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मई 24, 2005
मुद्रा तिजोरियों की रखवाली के लिए सुरक्षा व्यवस्था
आरबीआई/2004-05/479 डीसीएम (एस एंड डी) सं. जी.42/12.02.29/2004-05 24 मई 2005 अध्यक्ष/अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/प्रबंध निदेशक मुद्रा तिजोरी वाले सभी बैंक महोदया/प्रिय महोदय, मुद्रा तिजोरियों की रखवाली के लिए सुरक्षा व्यवस्था कृपया दिनांक 19 फरवरी 2005 के परिपत्र सीओ डीएपीएम सीएससी. संख्या 316/15.08.02/2004-05 के साथ पठित दिनांक 30 अगस्त 2002 के हमारे परिपत्र डीसीएम (एस एंड डी) संख्या 172/12.02.29/2002-03 का संदर्भ लें, जिसके अनुसार राज्य सशस्त्र पुलिस की अनुपलब्धता के म
आरबीआई/2004-05/479 डीसीएम (एस एंड डी) सं. जी.42/12.02.29/2004-05 24 मई 2005 अध्यक्ष/अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/प्रबंध निदेशक मुद्रा तिजोरी वाले सभी बैंक महोदया/प्रिय महोदय, मुद्रा तिजोरियों की रखवाली के लिए सुरक्षा व्यवस्था कृपया दिनांक 19 फरवरी 2005 के परिपत्र सीओ डीएपीएम सीएससी. संख्या 316/15.08.02/2004-05 के साथ पठित दिनांक 30 अगस्त 2002 के हमारे परिपत्र डीसीएम (एस एंड डी) संख्या 172/12.02.29/2002-03 का संदर्भ लें, जिसके अनुसार राज्य सशस्त्र पुलिस की अनुपलब्धता के म
मई 07, 2005
अतिरिक्त/संशोधित सुरक्षा विशेषताओं के साथ भारतीय बैंकनोट
आरबीआई/2004-05/458 डीसीएम (आयो.)सं.जी 40/10.01.00/2004-05 मई 07 2005 अध्यक्ष/एमडी/सीएमडी/सीईओ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक, विदेशी बैंक महोदया/प्रिय महोदय, अतिरिक्त/संशोधित सुरक्षा विशेषताओं के साथ भारतीय बैंकनोट उच्च गुणवत्ता वाले जाली नोटों, विशेष रूप से रु. 100 और रु. 500 के नोटों के बढ़ते प्रचलन के मद्देनजर, भारत सरकार ने हमारे बैंक नोटों में सुरक्षा किशेषताओं को सुदृढ़ करने पर विचार करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। समिति की सिफार
आरबीआई/2004-05/458 डीसीएम (आयो.)सं.जी 40/10.01.00/2004-05 मई 07 2005 अध्यक्ष/एमडी/सीएमडी/सीईओ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक, विदेशी बैंक महोदया/प्रिय महोदय, अतिरिक्त/संशोधित सुरक्षा विशेषताओं के साथ भारतीय बैंकनोट उच्च गुणवत्ता वाले जाली नोटों, विशेष रूप से रु. 100 और रु. 500 के नोटों के बढ़ते प्रचलन के मद्देनजर, भारत सरकार ने हमारे बैंक नोटों में सुरक्षा किशेषताओं को सुदृढ़ करने पर विचार करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। समिति की सिफार
जनवरी 19, 2005
बैंक शाखाओं द्वारा सिक्कों को स्वीकार न करना
आरबीआई/2004-05/348 डीसीएम (आरएमएमटी) सं.1403/11.37.01/2004-05 19 जनवरी 2005 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, सभी सार्वजनिक/निजी क्षेत्र के बैंक महोदय, बैंक शाखाओं द्वारा सिक्कों को स्वीकार न करना कृपया 9 अक्टूबर 2003 के हमारे परिपत्र डीसीएम (आरएमएमटी) सं.404/11.37.01/2003-04 और 5 अप्रैल 2004 के परिपत्र डीसीएम (आरएमएमटी) सं.1181/11.37.01/2003-04 का संदर्भ लें, जिसमें आपकी शाखाओं द्वारा जनता आदि से बिना किसी प्रतिबंध के सभी मूल्यवर्ग के सिक्कों की को स्वीकार किया जाना सुनिश्च
