मास्टर परिपत्र – पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी) - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र – पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)
आरबीआई/2022-23/13 1 अप्रैल, 2022 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया / महोदय मास्टर परिपत्र – पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी) कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 01 जुलाई 2015 का हमारा मास्टर परिपत्र डीसीबीआर.बीपीडी.(पीसीबी).एमसी.सं.10./09.18.201/2015-16 देखें। 2. संलग्न मास्टर परिपत्र परिशिष्ट में सूचीबद्ध किए गए अनुसार इस विषय पर 31 मार्च 2022 तक के सभी अनुदेशों/दिशानिर्देशों को समेकित और अद्यतन करता है। भवदीया (उषा जानकीरामन) संलग्न : यथोक्त पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड – प्राथमिक (शहरी) विषयवस्तु पूँजी किसी बैंक के संकट अथवा खराब कार्य-निष्पादन के समय सुरक्षित पूंजी (बफर) के रूप में कार्य करती है । पूंजी की पर्याप्तता जमाकर्ताओं में आत्मविश्वास पैदा करती है। इसलिए पूँजी की पर्याप्तता किसी नए बैंक के लाइसेंसीकरण तथा व्यवसाय में उसके बने रहने की एक पूर्वशर्त है । बैंककारी विनियमन अधिनियम (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 11 में निहित उपबंधों के अनुसार कोई भी सहकारी बैंक तब तक बैंकिंग व्यवसाय प्रारंभ अथवा जारी नहीं रख सकता जब तक उसकी चुकता पूँजी तथा आरक्षित निधि का कुल मूल्य एक लाख रुपये से कम है । इसके अतिरिक्त, उपर्युक्त अधिनियम की धारा 22(3) के अंतर्गत रिज़र्व बैंक किसी नए शहरी सहकारी बैंक की स्थापना के लिए समय-समय पर न्यूनतम प्रवेश बिंदु पूँजी (प्रवेश बिंदु संबंधी मानदंड) निर्धारित करता है । 3. पूँजी पर्याप्तता संबंधी मानदंड भारतीय रिज़र्व बैंक ने व्यापक रूप से भारत में प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के लिए बेसल-I फ्रेमवर्क अनिवार्य कर दिया है। तदनुसार, वे निरंतर आधार पर जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (सीआरएआर) के प्रति 9% की न्यूनतम पूंजी बनाए रखेंगे। पूंजी पर्याप्तता उद्देश्यों के लिए पूंजीगत निधि में नीचे परिभाषित अनुसार टियर I और टियर II पूंजी शामिल होगी। सीआरएआर मानदंडों के अनुपालन के उद्देश्य से कुल टियर II पूंजी को कुल टीयर I पूंजी के अधिकतम 100 प्रतिशत तक सीमित रखी जाएगी। बैंकों के विभिन्न श्रेणी के ऋण जोखिम के लिए जोखिम भार अनुबंध-I में उल्लिखित हैं। 3.1 टियर I पूंजी टियर I में निम्नलिखित मदें शामिल है:
