Notifications - Consumer Education and Protection - आरबीआई - Reserve Bank of India
अधिसूचनाएं
अप्रैल 05, 2004
सिक्कों को स्वीकार करना
आरबीआई/2004/136 डीसीएम(आरएमएमटी)सं.1181/11/37.01/2003-04 5 अप्रैल 2004 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सभी सार्वजनिक/निजी क्षेत्र के बैंक महोदय, सिक्कों को स्वीकार करना उक्त विषय में दिनांक 09 अक्टूबर 2003 के हमारे पत्र डीसीएम(आरएमएमटी)सं. 404/11.37.01/2003-04 का संदर्भ लें, जिसमें आपसे अपनी शाखाओं को आम जनता से बिना किसी प्रतिबंध के सभी मूल्यवर्ग के सिक्के स्वीकार करने हेतु निर्देश देने हेतु अनुरोध किया गया था। यद्यपि, हमें अभी भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बैंक शाखाओं
आरबीआई/2004/136 डीसीएम(आरएमएमटी)सं.1181/11/37.01/2003-04 5 अप्रैल 2004 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सभी सार्वजनिक/निजी क्षेत्र के बैंक महोदय, सिक्कों को स्वीकार करना उक्त विषय में दिनांक 09 अक्टूबर 2003 के हमारे पत्र डीसीएम(आरएमएमटी)सं. 404/11.37.01/2003-04 का संदर्भ लें, जिसमें आपसे अपनी शाखाओं को आम जनता से बिना किसी प्रतिबंध के सभी मूल्यवर्ग के सिक्के स्वीकार करने हेतु निर्देश देने हेतु अनुरोध किया गया था। यद्यपि, हमें अभी भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बैंक शाखाओं
फ़रवरी 27, 2004
Grant of advances against the security of Relief Bonds
RBI/2004/ 82 BPD.PCB.Cir. 36 /13.08.00/2003-04 February 27, 2004The Chief Executive Officers of all Primary (Urban) Co-operative BanksDear Sir,Grant of advances against the security of Relief BondsPlease refer to our circular UBD.No.PCB.82/DC.(13.08.00)/92-93 dated June 2, 1993 advising banks that they may sanction advances against the security of 10% Relief Bonds 1993 on the terms mentioned in paragraph 2 thereof.2. As you are aware, Government of India have from tim
RBI/2004/ 82 BPD.PCB.Cir. 36 /13.08.00/2003-04 February 27, 2004The Chief Executive Officers of all Primary (Urban) Co-operative BanksDear Sir,Grant of advances against the security of Relief BondsPlease refer to our circular UBD.No.PCB.82/DC.(13.08.00)/92-93 dated June 2, 1993 advising banks that they may sanction advances against the security of 10% Relief Bonds 1993 on the terms mentioned in paragraph 2 thereof.2. As you are aware, Government of India have from tim
फ़रवरी 05, 2004
Revised guidelines for compromise settlement of chronic Non-Performing Assets (NPAs) of public sector banks upto Rs 10 crore
February 05, 2004RBI/2004/42DBOD No. BP. BC 66 / 21.04.117/2003-2004 Chairmen and Managing Directors of all Public Sector BanksDear Sir,Revised guidelines for compromise settlement of chronic Non-Performing Assets (NPAs) of public sector banks upto Rs 10 crore Please refer to our circular DBOD No. BP.BC. 108/ 21.04.117 / 2002-2003 dated May 23, 2003 extending the time limit for processing of applications for settlement of NPAs up to Rs. 10 crore from 31st October 2003
February 05, 2004RBI/2004/42DBOD No. BP. BC 66 / 21.04.117/2003-2004 Chairmen and Managing Directors of all Public Sector BanksDear Sir,Revised guidelines for compromise settlement of chronic Non-Performing Assets (NPAs) of public sector banks upto Rs 10 crore Please refer to our circular DBOD No. BP.BC. 108/ 21.04.117 / 2002-2003 dated May 23, 2003 extending the time limit for processing of applications for settlement of NPAs up to Rs. 10 crore from 31st October 2003
जनवरी 29, 2004
काउंटरों में नोट गिनने वाली मशीनों का प्रावधान