आरबीआई/2004-05/348 डीसीएम (आरएमएमटी) सं.1403/11.37.01/2004-05 19 जनवरी 2005 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, सभी सार्वजनिक/निजी क्षेत्र के बैंक महोदय, बैंक शाखाओं द्वारा सिक्कों को स्वीकार न करना कृपया 9 अक्टूबर 2003 के हमारे परिपत्र डीसीएम (आरएमएमटी) सं.404/11.37.01/2003-04 और 5 अप्रैल 2004 के परिपत्र डीसीएम (आरएमएमटी) सं.1181/11.37.01/2003-04 का संदर्भ लें, जिसमें आपकी शाखाओं द्वारा जनता आदि से बिना किसी प्रतिबंध के सभी मूल्यवर्ग के सिक्कों की को स्वीकार किया जाना सुनिश्च
जनवरी 06, 2005
तिजोरी विप्रेषण में जाली नोटों का पता लगाना
आरबीआई/2004-05/340 डीसीएम (सीसी) संख्या जी.35/03.02.01/2004-05 06 जनवरी 2005 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी (मुद्रा तिजोरी वाले सभी बैंक) महोदय, तिजोरी विप्रेषण में जाली नोटों का पता लगाना कृपया उक्त विषय पर दिनांक 07 जून 2004 के हमारे परिपत्र डीसीएम (एफएनवीडी) सं. जी.39/16.01.01/2003-04 का संदर्भ लें, जिसमें हमने जाली नोटों को संचलन में फिर से प्रवेश करने और आरबीआई कार्यालयों को भेजे जाने वाले विप्रेषणों में जाली नोटों को शामिल करने से रोकने के ल
आरबीआई/2004-05/340 डीसीएम (सीसी) संख्या जी.35/03.02.01/2004-05 06 जनवरी 2005 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी (मुद्रा तिजोरी वाले सभी बैंक) महोदय, तिजोरी विप्रेषण में जाली नोटों का पता लगाना कृपया उक्त विषय पर दिनांक 07 जून 2004 के हमारे परिपत्र डीसीएम (एफएनवीडी) सं. जी.39/16.01.01/2003-04 का संदर्भ लें, जिसमें हमने जाली नोटों को संचलन में फिर से प्रवेश करने और आरबीआई कार्यालयों को भेजे जाने वाले विप्रेषणों में जाली नोटों को शामिल करने से रोकने के ल
दिसंबर 27, 2004
सिक्कों को स्वीकार नहीं करना
आरबीआई/2004-05/315 डीसीएम (आयो) सं.जी-31/10.03.00/2004-05 27 दिसंबर 2004 सूची के अनुसार मुद्रा तिजोरी रखने वाले बैंक। महोदया / प्रिय महोदय, सिक्कों को स्वीकार नहीं करना कृपया बैंक शाखाओं द्वारा सिक्कों को स्वीकार नहीं करने के संबंध में दिनांक 5 अप्रैल 2004 के हमारे पत्र डीसीएम (आरएमएमटी) सं.1181/11.37.01/2003-04 के माध्यम से आपको दिए गए निर्देशों/अनुदेशों का संदर्भ लें। 22 नवंबर, 2004 को रिजर्व बैंक स्टाफ कॉलेज, चेन्नई में आयोजित निर्गम कार्यालयों के क्षेत्रीय प्रमुखो
आरबीआई/2004-05/315 डीसीएम (आयो) सं.जी-31/10.03.00/2004-05 27 दिसंबर 2004 सूची के अनुसार मुद्रा तिजोरी रखने वाले बैंक। महोदया / प्रिय महोदय, सिक्कों को स्वीकार नहीं करना कृपया बैंक शाखाओं द्वारा सिक्कों को स्वीकार नहीं करने के संबंध में दिनांक 5 अप्रैल 2004 के हमारे पत्र डीसीएम (आरएमएमटी) सं.1181/11.37.01/2003-04 के माध्यम से आपको दिए गए निर्देशों/अनुदेशों का संदर्भ लें। 22 नवंबर, 2004 को रिजर्व बैंक स्टाफ कॉलेज, चेन्नई में आयोजित निर्गम कार्यालयों के क्षेत्रीय प्रमुखो
मई 08, 2004
सार्वजनिक सेवाओं पर प्रक्रियाओं और कार्यनिष्पादन लेखापरीक्षा समिति (सीपीपीएपीएस)
आरबीआई/2004/189 डी.ओ.डीसीएम (एनई) संख्या 497/08.01.06/2003-04 08 मई 2004 श्री / महोदय, सभी अनुसूचित बैंकों के अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रिय श्री / महोदय, सार्वजनिक सेवाओं पर प्रक्रियाओं और कार्यनिष्पादन लेखापरीक्षा समिति (सीपीपीएपीएस) आपको याद होगा कि गवर्नर डॉ. रेड्डी ने वर्ष 2003-04 के लिए मौद्रिक और ऋण नीति की मध्यावधि समीक्षा में सार्वजनिक सेवाओं पर प्रक्रियाओं और कार्यनिष्पादन लेखापरीक्षा पर एक समिति गठित करने हेतु संकेत दिया था। श्री एस.एस.