नोट: (i) अमूर्त आस्तियों की राशि, चालू वर्ष के दौरान तथा पिछली अवधियों से आगे लाई गई हानियों, एन पी ए प्रावधानों में घाटे, अनर्जक आस्तियों पर गलती से दर्ज की गई आय, बैंक पर अंतरित देयता के लिए अपेक्षित प्रावधान आदि को टियर I पूँजी से घटा दिया जाए । (ii) किसी निधि को टियर I पूँजी में शामिल करने के लिए निधि को दो मानदंडों पर खरा उतरना चाहिए जैसे निधि लाभ के विनियोग से सृजित की जानी चाहिए और उसे मुक्त आरक्षित निधि होना चाहिए न कि विशेष आरक्षित निधि । तथापि, यदि उसे लाभ के विनियोग से न सृजित करके लाभ पर प्रभार के द्वारा सृजित किया गया हो तो वस्तुत: यह निधि एक प्रावधान होगी और इस प्रकार वह नीचे दिए गए अनुसार केवल टियर II पूँजी के रूप में परिगणित की जाने की पात्र होगी और वह जोखिम भारित आस्तियों के 1.25% की सीमा के अधीन होगी बशर्ते वह किसी समान संभावित हानि या किसी आस्ति के मूल्य में ह्रास या किसी ज्ञात देयता के कारण न हुई हो । (iii) बकाया नवोन्मेषी स्थायी ऋण लिखत (आईपीडीआई) जो दिनांक 23 जनवरी 2009 के परिपत्र यूसीबी.पीसीबी.परि.सं.39/09.16.900/08-09 के अनुबंध के अनुसार जारी किए गए थे, को इस मास्टर परिपत्र के अनुबंध में निर्धारित सीमा के अधीन टियर-I पूंजी के रूप में भी माना जाएगा। यह ध्यान दिया जा सकता है कि दिनांक 23 जनवरी, 2009 के परिपत्र के अनुबंध को दिनांक 08 मार्च, 2022 के परिपत्र सं.DOR.CAP.REC.92/09.18.201/ 2021-22 द्वारा निरस्त कर दिया गया है और 08 मार्च, 2009 से यूसीबी की पुनर्जीवन योजना/ वित्तीय पुनर्निर्माण (23 जनवरी 2009 के परिपत्र के अनुसार) के हिस्से के रूप में मौजूदा जमाओं को परिवर्तित करके पीडीआई के माध्यम से जारी राशि इस मास्टर परिपत्र के अनुबंध-III का अनुपालन करेगी। 3.2 टियर II पूँजी टियर II पूँजी के अंतर्गत निम्नलिखित मदें शामिल होंगी: 3.2.1 पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि ये आरक्षित निधियाँ अक्सर अप्रत्याशित नुकसान के खिलाफ एक कुशन के रूप में काम करती हैं, लेकिन ये कम स्थायी प्रकृति के होते हैं और इन्हें 'स्थायी पूंजी' नहीं माना जा सकता। पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि उन संपत्तियों के पुनर्मूल्यांकन से उत्पन्न होती है जिनका बैंक की पुस्तकों में कम मूल्यांकन किया जाता है। इसका आदर्श उदाहरण बैंक के परिसर तथा विपणनीय प्रतिभूतियाँ हैं। अप्रत्याशित हानियों के लिए कुशन के रुप में पुनर्मूल्यांकन भंडार पर किस सीमा तक निर्भर रहा जा सकता है, यह मुख्य रूप से संबंधित आस्तियों के बाजार मूल्य के अनुमानों पर निर्भर रहने, कठिन बाजार स्थितियों के तहत या जबरन बिक्री के बाद मूल्यों में गिरावट, उन मूल्यों के वास्तविक परिसमापन की संभावना, पुनर्मूल्यांकन के कर परिणाम, आदि की निश्चितता के स्तर पर निर्भर करता है । इसलिए, आरक्षित निधियों को टियर II पूँजी में शामिल करने के लिए उनके मूल्य का निर्धारण करते समय पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि को 55% के बट्टे पर विचार करना विवेकपूर्ण होगा अर्थात पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि की केवल 45% निधि को टियर II पूँजी के अंतर्गत शामिल किया जाना चाहिए । ऐसी आरक्षित निधियों को तुलन पत्र के मुखपृष्ठ पर पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि के रूप में प्रदर्शित किया जाना चाहिए। 