 दावा प्रस्तुत करने पर, ई-कुबेर प्रणाली से एक स्वसृजित फॉर्म II (अनुबंध IV) बैंकों/गैर-सदस्य बैंकों की पंजीकृत ई-मेल आईडी पर भेजा जाएगा। बैंक/गैर-सदस्य बैंक, प्राधिकृत अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित और बैंक के लेखा परीक्षकों (आंतरिक/समवर्ती) द्वारा प्रमाणित स्वसृजित फॉर्म II का प्रिंटआउट ई-मेल और/या डाक द्वारा आरबीआई को ई-कुबेर प्रणाली पर प्रस्तुत करने के तीन कार्यदिवसों के भीतर जमा करेगा। बैंक/गैर-सदस्य बैंक को, अर्ध-वर्ष/वर्ष के दौरान पहला दावा प्रस्तुत करते समय, दावा फॉर्म - फॉर्म II के साथ, नवीनतम अर्ध-वार्षिक फॉर्म III (समाधान (रेकन्सिलीऐशन) प्रमाणपत्र-अनुबंध V) और वार्षिक प्रमाणपत्र (अनुबंध VI) की प्रति भी प्रस्तुत करनी होगी, अन्यथा बैंक के दावे पर विचार नहीं किया जाएगा। 5.3 दावे की जाँच आरबीआई द्वारा की जाएगी। यदि दावा सही पाया जाता है, तो दावा की गई राशि उसी माह के अंत तक आरबीआई में अनुरक्षित सदस्य बैंक के खाते (गैर-सदस्य बैंक होने पर प्रायोजक बैंक के खाते में करेगा) में जमा कर दी जाएगी। दावा निपटान/अस्वीकृति की सूचना संबंधित बैंक को उनके पंजीकृत ईमेल आईडी पर भेजी जाएगी। निधि से गैर-सदस्य बैंक को दावों का भुगतान करते समय, आरबीआई प्रायोजक बैंक के खाते में राशि जमा करेगा। प्रायोजक बैंक को इसे गैर-सदस्य बैंक में जमा करना आवश्यक है। 5.4 बैंक द्वारा फॉर्म II में दी गई जानकारी के आधार पर आरबीआई द्वारा दावों पर कार्रवाई की जाएगी। निधि से सही धनवापसी का दावा करने का दायित्व पूर्णतः बैंक पर होगा। 5.5 बैंक को फॉर्म II में धनवापसी दावों के मामले में ग्राहक-वार विवरण प्रदान करना आवश्यक नहीं है। उसे अपने बैंक के लेखा परीक्षकों (आंतरिक/समवर्ती) द्वारा विधिवत प्रमाणित दावों का ग्राहक-वार विवरण अपने पास रखना होगा, जिसकी आरबीआई द्वारा बाद में/पर्यवेक्षी समीक्षा प्रक्रिया के दौरान मांगे जाने पर प्रस्तुत करना सुनिश्चित करना होगा। 5.6 ग्राहकों को भुगतान करने से पहले आरबीआई के मास्टर निदेश - अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) निदेश, 2016 (यथासंशोधित) के अनुसार आवश्यक समुचित सावधानी भी बरतनी होगी। बैंक को ग्राहकों के लिए प्रक्रिया को सुगम और कठिनाई रहित बनाते हुए दावों की वास्तविकता की पुष्टि करनी होगी। 5.7 अदावीकृत ब्याज-धारित जमाराशियों पर देय ब्याज - निधि में अंतरित अदावीकृत ब्याज-धारित जमाराशियों की मूल राशि पर (किसी बैंक द्वारा अपने जमाकर्ताओं/दावेदारों को) देय ब्याज दर, यदि कोई हो, आरबीआई द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट की जाएगी, जैसा कि योजना के पैरा 4 (iii) में उल्लिखित है। अदावीकृत ब्याज-धारित जमाराशियों पर रिज़र्व बैंक द्वारा देय ब्याज दरें (इस परिपत्र के जारी होने की तिथि तक) अनुबंध IX में दी गई हैं। 6. विवरणी प्रस्तुत करना योजना के पैरा 5 के अनुसार बैंकों को निम्नलिखित विवरणी निर्धारित की गई हैं। 6.1 फॉर्म I - मासिक विवरण 6.1.1 प्रत्येक माह के अंत में, ई-कुबेर प्रणाली प्रत्येक बैंक (गैर-सदस्य बैंकों सहित) का फॉर्म I (अनुबंध III) स्वसृजित करेगी और इसे उनके पंजीकृत ई-मेल आईडी पर भेजेगी, जिसमें वे बैंक भी शामिल हैं जिन्होंने कोई जमाराशियाँ अंतरित नहीं की हैं। बैंक (या उसके गैर-सदस्य बैंक की ओर से प्रायोजक बैंक) को फॉर्म I की सत्यता की पुष्टि करने के बाद उसे ई-कुबेर प्रणाली के माध्यम से आरबीआई को ऑनलाइन प्रस्तुत करना आवश्यक है। 