मास्टर निदेशों - विनियमन वाणिज्यिक बैंकिंग - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर निदेशों
आरबीआई/विवि/2023-24/104 विवि.एमआरजी.36/21.04.141/2023-24 12 सितंबर, 2023 (01 अप्रैल, 2025 को अद्यतन) सभी वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) महोदय / महोदया मास्टर निदेश – वाणिज्यिक बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण, मूल्यांकन और परिचालन (निदेश), 2023 वाणिज्यिक बैंकों द्वारा निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण और मूल्यांकन संबंधी मौजूदा विनियामक अनुदेश, जैसाकि भारतीय रिज़र्व बैंक (वाणिज्यिक बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण, मूल्यांकन और परिचालन) निदेश, 2021 में समाहित है, बृहतः अक्तूबर 2000 में लागू किए गए तत्कालीन प्रचलित वैश्विक मानकों और सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर बनाए गए ढांचे पर आधारित है।
आरबीआई/विवि/2023-24/104 विवि.एमआरजी.36/21.04.141/2023-24 12 सितंबर, 2023 (01 अप्रैल, 2025 को अद्यतन) सभी वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) महोदय / महोदया मास्टर निदेश – वाणिज्यिक बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण, मूल्यांकन और परिचालन (निदेश), 2023 वाणिज्यिक बैंकों द्वारा निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण और मूल्यांकन संबंधी मौजूदा विनियामक अनुदेश, जैसाकि भारतीय रिज़र्व बैंक (वाणिज्यिक बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण, मूल्यांकन और परिचालन) निदेश, 2021 में समाहित है, बृहतः अक्तूबर 2000 में लागू किए गए तत्कालीन प्रचलित वैश्विक मानकों और सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर बनाए गए ढांचे पर आधारित है।
आरबीआई/विवि./2023-24/103
विवि.ओआरजी.आरईसी.22/21.06.050/2023-24
26 जून 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक - परिचालन जोखिम के लिए न्यूनतम पूंजीगत अपेक्षाओं पर मास्टर निदेश
बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए द्वारा के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंकने, इस बात से आश्वस्त होने पर कि ऐसा करना लोकहित में आवश्यक और लाभकारक है, एतदद्वारा इसके बाद विनिर्दिष्ट निदेश जारी किया है। इन निदेशों के अंतर्गत निर्दिष्ट वाणिज्यिक बैंक ('प्रयोज्यता' के तहत कवर) को परिचालन जोखिम से उत्पन्न होने वाले जोखिमों के लिए पर्याप्त नियामक पूंजी रखने की आवश्यकता है।
भाग ए
1. संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ
इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (परिचालन जोखिम के लिए न्यूनतम पूंजी अपेक्षाएँ) निदेश, 2023 कहा जाएगा।
2. प्रभावी तिथि
2.1 इन निदेशों के कार्यान्वयन की प्रभावी तिथि अलग से सूचित की जाएगी।
2.2 न्यूनतम परिचालन जोखिम पूंजी (ओआरसी) अपेक्षाओं को मापने के सभी मौजूदा दृष्टिकोण अर्थात बुनियादी संकेतक दृष्टिकोण (बीआईए), मानकीकृत दृष्टिकोण (टीएसए) / वैकल्पिक मानकीकृत दृष्टिकोण (एएसए) और उन्नत माप दृष्टिकोण (एएमए), इन निदेशों के प्रभावी होने परही नए मानकीकृत दृष्टिकोण (इसके बाद 'बासल III मानकीकृत दृष्टिकोण' कहा जाएगा) द्वारा प्रतिस्थापित किए जाएंगे।
2.3 तब तक, न्यूनतम परिचालन जोखिम विनियामक पूंजी अपेक्षाओं का परिकलन समय-समय पर संशोधित परिपत्र विवि.सीएपी.आरईसी.15/21.06.201/2023 दिनांक 12 मई 2023 के माध्यम से जारी 'मास्टर परिपत्र – बासल III पूंजी विनियमन' के पैरा 9 में निहित अनुदेशों के अनुसार किया जायेगा।
3. प्रयोज्यता
3.1 इन निदेशों के प्रावधान सभी वाणिज्यिक बैंकों (स्थानीय क्षेत्र बैंकों, भुगतान बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और लघु वित्त बैंकों को छोड़कर) पर लागू होंगे।
3.2 आवेदन का दायरा समय-समय पर संशोधित परिपत्र विवि.सीएपी.आरईसी.15/21.06.201/2023-24 दिनांक 12 मई 2023 द्वारा जारी 'मास्टर परिपत्र – बासल III पूंजी विनियमन ' के पैराग्राफ 3 के अनुसार होगा।