3.2.2 सामान्य प्रावधान तथा हानि आरक्षित निधि इनके अंतर्गत बैंक की बहियों में प्रकट होने वाले सामान्य प्रकृति के ऐसे प्रावधान शामिल होते हैं जो किसी स्पष्ट संभावित हानि, किसी आस्ति या ज्ञात देयता के मूल्य में ह्रास के कारण नहीं किए गए हों। यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए कि ऊपर दिए गए अनुसार टियर II पूँजी के एक भाग के रूप में सामान्य प्रावधान की किसी राशि पर विचार करने से पहले सभी ज्ञात हानियों तथा पूर्वाभासी एवं संभावित हानियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं । उदाहरण के लिए: मानक परिसंपत्तियों के लिए सामान्य प्रावधान, एनपीए की बिक्री पर अतिरिक्त प्रावधान आदि को इस श्रेणी में शामिल करने पर विचार किया जा सकता है। ऐसे प्रावधान जिन्हें टियर II पूंजी में शामिल करने पर विचार किया जाता है, कुल भारित जोखिम आस्तियों के 1.25% तक स्वीकार किया जाएगा। विद्यमान अनुदेशों के अनुसार निवल एनपीए की राशि परिकलित करने के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुसार एनपीए के लिए किया गया प्रावधान सकल एनपीए की राशि से घटाकर किया जाता है । विभिन्न प्रकार के प्रावधानों का विवेकपूर्ण व्यवहार और पूंजी पर्याप्तता उद्देश्यों के लिए इसका व्यवहार नीचे दिया गया है: (ए) अतिरिक्त सामान्य प्रावधान (अस्थिर प्रावधान) अशोध्य ऋणों के लिए अतिरिक्त सामान्य प्रावधान (अस्थिर प्रावधान) अर्थात् किसी विशेष ऋण अशोध्यता (एनपीए) के लिए निर्धारित नहीं किए गए प्रावधानों का प्रयोग सकल एनपीए के नेटिंग के लिए अथवा टियर II पूँजी में शामिल करने के लिए किया जा सकता है लेकिन उनका प्रयोग दोनों रूपों में नहीं किया जा सकता । (बी) एनपीए के लिए निर्धारित राशि से अधिक विशेष प्रावधान ऐसे मामलों में जहां बैंक विवेकपूर्ण मानदंडों के तहत निर्धारित से अधिक एनपीए के लिए विशिष्ट प्रावधान करते हैं, शुद्ध एनपीए की राशि की रिपोर्ट करते समय कुल विशिष्ट प्रावधान को सकल एनपीए की राशि से घटाएँ। बैंक द्वारा किया गया अतिरिक्त प्रावधान को टियर II पूंजी के रूप में नहीं माना जाएगा (सी) आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) को दबावग्रस्त ऋणों के हस्तांतरण पर अतिरिक्त प्रावधान दिनांक 24 सितंबर, 2021 के भारतीय रिजर्व बैंक (ऋण एक्सपोजर का हस्तांतरण) निदेश, 2021 के अनुसार, जब दबावग्रस्त ऋण को स्थानांतरण के समय नेट बुक वैल्यू (एनबीवी) से अधिक कीमत पर एआरसी को हस्तांतरित किया जाता है, शहरी सहकारी बैंक उस वर्ष के लाभ और हानि खाते में अंतरण पर अतिरिक्त प्रावधान को रिवर्स करेंगे जिस वर्ष वह राशि प्राप्त होती है, और केवल तभी करेंगे जब प्रारंभिक राशि और / या मोचन या सुरक्षा रसीदों (एसआर) / पास थ्रू प्रमाणपत्रों (पीटीसी) / एआरसी द्वारा जारी अन्य प्रतिभूतियों के माध्यम से प्राप्त नकद राशि हस्तांतरण के समय ऋण के एनबीवी से अधिक हैं। इसके अलावा, इस तरह का रिवर्सल उस सीमा तक सीमित होगा जहां तक प्राप्त नकद हस्तांतरण