6.1.2 स्वसृजित फॉर्म I तभी मान्य होता है, जब बैंक (गैर-सदस्य बैंक के मामले में प्रायोजक बैंक) ई-कुबेर प्रणाली की स्क्रीन पर दो चेक-बॉक्स (ए) "मैं सहमत हूँ" और (बी) "फॉर्म का बैंक के लेखापरीक्षकों (आंतरिक/समवर्ती) द्वारा विधिवत लेखापरीक्षित किया गया है" पर चिन्ह लगाकर फॉर्म I में दर्शाए गए शेष से सहमत हो। यदि कोई बैंक (गैर-सदस्य बैंक के मामले में प्रायोजक बैंक) फॉर्म I में दिए गए शेष से सहमत नहीं है, तो उसे बैंक के लेखापरीक्षकों (आंतरिक/समवर्ती) द्वारा विधिवत भरा और लेखापरीक्षित किया गया सुधारक फॉर्म (अनुबंध VII) आरबीआई को डाक और/अथवा ईमेल द्वारा जमा करना होगा। 6.2 सुधारक फॉर्म बैंक को किए गए हस्तांतरणों/प्राप्त दावों के विवरण, जिसमें पुष्टिकरण संदेशों की प्राप्ति न होना भी शामिल है, इसके संबंध में फॉर्म I में देखी गई किसी भी विसंगति को तुरंत आरबीआई के ध्यान में लाना होगा। वह राशियों/जमाराशियां के हस्तांतरण और दावों की प्रतिपूर्ति में त्रुटियों के सुधार से संबंधित अनुदेशों (अनुबंध VII) को देख सकते हैं और दो प्राधिकृत अधिकारियों द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित तथा बैंक के लेखापरीक्षकों (आंतरिक/समवर्ती) द्वारा प्रमाणित, लागू सुधारक फॉर्म, ऐसी विसंगति की सूचना मिलने की तिथि से दो सप्ताह में आरबीआई को डाक और/अथवा ईमेल द्वारा प्रस्तुत कर सकता है। 6.3 फार्म III – समाधान (रेकन्सिलीऐशन) प्रमाणपत्र 6.3.1 बैंक, शेष राशि के स्वतंत्र और आवधिक सत्यापन के लिए, प्रत्येक वर्ष मार्च और सितंबर के अंत में, समाधान (रेकन्सिलीऐशन) प्रमाणपत्र (आरसी) – फार्म III (अनुबंध V) तैयार करना सुनिश्चित करेगा और अभिलेख में रखेगा। इसमें दो वरिष्ठ अधिकारियों अदावी जमाराशियों के हस्तांतरण और धन वापसी दावों से संबंधित अधिकारियों से अतिरिक्त, के हस्ताक्षर होंगे और बैंक के लेखापरीक्षकों (आंतरिक/समवर्ती) द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित होगा। यह प्रमाणपत्र प्रमाणित करेगा कि बैंक के प्रधान खाताबही में दर्शाए गए शेष, आरबीआई के डीईए निधि खाते में दर्शाई गई राशि से मेल करते हैं। यह प्रमाणपत्र प्रत्येक छमाही की समाप्ति से एक महीने की अवधि, अर्थात् क्रमशः 30 अप्रैल और 31 अक्तूबर को, लेखापरीक्षक(कों) के प्रमाणीकरण के साथ तैयार और पूरा किया जाएगा। बैंक नोट करें कि अद्यतन छमाही आरसी (फॉर्म III) की एक प्रति आरबीआई को प्रस्तुत करना तब आवश्यक है, जब बैंकों द्वारा पहली छमाही का दावा किया जाता है और इसे फॉर्म III में प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें बैंक के लेखापरीक्षकों (आंतरिक/समवर्ती) की विशिष्ट दस्तावेज पहचान संख्या (यूडीआईएन) अथवा आंतरिक दस्तावेज पहचान संख्या शामिल होगी। 6.3.2 डीईए निधि में शेष राशि के आंकड़ों में किसी भी प्रकार की विसंगतियों से बचाव के लिए, बैंक को अपने खातों में लेनदेन को वास्तविक आधार पर रिकॉर्ड/लेखा करना होगा, अर्थात आरबीआई द्वारा बनाए गए डीईए निधि से/में राशि के दावे/हस्तांतरण के निपटान से उपरांत। 