3.3 इन निदेशों के भाग ए में निहित प्रावधान अनिवार्य हैं। बैंकों को भाग बी में सूचीबद्ध दिशानिर्देशों का अनुपालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। भाग सी और भाग डी में क्रमशः अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) और उदाहरण शामिल हैं (बैंकों के सामान्य मार्गदर्शन के लिए)।
आरबीआई/विवि./2023-24/103
विवि.ओआरजी.आरईसी.22/21.06.050/2023-24
26 जून 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक - परिचालन जोखिम के लिए न्यूनतम पूंजीगत अपेक्षाओं पर मास्टर निदेश
बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए द्वारा के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंकने, इस बात से आश्वस्त होने पर कि ऐसा करना लोकहित में आवश्यक और लाभकारक है, एतदद्वारा इसके बाद विनिर्दिष्ट निदेश जारी किया है। इन निदेशों के अंतर्गत निर्दिष्ट वाणिज्यिक बैंक ('प्रयोज्यता' के तहत कवर) को परिचालन जोखिम से उत्पन्न होने वाले जोखिमों के लिए पर्याप्त नियामक पूंजी रखने की आवश्यकता है।
भाग ए
1. संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ
इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (परिचालन जोखिम के लिए न्यूनतम पूंजी अपेक्षाएँ) निदेश, 2023 कहा जाएगा।
2. प्रभावी तिथि
2.1 इन निदेशों के कार्यान्वयन की प्रभावी तिथि अलग से सूचित की जाएगी।
2.2 न्यूनतम परिचालन जोखिम पूंजी (ओआरसी) अपेक्षाओं को मापने के सभी मौजूदा दृष्टिकोण अर्थात बुनियादी संकेतक दृष्टिकोण (बीआईए), मानकीकृत दृष्टिकोण (टीएसए) / वैकल्पिक मानकीकृत दृष्टिकोण (एएसए) और उन्नत माप दृष्टिकोण (एएमए), इन निदेशों के प्रभावी होने परही नए मानकीकृत दृष्टिकोण (इसके बाद 'बासल III मानकीकृत दृष्टिकोण' कहा जाएगा) द्वारा प्रतिस्थापित किए जाएंगे।
2.3 तब तक, न्यूनतम परिचालन जोखिम विनियामक पूंजी अपेक्षाओं का परिकलन समय-समय पर संशोधित परिपत्र विवि.सीएपी.आरईसी.15/21.06.201/2023 दिनांक 12 मई 2023 के माध्यम से जारी 'मास्टर परिपत्र – बासल III पूंजी विनियमन' के पैरा 9 में निहित अनुदेशों के अनुसार किया जायेगा।
3. प्रयोज्यता
3.1 इन निदेशों के प्रावधान सभी वाणिज्यिक बैंकों (स्थानीय क्षेत्र बैंकों, भुगतान बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और लघु वित्त बैंकों को छोड़कर) पर लागू होंगे।
3.2 आवेदन का दायरा समय-समय पर संशोधित परिपत्र विवि.सीएपी.आरईसी.15/21.06.201/2023-24 दिनांक 12 मई 2023 द्वारा जारी 'मास्टर परिपत्र – बासल III पूंजी विनियमन ' के पैराग्राफ 3 के अनुसार होगा।
3.3 इन निदेशों के भाग ए में निहित प्रावधान अनिवार्य हैं। बैंकों को भाग बी में सूचीबद्ध दिशानिर्देशों का अनुपालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। भाग सी और भाग डी में क्रमशः अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) और उदाहरण शामिल हैं (बैंकों के सामान्य मार्गदर्शन के लिए)।
आरबीआई/2022-23/92 विवि.एयूटी.आरईसी.सं.27/24.01.041/2022-23 21 अप्रैल 2022 मास्टर निदेश - क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड - जारी और आचार संबंधी निदेश, 2022 बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए तथा धारा 56 और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1
आरबीआई/2022-23/92 विवि.एयूटी.आरईसी.सं.27/24.01.041/2022-23 21 अप्रैल 2022 मास्टर निदेश - क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड - जारी और आचार संबंधी निदेश, 2022 बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए तथा धारा 56 और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1
आरबीआई/विवि/2021-22/89
विवि.एफआईएन.आरईसी.95/03.10.038/2021-22
14 मार्च 2022
(10 अक्टूबर 2024 को अद्यतन किया गया)
(25 जुलाई 2022 को अद्यतन किया गया)
सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंकों सहित,
स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक) भुगतान बैंकों को छोड़कर
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक / राज्य सहकारी बैंक /
जिला केंद्रीय सहकारी बैंक
सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (सूक्ष्मवित्त संस्थानों
और आवास वित्त कंपनियों सहित)
आरबीआई/विवि/2021-22/89
विवि.एफआईएन.आरईसी.95/03.10.038/2021-22
14 मार्च 2022
(10 अक्टूबर 2024 को अद्यतन किया गया)
(25 जुलाई 2022 को अद्यतन किया गया)
सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंकों सहित,
स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक) भुगतान बैंकों को छोड़कर
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक / राज्य सहकारी बैंक /
जिला केंद्रीय सहकारी बैंक
सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (सूक्ष्मवित्त संस्थानों
और आवास वित्त कंपनियों सहित)
आरबीआई/डीओआर/2021-22/87 डीओआर.सीएपी.आरईसी.सं.61/21.01.002/2021-22 26 अक्तूबर 2021 (08 अप्रैल 2024 तक अद्यतन) (11 अगस्त 2022 तक अद्यतन) (31 मार्च 2022 तक अद्यतन) सभी स्थानीय क्षेत्र बैंक महोदया/ महोदय, मास्टर निदेश - स्थानीय क्षेत्र बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड (निदेश), 2021 भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर पूंजी पर्याप्तता के लिए विवेकपूर्ण मानदंड पर स्थानीय क्षेत्र के बैंकों को कई दिशा-निर्देश/ अनुदेश/ निदेश जारी किए हैं। 2. स्थानीय क्षेत्र के बैंकों को एक ही स्थान पर सभी वर्तमान निदेशों को प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाने हेतु, इस विषय पर जारी सभी मौजूदा दिशा-निर्देशों/ अनुदेशों/ निदेशों को शामिल करते हुए मास्टर निदेश तैयार की गई है। 3. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35क के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और इस दिशा में इसे सक्षम करने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह निदेश जारी किया गया है।
आरबीआई/डीओआर/2021-22/87 डीओआर.सीएपी.आरईसी.सं.61/21.01.002/2021-22 26 अक्तूबर 2021 (08 अप्रैल 2024 तक अद्यतन) (11 अगस्त 2022 तक अद्यतन) (31 मार्च 2022 तक अद्यतन) सभी स्थानीय क्षेत्र बैंक महोदया/ महोदय, मास्टर निदेश - स्थानीय क्षेत्र बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड (निदेश), 2021 भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर पूंजी पर्याप्तता के लिए विवेकपूर्ण मानदंड पर स्थानीय क्षेत्र के बैंकों को कई दिशा-निर्देश/ अनुदेश/ निदेश जारी किए हैं। 2. स्थानीय क्षेत्र के बैंकों को एक ही स्थान पर सभी वर्तमान निदेशों को प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाने हेतु, इस विषय पर जारी सभी मौजूदा दिशा-निर्देशों/ अनुदेशों/ निदेशों को शामिल करते हुए मास्टर निदेश तैयार की गई है। 3. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35क के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और इस दिशा में इसे सक्षम करने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह निदेश जारी किया गया है।
आरबीआई/डीओआर/2021-22/86 डीओआर.एसटीआर.आरईसी.51/21.04.048/2021-22 24 सितंबर, 2021 (05 दिसंबर 2022 को अद्यतन किया गया) सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित) सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/
आरबीआई/डीओआर/2021-22/86 डीओआर.एसटीआर.आरईसी.51/21.04.048/2021-22 24 सितंबर, 2021 (05 दिसंबर 2022 को अद्यतन किया गया) सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित) सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/
भारिबैं/डीओआर/2021-22/83 विवि.एसीसी.आरईसी.सं.45/21.04.018/2021-22 30 अगस्त 2021 (20 फरवरी 2023 को अपडेट किया गया) (13 दिसम्बर 2022 को अपडेट किया गया) (11 अक्टूबर 2022 को अपडेट किया गया) (19 मई 2022 को अपडेट किया गया) (15 नवंबर, 2021 को अ
भारिबैं/डीओआर/2021-22/83 विवि.एसीसी.आरईसी.सं.45/21.04.018/2021-22 30 अगस्त 2021 (20 फरवरी 2023 को अपडेट किया गया) (13 दिसम्बर 2022 को अपडेट किया गया) (11 अक्टूबर 2022 को अपडेट किया गया) (19 मई 2022 को अपडेट किया गया) (15 नवंबर, 2021 को अ
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