आरबीआई/2004/189 डी.ओ.डीसीएम (एनई) संख्या 497/08.01.06/2003-04 08 मई 2004 श्री / महोदय, सभी अनुसूचित बैंकों के अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रिय श्री / महोदय, सार्वजनिक सेवाओं पर प्रक्रियाओं और कार्यनिष्पादन लेखापरीक्षा समिति (सीपीपीएपीएस) आपको याद होगा कि गवर्नर डॉ. रेड्डी ने वर्ष 2003-04 के लिए मौद्रिक और ऋण नीति की मध्यावधि समीक्षा में सार्वजनिक सेवाओं पर प्रक्रियाओं और कार्यनिष्पादन लेखापरीक्षा पर एक समिति गठित करने हेतु संकेत दिया था। श्री एस.एस.
अप्रैल 08, 2004
जाली नोटों का पता लगाना-निविदाकर्ताओं को रसीद जारी करना
आरबीआई/2004/139 डीसीएम (एफएनवीडी) सं.जी.31/16.01.01/2003-04 08 अप्रैल 2004 सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों/सभी सहकारी बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों/विदेशी बैंकों के अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्षेत्रीय निदेशक/मुख्य महाप्रबंधक/प्रभारी महाप्रबंधक भारतीय रिज़र्व बैंक –अहमदाबाद/बैंगलोर/बेलापुर/भोपाल/भुवनेश्वर/चेन्नई /चंडीगढ़/गुवाहाटी/हैदराबाद/जयपुर/जम्मू/कानपुर/ कोच्चि/कोलकाता/लखनऊ/मुंबई/नागपुर/नई दिल्ली/पटना/तिरुवनंतपुरम महोद
आरबीआई/2004/139 डीसीएम (एफएनवीडी) सं.जी.31/16.01.01/2003-04 08 अप्रैल 2004 सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों/सभी सहकारी बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों/विदेशी बैंकों के अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्षेत्रीय निदेशक/मुख्य महाप्रबंधक/प्रभारी महाप्रबंधक भारतीय रिज़र्व बैंक –अहमदाबाद/बैंगलोर/बेलापुर/भोपाल/भुवनेश्वर/चेन्नई /चंडीगढ़/गुवाहाटी/हैदराबाद/जयपुर/जम्मू/कानपुर/ कोच्चि/कोलकाता/लखनऊ/मुंबई/नागपुर/नई दिल्ली/पटना/तिरुवनंतपुरम महोद
अप्रैल 05, 2004
सिक्कों को स्वीकार करना
आरबीआई/2004/136 डीसीएम(आरएमएमटी)सं.1181/11/37.01/2003-04 5 अप्रैल 2004 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सभी सार्वजनिक/निजी क्षेत्र के बैंक महोदय, सिक्कों को स्वीकार करना उक्त विषय में दिनांक 09 अक्टूबर 2003 के हमारे पत्र डीसीएम(आरएमएमटी)सं. 404/11.37.01/2003-04 का संदर्भ लें, जिसमें आपसे अपनी शाखाओं को आम जनता से बिना किसी प्रतिबंध के सभी मूल्यवर्ग के सिक्के स्वीकार करने हेतु निर्देश देने हेतु अनुरोध किया गया था। यद्यपि, हमें अभी भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बैंक शाखाओं
आरबीआई/2004/136 डीसीएम(आरएमएमटी)सं.1181/11/37.01/2003-04 5 अप्रैल 2004 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सभी सार्वजनिक/निजी क्षेत्र के बैंक महोदय, सिक्कों को स्वीकार करना उक्त विषय में दिनांक 09 अक्टूबर 2003 के हमारे पत्र डीसीएम(आरएमएमटी)सं. 404/11.37.01/2003-04 का संदर्भ लें, जिसमें आपसे अपनी शाखाओं को आम जनता से बिना किसी प्रतिबंध के सभी मूल्यवर्ग के सिक्के स्वीकार करने हेतु निर्देश देने हेतु अनुरोध किया गया था। यद्यपि, हमें अभी भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बैंक शाखाओं