के समय ऋण के एनबीवी से अधिक हो जाता है। रिवर्सल होने तक, ऐसे अतिरिक्त प्रावधान को 'प्रावधानों' के तहत दिखाए जाना जारी रहेंगे और जोखिम भारित परिसंपत्तियों के 1.25% की समग्र सीमा के अधीन टियर II पूंजी के रूप में माने जाएंगे। (डी) उचित मूल्य में ह्रास के लिए प्रावधान पुनर्रचित खातों, मानक परिसंपत्तियों और एनपीए दोनों के संबंध में, के उचित मूल्य में कमी के प्रावधानों को संबंधित ऋण परिसंपत्ति से समायोजित करने की अनुमति है और इसे टियर II पूंजी के रूप में नहीं माना जाएगा। 3.2.3 निवेश उतार-चढ़ाव आरक्षित निधि एएफएस और एचएफटी में धारित निवेशों की बिक्री से प्राप्त लाभ से शुद्ध लाभ के विनियोग से सृजित निवेश उतार-चढ़ाव आरक्षित निधि में शेष राशि को टियर II पूंजी के रूप में माना जा सकता है। 3.2.4 टियर II पूंजी लिखत शहरी सहकारी बैंक अपनी टियर-II पूंजी बढ़ाने के लिए निम्नलिखित लिखत जारी करें: ए) अपर टियर-II लिखत - स्थायी संचयी अधिमानी शेयर (पीसीपीएस), मोचनीय गैर-संचयी अधिमानी शेयर (आरएनसीपीएस) और मोचनीय संचयी अधिमानी शेयर (आरसीपीएस) जो अनुबंध-II में निर्दिष्ट नियामक आवश्यकताओं का अनुपालन करते हैं। आ) लोअर टियर-II लिखत – दीर्घावधि अधीनस्थ बॉन्ड (एलटीएसबी) जो अनुबंध-III में निर्दिष्ट नियामक आवश्यकताओं का अनुपालन करते हैं। नोट: बकाया दीर्घावधि (अधीनस्थ) जमा (लिमिटेड) जो 15 जुलाई 2008 के परिपत्र शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.4/09.18.201/08-09 के अनुबंध-II के अनुसार जारी किए गए थे, और उसके बाद किए गए अनुवर्ती संशोधन, इस मास्टर परिपत्र के अनुबंध-III में निर्धारित उच्चतम सीमा के अधीन टियर-II पूंजी के रूप में माने जाने के लिए भी पात्र होंगे। यह नोट करें कि दिनांक 15 जुलाई 2008 के परिपत्र को दिनांक 08 मार्च 2022 के परिपत्र सं.डीओआर.सीएपी.आरईसी.92/09.18.201/2021-22 द्वारा निरस्त कर दिया गया है। 4.1 बाजार जोखिम को बाजार कीमतों में परिवर्तनों के कारण उत्पन्न तुलन पत्र तथा तुलनपत्रेतर स्थितियों में हानि के जोखिम के रूप में परिभाषित किया गया है । बाजार जोखिम स्थितियाँ, जो पूँजी प्रभारों के अधीन हैं, नीचे दी गई है :
4.2 बाजार जोखिमों के लिए पूंजी की आवश्यकता निर्धारित करने की दिशा में एक प्रारंभिक कदम के रूप में, शहरी सहकारी बैंकों को निवेश पर 2.5 प्रतिशत का अतिरिक्त जोखिम भार निर्दिष्ट करने की सलाह दी गई थी। इन अतिरिक्त जोखिम भारों को संलग्नक-I के अनुसार शहरी सहकारी बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो के संबंध में ऋण जोखिम के लिए निर्धारित जोखिम भार के साथ जोड़ा जाता है और बैंकों को इसके लिए अलग से प्रावधान करने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा, शहरी सहकारी बैंकों को सलाह दी जाती है कि वे विदेशी मुद्रा और सोने पर खुली स्थिति की सीमा पर 100% का जोखिम भार निर्धारित करें और मौजूदा निर्देशों के अनुसार निवेश में उतार-चढ़ाव आरक्षित निधि का निर्माण करें। 4.3 एडी श्रेणी I लाइसेंस रखने वाले शहरी सहकारी बैंकों को 8 फरवरी 2010 के परिपत्र शबैंवि.बीपीडी (पीसीबी)परि.सं.42/09.11.600/2009-10 के अनुसार बाजार जोखिम के लिए पूंजी उपलब्ध कराना आवश्यक है। शहरी सहकारी बैंकों से उधार को उधार लेने वाले सदस्यों की शेयरधारिता के साथ निम्न प्रकार से जोड़ा जाएगा:
उपरोक्त शेयर लिंकिंग मानदंड बैंक की कुल चुकता शेयर पूंजी के 5 प्रतिशत की सीमा तक सदस्य की शेयरधारिता के लिए लागू हो सकते हैं। जहां किसी सदस्य के पास पहले से ही यूसीबी की कुल चुकता शेयर पूंजी का 5 प्रतिशत है, तो उसके लिए मौजूदा शेयर लिंकिंग मानदंडों के लागू होने के कारण किसी भी अतिरिक्त शेयर पूंजी की सदस्यता लेना आवश्यक नहीं होगा। दूसरे शब्दों में, एक उधार लेने वाले सदस्य को उस राशि के लिए शेयर रखने की आवश्यकता है जिसकी गणना मौजूदा शेयर लिंकिंग मानदंडों के अनुसार की जा गई है या उस राशि के लिए जो बैंक की कुल चुकता शेयर पूंजी का 5 प्रतिशत है, जो भी कम हो। उधार मानदंडों से शेयर-लिंकिंग उन शहरी सहकारी बैंकों के विवेकाधीन होगा जो नवीनतम लेखापरीक्षित वित्तीय विवरणों के अनुसार 9 प्रतिशत के न्यूनतम नियामक सीआरएआर मानदंड और 5.5 प्रतिशत के टीयर 1 सीआरएआर और वैधानिक निरीक्षण के दौरान आरबीआई द्वारा मूल्यांकन किए गए अंतिम सीआरएआर को पूरा करते हैं। ऐसे शहरी सहकारी बैंकों के पास उधार मानदंडों से शेयर-लिंकिंग पर बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति होगी जिसे पारदर्शी, सुसंगत और गैर-भेदभावपूर्ण तरीके से लागू किया जाएगा। लेखा वर्ष की शुरुआत में बोर्ड द्वारा नीति की समीक्षा की जाए। शहरी सहकारी बैंक, जो 9 प्रतिशत के न्यूनतम सीआरएआर और 5.5 प्रतिशत के टीयर 1 सीआरएआर को बनाए नहीं रखते हैं, उन्हें ऊपर निर्दिष्ट उधार के साथ शेयर-लिंकिंग संबंधी मानदंडों द्वारा निर्देशित होना जारी रहेगा। सदस्यों / ग्राहकों द्वारा रखे गए स्थायी गैर-संचयी वरीयता शेयरों (पीएनसीपीएस) को मौजूदा उधार मानदंडों को शेयर से जोड़ने के साथ अनुपालन के प्रयोजन के लिए माना जाए। बीआर अधिनियम की धारा 56 के साथ पठित धारा 12(2) (ii) के अनुसार, एक सहकारी बैंक अपनी शेयर पूंजी को वापस नहीं लेगा या कम नहीं करेगा, सिवाय उस सीमा और शर्तों के, जैसा कि इस दिशा में रिजर्व बैंक में निर्दिष्ट किया जा सकता है। तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि शहरी सहकारी बैंकों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन अपने सदस्यों या मृत सदस्यों के नामितों/उत्तराधिकारियों को मांग पर2 शेयर पूंजी वापस करने की अनुमति दी जाए: ए) दोनों नवीनतम लेखापरीक्षित वित्तीय विवरणों और वैधानिक निरीक्षण के दौरान आरबीआई द्वारा मूल्यांकन किए गए अंतिम सीआरएआर के अनुसार बैंक का सीआरएआर 9 प्रतिशत या उससे अधिक है। बी) इस तरह की वापसी के परिणामस्वरूप बैंक का सीआरएआर न्यूनतम 9 प्रतिशत के नियामकीय स्तर से नीचे नहीं जाता है। ऊपर्युक्त के अनुसार सीआरएआर की गणना के प्रयोजन के लिए, तुलन पत्र की तारीख3 के बाद पूंजीगत निधियों में वृद्धि, लाभ को छोड़कर अन्य तरीके से, ध्यान में रखा जाए। उक्त अवधि के दौरान पूंजीगत निधियों में किसी प्रकार की कमी, जिसमें हानियां भी शामिल हैं, पर भी विचार किया जाएगा। 