29 जनवरी 2004 आरबीआई/2004/30 डीसीएम (आयो)सं.874/10.36.00/2003-04 अध्यक्ष, भारतीय स्टेट बैंक प्रबंध निदेशक, सहयोगी बैंक राष्ट्रीयकृत बैंकों के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक निजी क्षेत्र के बैंकों/विदेशी बैंकों/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों/स्थानीय क्षेत्र के बैंकों के अध्यक्ष/सीईओ महोदय, काउंटरों में नोट गिनने वाली मशीनों का प्रावधान हम सूचित करते हैं कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के तहत भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दिनांक 7 नवंबर 2001 को जनहित में जारी निर्देशों डीब
29 जनवरी 2004 आरबीआई/2004/30 डीसीएम (आयो)सं.874/10.36.00/2003-04 अध्यक्ष, भारतीय स्टेट बैंक प्रबंध निदेशक, सहयोगी बैंक राष्ट्रीयकृत बैंकों के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक निजी क्षेत्र के बैंकों/विदेशी बैंकों/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों/स्थानीय क्षेत्र के बैंकों के अध्यक्ष/सीईओ महोदय, काउंटरों में नोट गिनने वाली मशीनों का प्रावधान हम सूचित करते हैं कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के तहत भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दिनांक 7 नवंबर 2001 को जनहित में जारी निर्देशों डीब
जनवरी 19, 2004
जनता को नोटों, सिक्कों आदि के विनिमय हेतु सुविधाएं प्रदान करना
आरबीआई/2004/19 डीसीएम (एनई) सं.310/08.07.18/2003-04 19 जनवरी 2004 अध्यक्ष, एसबीआई और मुद्रा तिजोरी रखने वाली सभी शाखाओं के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक महोदय, जनता को नोटों, सिक्कों आदि के विनिमय हेतु सुविधाएं प्रदान करना जैसा कि आप जानते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक जनता को मुद्रा और सिक्कों के वितरण और विनिमय जैसी खुदरा सेवाएं प्रदान करता है। हमारे क्षेत्रीय कार्यालय सभी मूल्यवर्ग के नए/अच्छे नोट और सिक्के जारी कर रहे हैं, गंदे नोटों विनिमय कर रहे हैं, कटे-फटे नोटों को अध
आरबीआई/2004/19 डीसीएम (एनई) सं.310/08.07.18/2003-04 19 जनवरी 2004 अध्यक्ष, एसबीआई और मुद्रा तिजोरी रखने वाली सभी शाखाओं के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक महोदय, जनता को नोटों, सिक्कों आदि के विनिमय हेतु सुविधाएं प्रदान करना जैसा कि आप जानते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक जनता को मुद्रा और सिक्कों के वितरण और विनिमय जैसी खुदरा सेवाएं प्रदान करता है। हमारे क्षेत्रीय कार्यालय सभी मूल्यवर्ग के नए/अच्छे नोट और सिक्के जारी कर रहे हैं, गंदे नोटों विनिमय कर रहे हैं, कटे-फटे नोटों को अध
सितंबर 27, 2003
विदेश में रहने वाले नजदीकी रिश्तेदारों से उधार
भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग केंद्रीय कार्यालय मुंबई 400 001 ए.पी. (डी आइ आर सिरीज़) परिपत्र सं.24 27 सितंबर 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदय/ महोदया विदेश में रहने वाले नजदीकी रिश्तेदारों से उधार प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. 3/2000-आरबी के विनियम 6 के पैराग्राफ (iv) की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार आवेदनपत्र प्रस्तुत करने पर तथा उसमें निर्दिष्ट शर्तों पर भारत में निवासी किसी व्यक्
भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग केंद्रीय कार्यालय मुंबई 400 001 ए.पी. (डी आइ आर सिरीज़) परिपत्र सं.24 27 सितंबर 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदय/ महोदया विदेश में रहने वाले नजदीकी रिश्तेदारों से उधार प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. 3/2000-आरबी के विनियम 6 के पैराग्राफ (iv) की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार आवेदनपत्र प्रस्तुत करने पर तथा उसमें निर्दिष्ट शर्तों पर भारत में निवासी किसी व्यक्
जुलाई 17, 2003
चालू खाता लेनदेन - उदारीकरण
ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र क्र.3 जुलाई 17, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, चालू खाता लेनदेन - उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) विनियमावली 2000, समय समय पर यथा संशोधित, के नियम 5 की अनुसूची III के अंतर्गत विदेशी मुद्रा देने की मौजूदा सीमाओं की ओर आकृष्ट किया जाता है । इसमें और अधिक उदारीकरण के उपाय स्वरूप वर्तमान सीमाओं को निम्नलिखित प्रकार से बढ़ाने का निर्णय किया गया है :- क्रम सं. अ
ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र क्र.3 जुलाई 17, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, चालू खाता लेनदेन - उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) विनियमावली 2000, समय समय पर यथा संशोधित, के नियम 5 की अनुसूची III के अंतर्गत विदेशी मुद्रा देने की मौजूदा सीमाओं की ओर आकृष्ट किया जाता है । इसमें और अधिक उदारीकरण के उपाय स्वरूप वर्तमान सीमाओं को निम्नलिखित प्रकार से बढ़ाने का निर्णय किया गया है :- क्रम सं. अ
जून 26, 2003
चेकों का नकारा जाना - तत्संबंधी क्रियाविधि
चेकों का नकारा जाना - तत्संबंधी क्रियाविधिसंदर्भ : बैंपविवि. बीसी. एलईजी. सं. 113 /09.12.001/2002-2003 26 जून 2003 5 आषाढ़ 1925(शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण र्बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर) प्रिय महोदय,चेकों का नकारा जाना - तत्संबंधी क्रियाविधि जैसा कि आपको ज्ञात है, जनवरी 1992 में बैंकों को सूचित किया गया था कि वे गाइपोरिया समिति की उस सिफारिश को लागू करें, जिसमें यह कहा गया है कि नकारे गये लिखतों को ग्राहकों को बिना किसी विलंब के हर ह
चेकों का नकारा जाना - तत्संबंधी क्रियाविधिसंदर्भ : बैंपविवि. बीसी. एलईजी. सं. 113 /09.12.001/2002-2003 26 जून 2003 5 आषाढ़ 1925(शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण र्बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर) प्रिय महोदय,चेकों का नकारा जाना - तत्संबंधी क्रियाविधि जैसा कि आपको ज्ञात है, जनवरी 1992 में बैंकों को सूचित किया गया था कि वे गाइपोरिया समिति की उस सिफारिश को लागू करें, जिसमें यह कहा गया है कि नकारे गये लिखतों को ग्राहकों को बिना किसी विलंब के हर ह
मई 21, 2003
अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड - निवासियों के लिए सुविधाओं का उदारीकरण
भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग केद्रीय कार्यालय मुंबई ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिक्रम क्र.103 मई 21, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड - निवासियों के लिए सुविधाओं का उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड के उपयोग संबंधित जनवरी 24, 2003 की एपी (डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 73 की ओर आकृष्ट किया जाता है । 2. उदारीकरण के अगले चरण के रूप में, भारत में प्राधिकृत व्यापारी
भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग केद्रीय कार्यालय मुंबई ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिक्रम क्र.103 मई 21, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड - निवासियों के लिए सुविधाओं का उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड के उपयोग संबंधित जनवरी 24, 2003 की एपी (डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 73 की ओर आकृष्ट किया जाता है । 2. उदारीकरण के अगले चरण के रूप में, भारत में प्राधिकृत व्यापारी
मई 05, 2003
ऋणदाताओं के लिए उचित प्रथा संहिता संबंधी दिशा-निर्देश
ऋणदाताओं के लिए उचित प्रथा संहिता संबंधी दिशा-निर्देश संदर्भ : बैंपविवि.सं. बीसी. 104 /09.07.007/2002-03 05 मई 2003 15 वैशाख 1925(शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक / अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर)प्रिय महोदय, ऋणदाताओं के लिए उचित प्रथा संहिता संबंधी दिशा-निर्देश भारत सरकार द्वारा गठित ऋणदाता दायित्व विधि (Lenders Liability Laws) संबंधी कार्य-दल की सिफारिशों के आधार पर हमने ऋणदाताओं के लिए उचित प्रथा संहिता (Lende
ऋणदाताओं के लिए उचित प्रथा संहिता संबंधी दिशा-निर्देश संदर्भ : बैंपविवि.सं. बीसी. 104 /09.07.007/2002-03 05 मई 2003 15 वैशाख 1925(शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक / अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर)प्रिय महोदय, ऋणदाताओं के लिए उचित प्रथा संहिता संबंधी दिशा-निर्देश भारत सरकार द्वारा गठित ऋणदाता दायित्व विधि (Lenders Liability Laws) संबंधी कार्य-दल की सिफारिशों के आधार पर हमने ऋणदाताओं के लिए उचित प्रथा संहिता (Lende
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