जनवरी 29, 2004
काउंटरों में नोट गिनने वाली मशीनों का प्रावधान
29 जनवरी 2004 आरबीआई/2004/30 डीसीएम (आयो)सं.874/10.36.00/2003-04 अध्यक्ष, भारतीय स्टेट बैंक प्रबंध निदेशक, सहयोगी बैंक राष्ट्रीयकृत बैंकों के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक निजी क्षेत्र के बैंकों/विदेशी बैंकों/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों/स्थानीय क्षेत्र के बैंकों के अध्यक्ष/सीईओ महोदय, काउंटरों में नोट गिनने वाली मशीनों का प्रावधान हम सूचित करते हैं कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के तहत भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दिनांक 7 नवंबर 2001 को जनहित में जारी निर्देशों डीब
29 जनवरी 2004 आरबीआई/2004/30 डीसीएम (आयो)सं.874/10.36.00/2003-04 अध्यक्ष, भारतीय स्टेट बैंक प्रबंध निदेशक, सहयोगी बैंक राष्ट्रीयकृत बैंकों के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक निजी क्षेत्र के बैंकों/विदेशी बैंकों/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों/स्थानीय क्षेत्र के बैंकों के अध्यक्ष/सीईओ महोदय, काउंटरों में नोट गिनने वाली मशीनों का प्रावधान हम सूचित करते हैं कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के तहत भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दिनांक 7 नवंबर 2001 को जनहित में जारी निर्देशों डीब
जनवरी 24, 2004
कुप्रो निकेल और एल्युमिनियम के पुराने सिक्कों को वापस लेना
24 जनवरी 2004 आरबीआई/2004/27 /03.00/2003-04 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, सभी सार्वजनिक/निजी क्षेत्र के बैंक महोदय, कुप्रो निकेल और एल्युमिनियम के पुराने सिक्कों को वापस लेना कृपया जनता से सिक्कों के रिवर्स फ्लो के संबंध में दिनांक 9 अक्टूबर 2003 के हमारे पत्र डीसीएम (आरएमएमटी) संख्या 404/11.37.01/2003-04 का संदर्भ लें। अब सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि कुप्रो-निकल मिश्रधातु और एल्युमीनियम से बने एक रुपये तक के मूल्य के पुराने सिक्कों को वापस ले लिया जाए और पिघलने
24 जनवरी 2004 आरबीआई/2004/27 /03.00/2003-04 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, सभी सार्वजनिक/निजी क्षेत्र के बैंक महोदय, कुप्रो निकेल और एल्युमिनियम के पुराने सिक्कों को वापस लेना कृपया जनता से सिक्कों के रिवर्स फ्लो के संबंध में दिनांक 9 अक्टूबर 2003 के हमारे पत्र डीसीएम (आरएमएमटी) संख्या 404/11.37.01/2003-04 का संदर्भ लें। अब सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि कुप्रो-निकल मिश्रधातु और एल्युमीनियम से बने एक रुपये तक के मूल्य के पुराने सिक्कों को वापस ले लिया जाए और पिघलने

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: मार्च 24, 2025

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