6.4 सांविधिक लेखापरीक्षक द्वारा वार्षिक प्रमाणपत्र (एसी) बैंक को अपने सांविधिक लेखापरीक्षकों से वर्ष के अंत में देय बकाया राशि का मदवार विवरण दर्शाने वाला एक वार्षिक प्रमाणपत्र निर्धारित प्रारूप (अनुबंध VI) में प्राप्त करना होगा। इसे आरबीआई को बैंक के सांविधिक लेखापरीक्षा के पूरा होने की तिथि से एक महीने के भीतर, लेकिन आगामी वित्तीय वर्ष के 30 सितंबर के उपरांत नहीं, जिससे एसी संबंधित है, प्रस्तुत करना होगा। बैंक को उपर्युक्त निर्धारित समय में एसी, भले ही वह 'शून्य' विवरणी हो, आरबीआई को प्रस्तुत करना होगा। एसी के प्रारूप को संशोधित किया गया है और इसमें सांविधिक लेखापरीक्षक का यूडीआईएन अनिवार्य रूप से शामिल करना आवश्यक है। 6.5 विवरणी प्रस्तुत करने का तरीका परिपत्र के पैरा 5 और 6 में विनिर्दिष्ट विवरणी, विनिर्दिष्ट लेखा परीक्षकों द्वारा विधिवत प्रमाणित, मूलरूप में (जब तक अन्यथा विनिर्दिष्ट न हो), जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता (डीईए) निधि, विनियमन विभाग, केंद्रीय कार्यालय, 12वीं मंजिल, नरीमन भवन, विनय के शाह मार्ग, नरीमन प्वाइंट, मुंबई - 400021 को भेजा जाएं, साथ ही पीडीएफ प्रारूप में स्कैन की गई प्रति ईमेल द्वारा dea.fund@rbi.org.in पर भी भेजी जाए। 7. लेखापरीक्षा 7.1 निधि में राशि हस्तांतरित करने की तिथि में, बैंक को अपने लेखा परीक्षकों (आंतरिक/समवर्ती) द्वारा सत्यापित ग्राहक-वार विवरण रखना होगा, जिसमें ब्याज-वाली जमाराशियों पर उपचित ब्याज का अद्यतन भुगतान भी शामिल है, जो निधि में हस्तांतरण की तिथि तक जमा खाते में जमा किया गया है। बैंक को निधि में हस्तांतरित गैर-ब्याज वाली जमाराशियों और अन्य जमाओं के संबंध में ग्राहक-वार विधिवत लेखापरीक्षित विवरण रखना होगा। बैंक के लेखापरीक्षकों (आंतरिक/समवर्ती) को यह भी सत्यापित और प्रमाणित करना चाहिए कि बैंक की बही के अनुसार आरबीआई को प्रस्तुत मासिक और छमाही विवरणी में बैंक द्वारा विवरण सही ढंग से संकलित किए गए हैं। 7.2 उपर्युक्त विवरणी को वार्षिक लेखापरीक्षा के दौरान संवैधानिक लेखापरीक्षकों द्वारा भी सत्यापित किया जाएगा। 8. संपर्क विवरण बैंक को डीईए निधि योजना से संबंधित आरबीआई के साथ किसी भी पत्राचार के लिए निर्धारित प्रारूप (अनुबंध VIII) में dea.fund@rbi.org.in पर ई-मेल द्वारा अद्यतन संपर्क विवरण (किसी भी परिवर्तन के मामले में) प्रस्तुत करना होगा। 9. लेखा टिप्पणियों में प्रकटीकरण सभी अदावी देयताएं (जहाँ देय रकम निधि में अंतरित कर दी गई है) को वार्षिक वित्तीय विवरणों की अनुसूची 12 के अंतर्गत "आकस्मिक देयता - अन्य, वह मदें जिनके लिए बैंक आकस्मिक रूप से जिम्मेदार है" के रूप में दर्शाया जा सकता है। बैंक को नीचे दिए गए प्रारूप के अनुसार लेखा टिप्पणियों के अंतर्गत निधि में अंतरित राशियों का भी प्रकटीकरण करना होगा।
10. निरसन प्रावधान इन अनुदेशों के जारी होने से, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुबंध I में सूचीबद्ध परिपत्रों में निहित अनुदेशों/दिशा-निर्देश निरस्त कर दिया जाएगा। निरस्त किए गए परिपत्रों की सूची
ब्याज वाली जमा राशि पर देय ब्याज दरें जमाकर्ता शिक्षा एवं जागरूकता (डीईए) निधि में अंतरित ब्याज युक्त जमाराशियों पर देय ब्याज की गणना बैंकों द्वारा नीचे दी गई तालिका में विनिर्दिष्ट ब्याज दरों के अनुसार की जाएगी:
इस संबंध में देय ब्याज की राशि की गणना योजना के पैरा 4 (ii) में विनिर्दिष्ट तरीके से की जाएगी और ब्याज की राशि को निकटतम रुपये में पूर्णांकित किया जाएगा। |
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