7. अनुबंध-II और अनुबंध-III में विनिर्दिष्ट विनियामक पूंजी लिखतों में निवेशकों की सुरक्षा के उपाय विनियामक पूंजी लिखतों की जोखिम विशेषताओं पर निवेशक शिक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से, शहरी सहकारी बैंक, जो अनुबंध-II और अनुबंध-III में निर्दिष्ट विनियामक पूंजी लिखत जारी करते हैं, निम्नलिखित शर्तों का पालन करेंगे: ए) फ्लोटिंग दर लिखतों के लिए, बैंकों को अपनी सावधि जमा दर को बेंचमार्क के रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए। बी) उपकरणों की विशेषताओं और जोखिमों को समझने के लिए निवेशकों से नीचे उद्धृत एक विशिष्ट साइन-ऑफ को प्रस्तावित इश्यू के सामान्य आवेदन पत्र में शामिल किया जाए: "यह आवेदन करके, मैं/हम स्वीकार करते हैं कि मैं/हम ने [बैंक का नाम] द्वारा जारी किए जा रहे [शेयर/प्रतिभूति का नाम] निर्गम के नियम और शर्तों को समझ लिया है, जैसा कि प्रॉस्पेक्टस और प्रस्ताव दस्तावेज़ में बताया गया है।". सी) शहरी सहकारी बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी प्रचार सामग्री/प्रस्ताव दस्तावेज, आवेदन पत्र और निवेशक के साथ अन्य संचार में स्पष्ट रूप से बड़े अक्षरों में (एरियल फ़ॉन्ट, आकार 14, अंग्रेजी / वर्नाक्यूलर संस्करण में समकक्ष आकार) स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए कि कैसे एक पीएनसीपीएस / पीसीपीएस / आरएनसीपीएस / आरसीपीएस / पीडीआई / एलटीएसबी, जैसा भी मामला हो, एक सावधि जमा से अलग है, और यह कि ये उपकरण जमा बीमा द्वारा कवर नहीं किए जाते हैं। डी) लिखत के ग्राहक की मृत्यु की स्थिति में कानूनी उत्तराधिकारियों को हस्तांतरण की प्रक्रिया भी निर्दिष्ट की जानी चाहिए। बैंकों को संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों को वार्षिक विवरणी प्रस्तुत करनी चाहिए जिसमें (i) पूंजीगत निधियां, (ii) ऑफ बेलेन्स शीट / गैर-निधि एक्सपोजर का रूपांतरण, (iii) जोखिम भारित आस्तियों की गणना, और (iv) पूंजीगत निधियों की गणना और जोखिम संपत्ति अनुपात का उल्लेख किया गया हो। विवरणी का प्रारूप अनुबंध-IV में दिया गया है। विवरणी पर दो अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने चाहिए जो रिजर्व बैंक को प्रस्तुत वैधानिक रिटर्न पर हस्ताक्षर करने के लिए प्राधिकृत हैं। मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची
1 शहरी सहकारी बैंकों को अब तक की तरह (i) अपने परिचालन क्षेत्र में व्यक्तियों को उनके उप-नियमों के प्रावधानों के अनुसार शेयर जारी करके, और (ii) मौजूदा सदस्यों को अतिरिक्त शेयर जारी करके शेयर पूंजी जुटाने की अनुमति है। 2 वापसी के लिए सभी पात्रता शर्तों को पूरा करने वाले सदस्य के अधीन। |